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NHRC ने मैला ढोने की प्रथा समाप्त करने के लिए राज्यों के लिखा पत्र, आठ हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा
पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर उनसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2023 के फैसले में जारी निर्देशों का तत्काल पालन सुनिश्चित करने को कहा है। इन निर्देशों का उद्देश्य हाथ से मैला ढोने की प्रथा और खतरनाक सीवर सफाई को खत्म करना है।
मानवाधिकार आयोग ने अधिकारियों को दिया आदेशमानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को कहा कि उसने अधिकारियों को कई उपायों की सिफारिश की है, जिसमें निवारण सुनिश्चित करने के लिए मजबूत निगरानी प्रणाली की स्थापना भी शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि एनएचआरसी ने अधिकारियों से आठ सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है।
एनएचआरसी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बात कहीखतरनाक कचरे की हाथ से सफाई की प्रथा को देखते हुए एनएचआरसी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों और प्रशासकों को लिखे एक पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने ऐतिहासिक 2023 के फैसले (डॉ बलराम सिंह बनाम भारत संघ) में जारी किए गए 14 निर्देशों का तत्काल कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कहा है, जिसका उद्देश्य हाथ से मैला ढोने की प्रथा (मैनुअल स्कैवेंजिंग) और खतरनाक सीवर सफाई की अमानवीय और जाति-आधारित प्रथा को खत्म करना है।
हाथ से मैला ढोने की प्रथा मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन- एनएचआरसीआयोग ने कहा है कि यह प्रथा मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, विशेष रूप से कानून के समक्ष सम्मान और समानता के साथ जीने के अधिकार का।
इस्कॉन के संपत्ति विवाद मामले में आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट, लंबे समय से चल रहा है केस
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस्कॉन बेंगलुरु की एक याचिका पर फैसला सुनाने की संभावना है, जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसने लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद में इस्कॉन मुंबई के पक्ष में निर्णय दिया था। यह विवाद बेंगलुरु के प्रसिद्ध हरे कृष्ण मंदिर और शैक्षणिक परिसर के नियंत्रण को लेकर है।
साढ़े दस बजे आएगा फैसलाजस्टिस एएस. ओका और जस्टिस आगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने पिछले साल 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस ओका शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएंगे। इस्कॉन बेंगलुरु ने दो जून, 2011 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने 23 मई, 2011 के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
वन भूमि की स्थिति की जांच के लिए एसआइटी गठित करें : सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों को यह पता लगाने के लिए एसआइटी गठित करने का निर्देश दिया कि क्या कोई आरक्षित वन भूमि गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए निजी क्षेत्र को आवंटित की गई है।
भूमि वन विभाग को सौंपने का निर्देशप्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को ऐसी भूमि का कब्जा वापस लेने और उसे वन विभाग को सौंपने का भी निर्देश दिया है।
भूमि का कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में नहीं होगापीठ ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि भूमि का कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में नहीं होगा, तो सरकारों को उक्त भूमि की कीमत उन व्यक्तियों, संस्थाओं से वसूलनी चाहिए, जिन्हें वह भूमि आवंटित की गई है। वसूली से प्राप्त राशि का इस्तेमाल वनों के विकास के लिए करना चाहिए।
पीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रशासकों को विशेष टीम गठित करने का भी निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे सभी हस्तांतरण आज से एक साल के भीतर हो जाएं।
