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India-US Trade Deal: 'अभी तक कुछ भी तय नहीं', भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर क्या-क्या बोले एस जयशंकर
एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में TRF आतंकी संगठन के खिलाफ सबूत पेश करने का फैसला किया है। भारत की मांग है कि इस आतंकी संगठन पर बैन लगाया जाए।
TRF पर बैन लगाने के मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "इस मामले पर वास्तव में भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने साफ तौर पर कहा है पहलगाम हमले के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।"
विदेश मंत्री ने भारत-पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई पर कहा कि दुनिया ने देखा कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने के लिए चीनी ड्रोन का इस्तेमाल किया। हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है।
वहीं,जयशंकर ने एक बार फिर अमेरिका को इशारों-इशारों में बता दिया कि कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है। इस मामले पर किसी भी तीसरे देश का दखल सही नहीं है।
हमारी सेना ने पाकिस्तान का जबरदस्त नुकसान किया: जयशंकरऑपरेशन सिंदूर पर जयशंकर ने कहा,"हमने आतंकवादी ढांचे को नष्ट किया। हमने पाकिस्तान को अगाह किया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला करने जा रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह इस ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करे। उन्होंने इस सलाह को न मानने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत पर हमले किया। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हमने पाकिस्तान का कितना नुकसान किया और उन्होंने कितना कम नुकसान किया।"
सीजफायर को लेकर जयशंकर ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि कौन गोलीबारी बंद करना चाहता था।
पाकिस्तान को गुलाम कश्मीर लौटाना ही होगा: विदेश मंत्रीपहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को भी स्थगित कर दिया है। इस मामले पर विदेश मंत्री ने कहा,"सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं रोका जाता।
विदेश मंत्री ने आगे कहा,"कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक ही बात बची है, वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना; हम इस चर्चा के लिए तैयार हैं।"
'कोई भी व्यापार सौदा परस्पर लाभकारी होना चाहिए'भारत-अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड एग्रीमेंट पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ये जटिल वार्ताएं हैं। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं होता।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि कोई भी व्यापार सौदा परस्पर लाभकारी होना चाहिए; इसे दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए। व्यापार सौदे से हमारी यही अपेक्षा होगी। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इस पर कोई भी निर्णय जल्दबाजी होगी।
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'PAK सेना को कहा था दूर रहो', जयशंकर ने शहबाज सरकार के झूठ की खोली पोल; बोले- सैटेलाइट तस्वीरें बता रही सच्चाई
एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सात मई को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के जरिए पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर के 9 आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की थी। इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमने 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किए। हमने पाकिस्तान को आगाह किया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला करने जा रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह इस ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करें। उन्होंने इस सलाह को न मानने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत पर हमले किए। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की।"
सैटेलाइट तस्वीरें बता रही पाकिस्तान की सच्चाई: जयशंकरऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया। हालांकि, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के सभी ड्रोन और मिसाइल मार गिराए। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के कई सैन्य एयरबेस को तबाह कर दिए।
इस सैन्य कार्रवाई के बीच पाकिस्तान ने झूठी खबरें फैलाई कि पाकिस्तान की सेना ने भारत का बड़ा नुकसान किया है। पाकिस्तान के इस झूठे दावे पर जयशंकर ने कहा कि सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हमने पाकिस्तान का कितना नुकसान किया और उन्होंने कितना कम नुकसान किया।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले प्राइवेट सैटेलाइट कंपनी मैक्सार ने कुछ तस्वीरें जारी की है, जिसमें देखा जा सकता है कि भारत के हमलों में पाकिस्तानी एयरबेस को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।
भारत ने पाकिस्तान के सैन्य एयरबेस को किया तबाहवायु सेना ने हवाई हमला करते हुए पाकिस्तान के रहीम यार खान एयरबेस पर जबरदस्त बमबारी की है। यह एयरबेस पाकिस्तान वायु सेना का प्रमुख केंद्र है। इतना ही नहीं, भारतीय वायु सेना ने चकवाल एयरबेस पर भी हमला किया।
सिंधु जल समझौता रहेगा स्थगित: एस जयशंकरपहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को भी स्थगित कर दिया है। इस मामले पर विदेश मंत्री ने कहा,"सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं रोका जाता।
यह भी पढ़ें: Operation Sindoor: भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस को किया धुआं-धुआं; 5 तस्वीरों में देखे PAK में मची तबाही का मंजर
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ड्रोन ने बदला युद्ध का तरीका: भारत ने कब पहली बार जंग में इस्तेमाल किया था Drone?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ड्रोन ने दुनिया भर में युद्ध का तरीका बदल दिया है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने तबाह किए तो पाकिस्तानी सेना ने सैकड़ों की संख्या में ड्रोन भेजकर हमले किए। पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में खत्म कर दिया।
अब सवाल यह है कि ड्रोन शब्द कैसे चलन में आया, ड्रोन किस तरह युद्ध लड़ने के तौर-तरीके बदल रहे हैं, दुनिया में पहली बार ड्रोन का कब इस्तेमाल हुआ और किस काम के लिए हुआ था? आइए हम आपको ड्रोन के बारे में सबकुछ बताते हैं...
