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Tamil Nadu: द्रमुक नेता पर महिला ने लगाया यौन शोषण का आरोप, जिले में किया विरोध प्रदर्शन
पीटीआई, चेन्नई। तमिलनाडु की एक युवती ने द्रमुक युवा शाखा के एक पदाधिकारी पर उसे बड़े लोगों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने की कोशिश का आरोप लगाया है।
जिले में किया विरोध प्रदर्शनमुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने बुधवार को इस मुद्दे पर रानीपेट जिले में विरोध प्रदर्शन किया और पार्टी नेता और इसकी महिला शाखा की सचिव बी वलारमती ने कहा कि अन्नाद्रमुक तब तक लड़ाई जारी रखेगी जब तक महिला को न्याय नहीं मिल जाता।
अन्नाद्रमुक ने यह भी दावा किया कि वह पुलिस की ज्यादती के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है। 19 मई को अन्नाद्रमुक महासचिव एके पलानीस्वामी ने इस मामले पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि पुलिस ने तब एफआइआर दर्ज की जब उनकी पार्टी के विधायक एस रवि ने हस्तक्षेप किया। पुलिस की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
राजनेताओं के साथ सोने के लिए मजबूर कियावहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने द्रमुक की युवा शाखा के पदाधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है। कथित तौर पर आरोपित की पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों में दावा किया गया है कि उसने लड़कियों को ''राजनेताओं के साथ सोने'' के लिए मजबूर किया।
सीएम हिमंत और गोगोई के बीच वाकयुद्ध तेज, कांग्रेस सांसद के पाकिस्तान दौरे को लेकर छिड़ा विवाद
पीटीआई, डेरगांव। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा अपनी पाकिस्तान यात्रा की तुलना लालकृष्ण आडवाणी जैसे भाजपा के दिग्गजों की यात्रा से करना ''सेब और संतरे'' की तुलना करने जैसा है।
जवाबी हमला करते हुए गोगोई ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ''निराधार व्यक्तिगत हमले, राजनीतिक ड्रामा और बदनाम करने वाले अभियान'' का सहारा ले रहे हैं। गोगोई ने कहा कि 2014 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद से उन्होंने सभी आधिकारिक प्रोटोकॉल का पालन किया है।
गोगोई पर हिमंत ने लगाए आरोपलोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गोगोई पर हिमंत और भाजपा आरोप लगा रहे हैं कि उनके और उनकी ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ से संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने रविवार को आरोप लगाया कि था गोगोई ने आइएसआइ के निमंत्रण पर पाकिस्तान का दौरा किया था, वहां ''प्रशिक्षण'' लिया था और पड़ोसी देश की सरकार के साथ मिलकर काम किया था।
गोगोई ने सीएम हिमंत पर किया पलटवारहिमंत पर पलटवार करते हुए गोगोई ने मंगलवार को कहा था कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी पहले पड़ोसी देश का दौरा कर चुके हैं और केंद्र सरकार को उनके पाकिस्तान दौरे की पूरी जानकारी है। इस पर जवाब देते हुए हिमंत ने कहा, ''चाहे जसवंत सिंह हों, लालकृष्ण आडवाणी हों या नरेन्द्र मोदी, वे सार्वजनिक रूप से सरकारी ड्यूटी पर गए थे।''
पाकिस्तान के लोगों से संबंध रखने का आरोपित छात्र रेजाज जांच के दायरे मेंआतंकवाद रोधी कानून के तहत नागपुर में गिरफ्तार छात्र कार्यकर्ता रेजाज एम. शीबा सिद्दीक के मामले में जांच की जा रही है। एटीएस ने पाया है कि वह पाकिस्तान के छह फोन नंबरों के संपर्क में था।
अधिकारी अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इन संपर्कों का आतंकवादी समूहों से कोई संबंध है। एटीएस के एक अधिकारी ने बताया कि ये नंबर सिद्दीक के मोबाइल फोन से बरामद किए गए हैं। उससे जुड़े व्यक्तियों की पहचान करने के प्रयास जारी हैं।
एक अधिकारी ने कही ये बातअधिकारी ने कहा कि यदि किसी भी संपर्क के आतंकवाद से जुड़े होने की पुष्टि होती है तो राष्ट्रीय एजेंसियां जांच का जिम्मा संभालेंगी। केरल के रहने वाले सिद्दीक को लकड़गंज पुलिस ने सात मई को नागपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया था।
Ranya Rao Case: रान्या राव सोना तस्करी मामले में कर्नाटक के गृह मंत्री से जुड़े संस्थानों पर छापे, कांग्रेस ने की आलोचना
पीटीआई, बेंगलुरु। ईडी ने बुधवार को अभिनेत्री रान्या राव और अन्य के खिलाफ सोना तस्करी से जुड़े मनी लांड्रिंग की जांच के तहत कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों सहित कर्नाटक में कई स्थानों पर छापेमारी की।
राज्य में 16 स्थानों पर छापेमारीआधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पीएमएलए के तहत राज्य में 16 स्थानों पर छापेमारी की गई। छापेमारी हवाला ऑपरेटरों को निशाना बनाकर की गई, जिन्होंने कथित तौर पर राव के खातों में फर्जी वित्तीय लेनदेन किए थे।
ईडी ने कुछ महीने पहले राव के मामले सहित भारत में एक बड़े सोने की तस्करी रैकेट में सीबीआइ और डीआरआइ की शिकायत का संज्ञान लेते हुए पीएमएलए का मामला दर्ज किया था।
एक शैक्षिक ट्रस्ट पर संदेहईडी के सूत्रों ने कहा कि एक शैक्षिक ट्रस्ट पर संदेह है कि उसने एक प्रभावशाली व्यक्ति के निर्देश पर रान्या राव के क्रेडिट कार्ड बिल के लिए 40 लाख रुपये का भुगतान किया है। सूत्रों ने दावा किया कि ट्रस्ट परमेश्वर से जुड़ा हुआ है और प्रभावशाली व्यक्ति एक राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्ति है।
उन्होंने बताया कि तलाशी में पाया गया कि क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान को पुष्ट करने के लिए कोई सहायक वाउचर या दस्तावेज नहीं थे। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने ईडी की छापेमारी पर टिप्पणी करने से इन्कार करते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने उठाए सवालवहीं, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों पर छापेमारी की क्या जरूरत है। मेरे गृह मंत्री का किसी मामले में शामिल होना संभव नहीं है। शिवकुमार ने कहा कि मेरे पास उचित जानकारी नहीं है। इस बारे में मैं जानकारी जुटाता हूं, फिर कुछ कह पाऊंगा।
सुरजेवाला ने किया बचाववहीं, कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने परमेश्वर को अनुसूचित जाति का बड़ा नेता बताया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि छापेमारी पिछली भाजपा सरकारों के भ्रष्टाचार को छुपाने और इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर दबाव डालने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि संविधान और देशभर में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा ओबीसी समुदायों के नेताओं पर लगातार हमला एक आदत बन गई है।
चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 के मिशन पर काम कर रहा भारत, इसरो ने जापान से मिलाया हाथ; धरती पर लाया जाएगा चंद्रमा का सैंपल
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने ओडिशा के सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (सीटीटीसी) में चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 की घोषणा की। इसरो प्रमुख ने कहा है कि चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा के नमूने एकत्र करना और उसे पृथ्वी पर वापस लाना है, जबकि चंद्रयान-5 जापान के साथ एक सहयोगी मिशन है।
इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की महत्वाकांक्षी प्रगति जारी है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने अगले प्रमुख अंतरिक्ष अभियान, चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह के नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है।
अंतरिक्ष मिशनों में मिलेगी सहायताइस अभूतपूर्व प्रयास का उद्देश्य चंद्रमा से नमूनों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है, जो भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए एक उल्लेखनीय पहला कदम है। इस महत्वाकांक्षी मिशन का खुलासा इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने भुवनेश्वर में सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (सीटीटीसी) के दौरे के दौरान किया।
