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Patna News: हड़ताली मोड़ के पास फायरिंग मामले में बड़ा एक्शन, दारोगा सहित 6 पुलिस कर्मी सस्पेंड
जागरण संवाददाता, पटना। हड़ताली मोड़ के पास फायरिंग मामले में कोतवाली, सचिवालय और पीसीआर में तैनात दारोगा सहित 6 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। फायरिंग की घटना की सूचना प्राप्त होने के बाद अपराधकर्मी के विरूद्ध अपेक्षित कार्रवाई नहीं करने और प्रारंभिक जांच से पदाधिकारी/कर्मी द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करने के आरोप में ये कार्रवाई की गई है।
वहीं, दूसरी ओर फायरिंग की घटना में संलिप्त अपराधकर्मी की गिरफ्तारी हेतु विशेष टीम के द्वारा छापामारी जारी है।
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MANUU ने यूनिसेफ के साथ मिलाया हाथ, हैदराबाद में सड़क सुरक्षा पर जागरूकता कार्यक्रम किया आयोजित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों और युवाओं के लिए सुरक्षित सड़कें बनाने के लिए सरकार, शिक्षकों और समुदायों के बीच मीडिया के साथ साझेदारी में मजबूत भागीदारी की आवश्यकता है।
इस संदेश को सड़क सुरक्षा और सिस्टम पर राष्ट्रीय मीडिया परामर्श में दोहराया गया, जिसे यूनिसेफ इंडिया ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) के जनसंचार और पत्रकारिता विभाग के सहयोग से आयोजित किया।
रेडियो आरजे व मीडियाकर्मी हुए शामिलदिन भर चले इस संवाद में सड़क सुरक्षा को बाल अधिकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य और विकास के महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में पुनः स्थापित करने तथा सुरक्षित व्यवहार, बेहतर प्रवर्तन और प्रणालीगत सुधार को प्रभावित करने में मीडिया की भूमिका को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
पत्रकारिता एवं जनसंचार विद्यालय के डीन एवं प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद फरियाद ने यूनिसेफ के सम्मानित अतिथियों, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई और कोच्चि सहित विभिन्न शहरों के रेडियो आरजे सहित मीडियाकर्मियों का गर्मजोशी से स्वागत किया
कार्यक्रम में किस पर दिया गया जोर?उन्होंने सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने और विशेष रूप से बच्चों और किशोरों के बीच जिम्मेदार सड़क व्यवहार को बढ़ावा देने में सामुदायिक रेडियो और युवाओं द्वारा संचालित अभियानों की शक्ति पर जोर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए, यूनिसेफ इंडिया में संचार, वकालत और भागीदारी की प्रमुख जफरिन चौधरी ने सार्वजनिक धारणा और जवाबदेही को आकार देने में मीडिया की भूमिका पर ज़ोर दिया।
उन्होंने कहा "सड़कों पर बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून और बुनियादी ढाँचे से कहीं ज़्यादा की ज़रूरत होती है। इसके लिए सहयोगात्मक, सामूहिक कार्रवाई की ज़रूरत होती है। सुरक्षित स्कूल क्षेत्र, मज़बूत आपातकालीन देखभाल प्रणाली और जागरूकता अभियान सभी एक भूमिका निभाते हैं।"
'कहानीकार की अहम भूमिक'जफरिन चौधरी ने कहा, "मीडिया के पास एक अनूठी शक्ति है: आंकड़ों को आकर्षक कहानियों में बदलना और ऐसी कहानियां जो व्यक्तिगत और सामाजिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करती हैं। पत्रकार, आरजे और कहानीकार बदलाव के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व कर सकते हैं।"
