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'महिला संवाद ऐप' से होगा महिलाओं की समस्याओं का समाधान, जिले से लेकर राज्य मुख्यालय स्तर तक कार्रवाई हो रही सुनिश्चित

Dainik Jagran - May 28, 2025 - 7:59pm

डिजिटल डेस्क, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विशेष पहल पर शुरू की गई महिला संवाद कार्यक्रम से ग्रामीण इलाकों की मूलभूत समस्याएं सामने आ रही हैं। खासकर ऐसी समस्याएं जिनसे महिलाओं का सीधा सरोकार रहता है। 18 अप्रैल से पूरे राज्य में शुरू हुई महिला संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 9 लाख 46 हजार से अधिक अलग-अलग तरह के सुझाव/आकांक्षाएं प्राप्त हो चुके हैं। इनके समुचित समाधान के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने एक खास प्रणाली विकसित की है। महिला संवाद एप नाम से विकसित इस ऑनलाइन प्रणाली के तहत पहले सभी सुझावों /आकांक्षाओं को अपलोड किया जाता है। फिर से इन पर समुचित समाधान के लिए जिला से लेकर राज्य मुख्यालय स्तर तक कार्रवाई की जाती है।

संवाद के दौरान ग्रामीण महिलाओं से उनके क्षेत्र में सड़क, नाली, स्कूल समेत अन्य के निर्माण के अलावा शिक्षा समिति की बैठकें, हर घर नल का जल योजना, पीएम आवास योजना से जुड़े सुझाव प्राप्त हो रहे हैं।

इस एप के जरिए समाधान की प्रक्रिया को गति देने के लिए बुधवार को ग्रामीण विकास विभाग में एक विशेष बैठक विभागीय सचिव लोकेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि महिला संवाद में आने वाली सभी सुझावों/ आकांक्षाओं को इस विशेष एप पर ग्राम संगठनों के स्तर से अपलोड किया जाता है। प्रखंड स्तरीय जीविका कार्यालय के स्तर से इस पर तमाम डाटा और संबंधित महिला की तरफ से आए सुझावों को समुचित तरीके से दर्ज किया जाता है। इसका शुरुआती अवलोकन जीविका के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) करते हैं। इसके लिए सभी डीपीओ को एक-एक लॉगइन आईडी बनाकर दी गई है। इन सभी स्तर पर अवलोकन करने के उपरांत इसे संबंधित जिलों के डीएम को भेजा जाता है। जिन समस्याओं का समाधान डीएम के स्तर पर होना संभव होता है, उसका समाधान कर लिया जाता है।

इसके बाद जिन समस्याओं का समाधान उनके स्तर से नहीं होता है या होना संभव नहीं होता है, उसे राज्य मुख्यालय में संबंधित विभागों को भेज दिया जाता है। ताकि इन समस्याओं का समुचित तरीके से समाधान हो सके।

सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा की महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार के स्तर से चलाए जा रहे कार्यक्रमों से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को अवगत कराना भी महिला संवाद कार्यक्रम का उदेश्य है।

इस बैठक के दौरान जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा एवं अन्य विभागीय नोडल पदाधिकारी मौजूद थे।

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पाक की बासमती साजिश का पर्दाफाश : 5.5 अरब डॉलर की फसल पर पाकिस्तानी चाल, पूसा बासमती चुराकर पाकिस्तान की 'काइनात' बन गई दुनिया में बदनाम

Dainik Jagran - National - May 28, 2025 - 6:02pm

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।

भारत की पूसा बासमती चावल की वैज्ञानिक किस्में भारत की कृषि सफलता की सफलता को दिखाती है। लेकिन पाकिस्तान इस फसल के बीज को अवैध तरीके से चुराकर इन किस्मों की खेती कर रहा है, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार में बेचने में लगा है। पाकिस्तानी किसान सोशल मीडिया पर पूसा 1121 और 1509 किस्मों को "1121 काइनात" और "1509 किसान" नाम से प्रचारित कर रहे हैं। ये किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई हैं। ऐसे में भारतीय किसानों और वैज्ञानिकों के लिए यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। भारत इस मामले को बीते कुछ समय से पुरजोर तरीके से उठा रहा है। इससे वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की किरकिरी हुई है। बताते चलें कि डीएनए टेस्टिंग में इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान द्वारा दिखाई जा रही बासमती की किस्म नकली है, असल में वह भारतीय किस्म ही है।

पूसा बासमती चावल देश की खाद्य सुरक्षा का मजबूत स्तंभ है, बल्कि 5.5 अरब डॉलर के बासमती निर्यात उद्योग की रीढ़ भी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की वर्षों की मेहनत से तैयार किस्में जैसे पीबी-1121 और पीबी-1509 ने चावल उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। लेकिन अब पाकिस्तान द्वारा इन किस्मों की अवैध खेती कर रहा है। वैश्विक बाजार में इन्हें भारतीय उत्पाद के रूप में बेचने की कोशिश पाकिस्तान कर रहा है। एपीडा ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें पाकिस्तान के किसानों और व्यापारियों ने खुलकर कहा है कि वे भारत की 1121 और 1509 पूसा बासमती किस्में उगा रहे हैं।

