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'पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी Influencers को कर रही भर्ती', Jyoti Malhotra को लेकर पुलिस ने खोले कई राज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा पुलिस ने कुछ लोगों को पाकिस्तान के खुफिया जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इनमें मशहूर यूट्यूबर और ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा का भी नाम शामिल है।
ज्योति हरियाणा की हिसार की रहने वाली हैं। फिलहाल वह पांच दिनों की पुलिस रिमांड पर हैं। पुलिस अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि वह पाकिस्तान अधिकारियों का साथ संपर्क में थीं और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी उन्होंने काफी जानकारी साझा की है।
सिर्फ सरहद पर नहीं लड़ी जाती जंग: एसपी हिसारहिसार के एसपी शशांक कुमार सावन ने इस पर में जानकारी देते हुए कहा, "आधुनिक जंग सिर्फ सरहद पर ही नहीं लड़ी जाती। पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी कुछ सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर को भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं और वे इसका इस्तेमाल अपने नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं।
"हमें केंद्रीय एजेंसियों से इनपुट मिले और हमने ज्योति मल्होत्रा को गिरफ़्तार किया। वह कई बार पाकिस्तान और एक बार चीन जा चुकी थी। वह पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी के संपर्क में थी। हमने उसे 5 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। हम उसके वित्तीय ब्योरे का विश्लेषण कर रहे हैं। संघर्ष (भारत-पाक) के दौरान, वह पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी के संपर्क में थी... उनकी ट्रैवल डिटेल्स उसकी कुल आय को झुठला रहे हैं।"
शशांक कुमार सावन, एसपी, हिसार
#WATCH | Jyoti, a resident of Haryana's Hisar, has been arrested for allegedly sharing sensitive information and being in continuous contact with a Pakistani citizen.
SP Hisar Shashank Kumar Sawan says, "Modern warfare is not only fought on the border. The PIOs are trying to… pic.twitter.com/fFKP6KBSKK
हिसार के एसपी ने कहा, "वे उसे (ज्योति मल्होत्रा) एक एसेट के तौर पर डेवलप कर रहे थे। वह अन्य यूट्यूब इंफ्लूएंसर्स के संपर्क में थी, और वे भी पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के संपर्क में थे। वह स्पॉन्सर्ड ट्रिप पर पाकिस्तान जाती थी। वह पहलगाम हमले से पहले पाकिस्तान में थी और यदि कोई संबंध है, तो उसे स्थापित करने के लिए जांच जारी है। हम भी जांच कर रहे हैं, क्योंकि हमारे पास सुराग हैं कि अन्य लोग भी उसके साथ शामिल थे।"
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Hyderabad fire updates: At least 17 killed in fire at a building in Gulzar Houz near Charminar - The Hindu
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ISRO Mission: पूरा नहीं हो सका इसरो का 101वां मिशन, इस कारण जासूसी सैटेलाइट रही विफल
पीटीआई, श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 101वां मिशन पूरा नहीं हो सका। लॉन्चिंग के तीसरे चरण में मोटर केस के चेंबर प्रेशर में गिरावट के कारण पीएसएलवी स्वदेशी जासूसी उपग्रह ईओएस-09 को कक्षा तक पहुंचाने में सफल नहीं हो सका। पीएसएलवी चार-चरणों वाला रॉकेट है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रविवार सुबह 5:59 बजे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी-61 ने अर्थ आब्जर्वेशन सेटेलाइट ईओएस-09 के साथ उड़ान भरी, लेकिन उड़ान के 12वें मिनट में इसमें तकनीकी समस्या आ गई।
तीसरे चरण में आई तकनीकी समस्यालाॉन्चिंग के बाद पीएसएलवी की उड़ान को मिशन कंट्रोल सेंटर और देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित इसरो के अन्य केंद्रों से ट्रैक किया गया। इसरो की ओर से साझा किए गए डेटा के अनुसार दूसरे चरण तक सबकुछ ठीक था, लेकिन तीसरे चरण में तकनीकी समस्या आ गई। इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, हमने श्रीहरिकोटा से 101वें प्रक्षेपण पीएसएलवी-ष्ट61 ईओएस-09 मिशन का लक्ष्य रखा था।
Today 101st launch was attempted, PSLV-C61 performance was normal till 2nd stage. Due to an observation in 3rd stage, the mission could not be accomplished.
