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Updated: 6 hours 50 min ago

भारत-पाक तनाव के बीच पीएम मोदी आज करेंगे CCPA और CCS बैठक, कैसे काम करती है यह समिति?

6 hours 52 min ago

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कैबिनेट की सबसे अहम समिति राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

यह समिति अक्सर "सुपर कैबिनेट" के नाम से भी जानी जाती है। इसके साथ ही पीएम मोदी एक बार फिर सीसीएस की बैठक भी आज यानी बुधवार को करेंगे। यह बैठक ऐसे वक्त पर हो रही है जब कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए पर्यटकों की दर्दनाक हत्या के बाद सुरक्षा हालात को लेकर लगातार उच्च-स्तरीय बैठकें हो रही हैं।

इससे पहले कैबिनेट की सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक हुई थी और अगली बैठक बुधवार को प्रस्तावित है। उस बैठक के बाद सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई गैर-सैन्य कदमों की घोषणा की थी, जिनमें सिंधु जल संधि पर रोक, अटारी बॉर्डर बंद करना और वीजा रद्द करना शामिल हैं।

सैन्य कार्रवाई के लिए खुली छूट, अब CCPA बैठक से उम्मीदें

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के साथ एक अहम बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को "कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी आज़ादी" दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक के बाद CCPA की आज की मीटिंग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

गौरतलब है कि 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी CCPA की बैठक हुई थी, जिसमें पाकिस्तान को दिया गया "मोस्ट फेवर्ड नेशन" (MFN) का दर्जा वापस लेने का फैसला किया गया था। इसके बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी।

CCPA की भूमिका क्या होती है?

राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) देश के राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों की समीक्षा करती है और इन पर निर्णय लेती है। जब केंद्र और राज्यों के बीच आपसी सहमति बनाने की जरूरत होती है, तब CCPA की भूमिका बेहद अहम होती है।

यह समिति उन आर्थिक नीतियों और आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी बातों पर भी विचार करती है जिनका सीधा राजनीतिक असर होता है। इसके अलावा मंत्रालयों के बीच तालमेल बनाने और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर भी CCPA विचार करती है, खासकर जब उनका देश की राजनीति पर असर हो सकता है।

CCPA में कौन-कौन हैं शामिल?

इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू, एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी, शिपिंग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी शामिल हैं। इसके अलावा सहयोगी दलों के कुछ कैबिनेट मंत्रियों को भी इस समिति में जगह दी गई है।

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पाकिस्तान पर प्रहार के लिए सेनाओं को खुली छूट, हाई लेवल मीटिंग में बोले PM मोदी-आतंकवाद को करारा जवाब देना राष्ट्रीय संकल्प

8 hours 29 min ago

संजय मिश्र, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद आतंकवाद के सरगना पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कारवाई के लिए भारत की तीनों सेनाओं को खुली छूट दे दी है।

पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की नृशंस हत्या के बाद देश में उपजे आक्रोश के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस तथा तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ हुई शीर्षस्थ बैठक में मोदी ने सैन्य बलों को किसी भी तरह की कार्रवाई करने की हरी झंडी दे दी। भारतीय सेना अब कार्रवाई का समय और टारगेट अपने हिसाब से तय करेगी।

सरकार को सेना की क्षमता पर पूरा भरोसा: पीएम मोदी 

केंद्र सरकार के सूत्रों ने बैठक के बाद बताया कि प्रधानमंत्री ने इस उच्चस्तरीय रणनीतिक बैठक में देश की सेनाओं की सामरिक क्षमता में संपूर्ण भरोसा जताते हुए कहा कि आतंकवाद को करारा जवाब देना हमारा दृढ़ राष्ट्रीय संकल्प है।

सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले के परिप्रेक्ष्य में कार्रवाई किए जाने के विकल्पों पर सैन्य नेतृत्व से चर्चा करते हुए कहा कि हमारी जवाबी कार्रवाई का तरीका क्या हो, इसके टार्गेट्स कौनसे हों और इसका समय क्या हो, इस प्रकार के ऑपरेशनल निर्णय लेने के लिए सैन्य बलों को खुली छूट है।

पाकिस्तान पर सख्त सैन्य कार्रवाई की उलटी गिनती शुरू

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रक्षामंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह तथा नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी मौजूद थे। अब संदेह नहीं कि पाकिस्तान पर सख्त सैन्य कार्रवाई की उलटी गिनती शुरू हो गई है।

सैन्य बलों को सामरिक कार्रवाई की हरी झंडी देने के साथ ही इस बैठक में पीएम ने जम्मू-कश्मीर समेत देश की सीमाओं की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने आतंकवादी संगठनों तथा उसके सरपरस्त पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जाने वाले सामरिक-रणनीतिक विकल्पों पर गंभीर मंत्रणा की। ध्यान रहे कि बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के साथ-साथ कैबिनेट पर सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक भी होनी है।

जल्द हो सकती है कार्रवाई 

इससे भी अटकलें तेज हो गई है कि कार्रवाई जल्द हो सकती है। पहलगाम हमले के बाद सीसीएस की यह दूसरी बैठक होगी। महत्वपूर्ण यह भी है कि इन दोनों बैठकों के साथ ही कैबिनेट की राजनीतिक मामलों और आर्थिक मामलों की समिति की भी अलग-अलग बैठकें बुलाई गई है।

सीसीएस के साथ सीसीपीए और सीसीई यानि कैबिनेट की तीन सबसे प्रमुख समितियों की एक ही दिन बैठक बुलाया जाना साफ इशारा कर रहा है कि सरकार बड़े निर्णायक कदम उठाने से पहले सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर अपनी तैयारियों को चाक-चौबंद करने में जुटी है। सीसीपीए की बैठक में पहलगाम हमले पर संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर भी फैसला लिया जा सकता है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में सीधे-सीधे पाकिस्तान की भूमिका है इसमें दुनिया को भी कोई संदेह नहीं रह गया।पहलगाम आतंकी हमले को देखते हुए भारत की सैन्य कार्रवाई की आशंका से परेशान पाकिस्तानी रक्षामंत्री ने तीन दिन पहले खुद ही स्वीकार किया था कि अमेरिका और पश्चिम के लिए आतंकवाद को पोषित करने का गंदा काम वह कई दशकों से कर रहा है।

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आतंक पर कड़े प्रहार की तैयारी, UNSC सदस्यों को साधने में लगा भारत; जयशंकर ने 7 देशों के मंत्रियों से की बात

11 hours 39 min ago

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैन्य बलों को पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकियों पर कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है, तो दूसरी तरफ भारत ने वैश्विक समुदाय को अपनी बात समझाने की पहल भी तेज कर दी है।

इस क्रम में मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सात अस्थायी सदस्यों से टेलीफोन पर बात। ये देश हैं गुयाना, ग्रीस, स्लोवेनिया, पनामा, सोमालिया, सिएरा लियोन और अल्जीरिया। पाकिस्तान भी अभी यूएनएससी के दस अस्थायी सदस्यों में शामिल है और उम्मीद है कि भारत की तरफ से आतंकियों पर किसी तरह के सैन्य कार्रवाई होने की स्थिति में वह भारत के विरुद्ध प्रस्ताव ला सकता है।

अस्थायी सदस्य देशों के साथ भारतीय विदेश मंत्री के संपर्क को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। उक्त देशों के अलावा दक्षिण कोरिया, डेनमार्क और सिएला लियोन भी यूएनएससी के अस्थायी सदस्य हैं। जिस दिन आतंकियों ने पहलगाम में हमला (22 अप्रैल) किया था, भारत उसी दिन से वैश्विक समुदाय के बीच अपनी बात रखा रहा है। पहले दो दिनों के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बात की थी, जबकि विदेश मंत्री जयशंकर ने भी तकरीबन 25 देशों के विदेश मंत्रियों से अलग-अलग बात की है।

कई देशों के साथ भारत की पारंपरिक रणनीतिक साझेदारी

यूएनएससी के जिन अस्थायी सदस्यों के साथ जयशंकर की बात हुई है उनमें कई देशों के साथ भारत की पारंपरिक रणनीतिक साझेदारी है। ग्रीस के विदेश मंत्री जार्ज गेरापेट्रीटिस से वार्ता के बाद जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले पर बात हुई है। ग्रीन सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा रुख रखता है जिसका हम स्वागत करते हैं। हमारे संबंधों की गहराई में हमारी रणनीतिक साझेदारी दिखती है।

