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पाक की बासमती साजिश का पर्दाफाश : 5.5 अरब डॉलर की फसल पर पाकिस्तानी चाल, पूसा बासमती चुराकर पाकिस्तान की 'काइनात' बन गई दुनिया में बदनाम
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।
भारत की पूसा बासमती चावल की वैज्ञानिक किस्में भारत की कृषि सफलता की सफलता को दिखाती है। लेकिन पाकिस्तान इस फसल के बीज को अवैध तरीके से चुराकर इन किस्मों की खेती कर रहा है, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार में बेचने में लगा है। पाकिस्तानी किसान सोशल मीडिया पर पूसा 1121 और 1509 किस्मों को "1121 काइनात" और "1509 किसान" नाम से प्रचारित कर रहे हैं। ये किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई हैं। ऐसे में भारतीय किसानों और वैज्ञानिकों के लिए यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। भारत इस मामले को बीते कुछ समय से पुरजोर तरीके से उठा रहा है। इससे वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की किरकिरी हुई है। बताते चलें कि डीएनए टेस्टिंग में इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान द्वारा दिखाई जा रही बासमती की किस्म नकली है, असल में वह भारतीय किस्म ही है।
पूसा बासमती चावल देश की खाद्य सुरक्षा का मजबूत स्तंभ है, बल्कि 5.5 अरब डॉलर के बासमती निर्यात उद्योग की रीढ़ भी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की वर्षों की मेहनत से तैयार किस्में जैसे पीबी-1121 और पीबी-1509 ने चावल उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। लेकिन अब पाकिस्तान द्वारा इन किस्मों की अवैध खेती कर रहा है। वैश्विक बाजार में इन्हें भारतीय उत्पाद के रूप में बेचने की कोशिश पाकिस्तान कर रहा है। एपीडा ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें पाकिस्तान के किसानों और व्यापारियों ने खुलकर कहा है कि वे भारत की 1121 और 1509 पूसा बासमती किस्में उगा रहे हैं।
ऑल इंडिया साइस एक्सपोटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल कहते हैं कि इस साल हमने पूरी दुनिया में लगभग 6 मिलियन टन बासमती राइस एक्सपोर्ट किया है। जो अब तक का रिकॉर्ड है। वहीं पाकिस्तान पूरी दुनिया में एक मिलियन टन से भी कम बासमती बेच रहा है। इससे साफ है कि हमारे बासमती को पूरी दुनिया पसंद कर रही है। वहीं चावल की को प्रोसेस करने के लिए जो तकनीक चाहिए उसमें हम पाकिस्तान से कहीं बेहतर हैं। वहीं पिछले कुछ सालों में भारत की छवि पूरी दुनिया में मजबूत हुई है। इससे भी एक्सपोर्ट्स को काफी मदद मिली है।
पाकिस्तान में हो रही है अवैध खेती
पाकिस्तानी किसान सोशल मीडिया पर पुसा 1121 और 1509 किस्मों को "1121 काइनात" और "1509 किसान" नाम से प्रचारित कर रहे हैं। ये किस्में आईएआरआई द्वारा विकसित की गई हैं। इनके बीज तस्करी या अन्य माध्यमों से पाकिस्तान पहुंचे हैं। इस प्रकार की गतिविधियां भारतीय किसानों और वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं।
पाकिस्तान की नापाक हरकत की डीएनए से खुली पोलपाकिस्तान की कई बासमती किस्में, जैसे 1121 काइनात और किसान बासमती, असल में भारत में विकसित पीबी-1121 और पीबी-1509 ही हैं। इस बात की पुष्टि 2024 में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में हुए डीएनए टेस्ट से हुई है। यूरोप, भारत और 11 अन्य देशों की प्रयोगशालाओं में हुए ‘रिंग ट्रायल’ में पाया गया कि पाकिस्तान द्वारा उगाई जा रही किस्में आईएआरआई की बौद्धिक संपदा हैं।
इन बीजों की तस्करी पंजाब और हरियाणा की मंडियों से या दुबई के दलालों के माध्यम से होने की बात सामने आई है। पाकिस्तान में इन्हें स्थानीय नामों से बेचने की कोशिश की जा रही है जैसे पीबी-1121 को “PK 1121 एरोमेटिक” और पीबी-1509 को “किसान बासमती” बताया जा रहा है। यूट्यूब पर मौजूद दर्जनों पाकिस्तानी प्रचार वीडियो इस उल्लंघन की पुष्टि करते हैं। केंद्र सरकार और एपीडा WIPO (विश्व बौद्धिक संपदा संगठन) में मामला उठाने की तैयारी में हैं।