चंद्रयान-4 में चंद्रमा पर उतरना, नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना शामिल होगा, जिससे चंद्र भूविज्ञान के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी और संभावित रूप से भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में सहायता मिलेगी।
भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम- चंद्रयान-4 चंद्रमा के बारे में बेहतर समझ के लिए मंच तैयार करेगा, क्योंकि वैज्ञानिक इसके द्वारा लौटाए गए नमूनों का विश्लेषण करने की उम्मीद कर रहे हैं। यह मिशन चंद्र अनुसंधान में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
- इसके बाद, इसरो चंद्रयान-5 के लिए जापान के साथ मिलकर काम कर रहा है। डॉ. नारायणन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चंद्रयान-5 अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक व्यापक मिशन होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-5 का कुल लॉन्च वजन 6,400 किलोग्राम होगा, जो चंद्रयान-3 के 5,000 किलोग्राम से काफी अधिक है।
- एक महत्वपूर्ण वृद्धि में चंद्रयान-5 रोवर का नियोजित परिचालन जीवनकाल शामिल है, जिसका वजन 350 किलोग्राम होगा - जो पिछले रोवर के 25 किलोग्राम से बहुत अधिक है। यह नया चरण मिशन की अवधि को मात्र 14 दिनों से बढ़ाकर पूरे 100 दिन करने की अनुमति देगा, जिससे चंद्र सतह का अधिक विस्तृत अन्वेषण संभव होगा।
इसरो प्रमुख ने बताया कि अभी हम चंद्रयान 4 पर काम कर रहे हैं, क्योंकि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग की और हमारे देश को गौरव दिलाया। चंद्रयान 4 एक सैंपल रिटेन मिशन है। हम उतरेंगे, सैंपल लेंगे और उसे वापस धरती पर लाएंगे।
इसरो प्रमुख ने कहा कि हम चंद्रयान 5 मिशन पर भी काम कर रहे हैं। यह जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जेएएक्सए के साथ मिलकर किया गया एक सहयोगात्मक मिशन है। इस बार रोवर का वजन 350 किलोग्राम होगा और इसकी आयु करीब 100 दिन होगी।
डॉ. सुनील षडंगी को दिया श्रेय- डॉ. नारायणन ने ओडिशा में सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (सीटीटीसी) में अपने भाषण के दौरान कहा कि प्रत्येक मिशन के साथ हम जो प्रगति कर रहे हैं, वह अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती क्षमताओं को उजागर करती है।
- इस अवसर पर इसरो प्रमुख ने अपनी सफलता के लिए ओडिशा के अपने वैज्ञानिक गुरु डॉ. सुनील षडंगी को सम्पूर्ण श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि आज राकेट में प्रयोग होने वाली क्रयोजेनिक तकनीक वह उन्हीं से सीखी थी।
- वी. नारायणन जो वर्तमान में इसरो अध्यक्ष हैं, वह आईआईटी खड़गपुर में प्रो. सुनील षडंगी के शिष्य थे। उन्होंने कहा कि अपने गुरू से यह तकनीकी सीखने के बाद हमने थेसिस तैयार किया था, जिसे वर्तमान में सभी रॉकेट में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने अपने गुरू के प्रति आभार जताया है।
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वीरप्पन से लेकर चलापति तक... अपराध की दुनिया पर करते थे राज, सिर पर था करोड़ों का इनाम; कैसे हुआ इन सभी का खात्मा?
जेएनएन, नई दिल्ली। देश में नक्सलवाद का सफाया करने के लिए सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों ने 27 माओवादियों को मार गिराया है। गृह मंत्री अमित शाह ने इसके लिए सुरक्षा बलों की तारीफ की है। केंद्रीय गृह मंत्री नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को भी सुरक्षा बलों ने मार गिराया है।
बसव राजू न सिर्फ पार्टी महासचिव के रूप में सीपीआइ (माओवाद) का सर्वोच्च नेता था, साथ ही सेंट्रल मिलिट्री कमेटी के प्रमुख के रूप में लड़ाकू दस्ते का भी प्रमुख था। उसकी मौत से नेतृत्वविहीन नक्सलियों के संगठन का बिखरना निश्चित माना जा रहा है।
आइए पढ़ें इन अपराधियों के बारे में जिनपर एक करोड़ से ज्यादा का था इनाम
वीरप्पन: खूंखार डाकू, तस्कर और शिकारी वीरप्पन के सिर पर पांच करोड़ का इनाम रखा गया था। वीरप्पन ने करीब 184 लोगों को मारा, कई का गला घोंट दिया। यहां तक कि 97 पुलिस वालों को भी मौत के घाट उतार दिया। वीरप्पन के खात्मे के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने तमिलनाडु स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया। 18 अक्टूबर, 2004 को एसटीएफ ने एके-47 से फाय¨रग कर 20 मिनट में वीरप्पन का खात्मा कर दिया।
मुपल्ला लक्ष्मण राव: 2014 में माओवादी सरगना मुपल्ला लक्ष्मण राव जिन्हें गणपति के नाम से भी जाना जाता है के सिर पर 2.52 करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था। गणपति कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माओवादी) के पोलित ब्यूरो का महासचिव है। भारत के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह छेड़ने वाले माओवादियों में 65 साल का गणपति प्रमुख है। खुफिया जानकारी के मुताबिक गणपति इन दिनों छत्तीसगढ़ के अबुजमाड़ इलाके के जंगलों में छुपा हो सकता।
सुदर्शन कट्टम: 2023 में शीर्ष माओवादी सरगना आनंद उर्फ सुदर्शन कट्टम की छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके के वन क्षेत्र में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। उस पर डेढ़ करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। कट्टम 69 वर्ष का था। उसने लगभग पांच दशकों तक भारत में माओवादी आंदोलन के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
चलापति: जनवरी में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान शीर्ष माओवादी सरगना चलापति मारा गया था जिसके सिर पर एक करोड़ का इनाम था। चलपति दशकों तक रहस्य बना हुआ था। आखिरकार उसकी पत्नी के साथ ली गई एक सेल्फी ने सुरक्षा बलों को उस तक पहुंचा दिया। चलपति ने 2008 में ओडिशा के नयागढ़ जिले में माओवादी हमले का नेतृत्व किया, जिसमें 13 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।
विवेक दा: झारखंड पुलिस ने अप्रैल, 2025 में एक करोड़ रुपये के इनामी मोस्ट वांटेड माओवादी सरगना प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा को बोकारो के लुगु पहाड़ में मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया। विवेक दा भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में माओवादियों का बड़ा चेहरा था।
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जज के घर कैश मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा वकील, अदालत ने खारिज कर दी एफआईआर दर्ज करने की याचिका; ये दी वजह
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से नकदी मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज करने की याचिका पर विचार करने से बुधवार को इन्कार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि उसे याचिका दाखिल करने से पहले सक्षम अथॉरिटी के समक्ष ज्ञापन देना चाहिए था।
यह आदेश जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने वकील जे. नेदुपरा की याचिका पर विचार करने से इन्कार करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से बीते आठ मई को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक सीजेआई ने आंतरिक जांच रिपोर्ट और उस पर संबंधित जज का जवाब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया था।
याचिकाकर्ता ने पूर्व फैसले पर उठाए सवालयाचिका पर बहस करते हुए वकील नेदुपरा ने सुप्रीम कोर्ट के वीरास्वामी मामले में दिए गए पूर्व फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले सीजेआई से अनुमति लेनी होगी। नेदुपरा ने मांग की कि उस निर्णय को गलत घोषित किया जाए और हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से नकदी मिलने के मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जाए।