अल्जीरिया के विदेश मंत्री अहमद अताफ से वार्ता के बाद जयशंकर ने लिखा कि पहलगाम पर समर्थन के लिए उनका धन्यवाद। हम अपनी साझेदारी को लेकर दृढ़ हैं और उनका हम जल्द ही भारत में स्वागत करेंगे। इसी तरह से गुयाना के साथ भी भारत के काफी करीबी संबंध हैं।

पिछले साल पीएम मोदी ने की थी गुयाना

नवंबर, 2024 में ही प्रधानमंत्री मोदी ने गुयाना की यात्रा की थी। गुयाना के भारत में राजदूत धीरज कुमार सीराज ने कहा है कि हर देश के पास अपने नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है। स्लोवेनिया ऐसा देश है जो यूएनएससी में भारत को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन करता है। भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की स्थिति में इन सभी देशों की अहम भूमिका होगी।

उधर, पाकिस्तान की तरफ से भी दुनिया के कई देशों के साथ संपर्क किया जा रहा है। विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने मंगलवार को बहरीन, कुवैत और हंगरी के विदेश मंत्रियों से बात की। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सीजार्टो ने इसके बाद कहा कि हंगरी बढ़ते आतंकवाद से चिंतित है, लेकिन दो परमाणु संपन्न देशों के बीच लड़ाई यह दुनिया बर्दाश्त नहीं कर सकती। जाहिर है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री की तरफ से जिन देशों से बात हो रही है उन्हें परमाणु युद्ध के खतरे के बारे में बताया जा रहा है।

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पहलगाम हमले को लेकर कांग्रेस ने अपने नेताओं की दी नसीहत, बोली- गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचें

11 hours 56 min ago

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सियासी और सामाजिक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ऐसे संवेदनशील मौके पर कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं और पदाधिकारियों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। पार्टी की ओर से यह कदम उठाया गया है ताकि किसी भी तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचा जा सके और एकजुटता के साथ पार्टी की आधिकारिक पोजिशन पेश की जा सके।

कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल की ओर से इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पार्टी के सभी पदाधिकारी अनुशासन का पूरा पालन करें और सार्वजनिक बयानबाजी में एकरूपता बरतें।

बयान सिर्फ आधिकारिक रुख के मुताबिक हो

सर्कुलर में साफ तौर पर कहा गया है कि पार्टी की तरफ से बयान देने के लिए केवल अधिकृत व्यक्ति ही आगे आएं और वे भी केवल कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) द्वारा 24 अप्रैल 2025 को पारित प्रस्ताव में दर्ज पार्टी के रुख तक ही सीमित रहें।

कांग्रेस ने चेताया है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और इसमें किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। पार्टी ने अपने सभी नेताओं को याद दिलाया है कि ऐसे नाजुक मौकों पर संयम और शालीनता बनाए रखना जरूरी है, जो कि कांग्रेस की पुरानी परंपरा और उसूलों का हिस्सा है।

संयम और जिम्मेदारी जरूरी: कांग्रेस

सर्कुलर में आगे कहा गया है, "आइए हम कांग्रेस पार्टी के मूल्यों और रवायतों को ध्यान में रखते हुए एकजुट होकर देश के सामने गरिमा और समझदारी का परिचय दें, जिसकी अपेक्षा इस वक़्त मुल्क को हमसे है।"

गौरतलब है कि इस तरह की हिदायतें ऐसे समय में दी गई हैं जब आतंकवाद को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो जाती है, जिससे भ्रम और सियासी तनाव बढ़ सकता है। कांग्रेस का यह कदम जिम्मेदार राजनीतिक व्यवहार को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है।

(एएनआई इनपुट के साथ)

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माता या पिता की ईमानदारी बच्चे की कस्टडी तय करने का आधार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

12 hours 39 min ago

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अलग-अलग रह रहे माता-पिता के बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर कानूनी लड़ाई में बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करना सर्वोपरि है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि बच्चे की कस्टडी के मामलों में, सर्वोपरि ध्यान बच्चे के कल्याण पर होना चाहिए। माता या पिता का सबसे उच्च दर्जे की ईमानदारी, प्रेम और स्नेह दिखाना, बच्चे की कस्टडी तय करने का आधार नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी केरल हाई कोर्ट के 11 दिसंबर 2024 को दिए गए आदेश को खारिज करते हुए आई है। हाई कोर्ट ने हर माह 15 दिन के लिए दो नाबालिग बच्चों की अंतरिम कस्टडी पिता को सौंपी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे बच्चों की भलाई के लिए हानिकारक और अव्यवहारिक बताया।

जानिए क्या है पूरा मामला? 

सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला हाई कोर्ट के आदेश को मां द्वारा चुनौती देने पर आया। अदालत पहुंचे इस जोड़े की शादी 2014 में हुई 2016 में एक लड़की का जन्म हुआ। मनमुटाव के चलते 2017 से दोनों अलग रहने लगे, लेकिन 2021 में हुई छोटी सुलह के बाद 2022 में एक लड़के के रूप में दूसरे बच्चे का जन्म हुआ। पिता ने 2024 में तिरुवनंतपुरम के एक पारिवारिक न्यायालय में बच्चे की कस्टडी की मांग की। अदालत ने पिता को सीमित मुलाकात का अधिकार दिया। बाद में हाई कोर्ट ने 15 दिनों के लिए इस शर्त पर कस्टडी दी कि एक फ्लैट किराये पर ले, आया रखे और बच्चों के लिए परिवहन का इंतजाम करे।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया HC का आदेश

इस आदेश को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि बच्चों की शारीरिक-मानसिक भलाई के लिए अंतरिम व्यवस्था ना तो संभव है और ना ही अनुकूल। इसमें बच्चों के विकास से जुड़ी जरूरतों, विशेषरूप से स्थायित्व, पोषण और भावनात्मक सुरक्षा पर ध्यान देने में अदालत विफल रही। हालांकि, हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि पिता भी बहुत प्रेम करने वाला है जिसने बच्चों को बड़ा करने में बराबरी और असरदार भूमिका निभाने की इच्छा दिखाई। इसलिए उसे कस्टडी नहीं देना न तो स्वीकार्य है और न ही न्यायोचित और यह परिवार को जोड़ने की सभी संभावनाएं खत्म कर सकता है।

पीठ ने कहा हर दूसरे शनिवार और रविवार को पिता के पास बेटी की कस्टडी होगी और इन दिनों वह एक काउंसलर की मौजूदगी में बेटे से भी चार घंटे के लिए मिल सकता है। पिता हर मंगलवार और गुरुवार को 15 मिनट के लिए बेटे से वीडियो काल में बात कर सकता है।

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अफजल गुरु की तारीफ करने वालों के खिलाफ दर्ज FIR नहीं होगी रद, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

April 29, 2025 - 11:50pm

पीटीआई, नई दिल्ली। संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की प्रशंसा करने, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कपड़ों पर टिप्पणी करने और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्टों के जजों के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोपित तमिलनाडु तौहीद जमात के दो सदस्यों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने रद करने से इनकार कर दिया है।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अपने 22 अप्रैल के फैसले में तौहीद जमात के दो सदस्यों के विरुद्ध कर्नाटक और तमिलनाडु में दर्ज तीन प्राथमिकियों को एक साथ संलग्न कर दिया। साथ ही कहा कि रहमतुल्ला और जमाल मोहम्मद ने 17 मार्च, 2022 को मदुरै में एक विरोध रैली में बेहद आपत्तिजनक नफरत भरे भाषण दिए थे।

पीठ ने आरोपी का भाषा को बताया आपत्तिजनक

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा भाषणों में इस्तेमाल की गई भाषा बेहद आपत्तिजनक है और कथित अपराधों का ब्योरा उजागर करती है। इसलिए इस अदालत के लिए प्राथमिकियों को रद करने के संबंध में संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत रिट अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने की गुंजाइश नहीं है।

पीठ ने कर्नाटक के बेंगलुरु और तमिलनाडु के तंजावुर व मदुरै में दोनों के विरुद्ध दर्ज कई प्राथमिकियों में कही गई बातों पर गौर किया। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने भारतीय संसद पर हमले के मास्टरमाइंड आतंकी अफजल गुरु की प्रशंसा की। उन्होंने अयोध्या राम मंदिर के फैसले के विरुद्ध भी टिप्पणी की; उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के परिधान; ईसाइयों के त्योहार; हिंदुओं द्वारा अपने शरीर पर भस्म लगाने की प्रथा; सिखों द्वारा अपने साथ कृपाण रखने की धार्मिक प्रथा और इसे मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब से जोड़ने का प्रयास किया।