— ISRO (@isro) May 18, 2025दो चरणों में प्रदर्शन सामान्य रहा, लेकिन तीसरे चरण में मोटर केस के चेंबर प्रेशर में गिरावट आई, जिसके कारण मिशन सफल नहीं हो सका। इसरो के पूर्व अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा, मैं जानता हूं कि तीसरे चरण के ठोस मोटर के विकास के दौरान हमें कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इस स्तर पर ऐसी समस्याएं फिर से उभरना असामान्य है। फिर भी मुझे विश्वास है कि टीम जल्दी और प्रभावी रूप से मूल कारण की पहचान करेगी।
- सबसे विश्वसनीय रॉकेट पीएसएलवी, 63 मिशन में केवल तीन असफलता
- पीएसएलवी भारत का सबसे विश्वसनीय रॉकेट है।
- इस रॉकेट के 63 मिशनों में से 60 सफल रहे हैं। यह पीएसएलवी का तीसरा असफल मिशन था।
- इसी रॉकेट ने चंद्रयान-1 और मंगल आर्बिटर मिशन को लांच किया था।
- पीएसएलवी को पहली बार असफलता का सामना 1993 में करना पड़ा था।
- यह पीएसएलवी की पहली उड़ान थी।
- इसके बाद दूसरी असफलता 2017 में मिली जब यह एक नेविगेशन उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में असफल रहा था।
इसरो को ईओएस-09 मिशन से पहले जनवरी में असफलता का सामना करना पड़ा था जब नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 जियो-सिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी) रॉकेट भू-स्थिर कक्षा में स्थापित नहीं कर सका था।
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Hamas leader and Yahya Sinwar's brother Muhammad found dead in Gaza tunnel hit by IDF airstrike: Report - Mint
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देश में 10 हजार से अधिक ई-बसें चलाने का प्लान, चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने पर सरकार का जोर; योजना पर लग गई मुहर
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शहरों के आसपास के छोटे कस्बों और उपनगरों को भी केंद्र सरकार की सहायता वाली पीएम ई बस सेवा का लाभ मिल सकेगा। इस बारे में शहरों और राज्यों की मांग को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है और इसके अनुरूप योजना की गाइडलाइन में परिवर्तन भी कर दिया गया है।
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के एक सर्कुलर के मुताबिक शहर की परिभाषा में आने वाले आसपास के कस्बों भी इस योजना के तहत पीएम ई बसों के लिए पात्र होंगे। शहरों की ओर से इसकी लगातार मांग की जा रही थी कि उनके आसपास के जिन क्षेत्रों को वैधानिक रूप से टाउन एरिया घोषित किया गया है, को भी इसके दायरे में लिया जाए।
7293 बसों को मिल चुकी मंजूरीसरकार ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। पीएम ई बस सेवा के तहत तीन से 40 लाख तक की आबादी वाले 169 शहरों में दस हजार ई बसें चलाई जानी हैं। इस योजना के तहत शहर अपनी ओर से जरूरत के मुताबिक प्रस्ताव दे रहे हैं, जिन्हें केंद्र सरकार मंजूर करती है।
अब तक 98 शहरों के लिए 7293 बसों को मंजूरी दी जा चुकी है। इस योजना की एक खासियत यह है कि दस हजार बसों के संचालन के साथ-साथ सरकार बस डिपो बनाने और चार्जिंग सुविधा के लिए भी सहायता प्रदान कर रही है।
योजना से संबंधित केंद्र सरकार की संचालन समिति ने पिछली बैठक में आंध्र प्रदेश के 11 और कर्नाटक के 10 शहरों की बस संबंधी मांग को संस्तुति प्रदान कर दी। इसके अतिरिक्त गुजरात के जूनागढ़ और मध्य प्रदेश के ग्वालियर की मांग को भी पूरा कर दिया गया। जूनागढ़ में 50 और ग्वालियर में 100 बसें चलनी हैं।
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बांग्लादेश में मैन्युफैक्चरिंग कर रही भारतीय कंपनियों को झटका, सरकार के इस फैसले से महंगे हो जाएंगे गारमेंट प्रोडक्ट
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार के फैसले के मुताबिक बांग्लादेश से अब सड़क मार्ग से गारमेंट नहीं आ सकेंगे और इसका सीधा लाभ घरेलू गारमेंट निर्माताओं को मिलने जा रहा है। अति कम विकसित राष्ट्र (एलडीसी) की श्रेणी में शामिल होने से बांग्लादेश से भारत आने वाले गारमेंट पर कोई शुल्क नहीं लगता है।
