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पाकिस्तान को बिगाड़ रहा है आईएमएफ, जवाबदेही नहीं, रियायतें ही रियायतें
आईएमएफ से पाकिस्तान को कर्ज मिलने के बाद बार-बार यह सवाल उठता है कि क्या आतंक को पोषित करने वाले मुल्क को यह फंड मिलना जायज है? लगातार मिल रहे फंड के बाद भी पाकिस्तान की इकोनॉमी पटरी पर क्यों नहीं आ रही ? वह इन पैसों को दुरुपयोग कर आतंक को बढ़ावा देने में करता है। इस बारे में अनुराग मिश्र ने इंफॉर्मेटिक्स रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट डा. मनोरंजन शर्मा से बात की।
बार-बार IMF से कर्ज लेने के बावजूद पाकिस्तान आर्थिक स्थिरता हासिल क्यों नहीं कर सका? क्या इसकी जड़ राजनीतिक अस्थिरता है या फिर दोषपूर्ण आर्थिक नीतियां?
पाकिस्तान दशकों से आर्थिक संकटों में डूबा रहा है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था संरचनात्मक रूप से कमजोर रही है। लोकतंत्र के नाम पर वहां सिर्फ नाटक होता रहा है। असली सत्ता कभी सेना के पास रही, तो कभी कठपुतली सरकारों के पास। 1958 से अब तक पाकिस्तान ने IMF से 24 बार बेलआउट पैकेज लिए हैं। हाल ही में IMF ने उसे 2.4 अरब डॉलर का बेलआउट दिया है, जिसमें 1 अरब डॉलर का एक्सटेंडेड फंड है और बाकी क्लाइमेट लिंक्ड रेज़िलिएंस ट्रस्ट के तहत।
पाकिस्तान की आर्थिक दुर्गति के पीछे मुख्य कारण हैं, राजनीतिक अस्थिरता, बार-बार की सैन्य तख्तापलट, घरेलू संसाधनों पर ध्यान न देना, बिना सोच-समझ के सब्सिडी बांटना और सऊदी अरब व चीन जैसे देशों पर अत्यधिक निर्भरता। यह एक अव्यवहारिक मॉडल था, जिसे अंततः ढहना ही था।
IMF की रिपोर्ट में पाकिस्तान के सुधार प्रयासों की सराहना की गई है, लेकिन साथ ही उसकी संरचनात्मक कमजोरियों की भी बात की गई है। क्या यह विरोधाभास IMF की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है?रिपोर्ट में कुछ सकारात्मक संकेतों जैसे महंगाई में कमी और उपभोक्ता विश्वास में वृद्धि का ज़िक्र है, लेकिन समग्र आर्थिक गति उम्मीद से कमज़ोर रही। असली समस्या ये है कि संरचनात्मक सुधार आज भी अधूरे हैं। कर प्रणाली बेहद सीमित है, नुकसान उठाने वाले सरकारी उपक्रम भारी बोझ बन चुके हैं और ऊर्जा व शासन क्षेत्र में भी बड़े बदलाव अब तक टाले जाते रहे हैं।
सख्त आर्थिक उपाय सामाजिक अशांति और असमानता को बढ़ाते हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि IMF बार-बार "अच्छे पैसे को बुरे में झोंक" रहा है। यानी सुधार के बिना फंड देना एक अंतहीन खाई में पैसा फेंकने जैसा है।
क्या IMF को सहायता मंज़ूर करने से पहले यह जांचना चाहिए कि कहीं ये धन आतंकवाद या सैन्य गतिविधियों में तो नहीं जा रहा?बिलकुल। IMF कर्ज़ कुछ शर्तों के साथ ही देता है, जैसे सब्सिडी में कटौती, टैक्स वसूली में सुधार, मुद्रा की स्थिरता और सैन्य टकराव को रोकना।
लेकिन दिक्कत ये है कि इन शर्तों की निगरानी उतनी सख्त नहीं होती, जितनी होनी चाहिए। पाकिस्तान अक्सर शर्तों की अनदेखी कर देता है और फिर भी अगली किश्त मिल जाती है। यह एक कमजोर निगरानी तंत्र को दर्शाता है।
क्या IMF फंड के आतंकवाद में दुरुपयोग को लेकर भारत की चिंता जायज़ है? क्या ऐसा कोई वैश्विक तंत्र है जो इस पर नज़र रख सके?पाकिस्तान की पिछली गतिविधियों को देखते हुए भारत की चिंता पूरी तरह वाजिब है। देश जब खुद दिवालिया होने की कगार पर हो और फिर भी आतंकी गतिविधियों से बाज़ न आए, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। IMF को चाहिए था कि वह पाकिस्तान को धन देने से पहले और अधिक सख्त शर्तें लागू करता और सुनिश्चित करता कि पैसों का इस्तेमाल विकास के लिए हो, न कि सैन्य या आतंकी उद्देश्यों के लिए।
