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Sonam Raghuvanshi: आज होगा राज और सोनम का आमना-सामना, रिमांड पर शिलांग लाए गए दोनों आरोपी; पूछताछ में खुलेंगे बड़े राज
एएनआई, शिलांग। विवाह जैसे पवित्र रिश्ते और विश्वास को तार-तार कर पति राजा रघुवंशी की हत्या की मुख्य आरोपित सोनम रघुवंशी को पुलिस ट्रांजिट रिमांड के लिए शिलांग ले आई है। यहां सोनम से पूछताछ की जाएगी।
सोनम का रात में ही कराया मेडिकलमेघालय पुलिस सोनम रघुवंशी को लेकर रात करीब डेढ़ बजे शिलांग सदर पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद सोनम को मेडिकल जांच के लिए गणेश दास अस्पताल लाया गया। वहीं, पुलिस सोनम को वारदात वाली जगह पर लेकर जाएगी जहां पुलिस सीन रीक्रिएशन करेगी।
#WATCH | Raja Raghuvanshi murder case | Shillong | Sonam Raghuvanshi brought to Ganesh Das Hospital for medical examination.
(Visuals of her being taken out of the hospital) pic.twitter.com/oAdAp6y2fz
बुधवार सुबह तक राज और सोनम समेत सभी आरोपित शिलांग पहुंच जाएंगे। बुधवार को स्थानीय कोर्ट में पेश करने के बाद आरोपितों से आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की जाएगी। आरोपितों को घटना स्थल पर ले जाकर क्राइम सीन रिक्रिएशन भी करवाया जाएगा।
राज की मौत के बाद इंदौर में प्रेमी राज कुशवाहा से भी मिली सोनमराजा रघुवंशी की हत्या की मुख्य आरोपित सोनम रघुवंशी से पुलिस की पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। शिलांग में घटना को अंजाम देने के बाद वह ट्रेन से इंदौर लौटी और देवास नाका क्षेत्र में किराये के कमरे में ठहर गई। वहीं वह प्रेमी राज कुशवाहा से भी मिली। दो दिन बाद राज ने किराये की कार से सोनम को गाजीपुर के लिए रवाना किया।
पुलिस हिरासत में घटना से जुड़े राज उगलने लगी सोनम25 वर्षीय सोनम शिलांग पुलिस की हिरासत में आते ही घटना से जुड़े राज उगलने लगी है। मंगलवार को पुलिस पूछताछ के दौरान सोनम और प्रेमी राज में तकरार हो गई। इसी दौरान पुलिस को ऐसी जानकारी हाथ लगी, जिसका उन्हें दो दिन से इंतजार था।
पुलिसकर्मियों ने विक्की और राज की पिटाई कर दीदरअसल, शिलांग की ईस्ट खासी हिल्स थाना पुलिस हत्या के एक आरोपित विशाल उर्फ विक्की को उसका मोबाइल फोन जब्त करने के लिए उसके इंदौर में नंदबाग स्थित घर ले गई। घंटों तलाशी के बाद भी फोन न मिलने से बिफरे पुलिसकर्मियों ने विक्की और राज की पिटाई कर दी।
राज ने रोते हुए कहा कि फोन सोनम के पास होगा। उस वक्त सोनम पटना के फुलवारी शरीफ थाने में बैठी थी। शिलांग के डीएसपी विपुल दास ने तत्काल टीम को वीडियो कॉल लगाई। डीएसपी ने सोनम से बात की और कहा कि उन्हें वह फोन चाहिए, जो राज ने विशाल उर्फ विक्की को दिया था।
डीएसपी ने वीडियो कॉल पर राज और सोनम का सामना करायाडीएसपी ने यह भी कहा कि राज ने फोन गायब करने में तुम्हारा हाथ बताया है। सोनम मुकर गई और कहा कि राज झूठ बोल रहा है। डीएसपी ने वीडियो कॉल पर दोनों का सामना कराया। इसी दौरान भड़की सोनम ने बता दिया कि वह इंदौर में राज से मिली थी। इतना सुनते ही पुलिसकर्मी चौंके और सख्ती से पूछताछ करने लगे।
सूत्रों के अनुसार, सोनम ने कहा कि राजा की हत्या के दो दिन बाद 25 मई को वह सिलीगुड़ी के रास्ते इंदौर आई थी। 27 मई तक देवास नाका क्षेत्र में रुकी, इस दौरान उसने राज से मुलाकात भी की और हनीमून से हत्या तक का पूरा घटनाक्रम साझा किया।
राज ने सोनम को टैक्सी करके भेजा गाजीपुरराज ने कहा कि इंदौर सुरक्षित नहीं है। हत्याकांड की पूरे देश में चर्चा है। राज ने ही उसके लिए टैक्सी करवाई और गाजीपुर रवाना किया। हालांकि, उसके बाद से गाजीपुर पहुंचने तक सोनम कहां-कहां गई, यह सामने आना बाकी है। शिलांग के एसपी विवेक सिम ने कहा कि हम सोनम के बयान की तस्दीक करवा रहे हैं। फरारी में उसकी मदद करने और रुकवाने वालों को भी पकड़ा जाएगा।
शिलांग में हनीमून पर कर दी थी राजा की हत्याबता दें कि आरोप है कि इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी की हत्या शिलांग में हनीमून पर जाने के दौरान उसकी पत्नी सोनम द्वारा प्रेमी राज कुशवाहा की मदद से सुपारी देकर तीन आरोपितों से कराई गई। सोनम-राजा का विवाह 11 मई को हुआ। दोनों 20 मई को शिलांग पहुंचे। 23 मई को राजा की हत्या कर दी गई। इसके बाद से सोनम लापता थी। सोमवार को वह गाजीपुर में मिली तो साजिश का राजफाश हुआ।
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Assam: 'गोमांस को हिंदुओं के खिलाफ बनाया जा रहा हथियार', सीएम हिमंत सरमा ने इस बात का दिया हवाला
पीटीआई, गुवाहाटी। ईद के जश्न के बाद सार्वजनिक स्थानों पर मांस के टुकड़े फेंके जाने के मामलों का हवाला देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया कि राज्य में हिंदुओं के खिलाफ गोमांस को हथियार बनाया जा रहा है।
सीएम ने कही ये बातउन्होंने कहा कि असम के लोगों को अवैध रूप से रह रहे दूसरे देशों के लोगों को वापस भेजने के लिए 'गैर समझौतावादी' रुख अपनाना होगा।
मुस्लिम बहुल इलाकों को लेकर सीएम सरमा ने कही ये बातउन्होंने कहा कि असम उन ताकतों के खिलाफ संघर्ष कर रहा है, जिनके हमदर्द दुनियाभर में हैं। भाजपा के राज्य कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले यदि हिंदुओं के पड़ोस में कुछ मुस्लिम परिवार रहते थे तो वे हिंदुओं के लिए कोई समस्या पैदा न करने की कोशिश करते थे। यदि उन्हें गोमांस खाना होता था तो वे मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाले अपने लोगों के पास जाते थे।
ईद को लेकर कही ये बातउन्होंने कहा कि लेकिन अब ऐसा हो गया है कि वे बचे हुए भोजन और कचरे को इधर-उधर फेंक देते हैं, ताकि पड़ोस के हिंदुओं को अंतत: वह जगह छोड़नी पड़े। उन्होंने पिछले सप्ताह ईद के बाद विभिन्न स्थानों पर गोमांस छोड़े जाने की घटनाओं का हवाला दिया, जिसमें यहां कॉटन विश्वविद्यालय के सामने की घटना भी शामिल है।
Weather: उत्तर भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी, दिल्ली में 45 तो पंजाब-राजस्थान में 47 डिग्री के पार तापमान
टीम जागरण, नई दिल्ली। देश भर में भीषण गर्मी का दौर जारी है। पंजाब के बठिंडा में मंगलवार को अधिकतम तापमान 47.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक था। राजधानी दिल्ली में भी मौसम का सबसे अधिक अधिकतम तापमान 43.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
वहीं, पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी गर्मी तेवर दिखा रही है। प्रदेश में सबसे गर्म ऊना रहा, जहां मौसम का सबसे गर्म दिन रहा। यहां तापमान 44.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। राजस्थान के गंगानगर में भी तापमान 47.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
दिल्ली के लिए बुधवार तक ऑरेंज अलर्ट जारीभारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दिल्ली के लिए बुधवार तक ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। लोगों को सतर्क रहने और गर्मी से खुद को बचाने के लिए कदम उठाने की चेतावनी दी गई है। आईएमडी ने कहा कि बुधवार को दिन का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है, जबकि रात के वक्त भी पारा 29 डिग्री के आसपास रहेगा।
पंजाब में ऑरेंज अलर्टपंजाब में मंगलवार को लुधियाना का अधिकतम तापमान 45, चंडीगढ़, अमृतसर, पटियाला, फरीदकोट व गुरदासपुर का 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार 13 जून तक राज्य में लू चलने की आशंका है। इसे लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
हिमाचल के पांच जिलों में लू का प्रकोपहिमाचल प्रदेश में मंगलवार को पांच जिलों ऊना, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर और कुल्लू में लू चली। शिमला भी सीजन का सबसे गर्म दिन रहा। सुंदरनगर में 2019 के बाद 10 जून को सबसे अधिक 39.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने राज्य में अगले दो दिन गर्मी के तेवर और कड़े होने की आशंका जताई है।
दून में सीजन का सबसे गर्म दिनउत्तराखंड में बीते एक सप्ताह से मौसम शुष्क है और चटख धूप खिलने से पारा कुलांचे भर रहा है। मंगलवार को दून में सीजन का सबसे गर्म दिन रहा और इस वर्ष पहली बार पारा 39.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। कई अन्य मैदानी क्षेत्रों में भी तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया। हालांकि, बुधवार से प्रदेश में वर्षा के आसार हैं, जिससे गर्मी से कुछ राहत मिल सकती है।
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तेज हवाएं चलने को लेकर चेतावनी जारीमौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार बुधवार को उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत और नैनीताल में आकाशीय बिजली चमकने, वर्षा के तीव्र दौर होने और तेज हवाएं चलने को लेकर चेतावनी जारी की गई है।
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जम्मू-कश्मीर में भी प्रचंड गर्मीजम्मू-कश्मीर में भी गर्मी प्रचंड रूप दिखा रही है। मंगलवार को जम्मू का अधिकतम तापमान 44.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और लोग बेहाल दिखे। श्रीनगर में भी अधिकतम पारा 33.5 डिग्री रहा। मौसम विभाग के अनुसार, गर्मी से शुक्रवार तक राहत मिलने की संभावना नहीं है। पारा 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही रहेगा। 13-14 जून को बादल छाएंगे और हल्की वर्षा के आसार हैं।
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Axiom-4: करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों के साथ अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे गगनयात्री शुभांशु, आज अपने सफर पर होंगे रवाना
