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DCLR रैंकिंग में शीर्ष पर पूर्वी चंपारण का चकिया, इस सब डिवीजन ने किया सबसे खराब प्रदर्शन

Dainik Jagran - May 25, 2025 - 3:08pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की अप्रैल की रैंकिंग में पूर्वी चंपारण के चकिया अनुमंडल को पहला स्थान मिला है। विभाग हर महीने सीओ, डीसीएलआर, एडीएम एवं डीएम की रैंकिंग जारी करता है।

भागलपुर के नवगछिया का प्रदर्शन सबसे खराब

अप्रैल में सबसे खराब प्रदर्शन भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल का रहा, उसे अंतिम स्थान मिला। राज्य में अनुमंडलों की संख्या एक सौ एक है। रैंकिंग के आधार पर अधिकारियों को पदस्थापन में वरीयता दी जाती है।

अप्रैल की रैंकिंग में शेखपुरा दूसरे और मुंगेर का तारापुर अनुमंडल तीसरे स्थान पर रहा। मूल्यांकन के लिए सौ अंकों का निर्धारण किया गया है।

परिमार्जन प्लस के सुपरविजन पर 15, म्युटेशन के सुपरविजन पर 15, अंचल कार्यालयों के निरीक्षण पर 10, अभियान बसेरा-2 पर 15, म्युटेशन अपील पर 15, आधार सीडिंग की स्थिति पर 05 एवं बीएलडीआरए पर 20 अंक निर्धारित है।

टाप 10 डीसीएलआर
  1. चकिया (पू. चंपारण)-76.14 अंक
  2. शेखपुरा (शेखपुरा)- 73.99 अंक
  3. तारापुर (मुंगेर)-72.25 अंक
  4. बांका- 71.23 अंक
  5. निर्मली (सुपौल)-70.67 अंक
  6. ⁠बेलसंड (सीतामढ़ी)-70.32 अंक
  7. हिलसा (नालंदा)-70.20 अंक
  8. मंझौल (बेगूसराय)- 69.54 अंक
  9. ⁠पालीगंज (पटना)- 69.09 अंक
  10. ⁠बेगूसराय- 67.79 अंक
अंतिम 10 डीसीएलआर

मधेपुरा- 50.09 अंक, ⁠कटिहार (मनिहारी)- 49.85,बेतिया- 47.92, फारबिसगंज (अररिया)- 47.90, ⁠त्रिवेणीगंज (सुपौल)- 47.72, ⁠मुजफ्फरपुर पूर्वी- 45.77, ⁠सहरसा सदर (सहरसा)- 44.14,⁠मुजफ्फरपुर पश्चिमी (मुजफ्फरपुर)- 44.09, जयनगर (मधुबनी)- 44.03 एवं नवगछिया (भागलपुर)- 36.70 अंक।

विभाग द्वारा प्रत्येक माह रैंकिंग जारी करने का अच्छा परिणाम मिलने लगा है। अप्रैल माह में कई भूमि सुधार उप समाहर्त्ता कार्यालयों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। विभाग का उद्देश्य भी यही है कि बिहार की जनता को राजस्व संबंधी किसी भी प्रकार की सेवा का लाभ लेने में परेशानी का सामना न करना पड़े। इसलिए विभाग द्वारा जिलों में जाकर भी राजस्व कार्यों की समीक्षा की जा रही है।

संजय सरावगी, मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार।

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कविता, प्रभावशाली गीत और दमदार पोस्टर... भारतीय सेना ने मजबूत ढंग से देशवासियों तक पहुंचाया Operation Sindoor का संदेश

Dainik Jagran - National - May 25, 2025 - 1:58pm

पीटीआई, नई दिल्ली। संदेश की प्रभावी अभिव्यक्ति मायने रखती है। जहां ‘आपरेशन सिंदूर’ ने भारत की सैन्य शक्ति और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ रुख को प्रदर्शित किया, वहीं भारतीय सशस्त्र बलों ने भी अपनी बात को स्पष्ट करने और प्रभावी संदेश देने के लिए इंटरनेट मीडिया पर आकर्षक पोस्ट और वीडियो जारी किए। इनमें से एक में दिनकर की कविता ‘रश्मिरथी’ की पंक्तियों को शामिल किया गया।

