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भारत ने मालदीव के साथ किए 13 समझौते, पाकिस्तान की उड़ी नींद; जानिए क्या है ये डील
पीटीआई, माले। भारत ने मालदीव के साथ 13 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इनमें 10 करोड़ मालदीव रुपये के अनुदान से फेरी सेवाओं को बढ़ाने, समुद्री संपर्क का विस्तार करने और सामुदायिक आजीविका को बढ़ाने वाली परियोजनाएं शामिल हैं। रविवार को एमओयू पर किया गया हस्ताक्षर उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना चरण-3 के तहत लागू की जाने वाली परियोजनाओं के लिए है।
मालदीव सरकार की ओर से विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील और मालदीव में भारत के उच्चायुक्त जी बालासुब्रमण्यम ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। मालदीव में भारत के उच्चायोग ने कहा कि भारत, मालदीव के लोगों के लिए समुद्री संपर्क बढ़ाने के लिए सरकार के साथ साझेदारी कर खुश है।
दोनों देशों के बीच सहयोग और मजबूतविदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने कहा कि शुरू की गई परियोजनाएं महज ढांचागत विकास से कहीं अधिक हैं। वे लोगों के लिए जीवनरेखा हैं, जिन्हें स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने और स्थायी सामाजिक-आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। इन परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन से दोनों देशों के बीच सहयोग और मजबूत होगा।
इस साल परियोजना पूरा होने की उम्मीदपरिवहन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री मोहम्मद अमीन ने देश भर में हाई-स्पीड फेरी नेटवर्क स्थापित करने में तेजी से हो रही प्रगति पर प्रकाश डाला। यह अब नौ एटोल के 81 द्वीपों को जोड़ रहा है। भारत के साथ यह समझौता इन सेवाओं को और विस्तार देगा। इसे पहले 2027 में पूरा करने की योजना थी, लेकिन अब परियोजना के इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
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Bengaluru Rain: बेंगलुरु में बारिश का कहर, दीवार गिरने से महिला की मौत
पीटीआई, बेंगलुरु। भारत की सिलिकॉन सिटी कहे जाने वाले बेंगलुरू में रविवार और सोमवार की दरमियानी रात को छह घंटे से ज्यादा वक्त तक मूसलाधार बारिश हुई। भारी बारिश पूरे शहर का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। भारी बारिश के कारण एक आइटी फर्म की दीवार ढहने से 35 वर्षीय महिला शशिकला की मौत हो गई।
शहर में भारी बारिश से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सड़कों पर पानी भर गया है और कई घरों में भी पानी घुस गया है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है। रेस्क्यू टीमें नाव, जेसीबी और ट्रैक्टर की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।बारिश के कारण उत्पन्न अव्यवस्था को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधापिछले 24 घंटों में शहर में करीब 104 मिमी बारिश हुई, जिससे कई निचले इलाके जलमग्न हो गए और यातायात जाम हो गया, जिसके चलते भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। भाजपा ने शहर के बुनियादी ढांचे और इससे उत्पन्न नागरिक मुद्दों को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और मल्लेश्वरम के विधायक सीएन अश्वथ नारायण ने शिवकुमार की आलोचना करते हुए कहा कि करोड़ों खर्च किए गए। नतीजा शून्य।
कर्नाटक भाजपा के महासचिव और करकला के विधायक सुनील कुमार करकला ने सरकार से पिछले दो वर्षों में बेंगलुरु के बुनियादी ढांचे पर वास्तव में कितना खर्च किया गया है, इस पर एक श्वेत पत्र जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक बार सिल्क बोर्ड पर आइए, आपको अपना वास्तविक योगदान पता चल जाएगा।
कर्नाटक में अधिकतम कर बेंगलुरु से वसूला जाता हैभाजपा नेता ने आरोप लगाया कि पिछले दो सालों में शहर में कोई विकास कार्य नहीं हुआ, जिसका नतीजा बारिश के कहर के रूप में सामने आया। कर्नाटक में अधिकतम कर बेंगलुरु से वसूला जाता है, लेकिन यहां बुनियादी ढांचे पर आवश्यक निवेश नहीं किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि बारिश के दौरान आइटी राजधानी के सामने आने वाली परेशानियां कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन सरकार अब दीर्घकालिक समाधान के साथ उन्हें ठीक करने के लिए काम कर रही है।