पीटीआई, नई दिल्ली। अंतरिक्ष में दोबारा भारत का परचम लहराने का 41 साल का इंतजार जल्द पूरा होने वाला है। 140 करोड़ से अधिक भारतीयों की उम्मीदों के साथ वायुसेना के ग्रुप कैप्टन गगनयात्री शुभांशु शुक्ला भारतीय समय अनुसार बुधवार शाम 5:30 बजे तीन साथी अंतरिक्षयात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) के सफर पर रवाना होंगे।
शुभांशु आइएसएस की उड़ान भरने वाले पहले भारतीयभारत के स्वदेशी अतंरिक्ष मिशन गगनयान के लिए चुने गए शुभांशु आइएसएस की उड़ान भरने वाले पहले भारतीय होंगे। वह अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सोयूज अंतरिक्षयान से अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट 7 पर गए थे।
वायुसेना ने शुभांशु को ''गौरव के साथ आसमान छूने'' की शुभकामना दीं। वायुसेना ने एक्स पर पोस्ट किया, ग्रुप कैप्टन शुभांशु अंतरिक्ष मिशन पर जाने की तैयारी कर रहे हैं।
वायुसेना प्रमुख ने दी शुभकामनाएंवायुसेना प्रमुख और सभी वायु योद्धा उन्हें और एक्सिओम-4 के चालक दल को आइएसएस की सुरक्षित और सफल यात्रा के लिए शुभकामना देते हैं। गौरव के साथ आकाश को छूओ!एक्सिओम स्पेस के मिशन एक्सिओम-4 के तहत शुभांशु फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से आइएसएस के सफर पर रवाना होंगे।
शुभांशु के साथ जाने वाले अंतरिक्षयात्रियों में पोलैंड से स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी से टिबोर कापू और मिशन की कमांडर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन शामिल हैं। शुभांशु मिशन के पायलट होंगे।
खराब मौसम देखा जाएगास्पेसएक्स, नासा और एक्सिओम स्पेस फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में मौसम के मिजाज पर नजर रख रहे हैं। स्पेसएक्स का फाल्कन-9 राकेट मंगलवार शाम फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना होने वाला था, लेकिन खराब मौसम को एक दिन के लिए टाल दिया गया था।
एक्सिओम-4 मिशन को पहले भी दो बार टालना पड़ा था। अंतरिक्षयात्रियों को 29 मई को रवाना होना था, लेकिन इसे आठ जून तक टाला गया। इसके बाद इसे 10 जून तक टाला गया।
स्पेसएक्स के उपाध्यक्ष विलियम गेर्स्टनमेयर ने कहा कि इंजीनियरों ने फाल्कन-9 रॉकेट में कुछ खामियों को ठीक कर लिया है, जो स्टैटिक फायर टेस्ट के दौरान पाई गई थीं।
आइएसएस में 14 दिन रहकर कई प्रयोग करेंगेचालक दल के सदस्य आइएसएस में 14 दिन रहकर कई प्रयोग करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उनसे बात कर सकते हैं। चालक दल स्कूली छात्रों, शिक्षकों और भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के सदस्यों के साथ भी संवाद करेगा।
गगनयान मिशन के लिए हुआ है शुभांशु का चयन शुभांशु को इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान के लिए भी शार्टलिस्ट किया गया है। गगनयान को 2027 में लांच किए जाने की संभावना है। गगनयान अभियान में पृथ्वी की 400 किलोमीटर पर स्थित निचली कक्षा में अंतरिक्षयात्रियों को भेजा जाएगा।
इसरो एक्सिओम-4 मिशन पर 550 करोड़ रुपये खर्च करेगाइसके बाद पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी भी कराई जाएगी। उनकी इस यात्रा से उन्हें अंतरिक्ष उड़ान संचालन आपातकालीन तैयारियों के लिए व्यावहारिक अनुभव मिलेगा जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए आवश्यक है। इसरो एक्सिओम-4 मिशन पर 550 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
एएनआइ के अनुसार इसरो में सेवा दे चुके विज्ञानी नंबी नारायणन ने कहा है कि यह मिशन गगनयान परियोजना की प्रस्तावना है। इस मिशन के जरिये हमें इस तरह की स्थिति से निपटने का तरीका सीखने को मिल रहा है।
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक हैं शुभांशु10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने से पहले सिटी मांटेसरी स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री प्राप्त की है। उन्हें सुखोई - 30 एमकेआइ, मिग-29, जगुआर और डार्नियर-228 सहित विभिन्न प्रकार के लड़ाकू विमानों पर दो हजार घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है।
लखनऊ में भी जश्न की तैयारीशुभांशु की अंतरिक्ष उड़ान का जश्न मनाने के लिए लखनऊ में तैयारी है। सिटी मांटेसरी स्कूल ने ''पब्लिक वाच पार्टी'' की योजना बनाई है। पूरे शहर में बधाई देने वाले कई होर्डिंग्स लगाए गए हैं।
लांचिंग को लाइव दिखाने के लिए कई स्क्रीन लगाईसिटी मांटेसरी स्कूल ने नासा/एक्सिओम कमेंट्री के साथ स्पेसएक्स की लांचिंग को लाइव दिखाने के लिए कई स्क्रीन लगाई हैं। शुभांशु की बहन सुचि मिश्रा ने कहा, हम लांचिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वहीं आइएएनएस के अनुसार शुभांशु की मां ने कहा, हमारे बेटे ने कुछ ऐसा किया है जो गर्व की बात है।
मणिपुर और असम में 100 करोड़ रुपये से अधिक के ड्रग्स जब्त, नौ तस्करों को किया गिरफ्तार
आईएएनएस, गुवाहाटी। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पिछले 48 घंटों के दौरान मणिपुर और असम में 100 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के ड्रग्स जब्त की है और नौ तस्करों को गिरफ्तार किया है।
मणिपुर गृह विभाग के अधिकारी ने दी जानकारीमणिपुर गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डीआरआइ, सीमा शुल्क, असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा चूड़चंद्रपुर जिले के सीमावर्ती इलाकों में ''ऑपरेशन व्हाइट वेल'' नामक एक विशेष अभियान चलाया गया।
संयुक्त टीम ने 54.29 करोड़ रुपये मूल्य की 7,755.75 ग्राम हेरोइन और 87.57 लाख रुपये मूल्य की 6,736 ग्राम अफीम जब्त की, साथ ही 35.63 लाख रुपये नकद भी जब्त किए।
दो वॉकी-टॉकी और एक वाहन जब्तअधिकारी ने कहा कि दो वॉकी-टॉकी और एक वाहन जब्त किया गया है और पांच लोगों को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
चार ड्रग तस्करों को गिरफ्तार कियाउन्होंने बताया कि चूड़चंद्रपुर जिले के सिंगनगाट उप-मंडल के थाडौ वेंग स्थित एक घर से बरामद की गई ये दवाएं कई साबुन की डिब्बियों और छोटे टिन के डिब्बों में रखी हुई थीं। वहीं, असम में कछार जिले से 45 करोड़ रुपये की कीमत की ड्रग्स जब्त की गई और चार ड्रग तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
सीएम सरमा ने की पुलिस की तारीफअसम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ड्रग्स की बरामदगी के लिए पुलिस की सराहना की। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दो एंटी ड्रग्स अभियानों में कछार जिला पुलिस ने विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर दो आपरेशन में 45 करोड़ रुपये की 1.5 लाख याबा टैबलेट जब्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। असम पुलिस हमारे युवाओं की सुरक्षा के लिए दृढ़ है।
'भारत सटीक मौसम पूर्वानुमान में विकसित देशों के समकक्ष पहुंचा', अमित शाह ने मोदी सरकार को लेकर कही ये बात
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि एक दशक पहले भारत मौसम पूर्वानुमान में काफी पीछे था, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश इस मामले में विकसित देशों के समकक्ष पहुंच गया है।
अमित शाह ने दिए ये आदेशबाढ़ प्रबंधन की तैयारियों की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में शाह ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को प्रभावी बाढ़ प्रबंधन के लिए राज्यों के साथ समन्वय के साथ कार्य करने का निर्देश दिया।
देश का आपदा प्रबंधन 'जीरो कैजुअल्टी अप्रोच' के साथ आगे बढ़ रहाशाह ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में देश का आपदा प्रबंधन 'जीरो कैजुअल्टी अप्रोच' के साथ आगे बढ़ रहा है। हमें इस मामले में विश्व में नंबर एक बनना है। उन्होंने देश में बाढ़ की समस्या को कम करने के लिए उठाए जा रहे दीर्घकालिक उपायों की समीक्षा की और पिछले वर्ष की बैठक में लिए गए निर्णयों पर उठाए गए कदमों पर चर्चा की।
उन्होंने बैठक में बाढ़ प्रबंधन के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा अपनाई गई नई तकनीकों और उनके नेटवर्क के विस्तार पर चर्चा की। उन्होंने बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन के लिए विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया।
अमित शाह ने कही ये बातउन्होंने जल शक्ति मंत्रालय, एनडीएमए और नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) को ग्लेशियल झीलों की निगरानी करने और किसी भी प्रकार के विस्फोट की स्थिति में समय पर कदम उठाने की सलाह भी दी।
शाह ने कहा कि एनडीएमए को राज्य प्राधिकरणों के साथ बाढ़ की तैयारियों और निवारण के लिए समन्वय करना चाहिए। शाह ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एनडीएमए द्वारा जारी सुझावों को समय पर लागू करने की अपील की।
उन्होंने बाढ़ पूर्वानुमान में सटीकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि बाढ़ निगरानी केंद्रों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होना चाहिए। शाह ने नर्मदा नदी के चारों ओर वन क्षेत्र बढ़ाने की बात भी की, जिससे नदी बेसिन को पुनर्जीवित किया जा सकेगा। उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश में मजबूत बाढ़ प्रबंधन के लिए नई तकनीकों का उपयोग करने का सुझाव दिया।
Sonam Raghuvanshi: 'जल्दी मारो, मैं थक गई हूं', राज से ज्यादा उतावली थी सोनम; बेवफा पत्नी के एक इशारे पर किसने किया राजा पर पहला वार?
