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कौन हैं एअर मार्शल मनीष खन्ना? जिन्होंने संभाली दक्षिणी वायु सेना कमान, 4 हजार घंटे उड़ान का अनुभव
पीटीआई, नई दिल्ली। कई अलग-अलग युद्धक और ट्रेनर विमानों पर चार हजार घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव रखने वाले एअर मार्शल मनीष खन्ना ने रविवार को दक्षिणी वायु कमान का कार्यभार संभाला है। सरकार ने एक बयान में कहा कि उन्हें छह दिसंबर, 1986 को भारतीय वायु सेना के फाइटर स्ट्रीम में कमीशन किया गया था।
बयान में कहा गया, "एअर मार्शल मनीष खन्ना, अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम), वायु सेना मेडल (वीएम) से सम्मानित, एक जून 2025 को तिरुवनंतपुरम में एअर अफसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में दक्षिणी वायु कमान (एसएसी) का कार्यभार संभाला।"
चार हजार घंटे से अधिक उड़ान अनुभवयह वायु अधिकारी एक श्रेणी 'ए' योग्य फ्लाइट ट्रेनर हैं और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, रक्षा सेवाओं स्टाफ कॉलेज, कॉलेज आफ एअर वॉरफेयर और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। बयान में कहा गया, "इस वायु अधिकारी के पास कई फाइटर और ट्रेनर विमानों पर चार हजार घंटे से अधिक उड़ान अनुभव है।"
उन्होंने चार दशकों के अपने शानदार करियर में फाइटर स्क्वाड्रन, एअर क्रू परीक्षा बोर्ड, एक प्रमुख उड़ान बेस, एडवांस मुख्यालय, पश्चिमी वायु कमान और कॉलेज आफ एअर वारफेयर (सीएडब्ल्यू) में कमांडेंट के रूप में कार्य किया है। एअर मार्शल वर्तमान नियुक्ति संभालने से पहले दक्षिण पश्चिम कमान में सीनियर एअर स्टाफ अफसर (एसएएसओ) थे।
एअर मार्शल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्ररक्षा मंत्रालय ने कहा कि एअर मार्शल खन्ना के स्थान पर एअर मार्शल जसवीर सिंह मान ने एक जून को भारतीय वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान के सीनियर एअर स्टाफ अफसर के रूप में कार्यभार संभाला। एअर मार्शल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं और 16 दिसंबर 1989 को भारतीय वायु सेना में फाइटर पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया।
उन्होंने विभिन्न प्रकार के फाइटर विमानों पर तीन हजार घंटे से अधिक उड़ान भरी है। वह एक पायलट अटैक प्रशिक्षक हैं और अपने परिचालन करियर में उन्होंने एक फाइटर स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया। वह एक फॉरवर्ड बेस के मुख्य संचालन अधिकारी रहे और प्रीमियम फाइटर बेस के एअर ऑफिसर कमांडिंग के रूप में कार्य किया।
जमीन से जुड़ी जानकारी और शिकायतों का समाधान अब एक कॉल पर, टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर पर मिलेगी पूरी जानकारी
डिजिटल डेस्क, पटना। जमीन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बड़ी पहल करते हुए राज्य के पहले हेल्पलाइन सेंटर की शुरुआत की है। इस टोल-फ्री कॉल सेंटर (18003456215) के माध्यम से अब राज्य के नागरिकों को भूमि संबंधी दस्तावेज, विभागीय योजनाओं, शिकायत और समाधान से जुड़ी सेवाएं एक ही नंबर पर उपलब्ध होंगी। हेल्पलाइन सेंटर का उद्घाटन रविवार को पटना के दानापुर स्थित सीएससी कार्यालय में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने किया।
जनता से जुड़ने की डिजिटल पहलराज्य के पहले हेल्पलाइन सेंटर का उद्घाटन करते हुए मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि यह सेंटर 3 जून से आम लोगों के लिए शुरू हो जाएगा और सोमवार से शनिवार तक सुबह साढ़े 9 बजे से शाम 6 बजे तक सेवा देगा। इस कॉलसेंटर की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के नागरिकों तक राजस्व व भूमि संबंधी जानकारी पहुंचाना और उनकी शिकायतों का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करना है। अब लोगों को दफ्तरों का चक्कर लगाना नहीं पड़ेगा। उन्होंने बिहार सरकार के डिजिटल मिशन को जमीनी स्तर पर सफल बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम बताया।
वहीं, विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि राजस्व व भूमि सुधार जैसे विषय आम लोगों के लिए जटिल होते हैं लेकिन प्रशिक्षित कॉल एजेंट की मदद से यह हेल्पलाइन आम नागरिकों के लिए सहज बनाएगा। बहुत दिनों से इस कॉलसेंटर की जरूरत महसूस हो रही थी।