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किसानों का पेट काटकर नेहरू ने पाकिस्तान को दिया पानी, सिंधु जल समझौते पर शिवराज ने कांग्रेस को घेरा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने सिंधु जल संधि को तत्कालीन केंद्र सरकार की ऐतिहासिक गलती बताया और कहा कि जल विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद जवाहर लाल नेहरू ने किसानों का पेट काटकर पाकिस्तान को पानी दे दिया था, जिसे पीएम नरेन्द्र मोदी ने खत्म कर दिया।
सिंधु जल संधि को ''स्थगन'' में रखने के केंद्र के फैसले को लेकर कृषि मंत्री ने सोमवार को किसानों से संवाद का आयोजन किया था। इसमें उन राज्यों के किसानों को आमंत्रित किया गया था, जिन्हें इस संधि के निरस्त होने पर लाभ मिल सकता है।
संवाद में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल एवं राजस्थान से आए विभिन्न किसान संगठनों ने सरकार को समर्थन दिया। संयुक्त किसान मोर्चा एवं भारतीय किसान यूनियन ने केंद्र के इस निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया। 1960 में भारत-पाकिस्तान में हुई इस संधि को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद स्थगित कर दिया गया है।
सिंधु का पानी किसानों के फायदेमंद: शिवराज सिंह चौहानशिवराज सिंह चौहान ने सिंधु के जल को देश एवं किसानों के लिए लाभप्रद बताया और कहा कि कृषि एवं अन्य उद्देश्यों में जल के बेहतर उपयोग के लिए व्यापक योजना बनाई जाएगी। इससे राजस्थान से लेकर पंजाब-हरियाणा तक की तकदीर बदल जाएगी।
उन्होंने कहा कि नेहरू ने सिंधु के जल के साथ पाकिस्तान को 83 करोड़ रुपये भी दिए थे, जो वर्तमान में पांच हजार पांच सौ करोड़ के बराबर है।
पाकिस्तान को यह पैसा नहर बनाने के लिए दिया गया था। यह कैसी दरियादिली है कि हम उन्हें पानी दे रहे हैं जो आतंकियों को पैदा कर भारत भेजते हैं। शिवराज ने कहा कि उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में इस संधि का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि हमने पैसे देकर शांति खरीदी है। लेकिन नेहरू ने नहीं माना। हमारा पानी भी गया पैसा भी गया। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कहा था कि अगर नेहरू नहीं होते तो समझौता नहीं होता।
पीएम मोदी ने सालों से चले आ रहे अन्याय को खत्म कियाशिवराज ने इसे ऐतिहासिक अन्याय बताते हुए कहा कि पीएम मोदी ने कई सालों से चले आ रहे अन्याय को खत्म कर दिया। संवाद में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक एमएल. जाट भी मौजूद थे।
किसान सम्मानित कार्यक्रम में पंजाब के फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला गांव के किसान गोमा सिंह को सम्मानित किया गया। उन्होंने पाकिस्तान सीमा पर सेना की जरूरत के लिए अपना घर सौंप दिया था।
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Bihar News: बिहार के युवाओं के लिए 'गुड न्यूज', कारोबार और रोजगार का मौका दे रही ये स्कीम
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार सरकार पशुपालन के जरिए उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा दे रही है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के तहत एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (NLM-EDP) शुरु किया है। इसमें छोटे जुगाली करने वाले पशु, कुक्कुट और सूअर पालन के साथ-साथ चारा क्षेत्र में उद्यमिता के विकास से रोजगार का सृजन किया जा रहा है।
साथ ही इस कार्यक्रम के तहत पात्र उद्यमियों को अधिकतम 50 फीसदी तक की पूंजीगत सब्सिडी भी दी जा रही है। इसका लाभ निजी व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह (SHG), किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान सहकारिता संस्थाएं (FCO), संयुक्त दायित्व समूह (JLG) और धारा 8 की कंपनियां ले सकती हैं।