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले की निंदा का आरोप

पीठ ने कहा कि दोनों ने हिजाब मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले की भी निंदा की। शीर्ष अदालत ने कहा कि 'नफरती भाषण' के आधार पर मदुरै शहर के थल्लाकुलम थाने में तैनात एक उपनिरीक्षक ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद 18 मार्च, 2022 को दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, किसी समुदाय को दूसरे समूह के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाने और अन्य अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई। इसी दिन तंजावुर में भी इसी तरह की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एक वकील की शिकायत पर 19 मार्च, 2022 को विधानसौध थाना, बेंगलुरु में एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तमिलनाडु तौहीद जमात के दोनों सदस्यों ने तमिलनाडु की दोनों प्राथमिकियों को एक साथ संलग्न करने और बेंगलुरु की प्राथमिकी को रद करने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

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तेलंगाना में विस्फोटक फैक्ट्री में जोरदार धमाका, 3 की मौत; 3 जख्मी

April 29, 2025 - 11:45pm

पीटीआई, हैदराबाद। तेलंगाना के यादाद्री-भुवनगिरी जिले में मंगलवार शाम एक विस्फोटक निर्माण फैक्ट्री में जबरदस्त धमाका हुआ, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य जख्मी हो गए। पुलिस ने जानकारी दी कि यह धमाका उस यूनिट में हुआ जहां प्रोपेलेंट (धमाकेदार पदार्थ) तैयार किया जाता है।

धमाके के कारणों की जांच जारी 

धमाका किस वजह से हुआ, यह फिलहाल साफ नहीं हो पाया है। पुलिस ने बताया कि हादसे के वक़्त फैक्ट्री में काम चल रहा था और धमाके की आवाज दूर तक सुनाई दी। इस घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई और फैक्ट्री के आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई।

STORY | 3 killed in blast in explosives factory in Telangana

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— Press Trust of India (@PTI_News) April 29, 2025

घायलों का इलाज जारी

घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। पुलिस ने कहा कि ज़रूरी कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है और हादसे की वजह जानने के लिए तहकीकात की जा रही है।

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Pahalgam Attack: UN महासचिव ने विदेश मंत्री जयशंकर को लगाया फोन, जानिए दोनों के बीच क्या हुई बात

April 29, 2025 - 11:40pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीत तनाव का माहौल है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को फोन किया। इस बात की जानकारी एक पोस्ट के माध्यम से खुद जयशंकर ने दी है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक पोस्ट में बताया कि यूएन के महासचिव की कॉल आई। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की उनकी स्पष्ट निंदा की सराहना करता हूं। जवाबदेही के महत्व पर सहमत हूं। भारत इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि इस हमले के अपराधियों, योजनाकारों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।

UAE के उप प्रधानमंत्री ने भी किया फोन

वहीं, एक अन्य पोस्ट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लिखा कि यूएई के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के साथ बातचीत की बहुत सराहना करता हूं। आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की आवश्यकता पर चर्चा की।

संयुक्त राष्ट्र ने जारी किया बयान

यूएन द्वारा जारी एक बयान में बताया कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मुहम्मद शहबाज शरीफ और भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर से अलग-अलग टेलीफोन पर बात की। महासचिव ने जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। महासचिव ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और ऐसे टकराव से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके दुखद परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने तनाव कम करने के प्रयासों में सहयोग देने के लिए अपना सहयोग देने की पेशकश की।

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पीएम मोदी से मिले मोहन भागवत, PM आवास में करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक

April 29, 2025 - 11:11pm

एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके आवास सात, लोक कल्याण मार्ग में मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। सूत्रों का कहना है कि यह बैठक पहलगाम आतंकी हमले को लेकर थी।

सत्ताधारी भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक और समूचे देश में स्वयंसेवकों के विशाल संगठन वाले आरएसएस के मुखिया के साथ यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भागवत ने नरेन्द्र मोदी के आधिकारिक निवास पर बेहद ही कम मौकों पर मुलाकात की है।

आतंकी हमले पर क्या बोला संघ?

संघ ने इस आतंकी हमले की ¨नदा करते हुए कहा था कि यह भारत की एकता और अखंडता पर हमला है और इसके पीछे के सभी लोगों को कठोर सजा दी जाए। आरएसएस ने कहा था,"सभी राजनीतिक दलों और संघों को अपने मतभेद भुलाकर इस आतंकी हमले की ¨नदा करनी चाहिए। सरकार इस हमले में पीड़ित सभी परिवारों को आवश्यक राहत प्रदान करे और इस हमले के जिम्मेदार लोगों को उचित सजा देना सुनिश्चित करे।"

 मोहन भागवत से मुलाकात करने से पहले पीएम आवास में हाई लेवल मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजीत डोभाल और CDS जनरल अनिल चौहान और थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी मौजूद थे।

मीटिंग में पीएम मे कहा कि सरकार को भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है। वहीं, अटैक का तरीका और समय सेना तय करे। पीएम मोदी ने आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए सेना को खुली छूट दी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद को करारा झटका देना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास और भरोसा जताया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें (भारतीय सेना) हमारी प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय पर निर्णय लेने की पूरी परिचालन स्वतंत्रता है।

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Mother Dairy ने बढ़ाए दूध के दाम, कल से दो रुपए प्रति लीटर बढ़ जाएगी कीमत

April 29, 2025 - 10:52pm

जागरण संवदादाता, नई दिल्ली: मदर डेयरी ने बुधवार से दूध की कीमतों में प्रति लीटर दो रुपये तक की बढ़ोतरी करने की घोषणा की है। यह निर्णय बढ़ती इनपुट लागत की भरपाई के लिए लिया गया है। नई दरें 30 अप्रैल 2025 से दिल्ली-एनसीआर सहित सभी बाजारों में लागू होंगी।

मदर डेयरी के एक अधिकारी ने बताया, पिछले कुछ महीनों में दुग्ध उत्पादकों से दूध की खरीद कीमतों में चार से पांच रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। गर्मी की जल्द शुरुआत और लू जैसी स्थितियों के कारण इन लागतों में तेजी आई है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में मदर डेयरी प्रतिदिन लगभग 35 लाख लीटर दूध की बिक्री करती है, जो इसके अपने बूथों, सामान्य व्यापार और ई-कामर्स प्लेटफार्म्स के माध्यम से होती है।

अधिकारी ने कहा, हम उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त दूध की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने और किसानों की आजीविका को समर्थन देने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। यह मूल्य संशोधन बढ़ी हुई लागत का केवल आंशिक भार उपभोक्ताओं पर डालता है, ताकि किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों का संतुलन बना रहे। उल्लेखनीय है कि यह मूल्य वृद्धि ऐसे समय में की गई है जब गर्मी ने समय से पहले दस्तक दी है और दूध उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

नई दरें इस प्रकार होंगी:
  • टोंड दूध (बुल्क वेंडेड): 54 रुपये से बढ़ाकर 56 रुपये प्रति लीटर
  • फुल क्रीम दूध (पाउच): 68 रुपये से बढ़ाकर 69 रुपये प्रति लीटर
  • टोंड दूध (पाउच): 56 रुपये से बढ़ाकर 57 रुपये प्रति लीटर
  • डबल टोंड दूध: 49 रुपये से बढ़ाकर 51 रुपये प्रति लीटर
  • गाय का दूध: 57 रुपये से बढ़ाकर 59 रुपये प्रति लीटर

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पहलगाम हमले के बाद पाक की नापाक हरकत, अब छेड़ा हाइब्रिड वारफेयर; भारत ने नाकाम किए 4 अटैक

April 29, 2025 - 5:30pm

एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव है। इस बीच पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान एलओसी पर बार बार फायरिंग कर भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, भारतीय सेना पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रही है।

अब खबर है कि पाकिस्तान स्थित साइबर आतंकवादी एक बार फिर भारतीय साइबर संप्रभुता का उल्लंघन करने की कोशिश की है। हालांकि, भारतीय सेना की मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

कई वेबसाइट हैक करने की कोशिश

जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में स्थित साइबर ग्रुप 'IOK' (Internet Of Khalifa) ने भारतीय सेना से जुड़ी कुछ वेबसाइट्स को निशाना बनाने की कोशिश की थी। जैसे ही इस बात की भनक भारत को लगी, इस घुसपैठ के बारे में पता लगाया गया, जिसकी लोकेशन पाकिस्तान में मिली।

