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'निषाद सिर्फ मछली मारने वाला नहीं, सत्ता में...', मुकेश सहनी बोले- हम कोई सिनेमा हाल का टिकट नहीं बांटते
राज्य ब्यूरो, पटना। विकासशील इंसान पार्टी के आईटी सेल की दो दिवसीय बैठक पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि नगर में वाल्मीकि सभागार में आयोजित की गई।
इस बैठक के अंतिम दिन पार्टी के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने विरोधियों पर खासकर भाजपा पर जमकर सियासी हमला बोला।
उन्होंने सीधे मोर्चा खोलते हुए कहा कि निषाद अब राजनीति में दूध पीने वाला बच्चा नहीं रहा। अब निषाद सिर्फ मछली मारने वाला नहीं, सत्ता में बैठने वाला भी है।
उन्होंने बैठक में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल कहते हैं कि कितने निषादों को टिकट दिया। आज वे सुन लें, मैंने चुनाव में अब तक सबसे अधिक पिछड़े और अति पिछड़े समाज से आने वाले लोगों को चुनाव में उम्मीदवार बनाया। उन्होंने इसका पूरा आंकड़ा भी दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि हम कोई सिनेमा हॉल का टिकट नहीं बांटते, जीतने वाले को उम्मीदवार बनाता हूं।
उन्होंने भाजपा अध्यक्ष पर हमला करते हुए कहा कि आपके पास 2020 में 110 सीट थी, जिसमें से उन्होंने 55 सीट पर ऊंची जातियों से आने वालों को टिकट दिया। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या यही सामाजिक न्याय है?
उन्होंने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले चुनाव में वीआईपी जितना टिकट पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज से आने वाले लोगों को देगा, उतना ही प्रतिशत के हिसाब से आप भी देकर दिखाइए।
अगर जमीर है तो 37 प्रतिशत अति पिछड़ा को प्रत्याशी बनाकर दिखाइए, तब मानेंगे कि आपकी नीति सबका साथ, सबका विकास की है।
उन्होंने कहा कि यही है भाजपा का चाल और चलन, जिससे हम सभी को न केवल बचना है बल्कि बिहार को इससे बचाना है।
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Exclusive Interview: 'विश्वसनीयता कहां से लाएंगे राहुल गांधी', धर्मेंद्र प्रधान का कांग्रेस पर निशाना
आशुतोष झा, नई दिल्ली। पहलगाम घटना के प्रतिउत्तर में ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो राजनीति थोड़ी थमी थी वह फिर से जोर पकडने लगी है। बहुत दूर नहीं जब फिर से जाति जनगणना के श्रेय को लेकर होड़ शुरू होगी। वैसे भी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद यही एक मुद्दा हो सकता है जहां विपक्ष और दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है।
वहीं भाजपा जहां विपक्ष का जवाब देने की पूरी तैयारी किए बैठी है, वहीं इसकी तैयारी भी हो रही है कि जाति गणना से सामाजिक सद्भाव को चोट न पहुंचे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेँद्र प्रधान ने दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा से बात की। पेश है एक अंश:
प्रश्न- जाति जनगणना को लेकर कुछ समय से विपक्ष बहुत मुखर था लेकिन भाजपा चुप थी। अब एकबारगी जाति जनगणना का फैसला ले लिया। माना जाए कि यह दबाव में लिया गया फैसला था?दबाव में मोदी सरकार कोई फैसला नहीं लेती है। मांग करना अलग बात है और सरकार में रहते हुए उसे न करना सिर्फ राजनीतिक अवसरवादिता है। जिस विपक्ष की बात आप कर रहे हैं उसका इतिहास देख लीजिए। कांग्रेस की ओर से तो हमेशा इसका विरोध ही किया गया। दूसरी तरफ भाजपा का इतिहास देख लीजिए तो स्पष्ट महसूस करेंगे हम क्रमिक रूप से देश के हर वर्ग और खासतौर पर आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग के विकास के लिए कदम बढ़ाते रहे हैं।