आतंकी ठिकानों पर किए गए सटीके और नपे-तुले हमले 

भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में सात मई मध्यरात्रि को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओजेके में नौ आतंकी ठिकानों को सटीक हमलों के माध्यम से ध्वस्त कर दिया। इस हमले के बाद सरकार ने एक बयान में स्पष्ट किया कि लक्ष्यों पर “सटीके और नपे-तुले” हमले किए गए और किसी भी पाकिस्तानी सैन्य अड्डे को निशाना नहीं बनाया गया।

इसके तुरंत बाद भारतीय सेना ने इंटरनेट मीडिया पर एक मार्मिक पोस्ट साझा किया, जो अब आपरेशन सिंदूर की पहचान बन चुका है। भारतीय सेना ने 1:51 बजे ‘एक्स’ पर एक पोस्टर साझा किया, जिसमें कम शब्दों में प्रभावशाली संदेश दिया गया- “पहलगाम हमला, न्याय हुआ। जय हिंद।”

सोशल मीडिया पर सेना ने कई वीडियो किए शेयर 

पोस्टर पर ऑपरेशन सिंदूर लिखा था, जिसमें एक ‘ओ’ को कटोरी के रूप में दर्शाया गया था, जिसमें सिंदूर भरा था, जबकि इसके बाद वाले ‘ओ’ के आसपास सिंदूर बिखरा पड़ा था। तब से, भारतीय सेना द्वारा इंटरनेट मीडिया मंचों पर इस ऑपरेशन से जुड़े कई लघु वीडियो साझा किए गए हैं, जिन्हें व्यापक रूप से सराहा गया है।

सूत्रों के अनुसार, ये सभी वीडियो भारतीय सेना के सामरिक संचार के अतिरिक्त महानिदेशालय के इंटरनेट मीडिया अनुभाग द्वारा बनाए गए थे। वीडियो में गीतों का चयन बेहद सलीके से किया गया है, जो संबंधित विषय-वस्तु और थीम पर आधारित हैं।

अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में पाक व पीओजेके में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया

काव्यात्मक रूप से पाकिस्तान को दिया गया संदेश एक विशेष वीडियो, जो अपने आकर्षक गीत और प्रभावशाली दृश्यों के कारण सबसे अलग दिखाई देता है, उसे 12 मई को ऑपरेशन सिंदूर पर डीजीएमओ की प्रेस वार्ता से ठीक पहले चलाया गया था।

काव्यात्मक रूप से पाकिस्तान को दिया गया संदेश

वीडियो के शुरू होते ही रामधारी सिंह दिनकर की कालजयी कृति ‘रश्मिरथी’ के एक अंश ‘कृष्ण की चेतना’ की एक महत्वपूर्ण पंक्ति गूंज उठी। यह सेना द्वारा काव्यात्मक रूप से पाकिस्तान को दिया गया एक संदेश था।

वीडियो में राक संगीत शैली की प्रस्तुति को भारतीय सैन्य परिसंपत्तियों - मिसाइलों, नौसैनिक प्लेटफार्म, हथियार प्रणाली, वायु रक्षा प्रणाली की छवियों के साथ उपशीर्षक के साथ प्रस्तुत किया गया है। इस वीडियो में सुनाई दे रहे गीत के शब्द कुछ इस तरह हैं- ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है...हित वचन तूने नहीं माना, मैत्री का मोल न पहचाना, याचना नहीं अब रण होगा, जीवन जय या मरण होगा...।’

नष्ट किए गए पाकिस्तानी ड्रोन के मलबे की तस्वीरों का एक कोलाज और तीनों क्षेत्रों भूमि, वायु और समुद्र में भारतीय सैन्य कौशल को भी प्रदर्शित किया गया है।

यह भी पढ़ें: 'ऑपरेशन सिंदूर बदलते भारत की तस्वीर', मन की बात कार्यक्रम में बोले PM Modi

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Patna News: हड़ताली मोड़ के पास फायरिंग मामले में बड़ा एक्शन, दारोगा सहित 6 पुलिस कर्मी सस्पेंड