शुल्क मुक्त होने की वजह से बांग्लादेश से आने वाले गारमेंट घरेलू गारमेंट के मुकाबले सस्ते होते हैं जिससे घरेलू गारमेंट निर्माताओं का कारोबार प्रभावित हो रहा था। तिरुपुर के गारमेंट उद्यमियों से लेकर क्लोथ मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से कई बार सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया गया।
बांग्लादेश को मिलती है छूटबांग्लादेश को मिली शुल्क मुक्त निर्यात की सुविधा का फायदा चीन भी उठा रहा था। चीन बांग्लादेश के रास्ते भारत में अपने माल शुल्क मुक्त तरीके से भेज रहा था। जबकि चीन से गारमेंट या फैबरिक मंगाने पर 20 प्रतिशत का शुल्क लगता है।
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (सिटी) के पूर्व अध्यक्ष व टीटी लिमिटेड के एमडी संजय कुमार जैन ने बताया कि बांग्लादेश से सालाना 6000 करोड़ के गारमेंट का आयात हो रहा है। सड़क मार्ग से आयात पर रोक के सरकार के फैसले से घरेलू गारमेंट मैन्यूफैक्चरर्स को 2000 करोड़ के गारमेंट निर्माण के अवसर मिलेंगे।
बांग्लादेश में निर्माण कर रही कंपनियां- अब सिर्फ न्हावा शेवा और कोलकाता स्थित समुद्री बंदरगाह से आयात की अनुमति के बाद बांग्लादेशी गारमेंट की लागत काफी बढ़ जाएगी और भारत में उनकी बिक्री भी प्रभावित होगी। शुल्क मुक्त आयात की सुविधा की वजह से कई भारतीय कंपनियां बांग्लादेश में निर्माण कर रही है क्योंकि बांग्लादेश में श्रमिकों की मजदूरी सस्ती होने से निर्माण लागत भारत की तुलना में काफी कम है।
- इसलिए भारतीय कंपनियां बांग्लादेश में माल बनाकर भारत में बिना किसी शुल्क के आयात कर लेती है। अब इन कंपनियों को भारत में ही निर्माण करने में लाभ दिखेगा। गारमेंट के निर्यात बाजार में भी बांग्लादेश भारत को कड़ा मुकाबला देता है और यूरोप में भारत से अधिक बांग्लादेश गारमेंट का निर्यात करता है।
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बीमार पैक्सों के लिए नई नीति लाएगी सरकार, अमित शाह बोले- 2029 तक देश की हरेक पंचायत में होगी PACS की स्थापना
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार का प्रयास है कि कोई भी पंजीकृत पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समितियां) बीमार न हों। पहले से परिसमापन (लिक्विडेशन) की स्थिति में पहुंच चुकी पैक्सों के त्वरित समाधान और उनके स्थान पर नई पैक्सों के गठन के लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक नई नीति लाने जा रही है।
अमित शाह रविवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में अहमदाबाद में आयोजित "सहकारी महासम्मेलन" को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नई नीति के तहत पैक्सों की सारी समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा। साथ ही पूरी तरह बंद हो चुकी पैक्सों के स्थान पर नई पैक्स का पंजीकरण भी कराया जाएगा।
इस वर्ष को 'सहकारिता वर्ष' घोषित कियाउन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में एक भी पंजीकृत पैक्स वित्तीय रूप से बीमार नहीं होगी। अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को समृद्ध एवं विस्तार देने के लिए समूहों एवं संस्थाओं में जागरूकता, प्रशिक्षण एवं पारदर्शिता लाने की कोशिश की जा रही है। इसी के तहत सरकार ने इस वर्ष को 'सहकारिता वर्ष' घोषित किया है। साथ ही 'सहकारिता में विज्ञान' को महत्व दिया है।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य वर्ष 2029 तक देशभर में दो लाख नई पैक्स बनाने का है। पहले से बनी पैक्सों को बहुआयामी बनाया जा रहा है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। इसके लिए पैक्सों के साथ 22 विभिन्न प्रकार के व्यवसायों को जोड़ा गया है।