आप कह रहे हैं कि एकबारगी फैसला ले लिया लेकिन जाति गणना का फैसला एक स्वाभाविक प्रक्रिया से होकर गुजरा है। उपयुक्त समय में हुआ है। हमारा इतिहास देखिए.. 1977 में जब जनता सरकार बनी थी जिसमें जनसंघ शामिल था तो पिछड़ों के विकास को लेकर सकारात्मक थे। 1990 के दशक में जब वीपी सिंह सरकार में मंडल कमीशन लाया गया।
वह सरकार भी भाजपा के सहयोग से बनी थी। पिछले 11 साल की बात कीजिए तो ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देना, मेडिकल में पहली बार ओबीसी बच्चों को 27 फीसदी आरक्षण देना, गैस एजेंसी के आवंटन में भी 27 फीसद आरक्षण दिया। आरक्षित सीटों पर पहले उपयुक्त उम्मीदवार न मिलने से सीटें अनारक्षित हो जाती थी, लेकिन मोदी सरकार ने 2019 में यह तय कर दिया कि जो सीटें आरक्षित हैं वह उनके लिए ही बनी रहेंगी।
यह हमारा इतिहास है। जबकि कांग्रेस ने तो हर कदम पिछड़ों का विरोध ही किया। नेहरू जी ने आरक्षण का विरोध किया था और राज्यों को चिट्ठी लिखी थी, इंदिरा जी ने काका कालेलकर कमिटि की रिपोर्ट को रोके रखा था। राजीव गांधी ने मंडल कमीशन का विरोध किया। सोनिया जी ने सीताराम केसरी जी को धक्का मारकर पार्टी से निकाल दिया था। आज नारा दे रहे है क्योंकि हताश हैं।
प्रश्न- लेकिन 2024 के बाद जिस तरह फ्रीबीज पर भी भाजपा नरम हो गई। फिर एक तरह से ओपीएस लागू कर दिया और उसके बाद जाति जनगणना उससे तो यही संदेश जाता है कि भाजपा सरकार का मन बदला है?मैं फिर से कहूंगा कि हमारा मन, हमारा संकल्प कभी बदला नहीं। इसीलिए मैंने पृष्ठभूमि बताई। मोदी सरकार विकसित भारत के लिए काम कर रही है जिसमें सभी का साथ, सबका विकास और सबका प्रयास शामिल है। सही समय पर सही फैसला होता है। पिछड़ों को लेकर क्या कोई परिवारवादी पार्टी हमारा आकलन करेगी जिसका पूरा फोकस सिर्फ परिवार पर होता है। या फिर कांग्रेस जिसका सामाजिक विकास को लेकर इतिहास कलंकित रहा है।
मोदी केंद्रीय मंत्रिमंडल देख लीजिए, सांसदों की हिस्सेदारी देख लीजिए, प्रदेशों में भाजपा के नेतृत्व को देख लीजिए। और हमारे तो प्रधानमंत्री भी पिछड़े वर्ग से आते हैं। हम पर किस बात का दबाव।
प्रश्न- राहुल गांधी ने भी कहा है कि पहले कांग्रेस ने कुछ गलतियां की, लेकिन अब वह आ गए हैं। सुधार रहे हैं।वह विश्वसनीयता कहां से लाएंगे। वह केवल राजनीतिक हताशा में यह बात कह रहे हैं। वह समाज को बांटना चाहते हैं जबकि हम समाज में विद्वेष नही फैलाना चाहते हैं। वह एक वर्ग के खिलाफ दूसरे को भड़काना चाहते हैं। हम किसी के मन में भय नहीं पैदा होने देना चाहते हैं। हमने जितनी लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाईं, उसमें उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सबसे ज्यादा लाभ अल्पसंख्यक समुदाय को मिला।
उज्ज्वला योजना में दलित और अल्पसंख्यक सबसे बड़े लाभार्थी रहे। हमने चार करोड़ प्रधानमंत्री आवास बांटा को उसका लाभ किसे मिला। उन्होंने तो चुनाव में खटाखट-खटाखट रुपये बांटने की बात कही थी लेकिन जहां सरकार में आए वहां क्या किया। वह चाहे जितनी बार भी बोलें कि गलती हो गई अब सुधारेंगे, लेकिन जनता विश्वास नहीं करती है। विश्वसनीयता आपकी पृष्ठभूमि से बनती है, विश्वसनीयता इससे मिलती है कि जब जिम्मेदारी आई तो करके दिखाया।
उन्होंने एक विशेष उद्देश्य से कर्नाटक में जाति गणना का सर्वे कराया था लेकिन वर्षों हो गए लागू क्यों नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे दलों की माफी भी स्वीकार नहीं होती है। जनमत की बात सुनकर समझकर कोई परिवर्तन होता है तो अच्छी बात है लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस छल करने वाले हैं।