जेएनएन, इंदौर। राजा हत्या कांड में जोड़ पांच लाख मोबाइल नंबरों में छुपा था 'राज', शिलांग पुलिस के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने बारीकी से पड़ताल की। पुलिस ने शोहरा हिल्स क्षेत्र से पीएसटीएन डेटा एकत्र किया। पुलिस को करीब पांच लाख नंबर मिले। एक सिमकार्ड इंदौर का निकला। वह 16 मई को एक्टिव हुआ था।
सोनम और राजा जहां-जहां गए, संदिग्ध नंबर भी साथ-साथ चला। राजा की हत्या के बाद वह नंबर बंद हो गया। 24 मई को वो संदिग्ध फोन बिहार में चालू हुआ और वापस बंद हो गया। शिलांग पुलिस की जांच उस नंबर पर आकर ठहर गई।
सोनम का षड्यंत्रसोनम की कॉल डिटेल निकाली तो राज से सैकड़ों बार बात होने की पुष्टि हो गई। एसआइटी ने राज के नंबर की सीडीआर निकाली तो विशाल, आनंद और आकाश के नंबर मिले, जिन्हें षड्यंत्र के तहत 20 मई को बंद करवा दिए गए थे। हत्या के बाद तीनों के नंबर चालू भी हो गए।
सोनम झल्लाने लगीराजा को मारने के लिए राज से ज्यादा सोनम उतावली हो रही थी। वह फोटोग्राफी के बहाने राजा के पास आकर विशाल को इशारा करती थी। मौका न मिलने पर विशाल वार नहीं कर पाया तो उन पर झल्लाने लगी। एक बार तो विशाल ने हत्या का इरादा बदल दिया था। तब सोनम ने कहा था कि इसको मार डालो। मैं थक चुकी हूं।
राजा पर पहला वारबार-बार दबाव डालने पर विशाल ने पहला वार राजा की गर्दन पर पीछे से किया। दूसरा वार आनंद ने किया। फिर चारों ने मिलकर उसे खाई में फेंक दिया। सोनम ने आरोपितों को 15 हजार भी दिए थे और एटीएम कार्ड तोड़कर फेंक दिया था।
विधवा होकर राज से शादी करती सोनमसोनम ने पूछताछ में बताया कि राज से वह प्रेम करने लगी थी। उसकी देखभाल भी करती थी। राज उसके यहां नौकरी करता था। उसकी 15 हजार रुपये तनख्वाह थी। सोनम उसकी आर्थिक मदद करती थी। राजा से शादी कर खुश नहीं थी।
भर आई सोनम की आंखेंशादी में राज उसे देखकर रोने लगा तो उसकी भी आंखें भर आई। सोनम ने तय किया कि राजा की हत्या के बाद वह विधवा होगी और राज से शादी कर लेगी। समाज और स्वजन भी विरोध नहीं करेंगे।
पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य बने गौरव वल्लभ, लगी आधिकारिक मुहर
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद में सदस्य मनोनीत किया गया है।
इस मनोनयन के साथ उनके पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद टीम में शामिल होने के कयासों पर आधिकारिक मुहर लग गई है।
प्रधानमंत्री को आर्थिक व संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए यह परिषद एक सर्वोच्च संस्था है। प्रो. गौरव वल्लभ की आर्थिक सलाहकार परिषद में सदस्य के पद पर नियुक्ति बतौर अर्थशास्त्री की गई है।
राज ठाकरे से सुलह के लिए शिवसेना-UBT तैयार, संजय राउत ने किया खुलेआम एलान
राज्य ब्यूरो, मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि उनकी पार्टी राज ठाकरे से सुलह के लिए कोई अहंकार नहीं पालेगी। वह आगे या पीछे कोई भी कदम उठाने को तैयार है।
पिछले कुछ दिनों से राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) एवं उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के बीच सुलह की चर्चा चल रही है। इसकी शुरुआत कुछ समय पहले राज ठाकरे द्वारा सिने निर्देशक महेश मांजरेकर को दिए एक साक्षात्कार से हुई थी, जिसमें राज ने कहा था कि मराठी मानुष (मराठी भाषी लोगों) के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है।
राज की इस बात का उद्धव ने भी एक कार्यक्रम में यह कहकर सकारात्मक जवाब दिया था कि वह छोटे-मोटे मुद्दों को नजरंदाज कर साथ आने को तैयार हैं। बशर्ते महाराष्ट्र के खिलाफ काम करनेवालों के साथ उठना-बैठना बंद किया जाए। दोनों चचेरे भाइयों के बीच इस प्रकार के परोक्ष संवाद के बाद इन दोनों के पुत्रों आदित्य और अमित ठाकरे द्वारा भी परोक्ष रूप से ही, लेकिन सकारात्मक बयान दिए गए हैं। लेकिन अब तक कोई सीधी पहल किसी की तरफ से नहीं हुई है।
आज संजय राउत ने बयान दिया है कि उनकी पार्टी आगे या पीछे कदम बढ़ाने को तैयार है। इसमें कोई राजनीतिक अहंकार नहीं है। राउत का यह बयान आने के बाद माना जा रहा है कि दोनों दलों के नेता जल्द ही सीधी बातचीत करके निकट भविष्य में होनेवाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले दोनों दलों के बीच गठबंधन का कोई रास्त निकाल सकते हैं।
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'भारतीय दलों ने जिस तरह दुनिया में भारत का पक्ष रखा, उस पर गर्व', पीएम मोदी ने डेलिगेशन को लेकर और क्या कहा?
पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने की जरूरत पर बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों ने जिस तरह से विभिन्न देशों में भारत के दृष्टिकोण को रखा, उस पर उन्हें गर्व है।
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को इन बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। इन दलों ने पिछले कुछ हफ्तों के दौरान 33 देशों की राजधानियों की यात्रा की।
प्रधानमंत्री ने 'एक्स' पर पोस्ट में कहा, 'विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की जिन्होंने विभिन्न देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने की आवश्यकता एवं शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बारे में विस्तार से चर्चा की। जिस तरह उन्होंने भारत के दृष्टिकोण को रखा, उस पर हम सभी को गर्व है।'
सात प्रतिनिधिमंडलों में 50 से अधिक वर्तमान सांसद थे शामिलप्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसदों ने इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने अनुभव साझा किए। केंद्र सरकार पहले ही उनके कार्यों की प्रशंसा कर चुकी है। इन सात प्रतिनिधिमंडलों में 50 से अधिक वर्तमान सांसद शामिल थे। साथ ही पूर्व सांसदों एवं पूर्व राजनयिकों को भी इनका सदस्य बनाया गया था।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहले ही इन प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात कर चुके हैं और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत के कड़े रुख से दुनिया को परिचित कराने के उनके प्रयासों को सराह चुके हैं।शिवसेना के श्रीकांत ¨शदे ने 'एक्स' पर कहा, 'हमने प्रधानमंत्री को आतंकवाद के विरुद्ध भारत की दृढ़ लड़ाई और वैश्विक शांति के लिए हमारी अटूट प्रतिबद्धता के लिए इन मित्र देशों द्वारा दिए गए भारी समर्थन से अवगत कराया।'
शिंदे ने संयुक्त अरब अमीरात, कांगो, सिएरा लियोन और लाइबेरिया गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। श्रीकांत ने बताया, 'प्रधानमंत्री ने हमारे प्रयासों की सराहना की और विश्व मंच पर भारत का कद बढ़ाने के लिए अपने प्रेरणादायक दृष्टिकोण को साझा किया। उनके शब्दों ने हमें देश के लिए अथक परिश्रम करने के लिए प्रेरित किया है।'
कौन-कौन कर रहे थे डेलिगेशन का नेतृत्व?चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसद कर रहे थे जिनमें दो भाजपा, एक जदयू और एक शिवसेना के थे। जबकि तीन का नेतृत्व विपक्षी सांसद कर रहे थे जिनमें कांग्रेस, द्रमुक और राकांपा (एसपी) के सांसद शामिल हैं। भाजपा के रविशंकर प्रसाद एवं बैजयंत पांडा, कांग्रेस के शशि थरूर, जदयू के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, द्रमुक की कनीमोरी और राकांपा (एसपी) की सुप्रिया सुले ने इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया।
सरकार ने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में राष्ट्रीय एकता का संदेश देने के लिए इन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को भेजा था जिनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर एवं एआइएमआइएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी जैसे सांसद सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के साथ थे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में प्रमुख पूर्व सांसदों में गुलाम नबी आजाद और सलमान खुर्शीद जैसे नेता शामिल थे।
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सभी राज्यों की राजधानी सिटी और पुराने शहरों का होगा कायाकल्प, क्या है सरकार की योजना; कितना मिलेगा फंड?