वहीं, विभाग के सचिव जय सिंह ने इसे सरकार और जनता के बीच मजबूत संवाद का माध्यम बताते हुए कहा कि जब तक योजनाओं की जानकारी अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचेगी, वे प्रभावी नहीं बनेंगी। सीएससी की मदद से हम सेवा को और अधिक पारदर्शी, सुलभ और उत्तरदायी बना पाएंगे। वहीं, सीएससी बिहार के स्टेट हेड संतोष तिवारी ने कहा कि सीएससी नेटवर्क की पहुंच हर पंचायत तक है और यह हेल्पलाइन एक सूचना केंद्र से कहीं अधिक नागरिक अधिकारों और डिजिटल जागरूकता का मंच बनेगा।
हेल्पलाइन सेंटर पर मिलेंगी ये प्रमुख सेवाएं- भूमि संबंधी दस्तावेज, दाखिल-खारिज, जमाबंदी, म्यूटेशन जैसे विषयों पर जानकारी
- विभागीय योजनाओं की जानकारी और नागरिकों को जागरूक करना
- शिकायत पंजीकरण और समाधान में सहायता
- आवेदन की स्थिति की जानकारी
- ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से जोड़ना
इस अवसर पर विभाग के विशेष सचिव अरुण कुमार सिंह, संयुक्त सचिव अनिल कुमार पाण्डेय, CSC बिहार के वरिष्ठ अधिकारी, जिला प्रबंधक और नेटवर्क के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
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'चट्टान की तरह आपके साथ खड़े हैं', पूर्वोत्तर में बारिश और बाढ़ से तबाही; अमित शाह ने चार राज्यों के CM से की बात
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वोत्तर के राज्यों में इस वक्त बारिश कहर बनकर टूटी है। मिजोरम, असम, मणिपुर, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक बाढ़ और लैंड स्लाइड से हालात बदतर होते जा रहे हैं। लोगों को अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
हालात के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों और मणिपुर के राज्यपाल से बात की है। शाह ने स्थिति से निपटने के लिए हर संभव मदद का भरोसा दिया है।
शाह ने दिया मदद का भरोसाअमित शाह ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, 'असम, सिक्किम और अरुणाचल से मुख्यमंत्रियों और मणिपुर के राज्यपाल से उनके राज्य में हो रही भारी बारिश के संबंध में बात की। साथ ही उन्हें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया।'
Spoke with the Chief Ministers of Assam, Sikkim, and Arunachal Pradesh and Governor of Manipur in the wake of ongoing heavy rainfall in their states. Also assured them of every possible help to tackle any situation. The Modi government stands like a rock in support of the people…
— Amit Shah (@AmitShah) June 1, 2025शाह ने आगे लिखा, 'मोदी सरकार नॉर्थ ईस्ट के लोगों की मदद के लिए चट्टान की तरह खड़ी है।' बता दें कि इस वक्त पूर्वोत्तर के कई हिस्से बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। कई घर नष्ट हो गए हैं, सड़कें बह गई हैं और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
सिक्किम में फंसे कई पर्यटक- अधिकारियों ने बताया कि असम में बारिश से सड़क मार्ग, ट्रेन और नोका सेवाएं प्रभावित हुई है। असम के 15 जिलों में स्थिति बदतर है। अरुणाचल में केवल पिछले दो दिनों में 9 लोगों की मौत हुई है। सिक्किम में 1500 से अधिक पर्यटकों के फंसने की भी खबर है।
- इसके अलावा मणिपुर में भारी बारिश की वजह से कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। बाढ़ और लैंड स्लाइड के कारण 3800 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। कई घर पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। पूर्वोत्तर की कई नदियां उफान पर हैं।
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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Patanjali denies being under MCA lens
'किसी की डांट खुदकुशी की वजह नहीं हो सकती', SC ने हॉस्टल इंचार्ज को किया बरी; स्टूडेंट ने किया था सुसाइड
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी एक शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि किसी की डांट खुदकुशी की वजह नहीं हो सकती है। यह शख्स एक स्कूल और हॉस्टल का इंचार्ज था। उसने एक छात्र की शिकायत पर दूसरे छात्र को डांटा था। इसके बाद उस छात्र ने कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा कि कोई आम इंसान यह कल्पना भी नहीं कर सकता कि डांट की वजह से कोई इतना बड़ा कदम उठा लेगा। कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया है जिसमें हॉस्टल इंचार्ज को आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी की धारा 306) के इल्जाम से बरी करने से इनकार किया गया था।