प्रश्न- प्रधानमंत्री ने कही थी कि देश में सिर्फ चार जाति है- गरीब, किसान, महिला और युवा। फिर सिर्फ गरीब की बात क्यों नहीं, जाति की बात क्यों?यह क्यों भूल रहे हैं कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्राविधान मोदी सरकार के काल में ही आया। उसका भी कुछ दल विरोध कर रहे थे। अड़चन लगा रहे थे। हमारे देश में महिलाओं के अलग थलग नहीं किया जाता था। उनके सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री ने लगातार कई योजनाएं चलाई। घरेलू प्रदूषण के कारण पांच लाख महिलाओं की जान चली जाती थी। उज्ज्वला ने उसे बदल दिया।
हर समाज में परिवर्तन का सिपाही तो युवा ही रहा है। उसके लिए काम किया। सदियों से जाति के हिसाब से समाज बना हुआ था। समाज लिविंग एंटिटि है। पहले सेंसस के समय कुछ लोग खुद को अपर कास्ट से जोड़ते थे। बाद में आज स्थिति बदली हुई है। सेंसस समाज की स्थिति को परखने की संवैधानिक प्रक्रिया है।
प्रश्न- लेकिन आप कैसे आश्वस्त है कि यह मंडल पार्ट 2 नहीं होगा। सामाजिक विद्वेष नहीं बढ़ेगा ?समाज बदल चुका है। वहीं सरकार के मन में कोई राजनीतिक मंशा नही है। आखिर इसी सरकार ने तो अनारक्षित वर्ग के दस फीसदी गरीब बच्चों के लिए आरक्षण किया। लोग यह देख रहे हैं।
प्रश्न- क्या माना जाए कि जाति गणना का अंतिम पड़ाव यह होगा कि 50 फीसद आरक्षण की सीमा टूटेगी?आज देश का मिजाज अलग है। हम विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। सभी वर्ग का सशक्तिकरण हो रहा है। दस साल में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से उपर उठे। नए नए अवसर खुल रहे हैं। बच्चे प्रशिक्षित रहे हैं। उनके लिए दुनिया का दरवाजा खुला हुआ है। वैसे भी अभी तो गणना का फैसला हुआ है। कई बातों पर स्पष्टता आएगी। इसे बड़े दायरे में देखने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें: सिंधु जल को पाकिस्तान जाने से कैसे रोकेंगे? शिवराज सिंह चौहान ने बताया मोदी सरकार का प्लान
Bihar Politics: तेज प्रताप यादव को झटका, 6 साल के लिए पार्टी से निकाले गए; लालू यादव ने परिवार से भी किया बेदखल
डिजिटल डेस्क, पटना। एक दिन पहले फेसबुक पर अपने 12 वर्ष पुराने रिलेशनशिप को सार्वजनिक कर लालू परिवार की किरकिरी कराने वाले पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव को राजद से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने रविवार को एक्स हैंडल पर पोस्ट कर इसकी घोषणा की। पार्टी के साथ परिवार से भी उन्होंने तेजप्रताप को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उन्होंने लिखा है कि पारिवारिक मामलों में भी अब तेजप्रताप की कोई भूमिका नहीं होगी।
लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप अभी हसनपुर से विधायक हैं और इन दिनों मालदीव की सैर कर रहे। इस बीच फेसबुक अकाउंट से कथित गर्लफ्रेंड के साथ उनकी तस्वीर सार्वजनिक हुईं। हालांकि, बाद में वह पोस्ट डिलीट भी हुई और एक्स हैंडल पर तेजप्रताप ने अपने फेसबुक अकाउंट को हैक किए जाने की शिकायत की, लेकिन तब तक पार्टी और परिवार की भद पिट चुकी थी।
सूत्र बताते हैं कि छवि बचाने की जुगत में तेजस्वी यादव ने दबाव बनाया और लालू ने निष्कासन की घोषणा कर दी।