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। शहरों की दशा सुधारने के लिए बजट में घोषित एक लाख करोड़ रुपये के अर्बन चैलेंज फंड में राज्यों को अपनी राजधानियों और एक अन्य शहर में बुनियादी ढांचे की बदहाली दूर करने का मौका मिलेगा।
वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक, राज्य अपनी राजधानी के साथ एक और शहर का चयन इस योजना के लिए कर सकते हैं। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में शहर अपने बीच वाले व्यावसायिक हिस्से का पुनरुद्धार कर सकते हैं।
देश के अधिकांश शहरों में समय के साथ मध्य भाग यानी उसके मूल स्वरूप की दशा आबादी के दबाव और सड़क, सीवर, फुटपाथ आदि की दशा इतनी खराब हो चुकी है कि उसे सुधारना आसान नहीं रह गया है।
राज्यों की राजधानियों और बड़े शहरों के केंद्रीय व्यापारिक और ऐतिहासिक स्वरूप को पुनर्जीवित करने के लिए चलाए जाने वाले इस कार्यक्रम को मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा संचालित किया जाना है और केंद्र सरकार अर्बन चैलेंज फंड के तहत इसमें प्रोत्साहन राशि देगी।
हर शहर को केंद्र से कितनी मदद राशि मिलेगी?योजना में आने वाले प्रत्येक शहर को अधिकतम 150 करोड़ रुपये की सहायता केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी। राजधानी के अलावा अपने दूसरे शहर का चयन राज्यों को ही करना होगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि इस योजना में फोकस लीगेसी इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी पुराने बुनियादी ढांचे की स्थिति सुधारने पर होना चाहिए।
इसका मतलब है कि कोई शहर जब विकसित हो रहा था तो उस समय उसकी जरूरत के रूप में जिस बुनियादी ढांचे (भौतिक और तकनीकी) को बनाया गया था, वह अब अपर्याप्त और बेकार हो जाने के कारण आज की जरूरतों को पूरा कर पाने में विफल हो गया है।
राज्यों को निर्देश- सरकारी संपत्तियों और ढांचों की करें पहचानराज्यों से यह भी कहा गया है कि वे शहरों में ऐसी सरकारी संपत्तियों और ढांचों की भी पहचान करें, जिनका पूरी तरह उपयोग नहीं हो पा रहा है। वे इसके माध्यम से सार्वजनिक उपयोग के लिए अतिरिक्त जमीन भी जुटा सकते हैं।
उदाहरण के लिए- पुराने और बड़े शहरों के बीच तमाम ऐसी सरकारी संपत्तियां होती हैं जो किसी कार्यालय अथवा सार्वजनिक स्थान से संबंधित हैं और वहां काफी जमीन का उपयोग नहीं हो पा रहा।
इस योजना के लिए सुधार के जो क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं, उनमें व्यावसायिक क्षेत्र के लिए परिवहन की योजना और सड़क के किनारे पार्किंग की सुविधा, व्यापारिक गतिविधियों के लिए अलग स्थान, सड़क-सीवर जैसे ढांचे में सुधार, ड्रेनेज की योजना और पैदलयात्रियों के लिए फुटपाथ का बंदोबस्त शामिल है।
राज्य सरकारों को अपने प्रस्तावों के लिए एक अफसर और टीम का चयन कर उसकी जिम्मेदारी तय करनी होगी।
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'सात जन्मों का साथ है...', सोनम ने मर्डर के बाद राजा के फोन से किया था पोस्ट; क्या पहले ही बन चुका था पूरा प्लान?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंदौर के व्यापारी राजा रघुवंशी हत्याकांड मामले में रोज एक नया खुलासा हो रहा है। इस हत्याकांड की मुख्य आरोपी राजा की पत्नी सोनम रघुवंशी इस समय पुलिस की गिरफ्त में हैं। इस बीच जानकारी सामने आई है कि सोनम ने राजा की हत्या के बाद अपने पति के मोबाइल फोन से एक फोटो पोस्ट की। इस फोटो के कैप्शन में उसने लिखा कि 'सात जन्मों का साथ है'।
माना जा रहा है कि सोनम ने ये फोटो इसलिए पोस्ट किया ताकि दर्शाया जा सके कि अभी राजा रघुवंशी जिंदा हैं और दोनों पति और पत्नी एक दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रहे हैं।
23 को मिली थी दंपती के गायब होने की सूचनाबता दें कि 20 मई को हनीमून मनाने मेघालय गया कपल 23 मई को लापता हो गया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सोनम रघुवंशी ने अपने पति की हत्या अपने आंखों के सामने कराई थी। इसके बाद राजा को पहाड़ों से नीचे गिरते देखा। बाद में सोनम ने राजा के फोन से एक फोटो पोस्ट की।
राजा की हत्या 23 मई को हुई थी। बताया यह भी जा रहा है कि इसी दिन ही राजा और सोनम के लापता होने की खबर भी सामने आई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, सोनम ने राजा के फोन से ये पोस्ट दोपहर में 2 बजे के करीब की।
दो जून को मिला राजा का शवबता दें कि राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी 20 मई को हनीमून के लिए मेघालय गए थे। इसके तीन दिन बाद यानी 23 मई को होमस्टे से चेकअप करने के बाद दोनों लापता हो गए थे। बाद में 2 जून को राजा का शव एक खड्ड में मिला। वहीं, सोनम लापता हो गई। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। पुलिस को घटनास्थल से हथियार बरामद हुआ। वहीं, इसके दो दिन बाद रेनकोट भी बरामद हुआ। जिसके बाद सोनम की खोज और तेज कर दी गई।
सोनम ने किया सरेंडर8 और 9 जून की रात के दौरान सोनम ने उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में अपने पति की हत्या के मामले में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया गया। सोमवार को सोनम को मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया। जहां से तीन दिन की ट्रंजिट रिमांड पर भेज दिया गया।
सोनम का मेडिकल कराने के बाद मेघालय पुलिस उसे अपने साथ शिलांग लेकर गई। पुलिस ने संदेह जताया है कि सोनम का उसके दोस्त राज कुशवाह के साथ प्रेम प्रसंग था। इन दोनों ने मिलकर ही हत्या की प्लानिंग की। इस घटना में राज कुशवाह के तीन दोस्त भी शामिल रहे। इन लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
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तुर्कमेनिस्तान में बना 'नर्क का दरवाजा' क्या अब बंद हो जाएगा, 50 साल से लगातार धधक रहा आग का कुंआ
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। तुर्कमेनिस्तान में 50 सालों से जल रहा ‘गेटवे टू हेल’ क्रेटर अब 'अंतिम सांसे' ले रहा है। विज्ञानियों का कहना है कि यह अद्भुत क्रेटर अब बुझने वाला है। आइए जानते हैं क्यों अब तक जल रहा है यह क्रेटर?
- 1971 से जल रही है गेटवे टू हेल की आग 230 फीट चौड़ा और 98 फीट गहरा है क्रेटर
- गेटवे टू हेल देखने 6,000 विदेशी पर्यटक आते हैं हर साल
‘गेटवे टू हेल’, जिसे आधिकारिक तौर पर ‘शाइनिंग ऑफ काराकुम’ के नाम से जाना जाता है। यह तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में स्थित 230-फुट चौड़ा (70 मीटर) सिंकहोल है। यह गड्ढा मीथेन के विशाल भूमिगत भंडार से जुड़ा हुआ है, जिससे इसे जलाने के लिए गैस की लगभग असीमित आपूर्ति मिलती है। इस गड्ढे में सैकड़ों गैस की आग लगी हुई है, जो इसे एक अलौकिक चमक देती है।
एक दुर्घटना के कारण बना था क्रेटर जब यह क्रेटर बना था उस समय तुर्कमेनिस्तान सोवियत संघ का हिस्सा था। तब अधिकारियों ने क्रेटर से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया था। अब क्रेटर को लेकर सबसे आम सिद्धांत यह है कि यह प्राकृतिक गैस की खोज में हुई दुर्घटना के कारण बना था।
1971 में एक सोवियत गैस ड्रिलिंग स्टेशन ने एक गैस पाकेट को छेद दिया, जिससे एक गड्ढा बन गया और हवा में गैस लीक होने लगी। विज्ञानियों ने जहरीली गैसों को बाहर निकलने से रोकने के लिए गड्ढे को जलाने का निर्णय लिया। विज्ञानियों को उम्मीद थी कि आग कुछ दिनों में बुझ जाएगी, लेकिन नरक के प्रवेश द्वार की आग तब से जल रही है।
सरकारी स्वामित्व वाली ऊर्जा कंपनी तुर्कमेनगाज की निदेशक इरिना लुरीवा कहती हैं कि पहले आग की एक चमक कई किलोमीटर दूर से दिखाई देती थी, अब इसे केवल आस-पास के इलाकों से ही देखा जा सकता है। आज केवल आग का एक हल्का स्रोत बचा हुआ है। तुर्कमेनिस्तान में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस भंडार है, जो रेगिस्तान के नीचे बड़े पैमाने पर फैला हुआ है।
आग बुझाने के लिए शुरू की थी परियोजना?पहले की तुलना में तीन गुना छोटी हो गई आग 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति बर्डीमुखमेदोव ने आग को बुझाने के लिए एक परियोजना शुरू की थी। उन्होंने कहा था कि हम मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों को खो रहे हैं। इस परियोजना के तहत आग को बढ़ाने वाली गैस को बाहर निकालने के लिए कई नए गैस कुएं खोदे गए। प्राकृतिक ज्वलनशील गैस के कम प्रवाह के कारण क्रेटर में लपटें कम होने लगी हैं। आग अब पहले की तुलना में तीन गुना छोटी हो गई है।
'राजा करीब आता है, मुझे पसंद नहीं', सोनम और राज की चैट से हुए सनसनीखेज खुलासे
एजेंसी, शिलांग (मेघालय)। राजा रघुवंशी मर्डर केस में सोनम रघुवंशी समेत सभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। पुलिस सभी से पूछताछ कर रही है। इस केस में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। सोनम को पति राजा रघुवंशी के साथ रहना पसंद नहीं था। इसकी जानकारी सोनम ने अपने ब्वॉयफ्रेंड राज कुशवाहा को भी दी थी।
सोनम के फोन से पता चला है कि उसने अपने प्रेमी राज कुशवाहा को मैसेज करके यह बात बताई थी। सोनम ने राज से कहा था कि उसे अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाना पसंद नहीं है।
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शादी के बाद सोनम ने रची साजिशसोनम ने शादी के बाद जब राज को यह सब बताया, उसके बाद ही राज और सोनम ने मिलकर राजा को मारने की साजिश रची थी। शादी के बाद से सोनम लगातार प्रेमी राज के संपर्क में थी। सोनम ने राज को सुझाव दिया कि राजा का कत्ल करने के बाद वो विधवा हो जाएगी और फिर उससे शादी रचा लेगी।
सोनम ने शेयर की पल-पल की लोकेशनइसी साजिश को अंजाम देने के लिए सोनम रघुवंशी पति राजा रघुवंशी के साथ हनीमून मनाने मेघालय पहुंची और तीनों सुपारी किलर्स को वहां बुला लिया। सोनम लगातार ब्वॉयफ्रेंड राज और तीनों आरोपियों के साथ अपनी लोकेशन शेयर कर रही थी, जिसे फॉलो करते हुए सुपारी किलर्स मौके पर पहुंचे और राजा की हत्या कर दी।
शिलांग में फोन पर चैट करते हुए सोनम का सीसीटीवी फुटेज।
पुलिस को चाकू से मिला सुरागराजा का शव मिलने के बाद जब शिलांग पुलिस ने छानबीन शुरू कि तो मौके से एक चाकू बरामद हुआ। इसी चाकू से पुलिस को किसी बाहरी व्यक्ति के होने का सुराग मिला। शिलांग पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, इस तरह का चाकू स्थानीय जगहों पर नहीं मिलता है। इसी से पुलिस को शक हुआ कि राजा की हत्या किसी स्थानीय शख्स ने नहीं बल्कि बाहरी राज्य से आए व्यक्ति ने की है।
आरोपियों तक कैसे पहुंची पुलिस?चाकू मिलने के बाद पुलिस ने कातिल तक पहुंचने के लिए राजा और सोनम की कॉल डिटेल्स खंगाली। तभी पुलिस को पता चला कि सोनम अपने प्रेमी राज के संपर्क में है और राज भी सभी आरोपियों के संपर्क में था। इसी कड़ी में पुलिस ने पहले सभी आरोपियों को पकड़ा और आखिर में सोनम ने भी गाजीपुर में सरेंडर कर दिया।
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एआई ने पढ़ाई को ‘शॉर्टकट’ बनाया या ‘स्मार्टकट’? किस तरह के बदलाव आवश्यक, बता रहे एक्सपर्ट्स
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।
1956 में डार्टमाउथ सम्मेलन के दौरान जब पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द अस्तित्व में आया, तब शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन यह तकनीक शैक्षणिक ईमानदारी और मौलिकता को परिभाषित करने वाली सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगी। आज के दौर में जब चैटजीपीटी, जैमिनी, क्लाउडे जैसे जनरेटिव एआई टूल्स किसी भी विषय पर शोधपत्र, उत्तर या प्रस्तुति चंद सेकंड में तैयार कर सकते हैं, तब यह प्रश्न और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि ज्ञान का श्रेय किसे दिया जाए। मानव मस्तिष्क को या मशीन को? क्या जो लिखा गया वह वास्तव में मौलिक है, या सिर्फ एल्गोरिद्म का उत्पाद?