उन्होंने कहा कि आंतरिक जांच व्यवस्था न्यायिक अनुशासन का हिस्सा हो सकती है, लेकिन यह आपराधिक जांच का विकल्प नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इस मामले में कानून के मुताबिक एफआईआर दर्ज होकर जांच होनी चाहिए। पीठ ने उनकी दलीलों पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि आप याचिका दाखिल नहीं कर सकते, लेकिन आप आंतरिक रिपोर्ट की विषय वस्तु नहीं जानते और हम भी नहीं जानते।
मांगों पर विचार करने से इंकार- इसलिए, पहले उन लोगों से कार्रवाई का अनुरोध करें जिनके समक्ष यह मामला लंबित है। यदि वे कार्रवाई नहीं करते हैं, तो आप यहां आ सकते हैं। कोर्ट ने याचिका में की गई मांगों पर विचार करने से इन्कार कर दिया। ज्ञात हो कि उपराष्ट्रपति ने हाल ही में एक किताब के विमोचन के अवसर पर जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से नकदी मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच किए जाने की बात कही थी।
- जस्टिस यशवंत वर्मा जब दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश थे, तब 14 मार्च की रात उनके सरकारी आवास में आग लग गई थी। आग बुझाने के दौरान उनके घर के एक स्टोर रूम से बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना को रिपोर्ट भेजी थी और मामले की गहराई से जांच की आवश्यकता बताई थी।
इसके बाद सीजेआई खन्ना ने मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय आंतरिक जांच कमेटी बनाई थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद जस्टिस खन्ना ने रिपोर्ट और जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया था। दिल्ली के सरकारी आवास से नकदी मिलने के बाद जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था।
जस्टिस वर्मा से न्यायिक कामकाज वापस ले लिया गया है। हालांकि जस्टिस वर्मा ने आरोपों से इन्कार किया है। संविधान के अनुसार, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के किसी भी न्यायाधीश को संसद में महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है।
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भारत ने 2024 में गंवा दिए 18200 हेक्टेयर प्राथमिक वन, सर्वे में हुआ इन आंकड़ों का खुलासा
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत में वनों की स्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (जीएएफडब्ल्यू) की नई रिपोर्ट के अनुसार, देश ने वर्ष 2024 में 18,200 हेक्टेयर प्राथमिक वन खो दिए, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 17,700 हेक्टेयर था। यह वृद्धि वन कटाई की गंभीर समस्या की ओर इशारा करती है।
भारत ने कुल 3,48,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन खोएरिपोर्ट बताती है कि 2002 से 2024 के बीच भारत ने कुल 3,48,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन खोए हैं, जो देश के कुल ऐसे वनों का 5.4 प्रतिशत है। यह देश के कुल वृक्ष आच्छादन की कमी का 15 प्रतिशत हिस्सा है। वर्ष 2019 से 2024 के बीच 1.03 लाख हेक्टेयर प्राथमिक वन नष्ट हुए हैं, जो इन वर्षों में कुल वृक्ष आच्छादन की कमी का 14 प्रतिशत है।
ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच ने कही ये बातग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार, प्राथमिक वन वे प्राकृतिक, घने और आर्द्र वन होते हैं जो हाल के वर्षों में पूरी तरह से साफ नहीं किए गए हैं। इन वनों की पहचान उपग्रह इमेज और एल्गोरिदम से की जाती है।
2001 से 2024 के बीच असम में सर्वाधिक 3.4 लाख हेक्टेयर वृक्ष आच्छादन का नुकसान दर्ज किया गया। उसके बाद मिजोरम 3.34 लाख हेक्टेयर, नगालैंड 2.69 लाख हेक्टेयर, मणिपुर 2.55 लाख हेक्टेयर और मेघालय 2.43 लाख हेक्टेयर का स्थान रहा।
जलवायु संकट और गहरायावन हानि और कार्बन उत्सर्जन 2001 से 2024 के बीच भारत ने कुल 2.31 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष आच्छादन खोया, जो 7.1 प्रतिशत की गिरावट है। इससे अनुमानित 1.29 गीगाटन कार्बन मोनोऑक्साइड2 उत्सर्जन हुआ है, जो जलवायु संकट को और गहरा करता है। हालांकि, 2000 से 2020 के बीच भारत ने 1.78 मिलियन हेक्टेयर नया वृक्ष अच्छादन भी जोड़ा, जो वैश्विक वृक्ष वृद्धि का 1.4 प्रतिशत है।
चाय चखने का कोर्स शुरू करेगा टी बोर्ड, अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर वाणिज्य मंत्रालय की पहल
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाला टी बोर्ड जल्द ही चाय चखने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर सकता है।
बुधवार को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बताया कि चाय के कारोबार को बढ़ाने के लिए बोर्ड कई कदम उठा रहा है और इसके तहत ही चाय चखने को लेकर सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
चाय इंडस्ट्री में काम करने का मौकाकोर्स करने वाले युवाओं को चाय इंडस्ट्री में काम करने का मौका मिलेगा। कोशिश यह की जा रही है कि देश में चाय के स्वाद से लेकर उसे बनाने व पीने के तरीके के बारे अधिक से अधिक जानकारी लोगों को दी जा सके।
बर्थवाल ने कहा कि दूसरे रूप में हम कह सकते हैं कि देश में चाय से जुड़ी साक्षरता को बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि चाय से जुड़े पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस प्रकार के प्रयास से चाय निर्यात को और प्रोत्साहन मिलेगा। चाय उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है और काली चाय के उत्पादन में भारत का पहला स्थान है।
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चाय निर्यातक देशकीनिया के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चाय निर्यातक देश भी है। भारत दुनिया के 20 से अधिक देशों को चाय का निर्यात करता है। गत वित्त वर्ष 2024-25 में चाय का निर्यात 92.3 लाख डॉलर का रहा जो पूर्व के वित्त वर्ष 2023-24 के मुकाबले 11.84 प्रतिशत अधिक है।
चाय के निर्यात में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरीइस साल अप्रैल में चाय के निर्यात में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले कुछ सालों से भारत में ग्रीन टी का उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के मौके पर वाणिज्य मंत्रालय में विभिन्न प्रकार की चाय की प्रदर्शनी लगाई गई।
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अशोक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन उनके खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर पर विवादास्पद पोस्ट करने के लिए महमूदाबाद को गिरफ्तार किया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन महमूदाबाद की टिप्पणी डाग व्हिसलिंग (समूह विशेष को सांकेतिक रूप से उकसाने वाला संदेश) जैसी प्रतीत होती है।
महमूदाबाद सोनीपत स्थित अशोक विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं। जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर ¨सह की पीठ ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को मामले की जांच के लिए 24 घंटे के भीतर तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित करने का निर्देश दिया।
एसआइटी की अध्यक्षता महानिरीक्षक (आइजी) रैंक के अधिकारी करेंगे, जिसमें पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल होंगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को आगे की जांच में मदद के लिए अंतरिम जमानत दी गई है और महमूदाबाद को अपना पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।
प्रोफेसर के पास शब्दों की कमी नहीं हो सकती: कोर्टपीठ ने प्रोफेसर की पोस्ट में शब्दों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनका इस्तेमाल जानबूझकर दूसरों को अपमानित करने, नीचा दिखाने या उन्हें असहज करने के लिए किया गया था। प्रोफेसर के पास शब्दों की कमी नहीं हो सकती। वह बिना दूसरों को चोट पहुंचाए सरल भाषा में वही भावनाएं व्यक्त कर सकते थे। महमूदाबाद के वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि प्रोफेसर की टिप्पणी में कोई आपराधिक इरादा नहीं था।