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में "सर्कुलर इकोनॉमी" को बढ़ावा देने के लिए एक सहकारी स्वामित्व वाली कंपनी के जरिए आइसक्रीम, चीनी, पनीर बनाने एवं दूध को ठंडा रखने की मशीनों और फैट मापन उपकरणों के निर्माण की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नई पहल के तहत डेयरी क्षेत्र में मृत पशुओं की खाल, हड्डियों एवं सींगों के उपयोग के लिए भी सहकारी समितियों का गठन करने का प्रयास किया जा रहा है।
चौथे स्तर का सहकारी ढांचा लागू करने की योजना पर कामअमित शाह ने कहा कि सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए सरकार के स्तर पर कई तरह के बदलाव किए गए हैं। जरूरत है उन्हें जमीनी स्तर तक पहुंचाने की, ताकि पैक्स और किसान सीधे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने प्रत्येक जिले को सहकारिता आंदोलन से जोड़ने पर जोर दिया और कहा कि सभी राज्यों की प्राथमिक मंडलियों की स्थिति सुधारनी होगी। जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता के ढांचे को भी मजबूत करना होगा।
केंद्र सरकार तीन-स्तरीय ढांचे की जगह एक चौथे स्तर का सहकारी ढांचा लागू करने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि इसके लिए समानुपातिक विकास का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें तीन मुख्य स्तंभ होंगे- सहकारिता को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना, तकनीक के जरिए पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता लाने के साथ अधिक से अधिक नागरिकों को सहकारिता आंदोलन से जोड़ने की तैयारी है। मंत्रालय स्तर पर काम किया जा रहा है। अभी तक 57 तरह की पहलें की गई हैं।
बिहारवासियों की हो जाएगी बल्ले-बल्ले! पटना पहुंचते ही बड़ी खुशखबरी देंगे PM मोदी, ये है दौरे को लेकर नया अपडेट
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के दो दिवसीय दौरे पर 29 मई को पटना आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 30 मई को रोहतास के बिक्रमगंज से देश के दूसरे सबसे विद्युत संयंत्र का शिलान्यास करेंगे।
औरंगाबाद जिले के नबीनगर में 29947.91 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सुपर थर्मल पावर प्लांट होगा। इससे बिहार को 2400 मेगावाट बिजली मिलेगी।
2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगायह एनटीपीसी का देश में दूसरा सबसे बड़ा विद्युत उत्पादन संयंत्र होगा। बिहार की बढती ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (एनएसटीपीएस) के क्षमता विस्तार स्टेज-2 को मंजूरी केंद्र सरकार ने दी है।
स्टेज-2 के तहत यहां पर 800-800 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली तीन नई इकाइयां स्थापित की जाएगी। कुल 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इस विद्युत संयंत्र की स्थापना से हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
बिहार की बढती ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (एनएसटीपीएस) के क्षमता विस्तार स्टेज-2 को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद। केंद्र सरकार के इस पहल से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। एनटीपीसी का देश में दूसरा सबसे बड़ा विद्युत उत्पादन संयंत्र होगा।- सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री
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'भारत-पाकिस्तान सीजफायर की कोई Expiry Date नहीं', इंडियन आर्मी ने कहा- गोली चली तो PAK के लिए बहुत मुश्किल होगी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑपेरशन सिंदूर के बाद सैन्य टकराव को टालने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को सीजफायर पर बनी सहमति अभी कायम रहेगी।
भारतीय सेना ने कहा कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच रविवार को कोई बातचीत प्रस्तावित नहीं थी मगर इस सीजफायर को किसी निर्धारित समयसीमा में नहीं बांधा गया है। सीजफायर जारी रहने की घोषणा से साफ है कि भारत सैन्य टकराव को स्थाई विराम देने की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर विश्वास बहाली के विकल्पों पर ठोक-बजाकर कदम उठाना चाहता है।