बहरहाल यह कार्रवाई बता रही कि तेजप्रताप के सार्वजनिक हुए प्रेम-प्रसंग को लालू परिवार सही मामला मान रहा। वर्ष 2018 में तेजप्रताप का विवाह पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पौत्री व पूर्व मंत्री चंद्रिका राय की पुत्री ऐश्वर्या से हुआ था। कुछ माह बाद ही तलाक की नौबत बन आई। मामला अभी पारिवारिक न्यायालय में है।
ऐसे में इस प्रकरण से परिवार के साथ पार्टी के लिए भी विषम परिस्थिति की आशंका थी। यह चुनावी वर्ष है, लिहाजा मुख्यमंत्री पद के दावेदार अपने छोटे पुत्र तेजस्वी के लिए लालू भी कोई खटका नहीं रहने देना चाहते।
इसीलिए अपने पोस्ट में उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि तेजप्रताप से संबंध के लिए लोग स्व-विवेक से निर्णय लें। इसी के साथ लालू ने स्वयं को लोकजीवन में लोकलाज का हिमायती बताया है।
प्रतिक्रिया में तेजस्वी का कहना है कि बालिग होने के कारण तेजप्रताप व्यक्तिगत जीवन के निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इस तरह की हरकत को वे न तो पसंद करते हैं और न ही बर्दाश्त करेंगे।
तेजप्रताप की पिछली हरकतों का हवाला देते हुए राजद के सूत्र बता रहे कि किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए कार्रवाई लालू के स्तर से हुई है। अगर प्रदेश अध्यक्ष या पार्टी के किसी दूसरे सक्षम पदाधिकारी के स्तर से कार्रवाई होती तो तेजप्रताप के पीले पड़ने की आशंका थी।
फिर भी इंटरनेट मीडिया पर उनके कथित समर्थकों द्वारा भड़काऊ पोस्ट किए जा रहे। इससे आशंका जताई जा रही कि मालदीव से लौटने पर तेजप्रताप शायद ही खामोश रहें। इसका एक महत्वपूर्ण कारण उनका राजनीतिक करियर भी होगा। वे दो बार विधायक चुने गए हैं, लेकिन विधानसभा क्षेत्र बदलकर।
इस बार फिर वे अपनी पुरानी सीट (महुआ) से चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट कर चुके हैं। निष्कासन की स्थिति में वे पार्टी सिंबल के दावेदार नहीं होंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने दम पर दो-तीन प्रत्याशी उतारकर तेजप्रताप राजद की आशा पर पानी भी फेर चुके हैं।
तब भी उनके विरुद्ध कार्रवाई की बात चली थी, लेकिन सारी बातें आई-गई हो गईं। 2022 में महागठबंधन की जब दूसरी सरकार बनी तो राजद कोटे से तेजस्वी के बाद शपथ लेने वाले तेजप्रताप ही थे। वह निर्णय लालू का था।
लालू ने लिखाएक्स पर लालू ने लिखा है कि निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है।
अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित किया जाता है।
अपने निजी जीवन का भला-बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है। उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे, वे स्वविवेक से निर्णय लें। लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूं। परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सार्वजनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है। धन्यवाद।
तेजस्वी की प्रतिक्रियातेजस्वी ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सार्वजनिक रूप से अपनी बात रख दी है और यह पार्टी के सिद्धांत के अनुरूप है। इस प्रकरण पर वे कुछ नहीं कहेंगे। राजनीति में निजी जीवन जरूर होता है, लेकिन उसमें भी नैतिकता का पालन जरूरी है।
तेजप्रताप मेरे बड़े भाई हैं, उन्हें अपने निजी निर्णयों का हक जरूर है, लेकिन सार्वजनिक छवि का ध्यान रखना चाहिए। हमें भी इस घटना की जानकारी मीडिया से मिली, लेकिन हम इन चीजों को न तो पसंद करते हैं, न बर्दाश्त करेंगे। परिवार और पार्टी का अपना अनुशासन होता है। हम अभी अपने राजनीतिक कार्यों और राजद की चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं।