इन्हीं जटिलताओं और नैतिक उलझनों के बीच आईआईटी दिल्ली ने एक निर्णायक पहल की है। संस्थान ने स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि शैक्षणिक या शोध कार्य में यदि एआई टूल्स का उपयोग किया गया है, तो उसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा। यह कदम न सिर्फ अकादमिक ट्रांसपेरेंसी और ईमानदारी की रक्षा करता है, बल्कि उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक नई नैतिक रूपरेखा भी तैयार करता है। जहां तकनीक सहयोगी तो हो सकती है, लेकिन उसकी भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित होनी चाहिए।
आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी का कहना है कि जनरेटिव एआई टूल्स अब छात्रों, शिक्षकों और स्टाफ के बीच तेजी से इस्तेमाल हो रहे हैं। ये टूल्स कई बार सही संदर्भ में जानकारी देने में मददगार साबित होते हैं। लेकिन इनका बढ़ता इस्तेमाल देखकर अब हमें पढ़ाने के तरीके, असाइनमेंट और परीक्षा के डिज़ाइन और मूल्यांकन को नए सिरे से सोचना होगा। आईआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि किसी प्रोजेक्ट में एआई द्वारा बनाए गए चित्र, तालिकाएं, डेटा विज़ुअलाइज़ेशन या महत्वपूर्ण पाठ्यांश शामिल हों, तो इसे कैप्शन या फुटनोट में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया जाना चाहिए। उपयोगकर्ता यह सुनिश्चित करें कि एआई-जनित कंटेंट सटीक हो, किसी भी तरह से प्लेगराइज़्ड न हो, और किसी संवेदनशील जानकारी का खुलासा न हो। स्रोत सामग्री और मॉडल को उपयोग से पहले सावधानी से जांचें। एआई टूल्स की मदद से तैयार किया गया कोई भी काम या सामग्री पूरी तरह से स्पष्ट की जानी चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और अकादमिक ईमानदारी कायम रहे।
विशेषज्ञ कहते हैं कि आज से 30-40 साल पहले जो ज्ञान 10वीं कक्षा में सिखाया जाता था, वह अब 6वीं में पढ़ाया जाता है। नॉलेज की उपलब्धता और ट्रांसफर अब तेज हो गया है। ठीक उसी तरह, एआई ने ज्ञान के प्रसार की गति को और तेज कर दिया है। अब छात्रों के पास वह अवसर है कि वे जानकारी के कई स्रोतों को एकत्रित कर, उसे समेकित करें और उस पर अपना विश्लेषण प्रस्तुत करें।
ह्यूमिनिली.एआई के को-फाउंडर और गृह मंत्रालय की राजभाषा संबंधी संसदीय समिति के सदस्य ऋषभ नाग कहते हैं कि आज के समय में जब कोई भी छात्र किसी विषय की पढ़ाई करता है, तो वह विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करता है। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के अनुसार 50 से 100 पुस्तकें दी जाती हैं, जो वे अपनी पढ़ाई के वर्षों में पढ़ते हैं। इन पुस्तकों के माध्यम से वे परीक्षा देते हैं और सफल होते हैं। परंतु आज तकनीक की बदौलत, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आगमन के बाद, छात्रों को अब अतिरिक्त ज्ञान के स्रोत भी उपलब्ध हो गए हैं।
अगर किसी छात्र को अब 50 के बजाय 70 या 80 पुस्तकें या शोधपत्रों से जानकारी मिल जाए, वह भी एक क्लिक पर तो उसमें क्या गलत है? यदि छात्र उस जानकारी को सही तरीके से संदर्भित करता है, जैसे कि रिसर्च पेपर, व्हाइट पेपर, या किसी प्रतिष्ठित स्रोत का हवाला देकर, तो यह पूरी तरह से वैध है। असल में, ज्ञान का विकास इसी तरह से होता है, जानकारी को इकट्ठा कर, समझ कर, और उसे अपने शब्दों में प्रस्तुत करके।
वह कहते हैं कि हम सभी ने जब पढ़ाई की, तो जानकारी पुस्तकों, शिक्षकों के नोट्स, शोधपत्रों, या अन्य स्रोतों से ली। वही आज का छात्र कर रहा है, फर्क सिर्फ इतना है कि उसके पास एआई जैसे टूल्स की सहायता है, जो जानकारी तक पहुंचने की गति और सटीकता को बढ़ा देते हैं। आज एआई टूल्स छात्रों को न केवल प्रश्नों के उत्तर देने में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें सर्वे डिजाइन करने, शोध खोजने, और उन्हें व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करने में भी सक्षम बनाते हैं।
नाग कहते हैं कि आज की हायर एजुकेशन का मतलब केवल किताबों और क्लासरूम तक सीमित नहीं रह गया है। यह एक ऐसी दुनिया है जहां इंफॉर्मेशन की स्प्रेड अनलिमिटेड है। अगर किसी ने हार्वर्ड में कोई रिसर्च की, तो वह भारत का स्टूडेंट भी पढ़ सकता है और उसे पढ़ना भी चाहिए। उसी तरह अगर भारत में कोई रिसर्च हुई, तो सिंगापुर का स्टूडेंट भी उससे लाभान्वित हो सकता है।
शारदा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन मेडिसिन, इमेजिंग और फॉरेंसिक्स के प्रोफेसर और हेड डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि आईआईटी दिल्ली का यह फैसला एक अच्छा कदम है। इससे शोध और पढ़ाई में ईमानदारी बनी रहती है। अगर कोई एआई टूल का इस्तेमाल करता है तो उसे बताना जरूरी है। इससे काम में पारदर्शिता आती है और यह दिखाता है कि किसने क्या किया। यह नीति लोगों को सही तरीके से एआई का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है।
जानकारी तथ्यात्मक है तो स्रोत की संख्या या माध्यम महत्वपूर्ण नहीं
नाग कहते हैं कि अगर एक जानकारी किसी किताब से ली गई है, तो वह पुस्तक है। अगर शिक्षक के नोट्स से ली गई है, तो वह व्याख्यान है। अगर किसी शोधपत्र से ली गई है, तो वह अकादमिक अध्ययन है। नाग तर्क देते हैं कि जब तक छात्र उस जानकारी को समझ कर, उसे अपने उत्तर में आत्मसात कर प्रस्तुत कर रहा है और वह उत्तर तथ्यात्मक रूप से सही है, तब तक स्रोत की संख्या या माध्यम महत्वपूर्ण नहीं रह जाता।
इसलिए यह आवश्यक है कि हम ज्ञान के नए साधनों को विरोध करने के बजाय, उन्हें अपनाएं और यह समझें कि एआई अब शिक्षा की प्रक्रिया का एक सहायक माध्यम बन चुका है, प्रतिस्थापन नहीं।
एआई और आम लोगों की सोचने की आदत
नाग कहते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक शक्तिशाली टूल है, परन्तु उसका आउटपुट भी आपके इनपुट, आपकी समझ, और आपकी मेहनत पर निर्भर करता है। यदि कोई सिर्फ एआई से प्राप्त जानकारी को कॉपी-पेस्ट करता है, तो वह सिर्फ ‘यूज़र’ बना रहता है, निर्माता नहीं।
10% लोग ही ऐसे होते हैं जो टूल के साथ समय बिताकर, उसमें डूबकर, उससे कुछ मौलिक निकालते हैं। बाकी 90% लोग आज भी वही करते हैं जो इंटरनेट की शुरुआत के समय करते थे जानकारी को खपत करते हैं, न कि उससे कुछ नया रचते हैं। जो भी टूल इस्तेमाल हो इंटरनेट हो, एआई हो, या कोई अन्य उसका असर इस पर निर्भर करता है कि उपयोगकर्ता उसे कैसे और कितनी समझ के साथ उपयोग करता है। केवल जानकारी जुटा लेना काफी नहीं है, उसे समझना और ढालना ही आज की सबसे बड़ी दक्षता है।
संस्थानों को बनाना चाहिए नियमडा. अशोक कुमार इस बात से सहमत है कि सभी संस्थानों को ऐसा नियम बनाना चाहिए। इससे यह पता चलता है कि एआई का इस्तेमाल कहां और कैसे हुआ है। इससे नकल और गलत तरीके से उपयोग करने पर रोक लगेगी। इससे छात्र एआई को सही ढंग से सीख पाएंगे और आगे चलकर उसका जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल कर पाएंगे।
टीचर की जिम्मेदारी सिर्फ पढ़ाना नहीं, जानकारी लाना भी
डा. कुमार कहते हैं कि अगर छात्र को बताना पड़े लेकिन शिक्षक को नहीं, तो यह दोहरी नीति होगी। अकादमिक ईमानदारी की नीति सभी के लिए समान होनी चाहिए। शिक्षक शोध की दिशा तय करते हैं, इसलिए उनका पारदर्शी होना और उदाहरण प्रस्तुत करना आवश्यक है। असमान नियमों से संस्थान में अविश्वास का वातावरण बन सकता है और एआई पर खुलकर चर्चा बाधित हो सकती है। समान नियम व्यवस्था में निष्पक्षता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देते हैं।