किसानों और पशुपालकों के लिए गुणवत्तापूर्ण विस्तार सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए राज्य के पदाधिकारियों और पशुपालकों की क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया जा रहा है। साथ ही, कौशल-आधारित प्रशिक्षण और नई तकनीकों के प्रसार के माध्यम से उत्पादन लागत को कम करने और पशुधन क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत विभिन्न योजनाओं के जरिए पशुपालकों और उद्यमियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जिसमें नस्ल सुधार के माध्यम से प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाना, मांस, अंडा, बकरी का दूध, ऊन और चारे के उत्पादन में वृद्धि करना, चारा बीज की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना, चारा प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करना, और पशुधन बीमा के जरिए जोखिम प्रबंधन को बढ़ावा देना जैसे काम शामिल हैं।
यहां कर सकते हैं संपर्कइसके अलावा, मुर्गी, भेड़, बकरी पालन और चारा क्षेत्र में अनुप्रयुक्त अनुसंधान को प्राथमिकता दी जा रही है। अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति आधिकारिक वेबसाइट्स https://nlm.udyamimitra.in और www.dahd.nic.in पर संपर्क कर सकते हैं।
यह मिशन बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को एक लाभकारी उद्यम के रूप में स्थापित करने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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Assam Crime: जादू-टोना के शक में महिला की हत्या, कोर्ट ने 23 लोगों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
डिजिटल डेस्क, डिब्रूगढ़। असम के चराईदेव जिले की एक अदालत ने 13 साल पहले जादू-टोना करने के संदेह में एक महिला की हत्या के मामले में सोमवार को 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
दोषियों को पीड़ित परिवारचराईदेव जिला एवं सत्र न्यायाधीश अबूबक्कर सिद्दीकी ने 12 पुरुषों और 11 महिलाओं को अपराध करने के लिए दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, साथ ही प्रत्येक पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने दोषियों को पीड़ित परिवार को 8 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
पीड़िता को लोगों ने गंभीर शारीरिक यातनाएं दी2012 की इस घटना से व्यापक आक्रोश फैल गया था और इसके कारण 13 वर्षों तक लम्बी सुनवाई चली थी। पुलिस ने बताया कि पीड़िता को जादू-टोना करने के संदेह में चराईदेव के जाल्हा गांव में लोगों के एक समूह द्वारा गंभीर शारीरिक यातनाएं दी गई और अंततः उसे आग के हवाले कर दिया गया।
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क्या AI को बढ़ा-चढ़ाकर किया जा रहा पेश? नौकरियों पर नहीं पड़ रहा प्रभाव; स्टडी में हुए कई खुलासे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले एक दो वर्षों में आर्टफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर काफी चर्चा की जा रही है। एआई को लेकर कई धारणाएं बनाई जा रही हैं कि इसके प्रतिदिन के उपयोग के कारण मानवीय नौकरियों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
कुछ जगहों पर दावा किया गया कि एआई के कारण लोगों की नौकरियों पर भी संकट मंडरा सकता है। दावा किया जा रहा है कि लोगों की जगह कई कंपनियों एआई का सहारा लेंगी, जिससे काम आसान और कम समय में होगा। इस बीच एक ऐसी स्टडी सामने आई है, जिसने सभी को चौंका दिया है। एक स्टडी में दावा किया गया कि एआई के आ जाने से भी लोगों के काम पर बहुत ही हल्के परिणाम देखने को मिले हैं।
क्या कहती है स्टडी?दरअसल, डेनमार्क के नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनामी रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि एआई का इस्तेमाल से कोई खास असर देखने को नहीं मिला। रिपोर्ट बताती है कि एआई की मदद से औसतन एक कर्माचारी ने अपने तीन मिनट बचाए। वहीं, उनकी प्रोडक्टिविटी पर केवल 7 से 8 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला। इस बीच अर्थशास्त्री एंडर्स हम्लम और एमिली वेस्टगार्ड ने शोध पत्र में लिखा कि एआई चैटबॉट्स का किसी भी व्यवसाय में कमाई या रिकॉर्ड किए गए घंटों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।
कितने लोगों पर किया गया अध्ययन?बताया जा रहा है कि अध्ययन के लिए 7000 ऑफिसों से 25000 कर्मचारियों को चुना गया और इनपर विश्लेषण किया गया। अधिकांश कर्माचरी ऐसे थे जो लेखाकार, ग्राहक सहायता विशेषज्ञ, वित्तीय सलाहकार, मानव संसाधन पेशेवर, सॉफ्टवेर डेवेलपर्स के व्यवसाय से जुड़े थे। ऐसा माना जाता रहा है कि एआई के आने से इन लोगों की नौकरियों पर काफी खतरा है। आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पता चला कि एआई के आने बाद भी मानव श्रमिकों का कोई विस्थापन नहीं मिला।