पौधारोपण के लिए किया जाना चाहिए भूमि का इस्तेमालपीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी भूमि का इस्तेमाल केवल पौधारोपण के लिए किया जाना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने पुणे में आरक्षित वन भूमि से जुड़े मामले में दिए गए फैसले में यह निर्देश जारी किया।
'वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र को रोकने के लिए सख्त रुख की जरूरत'सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बड़े पैमाने पर शहरीकरण के कारण वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र में गिरावट को देखते हुए वनस्पतियों और जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए दोषियों को सजा दिलाने के लिए अधिकारियों को सख्त रुख अपनाने की जरूरत है।
हालांकि, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि किसी आरोपित के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों के किसी भी तरह के उल्लंघन का तभी समर्थन किया जाना चाहिए जब अभियोजन पक्ष मानकों को पूरा करता हो।
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भारत में जोर पकड़ रहा तुर्किये और अजरबैजान का बहिष्कार, 30 फीसदी भारतीय पर्यटकों ने रद की बुकिंग
जेएनएन, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने के कारण तुर्किये और अजरबैजान के बहिष्कार का अभियान लगातार जोर पकड़ रहा है। यह न केवल पर्यटन बल्कि उड़ान और व्यापार के क्षेत्रों में भी प्रभाव डाल रहा है।
धड़ाधड़ तुर्किए की बुकिंग हो रहीं रदवर्तमान में भारतीय पर्यटक इन दोनों देशों के लिए नई बुकिंग कराना तो दूर पहले से की गई बुकिंग को भी रद करा रहे हैं। टूरिस्ट कंपनियां भी नई बुकिंग नहीं ले रही हैं।
सुरक्षित विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे लोगईजमाईट्रिप के अनुसार, तुर्किये की 22 प्रतिशत और अजरबैजान की 30 प्रतिशत बुकिंगग रद हो चुकी हैं। भारतीय पर्यटक अब जार्जिया, सर्बिया, ग्रीस, थाईलैंड और वियतनाम जैसे सुरक्षित विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
ईजमाईट्रिप के सीईओ और सह-संस्थापक रिकान्त पिट्टी ने कहा कि युद्ध विराम के बाद की अनिश्चितताओं के कारण प्रभावित क्षेत्रों के लिए बुकिंग रोक दी गई है। साथ ही प्रभावित क्षेत्रों की गैर-आवश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।
भारतीय पर्यटक नुकसान उठाकर भी तुर्किये एयरलाइंस से दूरी बना रहेभारतीय पर्यटक नुकसान उठाकर भी तुर्किये एयरलाइंस से दूरी बना रहे हैं। द इंडिजिनस फेडरेशन आफ टूरिज्म इंटेग्रिटी (टीफ्टी) के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि लंबी दूरी के मामले में हवाई किराए में बड़ा अंतर है।
लुधियाना से हर वर्ष लगभग 5000 लोग तुर्किये की यात्रा के लिए बुकिंग करते थेतुर्किये एयरलाइंस से फिनलैंड का हवाई किराया 70,500 रुपये है, जबकि अन्य एयरलाइंस से यह एक लाख 3,500 रुपये है, फिर भी लोग दूसरी एयरलाइंस से बुकिंग करा रहे हैं। लुधियाना से हर वर्ष लगभग 5000 लोग तुर्किये की यात्रा के लिए बुकिंग करते थे, लेकिन अब सभी ने अपने टूर रद कर दिए हैं।
जालंधर और अमृतसर में भी यही स्थिति है। ट्रैवल एजेंटों के अनुसार, तुर्किये और अजरबैजान के लिए कोई नई बुकिंग नहीं की जा रही है। भारत में पर्यटन स्थलों की अपीलकई लोग अब तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा को रद कर देश में ही घूमने की योजना बना रहे हैं।
35 सदस्यों के साथ तुर्किये की बुकिंग रददक्षिणी दिल्ली निवासी रजिंदर सिंह एक ला फर्म के सह-संस्थापक हैं। उन्होंने अपनी टीम के 35 सदस्यों के साथ तुर्किये की बुकिंग रद कर दी है और अब देश में यात्रा की योजना बना रहे हैं। नए घटनाक्रम ने उन्हें सोचने पर मजबूर किया है कि विदेश जाने की बजाय अपने देश के पर्यटन स्थलों को क्यों न बढ़ावा दें।
व्यापारिक बहिष्कार पर आज निर्णय लेगा कैटफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने तुर्किये और अजरबैजान के साथ व्यापार बंद करने पर निर्णय लेने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में बैठक बुलाई है।
कैट के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जो भी देश भारत के खिलाफ है, उसके साथ व्यापार करने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने बताया कि भारत से तुर्किये को कई प्रमुख वस्तुएं निर्यात होती हैं, जबकि तुर्किये से भारत को कच्चा पेट्रोलियम, मशीनरी, और अन्य वस्तुएं आयात होती हैं।