एक भी गोली नहीं चलाए जाने की बात कही गई थीएलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा एक भी गोली नहीं चलाने यानि शून्य फायरिंग को सीजफायर कायम रहने की अनिवार्य शर्त बनाया गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच 12 मई को हुई दूसरी बातचीत में सीमा के अग्रिम मोर्चों से सैनिकों की संख्या घटाने के साथ-साथ सीजफायर कायम रखने के लिए दोनों तरफ से एक भी गोली नहीं चलाए जाने की बात कही गई थी।
भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को बेलाग बता दिया था कि उस पार से एक भी गोली चली तो सीजफायर को कायम रखना मुश्किल होगा। इस सख्त चेतावनी का ही असर है कि 10 मई के बाद एलओसी तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर दोनों ओर से कोई भी गोलीबारी की खबर अब तक नहीं आयी है।
सीजफायर बनाए रखने पर की जाएगी समीक्षासेना के सूत्रों की ओर से भी पुष्टि की गई है कि सीजफायर प्रभावी होने के बाद से सीमा पर किसी तरह की फायरिंग नहीं हुई है। सीजफायर को बनाए रखने पर दूसरी बैठक में बनी सहमति के बाद ही संकेत दिए गए थे कि 18 मई को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच संभवत: बातचीत में इसकी समीक्षा की जाएगी।
इस वार्ता को लेकर मीडिया में बढ़ी सुर्खियों को देखते हुए रविवार को सेना की ओर से कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के आज समाप्त होने की बात सही नहीं है। दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच आज कोई वार्ता निर्धारित नहीं हैं। जहां तक 12 मई को डीजीएमओ की बातचीत में तय किए गए युद्ध विराम के जारी रहने का सवाल है, इसकी कोई समाप्ति तिथि नहीं है।
वैसे भारत तथा पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच प्रत्येक मंगलवार को हाटलाइन पर बातचीत की स्थापित व्यवस्था है और ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इसके अनुरूप ही 20 मई को सीजफायर के स्वरूप को आगे बढ़ाने के लिए अगले दौर की बातचीत होगी।
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MSME को लोन मिलने में हो रही परेशानी, सिडबी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे; अनधिकृत इलाके में चल रही कई फैक्ट्रियां
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में एमएसएमई को अगर उनकी जरूरत के मुताबिक क्रेडिट सुविधा मिल जाए तो एमएसएमई रोजगार का बड़ा साधन बन सकता है। स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अभी एमएसएमई की क्रेडिट मांग व पूर्ति में 30 लाख करोड़ का अंतर है।
इन सबके बावजूद एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर इस साल मार्च तक पंजीकृत 6.2 करोड़ एमएसएमई 25.95 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि क्रेडिट सुविधा की परेशानी सबसे अधिक माइक्रो श्रेणी के उद्यमियों को हैं।
क्रेडिट सुविधा बढ़ाने का सुझावपहली बार उद्यमी बनने की चाहत रखने वाले एवं महिला उद्यमियों के साथ निर्यात में शामिल एमएसएमई की भी पहली चुनौती क्रेडिट सुविधा की है। सिडबी ने अपनी रिपोर्ट में फिनटेक के माध्यम से एमएसएमई की क्रेडिट सुविधा बढ़ाने का सुझाव दिया है।
चेंबर ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता के मुताबिक मांग के मुताबिक लोन मिलने पर एमएसएमई से निकलने वाले प्रत्यक्ष रोजगार में पांच करोड़ तक की बढ़ोतरी हो सकती है। लोन सुविधा सुगम हो जाने पर एमएसएमई अपने कर्मचारियों को अधिक वेतन और बेहतर सुविधा भी दे सकेंगे।
बैंकों से लोन मिलने में होती है दिक्कत- एमएसएमई में बेहतर सैलरी नहीं मिल पाने से कुशल व उच्च तकनीक के जानकार कारीगर कारपोरेट जगत का रुख कर लेते हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया कि बैंकों से लोन मिलने में होने वाली दिक्कत का एक सबसे बड़ा कारण है कि 80 प्रतिशत एमएसएमई अनधिकृत इलाके से अपनी फैक्ट्री का संचालन करते हैं या कारोबार करते हैं।