बता दें कि पाकिस्तान की ओर से आर्मी स्कूल श्रीनगर और रानीखेत की वेबसाइट्स, आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गेनइजेशन का डाटाबेस और भारतीय वायुसेना के प्लेसमेंट पोर्टल पर साइबर हमला करने की कोशिश की गई थी। माना जा रहा है कि हैकर्स का उद्देश्य था कि इन वेबसाइट्स को डिफेस किया जाए और सेवाओं को बाधित करने के साथ जानकारी चुराई जाए।

पाकिस्तान की मंशा उजागर

ध्यान देने वाली बात है कि ये निराशाजनक प्रयास दुश्मन की मंशा और उसकी सीमाओं को उजागर करते हैं। बता दें कि भारतीय सेना अपने डिजिटल स्पेस की रक्षा करने, अपनी साइबर स्थिति को लगातार बेहतर बनाने और सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण की रक्षा करने में दृढ़ है।

एलओसी पर गोलीबारी कर रहा पाकिस्तान

जानकारी दें कि भारतीय सेना ने 28-29 अप्रैल की रात को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार कुपवाड़ा और बारामूला जिलों के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर के अखनूर सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया।

इस संबंध में भारतीय सेना ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना द्वारा बिना उकसावे के छोटे हथियारों से की गई गोलीबारी का तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाब दिया। 25-26 की रात को पाकिस्तानी सेना द्वारा बिना उकसावे के छोटे हथियारों से की गई गोलीबारी के बाद से भारत के बीच प्रभावी संबंधों का यह लगातार पांचवां दिन है।

बता दें कि 22 अप्रैल को फलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने के बावजूद नियंत्रण रेखा पर तनाव बरकरार है।

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पीएम के ट्रिपल टी फार्मूले से कैसे बदलेगा भारत का भविष्य? 'युग्म' सम्मेलन में मोदी ने खुद बताया

April 29, 2025 - 5:12pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर ही निर्भर होता है। इसलिए जरूरी है कि हम उनके भविष्य के लिए और देश के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें तैयार करें।

इनमें सबसे बड़ी भूमिका देश की शिक्षा व्यवस्था की होती है, इसीलिए देश की शिक्षा व्यवस्था को हम 21वीं सदी की जरूरत के मुताबिक आधुनिक बना रहे है।

युवाओं को इनोवेशन से जोड़ा जा रहा 

युवाओं को बचपन से तकनीक व इनोवेशन से जोड़ा जा रहा है। प्रतिभा (टैलेंट), तेवर (टेंपरामेंट) व तकनीक (टेक्नालॉजी) का यह जुड़ाव भारत के भविष्य को बदलेगा। पीएम मोदी ने मंगलवार को भारत मंडपम में आयोजित पहले नवाचार ( इनोवेशन ) सम्मेलन ‘युग्म’ को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।

बायो साइंस के क्षेत्र में 14 सौ करोड़ के करार 

सम्मेलन में शिक्षा, उद्योग और इनोवेशन से जुड़े लोग शामिल थे। इस मौके पर वाधवानी फाउंडेशन ने पीएम मोदी की मौजदूगी में आइआइटी बांबे, आइआइटी कानपुर और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन ( एनआरएफ) के साथ मिलकर एआई, इंटेलीजेंस सिस्टम व बायो साइंस के क्षेत्र में 14 सौ करोड़ के करार किए है।

पीएम मोदी ने इस मौके पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद शिक्षा के क्षेत्र में आए बदलावों की जिक्र किया व कहा कि बच्चों में अब स्कूली स्तर पर ही शोध और इनोवेशन के बीज रोपे जा रहे है। अटल टिंकरिंग लैब ( एटीएल) के जरिए वे अपने सपनों को नई उड़ान दे रहे है।

पेटेंट के क्षेत्र में रफ्तार बढ़ी 

पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने जिन लक्ष्यों को तय किया है उसे निरंतर गति देने के लिए देश के रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूती देना आवश्यक है। पिछले एक दशक में इस दिशा में काफी तेजी से काम हुआ है। 2013-14 में शोध और इनोवेशन पर जहां खर्च सिर्फ 60 हजार करोड़ था, हमने इसे दोगुना से ज्यादा बढ़ाकर सवा लाख करोड़ से ऊपर कर दिया है।

पेटेंट के क्षेत्र में रफ्तार बढ़ी है, वर्ष 2014 में जहां 40 हजार पेटेंट फाइल हुई थे, वहीं अब ये संख्या 80 हजार से अधिक हो गई है।

हमारे पास समय कम है व लक्ष्य बड़ेः मोदी

मोदी ने कहा कि विकसित भारत के लिए हमारे पास समय कम है व लक्ष्य बड़े है। ऐसे में जरूरी है कि प्रोटोटाइप से प्रोडक्ट तक की यात्रा कम समय में पूरी हो। जब हम इस दूरी को कम देंगे तो शोध का लाभ लोगों तक तेजी से पहुंचने लगता है। 

शोध के इकोसिस्टम को मजबूती देने के लिए जरूरी है कि शैक्षिक संस्थान, निवेशक, उद्योग जगत के लोग शोधार्थियों की मदद करें। उन्हें गाइड करें। सम्मेलन को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेद्र सिंह व वाधवानी फाउंडेशन के रोमेश वाधवानी ने भी संबोधित किया।

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पाकिस्तान के खिलाफ सैनिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों मोर्चों पर कार्रवाई की जरूरत

April 29, 2025 - 4:55pm

 नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।

आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान की हालत मौजूदा समय में हर मोर्चे पर चरमराई हुई है। वह आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और आंतरिक अशांति का सामना कर रहा है। आईएमएफ के बेलआउट पैकेज के भरोसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रोज हिचकोले खा रही है। सेना-राजनीति के बीच टकराव अपने चरम पर है तो लगातार बढ़ती चरमपंथी हिंसा उसकी हालत और कमजोर कर रही है। ऐसे में बर्बादी के कगार पर खड़े पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने के लिए भारत पुरजोर कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान पर लगाए भारत के प्रतिबंध ने पहले ही उसकी पेशानी पर बल ला दिए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या इस कमजोरी का रणनीतिक फायदा उठाया जाए- जैसे सीमित सैन्य कार्रवाई करना या वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर दबाव बनाना? या फिर संयम बरतते हुए पाकिस्तान के और कमजोर होने का इंतजार करना?

सैन्य और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के लिए सबसे अच्छा तरीका होगा कि वह दोनों रास्तों का सही संतुलन बनाए। फिलहाल भारत को संयम रखते हुए दूसरे देशों के साथ अपनी दोस्ती मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और दुनिया भर में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन साथ ही भारत को इसके लिए भी तैयार रहना चाहिए कि अगर पाकिस्तान कोई बड़ा उकसावा करे तो उसे जवाब दिया जा सके। यह संतुलित तरीका भारत को अपने लक्ष्य पाने में मदद करेगा और बिना बड़ी लड़ाई के क्षेत्र में शांति बनी रहेगी।

इस समय पाकिस्तान की गड़बड़ी फैलाने वाली गतिविधियों का जवाब कूटनीति और गुप्त तरीकों से देना चाहिए और सेना को केवल अंतिम विकल्प के रूप में तैयार रखना चाहिए। पहलगाम हमले के बाद काबुल में भारत के संयुक्त सचिव और तालिबान के विदेश मंत्री के बीच हुई बैठक से भारत ने अफगानिस्तान में अपनी वापसी का मजबूत संकेत दिया है। भारत अब अफगानिस्तान के साथ व्यापार और सहायता के जरिए अपने संबंध मजबूत कर रहा है, खासकर ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए। तालिबान भी भारत को अहम साथी मानने लगा है। इससे पाकिस्तान की "स्ट्रेटेजिक डेप्थ" नीति को झटका लगा है, जो वह अफगानिस्तान पर पकड़ बनाए रखने के लिए अपनाता रहा है।

युद्ध के मामले में चीन के सुन जू की रणनीति काफी अहम मानी जाती है। सुन जू एक सैन्य रणनीतिकार, विचारक और जनरल थे। उनकी किताब द आर्ट ऑफ वॉर रणनीति पर दुनिया की प्रसिद्ध पुस्तकों में एक है, जिसे न केवल युद्धनीति में, बल्कि राजनीति, व्यापार और कूटनीति में भी उपयोग किया जाता है। किताब में सुन जू ने बल प्रयोग को अंतिम विकल्प बताया है। उनका कहना था कि असली जीत वह है जो बिना युद्ध के हासिल की जाए। सुन जू का जोर था कि शत्रु को उसकी आंतरिक कमजोरियों से हराना सबसे उच्च कोटि की विजय है।