- अभी हाल में भारत-पाकिस्तान तनातनी में दोनों देशों ने अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया। इससे पहले इजरायल-गाजा और रूस-यूक्रेन वॉर में भी ड्रोन का जमकर इस्तेमाल किया गया। इससे एक बात साफ हो गई है कि ड्रोन अब सिर्फ तकनीक नहीं हैं, अब ये युद्ध की दिशा बदलने वाला हथियार हैं।
- जिस भी देश की रक्षा प्रणाली में उन्नत तकनीक के ड्रोन भी शामिल हैं, उस देश की सेना कई गुना ताकतवर हो जाती है। जैसे पहले विश्व युद्ध में खाइयों की लड़ाई युद्ध रणनीति का हिस्सा थी, वैसे ही 21वीं सदी में ड्रोन युद्ध में प्रमुख हथियार बन चुके हैं। भविष्य के युद्ध की दिशा एआई, स्वार्म टेक्नोलॉजी और ड्रोन से तय होगी।
भारत का पहला स्वदेशी डिजाइन और डिवेलप्ट ड्रोन 'निशांत' था। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ड्रोन 'निशांत' का 1995 में इसका परीक्षण किया था। भारतीय सेना की रिमोटली पायलेटेड व्हीकल (RPV) की जरूरत को पूरा करने के लिए 'निशांत' को बनाया गया था।
साल 1999 में कारगिल भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था। तब पहली बार भारत ने इस ड्रोन का इस्तेमाल किया था। यह ड्रोन दुश्मन के इलाके के जानकारी एकत्रित करने और तोपखाने की आग को ठीक करने के लिए किया गया था।
इसके बाद भारत ने पंछी, लक्ष्य, रुस्तम, आर्चर, घातक और नेत्र समेत कई और ड्रोन बनाए। हालांकि, अभी भारत मुख्य रूप से इजरायली मूल के हिरोन मार्क-2, हैरोप और स्काई-स्ट्राइकर जैसे ड्रोन का इस्तेमाल करता है।
अभी हाल ही में भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी स्थलों और पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणालियों पर हमला करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया। हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि कौन-सा ड्रोन इस्तेमाल किया।
अब युद्ध में क्यों अहम हैं ड्रोन?- ड्रोन की किसी भी सीमा पर त्वरित तैनाती की जा सकती है।
- UAV ड्रोन सटीक हमला करने में सक्षम हैं।
- मानव जीवन के लिए कम जोखिम तुलनात्मक रूप से कम लागत।
- रडार और निगरानी प्रणाली से छिपने में सक्षम।
द पावर एटलस और द ड्रोन डेटाबुक के अनुसार-
अमेरिका 13000 तुर्किए 1421 पोलैंड 1209 रूस 1050 जर्मनी 670 भारत 625 फ्रांस 591 ऑस्ट्रेलिया 557 दक्षिण कोरिया 518 फिनलैंड 412 ड्रोन शब्द व कंसेप्ट कब और कैसे आया?यह बात उस वक्त की है, जब भारत में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू भी नहीं थी। 19वीं सदी में इटली छोटे-छोटे राज्यों में बंटा था। इन राज्यों पर अलग-अलग शक्तियों का नियंत्रण था, जिनमें ऑस्ट्रियन साम्राज्य एक प्रमुख शक्ति थी।
1848-49 के बीच पूरे यूरोप में क्रांति की लहर उठी, जिसे स्प्रिंगटाइम ऑफ नेशंस (Springtime of Nations) कहा जाता है। लोगों ने अपनी आजादी के लिए लड़ना शुरू कर दिया। इटली आजादी और एकीकरण (Unification) के लिए आंदोलन चल रहा था।
1849 में वेनिस ने भी ऑस्ट्रिया के खिलाफ विद्रोह कर दिया। वेनिस के लोगों ने ऑस्ट्रिया से आजाद होने का प्रयास किया और एक अस्थाई सरकार बना ली। ऑस्ट्रिया ने सैन्य कार्रवाई कर आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। जब वेनिस के आंदोलनकारियों ने हार नहीं मानी तो ऑस्ट्रियाई सेना ने वेनिस पर बैलून बम गिराए थे, जिसे दुनिया का पहला हवाई हमला माना जाता है।