भारत की बासमती की क्वालिटी के आगे कहीं नहीं टिकता पाक का बासमतीविदेशों में चावल के निर्यातक और दिल्ली के कृभको एग्री बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड के चीफ मैनेजर राजेश पहाड़िया ने बताया कि पाकिस्तान बासमती को लेकर कितना भी दावा कर ले, दुनिया में बासमती को इंडियन बासमती के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान की तरफ से PB- 1121 और PB- 1509 को 1121 काइनात के नाम से पैदावार कर विदेशों में बेचा जा रहा है, लेकिन भारतीय किस्म की लेंथ से वह छोटा होता है, इसके कारण वह मार खा जाता है। इसके अलावा पाकिस्तान भारत से बारदाना लेकर जाते हैं और अरब देश दुबई या ओमान जैसे देशों से चावल लेकर वहां लगा रखे रि-पैकिंग यूनिट में वे भारतीय बासमती के नाम से पैकिंग करते हैं। यह दिखाते हैं कि यह भारतीय बासमती है। जहां तक दुनिया में बासमती की किस्म और निर्यात की बात है तो भारत की हिस्सेदारी 63 फीसदी के करीब है, जबकि पाकिस्तान की 22 फीसदी है। वैसे भी बासमती को लेकर उनके दावे से क्या होता है, पाकिस्तान दो बार इंटरनेशनल कोर्ट में केस हार चुका है। बासमती की किस्म PB- 1121 और PB- 1509 जो हमारा है, उसे पाकिस्तान काइनात बोलकर बेचता है। उसकी लेंथ हमारी तुलना में कम होती है, क्वालिटी भी हमारी बेहतर है।
वरदान बनकर आई किस्मेंआईएआरआई द्वारा विकसित पीबी-1121 वर्ष 2003 में और पीबी-1509 वर्ष 2013 में किसानों के लिए वरदान बनकर आईं। पीबी-1121 जहां 140-145 दिनों में पकती है। पकने पर इसका दाना 21.5 मिमी तक लंबा हो जाता है। वहीं पीबी-1509 सिर्फ 115-120 दिनों में तैयार होकर अधिक उपज देती है। यह जल संरक्षण में भी सहायक है। भारत की बासमती खेती के 89% हिस्से में अब यही किस्में उगाई जाती हैं। अकेले पंजाब में पीबी-1121 का वर्चस्व 70% है।
भारत ने 2022-23 में 4.56 मिलियन मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिससे 4.79 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत दुनिया के 85% बासमती बाजार पर राज कर रहा है। इसके मुख्य खरीदार सऊदी अरब, ईरान और यूएई है जो भारत की गुणवत्ता पर भरोसा करते हैं।
क्लाईमेट चेंज के अनुरूप है फसलेंआईएआरआई की नई किस्में-पीबी-1847 और पीबी-1885 बैक्टीरियल ब्लाइट और राइस ब्लास्ट जैसी बीमारियों से लड़ने में सक्षम हैं। “माइनस 5, प्लस 10” जैसी रणनीति जल संकट के दौर में चावल उत्पादन को टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है। वर्ष 2029 तक भारत का चावल बाजार 59.46 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें पुसा बासमती की भूमिका केंद्रीय होगी। राजेश पहाड़िया कहते हैं कि वैसे भी पाकिस्तान कुछ भी कर लें, उनकी तरफ से भारत के बासमती की कॉपी या पैदावार नहीं की जा सकती है, जो हमारे यहां होती है। उनके बासमती के इन दोनों किस्म के पैदावार करने से भारतीय बासमती के बाजार को लेकर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
आर्थिक चोट और ब्रांड की साख पर खतराभारत का बासमती बाजार करीब 50,000 करोड़ रुपये का है। पाकिस्तानी उत्पाद भारत की तुलना में कम दामों (प्रति टन $1,005 बनाम भारत का $1,180) में बेचकर यूरोप और ब्रिटेन जैसे बाजारों में हिस्सेदारी बढ़ा रहा है। यूरोपीय संघ में अब पाकिस्तान की हिस्सेदारी 85% तक पहुंच गई है। यह सिर्फ कीमत की नहीं, पहचान की लड़ाई बन चुकी है।
स्ट्रेटेजिक इंगेजमेंट एंड पार्टनरशिप, इंडिक रिसर्च फोरम; इंडो-पैसिफिक रणनीतिक सलाहकार के निदेशक बालकृष्ण मानते हैं कि अगर पाकिस्तानी किसान बिना वैज्ञानिक मार्गदर्शन और जलवायु अनुकूलन के लिहाज से भारतीय किस्में उगाते हैं, तो इससे चावल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसका असर भारत की वैश्विक छवि और खरीदारों के भरोसे पर पड़ सकता है, विशेषकर ईरान जैसे देशों में जो पारबॉयल्ड बासमती पसंद करते हैं।