Dainik Jagran - May 25, 2025 - 1:53pm

जागरण संवाददाता, पटना। हड़ताली मोड़ के पास फायरिंग मामले में कोतवाली, सचिवालय और पीसीआर में तैनात दारोगा सहित 6 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। फायरिंग की घटना की सूचना प्राप्त होने के बाद अपराधकर्मी के विरूद्ध अपेक्षित कार्रवाई नहीं करने और प्रारंभिक जांच से पदाधिकारी/कर्मी द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करने के आरोप में ये कार्रवाई की गई है।

वहीं, दूसरी ओर फायरिंग की घटना में संलिप्त अपराधकर्मी की गिरफ्तारी हेतु विशेष टीम के द्वारा छापामारी जारी है।

इस खबर को लगातार अपडेट किया जा रहा है। हम अपने सभी पाठकों को पल-पल की खबरों से अपडेट करते हैं। हम लेटेस्ट और ब्रेकिंग न्यूज को तुरंत ही आप तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रारंभिक रूप से प्राप्त जानकारी के माध्यम से हम इस समाचार को निरंतर अपडेट कर रहे हैं। ताजा ब्रेकिंग न्यूज़ और अपडेट्स के लिए जुड़े रहिए जागरण के साथ।

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MANUU ने यूनिसेफ के साथ मिलाया हाथ, हैदराबाद में सड़क सुरक्षा पर जागरूकता कार्यक्रम किया आयोजित

Dainik Jagran - National - May 25, 2025 - 1:47pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों और युवाओं के लिए सुरक्षित सड़कें बनाने के लिए सरकार, शिक्षकों और समुदायों के बीच मीडिया के साथ साझेदारी में मजबूत भागीदारी की आवश्यकता है।

इस संदेश को सड़क सुरक्षा और सिस्टम पर राष्ट्रीय मीडिया परामर्श में दोहराया गया, जिसे यूनिसेफ इंडिया ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) के जनसंचार और पत्रकारिता विभाग के सहयोग से आयोजित किया।

रेडियो आरजे व मीडियाकर्मी हुए शामिल

दिन भर चले इस संवाद में सड़क सुरक्षा को बाल अधिकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य और विकास के महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में पुनः स्थापित करने तथा सुरक्षित व्यवहार, बेहतर प्रवर्तन और प्रणालीगत सुधार को प्रभावित करने में मीडिया की भूमिका को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

पत्रकारिता एवं जनसंचार विद्यालय के डीन एवं प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद फरियाद ने यूनिसेफ के सम्मानित अतिथियों, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई और कोच्चि सहित विभिन्न शहरों के रेडियो आरजे सहित मीडियाकर्मियों का गर्मजोशी से स्वागत किया

कार्यक्रम में किस पर दिया गया जोर?

उन्होंने सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने और विशेष रूप से बच्चों और किशोरों के बीच जिम्मेदार सड़क व्यवहार को बढ़ावा देने में सामुदायिक रेडियो और युवाओं द्वारा संचालित अभियानों की शक्ति पर जोर दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए, यूनिसेफ इंडिया में संचार, वकालत और भागीदारी की प्रमुख जफरिन चौधरी ने सार्वजनिक धारणा और जवाबदेही को आकार देने में मीडिया की भूमिका पर ज़ोर दिया।

उन्होंने कहा "सड़कों पर बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून और बुनियादी ढाँचे से कहीं ज़्यादा की ज़रूरत होती है। इसके लिए सहयोगात्मक, सामूहिक कार्रवाई की ज़रूरत होती है। सुरक्षित स्कूल क्षेत्र, मज़बूत आपातकालीन देखभाल प्रणाली और जागरूकता अभियान सभी एक भूमिका निभाते हैं।"

'कहानीकार की अहम भूमिक'

जफरिन चौधरी ने कहा, "मीडिया के पास एक अनूठी शक्ति है: आंकड़ों को आकर्षक कहानियों में बदलना और ऐसी कहानियां जो व्यक्तिगत और सामाजिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करती हैं। पत्रकार, आरजे और कहानीकार बदलाव के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व कर सकते हैं।"