वहीं, शोधकर्ताओं ने कहा कि एआई के आने पर सबसे ज्यादा कंपनियों ने तेजी दिखाई। वहीं, एआई पर काम करने के लिए कंपनियां बड़ी क्षमता के साथ निवेश कर रही हैं। सामने आए रिपोर्ट आपको हैरान कर सकते हैं, क्योंकि माना जा रहा था कि एआई के आने से नौकरियों पर काफी असर देखने को मिलेगा।
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Atomic Energy: परमाणु ऊर्जा कानूनों में होगा बदलाव? सरकार ने बनाया ये प्लान; जानिए क्या है लक्ष्य
पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कानूनों में संशोधन पर विचार कर रही है। 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाना चाहती है। इसके लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित कानूनों में बदलाव की जरूरत महसूस हो रही है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि निजी क्षेत्र को भागीदारी की अनुमति देने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में बदलाव पर विचार हो रहा है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के लिए उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं पर जवाबदेही सीमित करने के लिए परमाणु क्षति के लिए जवाबदेही कानून में संशोधन की जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार नियामक सुधारों पर भी विचार कर रही है और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इनस्पेस) के माडल का मूल्यांकन कर रही है। इनस्पेस अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए नियामक के रूप में कार्य करता है। 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया था।
वित्त मंत्री ने की थी परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की घोषणावित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोलने की घोषणा की, जिसे अब तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तक सीमित रखा गया था। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआइएल) देशभर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन करता है। ये परमाणु संयंत्र देश में 8.7 गीगावाट बिजली का योगदान करते हैं। सीतारमण ने छोटे माड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट के साथ परमाणु ऊर्जा मिशन की भी घोषणा की। इसका उद्देश्य 2033 तक पांच स्वदेशी विकसित एसएमआर को क्रियान्वित करना है।
परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में कहा कि परमाणु ऊर्जा मिशन का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना, नियामक ढांचे को सुव्यवस्थित करना और भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए अवरोध साबित हुआ है परमाणु जवाबदेही कानूनभारत ने 2008 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के बाद वैश्विक परमाणु व्यापार में सहभागी बनने के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से छूट प्राप्त की। इसके बाद विदेशी परमाणु ऊर्जा कंपनियों ने भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में रुचि दिखाई है। हालांकि, 2010 का परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए बाधा साबित हुआ। निजी क्षेत्र ने कानून के कुछ प्रविधानों को अस्वीकार्य बताया।
निजी क्षेत्र के अनुसार ये प्रविधान परमाणु क्षति के पूरक मुआवजे के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते (सीएससी) के अनुरूप नहीं हैं। सरकार को उम्मीद है कि 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र निवेश करेगा। 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के इस लक्ष्य में से लगभग 50 प्रतिशत परमाणु ऊर्जा का उत्पादन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से होने की उम्मीद है।
संसदीय समिति ने भी की है मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिशसंसद की एक समिति ने भी मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिश की है जिसमें घरेलू और विदेशी दोनों निवेशों को आकर्षित करने के लिए सरकारी प्रोत्साहन और संप्रभु गारंटी शामिल हो। समिति ने यह सुझाव भी दिया था कि परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधनों में तेजी लाई जाए।
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