पाकिस्तान कभी नहीं स्वीकारेगाराजेश पहाड़िया ने बताया कि सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं कुछ भारतीय कारोबारी भी बासमती की इन किस्म को लेकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, हमारे बासमती का इंटरनेशनल रेट 1000 डॉलर के आसपास है, जबकि पाकिस्तानी काइनात बासमती का 600 डॉलर प्रति क्विंटल है। इसमें यह गोलमाल किया जा रहा है कि कुछ कारोबारी उनकी बासमती को लेकर हमारे बासमती के साथ 80: 20 के अनुपात में मिलाकर विदेशों में 800 डॉलर क्विंटल के आसपास बेच देते हैं। अब मिक्स होने के कारण जरूर लोग पहचान नहीं कर पाते हैं। पाकिस्तान की तरफ से हमारे बासमती की दोनों किस्मों की कॉपी या पैदावार को लेकर कभी भी अपनी गलती को लेकर स्वीकार नहीं करेगा।
जियोग्राफिकल इंडिकेशन विवाद: विरासत या धोखा?
भारत ने 2018 में बासमती के लिए यूरोपीय संघ में जीआई टैग के लिए आवेदन किया था, जिसे पाकिस्तान ने यह कहते हुए चुनौती दी कि बासमती उसकी भी विरासत है। पाकिस्तान ने अपने जीआई दावे में 14 से बढ़ाकर 48 जिले शामिल कर लिए, जिनमें भारतीय किस्में भी उगाई जा रही हैं। लेकिन अब डीएनए सबूत भारत के दावे को और मजबूत बनाते हैं।
बासमती सिर्फ चावल नहीं, भारत की प्रतिष्ठा है
स्ट्रेटेजिक इंगेजमेंट एंड पार्टनरशिप, इंडिक रिसर्च फोरम; इंडो-पैसिफिक रणनीतिक सलाहकार के निदेशक बालकृष्ण कहते हैं कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय बासमती किस्मों की चोरी केवल एक व्यापारिक विवाद नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक विरासत, आर्थिक स्वाभिमान और खाद्य सुरक्षा पर सीधा हमला है। जब दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, भारत ने वैज्ञानिक नवाचार से बासमती को वैश्विक मंच पर एक मॉडल फसल के रूप में स्थापित किया है। अब इस विरासत की रक्षा के लिए भारत को कूटनीति, तकनीक और कानून तीनों मोर्चों पर मजबूती से उतरना होगा।
Covid 19 In India: देश में कोरोना के मामले 1200 पार, इन राज्यों में तेजी से बढ़ रहे केस; ICMR ने बताया डरने की जरूरत है या नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना के मामलों (Covid 19 new cases) में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखी जा रही है। देश में कोविड-19 के एक्टिव केसों की संख्या 1200 से ज्यादा पहुंच चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा मामले केरल में दर्ज किए गए हैं। इस राज्य में कोरोना के 430 मामले सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र में 208 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं।
दिल्ली और कर्नाटक में भी कोरोना के 100 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। बात करें पिछले 24 घंटों की तो बिहार में 6 कोरोना के केस सामने आए। वहीं, अरुणाचल प्रदेश में भी एक शख्स कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। कोरोना के बढ़ते मामले की सबसे बड़ी वजह JN.1 Variant है। यह ओमिक्रॉन का ही सब-वेरिएंट है।
पंजाब में कोविड मरीज की मौतपंजाब के चंडीगढ़ में कोविड-19 संक्रमण से पहली मौत का मामला सामने आया है। सेक्टर-32 स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच-32) में भर्ती लुधियाना निवासी 40 वर्षीय व्यक्ति ने दम तोड़ दिया।
मरीज को चार दिन पहले सांस लेने में परेशानी के चलते अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने जब कोविड टेस्टिंग की तो वो पॉजीटिव पाए गए। इसके बाद उन्हें अस्पताल में एडमिट किया गया था।
नए वेरिएंट को लेकर क्या बोले AIIMS के पूर्व डायरेक्टर?JN.1 ओमिक्रॉन के BA.2.86 का एक स्ट्रेन है। इस पिरोला भी कहा जाता है। इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स है, जो इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। कोरोना के बढ़ते नए मामलों पर AIIMS के पूर्व डॉयरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, कोरोना वायरस का नया वेरिएंट जेएन.1 सारी दुनिया में सबसे ज्यादा है। इस वेरिएंट में कुछ म्यूटेशन है, जिस वजह से ये ज्यादा इंफेक्शन करता है।
उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन की वजह से ज्यादा लोगों को इन्फेक्शन हुआ था। हमारे शरीर में इम्यूनिटी है, लेकिन वेरिएंट खुद में बदलाव करते हैं। इस वजह से इन्फेक्शन बीच-बीच में बढ़ जाता है।
ICMR ने क्या कहा?कोविड के नए वेरिएंट को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि अभी तक जो मामले मिले हैं, वे ज्यादा गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा, ''भारत में कोविड-19 संक्रमण बढ़ रहा है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि ये गंभीर नहीं हैं। हम इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।'
क्या नए वेरिएंट से डरने की जरूरत है या नहीं?JN.1 वेरिएंट की सबसे बड़ी परेशानी है कि यह लोगों के बीच काफी जल्दी फैलता है। इसमें एक्स्ट्रा म्यूटेशन है,जो कोशिकाओं में प्रवेश करने और इम्यून को कमजोर करता है। कई डॉक्टरों का मानना है कि JN.1 वेरिएंट इतने खतरनाक नहीं है और लोगों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
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Chandrababu Naidu re-elected TDP Prez
दिल्ली-NCR में बारिश का यलो अलर्ट, अगले 48 घंटों में इन 6 राज्यों में बरसेंगे बादल; मानसून को लेकर IMD ने दिया बड़ा अपडेट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में मानसून (Monsoon) के आगमन के बाद उत्तर-भारत में तोजी से मौसम का मिजाज बदल रहा है। दक्षिण-पश्चिम मासून ने केरल में समय से पहले ही दस्तक दे दी है। महाराष्ट्र तेलंगाना, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में मानसूनी बारिश हो रही है।
मौसम विभाग की मानें तो अगले दो दिनों में उत्तर-पूर्व और पश्चिम बंगाल, बिहार और पूर्रवोत्तर राज्यों में पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा। बंगाल खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना है, जो अगले 24 घंटे में एक डिप्रेशन में बदल सकता है, जिसकी वजह से ओडिशा, झारखंड सहित कई राज्यों में बारिश की उम्मीद है।
केरल और कर्नाटक में हुई जबरदस्त बारिशमानसून की वजह से केरल, तमिलनाडु, पुडुटेरी, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में तेज बारिश हो रही है। केरल और कर्नाटक के कई इलाकों में पिछले 24 घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई।
दिल्ली में बदलेगा मौसम का मिजाजबात करें दिल्ली-NCR (Rain In Delhi) की तो 28 मई से मौसम का मिजाज फिर से बदलने वाला है। ऐसे में दिल्ली सहित कई राज्यों में आंधी-तूफान और तेज बारिश हो सकती है। 29 और 30 मई को भी बारिश की उम्मीद है। मौसम विभाग की मानें तो 29 मई से 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेगी। इतना ही नहीं मौसम विभाग ने बारिश को यलो अलर्ट भी जारी किया है।
कैसे रहेगा यूपी-बिहार का मौसम?वहीं, 31 मई को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश की संभावना है। बिहार में 30 मई को बारिश हो सकती है। उत्तर प्रदेश में 18 जून तक मासून दस्तक दे सकती है। वहीं, 1-2 जून तक बिहार में हल्की बारिश के आसार हैं।
बात करें पश्चिम भारत की तो राजस्थान में भी लोगों को गर्मी से निजात मिलने की उम्मीद है। अगले कुछ दिनों में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर संभाग, उदयपुर, कोटा में हल्की या मध्यम बारिश की संभावना है।
बात करें पूर्वोत्तर राज्यों की तो 28 और 29 मई यानी अगले 48 घंटे तक अरूणाचल प्रदेष, असम, मेघायल, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम में जबदस्त बारिश की चेतावनी दी है।
बारिश औसत से 106 प्रतिशत अधिक होने की उम्मीदमानसून को लेकर भारतीय मौसम विभाग की ताजा अपडेट की बात करें तो मौसम विभाग ने मंगलवार को कहा कि भारत में बारिश औसत से 106 प्रतिशत अधिक होने की उम्मीद है। यह अनुमान अप्रैल में लगाए गए पूर्वानुमान से ज्यादा है। मौसम विभाग ने कहा कि मानसून सीजन (जून से सितंबर) 2025 के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