उन्होंने कहा, पोस्ट का अंत ''जय हिंद'' से हुआ है, जो इसकी देशभक्ति की प्रकृति को दर्शाता है। राहत की मांग करते हुए सिब्बल ने कहा कि प्रोफेसर न्यायिक हिरासत में हैं और उनकी पत्नी नौ महीने की गर्भवती है। यह ऐसी टिप्पणियां करने का उचित अवसर नहीं है, लेकिन इन टिप्पणियों को इस तरह देखा जाना चाहिए कि उनमें कोई अपराध वाली बात नहीं है।
प्रोफेसर के मानवाधिकार और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है: मीडिया रिपोर्टएनएचआरसी ने हरियाणा पुलिस प्रमुख को भेजा नोटिसराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को कहा कि उसने महमूदाबाद की गिरफ्तारी पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हरियाणा पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है। आयोग ने हरियाणा पुलिस से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि मीडिया रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि प्रोफेसर के मानवाधिकार और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है।
भाजपा ने कहा-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है भाजपा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां याद दिलाती हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है। भाजपा आइटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दी, लेकिन गंभीर चिंताएं जताईं। यह सिर्फ एक व्यक्ति के बारे में नहीं है। हमें संवाद के लिए खड़े होना चाहिए, लेकिन गरिमा के लिए भी।
जेल नहीं पहुंचा आदेश, आज हो सकती है रिहाईसोनीपत संवाददाता के अनुसार, बुधवार शाम तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश जेल नहीं पहुंचने के कारण महमूदाबाद की रिहाई नहीं हो सकी। अब गुरुवार को आदेश पहुंचने के बाद ही रिहाई हो सकेगी। स्वजन ने उनका मूल पासपोर्ट बुधवार दोपहर में ही राई थाने में जमा करा दिया था। सोनीपत की अदालत ने पासपोर्ट जमा करवाने के लिए बुधवार शाम पांच बजे तक का समय दिया था।
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पाक का नापाक चेहरा होगा बेनकाब, 33 देशों के आगे खुलेगी पोल; डेलिगेशन विदेश रवाना
पीटीआई, नई दिल्ली। आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को दुनिया के सामने रखने और पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने के लिए दो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बुधवार को जापान और यूएई के लिए रवाना हुए।
जापान गए पहले दल का नेतृत्व जहां जदयू सांसद संजय कुमार झा कर रहे हैं वहीं यूएई के लिए रवाना हुए प्रतिनिधिमंडल की कमान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे संभाल रहे हैं। यह दल वहां के सांसदों, सरकारी प्रतिनिधियों, थिंक टैंकों व प्रबुद्ध लोगों से मिलकर उन्हें पाक के आतंकी चेहरे की हकीकत से रूबरू कराएंगे।
33 देशों का दौरा करेंगे सांसदहाल में पाक परस्त आतंकियों की ओर से पहलगाम में किए गए आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर की जरूरत के बारे में उन्हें जानकारी देंगे। बता दें कि ऐसे सात प्रतिनिधिमंडल कुल 33 देशों का दौरा करेंगे और पाक की आतंकी गतिविधियों का चिट्ठा खोलेंगे।
इन प्रतिनिधिमंडलों में विभिन्न दलों के सांसद, वरिष्ठ नेता और अनुभवी राजनयिक समेत कुल 51 सदस्य शामिल हैं। जापान गया संसदीय प्रतिनिधिमंडल उसके बाद दक्षिण कोरिया, मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर के दौरे पर जाएगा, वहीं यूएई गया दल बाद में अफ्रीकी देशों लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन का दौरा करेगा।
पाकिस्तान का चेहरा होगा उजागर- जदयू सांसद झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, ब्रिजलाल, प्रधान बरुआ और हेमांग जोशी, कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, टीएमसी के सांसद अभिषेक बनर्जी, माकपा के जान ब्रिटास और पूर्व राजदूत मोहन कुमार शामिल हैं।
- जापान गए दल की अगुआई कर रहे संजय झा ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल का काम पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर करना है कि वह किस तरह प्रायोजित आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
प्रतिनिधिमंडल की सदस्य और एनसीपी (शप) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई व्यक्तिगत या राजनीतिक नहीं, हमें एकजुट रहना चाहिए। बारामती से सांसद ने कहा कि विपक्ष को संयम और जिम्मेदारी के साथ कार्य करना चाहिए और राजनीतिक दलों को भारतीय सशस्त्र बलों के बारे में किसी भी गलतफहमी को पैदा करने से बचना चाहिए।
उधर, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि केंद्र ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद कई देशों में सांसदों का सर्वदलीय दल भेजने का निर्णय लिया है जबकि उन देशों का भारत-पाक मुद्दे से कोई संबंध नहीं है। असल में सरकार वास्तविकता के बजाय शोमैनशिप में अधिक रुचि रखती है।
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फिर शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा, जानें क्या है रूट और कितने लोगों का हुआ चयन
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पांच वर्ष बाद इस साल जून से एक बार फिर भारतीय तीर्थयात्री मानसरोवर की यात्रा पर जा सकेंगे। इस बारे में चीन और भारत के बीच पहले से ही बनी सहमति के बाद बुधवार को विदेश मंत्रालय ने लॉट्री सिस्टम के जरिए सौभाग्यशाली यात्रियों के नामों की घोषणा की।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि जून से अगस्त के बीच 50-50 यात्रियों का कुल 15 जत्था मानसरोवर यात्रा के लिए रवाना होगा। इनमें से 50-50 के पांच यात्री जत्था लिपुलेख के रास्ते मानसरोवर जाएंगे, जबकि 50-50 यात्रियों के 10 जत्थे अलग-अलग समय नाथु ला रूट से रवाना होंगे। यह भी बताया गया है कि दोनों मार्ग काफी हद तक कार से जाने लायक बना दिए गए हैं, इसलिए यात्रियों को बहुत ही कम यात्रा पैदल करनी होगी।
लॉट्री सिस्टम से निकाले नामयहां एक कार्यक्रम में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्द्धन सिंह में चयनित यात्रियों के नाम लॉट्री सिस्टम के जरिए निकाले। विदेश मंत्रालय का दावा है कि लॉट्री प्रणाली कंप्यूटर आधारित है, जो पूरी तरह से पारदर्शी है।
- इस साल कुल 5561 यात्रियों ने पंजीयन कराया था।
- इसमें 4024 पुरूष और 1537 महिलाएं थी।
- इसमें से 750 यात्रियों का चयन किया गया है।
सनद रहे कि वर्ष 2019 के बाद कोविड और भारत-चीन संबंधों के खराब होने की वजह से कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद कर दी गई थी। इसको फिर से शुरू करने की सहमति अक्टूबर, 2024 में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात में बनी। तब दोनों नेताओं ने अप्रैल, 2020 से पूर्वी लद्दाख से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद उपजे तनाव को समाप्त करने को सहमत हुए थे। इसके बाद जब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक हुई थी तब कैलाश मानसरोवर को फिर से शुरू करने पर अंतिम फैसला हुआ था।
चीनी हथियारों का भारत पर हमले में इस्तेमालयहां यह भी बताते चलें कि मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के फैसले पर तब अमल हो रहा है जब चीन आपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की समर्थन देने की बात कर चुका है। पाकिस्तान ने चीन से खरीदे गये हथियारों व मिसाइलों का इस्तेमाल भी किया गया है। एक दिन पहले ही चीन के विदेश मंत्री वांग यी की पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ईशाक दार के साथ बैठक हुई है। इसमें चीन की तरफ से पाकिस्तान की सेना को और अत्याधुनिक हथियार व दुसरे सैन्य साजों-समान देने का वादा किया गया है।