परामर्श में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें MANUU के संकाय और छात्र, लगभग 50 रेडियो जॉकी और निर्माता, प्रिंट और टेलीविजन के मीडिया पेशेवर, सरकारी अधिकारी, नागरिक समाज के प्रतिनिधि और युवा अधिवक्ता शामिल थे।
कम उम्र के नागरिकों की होती है ज्यादा मौतयह परामर्श ऐसे समय में आया है जब भारत अपने सबसे कम उम्र के नागरिकों के बीच सड़क दुर्घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि का सामना कर रहा है। अकेले 2022 में 18 वर्ष से कम आयु के 16,443 से अधिक बच्चे और किशोर सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।
इनमें से अधिकांश मौतें कमज़ोर सड़क उपयोगकर्ताओं, साइकिल चालकों, पैदल चलने वालों और दोपहिया वाहन सवारों से संबंधित हैं, जिनमें से कई ने हेलमेट नहीं पहना था। हालांकि, मीडिया कवरेज मुख्य रूप से बड़ी घटनाओं या हाई-प्रोफाइल मामलों तक ही सीमित रहता है, जिससे इन मुद्दों की रिपोर्टिंग कम हो जाती है।
NHAI ने किस पर दिया जोर?NHAI हैदराबाद के क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक श्री पी शिव शंकर ने सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए एनएचएआई की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, खास तौर पर राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले सभी वाहनों के अलावा पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों और मोटरसाइकिल चालकों जैसे कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए।
उन्होंने शिक्षा, प्रवर्तन, साक्ष्य और इंजीनियरिंग के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि इन बहुआयामी पहलुओं पर सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए एक साथ विचार किया जाना चाहिए।
कुलपति ने क्या कहा?MANUU के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने पत्रकारों को तैयार करने में विश्वविद्यालय की भूमिका को रेखांकित किया, जो गहराई से सोचते हैं और सकारात्मक बदलाव में योगदान देते हैं।
उन्होंने कहा "यह परामर्श केवल एक कार्यशाला नहीं है। यह विवेक का आह्वान है। हमारे छात्रों को संवेदनशील संचारक बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है जो गहराई और जिम्मेदारी के साथ रिपोर्ट करते हैं। सड़क सुरक्षा बुनियादी ढांचे, समानता और न्याय को जोड़ने का एक शक्तिशाली लेंस है - और हमें इसी तरह की पत्रकारिता को बढ़ावा देना चाहिए"।
ISADAK- एक एबर्टिस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेमन चेसा ने क्रॉस-सेक्टर सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा "बच्चों को सभी सड़क सुरक्षा रणनीतियों के केंद्र में होना चाहिए। चाहे वह स्कूल ज़ोन स्पीड विनियमन हो या हेलमेट कानून, हमारा ध्यान सबसे कमज़ोर लोगों पर होना चाहिए। इसलिए विश्वविद्यालयों, मीडिया और यूनिसेफ जैसी वैश्विक संस्थाओं के साथ साझेदारी महत्वपूर्ण है"।
UNICEF ने क्या कहा?यूनिसेफ के हैदराबाद में मुख्य फील्ड ऑफिसर डॉ. ज़ेलालेम टैफ़ेसी ने सड़क सुरक्षा के लिए बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हमें सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य सरकारों, स्थानीय सरकार, नगर निगमों, शिक्षा विभागों और स्कूलों, राजमार्ग प्राधिकरणों, स्वास्थ्य विभागों, अस्पतालों (सार्वजनिक और निजी), रेडियो जॉकी, प्रिंट और टीवी सहित सभी हितधारकों को एक साथ आने की आवश्यकता है।