मुस्लिम संगठनों ने भी बहिष्कार का किया समर्थनमुस्लिम संगठनों ने भी बहिष्कार का फैसला किया है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) और आल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन (एआइआइओ) ने कहा है कि तुर्किये और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया है, इसलिए सभी देशवासियों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए।
पंजाब के व्यापारी नहीं करेंगे एक्सपोर्टपंजाब के व्यापारियों ने भी तुर्किये को हर वर्ष 500 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट न करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि देश की एकता उनके लिए सर्वोपरि है, और वे इस घाटे को सहन करने के लिए तैयार हैं।
पंजाब से तुर्किये को 173 उत्पादों का निर्यात किया जाता है, जिसमें एंटीबायोटिक दवाएं, ट्रैक्टर, टायर ट्यूब, प्लास्टिक, स्टील उत्पाद, यार्न और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि तुर्किये की कायराना हरकतों के खिलाफ देशभर में गुस्सा है। इसे देखते हुए तुर्किये के साथ कोई व्यापार नहीं किया जाएगा।
तुर्किये के साथ व्यापारनिर्यात : खनिज ईंधन और तेल, विद्युत मशीनरी और उपकरण, वाहन और उनके कलपुर्जे, कार्बनिक रसायन, फार्मास्यूटिकल उत्पाद, टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं, प्लास्टिक, रबड़, कपास, मानव निर्मित फाइबर, लोहा और इस्पात, मशीनरी, पत्थर, प्लास्टर, तिलहन, कीमती पत्थर, ताजे सेब आदि।
आयात : विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लाक और स्लैब), ताजा सेब, सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल, रसायन, प्राकृतिक या संवर्धित मोती, लोहा और इस्पात, फ्लैट स्टील उत्पाद, प्लास्टिक, टेक्सटाइल, मशीनरी।
अजरबैजान के साथ व्यापारनिर्यात: तंबाकू और उसके उत्पाद, चाय, काफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबड़, कागज और पेपर बोर्ड, सिरेमिक उत्पाद।
आयात : कच्चा तेल, पशु चारा, जैविक रसायन, आवश्यक तेल और परफ्यूमरी, कच्ची खालें और चमड़ा
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'भारत ने दिखाया कि अहिंसक युद्ध कैसे लड़ा जाता है', भाजपा महासचिव राधा मोहन ने कही बड़ी बात
पीटीआई, बेंगलुरु। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत का प्रदर्शन किया।
पाकिस्तान में किसी निर्दोष की जान नहीं गईउन्होंने कहा कि दुनिया ने देखा कि पहलगाम में की गई हत्याओं का बदला लेने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया। यह निर्धारित लक्ष्य को लेकर ही चला। पाकिस्तान में किसी निर्दोष की जान नहीं गई।
उन्होंने कहा कि हमने दुनिया को दिखाया कि युद्ध के दौरान महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को कैसे लागू किया जाए। यह सबसे अहिंसक युद्ध था। हमने सिर्फ उन लोगों को निशाना बनाया, जिन्हें हम ढेर करना चाहते थे। दावा किया है कि एक भी निर्दोष व्यक्ति की जान नहीं गई।
नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को युद्ध की नई बारीकियां सिखाई- भाजपा सांसदभाजपा सांसद ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को युद्ध की नई बारीकियां सिखाई हैं। जब उनसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान के बारे में पूछा गया कि उन्होंने शांति स्थापित की है, तो अग्रवाल ने कहा कि केवल ट्रंप ही जानते हैं कि उन्होंने क्या किया है।
कहा कि 'जब कोई ट्रेन रेलवे स्टेशन पर रुकती है, तो कुछ बच्चे उतरते हैं और उसे धक्का देते हैं। जब ट्रेन फिर से चलती है, तो बच्चे चिल्लाते हैं कि उन्होंने ट्रेन को धक्का देकर चलाया। ट्रंप का व्यवहार प्लेटफार्म पर मौजूद बच्चों की तरह ही बचकाना है। भाजपा ट्रंप के हस्तक्षेप को खारिज करती है।
ट्रंप भारत के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए समस्याअग्रवाल ने कहा कि ट्रंप भारत के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए समस्या हैं। अग्रवाल ने याद दिलाया कि मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक ने अपने भारतीय समकक्ष से बात की थी।