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जस्टिस यशवंत वर्मा पर की गई FIR दर्ज करने की मांग, SC ने याचिका की खारिज; जानें आखिर क्यों सुनवाई से किया इनकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi HighCourt) के जज रह चुके यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के घर से कथित तौर पर नोटों का बंडल उस वक्त मिला था, जब उनके घर के आउटहाउस में लगी आग को बुझाया जा रहा था।
अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।
SC ने याचिका क्यों की खारिज?यह याचिका दिल्ली में जज के आधिकारिक आवास से नकदी मिलने के मामले में दायर की गई थी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुयान की बेंच ने कहा कि शीर्ष अदालत की ओर से 8 मई को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि सीजेआई (Chief Justice Of India) ने जज के जवाब के साथ आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है।
बेंच ने कहा, "आदेश की मांग करने वाली याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को उचित प्राधिकरण के सामने प्रतिवेदन दायर कर अपनी शिकायत का निवारण कराना होगा। इसलिए हम इस रिट याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हैं। इस स्तर पर अन्य याचिकाओं पर गौर करना जरूरी नहीं है।"
आंतरिक पैनल ने ठहराया था दोषीबता दें, आंतरिक जांच पैनल द्वारा जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराए जाने के बाद पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था। पूर्व सीजेआई ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।
पूर्व चीफ जस्टिस ने यह पत्र जस्टिस वर्मा द्वारा इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद लिखा गया था। जैसे ही कैश मिलने का विवाद सामने आया तो जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।
किसने याचिका की थी दायर?याचिका दायर कर एडवोकेट मैथ्यूज नेदुम्पारा और अन्य लोगों ने आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि आंतरिक समिति ने जज के ऊपर लगे आरोपों को पहली नजर में सच पाया है।
याचिका में कहा गया है कि आंतरिक जांच में न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है। बता दें, मार्च में इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
याचिका में पुलिस जांच की मांग कीयाचिकाकर्ताओं ने उस समय आंतरिक जांच को चुनौती देते हुए औपचारिक पुलिस जांच की मांग की थी। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने आंतरिक कार्रवाई लंबित होने का हवाला देते हुए याचिका को उस समय खारिज कर दिया था।
'पापा आपकी यादें...', राहुल गांधी, खरगे समेत कई नेताओं ने राजीव गांधी को दी श्रद्धांजलि; बताया भारत का महान बेटा
एएनआई, नई दिल्ली। आज राजीव गांधी की 34वीं पुण्यतिथि हैं। साल 1991 में उनकी एक हमले में मौत हो गई थी। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी समेत कई नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है, राहुल गांधी अपने पोस्ट में राजीव गांधी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, उनका ये पोस्ट काफी इमोशनल है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने दिवंगत पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 34वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके तरफ से छोड़े गए सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। दिल्ली में वीर भूमि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पिता की स्मृति हर कदम पर उनका मार्गदर्शन करती है।
पापा, आपकी यादें हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन करती हैं।
आपके अधूरे सपनों को साकार करना ही मेरा संकल्प है - और मैं इन्हें पूरा करके रहूंगा। pic.twitter.com/jwptCSo1TN
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 21, 2025पापा आपकी यादें- राहुल गांधीराहुल गांधी ने लिखा- 'पापा, आपकी यादें हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन करती हैं। आपके अधूरे सपनों को साकार करना ही मेरा संकल्प है और मैं इन्हें पूरा करके रहूंगा।' राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में पिता राजीव गांधी के साथ अपने बचपन की फोटो भी पोस्ट की है। मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की।
'भारत के महान सपूत हैं राजीव गांधी'पूर्व प्रधानमंत्री को याद करते हुए खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया कि राजीव गांधी भारत के एक महान सपूत थे, जिनकी दूरदर्शी सोच ने देश को 21वीं सदी में ले जाने में अहम रोल प्ले किया।
उन्होंने लाखों भारतीयों में आशा की किरण जगाई। उनके दूरदर्शी और साहसी हस्तक्षेप ने भारत को 21वीं सदी की चुनौतियों और अवसरों के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्या बोले सचिन पायलट?सचिन पायलट ने राजीव गांधी को एक दूरदर्शी नेता बताया जिन्होंने अपने नेतृत्व के माध्यम से भारत को एक बेहतरीन दिशा दी।
भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी जी के ‘बलिदान दिवस’ पर मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
राजीव गांधी जी एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने अपने नेतृत्व और आधुनिक सोच से देश को प्रगतिशील दृष्टिकोण प्रदान कर दिशा दी। उनके निर्णयों ने भारत को एक नई ऊंचाई तक… pic.twitter.com/K6KQmAZBkc
— Sachin Pilot (@SachinPilot) May 21, 2025उन्होंने कहा, 'मैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी को उनके 'बलिदान दिवस' पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
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Live: वक्फ कानून पर SC में सुनवाई जारी, सरकार बोली- 97 लाख लोगों से लिए गए सुझाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में 21 मई को एक बार फिर से केंद्र सरकार की ओर से लाए गए वक्फ कानून पर सुनवाई शुरू हो गई है। वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिकता की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
आज की सुनवाई में केंद्र सरकार द्वारा अपना पक्ष रखा जा रहा है और केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं जहां मंत्रालय ने एक बिल बनाया और बिना सोचे समझे वोटिंग कर दी।
'पुरानी समस्या को खत्म करने का कर रहे काम'उन्होंने कहा, "हम एक बहुत पुरानी समस्या को खत्म करने का काम कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत 1923 में हुई थी।" सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय की ओर से नहीं बोल सकते। कोर्ट के पास जो याचिकाएं आई हैं वो ऐसे लोगों ने दायर की है, जो सीधे इस कानून से प्रभावित नहीं हैं।
तुषार मेहता ने कहा, "जेपीसी की 96 बैठकें हुईं और हमें 97 लाख लोगों से सुझाव मिले हैं, जिस पर बहुत सोच-समझकर काम किया गया है। किसी ने यह नहीं कहा कि संसद को ये कानून बनाने का अधिकार नहीं था।"
कल की सुनवाई में क्या हुआ?कल कोर्ट की सुनवाई के याचिकाकर्ताओं की तमाम दलीलें सुनी गई और याचिकाकर्ताओं के वकीलों से तमाम तरह के सवाल भी किए गए। हालांकि, कोर्ट इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई की याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत दी जाए या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है, इसलिए राहत के लिए बहुत ठोस और स्पष्ट कारण पेश करते होते हैं। कोर्ट ने कहा कि अदालतें तब तक हस्तक्षेप नहीं करती है, जब तक मामला स्पष्ट न हो।
सिब्बल ने काननू पर अंतरिम रोक लगाने की मांग कीइस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने वक्फ कानून को मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन और वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वाला बताया। उन्होंने कोर्ट से इस पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की।
'पांच बड़े जज छुट्टियों में भी काम कर रहे, फिर भी दोष हम पर...'; सुनवाई के दौरान किस पर भड़के CJI गवई?