आघात प्रतिक्रिया एक बड़ी कमी है। दुर्घटना स्थल पर कई बच्चे मर जाते हैं। हमें एकीकृत प्रणालियों की आवश्यकता है जिसमें बाल चिकित्सा आपातकालीन देखभाल, प्रशिक्षित प्रतिक्रियाकर्ता और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता शामिल हो। स्वास्थ्य प्रणालियों को सड़क सुरक्षा वार्तालाप का हिस्सा बनना चाहिए।"
यूनिसेफ इंडिया कंट्री ऑफिस के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सैयद हुबे अली ने सड़क सुरक्षा के लिए एक एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से रोकथाम पर केंद्रित। उन्होंने कहा, "सड़क दुर्घटनाएँ केवल परिवहन का मुद्दा नहीं हैं - वे एक बड़ा लेकिन कम पहचाना जाने वाला स्वास्थ्य बोझ हैं।"
उन्होंने कहा, "हमें ट्रॉमा केयर सिस्टम को मजबूत करना चाहिए, समुदायों को पहले प्रतिक्रिया ज्ञान के साथ सशक्त बनाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा सभी गतिशीलता नियोजन के केंद्र में हो।"
किस विषय पर हुई चर्चा?डॉ. अली ने बताया कि हाल ही में भारत द्वारा अप्रैल 2025 में आयोजित विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किशोरों और बच्चों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सड़क सुरक्षा पर 10 दौर से अधिक तकनीकी परामर्श, रोड मैप जारी किया गया था।
'बच्चों और युवाओं के लिए सड़क सुरक्षा में मीडिया की भूमिका' विषय पर एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा दिन की मुख्य विशेषता थी। वरिष्ठ पत्रकार श्रींजय चौधरी द्वारा संचालित इस पैनल में मीडिया, स्कूलों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रतिनिधि शामिल थे।
बैंगलोर में सड़क सुरक्षा और चोट की रोकथाम पर डब्ल्यूएचओ सहयोगी केंद्र के प्रमुख डॉ जी गुरुराज ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं यादृच्छिक दुर्घटनाएं नहीं हैं, बल्कि प्रणालीगत विफलताओं के पूर्वानुमानित परिणाम हैं।
उन्होंने कहा, "हमारे पास डेटा है। हमारे पास कानून हैं। हमारे पास जो कमी है, वह है निरंतर चर्चा और सार्वजनिक मांग और यही वह जगह है जहां मीडिया को आगे आना चाहिए। सही कहानियां बताने से गलत परिणामों को रोका जा सकता है।"
कौन-कौन कार्यक्रम में हुआ शामिल?परामर्श में भाग लेने वाले अन्य प्रतिनिधियों में डब्ल्यूएचओ सहयोगी केंद्र निमहंस के डॉ. जी गुरुराज, हैदराबाद फील्ड ऑफिस, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ यूनिसेफ डॉ. श्रीधर रयावंकी और हैदराबाद के सिल्वर ओक्स इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल सुश्री रचना शर्मा शामिल थे।
परामर्श में युवा अधिवक्ता श्याम शुक्ला का संबोधन भी शामिल था, जिसमें उन्होंने हेलमेट के उपयोग और युवा जिम्मेदारी के महत्व के बारे में बात की। रेडियो प्रतिभागियों ने समूह कार्य के माध्यम से रेडियो सामग्री का सह-निर्माण किया, जिसमें यूनिसेफ से सोनिया सरकार और प्रोसुन सेन के साथ-साथ MANUU के शिक्षकों ने भी सहयोग किया।
सामग्री में सार्वजनिक सेवा घोषणाओं और जिंगल्स से लेकर युवा-केंद्रित टॉक शो और इंटरैक्टिव आरजे सेगमेंट शामिल हैं। इन ऑडियो उत्पादों में हेलमेट का उपयोग, स्कूल आने-जाने की सुरक्षा, किशोरों द्वारा वाहन चलाने के जोखिम और दर्शकों की प्रतिक्रिया जैसे विषयों को संबोधित किया गया।
कार्यक्रम का समापन मीडिया घरानों, विश्वविद्यालयों और नीति निर्माताओं से सड़क सुरक्षा को विकास की प्राथमिकता के रूप में एकीकृत करने के लिए सामूहिक आह्वान के साथ हुआ, न कि केवल यातायात के मुद्दे के रूप में।