Motive को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणीसुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमने इस मामले को पूरी तरह देखा और पाया कि यह हस्तक्षेप का सही मामला है। जैसा कि याचिकाकर्ता ने कहा, कोई सामान्य व्यक्ति यह नहीं सोच सकता कि एक छात्र की शिकायत पर की गई डांट इस तरह की त्रासदी का कारण बनेगी।"
कोर्ट ने यह भी बताया कि ऐसी डांट का मकसद सिर्फ शिकायत पर ध्यान देना और हालात को सुधारना था। कोर्ट ने आगे कहा, "हमारी राय में, इस मामले में यह साफ है कि याचिकाकर्ता पर कोई गलत इरादा (mens rea) साबित नहीं होता, न ही यह कहा जा सकता कि उसने छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाया।"
याचिकार्ता ने दी थी ये दलीलयाचिकाकर्ता ने अपने वकील के ज़रिए कोर्ट में कहा कि उसकी डांट जायज थी। यह सिर्फ एक अभिभावक की तरह दी गई नसीहत थी, ताकि छात्र दोबारा गलती न करे और हॉस्टल में अनुशासन बनी रहे। उसने यह भी साफ किया कि उसका और मृतक छात्र का कोई निजी झगड़ा या दुश्मनी नहीं थी।
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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'शादी का झांसा देकर रेप का सवाल ही नहीं', शादीशुदा महिला को सुप्रीम कोर्ट से झटका; जानिए पूरा मामला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने 25 वर्षीय छात्र के खिलाफ रेप के मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जिस महिला ने आरोप लगाए हैं, उसका आरोपी के साथ एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर था। अदालत ने कहा कि संबंधों के दौरान महिला ने अपने पति से तलाक नहीं लिया था।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का वह आदेश खारिज कर दिया, जिसमें आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद करने की अपील की थी और हाईकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें शादी का झांसा देकर बलात्कार का मामला नहीं बनता है।
पति और बेटे के साथ रहती थी महिलादरअसल एक महिला ने आरोप लगाया कि वह अपने 4 साल के बेटे और पति के साथ जिस जगह रहती थी, वहीं आरोपी जो उस समय कॉलेज में पढ़ता था, अपने कुछ दोस्तों के साथ रहता था। इस दौरान महिला और आरोपी की जान-पहचान हो गई और दोनों में शारीरिक संबंध बने।
महिला ने आरोप लगाया कि व्यक्ति ने पहले उससे शादी का वादा किया और कई बार संबंध बनाए। लेकिन बाद में शादी से इंकार कर दिया। सतारा के पुलिस स्टेशन में जुलाई 2023 में एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज कराया था।
छात्र पर रेप का लगाया था आरोप- एफआईआर के मुताबिक, महिला ने कहा कि आरोपी ने शादी के झांसे में उसके साथ अलग-अलग लॉज में ले जाकर रेप किया, पैसे उधार लिए और उसकी कार भी इस्तेमाल की। हालांकि बाद में धर्म अलग होने का हवाला देकर शादी से इंकार कर दिया और सारे संपर्क खत्म कर दिए।
- हालांकि आरोपी की दलील थी कि महिला ने ही रिश्ता शुरू किया था और उसने धमकाया भी था। आरोप एफआईआर रद करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा था और वहां से निराशा हाथ लगने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि महिला आरोपी के साथ लंबे समय तक रिलेशन में थी। इस दौरान उसका तलाक भी नहीं हुआ था। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के साथ लॉज में जाने और संबंध बनाने का फैसला इस दावे को खारिज करता है कि उसके साथ जबरदस्ती की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला पहले से ही किसी और की पत्नी थी, इसलिए ये सवाल ही नहीं उठता कि उसके साथ शादी का झांसा देकर संबंध बनाए गए। पीठ ने कहा कि महिला ने एक्स्ट्रामैरिटरल अफेयर शुरू होने के करीब 6 महीने बाद तलाक लिया था। इसलिए व्यक्ति के खिलाफ केस नहीं बनता।
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India to raise trade issues at WTO meet
दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद बिहार में सियासी घमासान शुरू, पप्पू यादव की पत्नी ने दिया बवाल मचाने वाला बयान!