20वीं सदी में ड्रोन तकनीक विकसित हो गई। आज से करीब 108 साल पहले, प्रथम विश्व युद्ध (साल 1917) के दौरान ब्रिटेन ने रेडियो कंट्रोल्ड एरियल टारगेट (Aerial Target) का टेस्ट किया। ब्रिटेन के टेस्ट के एक साल बाद 1918 में अमेरिका रेडियो कंट्रोल व्हीकल का परीक्षण किया। उसे केटरिंग बग (Kettering ‘Bug’) करार दिया गया। उस वक्त यह मानव रहित अनमैन्ड व्हीकल (UAV) का पहला उदाहरण था।
ड्रोन का पहली बार प्रयोग किस युद्ध में हुआ था?दूसरे विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन ने रिमोट से चलने वाली डीएच82बी क्वीन बी (Queen Bee) ड्रोन बनाया गया। ‘ड्रोन’ शब्द की उत्पत्ति इसी नाम से हुई है। यह किसी भी लक्ष्य की जानकारी लेने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा था।
'क्वीन बी' को दुनिया का सबसे पहला आधुनिक ड्रोन माना गया था। 'क्वीन बी' का उपयोग ब्रिटेन के रॉयल एयर फोर्सेस में किया गया था। इस ड्रोन की सफलता के बाद ही अमेरिका ने अपना ड्रोन प्रोग्राम शुरू किया था।
अमेरिकी ड्रोन पहली बार युद्ध में कब उड़ाए गए?अमेरिका ने ब्रिटेन में ड्रोन के सफल होने के बाद अपने यहां ड्रोन बनाने शुरू कर दिए। अमेरिका ने वियतनाम वॉर के दौरान पहली बार छोटे रिमोट कंट्रोल ड्रोन 'रयान एक्यूएम 91' (Ryan AQM-91) का इस्तेमाल किया था। अमेरिकी आर्मी ने इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर उत्तरी वियतनाम में दुश्मन की जासूसी करने के लिए किया था। 'रयान एक्यूएम 91' दो कैमरों से लैस था।
क्या प्रीडेटर ड्रोन गेम चेंजर साबित हुआ?कोल्ड वॉर के दौरान जासूसी के लिए ड्रोन का जमकर इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि 90 के दशक में पहुंचने तक अमेरिका ने प्रीडेटर ड्रोन यानी एक तरह से मानव रहित हवाई विमान (UAV) विकसित कर लिया, जोकि मिसाइल लैस था। उसके बाद इस ड्रोन का इस्तेमाल बाल्कन युद्ध में किया गया था।
इस दिशा में सबसे बड़ा बदलाव साल 2000 में आया, जब अमेरिका ने प्रीडेटर ड्रोन को हेलफायर मिसाइल (Hellfire Missile) से लैस कर दिया। इसके बाद से यह ड्रोन दुश्मन के इलाके में सटीक हमला करने में सक्षम हो गया।
9/11 के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ अभियान में हेलफायर मिसाइल प्रीडेटर ड्रोन का बड़े लेवल पर इस्तेमाल किया। यह ड्रोन 24 घंटे उड़ान भरने में सक्षम था। एक समय तक ड्रोन तकनीक और ड्रोन इंडस्ट्री (Drone industry) पर अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल का कब्जा था। साल 2015 के बाद ड्रोन तकनीक वैश्विक हो गई।
यह भी पढ़ें-Colonel & Wing Commander Salary: कितनी होती है भारतीय सेना के कर्नल और वायुसेना के विंग कमांडर की सैलरी?
Source:
- ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की वेबसाइट - www.orfonline.org
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन - www.drdo.gov.in
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