ऑल इंडिया साइस एक्सपोटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल कहते हैं कि इस साल हमने पूरी दुनिया में लगभग 6 मिलियन टन बासमती राइस एक्सपोर्ट किया है। जो अब तक का रिकॉर्ड है। वहीं पाकिस्तान पूरी दुनिया में एक मिलियन टन से भी कम बासमती बेच रहा है। इससे साफ है कि हमारे बासमती को पूरी दुनिया पसंद कर रही है। वहीं चावल की को प्रोसेस करने के लिए जो तकनीक चाहिए उसमें हम पाकिस्तान से कहीं बेहतर हैं। वहीं पिछले कुछ सालों में भारत की छवि पूरी दुनिया में मजबूत हुई है। इससे भी एक्सपोर्ट्स को काफी मदद मिली है।

पाकिस्तान में हो रही है अवैध खेती

पाकिस्तानी किसान सोशल मीडिया पर पुसा 1121 और 1509 किस्मों को "1121 काइनात" और "1509 किसान" नाम से प्रचारित कर रहे हैं। ये किस्में आईएआरआई द्वारा विकसित की गई हैं। इनके बीज तस्करी या अन्य माध्यमों से पाकिस्तान पहुंचे हैं। इस प्रकार की गतिविधियां भारतीय किसानों और वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं।

पाकिस्तान की नापाक हरकत की डीएनए से खुली पोल

पाकिस्तान की कई बासमती किस्में, जैसे 1121 काइनात और किसान बासमती, असल में भारत में विकसित पीबी-1121 और पीबी-1509 ही हैं। इस बात की पुष्टि 2024 में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में हुए डीएनए टेस्ट से हुई है। यूरोप, भारत और 11 अन्य देशों की प्रयोगशालाओं में हुए ‘रिंग ट्रायल’ में पाया गया कि पाकिस्तान द्वारा उगाई जा रही किस्में आईएआरआई की बौद्धिक संपदा हैं।

इन बीजों की तस्करी पंजाब और हरियाणा की मंडियों से या दुबई के दलालों के माध्यम से होने की बात सामने आई है। पाकिस्तान में इन्हें स्थानीय नामों से बेचने की कोशिश की जा रही है जैसे पीबी-1121 को “PK 1121 एरोमेटिक” और पीबी-1509 को “किसान बासमती” बताया जा रहा है। यूट्यूब पर मौजूद दर्जनों पाकिस्तानी प्रचार वीडियो इस उल्लंघन की पुष्टि करते हैं। केंद्र सरकार और एपीडा WIPO (विश्व बौद्धिक संपदा संगठन) में मामला उठाने की तैयारी में हैं।

भारत की बासमती की क्वालिटी के आगे कहीं नहीं टिकता पाक का बासमती

विदेशों में चावल के निर्यातक और दिल्ली के कृभको एग्री बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड के चीफ मैनेजर राजेश पहाड़िया ने बताया कि पाकिस्तान बासमती को लेकर कितना भी दावा कर ले, दुनिया में बासमती को इंडियन बासमती के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान की तरफ से PB- 1121 और PB- 1509 को 1121 काइनात के नाम से पैदावार कर विदेशों में बेचा जा रहा है, लेकिन भारतीय किस्म की लेंथ से वह छोटा होता है, इसके कारण वह मार खा जाता है। इसके अलावा पाकिस्तान भारत से बारदाना लेकर जाते हैं और अरब देश दुबई या ओमान जैसे देशों से चावल लेकर वहां लगा रखे रि-पैकिंग यूनिट में वे भारतीय बासमती के नाम से पैकिंग करते हैं। यह दिखाते हैं कि यह भारतीय बासमती है। जहां तक दुनिया में बासमती की किस्म और निर्यात की बात है तो भारत की हिस्सेदारी 63 फीसदी के करीब है, जबकि पाकिस्तान की 22 फीसदी है। वैसे भी बासमती को लेकर उनके दावे से क्या होता है, पाकिस्तान दो बार इंटरनेशनल कोर्ट में केस हार चुका है। बासमती की किस्म PB- 1121 और PB- 1509 जो हमारा है, उसे पाकिस्तान काइनात बोलकर बेचता है। उसकी लेंथ हमारी तुलना में कम होती है, क्वालिटी भी हमारी बेहतर है।

वरदान बनकर आई किस्में

आईएआरआई द्वारा विकसित पीबी-1121 वर्ष 2003 में और पीबी-1509 वर्ष 2013 में किसानों के लिए वरदान बनकर आईं। पीबी-1121 जहां 140-145 दिनों में पकती है। पकने पर इसका दाना 21.5 मिमी तक लंबा हो जाता है। वहीं पीबी-1509 सिर्फ 115-120 दिनों में तैयार होकर अधिक उपज देती है। यह जल संरक्षण में भी सहायक है। भारत की बासमती खेती के 89% हिस्से में अब यही किस्में उगाई जाती हैं। अकेले पंजाब में पीबी-1121 का वर्चस्व 70% है।