दावा किया कि जब भारतीय डीजीएमओ ने कोई जवाब नहीं दिया तो पाकिस्तानी डीजीएमओ ने उन्हें दोबारा फोन किया और युद्ध रोकने के लिए उनसे विनती की तथा कहा कि अब बहुत हो गया।
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पटना में बड़ी वारदात, दारोगा की बहन को मारे चाकू; मुंह में गैस सिलेंडर की पाइप डाल लगा दी आग
जागरण संवाददाता, पटना। पटना एसकेपुरी थाना क्षेत्र के आनंदपुरी मोहल्ले में मनोरमा अपार्टमेंट के पास गली नंबर तीन में गुरुवार की रात प्रशिक्षु दारोगा की बहन व सीजीएल उत्तीर्ण युवती की नृशंसा हत्या कर दी गई। पहले उसके शरीर पर चाकू से कई वार किए गए, फिर घरेलू सिलेंडर का पाइप मुंह में डाल कर आग लगा दी गई।
मुजफ्फरपुर की रहने वाली है लड़कीमृतका की पहचान मुजफ्फरपुर निवासी संजना सिंह (27) के रूप में हुई, जो यहां छह महीने से किराये पर अकेली रह रहती थी। संजना का भाई सौरव सिंह प्रशिक्षु दारोगा है। वह राजगीर स्थित प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनिंग ले रहा है। वह तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।
किसी को नहीं लगी वारदात की भनकहैरानी है कि बिस्तर पर संजना का शव मिला था। कमरे में आग लग हुई थी, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। एसकेपुरी थानेदार प्रभात कुमार ने बताया कि घटना की जानकारी पाकर सौरव पहुंच गए। उनसे जानकारी ली जा रही है। कमरे की बत्तियां बुझी थी। फिलवक्त संजना एक निजी कंपनी में काम कर रही थी। कई बिंदुओं पर छानबीन की जा रही है।
एफएसएल ने घटनास्थल से एकत्र किए साक्ष्यएफएसएल की टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए हैं। बिस्तर की चादर पर खून के धब्बे भी मिले थे। बताया जाता है कि संजना का कमरा खुला था, लेकिन लाइट बंद थी। नौकरानी काम करने गई तो उसे संदेह हुआ। उसने बत्ती जला कर देखा तो संजना का शव वीभत्स हालत में शव बिस्तर पर पड़ा था।
मकान मालिक ने दी पुलिस को खबरउसके चीखने की आवाज सुन कर मकान मालिक पहुंचे, फिर पुलिस को खबर दी गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए पीएमसीएच भेज दिया गया है। एफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद घटनाक्रम स्पष्ट हो सकेगा। पुलिस सीसी कैमरों के फुटेज भी खंगाल रही है।
आखिरी बार मां से हुई थी बातसुबह करीब दस बजे संजना ने आखिरी बार मां से बात की थी। इसके बाद से उनका मोबाइल बंद आ रहा था। स्वजन ने समझा कि काम की व्यस्तता के कारण उन्होंने मोबाइल चार्ज नहीं किया। बैटरी नहीं होने की वजह से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पुलिस ने संजना का मोबाइल जब्त किया है। पता लगाया जा रहा है कि आखिरी बार उन्होंने किससे बात की और कौन उनके कमरे में आया था।
मारपीट के बाद हुई होगी बेहोशपरिस्थितियों के मुताबिक, संजना के कमरे में आए व्यक्ति ने उनके साथ मारपीट की। उन्हें इस हद तक पीटा कि वह बेहोश हो गईं। इसके बाद रसोईघर से सिलेंडर लाकर गैस का पाइप उनकी मुंह में डाल दिया और आग लगाकर भाग निकला।
After Putin and Trump, Zelenskyy to skip Russia-Ukraine peace talks in Turkey - India Today
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- Ahead Of Peace Talks, Zelensky Says Russia "Does Not Want To End War" NDTV
- Putin spurns Zelenskyy meeting but lower-level Ukraine-Russia talks are still on The Hindu
- Trump: Nothing's going to happen until Putin and I get together BBC
- A day of confusion and chaos as Russia and Ukraine agree to first direct talks in 3 years CNN
Tom Cruise climbs on a plane at Mission: Impossible - The Final Reckoning London premiere | Photos - Hindustan Times
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भारत करने जा रहा बड़ी पहल... अंतरिक्ष में इंसानों के रहने के लिए तलाशी जाएंगी संभावनाएं, एक्सिओम-4 मिशन में होगा जैविक प्रयोग
