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Bihar News : पुनौराधाम जीर्णोद्धार के लिए नई न्यास समिति का होगा गठन, नीतीश सरकार लेकर आई अध्यादेश
राज्य ब्यूरो, पटना। रामायण सर्किट में सम्मिलित किए जा चुके जनक नंदनी सीता की जन्म स्थली पुनौराधाम के जीर्णोद्धार के लिए सरकार कृत संकल्प है।
इस उद्देश्य से बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम में संशोधन का अध्यादेश जारी हुआ है। सरकार की योजना पुनौराधाम को श्रीराम जन्मभूमि अयोध्याधाम के अनुरूप विकसित करने की है।
उसके लिए नई न्यास समिति का गठन किया जाएगा। बहरहाल अध्यादेश के प्रभावी होने के साथ ही वर्तमान सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम संचालन के गठित धार्मिक न्यास समिति को भंग हो गई है।
राज्यपाल का निर्देश है कि वर्तमान न्यास समिति के सभी पदाधिकारी कार्य करना बंद कर दें। न्यास के महंत को सरकार द्वारा गठित की जाने वाली समिति में सम्मिलित किया जाएगा।
नई समिति न्यास और उसकी परिसंपत्तियों का नियंत्रण अपने हाथ ले लेगी। नव गठित समिति के लिए समय-समय पर सरकार को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा।
मंदिर के जीर्णोद्धार योजना के हित में सरकार समिति को जो निर्देश जारी करेगी उसका अपनुपालन अनिवार्य होगा।
किसी भी समय समिति का पुनर्गठन कर सकेगी सरकारमहत्वपूर्ण यह कि सरकार किसी भी समय समिति का पुनर्गठन कर सकेगी। उसमें नए सदस्यों को सम्मिलित करने और पुराने सदस्यों को बाहर करने का अधिकार सरकार के पास होगा।
सरकार का मनना है कि पुनौराधाम अभी बहुत कम विकास हुआ है और भविष्य में उसे श्रद्धालुओं के भावना के अनुरूप पर्यटन स्थल के रूप् में विकसित करना है। अध्यादेश इसी उद्देशय से लाया गया है, जो विधानमंडल के मानसून सत्र में अधिनियम का रूप लेगा।
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Bihar Weather: नौतपा में कैसा रहेगा मौसम? भारी बारिश और बिजली गिरने का अलर्ट, 31 मई तक सावधान रहने की अपील
प्रभात रंजन, पटना। प्रत्येक वर्ष मई के अंत में जब सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो उसे नौतपा के रूप में जाना जाता है। रविवार को सुबह तीन बजकर 27 मिनट पर सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर गए हैं। इसके साथ ही नौतपा आरंभ हो गया है। जो दो जून तक रहेगा।
इस दौरान धरती पर सूर्य की गर्मी का ताप बढ़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य के रोहिणी नक्षत्र की अवधि 15 दिनों की होती है। इसमें आरंभ के नौ दिन गर्मी सबसे अधिक होती है।
खगोलीय दृष्टिकोण से इन 15 दिनों के समय में पृथ्वी पर सूर्य की किरणें बिल्कुल सीधी पड़ती है जिस कारण यह समय वर्ष का सबसे गर्म और अधिक तापमान वाला होता है। दूसरी ओर नौतपा पर मौसम का प्रभाव देखने को मिल सकता है।
मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार 31 मई तक प्रदेश में आंधी-पानी एवं मेघ गर्जन व वज्रपात को लेकर चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग के अनुसार असामान्य मौसमी गतिविधियां इस बार मई में तापमान बढ़ने नहीं दे रही है। एक के बाद एक पश्विमी विक्षोभ आ रहे हैं।
आंधी-वर्षा के हालात लगातार बन रहे हैं। आगे भी भीषण गर्मी व लू चलने की संभावना नहीं बन रही है। प्रदेश के अधिसंख्य भागों में बादलों की आवाजाही बनने के साथ बंगाल की खाड़ी से नमीयुक्त हवा के कारण तापमान में विशेष वृद्धि के आसार नहीं है ऐसे में नौतपा विशेष रूप से प्रभावी नहीं होगा।
मौसम विज्ञान के अनुसार वास्तव में धरती पर बढ़ते तापमान का रोहिणी नक्षत्र से कोई मतलब नहीं होता है। हकीकत है कि सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी 365 दिन बाद ऐसी स्थिति में आती है जब सूर्य के पीछे वृषभ तारामंडल का तारा रोहिणी आ जाता है। यह वही स्थिति होती है जब सूरज और धरती करीब होते हैं। यह स्थिति नौ दिन रहती है जिससे खूब गर्मी पड़ती है।
वर्षा से होगा नुकसानखेती के लिए नौतपा की भीषण गर्मी फायदेमंद होती है। इस दौरान सूरज जितना प्रचंड आग बरसाएगा और लू चलेगी वर्षा उतनी ही ज्यादा अच्छी होगी। इससे किसानों के गर्मी में सूखे खेतों को अच्छी खासी नमी मिलती है।
भीषण गर्मी के कारण फसलों को हानि पहुंचाने वाले कीट खत्म हाेते हैं। इस समय खेतों में रह कर नुकसान पहुंचाने वाले चूहों, कीटों और जहरीले जीवों के प्रजनन का होता है।
भीषण गर्मी में अंडे नष्ट हो जाते हैं और किसानों को फसल बचाने के लिए प्रयास नहीं करना पड़ता। नौतपा के दौरान अगर वर्षा होती है तो वर्षा के मौसम कम वर्षा होने की संभावना बढ़ती है। ऐसे में खेतों से कीट, पतंगों, जहरीले जीव व चूहे का खात्मा नहीं होता है।
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नौतपा के दौरान कई कार्य वर्जितनौतपा के दौरान विवाह, सगाई, मुंडन आदि मंगल कार्य करने से मना किया जाता है। मांस-मदिरा और मसालेदार खाने से बचने की सलाह दी जाती है। क्रोध और विवाद से भी बचने को कहा जाता है।
वैज्ञानिक महत्व को देखे तो भीषण गर्मी से मानसिक और शरीर पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में लोगों को संतुलित आहार लेने के साथ तप-साधना की बात कही गई है। जिससे लोगों को बाहर कम से कम निकलना पड़े और गर्मी से बचाव हो सके।
माह में दान-पुण्य का विशेष महत्वशास्त्रों में ज्येष्ठ मास का दान महादान माना गया है। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि इस अवधि में जरूरतमंदों को मौसमी फल, सत्तू, छाता, मटका, सूती वस्त्र और हाथ के पंखे का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
ज्येष्ठ माह में सुबह उठ कर सूर्यदेव को जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। नौतपा के दौरान आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से मानसिक शक्ति बढ़ती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। इस दौरान अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान करना शुभ होता है।
माह में राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नौतपा के दौरान विशेष रूप से बुजुर्ग, बच्चे और पशुओं की विशेष देखभाल करने की जरूरत है।
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