दुर्भाग्य से, ऐसी निगरानी की कोई प्रभावी वैश्विक व्यवस्था आज भी नहीं है।
क्या पाकिस्तान में उद्योगों को दी गई सब्सिडी और संरक्षण एक नकली स्थिरता का भ्रम पैदा करते हैं, जो आत्मनिर्भरता और प्रतिस्पर्धा को रोकते हैं?नहीं, अब तो पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली इतनी स्पष्ट है कि कोई भी भ्रम बाकी नहीं बचा। ऋणदाताओं की चिंताएं भी अब साफ तौर पर सामने हैं।
पाकिस्तान आत्मनिर्भरता और प्रतिस्पर्धा की दिशा में कदम बढ़ाने के बजाय गरीबी और आर्थिक जड़ता के दुष्चक्र में फंसा हुआ है। अगर अब भी पाकिस्तान चेत नहीं पाया, तो शायद ऊपर वाला भी उसे नहीं बचा सकेगा।
IMF की 1989 से अब तक 28 बार की मदद के बावजूद पाकिस्तान पिछड़ता रहा, जबकि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश आगे क्यों निकल गए?जवाब साफ है राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और विकास की जगह ‘जिहाद’ को राज्य की नीति बना लेना। पाकिस्तान ने विकास की बजाय आतंक को प्राथमिकता दी, जिसकी कीमत उसे आज आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर चुकानी पड़ रही है।
वहीं बांग्लादेश और वियतनाम ने मानव संसाधन विकास, निर्यात, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान दिया और आज नतीजे सबके सामने हैं।
क्या IMF की ढीली शर्तें और नरम रवैया पाकिस्तान को सुधारों से बचने और अनुशासनहीनता की छूट देता है?हां, पाकिस्तान को बार-बार "किड ग्लव्स" यानी बहुत ही मुलायम रवैये से ट्रीट किया गया है। यह न सिर्फ पाकिस्तान के लिए नुकसानदेह है, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी गलत संदेश भेजता है कि कुछ देशों को बार-बार छूट मिलती है और जवाबदेही नहीं होती।
इससे सुधारों की प्रक्रिया और भी ज्यादा कमजोर पड़ती है।
IMF जैसी वैश्विक संस्थाओं में भारत की भूमिका कितनी होनी चाहिए, खासकर जब क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर असर पड़ता हो?भारत को ज़रूर बड़ी भूमिका मिलनी चाहिए, खासकर तब जब क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा दांव पर हो। लेकिन तब तक ऐसा संभव नहीं, जब तक IMF जैसी संस्थाओं की संरचना और वोटिंग सिस्टम में आमूल-चूल परिवर्तन न हो।
आज का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचा औपनिवेशिक दौर की मानसिकता का प्रतीक है, जिसे बदलने की ज़रूरत है ताकि भारत जैसे विकासशील और जिम्मेदार देशों को उनका वाजिब स्थान मिल सके।
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क्या कैंसिल होंगी फ्लाइट? गोवा में भारी बारिश, IndiGO ने ट्रैवल एडवाइजरी की जारी
एएनआई, पणजी। गोवा में भारी बारिश का दौर जारी है। इस बीच इंडिगो एअरलाइंस ने ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि राज्य में भारी बारिश की वजह से उड़ान संचालन प्रभावित हो सकता है। एअरलाइन ने यात्रियों से कहा है कि यात्रा से पहले फ्लाइट की स्थिति की जानकारी जरूर ले लें।
इंडिगो की चेतावनीइंडिगो ने यात्रियों को सलाह देते हुए कहा है, "गोवा में खराब मौसम और बारिश के कारण उड़ान में देरी या व्यवधान हो सकता है। हम चाहते हैं कि सभी यात्री एअरपोर्ट रवाना होने से पहले अपनी फ्लाइट की स्थिति की जानकारी लें और अतिरिक्त समय निर्धारित करें।"