येलो स्लाइस के संस्थापक किशोर फोगला कहते हैं कि आईआईटी दिल्ली का यह नया निर्देश कि छात्रों को अपने AI उपयोग की जानकारी देनी होगी, अकादमिक पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में एक साहसिक कदम है। लेकिन इसमें एक दोहरा मापदंड उभरता है – छात्र अपने ऑनलाइन और डिजिटल सहयोगियों को बताएं, जबकि प्रोफेसर ऐसा नहीं करते। अगर हम अपने शैक्षणिक तरीकों को वास्तव में नवाचारपूर्ण और न्यायसंगत बनाना चाहते हैं, तो सभी के लिए एक समान नियम होने चाहिए।
ऋषभ नाग कहते हैं कि आज एक प्रोफेसर या टीचर का काम सिर्फ एक ही विषय को छह अलग-अलग क्लासेज़ में पढ़ाना नहीं है। उनका जॉब है, खुद को अपडेट रखना, नई रिसर्च ढूंढना और उसे छात्रों तक लाना। क्या डब्ल्यूएचओ ने हेल्थ पर नया डेटा जारी किया? क्या आईएमएफ या विश्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को लेकर कोई नई रिपोर्ट दी? क्या एआई या साइबर लॉ पर कोई नई थ्योरी पब्लिश हुई? तो उस जानकारी को एक प्रोफेसर को लाना चाहिए और सबसे ज़रूरी बात यह कि यह उसकी कर्तव्य है। अगर 70 साल पुरानी किताबें ही आज भी पढ़ाई जा रही हैं, तो सवाल बनता है नई जानकारी लाने की जिम्मेदारी किसकी है? जवाब है प्राथमिक रूप से शिक्षक की। आज टीचर के पास इतने रिसोर्सेज़ हैं, रिसर्च जर्नल्स, ओपन फोरम्स, डिजिटल लाइब्रेरीज़, और AI-बेस्ड टूल्स कि अब उन्हें ढूंढने की बजाय “चुनने” की जरूरत है कि क्या सबसे प्रासंगिक है। एआई अब शिक्षक की तेजी से डेटा लाने में, कंटेंट को शॉर्टलिस्ट करने में और उनके लेक्चर के लिए बेहतरीन मैटीरियल तैयार करने में मदद करता है।
बोर्ड ऑफ स्टेलर इनोवेशन के चेयरमैन शशि भूषण कहते हैं कि आईआईटी दिल्ली द्वारा एआई के उपयोग की जानकारी देने का निर्देश अकादमिक पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह छात्रों की पहले से मौजूद जिम्मेदारी को और मजबूत करता है कि वे अपनी किसी भी एआई मदद को स्पष्ट रूप से बताएं।
यह एक अच्छा प्रयास है ताकि एआई के बढ़ते उपयोग के बीच शैक्षणिक ईमानदारी बनी रहे और शिक्षा प्रणाली अधिक जिम्मेदार हो सके। लेकिन इस निर्देश में शिक्षकों पर कोई समान जिम्मेदारी नहीं डाली गई है, जो इस अच्छे प्रयास की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। दिशानिर्देश कहते हैं कि एआई टूल्स की मदद से तैयार की गई किसी भी सामग्री की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे और आपकी शैक्षणिक ईमानदारी दिख सके। यह एक अच्छा विचार है, लेकिन अगर सिर्फ छात्रों से यह अपेक्षा हो और शिक्षकों को छूट हो, तो यह एकतरफा है।
यूनिवर्सिटी के पास एआई जनिट कंटेंट को पहचानने के लिए टूल्स की भरमारनाग कहते हैं कि जहां तक प्लेजरिज़्म यानी साहित्यिक चोरी का सवाल है, बड़ी यूनिवर्सिटियों और संस्थानों ने पहले ही ऐसे टूल्स को अपना लिया है, जो एआई-जनित कंटेंट को पहचान सकते हैं। लेकिन जब छात्र स्पष्ट रूप से स्रोतों का हवाला देते हुए कहता है कि उसने यह जानकारी इस रिसर्च पेपर, वेबसाइट या व्हाइट पेपर से ली है, तो यह पारदर्शिता और ईमानदारी का संकेत है। जानकारी का स्रोत चाहे एक हो या दस, अगर अंतिम समाधान सही है, तो यह महत्वपूर्ण नहीं रह जाता कि जानकारी कहां से आई।
डा. कुमार कहते हैं कि यदि एआई पर अत्यधिक कड़े प्रतिबंध लगाए गए तो इससे छात्रों की रचनात्मकता और नवाचार की भावना पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। नियमों की ज़रूरत है, लेकिन वे छात्रों को एआई की संभावनाओं का जिम्मेदारी से उपयोग करने के लिए प्रेरित करें। जब तक छात्र अपने कार्य में पारदर्शिता बरतते हैं, उन्हें एआई के साथ प्रयोग की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। नैतिकता और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
फोगला मानते हैं कि एआई की बनाई सामग्री क्या "मूल विचार" हो सकती है? शायद नहीं। लेकिन क्या एआई दूसरों के विचारों को जन्म दे सकती है और नई संभावनाएं खोल सकती है? बिल्कुल! वह कहते हैं कि जैसे एक अभिनेता किसी स्क्रिप्ट को अपने नजरिए से निभाता है और उसमें अपनी सच्चाई ढूंढता है। असल सवाल यह है कि कैसे हम रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाली मानवीय प्रक्रिया को बनाए रखते हुए अकादमिक ईमानदारी भी सुनिश्चित करें?
एआई के छुपे उपयोग का पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह आसानी से एक अत्यधिक निगरानी वाला तंत्र बन सकता है। अगर हम ज़रूरत से ज़्यादा निगरानी करेंगे, तो वह रचनात्मकता ही दब सकती है जिसे हम बढ़ाना चाहते हैं।
संरचना में पेश कर रहा एआईनाग कहते हैं कि कोई भी विचार या थॉट साइलो में पैदा नहीं होता। न ही इंसान, न ही मशीन। हर विचार कहीं से आता है, कभी किसी चर्चा से, किसी पढ़े गए शोध से, किसी सुनी बात से, या फिर किसी देखे गए तथ्य से। जब आप किसी विषय पर बात करते हैं तो आपकी बातों में आपके अनुभव, आपकी पढ़ाई, आपके संदर्भ झलकते हैं। आपने कुछ सुना, जाना, परखा और फिर एक नई व्याख्या गढ़ी। यही एक जीवंत विचार प्रक्रिया है।
उसी प्रकार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी कोई नई चीज नहीं देता, वह भी तो वही करता है जो इंसान करता है। वह डेटा पढ़ता है, तुलना करता है, किसी भरोसेमंद स्रोत से जानकारी लाता है, और फिर उसे एक संरचना में पेश करता है। इसमें सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह आपको वह रास्ता दिखाता है, जो आपने शायद पहले न देखा हो। लेकिन जो भी जानकारी एआई आपको दे रहा है, वह भी आखिर में इंसान की बनाई गई जानकारी है, जो किसी थॉट प्रोसेस से होकर निकली है। यानी, चाहे वह इंसान हो या एआई, कोई भी विचार एकदम नया नहीं होता, वह संदर्भों और संदर्भित ज्ञान का ही पुनर्गठन होता है।
ऋषभ नाग कहते हैं कि अब ज़रा शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में इस पूरी प्रक्रिया को देखें। एक अच्छा शिक्षक सिर्फ कंटेंट डिलीवर करने वाला व्यक्ति नहीं है। उसका असली काम है समकालीन दुनिया में क्या चल रहा है, दुनिया में किस विषय पर नई खोज हो रही है, कौन सा विचार कितना भरोसेमंद है, यह खोजना और फिर उस जानकारी को विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक बनाकर प्रस्तुत करना। चाहे रिसर्च हार्वर्ड में हुई हो या सिंगापुर में, या फिर भारत में वह हर जगह से रिसर्च को देखे, परखे, और तय करे कि छात्रों को क्या बताना है। वही असली शिक्षण है।
इसीलिए विश्वविद्यालय प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं को विभिन्न जर्नल्स, डेटाबेस और फोरम्स तक एक्सेस देती है, ताकि वे वैश्विक ज्ञान से जुड़े रहें। उनका काम केवल वही पुरानी किताब पढ़ाना नहीं है जो 70 साल पहले लिखी गई थी, बल्कि यह तय करना है कि आज की तारीख में कौन सी जानकारी, कौन सा शोध, कौन सा दृष्टिकोण छात्रों के लिए सबसे उपयोगी और प्रासंगिक है। यह जिम्मेदारी मुख्यतः शिक्षक की है, न कि छात्र की।