प्रेम-जाल का फांसशनिवार शाम तेजप्रताप के फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट प्रसारित हुआ था। उसमें वे एक युवती के साथ दिख रहे थे और लिखा गया था कि दोनों पिछले 12 वर्षों से एक-दूसरे को जानते हैं।
प्रतिक्रियाओंं की झड़ी लगने पर उस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। कुछ देर बाद तेजप्रताप यादव ने एक्स पर अपने फेसबुक अकाउंट के हैक होने की जानकारी दी। लिखा कि यह सब उन्हें बदनाम करने का दुष्चक्र है। तब तक राजनीतिक गलियारे मेंं भी टीका-टिप्पणी शुरू हो चुकी थी।
मानसून की एंट्री का कैसे चलता है पता, इस बार क्यों जल्दी आ गया Monsoon? समझें पूरा साइंस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल में शनिवार यानी 24 मई को मानसून ने दस्तक दे दी। इस बार मानसून अपने तय वक्त से 8 दिन पहले पहुंच गया। अब जुलाई तक मानसून पूरे देश तक पहुंच जाएगा। आखिरी बार 2009 में ऐसा हुआ था जब मानसून इतनी जल्दी पहुंच गया था। अगर उत्तर भारत की बात करें तो यह अममून 20-25 जून तक पहुंचता है।
लेकिन मानसून आता क्यों है और मानसून के जल्दी आ जाने के पीछे क्या वजह हैं? आइए इस खबर में जानते हैं इन सवालों के जवाब।
मानसून क्या है और कैसे आता है?मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द 'मौसिम' से हुई है, जिसका अर्थ है- ऋतु या मौसम। पुर्तगाली में इसे मान्सैओ कहते हैं। मानसून को रिवर्सल ऑफ विंड कहा जा सकता है। मानसून एक खास तरह की जलवायु घटना है। इस ऐसे समझें कि एक दिशा से कम से कम 120 डिग्री या पूरी तरह से 180 डिग्री तक हवाओं का पलट जाना।
मानसून का जादू शुरू होता है जब दक्षिण-पश्चिमी हवाएं, जिन्हें मानसून हवाएं कहते हैं, हिंद महासागर से भारत की ओर बढ़ती हैं। ये हवाएं अपने साथ नमी भरी बादल लाती हैं, जो पहाड़ों और मैदानों पर बरसते हैं। ये हवाएं इतनी ताकतवर होती हैं कि ये पूरे उपमहाद्वीप (Indian Subcontinent) में बारिश का पैटर्न तय करती हैं। इसकी चाल और ताकत का असर इस बात पर पड़ता है कि समुद्र की सतह कितनी गर्म है और हवाओं का रुख कैसा है।
भारत के दो हिस्से में अलग तरीके से आता है मानसून
तेज हवाएं और बारिश वाले बादल जब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुंचते हैं, तो ये दो हिस्सों में बंट जाते हैं। इसका एक हिस्सा अरब सागर की ओर यानी गुजरात, मुंबई, राजस्थान से होते हुए आगे बढ़ता है। वहीं, इसका दूसरा हिस्सा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार होते हुए हिमालय से टकराकर गंगा के तलहटी क्षेत्रों की ओर मुड़ जाता है। इस तरीके से मानसून भारत में दस्तक देता है।
ये है मानसून के एंट्री की सामान्य तारीख और इस बार की हकीकत
मॉनसून तिथियाँ
table {
border-collapse: collapse;
width: 50%;
margin: 20px 0;
}
th, td {
border: 1px solid black;
padding: 8px;
text-align: left;
}
th {
background-color: #f2f2f2;
}
स्थान
सामान्य तिथि
वास्तविक तिथि 2025
पोर्ट ब्लेयर
मई 21
मई 15 - 16
तिरुवनंतपुरम
जून 1
मई 24
कोच्चि
जून 1
मई 24
बेंगलुरु
जून 3
मई 24
शिमोगा
जून 4
मई 24
करवार
जून 5
मई 24
स्रोत: आईएमडी
कैसे पता करते हैं कब आने वाला है मानसून?मानसून का ऐलान करने से पहले मौसम विभाग कुछ तय मानकों को चेक करता है फिर मानसून के एंट्री की घोषणा कर देता है। अव्वल तो मौसम विभाग केरल और आसपास के इलाके में 14 तय मौसम केंद्रों में से कम से कम 60 फीसदी पर लगातार दो दिनों तक 2.5 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश हो।