परामर्श में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें MANUU के संकाय और छात्र, लगभग 50 रेडियो जॉकी और निर्माता, प्रिंट और टेलीविजन के मीडिया पेशेवर, सरकारी अधिकारी, नागरिक समाज के प्रतिनिधि और युवा अधिवक्ता शामिल थे।

कम उम्र के नागरिकों की होती है ज्यादा मौत

यह परामर्श ऐसे समय में आया है जब भारत अपने सबसे कम उम्र के नागरिकों के बीच सड़क दुर्घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि का सामना कर रहा है। अकेले 2022 में 18 वर्ष से कम आयु के 16,443 से अधिक बच्चे और किशोर सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।

इनमें से अधिकांश मौतें कमज़ोर सड़क उपयोगकर्ताओं, साइकिल चालकों, पैदल चलने वालों और दोपहिया वाहन सवारों से संबंधित हैं, जिनमें से कई ने हेलमेट नहीं पहना था। हालांकि, मीडिया कवरेज मुख्य रूप से बड़ी घटनाओं या हाई-प्रोफाइल मामलों तक ही सीमित रहता है, जिससे इन मुद्दों की रिपोर्टिंग कम हो जाती है।

NHAI ने किस पर दिया जोर?

NHAI हैदराबाद के क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक श्री पी शिव शंकर ने सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए एनएचएआई की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, खास तौर पर राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले सभी वाहनों के अलावा पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों और मोटरसाइकिल चालकों जैसे कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए।

उन्होंने शिक्षा, प्रवर्तन, साक्ष्य और इंजीनियरिंग के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि इन बहुआयामी पहलुओं पर सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए एक साथ विचार किया जाना चाहिए।

कुलपति ने क्या कहा?

MANUU के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने पत्रकारों को तैयार करने में विश्वविद्यालय की भूमिका को रेखांकित किया, जो गहराई से सोचते हैं और सकारात्मक बदलाव में योगदान देते हैं।

उन्होंने कहा "यह परामर्श केवल एक कार्यशाला नहीं है। यह विवेक का आह्वान है। हमारे छात्रों को संवेदनशील संचारक बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है जो गहराई और जिम्मेदारी के साथ रिपोर्ट करते हैं। सड़क सुरक्षा बुनियादी ढांचे, समानता और न्याय को जोड़ने का एक शक्तिशाली लेंस है - और हमें इसी तरह की पत्रकारिता को बढ़ावा देना चाहिए"।

ISADAK- एक एबर्टिस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेमन चेसा ने क्रॉस-सेक्टर सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा "बच्चों को सभी सड़क सुरक्षा रणनीतियों के केंद्र में होना चाहिए। चाहे वह स्कूल ज़ोन स्पीड विनियमन हो या हेलमेट कानून, हमारा ध्यान सबसे कमज़ोर लोगों पर होना चाहिए। इसलिए विश्वविद्यालयों, मीडिया और यूनिसेफ जैसी वैश्विक संस्थाओं के साथ साझेदारी महत्वपूर्ण है"।

UNICEF ने क्या कहा?

यूनिसेफ के हैदराबाद में मुख्य फील्ड ऑफिसर डॉ. ज़ेलालेम टैफ़ेसी ने सड़क सुरक्षा के लिए बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हमें सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य सरकारों, स्थानीय सरकार, नगर निगमों, शिक्षा विभागों और स्कूलों, राजमार्ग प्राधिकरणों, स्वास्थ्य विभागों, अस्पतालों (सार्वजनिक और निजी), रेडियो जॉकी, प्रिंट और टीवी सहित सभी हितधारकों को एक साथ आने की आवश्यकता है।

आघात प्रतिक्रिया एक बड़ी कमी है। दुर्घटना स्थल पर कई बच्चे मर जाते हैं। हमें एकीकृत प्रणालियों की आवश्यकता है जिसमें बाल चिकित्सा आपातकालीन देखभाल, प्रशिक्षित प्रतिक्रियाकर्ता और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता शामिल हो। स्वास्थ्य प्रणालियों को सड़क सुरक्षा वार्तालाप का हिस्सा बनना चाहिए।"