मौलिकता को नियंत्रित करने के बजाए नई परिभाषाएं बनाएंशशि भूषण कहते हैं कि एआई विचारों को इकट्ठा करने और शोध में मदद कर सकता है, लेकिन मूल विचार तब आते हैं जब हम जानकारी को अपनी सोच, आलोचना और संदर्भ के साथ जोड़ते हैं। एआई के छिपे उपयोग का पता लगाना तकनीकी रूप से तो संभव है, लेकिन यह एआ के इस्तेमाल को मुश्किल और एक डरावना अनुभव बना सकता है, जहां छात्र और संस्थान एक-दूसरे के विरोधी बन जाएं। हमें अपनी सोच बदलनी चाहिए। मौलिकता को नियंत्रित करने के बजाय हमें स्पष्ट परिभाषाएं तैयार करनी चाहिए, ताकि एआई के साथ नवाचार संभव हो सके।
अगर सभी संस्थान ऐसी नीतियां बनाएं जो छात्रों और शिक्षकों दोनों को समान रूप से जवाबदेह बनाएं, तो हम एक अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार शैक्षणिक वातावरण बना सकते हैं। जहां एआई को अपनाया जाए लेकिन शैक्षणिक ईमानदारी भी बनी रहे।
एआई के आने से शिक्षक की भूमिका और जिम्मेदार हुईऋषभ नाग का मानना है कि आज एआई जैसे उपकरण शिक्षक को यह सुविधा दे रहे हैं कि वे झटपट डब्ल्यूएचओ, वर्ल्ड बैंक, IMF जैसी संस्थाओं से जानकारी लाकर, उसे प्रोसेस कर, अपने नोट्स बना सकें और विद्यार्थियों को ताज़ा जानकारी दे सकें। इसका मतलब यह नहीं कि शिक्षक की भूमिका खत्म हो गई, बल्कि उसकी भूमिका अब और भी ज़िम्मेदार हो गई है कि वह यह तय करे कि कौन सी जानकारी भरोसेमंद है, कौन सी नहीं, और कौन सी कितनी प्रासंगिक है। विद्यार्थियों के लिए भी यही बात लागू होती है। पहले छात्र तीसरे चरण पर काम करते थे कि किताब से जानकारी उठाई, उसे समझा और उसका हल निकाल लिया। लेकिन अब उन्हें एक साथ दस स्रोतों से जानकारी मिल रही है, जिनमें से उन्हें खुद फिल्टर करना है कि किस पर भरोसा किया जाए, किसे नजरअंदाज किया जाए और फिर उस पर अपनी समझ विकसित की जाए। इसका मतलब यह है कि अब छात्रों के लिए भी “समझने की क्षमता” और “जानकारी के चुनाव” की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा हो गई है। तो कुल मिलाकर आज शिक्षक हो या छात्र, दोनों को अपना स्तर उठाना होगा। शिक्षक को बेहतर डिलीवरी करनी होगी, और छात्र को बेहतर लर्निंग करनी होगी। एआई इन दोनों को सहायता देता है, लेकिन सोचने और निर्णय लेने की जिम्मेदारी खत्म नहीं करता। उल्टा, यह जिम्मेदारी और अधिक स्पष्ट हो जाती है। और सबसे अहम बात यह है कि विचार या ज्ञान, चाहे किसी इंसान ने कहा हो या मशीन ने, वह तभी मूल्यवान है जब उसमें मौलिकता हो, आलोचनात्मक सोच हो, और उसे सही संदर्भ में प्रस्तुत किया गया हो। अगर आप केवल दस जगह से जानकारी इकट्ठा करके कह दें कि यह मेरा विचार है तो यह न केवल बौद्धिक रूप से अनुचित है, बल्कि यह उस प्रक्रिया का भी अपमान है जिसमें विचारों की नींव रखी जाती है।
डा. कुमार मानते हैं कि एआई द्वारा लिखी गई सामग्री को ‘मौलिक विचार’ नहीं माना जा सकता, क्योंकि उसमें मानवीय रचनात्मकता और उद्देश्य की भावना नहीं होती। एआई तो केवल पहले से मौजूद जानकारी को पैटर्न के आधार पर जोड़ता है, नए विचार उत्पन्न नहीं करता। इसलिए एआई से प्राप्त किसी भी योगदान को स्पष्ट रूप से क्रेडिट देना चाहिए। यह न केवल शैक्षणिक ईमानदारी को बनाए रखता है, बल्कि मानव और मशीन के कार्य के बीच अंतर को भी स्पष्ट करता है।
फोगला इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि हर संस्थान को ऐसे ही कदम उठाने चाहिए। लेकिन केवल तब जब वे पारदर्शी और समान प्रक्रियाएं बनाएं। हमें एक ऐसा शैक्षणिक वातावरण बनाना चाहिए जहां तकनीक इंसानों की सोच को बढ़ाए, न कि उसे बदल दे।
पाठ्यक्रम में शामिल होनी चाहिए एआई साक्षरता
डा. अशोक कुमार कहते हैं कि संस्थान जिम्मेदार एआई उपयोग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाकर इस संतुलन को साध सकते हैं। उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि एआई का उपयोग छात्र की सोच और रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए हो, न कि उसका स्थान लेने के लिए। पाठ्यक्रम में एआई साक्षरता को शामिल करना चाहिए ताकि छात्र इसके फायदे और सीमाओं को समझ सकें। मूल्यांकन प्रक्रिया को ऐसे डिज़ाइन किया जाना चाहिए जो छात्रों के मौलिक विश्लेषण पर केंद्रित हो। इससे एआई का नैतिक उपयोग सुनिश्चित होता है और छात्रों की सोच और समझ भी विकसित होती है।
'तुम हांफ क्यों रही हो...', सास के सवाल पर क्या बोली सोनम? आखिरी फोन कॉल से उठे कई सवाल
डिजिटल डेस्क, इंदौर (मध्य प्रदेश)। राजा रघुवंशी की मर्डर मिस्ट्री अभी भी पूरी तरह से नहीं सुलझी है। सोनम की गिरफ्तारी के बाद मामले में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। इसी कड़ी में सोनम की एक फोन कॉल भी सामने आ गई है, जिसमें उसने अपनी सास से आखिरी बार बातचीत की थी। सोनम की इस कॉल से पुलिस को कई बड़े सबूत मिल सकते हैं।
मेघालय में हनीमून के दौरान 23 मई को सोनम की ससुरालवालों से आखिरी बार बात हुई थी। इस दौरान सोनम की सास बेटे राजा रघुवंशी से बात करना चाहती थी, लेकिन सोनम ने उनकी बात राजा से नहीं करवाई। यह पूरी बातचीत बेशक नॉर्मल लग सकती है, मगर वास्तव में इसमें सोनम के खिलाफ कई सबूत हैं, जो सवाल खड़े करते हैं।
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राजा का फोन हुआ बंददरअसल 23 मई को राजा की मां उमा रघुवंशी बेटे को फोन मिला रहीं थीं, लेकिन राजा का फोन स्विच ऑफ (बंद) आ रहा था। तभी उमा ने सोनम को फोन किया। सोनम ने सास को बताया कि वो सीढ़ियां चढ़ रहे हैं, ऊपर पहुंचकर फोन करेंगे।
मेरा व्रत है: सोनमसोनम से बातचीत के दौरान सास उमा ने कहा, "मैं खाना बना रही थी तो मुझे याद आया कि आज तुम्हारा व्रत होगा। क्या तुमने व्रत रखा है?" इसके जवाब में सोनम कहती है,
हां मां मैंने व्रत रखा है। मैंने इनसे पहले ही कह दिया था कि घूमने के चक्कर में मैं व्रत नहीं तोड़ूंगी।
तभी सोनम की सास ने कहा कि कुछ व्रत वाली चीज दिखे को खा लेना। इसपर सोनम कहती है, "हम ट्रेकिंग कर रहे हैं और यहां जंगल में खाने के लिए कुछ भी नहीं है।"
VIDEO | Raja Raghuvanshi Murder Case: Here is what Raja Raghuvanshi’s mother Uma Raghuvanshi has to say, “Till now we were not able to believe that Sonam could do this. But now we are believing it. If she didn't want to marry Raja, she could have told us. Why did I she kill my… pic.twitter.com/CcfwcE42ZP
— Press Trust of India (@PTI_News) June 10, 2025 फोन पर हांफ रही थी सोनमसोनम से बातचीत के दौरान उमा ने नोटिस किया कि वो हांफ रही थी। ऐसे में जब उमा ने सोनम से पूछा कि हांफ क्यों रही हो? तो सोनम ने कहा, "ट्रेक बहुत मुश्किल है। आसपास बहुत घने जंगल हैं।" सोनम की मां ने कहा, "तो फिर तुम लोग वहां क्यों गए?" सोनम ने सास से कहा,
मैंने तो राजा को मना किया था, लेकिन उसे झरना देखना था। काफी थकाने वाली जगह थी। हमें ठीक से खाना तक नहीं मिला।
सवालों के घेरे में सोनम की बातचीतसोनम और उसकी सास की बातचीत मेघालय पुलिस के अब तक के खुलासे में बिल्कुल फिट बैठ रही है। इसे लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। मसलन अगर राजा उस वक्त सोनम के साथ था तो उसने बार-बार पूछने पर भी राजा की बात सास से क्यों नहीं करवाई? सोनम ने सास से झूठ क्यों बोला कि उसने व्रत रखा है? होमस्टे वालों ने खुलासा किया कि सोनम ने पेट भरकर खाना खाया था और इस वक्त राजा उसके साथ मौजूद नहीं था?