जेएनएन, नई दिल्ली। अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में कई इतिहास रच चुका भारत अब अंतरिक्ष में इंसानों के रहने की संभावना तलाशने के लिए कमर कस चुका है। दुनिया में पहली बार भारत अंतरिक्ष में इंसानों के रहने की संभावना का अध्ययन करने के लिए जैविक प्रयोग करने वाला है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पोस्ट किया, दुनिया में अपनी तरह की पहली ऐतिहासिक पहल के तहत भारत अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता का अध्ययन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जैविक प्रयोग करने जा रहा है।
एक्सिओम-4 मिशन के तहत होंगे प्रयोगभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सहयोग से एक्सिओम-4 मिशन के तहत ये प्रयोग किए जाएंगे। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला शामिल होंगे। यह परियोजना इसरो, नासा और डीबीटी की संयुक्त पहल है।
इसका उद्देश्य पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में विभिन्न शैवाल प्रजातियों के विकास मापदंडों और परिवर्तनों का विश्लेषण करना है। सरल शब्दों में कहें तो देखा जाएगा कि धरती पर जिस तरह से इन प्रजातियों का विकास होता है, उसकी तुलना में अंतरिक्ष में वे किस तरह विकसित होते हैं।
सूक्ष्म शैवाल प्रजातियों की पहचानमिशन के दौरान खाद्य माइक्रोएल्गी की तीन प्रजातियों की वृद्धि, आनुवंशिक गतिविधि पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा। इससे अंतरिक्ष वातावरण में उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त सूक्ष्म शैवाल प्रजातियों की पहचान करने में मदद मिलेगी।
दूसरे प्रयोग में यह पता लगाया जाएगा कि स्पाइरुलिना और साइनोकोकस जैसे साइनोबैक्टीरिया किस प्रकार बढ़ते हैं और यूरिया तथा नाइट्रेट आधारित पोषक माध्यमों का उपयोग करते हुए सूक्ष्मगुरुत्व में किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं। इससे अंतरिक्षयात्रियों के लिए विश्वसनीय खाद्य स्त्रोत सुनिश्चित हो सकेगा। अंतरिक्ष में मांसपेशियों पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा।
अब आठ जून को स्पेस स्टेशन जाएंगे शुभांशु शुक्ला- वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब आठ जून को आईएसएस के सफर पर रवाना होंगे। एक्सिओम-4 मिशन के तहत ग्रुप कैप्टन शुभांशु के साथ अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्षयात्री भी होंगे। शुभांशु आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय होंगे।
- राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सोयूज अंतरिक्षयान से अंतरिक्ष में गए थे। राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्षयात्री हैं। एक्सिओम-4 मिशन को 29 मई को लांच होना था, लेकिन इस मिशन में देरी हुई है। अब यह मिशन आठ जून को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समयानुसार शाम 6:41 बजे लांच किया जाएगा।
- अमेरिका स्थित वाणिज्यिक मानव अंतरिक्ष उड़ान कंपनी एक्सिओम स्पेस और नासा ने यह घोषणा की है। शुभांशु स्पेसएक्स के 'ड्रैगन' अंतरिक्षयान से उड़ान भरेंगे। वह आईएसएस में 14 दिन रहेंगे। इस दौरान वह इस दौरान वह सात प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों में भारत के पारंपरिक खाद्य पदार्थों जैसे कि मेथी और मूंग को अंतरिक्ष में अंकुरित करने का परीक्षण भी शामिल है।
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Supreme Court: 'देश में लोकतंत्र है, महाराजा की तरह व्यवहार न करें' सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लगाई फटकार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद में उलझे एक दंपती को फटकार लगाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वे 'महाराजा' की तरह व्यवहार न करें, क्योंकि देश में 75 साल से अधिक समय से लोकतंत्र कायम है। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी दंपती में शामिल एक पक्ष पर लक्षित थी, जो कथित तौर पर शाही वंश से ताल्लुक रखता है। न्यायालय ने मामले में अहंकार के टकराव को भी रेखांकित किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का सुझाव दियाजस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दंपती के वकीलों से अपने मुवक्किलों से बात करने और अदालत को उनकी मंशा से अवगत कराने का निर्देश दिया। पीठ ने चेतावनी दी कि अगर मध्यस्थता के माध्यम से कोई समाधान नहीं निकला तो वह तीन दिनों के भीतर कठोर आदेश पारित करने से नहीं हिचकिचाएगी।