प्रतिभागियों ने बाल सुरक्षा कथाओं को बढ़ाने और समुदाय-आधारित प्रारूपों के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन संचार को मजबूत करने का संकल्प लिया, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जोखिम सबसे अधिक है।
Know Your Fund Manager | Rohan Korde, Fund Manager - Equity, ITI Mutual Fund
'जब तक हिंदू खुद मजबूत नहीं होगा, दुनिया में कोई...', पहलगाम हमले के बाद हिंदुओं की सुरक्षा पर क्या बोले मोहन भागवत?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कहा कि भारत के पास 'शक्तिशाली' होने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। आरएसएस से जुड़े प्रकाशन ऑर्गनाइजर के साथ एक विशेष साक्षात्कार में भागवत ने स्पष्ट किया कि - सुरक्षा की शुरुआत समाज से होती है, सिर्फ राज्य से नहीं।"
उन्होंने हिंदू समाज की सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि भारत की एकता ही हिंदुओं की सुरक्षा की गारंटी है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज और भारत एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं, और जब हिंदू समाज सशक्त होगा, तभी भारत भी गौरव प्राप्त करेगा।
उन्होंने पड़ोसी देश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार और मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, जब तक हिंदू समाज खुद मजबूत नहीं होगा, तब तक दुनिया में कोई उनके बारे में चिंता नहीं करेगा।
अपने अधिकारों के लिए हिंदू अब लड़ रहे: मोहन भागवतउन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार के खिलाफ जो आक्रोश देखा गया वो अद्भुत है। अब वहां के हिंदू खुद कर रहे हैं कि हम भागेंगे नहीं, अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे। उन्होंने आगे कहा, हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति बढ़ रही है और संगठन का विस्तार इस शक्ति को और व्यापक रूप देगा। जब तक यह लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं होता। हमें लड़ाई जारी रखनी होगी।
लोगों को जाति और पंथ की सोच से ऊपर उठने की जरूरत: RSS प्रमुखमोहन भागवत ने कहा कि सनातन धर्म के सच्चे सार को संरक्षित करने के लिए समाज के सभी लोगों को जाति और पंथ के विभाजन से ऊपर उठने की आवश्यकता है। डॉ. भागवत ने भारत को एक समृद्ध राष्ट्र बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, जो शांति और समानता को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि ये मूल्य देश के दिल में हैं। उन्होंने दुनिया में बुरी ताकतों से लड़ने के लिए आंतरिक संवाद, ताकत और एकता की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
हिंदू धर्म के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर आरएसएस प्रमुख ने कहा, "सम्पूर्ण हिंदू समाज को एकजुट करना और भारत को वैभव के शिखर पर ले जाना और अंततः इस परिवर्तन को पूरे विश्व में फैलाना। डॉ. हेडगेवार ने 1920 में ही इसकी कल्पना कर ली थी।"
उन्होंने कांग्रेस से यह घोषणा करने का आग्रह किया कि पूर्ण स्वतंत्रता, या पूर्ण स्वराज्य, हमारा लक्ष्य होना चाहिए और एक स्वतंत्र भारत को अन्य देशों को पूंजीवादी बंधन से मुक्त करने में मदद करनी चाहिए।"
यह भी पढ़ें: RSS के शताब्दी वर्ष में सरसंघचालक मोहन भागवत दिल्ली में करेंगे लोगाें से सीधा संवाद
iPhone 17 lineup expected in September
सभी पैक्स अध्यक्षों का बढ़ गया काम, सहकारिता विभाग से जारी हुआ नया आदेश; गांव में अब इन चीजों पर रखनी होगी नजर!