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वकील छुट्टियों के दौरान काम नहीं करना चाहते हैं। उन्होंन कहा कि जो भी मामले अदालत में लंबित हैं उसके लिए सिर्फ न्यायपालिकों को दोषी ठहराया जाता है।
CJI क्यों हुए नाराज?दरअसल, एक वकील ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद याचिका को सूचिबद्ध करने के लिए आग्रह किया था। इस पर सीजेआई बीआर गवई और न्यायमूर्ति जॉर्ज मसीह की पीठ ने नाराजगी जताई।
'छुट्टियों के दौरान वकील काम के लिए नहीं हैं तैयार'सीजेआई ने कहा, छुट्टियों के दौरान पांच जज बैठे हैं और काम करना जारी रखे हुए हैं, फिर भी हमें लंबित मामलों के लिए दोषी ठहराया जाता है। हकीकत में, वकील ही हैं जो छुट्टियों के दौरान काम करने के लिए तैयार नहीं हैं।
'आंशिक अदालत कार्य दिवस'हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उन पीठों पर एक अधिसूचना जारी की है जो आगामी ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान काम करेंगी, जिसे 26 मई से 13 जुलाई तक 'आंशिक अदालत कार्य दिवस' के रूप में नामित किया गया है।
आंशिक अदालत कार्य दिवस के दौरान दो से पांच अवकाश पीठ बैठेंगी और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सहित शीर्ष पांच न्यायाधीश भी इस अवधि के दौरान आदालतें चलाएंगे। पहले की प्रथा के अनुसार, गर्मी की छुट्टियों के दौरान केवल दो अवकाश पीठ हुआ करती थीं।
किस-किस दिन रजिस्ट्री रहेगी बंद?अधिसूचना में पीठों में न्यायाधीशों के साप्ताहिक आवंटन की रूपरेखा दी गई है। 26 मई से 1 जून तक सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ जेके माहेश्वरी और बीवी नागरत्ना क्रमश: पांच पीठों का नेतृत्व करेंगे।
इस अवधि के दौरान सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी। रजिस्ट्री सभी शनिवार (12 जुलाई को छोड़कर), रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों पर बंद रहेगी।
SC: फ्लिपकार्ट के एकाधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, अब होगी जांच
पाकिस्तान को बिगाड़ रहा है आईएमएफ, जवाबदेही नहीं, रियायतें ही रियायतें
आईएमएफ से पाकिस्तान को कर्ज मिलने के बाद बार-बार यह सवाल उठता है कि क्या आतंक को पोषित करने वाले मुल्क को यह फंड मिलना जायज है? लगातार मिल रहे फंड के बाद भी पाकिस्तान की इकोनॉमी पटरी पर क्यों नहीं आ रही ? वह इन पैसों को दुरुपयोग कर आतंक को बढ़ावा देने में करता है। इस बारे में अनुराग मिश्र ने इंफॉर्मेटिक्स रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट डा. मनोरंजन शर्मा से बात की।
बार-बार IMF से कर्ज लेने के बावजूद पाकिस्तान आर्थिक स्थिरता हासिल क्यों नहीं कर सका? क्या इसकी जड़ राजनीतिक अस्थिरता है या फिर दोषपूर्ण आर्थिक नीतियां?
पाकिस्तान दशकों से आर्थिक संकटों में डूबा रहा है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था संरचनात्मक रूप से कमजोर रही है। लोकतंत्र के नाम पर वहां सिर्फ नाटक होता रहा है। असली सत्ता कभी सेना के पास रही, तो कभी कठपुतली सरकारों के पास। 1958 से अब तक पाकिस्तान ने IMF से 24 बार बेलआउट पैकेज लिए हैं। हाल ही में IMF ने उसे 2.4 अरब डॉलर का बेलआउट दिया है, जिसमें 1 अरब डॉलर का एक्सटेंडेड फंड है और बाकी क्लाइमेट लिंक्ड रेज़िलिएंस ट्रस्ट के तहत।
पाकिस्तान की आर्थिक दुर्गति के पीछे मुख्य कारण हैं, राजनीतिक अस्थिरता, बार-बार की सैन्य तख्तापलट, घरेलू संसाधनों पर ध्यान न देना, बिना सोच-समझ के सब्सिडी बांटना और सऊदी अरब व चीन जैसे देशों पर अत्यधिक निर्भरता। यह एक अव्यवहारिक मॉडल था, जिसे अंततः ढहना ही था।
IMF की रिपोर्ट में पाकिस्तान के सुधार प्रयासों की सराहना की गई है, लेकिन साथ ही उसकी संरचनात्मक कमजोरियों की भी बात की गई है। क्या यह विरोधाभास IMF की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है?रिपोर्ट में कुछ सकारात्मक संकेतों जैसे महंगाई में कमी और उपभोक्ता विश्वास में वृद्धि का ज़िक्र है, लेकिन समग्र आर्थिक गति उम्मीद से कमज़ोर रही। असली समस्या ये है कि संरचनात्मक सुधार आज भी अधूरे हैं। कर प्रणाली बेहद सीमित है, नुकसान उठाने वाले सरकारी उपक्रम भारी बोझ बन चुके हैं और ऊर्जा व शासन क्षेत्र में भी बड़े बदलाव अब तक टाले जाते रहे हैं।
सख्त आर्थिक उपाय सामाजिक अशांति और असमानता को बढ़ाते हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि IMF बार-बार "अच्छे पैसे को बुरे में झोंक" रहा है। यानी सुधार के बिना फंड देना एक अंतहीन खाई में पैसा फेंकने जैसा है।
क्या IMF को सहायता मंज़ूर करने से पहले यह जांचना चाहिए कि कहीं ये धन आतंकवाद या सैन्य गतिविधियों में तो नहीं जा रहा?बिलकुल। IMF कर्ज़ कुछ शर्तों के साथ ही देता है, जैसे सब्सिडी में कटौती, टैक्स वसूली में सुधार, मुद्रा की स्थिरता और सैन्य टकराव को रोकना।
लेकिन दिक्कत ये है कि इन शर्तों की निगरानी उतनी सख्त नहीं होती, जितनी होनी चाहिए। पाकिस्तान अक्सर शर्तों की अनदेखी कर देता है और फिर भी अगली किश्त मिल जाती है। यह एक कमजोर निगरानी तंत्र को दर्शाता है।
क्या IMF फंड के आतंकवाद में दुरुपयोग को लेकर भारत की चिंता जायज़ है? क्या ऐसा कोई वैश्विक तंत्र है जो इस पर नज़र रख सके?पाकिस्तान की पिछली गतिविधियों को देखते हुए भारत की चिंता पूरी तरह वाजिब है। देश जब खुद दिवालिया होने की कगार पर हो और फिर भी आतंकी गतिविधियों से बाज़ न आए, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। IMF को चाहिए था कि वह पाकिस्तान को धन देने से पहले और अधिक सख्त शर्तें लागू करता और सुनिश्चित करता कि पैसों का इस्तेमाल विकास के लिए हो, न कि सैन्य या आतंकी उद्देश्यों के लिए।
दुर्भाग्य से, ऐसी निगरानी की कोई प्रभावी वैश्विक व्यवस्था आज भी नहीं है।