लेफ्टिनेंट कर्नल रामचंद्रन कहते हैं कि मैं बीते बीस वर्षों से आतंकवादियों की रणनीति को बारीकी से देखता आ रहा हूं। शुरुआत में हम अधिकतर उन आतंकवादियों का मुकाबला करते थे जो सीमा पार से आते थे, और स्थानीय आतंकियों को खास समर्थन नहीं मिलता था। लेकिन अब स्थिति यह है कि विदेशी भाड़े के आतंकियों के साथ-साथ स्थानीय आतंकियों की संख्या भी बराबर हो चुकी है। वर्तमान परिदृश्य में आतंकवादी सुरक्षा बलों की तुलना में आम नागरिकों को अधिक निशाना बना रहे हैं, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर सकें। चाहे वह पहलगाम में पर्यटकों पर हमला हो या शोपियां में बिहारी मजदूरों पर, उनका उद्देश्य है कि भारतीय जनता को कश्मीर आने से डराया जाए। यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की एक साजिश है जिससे कश्मीर में अशांति बनी रहे। वह कहते हैं कि कश्मीर में स्थानीय समर्थन के बिना कोई भी आतंकी गतिविधि नहीं हो सकती। मेरे अनुभव के अनुसार, इस स्थान (पहलगाम) की घटना से पहले अच्छी तरह से रेकी की गई थी। यह एक सुनियोजित घटना थी। आतंकियों को भागने का रास्ता पहले से मालूम था। इसमें स्थानीय मददगारों की भूमिका जरूर रही होगी। संभव है कि आतंकी इन दिनों में किसी स्थानीय निवासी के घर में ही ठहरे हों।

रामचंद्रन कहते हैं कि हमें पाकिस्तान को सभी दिशाओं से कमजोर करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनानी चाहिए। इसमें सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ कूटनीतिक नीति की भी जरूरत है। हमारी सरकार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने में सफल रही है और उन्हें पश्चिमी देशों से बहुत कम समर्थन मिल रहा है। अब दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तान एक "रॉग-स्टेट" है। उन्हें अगर कहीं से कोई सहारा मिलेगा, तो वह शायद चीन से होगा – वो भी सैन्य नहीं, केवल राजनीतिक या आर्थिक। पहले ही वे कर्ज लेकर देश चला रहे हैं। यही वह समय है जब उनकी अर्थव्यवस्था को तोड़ा जा सकता है। मेरा मानना है कि सिंधु जल समझौते (Sindh Water Treaty) को समाप्त करना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। आर्थिक दबाव डालकर उनकी सैन्य ताकत को खत्म किया जा सकता है।

पार्ले पॉलिसी इनिशिएटिव, दक्षिण कोरिया के विशेष सलाहकार (दक्षिण एशिया) के नीरज सिंह मनहास कहते हैं कि आज जब पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुका है, भारत के सामने दो विकल्प हैं – एक, सीमित रूप से सक्रिय रहकर (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक या कूटनीतिक दबाव बनाकर) पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना। दूसरा शांत बैठकर इंतज़ार करना, यानी रणनीतिक धैर्य अपनाना।

सीमित सक्रियता के तहत भारत "कोल्ड स्टार्ट" सिद्धांत को अपनाते हुए छोटे स्तर की सैन्य कार्रवाई कर सकता है ताकि युद्ध न हो लेकिन पाकिस्तान पर दबाव बना रहे। दूसरी ओर, यदि भारत बस शांत बैठा रहता है, तो पाकिस्तान अपनी आंतरिक कमजोरियों से और अधिक टूट सकता है। लेकिन बहुत ज़्यादा इंतज़ार करने पर पाकिस्तान को मौका मिल सकता है कि वह अपनी ताकत फिर से जुटा ले या नए दोस्त बना ले।

सिंधु नदी का पानी रोकना पाकिस्तान पर बड़ी चोट

लेफ्टिनेंट कर्नल रामचंद्रन मानते हैं कि यह एक बड़ी कूटनीतिक चोट है जिसकी पाकिस्तान ने शायद कल्पना भी नहीं की होगी। यह संधि दो बड़े युद्धों और कारगिल तक के दौरान भी बनी रही थी। यह बात सही है कि हमारे पास सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पूरे जल को संग्रह करने के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना नहीं है, लेकिन यदि हम बुवाई के समय पानी रोक दें और कटाई के समय छोड़ें, तो यह उनकी पारिस्थितिकी व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। पाकिस्तान को केवल चुभन नहीं, बल्कि तीव्र पीड़ा का अनुभव होगा।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश

ए.एम.जैन कॉलेज, चेन्नई के डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के हेड गौरव पांडेय कहते हैं कि भारत के लिए दोनों रणनीतियों का संतुलित उपयोग सबसे प्रभावी साबित हो सकता है। मौजूदा हालात में भारत को रणनीतिक धैर्य का परिचय देते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की दिशा में पहल करनी चाहिए। इसके तहत मित्र देशों के साथ साझेदारी मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को गति देने और वैश्विक कूटनीतिक अभियानों को तेज करने पर जोर देना होगा।

इसके समानांतर, भारत को सीमित और सटीक प्रतिक्रिया देने का विकल्प भी बनाए रखना चाहिए ताकि पाकिस्तान को तनाव बढ़ाने की कीमत का स्पष्ट संदेश दिया जा सके। इस संतुलित नीति के जरिए भारत अपने दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों को साधते हुए क्षेत्रीय स्थिरता और शक्ति संतुलन बनाए रखने में सफल हो सकता है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत की प्राथमिकता पाकिस्तान की अस्थिरता फैलाने वाली गतिविधियों का लक्षित कूटनीतिक प्रयासों और गुप्त अभियानों के माध्यम से मुकाबला करना होनी चाहिए, जबकि सैन्य विकल्प को केवल एक निवारक के तौर पर तैयार स्थिति में रखा जाए।

नीरज सिंह कहते हैं कि चीन के महान रणनीतिकार सुन जू ने कहा था – "सबसे अच्छी जीत वो है जो बिना लड़े मिले। भारत UN, BRICS और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान का विरोध करके उसका समर्थन कम कर सकता है। भारत क्षेत्रीय व्यापार, ऊर्जा संसाधनों और IMF/World Bank जैसे संस्थानों के जरिए पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव डाल सकता है। योग, बॉलीवुड, भारतीय शिक्षा और संस्कृति के ज़रिए भारत अपने पड़ोसी देशों से गहरे रिश्ते बना सकता है, जिससे उन पर पाकिस्तान का प्रभाव घटेगा।

पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए आक्रामक रवैया अपनाया जाए

गौरव पांडेय कहते हैं कि भारत कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर सकता है। भारत दुनिया के सामने यह साफ कर सकता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है, और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और एफएटीएफ जैसे मंचों पर उठा सकता है। आर्थिक मोर्चे पर भारत पाकिस्तान के साथ व्यापार कम कर सकता है और दुनिया से पाकिस्तान पर पाबंदियां लगाने की अपील कर सकता है। मीडिया अभियानों और सांस्कृतिक संपर्कों के जरिए पाकिस्तान को एक आतंकवाद समर्थक देश के रूप में दिखाया जा सकता है। इन तरीकों से बिना युद्ध के पाकिस्तान की साख को कमजोर किया जा सकता है और उसे गलत कदम उठाने से रोका जा सकता है।

कूटनीति, खुफिया गतिविधियां और संवाद के जरिए जीती जाए जंग

नीरज सिंह मनहास कहते हैं कि भारत ने पहले भी सीमित सैन्य कार्रवाई की है – 2016 और 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक। इस तरह की कार्रवाई से भारत यह दिखाता है कि वह आतंकवाद को सहन नहीं करेगा। लेकिन बार-बार ऐसे कदम उठाने से क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है। पाकिस्तान की हालत पहले ही खराब है – अगर भारत हमला करता है तो बदले में कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी हो सकता है। इसलिए हमें सावधानी से सोचना होगा। संदेश देना ज़रूरी है, लेकिन क्षेत्र को अस्थिर करना नहीं।

गौरव पांडेय कहते हैं कि भारत को सीमित सैन्य कार्रवाई, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। इससे भारत का संकल्प तो मजबूत दिखेगा, लेकिन इसमें युद्ध बढ़ने का खतरा भी है, क्योंकि पाकिस्तान की परमाणु नीति बहुत गैर-जिम्मेदार है। भले ही आज भारत को दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है, लेकिन किसी भी सैन्य कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी आ सकता है (जैसे इज़राइल के साथ हुआ)। ज्यादा दबाव डालने से पाकिस्तान में अस्थिरता बढ़ सकती है। इसलिए भारत को ऐसी रणनीति अपनानी चाहिए जो कूटनीति, खुफिया गतिविधियां और संवाद के ज़रिए बिना अनावश्यक लड़ाई के अपने हितों को सुरक्षित रखे।