यूनिसेफ इंडिया कंट्री ऑफिस के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सैयद हुबे अली ने सड़क सुरक्षा के लिए एक एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से रोकथाम पर केंद्रित। उन्होंने कहा, "सड़क दुर्घटनाएँ केवल परिवहन का मुद्दा नहीं हैं - वे एक बड़ा लेकिन कम पहचाना जाने वाला स्वास्थ्य बोझ हैं।"

उन्होंने कहा, "हमें ट्रॉमा केयर सिस्टम को मजबूत करना चाहिए, समुदायों को पहले प्रतिक्रिया ज्ञान के साथ सशक्त बनाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा सभी गतिशीलता नियोजन के केंद्र में हो।"

किस विषय पर हुई चर्चा?

डॉ. अली ने बताया कि हाल ही में भारत द्वारा अप्रैल 2025 में आयोजित विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किशोरों और बच्चों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सड़क सुरक्षा पर 10 दौर से अधिक तकनीकी परामर्श, रोड मैप जारी किया गया था।

'बच्चों और युवाओं के लिए सड़क सुरक्षा में मीडिया की भूमिका' विषय पर एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा दिन की मुख्य विशेषता थी। वरिष्ठ पत्रकार श्रींजय चौधरी द्वारा संचालित इस पैनल में मीडिया, स्कूलों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रतिनिधि शामिल थे।

बैंगलोर में सड़क सुरक्षा और चोट की रोकथाम पर डब्ल्यूएचओ सहयोगी केंद्र के प्रमुख डॉ जी गुरुराज ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं यादृच्छिक दुर्घटनाएं नहीं हैं, बल्कि प्रणालीगत विफलताओं के पूर्वानुमानित परिणाम हैं।

उन्होंने कहा, "हमारे पास डेटा है। हमारे पास कानून हैं। हमारे पास जो कमी है, वह है निरंतर चर्चा और सार्वजनिक मांग और यही वह जगह है जहां मीडिया को आगे आना चाहिए। सही कहानियां बताने से गलत परिणामों को रोका जा सकता है।"

कौन-कौन कार्यक्रम में हुआ शामिल?

परामर्श में भाग लेने वाले अन्य प्रतिनिधियों में डब्ल्यूएचओ सहयोगी केंद्र निमहंस के डॉ. जी गुरुराज, हैदराबाद फील्ड ऑफिस, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ यूनिसेफ डॉ. श्रीधर रयावंकी और हैदराबाद के सिल्वर ओक्स इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल सुश्री रचना शर्मा शामिल थे।

परामर्श में युवा अधिवक्ता श्याम शुक्ला का संबोधन भी शामिल था, जिसमें उन्होंने हेलमेट के उपयोग और युवा जिम्मेदारी के महत्व के बारे में बात की। रेडियो प्रतिभागियों ने समूह कार्य के माध्यम से रेडियो सामग्री का सह-निर्माण किया, जिसमें यूनिसेफ से सोनिया सरकार और प्रोसुन सेन के साथ-साथ MANUU के शिक्षकों ने भी सहयोग किया।

सामग्री में सार्वजनिक सेवा घोषणाओं और जिंगल्स से लेकर युवा-केंद्रित टॉक शो और इंटरैक्टिव आरजे सेगमेंट शामिल हैं। इन ऑडियो उत्पादों में हेलमेट का उपयोग, स्कूल आने-जाने की सुरक्षा, किशोरों द्वारा वाहन चलाने के जोखिम और दर्शकों की प्रतिक्रिया जैसे विषयों को संबोधित किया गया।

कार्यक्रम का समापन मीडिया घरानों, विश्वविद्यालयों और नीति निर्माताओं से सड़क सुरक्षा को विकास की प्राथमिकता के रूप में एकीकृत करने के लिए सामूहिक आह्वान के साथ हुआ, न कि केवल यातायात के मुद्दे के रूप में।

प्रतिभागियों ने बाल सुरक्षा कथाओं को बढ़ाने और समुदाय-आधारित प्रारूपों के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन संचार को मजबूत करने का संकल्प लिया, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जोखिम सबसे अधिक है।

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Know Your Fund Manager | Rohan Korde, Fund Manager - Equity, ITI Mutual Fund