क्या पाकिस्तान में उद्योगों को दी गई सब्सिडी और संरक्षण एक नकली स्थिरता का भ्रम पैदा करते हैं, जो आत्मनिर्भरता और प्रतिस्पर्धा को रोकते हैं?नहीं, अब तो पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली इतनी स्पष्ट है कि कोई भी भ्रम बाकी नहीं बचा। ऋणदाताओं की चिंताएं भी अब साफ तौर पर सामने हैं।
पाकिस्तान आत्मनिर्भरता और प्रतिस्पर्धा की दिशा में कदम बढ़ाने के बजाय गरीबी और आर्थिक जड़ता के दुष्चक्र में फंसा हुआ है। अगर अब भी पाकिस्तान चेत नहीं पाया, तो शायद ऊपर वाला भी उसे नहीं बचा सकेगा।
IMF की 1989 से अब तक 28 बार की मदद के बावजूद पाकिस्तान पिछड़ता रहा, जबकि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश आगे क्यों निकल गए?जवाब साफ है राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और विकास की जगह ‘जिहाद’ को राज्य की नीति बना लेना। पाकिस्तान ने विकास की बजाय आतंक को प्राथमिकता दी, जिसकी कीमत उसे आज आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर चुकानी पड़ रही है।
वहीं बांग्लादेश और वियतनाम ने मानव संसाधन विकास, निर्यात, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान दिया और आज नतीजे सबके सामने हैं।
क्या IMF की ढीली शर्तें और नरम रवैया पाकिस्तान को सुधारों से बचने और अनुशासनहीनता की छूट देता है?हां, पाकिस्तान को बार-बार "किड ग्लव्स" यानी बहुत ही मुलायम रवैये से ट्रीट किया गया है। यह न सिर्फ पाकिस्तान के लिए नुकसानदेह है, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी गलत संदेश भेजता है कि कुछ देशों को बार-बार छूट मिलती है और जवाबदेही नहीं होती।
इससे सुधारों की प्रक्रिया और भी ज्यादा कमजोर पड़ती है।
IMF जैसी वैश्विक संस्थाओं में भारत की भूमिका कितनी होनी चाहिए, खासकर जब क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर असर पड़ता हो?भारत को ज़रूर बड़ी भूमिका मिलनी चाहिए, खासकर तब जब क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा दांव पर हो। लेकिन तब तक ऐसा संभव नहीं, जब तक IMF जैसी संस्थाओं की संरचना और वोटिंग सिस्टम में आमूल-चूल परिवर्तन न हो।
आज का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचा औपनिवेशिक दौर की मानसिकता का प्रतीक है, जिसे बदलने की ज़रूरत है ताकि भारत जैसे विकासशील और जिम्मेदार देशों को उनका वाजिब स्थान मिल सके।
क्या कैंसिल होंगी फ्लाइट? गोवा में भारी बारिश, IndiGO ने ट्रैवल एडवाइजरी की जारी
एएनआई, पणजी। गोवा में भारी बारिश का दौर जारी है। इस बीच इंडिगो एअरलाइंस ने ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि राज्य में भारी बारिश की वजह से उड़ान संचालन प्रभावित हो सकता है। एअरलाइन ने यात्रियों से कहा है कि यात्रा से पहले फ्लाइट की स्थिति की जानकारी जरूर ले लें।
इंडिगो की चेतावनीइंडिगो ने यात्रियों को सलाह देते हुए कहा है, "गोवा में खराब मौसम और बारिश के कारण उड़ान में देरी या व्यवधान हो सकता है। हम चाहते हैं कि सभी यात्री एअरपोर्ट रवाना होने से पहले अपनी फ्लाइट की स्थिति की जानकारी लें और अतिरिक्त समय निर्धारित करें।"
#6ETravelAdvisory: #Goa is experiencing rain, which may affect flight operations. Stay updated on your flight status via https://t.co/IEBbuCrCdG for the latest information. pic.twitter.com/cGwRpW2Whp
— IndiGo (@IndiGo6E) May 20, 2025एअरलाइन ने कहा कि उसकी कस्टमर सपोर्ट टीम यात्रियों की मदद के लिए उपलब्ध है। इंडिगो ने कहा, "हमारी टीमें सभी ग्राहक सेवा टचप्वाइंट पर उपलब्ध हैं और आपकी यात्रा के हर चरण में आपकी सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
'फ्लाइट की स्थिति की लें जानकारी'इंडिगो ने अपने यात्रियों के लिए सलाह जारी कर कहा है कि लोग नियमित रूप से अपनी उड़ान की स्थिति की जांच करते रहें और संभावित मौसम संबंधी देरी और यातायात व्यवधानों के कारण अतिरिक्त यात्रा समय की योजना बनाकर चलें।
बता दें, मौसम विभाग ने हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी जारी की है। आज उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा के कुछ स्थानों पर हल्की आंधी और 30-40 की गति से हवा चलने की भी संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग का अनुमानIMD गोवा स्टेशन प्रभारी एन.पी. कुलकर्णी ने कहा, "हमने दो दिनों के लिए औरेंज अलर्ट जारी किया था, इसके बाद अब यैलो अलर्ट जारी हुआ है। आज के लिए हमने भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है और कल भी मौसम ऐसा ही रहने का अनुमान है।"
उन्होंने कहा, "तीसरे दिन यैलो अलर्ट जारी किया गया है। कल दक्षिण गोवा में लगभग 70 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी। परसों भी इतनी ही बारिश हुई थी। ये सभी प्री-मॉनसून के संकेत हैं। हम जानकारी अपडेट करते रहेंगे।"
कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक ने रचा इतिहास, 'हार्ट लैंप' के लिए जीता इंटरनेशनल बुकर प्राइज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब 'हार्ट लैंप' के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता है। बानू मुश्ताक कर्नाटक कीर रहने वाली हैं। बानू मुश्ताक को उनकी कन्नड़ कहानी संग्रह हार्ट लैंप के लिए साल 2025 का प्रतिष्ठित बुकर प्राइज मिला है।
यह पहली बार है, जब कन्नड़ भाषा में लिखी किसी किताब को बुकर प्राइज मिला है। उन्होंने ये किताब जीतकर इतिहास रच दिया। दीपा भष्ठी ने इस किताब का कन्नड़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
कब और कहां हुआ पुरस्कार का एलान?पेशे से वकील और पत्रकार, बानू मुश्ताक ने कहानीकार, कवि, उपन्यासकार और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। 20 मई लंदन के टेट मॉडर्न में आयोजित एक समारोह में इस पुरस्कार का एलान किया गया।