गौरव पांडेय बताते हैं कि जब भारत अफगानिस्तान में अपनी पकड़ बढ़ाएगा, तो पाकिस्तान इसे रोकने के लिए चरमपंथी गुटों को बढ़ावा दे सकता है, भारत के खिलाफ झूठा प्रचार कर सकता है और भारतीय संस्थानों को निशाना बना सकता है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने भी कहा था कि भारत की बढ़ती मौजूदगी से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है। चीन भी पर्दे के पीछे से पाकिस्तान का साथ दे सकता है। भारत को चाहिए कि वह अफगान जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करे, ज्यादा मानवीय सहायता दे और तालिबान के अलावा अन्य गुटों से भी अच्छे संबंध बनाए। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा है कि हमारा मकसद क्षेत्रीय स्थिरता है, और अफगान विदेश मंत्री ने भी माना कि भारत का अफगानिस्तान में भविष्य में बड़ा रोल होगा। "अफगानिस्तान में असली ताकत डर नहीं, बल्कि उम्मीद पैदा करने वालों के हाथ में होगी। भारत को उस उम्मीद का निर्माण करना चाहिए।"

नीरज मानते हैं कि भारत के अफसरों ने हाल ही में तालिबान के विदेश मंत्री से काबुल में जो मुलाकात की, वह इस बात का संकेत है कि भारत अब अफगानिस्तान में फिर से सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है। यह कदम पाकिस्तान की "Strategic Depth" रणनीति को झटका दे सकता है, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान को अपनी रणनीतिक ज़मीन मानता रहा है। भारत अगर अफगानिस्तान में निर्माण कार्य, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में मदद करता है तो यह उसकी मजबूत वापसी होगी। लेकिन तालिबान और पाकिस्तान के घनिष्ठ संबंधों को ध्यान में रखते हुए भारत को सतर्क रहना होगा।

मनहास सलाह देते हैं कि भारत अगर अफगानिस्तान में अपनी पकड़ बनाता है, तो पाकिस्तान ज़रूर वहां के आतंकी गुटों को और बढ़ावा देगा ताकि भारत को रोका जा सके। ऐसे में भारत को इसका जवाब देने के लिए अफगानी सेना और प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था मजबूत करनी होगी। सड़कें, अस्पताल और स्कूल बनाकर स्थानीय जनता का भरोसा जीतना होगा। वहीं अफगान जनजातीय नेताओं से दोस्ती कर पाकिस्तान के प्रभाव को संतुलित करना काफी अहम होगा। निरंतर कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग से भारत अपनी जगह मजबूत बना सकता है।

सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए करनी होगी पुरजोर वकालत

बकौल गौरव पांडेय भारत अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्य बनता है तो यह सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक बदलाव भी होगा। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय हैसियत कमजोर हो जाएगी। भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस और खाड़ी देशों का समर्थन मिल रहा है, जो उसकी बढ़ती ताकत को दिखाता है।

चीन, जो यूएनएससी का स्थायी सदस्य है, जरूर भारत के रास्ते में बाधा बन सकता है, लेकिन जैसे-जैसे भारत दुनिया में लोकतंत्र, विकास और स्थिरता का उदाहरण बन रहा है, पाकिस्तान की पुरानी रणनीतियां कमजोर पड़ रही हैं। यूएनएससी में स्थायी सदस्यता पाना मुश्किल है, लेकिन भारत का लगातार बढ़ता प्रभाव पाकिस्तान को अलग-थलग कर देगा और वैश्विक फैसलों में उसकी दखलअंदाजी खत्म कर देगा। अब दुनिया के मंच पर पाकिस्तान की घटती अहमियत साफ दिखने लगी है और भारत का उदय पाकिस्तान की कमज़ोर होती वैश्विक पकड़ का संकेत है।

नीरज सिंह कहते हैं कि भारत को अब वैश्विक ताकतों का बड़ा समर्थन मिल रहा है। अमेरिका भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का समर्थक है। रूस पारंपरिक सहयोगी है, हालांकि अब पाकिस्तान से भी संबंध बढ़ा रहा है। फ्रांस, यूके, जर्मनी भारत के साथ लोकतांत्रिक और आर्थिक मूल्यों के कारण जुड़े हैं। यूएई, सऊदी अरब जैसे खाड़ी देश: भारत के साथ व्यापार और सुरक्षा में गहरी रुचि रखते हैं। भारत अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य बनता है, तो पाकिस्तान की कूटनीतिक ताकत और भी घटेगी। भारत वैश्विक आतंकवाद पर नीति बनाने में अग्रणी बन सकता है, जिससे पाकिस्तान और भी अलग-थलग पड़ेगा।

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Supertech पर कसेगा शिकंजा! NCR प्रोजेक्ट्स की होगी CBI जांच; यूपी-हरियाणा के डीजीपी को भी SC का अहम निर्देश

April 29, 2025 - 3:54pm

पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में घर की चाहत रखने वालों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें कई बार बैंक और बिल्डरों की गठजोड़ के कारण आम लोगों को तकलीफ होती है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को एनसीआर में सुपरटेक लिमिटेड की परियोजनाओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया है। इस जांच के माध्यम से बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ का पता लगाया जा सकेगा।

दरअसल, सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई द्वारा दायर हलफनामे पर विचार किया और उत्तर प्रदेश, हरियाणा के डीजीपी को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के लिए डीएसपी, इंस्पेक्टर, कांस्टेबलों की सूची एजेंसी को देने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने RBI को भी दिए निर्देश

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ/प्रशासकों, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान और आरबीआई को निर्देश दिया कि वे एसआईटी को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए एक सप्ताह के भीतर अपने वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक नोडल अधिकारी को अधिसूचित करें।

सर्वोच्च न्यायालय ने पहले कहा था कि हजारों घर खरीदार सब्सिडी योजना से प्रभावित हुए हैं, जहां बैंकों ने निर्धारित समय के भीतर परियोजनाएं पूरी किए बिना बिल्डरों को आवास ऋण राशि का 60 से 70 प्रतिशत भुगतान कर दिया।

पहले एससी ने एसबीआई को दिया था रोडमैप प्रस्तुत करने का आदेश

सर्वोच्च न्यायालय ने तब सीबीआई को एक रोडमैप प्रस्तुत करने का आदेश दिया था कि वह "बिल्डर-बैंकों के गठजोड़" को उजागर करने की योजना कैसे बना रहा है, जिसने एनसीआर में हजारों घर खरीदारों को धोखा दिया और मामले की जड़ तक जाने का प्रस्ताव दिया।

जानिए किस मामले पर हो रही सुनवाई

शीर्ष अदालत कई घर खरीदारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फ्लैटों पर कब्जा नहीं होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

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'पाकिस्तान जिंदाबाद' बोलने पर पीट-पीटकर हत्या, कर्नाटक के गृह मंत्री बोले- ये मॉब लिंचिंग का मामला

April 29, 2025 - 3:16pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को लेकर पूरे देश में गुस्से का माहौल है। इसी बीच कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से एक मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया है। कुछ लोगों ने एक युवक को पीट-पीटकर उसकी जान ले ली। मृतक की अभी तक शिनाख्त नहीं हुई है।

कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने इस घटना की जानकारी दी है। उनका कहना है कि मृतक ने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए थे, जिसके कारण भीड़ आगबबूला हो उठी और सभी ने उसपर हमला बोल दिया।

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गृह मंत्री ने क्या कहा?