Business News - May 25, 2025 - 1:38pm
Let's start with your personal storyI'm a third generation Mumbaikar, and given this background my education has been with the State Board and Mumbai University. I am a commerce graduate from RA Podar College, and my post graduate degree is a Masters in Management Studies, specialising in Finance from METIMS.How did you land up in this job?My previous roles had been with various brokerage houses in the institutional equities research department, conducting fundamental and thematic research for nearly 15 years across various sectors, including Autos, Auto Ancillary, Logistics, Capital goods, & Oil and Gas. I joined ITI AMC in June 2019, to apply this experience and transition from the recommendatory nature of sell side research to actual investing and fund management. I joined as a Senior Equity Analyst tracking the Consumption space, but after a year and a half in that role, I took up the challenge of active fund management. In addition to the role of Fund Manager, I also oversee the research function as the Head of Research.Which funds are you currently managing?Currently, I manage four schemes at ITI AMC. The largest being the ITI Mid Cap Fund, which had a corpus of Rs11.2 bn as of the previous month end. This scheme aims to invest in mid cap names that offer earnings visibility and growth potential. I also manage the most recent offering from our house, which is the ITI Bharat Consumption Fund, with an AUM of Rs 1.8 bn. This scheme aims to invest in a mix of established, scalable, and emerging companies and offer diversification with the consumption theme.The third scheme is the ITI Pharma and Healthcare Fund, which has an AUM of Rs 2.2 bn and aims to participate in India's Healthcare sector growth story. I also manage the ITI Value Fund, which has an AUM of Rs 3bn. This fund focuses on bottom-up stock selection with emphasis on price value gap, and also aims to invest in companies and sectors that are facing headwinds or transitional pains, which can get duly resolved over a period of time.What is your investment philosophy, and how will you describe your investment strategy?The primary investment philosophy is Growth at Reasonable Prices or GARP for the first three schemes mentioned above. GARP ensures that companies with the highest potential to consistently contribute to India's growth story are part of the portfolio, while ensuring, at the same time, that we are not surpassing or exceeding the valuation that any company deserves within reasonable limits. The growth angle from GARP philosophy is, of course, diluted in favour of the value or contra approach for the Value fund.What gives you the kick while managing other people's money?As an investment professional, it is a desire for knowledge, fresh insights, and finding investment opportunities that can generate satisfactory returns on investments over a period of time, which are driving factors. Managing investor money is a responsibility that we take very seriously at ITI AMC, and we strive to ensure that we have in-built risk management measures such as diversification of holdings. The primary objective is to ensure that, over the medium to long term, investors have a good experience with respect to the trust that they have showered upon us.
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'जब तक हिंदू खुद मजबूत नहीं होगा, दुनिया में कोई...', पहलगाम हमले के बाद हिंदुओं की सुरक्षा पर क्या बोले मोहन भागवत?

Dainik Jagran - National - May 25, 2025 - 1:33pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कहा कि भारत के पास 'शक्तिशाली' होने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। आरएसएस से जुड़े प्रकाशन ऑर्गनाइजर के साथ एक विशेष साक्षात्कार में भागवत ने स्पष्ट किया कि - सुरक्षा की शुरुआत समाज से होती है, सिर्फ राज्य से नहीं।"

उन्होंने हिंदू समाज की सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि भारत की एकता ही हिंदुओं की सुरक्षा की गारंटी है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज और भारत एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं, और जब हिंदू समाज सशक्त होगा, तभी भारत भी गौरव प्राप्त करेगा।

उन्होंने पड़ोसी देश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार और मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, जब तक हिंदू समाज खुद मजबूत नहीं होगा, तब तक दुनिया में कोई उनके बारे में चिंता नहीं करेगा।

अपने अधिकारों के लिए हिंदू अब लड़ रहे: मोहन भागवत  

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार के खिलाफ जो आक्रोश देखा गया वो अद्भुत है। अब वहां के हिंदू खुद कर रहे हैं कि हम भागेंगे नहीं, अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे। उन्होंने आगे कहा, हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति बढ़ रही है और संगठन का विस्तार इस शक्ति को और व्यापक रूप देगा। जब तक यह लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं होता। हमें लड़ाई जारी रखनी होगी।