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के पैक्सों को स्थानीय स्तर पर होम स्टे, पैकेज टूरिज्म, ग्रामीण टूरिज्म, यातायात सेवाएं, गाइड एंड ट्रेनिंग से संबंधित कार्य करने होंगे। इसके लिए सहकारिता विभाग की ओर से पैक्सों को दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
सहकारिता विभाग के सचिव धर्मेन्द्र सिंह ने पैक्सों को इन सभी क्षेत्रों में कार्य करने हेतु विभाग की ओर से आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया है।
उन्होंने कहा है कि अगर आवश्यकता होगी तो नई समितियों का भी गठन किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि सहकारिता विभाग की इस नई पहल से स्थानीय उत्पादों के विपणन के साथ-साथ स्थानीय लोगों के रोजगार में भी वृद्धि होगी तथा पर्यटन विभाग की विभिन्न योजनाओं से भी पैक्स लाभान्वित होंगे।
उन्होंने मखाना उत्पादन एवं विपणन से संबंधित सहकारी समितियों तथा सहकरी किसान उत्पादक संघ को भी रोजगार सृजन हेतु योजना बनाकर कार्य करने को कहा है।
मखाना की खेती में आ रही चुनौतियों के लिए तैयार की जा रही कार्य योजनामखाना की खेती में तथा मखाना उत्पादों के विपणन में आने वाली चुनौतियों तथा उनके समाधान पर भी सहकारिता विभाग द्वारा कार्य योजना तैयार की जा रही है।
दरअसल मखाना उत्पादक किसानों को प्रारंभ में अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी पूर्ति मखाना विपणन करने वाले व्यापारियों द्वारा की जा रही है, जिससे उनके उत्पादों को सही मूल्य नहीं मिल पाता है।
मखाना उत्पादक किसानों को पूंजी में मदद के लिए जिला केंद्रीय कोआपरेटिव बैंकों को भी आगे बढ़कर मदद करने को कहा गया है।
ऐसे सभी किसानों को जो मखाना उत्पादन में लगे है, उन्हें सहकारिता विभाग द्वारा अनिवार्य रूप से पांच लाख की सीमा तक किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाने पर भी विचार किया जा रहा है।
Bihar News: मिड डे मील को लेकर शिक्षा विभाग ने कर दिया बड़ा एलान, बढ़ेगी अधिकारियों की मुश्किल
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के तकरीबन 71567 प्रारंभिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील) के संचालन की नियमित निगरानी होगी। हर विद्यालय में कितने बच्चों ने मिड डे मील खाया और कितने बच्चे गैरहाजिर रहे, इसकी रिपोर्ट प्रत्येक दिन पोर्टल पर अपलोड होगी।
अधिकारियों पर होगा एक्शनमिड डे मील में किसी प्रकार की अनियमितता, छात्रों की उपस्थिति में फर्जीवाड़ा एवं निर्धारित मेन्यू का पालन नहीं होने की शिकायत पर संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ), जिला कार्यक्रम प्रबंधक तथा जिला एवं प्रखंड साधनसेवी पर कार्रवाई होगी।
डॉ. एस. सिद्धार्थ ने जारी किए निर्देशइससे संबंधित निर्देश शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (मध्याह्न भोजन योजना) को दिया है।
उन्होंने मिड डे मील के संचालन में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ), जिला कार्यक्रम प्रबंधक तथा जिला एवं प्रखंड साधनसेवी पर अहम जिम्मेदारी दी है।
मेन्यू के अनुसार नहीं मिलता मध्याह्न भोजननिर्देश में अपर मुख्य सचिव ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि योजना के संचालन एवं क्रियान्वयन के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त होती है कि जिलों में मध्याह्न भोजन निधारित मेन्यू के अनुसार नहीं दिया जाता है।
छात्रों की उपस्थिति में फर्जीवाड़ा किया जाता है और मध्याह्न भोजन का संचालन बाधित रहता है। केंद्रीयकृत रसोईघर के संबंध में मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता खराब रहने तथा छात्रों की संख्या की तुलना में कम मात्रा में मध्याह्न भोजन की आपूर्ति करने के संबंध में शिकायतें प्राप्त होती हैं, जो अत्यंत खेदजनक है।