घटना की जानकारी देते हुए कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि बेंगलुरु में एक मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया है। मृतक शख्स की पहचान अभी नहीं हुई है। स्थानीय क्रिकेट मैच के दौरान उसने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए थे। इसे सुनकर आसपास मौजूद कुछ लोग गुस्से से आगबबूला हो गए और उसे पीटना शुरू कर दिया। आखिर में युवक ने दम तोड़ दिया।

#WATCH | Bengaluru | Karnataka Home Minister G Parameshwara says, "An incident of mob lynching has been reported...The individual whose identity is unknown shouted 'Pakistan Zindabad' when a local cricket match was going on...Few people got together and beat him...Later on, he… pic.twitter.com/3ohauPCC3c

— ANI (@ANI) April 29, 2025 पुलिस ने लिया एक्शन

बेंगलुरु में हुई मॉब लिंचिंग की इस घटना के बाद पुलिस भी एक्शन मोड में आ गई है। पुलिस ने भीड़ में शामिल 10-12 लोगों को हिरासत में लिया है। मामले की जांच चल रही है। गृह मंत्री ने सभी से शांति कायम रखने की अपील की है।

पहलगाम आतंकी हमला

बता दें कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था। इस दौरान आतंकियों ने 26 पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया था। हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रद कर दिया। इसी के साथ सभी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़कर जाने का आदेश दिया गया है।

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आर्थिक मोर्चे पर पश्चिमी और दक्षिण भारत का जलवा, महाराष्ट्र-गुजरात-कर्नाटक सबसे आगे; बिहार-झारखंड-एमपी फिसड्डी

April 29, 2025 - 3:14pm

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर प्रदर्शन के मामले में पश्चिमी और दक्षिण क्षेत्र के राज्यों का प्रदर्शन लगातार बेहतर बना हुआ है। जबकि, उत्तर भारत के पारंपरिक तौर पर घोषित बीमारू राज्यों की स्थिति पहले से सुधरी है लेकिन तेजी से आर्थिक, समाजिक, वित्तीय विकास कर रहे राज्यों की तुलना में नाकाफी है।

अगर ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक  व समाजिक विकास में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्य बहुत आगे होंगे।

महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक का प्रदर्शन सबसे अच्छा

केयरएज रेटिंग एजेंसी की तरफ से मंगलवार को जारी रिपोर्ट बताती है कि आर्थिक, समाजिक व राजकोषीय मानदंडों पर अभी महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक का प्रदर्शन सबसे अच्छा है जबकि इस रिपोर्ट में बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश को नीचे से तीन स्थान दिए गए हैं।

इन तीन राज्यों से एक पायदान ऊपर उत्तर प्रदेश है। ये राज्यों शीर्ष के पांच-छह  राज्यों को किसी भी तरह से प्रतिस्पर्द्धा देने की स्थिति में नहीं है। हां, इस बात के संकेत है कि आने वाले समय में गुजरात जरूरत महाराष्ट्र को जरूर पीछे छोड़ कर नंबर वन स्थिति हासिल कर लेगा।

गोवा के प्रदर्शन में सुधार

केयरएज के मुताबिक पश्चिमी क्षेत्र के राज्य राजकोषीय, आर्थिक व वित्तीय मानकों में सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि दक्षिणी राज्यों ने आर्थिक, पर्यावरण, सरकारी प्रशासन के क्षेत्र में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते दिखे हैं। पूर्वोत्तर, पहाड़ी व छोटे राज्यों का एक अलग समूह बनाया गया है जिसमें गोवा का प्रदर्शन सबसे बेहतर माना गया है।

अगर समग्र तौर पर देखा जाए तो 17 प्रमुख राज्यों की सूची के शीर्ष में 10 राज्यों में सिर्फ हरियाणा और पंजाब है। हरियाणा छठे स्थान पर है जबकि पंजाब 10वें स्थान पर। इन दोनों राज्यों ने बेहतर ढांचागत क्षेत्र, बेहतर रेल नेटवर्क और अच्छी सिंचाई व्यवस्था होने की वजह से शीर्ष दस राज्यों में स्थान बनाया है।

राजकोषीय प्रबंधन में शीर्ष पर ओडिसा  

ओडिसा को नौवां स्थान दिया गया है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ओडिसा ने राजकोषीय प्रबंधन में देश में सबसे बेहतर काम किया है। लिहाजा ना सिर्फ उसका राजकोषीय घाटा बहुत ही कम हो गया है बल्कि राज्य के कुल राज्य में राजस्व और कर्ज चुकाने के बीच का अनुपात बहुत ही बेहतर हुआ है।

यानी राज्य के कुल राजस्व का कम हिस्सा कर्ज चुकाने में जा रहा है। केयरएज रेटिंग्स की प्रमुख अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का कहना है कि दूसरे सभी राज्यों को ओडीसा से सीखने की जरूरत है।

  • केयरएज रेटिंग्स की यह दूसरी रिपोर्ट है। पहली रिपोर्ट वर्ष 20023 में जारी की गई थी।
  • पहली रिपोर्ट में महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु का पहला तीन स्थान दिया गया था, इस बार तीसरा स्थान कर्नाटक का है।
  • तमिलनाडु पांचवें स्थान पर चला गया है। तेलंगाना चौथे स्थान पर है।
  • विगत रिपोर्ट में मध्य प्रदश 13वें स्थान पर था जो अब 15वें स्थान पर आ गया है।
  • उत्तर प्रदेश ने एक स्थान का सुधार किया है और अब यह 14वें स्थान पर आ गया है।
  • झारखंड और बिहार की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है और ये क्रमश: 16 व 17वें स्थान पर है।
बिहार की आर्थिक विकास की दर तेज हुई 

वैसे बिहार की आर्थिक विकास की दर तेज हुई है जिसके बारे में कहा गया है कि बहुत ही कम आधार (बेस) होने की वजह से विकास दर तेज हो रही है। केयरएज ने राज्यों की रेटिंग के लिए सात प्रमुख आधार बनाये हैं और इनकी रैंकिंग के लिए 50 अलग-अलग मानकों का इस्तेमाल किया है।

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Assam: पाकिस्तान का समर्थन करने के आरोप में अब तक 27 लोग गिरफ्तार, एक विधायक भी शामिल

April 29, 2025 - 3:01pm

पीटीआई, गुवाहाटी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अब असम में पाकिस्तान का बचाव करने के आरोप में 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की तरफ से ये जानकारी सामने आई है। उन्होंने बताया गिरफ्तारी की ये संख्या सोमवार रात तक की है।

सरमा ने एक्स पर पोस्ट किया, 'अब तक 27 राष्ट्रविरोधी पकड़े गए हैं।' गिरफ्तार किए गए लोगों में विपक्षी एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम भी शामिल हैं, जिन पर पहलगाम ह।मले में पाकिस्तान और उसकी मिलीभगत का कथित तौर पर बचाव करने के आरोप में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था

'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का प्रावधान होगा लागू'

शनिवार को सरमा ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो गिरफ्तार किए गए लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के प्रावधान लगाए जाएंगे।

'दोनों देश दुश्मन देश हैं'

सरमा ने आगे संवाददाताओं से कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच कोई समानता नहीं है। दोनों देश दुश्मन देश हैं और हमें ऐसे ही रहना चाहिए। बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन में आतंकवादियों के हमले में 26 लोग मारे गए थे।

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पाकिस्तान ने अपने ही पैर पर मारी कुल्हाड़ी, हवाई मार्ग बंद करके होगा करोड़ों का नुकसान

April 29, 2025 - 2:14pm

जेएनएन, नई दिल्ली। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि, जाको प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताकी मति पहिले हर लीन्हा। पहलगाम में बर्बर आतंकी हमले के बाद भारतीय विमानों के लिए अपना वायु क्षेत्र बंद करके दुश्मन देश ने यही चरितार्थ किया है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक पाक द्वारा भारतीय विमानों को रोकने से पाकिस्तान को भारत से ज्यादा नुकसान होगा। आइए जानते हैं आखिर क्या है इसके पीछे का कारण.....

नहीं मिलेगी लाखों डॉलर फीस 
  • विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान ने यह मूर्खतापूर्ण कदम उठाकर दुनिया के तीसरे सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजार भारत से मिलने वाली ओवरफ्लाइट फीस खो दी है। 
  • ओवरफ्लाइट फीस किसी देश के हवाई क्षेत्र को पार करने वाले विमानों से ली जाती है। पाक को भारत से हर साल ओवरफ्लाइट फीस के रूप लाखों डालर मिलते हैं।
  • इसके अलावा भारत से पश्चिमी देशों की ओर जाने वाली अधिकांश उड़ानें भारतीय एयरलाइंस ही संचालित करती हैं। 
  • अब भारतीय उड़ानें पाकिस्तान के आसमान से गुजरने से बच रही हैं, ऐसे में पाकिस्तान ओवरफ्लाइट आय का बड़ा हिस्सा खो देगा।

2019 से भी नहीं ली सीख 

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जुलाई, 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भी पाकिस्तान ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था, जिससे उसे लगभग 10 करोड़ डालर का नुकसान हुआ था। उस दौरान हर दिन लगभग 400 उड़ानें प्रभावित हुईं थीं, जिससे पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण और पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को भारी नुकसान हुआ था।