लोगों को जाति और पंथ की सोच से ऊपर उठने की जरूरत: RSS प्रमुख

मोहन भागवत ने कहा कि सनातन धर्म के सच्चे सार को संरक्षित करने के लिए समाज के सभी लोगों को जाति और पंथ के विभाजन से ऊपर उठने की आवश्यकता है। डॉ. भागवत ने भारत को एक समृद्ध राष्ट्र बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, जो शांति और समानता को बढ़ावा देता है।

उन्होंने कहा कि ये मूल्य देश के दिल में हैं। उन्होंने दुनिया में बुरी ताकतों से लड़ने के लिए आंतरिक संवाद, ताकत और एकता की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

हिंदू धर्म के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर आरएसएस प्रमुख ने कहा, "सम्पूर्ण हिंदू समाज को एकजुट करना और भारत को वैभव के शिखर पर ले जाना और अंततः इस परिवर्तन को पूरे विश्व में फैलाना। डॉ. हेडगेवार ने 1920 में ही इसकी कल्पना कर ली थी।"

उन्होंने कांग्रेस से यह घोषणा करने का आग्रह किया कि पूर्ण स्वतंत्रता, या पूर्ण स्वराज्य, हमारा लक्ष्य होना चाहिए और एक स्वतंत्र भारत को अन्य देशों को पूंजीवादी बंधन से मुक्त करने में मदद करनी चाहिए।"

यह भी पढ़ें: RSS के शताब्दी वर्ष में सरसंघचालक मोहन भागवत दिल्ली में करेंगे लोगाें से सीधा संवाद

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सभी पैक्स अध्यक्षों का बढ़ गया काम, सहकारिता विभाग से जारी हुआ नया आदेश; गांव में अब इन चीजों पर रखनी होगी नजर!

Dainik Jagran - May 25, 2025 - 12:28pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के पैक्सों को स्थानीय स्तर पर होम स्टे, पैकेज टूरिज्म, ग्रामीण टूरिज्म, यातायात सेवाएं, गाइड एंड ट्रेनिंग से संबंधित कार्य करने होंगे। इसके लिए सहकारिता विभाग की ओर से पैक्सों को दिशा-निर्देश जारी किया गया है।

सहकारिता विभाग के सचिव धर्मेन्द्र सिंह ने पैक्सों को इन सभी क्षेत्रों में कार्य करने हेतु विभाग की ओर से आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया है।

उन्होंने कहा है कि अगर आवश्यकता होगी तो नई समितियों का भी गठन किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि सहकारिता विभाग की इस नई पहल से स्थानीय उत्पादों के विपणन के साथ-साथ स्थानीय लोगों के रोजगार में भी वृद्धि होगी तथा पर्यटन विभाग की विभिन्न योजनाओं से भी पैक्स लाभान्वित होंगे।

उन्होंने मखाना उत्पादन एवं विपणन से संबंधित सहकारी समितियों तथा सहकरी किसान उत्पादक संघ को भी रोजगार सृजन हेतु योजना बनाकर कार्य करने को कहा है।

मखाना की खेती में आ रही चुनौतियों के लिए तैयार की जा रही कार्य योजना

मखाना की खेती में तथा मखाना उत्पादों के विपणन में आने वाली चुनौतियों तथा उनके समाधान पर भी सहकारिता विभाग द्वारा कार्य योजना तैयार की जा रही है।

दरअसल मखाना उत्पादक किसानों को प्रारंभ में अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी पूर्ति मखाना विपणन करने वाले व्यापारियों द्वारा की जा रही है, जिससे उनके उत्पादों को सही मूल्य नहीं मिल पाता है।

मखाना उत्पादक किसानों को पूंजी में मदद के लिए जिला केंद्रीय कोआपरेटिव बैंकों को भी आगे बढ़कर मदद करने को कहा गया है।

ऐसे सभी किसानों को जो मखाना उत्पादन में लगे है, उन्हें सहकारिता विभाग द्वारा अनिवार्य रूप से पांच लाख की सीमा तक किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाने पर भी विचार किया जा रहा है।

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