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'काम का बहुत दबाव होता, दुर्घटनाएं होना आम है...', Blinkit कर्मचारी ने शेयर किया 10 मिनट की डिलीवरी का कड़वा सच
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ब्लिंकिट से जुड़े कर्मचारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक पोस्ट किया है। ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट और जेप्टो जैसी कंपनियां लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन गई हैं। पार्ट-टाइम ब्लिंकिट कर्मचारी की रेडिट पोस्ट ने भारत में 10 मिनट की डिलीवरी को लेकर एक पोस्ट किया है।
ब्लिंकिट कर्मचारी ने रेडिट पर पोस्ट में लिखा, 'हम सभी को 10 मिनट में किराने का सामान या नाश्ता डिलीवर होना पसंद है, लेकिन ज्यादातर लोगों को पता नहीं है कि उस 'अल्ट्राफास्ट' सेवा के पीछे क्या चल रहा है। कर्मचारियों पर दबाव अलग लेवल का है और ईमानदारी से ये बेहद खतरनाक है।
कर्मचारी ने रेडिट पर शेयर किया पोस्टकर्मचारी जो पढ़ाई के साथ पिकर और पैकर के रूप में अपनी नौकरी को भी बैलेंस करता है, उसने अत्यधिक प्रेशर और नौकरी में आती परेशानियों को लेकर अपना अनुभव शेयर किया है।
पोस्ट के अनुसार, कर्मचारी लगातार तनाव में रहते हैं, कंपनी के ओनर उनपर बिना रुके दबाव डालते हैं और PPI (प्रति पिकिंग आइटम) इस तनाव को और ज्यादा बढ़ाता है।
'हमसे चलने नहीं दौड़ने की उम्मीद की जाती'कर्मचारी ने डार्क स्टोर के नाम से जाने वाले गोदामों को छोटा, रैक और सामान से भरा हुआ बताया। कर्मचारियों से उम्मीद की जाती है कि वे ऑर्डर लेने, भीड़भाड़ वाली जगहों और गलियों से गुजरकर और समय के साथ दौड़ने के दौरान सिर्फ तेजी से न चलें, बल्कि दौड़ें। कर्मचारी ने दुर्घटनाओं के व्यक्तिगत अनुभव शेयर किए, जिसमें एक अन्य कर्मचारी से टक्कर भी शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप उसका फोन टूट गया।
'मेरा फोन भी टूट चुका है'पीड़ित कर्मचारी ने कहा, 'मेरे साथ कुछ दुर्घटनाएं हुई हैं। एक बार, मैं दूसरे व्यक्ति से टकरा गया और मेरा फोन टूट गया। इस तरह की चीजें लगभग रोज होती हैं क्योंकि यहां सब कुछ जल्दी-जल्दी होता है और कोई सुरक्षा नहीं होती। हमें PPI (प्रति पिकिंग आइटम) नामक सिस्टम पालन करना पड़ता था।
अगर किसी आइटम को खोजने में कुछ सेकंड भी ज्यादा लगते हैं (हो सकता है कि वह खो गया हो या स्टॉक में न हो), तो प्रबंधक आपको लॉग आउट करके घर जाने के लिए कहता है। उच्च अधिकारियों से दबाव बहुत ज्यादा होता है, और प्रबंधक इसे कर्मचारियों पर डाल देते हैं।
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सोनम के ब्वॉयफ्रेंड राज से क्या था तीनों सुपारी किलर्स का कनेक्शन; कैसे पहुंचे शिलांग? इनसाइड स्टोरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंदौर के राजा रघुवंशी का मर्डर केस पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सोनम की बेवफाई ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। सोनम ने राजा को मारने के लिए 3 सुपारी किलर्स भी हायर किए थे। इस कहानी में ट्विस्ट तब आया जब पता चला कि तीनों सुपारी किलर्स सोनम के प्रेमी राज कुशवाहा के दोस्त थे।
पुलिस ने सोनम कुशवाहा समेत सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। सोनम और राज कुशवाहा की लव स्टोरी अब सभी के सामने आ गई है। आइए आज हम आपको तीनों सुपारी किलर्स के बारे में बताते हैं।
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कौन हैं तीनों सुपारी किलर्स?सुपारी किलर्स की पहचान आनंद कुर्मी, आकाश राजपूत और विशाल सिंह चौहान के रूप में हुई है। तीनों मध्य प्रदेश के ही रहने वाले हैं। हालांकि, 23 वर्षीय आनंद को पुलिस ने मध्य प्रदेश के बीना, 19 साल के आकाश राजपूत को यूपी के ललितपुर और 22 वर्षीय विशाल सिंह चौहान को एमपी के इंदौर से गिरफ्तार किया गया है।
आनंद कुर्मी(23) को पुलिस ने एमपी के बीना से किया गिरफ्तार।
सोनम के साथ ही मेघालय गए तीनों आरोपीअधिकारियों के अनुसार, 16 मई को राज अपने बचपन के दोस्तों से मिला और राजा रघुवंशी का पूरा मर्डर प्लान किया। राजा ने अपने दोस्तों को पैसों का लालच दिया और 20 मई को मेघालय के लिए रवाना कर दिया।
आकाश राजपूत (19) को पुलिस ने यूपी के ललितपुर से किया गिरफ्तार।
सभी के संपर्क में था राज कुशवाहाराज कुशवाहा खुद मेघालय नहीं गया। हालांकि मेघालय पुलिस के अनुसार राज लगातार सोनम समेत तीनों आरोपियों के संपर्क में था। राजा को मारने की पूरी साजिश उसी ने रची थी। प्लानिंग के अनुसार, सोनम अपने पति राजा रघुवंशी को सुनसान जगह पर ले गई, जहां तीनों ने उसपर हमला बोल दिया।
विशाल सिंह चौहान (22) को पुलिस ने मध्य प्रदेश के इंदौर से किया गिरफ्तार।
वारदात के बाद ट्रेन से लौटे आरोपीघटना को अंजाम देने के बाद तीनों आरोपी ट्रेन से इंदौर वापस लौट आए। वहीं सोनम मेघालय से बस से बनारस आई और फिर बनारस से उसने गाजीपुर के लिए बस पकड़ी। 2 जून को राजा की लाश मेघालय की पहाड़ियों में मिली और 9 जून को सोनम ने दबाव में आकर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।
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देशभर में भयंकर गर्मी से लोगों का हाल बेहाल, कब मिलेगी राहत? IMD ने बताया अगले 4 दिन कैसा रहेगा मौसम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश भर में इन दिनों भयंकर गर्मी का प्रकोप जारी है। उत्तर भारत तो मानो बहुत जल रहा है, दिल्ली के तापमान की अगर बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी में कल तापमान 40 डिग्री के भी पार चला गया। राष्ट्रीय राजधानी के अधिकतर हिस्सों में पारा 43 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली के सफदरजंग वेधशाला में तापमान 43.3°C, पालम में 44.3°C, लोदी रोड में 43.3°C, रिज में 44.9°C और आयानगर में 45.3°C दर्ज किया गया।
दिल्ली NCR में कब होगी बारिश?वहीं IMD ने मौसम को लेकर लेटेस्ट अपडेट जारी किया है। दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर लू जैसी स्थिति रहने की संभावना है, साथ ही आसमान साफ रहेगा। आगे भी मौसम की यही स्थिति बनी रह सकती है।
राष्ट्रीय राजधानी में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है क्योंकि मौसम विभाग ने 11 जून को हल्की बारिश के साथ-साथ गरज के साथ छींटे और तेज हवाएं चलने की भविष्यवाणी की है जिससे मौसम गर्म और आर्द्र हो जाएगा।
तापमान में आ सकती गिरावटगुरुवार के बाद, आईएमडी ने रविवार, 15 जून तक लू जैसी स्थिति न होने की भविष्यवाणी की है। 13 से 15 जून के बीच तेज हवाएं और गरज के साथ बारिश के होने की संभावना है। मौसम विभाग ने इन दिनों अधिकतम तापमान के घटकर 37-41 डिग्री सेल्सियस पर आने की संभावना जताई है।
पंजाब और हरियाणा में ऑरेंज अलर्टवहीं मौसम विभाग के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा में भी हीटवेव को लेकर चार दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
उत्तर भारत के अलावा कई अन्य क्षेत्रों में भी आज भारी बारिश होने की संभावना है। इन क्षेत्रों में असम, मेघालय, तटीय और आंतरिक कर्नाटक, केरल और माहे, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा, ओडिशा, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल शामिल हैं।
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Nomadic Elephant 2025: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पहला सैन्य अभ्यास शुरू, चीन से सटे देश में ट्रेनिंग ले रहे जवान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और मंगोलिया के बीच 17वां संयुक्त सैन्य अभ्यास मंगोलिया की राजधानी उलान बतोर में चल रहा है। इस सैन्य अभ्यास को नोमैडिक एलीफेंट 2025 (Exercise NomadicElephant 2025) नाम दिया गया है।
इस अभ्यास में अर्द्ध-शहरी और पर्वतीय क्षेत्रों में गैर-पारंपरिक अभियान चलाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 31 मई से शुरू हुआ यह अभ्यास इस महीने की 13 तारीख तक चलेगा।
क्या है इस अभ्यास का उद्देश्यरक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं की कार्य क्षमता को बढाना है। इससे दोनों पक्षों को एक-दूसरे की आतंकवाद-रोधी अभियानों से जुड़ी कार्यशैली से परिचित होने का अवसर मिलेगा।
Exercise #NomadicElephant 2025
The 17th edition of the Joint Military Exercise #NomadicElephant 2025 between India and Mongolia is underway at the Special Forces Training Centre, Ulaanbaatar.
Focusing on non-conventional operations in semi-urban and mountainous terrain, the… pic.twitter.com/CQnfPSH23f
भारतीय सेना के 45 सैनिक इसमें भाग ले रहे हैं। वे मुख्य रूप से अरुणाचल स्काउट्स और पर्वतीय युद्ध के लिए प्रशिक्षित एक इकाई से हैं।
अभ्यास के दौरान सैनिक स्नाइपर शूटिंग, कमरे की सफाई, तथा पहाड़ और शहर जैसे क्षेत्रों में लड़ने जैसे कौशल का अभ्यास कर रहे हैं। गौरतलब है कि सैनिक ऐसी परिस्थितियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, जहां देश शांति बनाए रखने और संघर्ष क्षेत्रों में नागरिकों की मदद करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत मिलकर काम करते हैं।
मजबूत हो रहे भारत-मंगोलिया के रिश्तेप्रशिक्षण में के दौरान सैनिक बुनियादी साइबर युद्ध जागरूकता और पहाड़ियों और चट्टानों जैसे कठिन इलाकों में चढ़ाई या जीवित रहने के कौशल को सीख रहे हैं। बता दें कि भारत और मंगोलिया के बीच रिश्ते काफी मित्रतापूर्ण है। दोनों देशों में आपसी सम्मान बढ़ाने के लिए सैनिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है।
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