लैडिंग और पार्किंग शुल्क में भी होगा नुकसान 

अधिकारियों ने अनुमान लगाया था कि 2019 में पाकिस्तान को केवल ओवरफ्लाइट शुल्क से हर दिन लगभग 2,32,000 डालर का नुकसान हो रहा था। जब लैंडिंग और पार्किंग जैसे अन्य शुल्क जोड़े गए, तो दैनिक नुकसान लगभग तीन लाख डालर हो गया था।

ऐसे तय होती हैं दरें

पाकिस्तान कथित तौर पर एक बोइंग 737 के लिए लगभग 580 डालर का ओवरफ्लाइट शुल्क लेता है। यह भारतीय एयरलाइंस द्वारा संचालित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विमानों में सबसे छोटा माना जाता है। दरें अधिकतम टेक- आफ वजन और उड़ान की दूरी के आधार पर बदलती हैं और बड़े विमानों को अधिक शुल्क देना पड़ता है।

भारतीय एयरलाइंस पर हाल ही में प्रतिबंध के साथ इससे प्रतिदिन कम से कम 58,000 डालर का नुकसान हो रहा है। भारत कई बड़े विमान भी संचालित करता है जिसमें बोइंग 777 भी शामिल है। इसका अधिकतम टेकआफ वजन बोइंग 737 से लगभग 3 गुना है। विमान के वजन के अनुसार ओवरफ्लाइट शुल्क 1,700 डालर तक हो सकता है।

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‘सिर तन से जुदा...’, तस्‍वीर शेयर कर फंसी Congress; BJP बोली- कांग्रेस और आतंकियों की सोच एक जैसी

April 29, 2025 - 2:08pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस ने एक्स अकाउंट पर एक फोटो शेयर की, जिसे लेकर बीजेपी हमलावर हो गई है। बीजेपी का कहना है कि यह कांग्रेस की 'सर तन से जुदा' वाली मानसिकता का प्रतिबिंब है।

अमित मालवीय ने किया पलटवार

बीजेपी के आईटी सेल विभाग प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि "कांग्रेस ने 'सर तन से जुदा'वाली छवि दिखा दी है। यह महज एक राजनीतिक बयान नहीं है बल्कि मुस्लिम वोट बैंक को निशाना बनाने और प्रधानमंत्री के खिलाफ एक छिपी हुई धारणा है।"

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अमित मालवीय ने आगे कहा

यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने कुछ ऐसा किया है। राहुल गांधी ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसक चीजों को बढ़ावा दिया है। हालांकि, पीएम मोदी को लाखों भारतीयों का प्रेम और आशीर्वाद प्राप्त है, इसलिए कांग्रेस अपने मंसूबों में कभी कामयाब नहीं हो पाती है।

कांग्रेस की लगाई क्लास

कांग्रेस द्वारा शेयर की गई तस्वीर पर पलटवार करते हुए अमित मालवीय ने कहा कि वास्तव में अगर किसी की गर्दन कटी है तो वो कांग्रेस की। वो देश के कुछ हिस्सों में सिमट कर रह गई है। अब वो दिशाहीन होकर छटपटा रही है।

The Congress leaves little doubt with its use of “Sar Tan Se Juda” imagery. This is not merely a political statement; it is a dog whistle aimed at its Muslim vote bank and a veiled incitement against the Prime Minister. It is not the first time the Congress has resorted to such… https://t.co/WEgblPq2FX

— Amit Malviya (@amitmalviya) April 29, 2025 कांग्रेस की पोस्ट

बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक फोटो शेयर की है। इस फोटो में एक शख्स भगवा कुर्ता और चूड़ीदार पजामा में नजर आ रहा है, जिसका चेहरा, हाथ और पैर गायब है। इस फोटो पर लिखा है "गायब"। इसे शेयर करते हुए कांग्रेस ने कैप्शन में लिखा- "जिम्मेदारी के समय गायब"। यह फोटो काफी हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर से मेल खा रही है। जिसके कारण बीजेपी, कांग्रेस पर मुखर हो गई है।

#WATCH | Delhi: BJP MP Anurag Thakur says, "... 'Congress aur unke netaaon ki kya majboori hai, ki Pakistan ke bol bolne zaruri hain?' Why are they supporting Pakistan? Do they not get angry when they see the bloodshed of Indians?... Their leader and former cabinet minister… pic.twitter.com/MJjUM6LH76

— ANI (@ANI) April 29, 2025 अनुराग ठाकुर ने उठाए सवाल

बीजेपी के कई नेताओं ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि कांग्रेस सीधे पाकिस्तान से ऑर्डर ले रही है। कांग्रेस अब पाकिस्तान आतंक के डीपस्टेट की टूलकिट बन गई है। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि उनके नेताओं की क्या मजबूरी है जो पाकिस्तान के बोल बोलते हैं? भारतीयों का खून बहता देखकर उन्हें गुस्सा नहीं आता है?

संबित पात्रा का बयान

बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस तस्वीर में शरीर है, लेकिन सिर नहीं है। 'सर तन से जुदा' आज लश्कर-ए-पाकिस्तान कांग्रेस की विचारधारा और चरित्र बन चुका है।

उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री, जो भारत के हर नागरिक के लिए सुरक्षा की चट्टान हैं, उस चट्टान को तोड़ने की आज कांग्रेस कोशिश कर रही है। लश्कर-ए-पाकिस्तान कांग्रेस में बिना राहुल गांधी की सहमति के पत्ता तक नहीं हिलता।

 भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के कहने पर ही ऐसे पोस्ट किए जाते हैं, जो पूरे देश को शर्मसार करते हैं और पीड़ा देते हैं। 

(इनपुट पीटीआई और एएनआई के साथ)

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वक्फ संशोधन कानून पर नई याचिकाएं सुनने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, SC ने क्या बताई वजह; पढ़ें CJI का फैसला

April 29, 2025 - 1:43pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक बार फिर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 13 और याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, वह और याचिकाएं नहीं जोड़ सकता क्योंकि उन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा।

कई याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने जब आग्रह किया कि उन्हें भी अन्य याचिकाकर्ताओं के साथ सुना जाए, तो मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, 'हम अब याचिकाओं की संख्या नहीं बढ़ाने जा रहे हैं...ये बढ़ती रहेंगी और इन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा।

क्या बोला कोर्ट?

हालांकि, पीठ ने फिरोज इकबाल खान, इमरान प्रतापगढ़ी, शेख मुनीर अहमद और मुस्लिम एडवोकेट्स एसोसिएशन सहित याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर उनके पास वक्फ कानून को चुनौती देने के लिए अतिरिक्त आधार हैं तो वे मुख्य याचिकाओं में हस्तक्षेप करें।

सीजेआई ने कहा- अभियोग आवेदन करें दायर

सीजेआई ने आगे सुनवाई करते हुए कहा, 'हम सभी पर सुनवाई करेंगे...पांच मामले दर्ज किए गए हैं। अगर आप अतिरिक्त बिंदुओं पर बहस करना चाहते हैं तो अभियोग आवेदन दायर करें।' पीठ ने इससे पहले सोमवार को भी इसी तरह का आदेश पारित किया था और याचिकाकर्ता सैयद अली अकबर के वकील से लंबित पांच मामलों में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने को कहा, जिन पर अंतरिम आदेश पारित करने के लिए 5 मई को सुनवाई होगी।

72 याचिकाएं कानून के खिलाफ दायर

17 अप्रैल को, पीठ ने अपने समक्ष कुल याचिकाओं में से केवल पांच पर सुनवाई करने का निर्णय लिया और मामले का टाइटल रखा: 'वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संबंध में'।

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कर्नाटक राज्य एयूक्यूएएफ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनवर बाशा, अधिवक्ता तारिक अहमद, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद सहित लगभग 72 याचिकाएं कानून के खिलाफ दायर की गई थीं।

पांच दिन के अंदर याचिकाकर्ताओं से मांगा जवाब

तीन वकीलों को नोडल वकील नियुक्त करते हुए, पीठ ने वकीलों से कहा कि वे आपस में तय करें कि कौन बहस करने जा रहा है। याचिकाकर्ताओं को सरकार के जवाब की सेवा के पांच दिनों के भीतर केंद्र के जवाब पर अपने जवाब दाखिल करने की अनुमति दी गई।

पीठ ने कहा, 'हम स्पष्ट करते हैं कि अगली सुनवाई (5 मई) प्रारंभिक आपत्तियों और अंतरिम आदेश के लिए होगी।' केंद्र ने 17 अप्रैल को पीठ को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई तक न तो उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करेगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति करेगा।

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