राज्य ब्यूरो, पटना। मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी में नौ वर्षीय दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद आज उसकी मौत हो गई। जिसके बाद बिहार कांग्रेस ने इस घटना के लिए जदयू-भाजपा सरकार को दोषी बताया है।
घटना के खिलाफ कांग्रेस रविवार को ही प्रदर्शन भी करने वाली है। बिहार कांग्रेस नेताओं के ही साथ पार्टी के केंद्रीय स्तर के नेताओं ने भी इसका ठीकरा राज्य सरकार पर फोड़ा है।
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन और राष्ट्रीय प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि हजार
संवेदनाओं की मौत के बाद जन्मा है भाजपा-नीतीश राज।
जेडीयू-भाजपा सरकार दलित बच्ची की संस्थागत हत्या के लिए जिम्मेदार है। जेडीयू और भाजपा सरकार की सत्ता की सरपरस्ती में बिहार, जो कि ज्ञान, त्याग और तपस्या की भूमि के रूप में जाना जाता था, उसे अपराधियों और अराजक तत्वों ने हत्या, दुष्कर्म और अपहरण के गुंडा-माफिया राज में तब्दील कर दिया है।
जगह-जगह हत्या, अपहरण, दुष्कर्म हो रहे हैं। आज हम आप लोगों के सम्मुख नम आंखों और भरे दिल से हृदयविदारक घटना का जिक्र कर रहे हैं, जिससे सबकी रूह कांप जाएगी और एक ऐसी अपराधियों की सत्ता की सरपरस्ती का जिक्र कर रहे हैं, जिसके बारे में बात करते हुए सिर शर्म से झुक जाता है।
कांग्रेस नेत्रियों ने कहा कि मुजफ्फरपुर जिले में कुढ़नी प्रखंड की नौ साल की दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ।
हैवानियत की हद तब हो गई जब लड़की के गर्दन को चाकू से रेत दिया गया और फिर उसे ईंट-भट्ठे के गड्ढे में फेंक दिया गया। लड़की के शरीर पर 20 जगहों पर चाकू के जख्म के निशान मिले।
दोनों नेताओं ने कहा कि घटना के बाद बिहार महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अस्पताल में जाकर बच्ची से मिलीं और उसकी नाजुक हालत को देखते हुए मुजफ्फरपुर के डीएम से मिलकर ज्ञापन देने के बाद बच्ची को इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर करने की अपील की।
कांग्रेस पार्टी लगातार बच्ची को एयर लिफ्ट करके दिल्ली एम्स भेजने की अपील कर रही थी, लेकिन जेडीयू-भाजपा सरकार ने एक ना सुनी।
Mamata’s rule in West Bengal has come to an end, says Amit Shah, accuses CM of appeasement politics - The Hindu
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- Amit Shah says Mamata opposed Op Sindoor to ‘appease’ votebank; TMC hits back, calls on Home Minister to quit over ‘failures’ The Indian Express
क्या बिहार में प्रदेश नेतृत्व से खुश नहीं हैं कांग्रेस नेता? सामने आई अंदर की बात, तेज हो सकती है सियासी हलचल
सुनील राज, पटना। बिहार में करीब तीन दशक से सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस लगातार सत्ता वापसी के प्रयासों में जुटी है, परंतु वो सत्ता से दूर है। एक बार फिर इस वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं।