महिला और पुरुष के अपने अपने दावेग्वालियर की रहने वाली महिला ने दावा किया कि वह बेहद प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती है और पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल थे और उन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था। दूसरी ओर, उसके पति ने कहा कि वह सैन्य अधिकारियों के परिवार से आता है और मध्य प्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान का संचालन करता है।
रॉल्स रॉयस कार है विवाद की जड़भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए ऑर्डर की गई 1951 मॉडल की प्राचीन हस्तनिर्मित क्लासिक रोल्स रायस कार, जो अपने मॉडल की एकमात्र कार है और जिसकी मौजूदा कीमत 2.50 करोड़ रुपये से अधिक है, मामले में विवाद की जड़ है। दोनों पक्षों की ओर से पेश वकीलों ने अदालत को बताया कि विवाद मुख्यत: धन पर केंद्रित है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- ' हम जानते हैं कि मामले में केवल अहंकार के कारण समझौता नहीं हो पाया है। अगर विवाद पैसे को लेकर है तो उसे अदालत सुलझा सकती है, लेकिन इसके लिए पक्षों को आम सहमति पर पहुंचना होगा।'
पीठ ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए निर्धारित कर दीपीठ ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए निर्धारित कर दी। दंपती के बीच मध्यस्थता के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने 22 अप्रैल को पीठ को सूचित किया था कि मामले में दोनों पक्ष स्वीकृत समाधान तक नहीं पहुंच सके हैं।
उन्होंने पीठ से दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति वाले समाधान की संभावना तलाशने के लिए एक अंतिम प्रयास का मौका देने का अनुरोध किया था। महिला ने आरोप लगाया है कि अलग रह रहे उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज में रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट की मांग को लेकर उसे परेशान किया। हालांकि, उसके पति ने आरोप से इन्कार किया है।
महिला ने पति और उसके घरवालों पर लगाए आरोपमहिला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जब प्रतिवादियों की मांगें पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने शादी को मानने से इन्कार करना शुरू कर दिया और याचिकाकर्ता के खिलाफ झूठे एवं तुच्छ आरोप लगाने लगे तथा उसका चरित्र हनन शुरू कर दिया।
पति ने अलग रह रही पत्नीपति ने अलग रह रही पत्नी, उसके माता-पिता और रिश्तेदारों के खिलाफ विवाह प्रमाण पत्र तैयार करने में धोखाधड़ी और जालसाजी करने का मामला दर्ज कराया जबकि महिला ने दहेज उत्पीड़न और क्रूरता का मामला दर्ज कराया। हाई कोर्ट ने महिला की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह बाद में की गई कार्रवाई थी।
'वन भूमि की स्थिति की जांच के लिए SIT का किया जाए गठन' सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों को यह पता लगाने के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया कि क्या कोई आरक्षित वन भूमि गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए निजी क्षेत्र को आवंटित की गई है।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को ऐसी भूमि का कब्जा वापस लेने और उसे वन विभाग को सौंपने का भी निर्देश दिया है।
वसूली से प्राप्त राशि का प्रयोग वनों के विकास के लिए करेंपीठ ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि भूमि का कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में नहीं होगा, तो सरकारों को उक्त भूमि की कीमत उन व्यक्तियों, संस्थाओं से वसूलनी चाहिए, जिन्हें वह भूमि आवंटित की गई है। वसूली से प्राप्त राशि का इस्तेमाल वनों के विकास के लिए करना चाहिए।
पीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रशासकों को विशेष टीम गठित करने का भी निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे सभी हस्तांतरण आज से एक साल के भीतर हो जाएं। पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी भूमि का इस्तेमाल केवल पौधारोपण के लिए किया जाना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने पुणे में आरक्षित वन भूमि से जुड़े मामले में दिए गए फैसले में यह निर्देश जारी किया।
'वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र को रोकने के लिए सख्त रुखकी जरूरत'सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बड़े पैमाने पर शहरीकरण के कारण वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र में गिरावट को देखते हुए वनस्पतियों और जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए दोषियों को सजा दिलाने के लिए अधिकारियों को सख्त रुख अपनाने की जरूरत है।
हालांकि, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि किसी आरोपित के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों के किसी भी तरह के उल्लंघन का तभी समर्थन किया जाना चाहिए जब अभियोजन पक्ष मानकों को पूरा करता हो।
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Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि कब तक रहेगा स्थगित? विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया सीधा जवाब
पीटीआई, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े एक्शन लिए। भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया। इसके बाद भारत ने 7 मई की सुबह आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमले किए। इस हमले में पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकियों के 9 ठिकाने पूरी तरीके से ध्वस्त हो गए।
इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध और व्यवहार पूरी तरह से द्विपक्षीय होंगे, जो कई वर्षों से राष्ट्रीय सहमति है और उस सहमति में "बिल्कुल कोई बदलाव नहीं है।
कब तक स्थगित रहेगी सिंधु जल संधि?दरअसल, एक कार्यक्रम के अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन नहीं बंद कर देता।
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम हमले के अपराधियों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता पर बल दिया था और 7 मई की सुबह हमने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से उन्हें जवाबदेह ठहराया।
उन्होंने कहा कि भारत ने 7 मई की सुबह आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। पाकिस्तानी कार्रवाई का भारतीय पक्ष द्वारा कड़ा जवाब दिया गया। 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने के साथ ही शत्रुता समाप्त हो गई।
केवल पीओके पर होगी बात: जयशंकरविदेश मंत्री ने कहा कि पानी के मुद्दे उठाए गए हैं। मैं फिर से जोर देता हूं कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय रूप से और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता। इसलिए, कभी-कभी, कश्मीर मुद्दे को उठाया जाता है। फिर से, कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक ही बात बची है, वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना, हम पाकिस्तान के साथ इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। मैं अपनी स्थिति को बहुत स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं...सरकार की स्थिति बहुत, बहुत स्पष्ट है।
'पाकिस्तान को हमने भारी नुकसान पहुंचाया'विदेश मंत्री एस जयशंर ने कहा कि 10 मई की सुबह पाकिस्तान के कई एयरबेस पह सटीक निशाना साधा गया। विदेश मंत्री ने कहा कि सैटेलाइट से सामने आई तस्वीरें बताती हैं कि पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ है। पाकिस्तान को लेकर उन्होंने कहा कि लोग जो 7 मई को पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थे, 10 मई को बातचीत करने और पीछे हटने के लिए तैयार थे। यह बहुत स्पष्ट है कि कौन गोलीबारी बंद करना चाहता था।
होंडुरास दूतावास के उद्घाटन के मौके पर जयशंकर ने कहा कि भारत के लिए यह बहुत अच्छी बात है कि यहां सीईएलएसी (लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई राज्यों का समुदाय) समूह के एक देश का नया दूतावास है।
उन्होंने कहा कि होंडुरास एक ऐसा देश है जहां व्यापार बढ़ रहा है, वे राजनीतिक रूप से हमारा समर्थन करते हैं। वे उन देशों में से एक थे जिन्होंने पहलगाम हमले के मामले में मजबूत एकजुटता व्यक्त की थी, इसलिए मैं इसकी बहुत सराहना करता हूं।
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