भारत ने 2022-23 में 4.56 मिलियन मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिससे 4.79 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत दुनिया के 85% बासमती बाजार पर राज कर रहा है। इसके मुख्य खरीदार सऊदी अरब, ईरान और यूएई है जो भारत की गुणवत्ता पर भरोसा करते हैं।

क्लाईमेट चेंज के अनुरूप है फसलें

आईएआरआई की नई किस्में-पीबी-1847 और पीबी-1885 बैक्टीरियल ब्लाइट और राइस ब्लास्ट जैसी बीमारियों से लड़ने में सक्षम हैं। “माइनस 5, प्लस 10” जैसी रणनीति जल संकट के दौर में चावल उत्पादन को टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है। वर्ष 2029 तक भारत का चावल बाजार 59.46 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें पुसा बासमती की भूमिका केंद्रीय होगी। राजेश पहाड़िया कहते हैं कि वैसे भी पाकिस्तान कुछ भी कर लें, उनकी तरफ से भारत के बासमती की कॉपी या पैदावार नहीं की जा सकती है, जो हमारे यहां होती है। उनके बासमती के इन दोनों किस्म के पैदावार करने से भारतीय बासमती के बाजार को लेकर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

आर्थिक चोट और ब्रांड की साख पर खतरा

भारत का बासमती बाजार करीब 50,000 करोड़ रुपये का है। पाकिस्तानी उत्पाद भारत की तुलना में कम दामों (प्रति टन $1,005 बनाम भारत का $1,180) में बेचकर यूरोप और ब्रिटेन जैसे बाजारों में हिस्सेदारी बढ़ा रहा है। यूरोपीय संघ में अब पाकिस्तान की हिस्सेदारी 85% तक पहुंच गई है। यह सिर्फ कीमत की नहीं, पहचान की लड़ाई बन चुकी है।

स्ट्रेटेजिक इंगेजमेंट एंड पार्टनरशिप, इंडिक रिसर्च फोरम; इंडो-पैसिफिक रणनीतिक सलाहकार के निदेशक बालकृष्ण मानते हैं कि अगर पाकिस्तानी किसान बिना वैज्ञानिक मार्गदर्शन और जलवायु अनुकूलन के लिहाज से भारतीय किस्में उगाते हैं, तो इससे चावल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसका असर भारत की वैश्विक छवि और खरीदारों के भरोसे पर पड़ सकता है, विशेषकर ईरान जैसे देशों में जो पारबॉयल्ड बासमती पसंद करते हैं।

पाकिस्तान कभी नहीं स्वीकारेगा

राजेश पहाड़िया ने बताया कि सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं कुछ भारतीय कारोबारी भी बासमती की इन किस्म को लेकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, हमारे बासमती का इंटरनेशनल रेट 1000 डॉलर के आसपास है, जबकि पाकिस्तानी काइनात बासमती का 600 डॉलर प्रति क्विंटल है। इसमें यह गोलमाल किया जा रहा है कि कुछ कारोबारी उनकी बासमती को लेकर हमारे बासमती के साथ 80: 20 के अनुपात में मिलाकर विदेशों में 800 डॉलर क्विंटल के आसपास बेच देते हैं। अब मिक्स होने के कारण जरूर लोग पहचान नहीं कर पाते हैं। पाकिस्तान की तरफ से हमारे बासमती की दोनों किस्मों की कॉपी या पैदावार को लेकर कभी भी अपनी गलती को लेकर स्वीकार नहीं करेगा।

जियोग्राफिकल इंडिकेशन विवाद: विरासत या धोखा?

भारत ने 2018 में बासमती के लिए यूरोपीय संघ में जीआई टैग के लिए आवेदन किया था, जिसे पाकिस्तान ने यह कहते हुए चुनौती दी कि बासमती उसकी भी विरासत है। पाकिस्तान ने अपने जीआई दावे में 14 से बढ़ाकर 48 जिले शामिल कर लिए, जिनमें भारतीय किस्में भी उगाई जा रही हैं। लेकिन अब डीएनए सबूत भारत के दावे को और मजबूत बनाते हैं।

बासमती सिर्फ चावल नहीं, भारत की प्रतिष्ठा है

स्ट्रेटेजिक इंगेजमेंट एंड पार्टनरशिप, इंडिक रिसर्च फोरम; इंडो-पैसिफिक रणनीतिक सलाहकार के निदेशक बालकृष्ण कहते हैं कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय बासमती किस्मों की चोरी केवल एक व्यापारिक विवाद नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक विरासत, आर्थिक स्वाभिमान और खाद्य सुरक्षा पर सीधा हमला है। जब दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, भारत ने वैज्ञानिक नवाचार से बासमती को वैश्विक मंच पर एक मॉडल फसल के रूप में स्थापित किया है। अब इस विरासत की रक्षा के लिए भारत को कूटनीति, तकनीक और कानून तीनों मोर्चों पर मजबूती से उतरना होगा।

Categories: Hindi News, National News

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