इसके पूर्व कांग्रेस में सक्रियता बढ़ गई है। एक ओर जहां पार्टी संगठनात्मक विस्तार में लगी है तो दूसरी ओर मुख्यालय से जिला, प्रखंडों तक उसके कार्यक्रम भी चल रहे हैं।
लेकिन इसके बीच कार्य समिति गठन का मसला खटाई में है। जिस वजह से पार्टी के अंदर एक खेमा ऐसा भी है जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी गठित न होने के मुद्दे पर प्रदेश नेतृत्व से संतुष्ट नहीं है।
चुनावी वर्ष में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में बड़े बदलाव किए। पार्टी की कमान डॉ. अखिलेश सिंह से लेकर दो बार के विधायक राजेश कुमार को सौंप दी।
जिसके बाद पार्टी की पहली और दूसरी पंक्ति के नेताओं को उम्मीद थी कि चुनाव के पहले प्रदेश कार्य समिति भी गठित हो जाएगी। परंतु महीने दर महीने बीतने के बाद भी कार्य समिति गठन की सुगबुगाहट नहीं है।
हालांकि, पार्टी मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ कहते हैं कि कार्यसमिति बनाने की कवायद चल रही है। यह अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी का विशेषाधिकार है। केंद्रीय नेतृत्व भी लगा हुआ है। उम्मीद है कि चुनाव के पहले कार्यसमिति बन जाएगी।
भले ही पार्टी के मुख्य प्रवक्ता यह दावा करें, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। प्रदेश कांग्रेस बीते करीब 10 वर्षों से कार्यसमिति विहीन है। अंतिम बार डॉ. अशोक चौधरी ने प्रदेश कांग्रेस की कार्य समिति गठित थी। 2013 में डॉ. चौधरी को जब अध्यक्ष बनाया गया। तब उन्होंने समिति बनाई थी जिसमें 255 सदस्य थे।
इसमें 15 उपाध्यक्ष, 25 महासचिव, 76 सचिव, 45 संगठन सचिव, 77 कार्यकारिणी के सदस्य और विशेष आमंत्रित सदस्य के अलावा एक कोषाध्यक्ष था।
2016-17 में डॉ. चौधरी के पार्टी से विदा होते ही समिति भी भंग हो गई। इनके बाद पार्टी ने कौकब कादरी को प्रभारी अध्यक्ष बनाया। कादरी का कार्यकाल छोटा रहा और वे कार्य समिति बनाए बिना विदा हो गए।
इसके बाद 2018 में डॉ. मदन मोहन झा प्रदेश अध्यक्ष बने। जिनका कार्यकाल चार वर्ष रहा। इस बीच लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए, परंतु डॉ. झा अपनी कार्यसमिति नहीं बना पाए।
दिसंबर 2022 में डॉ. अखिलेश सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने। उन्होंने कमेटी गठन का प्रयास किया। लेकिन प्रभारी और अध्यक्ष की अलग-अलग सूची केंद्रीय नेतृत्व को मिली। जिसके बाद मामला खटाई में चला गया। इस बीच लोकसभा चुनाव भी हो गए।
अब पार्टी की कमान राजेश कुमार के पास हैं। प्रभारी और अध्यक्ष में तालमेल भी है। चुनाव भी सिर पर हैं और लेकिन कार्य समिति को लेकर कहीं कोई चर्चा, सुगबुगाहट नहीं। हालांकि, प्रभारी और अध्यक्ष ने आपसी सहमति से जिलों में नए अध्यक्ष जरूर नियुक्त किए परंतु प्रदेश कार्य समिति का मामला अभी तक ठंडे बस्ते में है।
पार्टी नेताओं की नाराजगी की अनदेखी कर पार्टी फिलहाल अपने कार्यक्रमों पर खुद को केंद्रित कर रही है।
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