12 कहानियों का संग्रह हैबता दें कि 2025 के निर्णायक मंडल की अध्यक्षता करने वाले लेखक मैक्स पोर्टर ने हार्ट लैंप को विजेता के रूप में घोषित किया। पोर्टर ने कहा, कई साल बाद 'हार्ट लैंप' अंग्रेजी पाठकों के लिए कुछ नया है ।यह अनुवाद की हमारी समझ को चुनौती देता है और उसे अच्छा करना में बेहतर करता है। बानू मुश्ताक उनकी 12 शॉर्ट स्टोरीज यानी लघु कहानियों का एक संग्रह है। उन्हें इस किताब को लिखने में लगभग 30 साल लगे।
बानू मुश्ताक ने पुरस्कार जीतने के बाद वहां बैठे लोगों से कहा, वैश्विक दर्शकों के लिए कन्नड़ को और अधिक पेश करने की जरूरत है। दुनिया भर के पाठकों के लिए अधिक से अधिक कन्नड़ साहित्य लाने की आवश्यकता है।
'हमारे पूर्व पीएम...', राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज पुण्यतिथि है। उनकी आज ही के दिन 21 मई 1991 को हत्या कर दी गई थी। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
पीएम ने लिखा, आज उनकी पुण्यतिथि पर मैं हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। पीएम मोदी के अलावा अन्य नेताओं ने भी उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारत के सबसे युवा पीएम थे राजीव गांधीपीएम मोदी के अलावा अन्य नेताओं ने भी उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित की। 40 साल की उम्र में वह भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे। राजीव गांधी का नजरिए बेहद आधुनिक था और वह भारत को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने की चाह रखते थे।
आज मनाया जाता आतंकवाद विरोधी दिवसवहीं आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आज आतंकवाद विरोधी दिवस मानाया जाता है। यह भारत में हर साल 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन आतंकवाद और हिंसा से उत्पन्न गंभीर खतरों और व्यक्तियों, समाज और राष्ट्र पर इनके प्रभाव के बारे में सभी क्षेत्रों के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
आतंकवाद विरोधी दिवस पर, भारत भर के सभी सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक संस्थान आतंकवाद विरोधी शपथ लेकर इस दिन को मनाते हैं।
इस दिन का उद्देश्य राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा देना, आतंकवाद को कम करना और सभी जातियों, पंथों और लिंगों के लोगों को एकजुट करना है। 'आतंकवाद' की बात करें तो यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है।
मिशन 'पाक बेनकाब' पर आज निकलेगा भारत का पहला डेलिगेशन, सबूतों के साथ दुनिया देखेगी पाकिस्तान का असली चेहरा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 22 अप्रैल को पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने हर मोर्चे पर पाकिस्तान और आतंकवाद पर शिकंजा कसा है।
इसी कड़ी में अब भारत सरकार 7 डेलिगेशन को दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजकर अपने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) और पाकिस्तान प्रायोजित आकंतवाद को लेकर जानकारी देगी।
डेलिगेशन में कितने नेता हैं शामिल?इस डेलिगेशन (Indian Delegation List) में सभी पार्टियों के 51 नेता और 85 राजदूत 32 अलग-अलग देशों का दौरा करेंगे और आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान को बेनकाब करेंगे। पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद के बारे में दुनिया को सच बताने के लिए बनाए गए डेलिगेशन में बीजेपी के अलावा तमाम विपक्षी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं।
7 डेलिगेशन में से 2 डेलिगेशन को बुधवार को रवाना किया जाएगा। पहले डेलिगेशन का नेतृत्व जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा करेंगे, जो जापान को दौरा करेगा। इस डेलिगेशन में बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी, टीएमसी सांसग अभिषेक बनर्जी, बीजेपी सांसद बृजलाल, सीपीआई सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास, बीजेपी सांसद प्रदान बरुआ, बीजेपी सांसद हेमांग जोशी, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और राजदूत मोहन कुमार शामिल हैं।
कौन-कौन से देश जाएगा पहला डेलिगेशन?संजय झा के नेतृत्व वाला डेलिगेशन जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, साउथ कोरिया और सिंगापुर का दौरा करेगा। गुरुवार को दूसरा डेलिगेशन रवाना होगा, जिसका नेतृत्व महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे करेंगे।
दूसरे डेलिगेशन की लिस्ट में बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज, IUML सांसद ईटी मोहम्मद बशीर, बीजेपी सांसद अतुल गर्ग, बीजेपी सांसद सस्मिता पात्रा, बीजेपी सांसद मनन कुमार मिश्रा, बीजेपी सांसद एसएस अहलूवालिया और राजदूर सुजन चिनॉय शामिल हैं।
शशि थरूर करेंगे एक डेलिगेशन का नेतृत्वयह डेलिगेशन यूएई, कांगो, सिएरा लियोन और लाइबेरिया जाएगा। गुरुवार को ही तीसरा डेलिगेशन भी रवाना होने वाला है, जिसका नेतृत्व डीएमके सांसद कनिमोझी करेंगी। यह डेलिगेशन सबसे पहले रूस के दौरे पर जाएगा। इसके बाद स्लोवेनिया, ग्रीस, लात्विया और स्पेन का भी दौरा शामिल है।
7 डेलिगेशन में से एक डेलिगेशन का नेतृत्व कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) करने वाले हैं। कांग्रेस सांसद के नेतृ्त्व वाला डेलिगेशन अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील औ कोलंबिया का दौरा करने वाला है।
क्यों चुने गए ये देश?- अफ्रीका में आतंक ठिकानों के खिलाफ वैश्विक दक्षिण को एकजुट करना है।
- खाड़ी देशों में टेरर फंडिंग और रणनीतिक कमजोरियों को उजागर करना है।
- यूरोप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बात रखने वाले दिग्गज देश हैं, इसलिए इसे चुना गया है।
- अमेरिका में खुफिया साझेदारी और रणनीति सामंजस्य बैठाने के लिए डेलिगेशन को भेजा जा रहा है।
- पूर्वी एशिया में समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक में आतंकी खतरे से निपटने के लिए रणनीति बनाने के लिए डेलिगेशन को भेजा जा रहा है।
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