#6ETravelAdvisory: #Goa is experiencing rain, which may affect flight operations. Stay updated on your flight status via https://t.co/IEBbuCrCdG for the latest information. pic.twitter.com/cGwRpW2Whp
— IndiGo (@IndiGo6E) May 20, 2025एअरलाइन ने कहा कि उसकी कस्टमर सपोर्ट टीम यात्रियों की मदद के लिए उपलब्ध है। इंडिगो ने कहा, "हमारी टीमें सभी ग्राहक सेवा टचप्वाइंट पर उपलब्ध हैं और आपकी यात्रा के हर चरण में आपकी सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
'फ्लाइट की स्थिति की लें जानकारी'इंडिगो ने अपने यात्रियों के लिए सलाह जारी कर कहा है कि लोग नियमित रूप से अपनी उड़ान की स्थिति की जांच करते रहें और संभावित मौसम संबंधी देरी और यातायात व्यवधानों के कारण अतिरिक्त यात्रा समय की योजना बनाकर चलें।
बता दें, मौसम विभाग ने हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी जारी की है। आज उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा के कुछ स्थानों पर हल्की आंधी और 30-40 की गति से हवा चलने की भी संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग का अनुमानIMD गोवा स्टेशन प्रभारी एन.पी. कुलकर्णी ने कहा, "हमने दो दिनों के लिए औरेंज अलर्ट जारी किया था, इसके बाद अब यैलो अलर्ट जारी हुआ है। आज के लिए हमने भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है और कल भी मौसम ऐसा ही रहने का अनुमान है।"
उन्होंने कहा, "तीसरे दिन यैलो अलर्ट जारी किया गया है। कल दक्षिण गोवा में लगभग 70 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी। परसों भी इतनी ही बारिश हुई थी। ये सभी प्री-मॉनसून के संकेत हैं। हम जानकारी अपडेट करते रहेंगे।"
कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक ने रचा इतिहास, 'हार्ट लैंप' के लिए जीता इंटरनेशनल बुकर प्राइज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब 'हार्ट लैंप' के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता है। बानू मुश्ताक कर्नाटक कीर रहने वाली हैं। बानू मुश्ताक को उनकी कन्नड़ कहानी संग्रह हार्ट लैंप के लिए साल 2025 का प्रतिष्ठित बुकर प्राइज मिला है।
यह पहली बार है, जब कन्नड़ भाषा में लिखी किसी किताब को बुकर प्राइज मिला है। उन्होंने ये किताब जीतकर इतिहास रच दिया। दीपा भष्ठी ने इस किताब का कन्नड़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
कब और कहां हुआ पुरस्कार का एलान?पेशे से वकील और पत्रकार, बानू मुश्ताक ने कहानीकार, कवि, उपन्यासकार और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। 20 मई लंदन के टेट मॉडर्न में आयोजित एक समारोह में इस पुरस्कार का एलान किया गया।
12 कहानियों का संग्रह हैबता दें कि 2025 के निर्णायक मंडल की अध्यक्षता करने वाले लेखक मैक्स पोर्टर ने हार्ट लैंप को विजेता के रूप में घोषित किया। पोर्टर ने कहा, कई साल बाद 'हार्ट लैंप' अंग्रेजी पाठकों के लिए कुछ नया है ।यह अनुवाद की हमारी समझ को चुनौती देता है और उसे अच्छा करना में बेहतर करता है। बानू मुश्ताक उनकी 12 शॉर्ट स्टोरीज यानी लघु कहानियों का एक संग्रह है। उन्हें इस किताब को लिखने में लगभग 30 साल लगे।
बानू मुश्ताक ने पुरस्कार जीतने के बाद वहां बैठे लोगों से कहा, वैश्विक दर्शकों के लिए कन्नड़ को और अधिक पेश करने की जरूरत है। दुनिया भर के पाठकों के लिए अधिक से अधिक कन्नड़ साहित्य लाने की आवश्यकता है।
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