इसके साथ ही पश्चिमी हवा 15-20 नॉट की स्पीड से चलनी चाहिए। वहीं एक खास इलाके में आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR) का स्तर 200 W/m² से कम होना चाहिए।
अल नीना और ला नीना करते हैं असली खेलवास्तव में मानसून और बारिश के लिए दो स्थितियां (पैटर्न) जिम्मेदार होती हैं। इनमें एक है अल नीनो और दूसरी ला नीना। अल नीनो में समुद्र का तापमान तीन से चार डिग्री तक बढ़ जाता है।
आमतौर पर इस स्थिति का प्रभाव 10 साल में दो बार देखने को मिलता है। इसका प्रभाव यह होता है कि ज्यादा बारिश वाले इलाकों में कम बारिश और कम बारिश वाले क्षेत्रों में अधिक बारिश होती है।
दूसरी ओर, ला नीना में समुद्र का पानी खूब तेजी से ठंडा होने के कारण दुनिया भर के मौसम पर सकारात्मक असर पड़ता है। इससे बादल छाते हैं और बेहतर बारिश होती है।
जल्दी मानसून आने के पीछे की क्या है वजह?इस साल वायुमंडलीय और समुद्री का कारक के सा-साथ स्थानीय कारक भी मानसून के जल्दी दस्तक देने की वजह बनी। इस साल मानसून अंडमान सागर और आसपास के क्षेत्रों में 13 मई को ही पहुंच गया था लेकिन इसकी पहुंचने की तारीख 21 मई थी। मौसम विभाग ने कई कारकों को मानसून के जल्दी आने के पीछे की वजह माना है।
मानसून ट्रफ- यह एक लंबी निम्न-दबाव वाली पट्टी है, जो गर्मी के निम्न-दबाव क्षेत्र से लेकर उत्तरी बंगाल की खाड़ी तक फैली होती है। इस ट्रफ का उत्तर-दक्षिण में हिलना जून से सितंबर तक मुख्य मानसून क्षेत्र में बारिश का कारण बनता है।
हीट-लो- गर्मियों में सूर्य के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने से अरब सागर में एक निम्न-दबाव क्षेत्र विकसित होता है। पाकिस्तान और आसपास के इलाकों में एक मजबूत हीट-लो दबाव क्षेत्र मानसून ट्रफ के साथ नम हवा को खींचने का काम करता है, जिससे अच्छी बारिश होती है।
मैडन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO)- यह एक जटिल समुद्री-वायुमंडलीय घटना है, जो भारतीय मानसून को प्रभावित करती है और इसका उद्गम हिंद महासागर में होता है। इसमें बादल, हवा और दबाव का एक Disturbance 4-8 मीटर प्रति सेकंड की गति से पूरब की ओर बढ़ता है। 30 से 60 दिनों में MJO की हवाएं दुनिया का चक्कर लगा सकती हैं और अपने रास्ते में मौसम में बड़े बदलाव लाती हैं। अनुकूल चरण में यह मानसून के दौरान भारत में बारिश को तेज कर देता है।
मस्करेन हाई- मानसून अवधि के दौरान मस्करेन द्वीप समूह (दक्षिण हिंद महासागर में) के आसपास एक उच्च-दबाव क्षेत्र बनता है। इस उच्च-दबाव की तीव्रता में बदलाव भारत के पश्चिमी तट पर भारी बारिश के लिए जिम्मेदार होता है।
कुछ अन्य वजहें
सोमाली जेट- यह एक निम्न-स्तरीय, अंतर-गोलार्धीय, भूमध्य रेखा को पार करने वाली हवा की पट्टी है, जो मॉरीशस और उत्तरी मेडागास्कर से शुरू होती है। मई में यह पूर्वी अफ्रीकी तट को पार करके अरब सागर और भारत के पश्चिमी तट तक पहुँचती है। मजबूत सोमाली जेट मानसून हवाओं को और ताकतवर बनाती है।
कन्वेक्शन- वायुमंडल में गर्मी और नमी का ऊर्ध्वाधर स्थानांतरण, यानी कन्वेक्शन गतिविधि में वृद्धि, बारिश लाती है। उदाहरण के लिए, पिछले हफ्ते हरियाणा में एक कन्वेक्शन सिस्टम दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ा, जिससे दिल्ली क्षेत्र में बारिश हुई।
प्रेशर ग्रेडिएंट और मानसून ऑनसेट वॉर्टेक्स- ये अरब सागर में एक चक्रवाती हवा है, जिसे मानसून ऑनसेट वॉर्टेक्स कहते हैं और प्रेशर ग्रेडिएंट भी अच्छे मानसून की शुरुआत में अहम भूमिका निभाते हैं। इन सभी कारकों की वजह से इस साल भारत में मानसून जल्दी दाखिल हो गया।
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