निर्देश में हिदायत भरे शब्दों में अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि सामान्यतः देखा जाता है कि मध्याह्न भोजन की अनियमितता की शिकायत प्राप्त होने पर केवल प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक पर ही कार्रवाई की जाती है तथा केंद्रीयकृत रसोईघर के विपत्र की राशि से कटौती की जाती है।
जबकि अनियमितता के लिए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन योजना), जिला कार्यक्रम प्रबंधक तथा प्रखंड एवं जिला साधनसेवी समान रूप से दोषी हैं।
Bihar News: अब देशभर में होगी राजगीर की चर्चा, नीतीश सरकार ने कर दिया बड़ा काम
जागरण संवाददाता, पटना। राजगीर में खेल परिसर सह खेल विश्वविद्यालय में इनडोर व आउटडोर खेलों की सुविधाएं भवन निर्माण विभाग ने चरणबद्ध तरीके से विकसित की है। यहां बिहार का पहला और देश का छठा खेल विश्वविद्यालय है।
राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानको को ध्यान में रखते हुए मैदान का निर्माणसचिव कुमार रवि ने बताया कि राजगीर खेल परिसर विभाग की महत्वकांक्षी परियोजना है। एक ही परिसर में खेलों के मैदान के साथ-साथ प्रशिक्षण एवं अभ्यास की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए खेल मैदानों का निर्माण किया गया है।
कोविड-19 महामारी और अन्य चुनौतियों के बावजूद विभाग के अधिकारियों और अभियंताओं ने समयबद्ध तरीके से इस शानदार खेल परिसर को तैयार किया है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इसमें मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है। 40 हजार दर्शकों की क्षमता वाले इस स्टेडियम का निर्माण जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
33 तरह के इनडोर-आउटडोर खेल की सुविधासचिव ने कहा कि, खेल परिसर में कुश्ती, भारोत्तोलन, वालीबाल, बैडमिंटन, तीरंदाजी, शूटिंग, कबड्डी, जूडो, तायक्वांडो, बाक्सिंग, क्रिकेट, फुटबाल, हाकी, बास्केटबाल, हैंडबाल, वालीबाल, साइकिलिंग, एथलेटिक्स ट्रैक, शाटपुट, लंबी कूद, ट्रिपल जंप, पोल वाल्ट, सेपक टाकरा एवं तैराकी समेत 33 तरह के इनडोर और आउटडोर खेल शामिल हैं।
हॉकी प्रैक्टिस टर्फ का भी निर्माण किया गया है। परिसर में एक आधुनिक शैक्षणिक भवन बनाया गया है, जिसमें बिहार खेल विश्वविद्यालय का कार्यालय, पदाधिकारियों के लिए कार्यालय और 242 की क्षमता वाला एक ऑडिटोरियम शामिल है।
खिलाड़ियों के लिए 149 कमरों वाला बालक छात्रावास, 78 कमरों वाला बालिका छात्रावास, 100 क्षमता वाला ट्रांजिट हास्टल, प्रशिक्षकों के लिए आवास और 324 क्षमता वाला मेस भी निर्मित किया गया है। निदेशक, उप निदेशक और स्टाफ के लिए आवासीय सुविधाएं उपलब्ध हैं।
खिलाड़ियों के लिए खेल के दौरान लगी चोट के साथ साथ अन्य प्रकार के इलाज की भी व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि अधिकतर खेल सुविधाओं का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। कई तरह के मल्टीपर्पस इनडोर हाल का निर्माण किया गया है, जिसमें विभिन्न तरह के खेल आयोजित हो रहे हैं।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान राजगीर खेल परिसर में पांच खेल आयोजित किए गए थे। खेल परिसर में निर्मित विश्वस्तरीय हॉकी टर्फ, ऑस्ट्रेलिया से आयातित एस्ट्रो-टर्फ और जर्मनी के ऑटोमेटेड स्प्रिंकलर सिस्टम से सुसज्जित है। सचिव ने कहा कि यह परिसर किसी भी वैश्विक खेल आयोजन के लिए आदर्श स्थल है। हमारा लक्ष्य बिहार के युवाओं को विश्वस्तरीय मंच प्रदान करना है। इस साल हाकी टर्फ पर पुरुष एशिया कप 2025 खेला जाना है।
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