- सभी को बैंकों से आसानी से लोन मिलने के लिए शहरी निकायों को इन इलाकों को अधिकृत घोषित करना होगा। अनधिकृत इलाके से संचालन की वजह से एमएसएमई की लागत भी अधिक हो जाती है। सिडबी की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक से लोन लेने में दस्तावेजी प्रक्रिया, उच्च ब्याज दर और सब्सिडी की कमी सबसे बाधा है।
22 प्रतिशत एमएसएमई ने सर्वे में कहा कि उन्हें लोन में सरकार की तरफ से सब्सिडी और अनुदान की जरूरत है तो 19 प्रतिशत एमएसएमई बैंकों की दस्तावेजी प्रक्रिया को लोन लेने में बड़ी बाधा मानते हैं। 13-13 प्रतिशत एमएसएमई ने ब्याज दरों में कमी और डिजिटल लोन को बढ़ावा देने की सरकार से मांग की।
बैंकों से उधार मिलने में सबसे अधिक 33 प्रतिशत ट्रेडिग सेक्टर को दिक्कत आती है या फिर वे लोन सुविधा से वंचित रह जाते हैं। सर्विस सेक्टर के 27 प्रतिशत तो मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े 20 प्रतिशत एमएसएमई को जरूरत के मुताबिक लोन नहीं मिल पाता है। 35 प्रतिशत महिला उद्यमियों भी जरूरत के मुताबिक लोन हासिल करने से वंचित रह जाती है।
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एक तरफ ब्रह्मोस-आकाश से पाकिस्तान को चटाई जा रही थी धूल, दूसरी तरफ शराब की खाली बोतलों से यहां चल रही थी लड़ाई
नीलू रंजन, जागरण। नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में जहां भारतीय सेना ब्रह्मोस, आकाश और एस-400 जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रही थी, ठीक उसी समय कुर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई में शराब की खाली बोतलों का इस्तेमाल हो रहा था।
नक्सली बीयर की खाली बोतलों से आइईडी बनाकर सुरक्षा बलों को रोकने की कोशिश कर रहे थे, वहीं सुरक्षा बल अपने कैंप के चारों ओर कटीलें तारों में शराब की खाली बोतलों को लटकाकर अर्ली वार्निंग सिस्टम के रूप में उसका इस्तेमाल कर रहे थे।
क्या होता है कोडेक्स तार, जिससे नक्सली बना रहे विस्फोटक?छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी ऑपरेशन से लंबे समय से जुड़े सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक नक्सलियों आइईडी बनाने के लिए प्रेशर आइईडी का इस्तेमाल करते देखा गया था। आपरेशन के दौरान पैर पड़ते ही ये प्रेशर आइईडी ब्लास्ट कर जाता था। लेकिन पहली बार कुर्रेगट्टा पहाड़ के चारों ओर जवानों को बीयर की खाली बोतलों से बनी आइईडी का सामना करना पड़ा।
बीयर की इन खाली बोतलों के भीतर नक्सली कोडेक्स तार बारीकी से जमा कर और उसमें सर्किट जोड़कर आइईडी का रूप दे दिया था। कोर्डेक्स तार एक अति ज्वलनशील विस्फोटक होता होता है, जिसे बिजली के तार के रूप में बनाया जाता है।
छत्तीसगढ़ की खदानों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। एक सेंकेंड में छह से सात किलोमीटर के कोडेक्स तार में विस्फोट होता है। जाहिर है बीयर की बोतल में बंद कोडेक्स तार एक खतरनाक आइईडी का बन जाता है। इसी बीयर की बोतल वाले आइईडी की चपेट में आने से 18 जवान जख्मी हो गए। जबकि 450 से अधिक आइईडी को निष्कि्रय किया गया।
कैसे अर्ली वॉनिंग की तरह काम करती है बीयर की खाली बोतलें?दूसरी ओर सुरक्षा बलों के जवानों अपने फॉरवर्ड ऑपरेशनल बेस के चारों और कटीले तार लगा रखा है। इन कटीले तारों में शराब की जगह-जगह शराब की दो खाली बातलों को एक साथ जोड़कर लटकाया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सलियों के गढ़ में ये खाली बोतलें अर्ली वार्निंग सिस्टम का काम करती हैं, कई बार रात के अंधेरे में कैंप में नक्सली हमले को नाकाम करने में सहायक रही है।
दरअसल नक्सली रात के अंधेरे में कटीलें तारों को काटने की कोशिश करते हैं, तो उनसे लटके ये ये बोतल आपस में टकरा कर बजने लगते हैं, जिससे सर्तक होकर सुरक्षा बल के जवानों को मोर्चा संभालने का मौका मिल जाता है और नक्सली अंधेरे का लाभ उठाकर भाग जाते हैं।
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