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Southwest monsoon covers southern India
असम में 15 महीने में 171 एनकाउंटर... सुप्रीम कोर्ट में पहुंची याचिका, अब मानवाधिकार आयोग करेगा मामले की जांच
पीटीआई, नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए असम मानवाधिकार आयोग को मई 2021 से अगस्त 2022 के बीच राज्य में हुए पुलिस एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच का आदेश दिया है। कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इस दौरान हुए 171 से अधिक पुलिस एनकाउंटरों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि असम पुलिस ने इस दौरान बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए फर्जी एनकाउंटर किए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि कुछ मामलों को छोड़कर सभी मामलों में ऐसा नहीं कहा जा सकता कि गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ हो।
पीड़ितों का दावा सुनने का निर्देशपीठ ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता आरिफ मोहम्मद यासीन द्वारा मुठभेड़ों की जांच पर 2014 में अदालत द्वारा निर्धारित प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों का कथित रूप से पालन न करने के कई मामलों में से अधिकांश तथ्यात्मक रूप से गलत प्रतीत होते हैं।
अदालत ने कहा कि हम इस मामले को स्वतंत्र रूप से मानवाधिकार आयोग को सौंप रहे हैं। पीठ ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाले आयोग को पीड़ितों के क्लेम सुनने के लिए पब्लिक नोटिस जारी करने और उसकी गोपनीयता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला- सुप्रीम कोर्ट ने असर सरकार में जांच में सहयोग करने और इस दौरान आने वाले किसी भी इंस्टीट्यूशनल बैरियर को दूर करने का आदेश दिया है। साथ ही आयोग शिकायतकर्ताओं की गोपनीयता की रक्षा करने और मामले को संवेदनशीलता के साथ देखने को कहा।
- बता दें कि इसके पहले अदालत ने 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। असम सरकार की तरफ से कहा गया था कि राज्य में हुए पुलिस एनकाउंटर की जांच में 2014 की गाइडलाइन का विधिवत पालन किया गया है।
- याचिकाकर्ता ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के जनवरी 2023 के आदेश को चुनौती दी है, जिसने असम पुलिस द्वारा की गई मुठभेड़ों पर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। पिछले साल 22 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने स्थिति को बहुत गंभीर करार दिया और इन मामलों में की गई जांच सहित विवरण मांगा था।
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प्रोफेसर अली खान मामला: 'दाएं-बाएं जाने की जरूरत नहीं', कोर्ट में सिब्बल की तीखी बहस; जज ने कहा- अगली तारीख पर देखेंगे
माला दीक्षित, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बारे में फेसबुक पोस्ट में विवादित टिप्पणी के आरोपी अशोका विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान की केस के संबंध में कोई भी टिप्पणी न करने की जमानत शर्त में बदलाव करने से बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा, 'उनके लिखने, बोलने या अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई रोक नहीं है। वह लिख सकते हैं, बोल सकते हैं, लेकिन वह इस मामले में दर्ज एफआईआर के बारे में कोई टिप्पणी या ऑनलाइन पोस्ट नहीं करेंगे। यानी की जो शर्त कोर्ट ने पहले लगाई थी, वह अभी जारी है। इसके साथ ही कोर्ट ने एसआईटी को जांच जारी रखने और अगली सुनवाई पर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश देते हुए अली खान की अंतरिम जमानत बढ़ा दी है। हालांकि कोर्ट ने एसआईटी से कहा है कि जांच दर्ज दो एफआईआर तक ही सीमित रहेगी, उसका दायरा नही बढ़ा सकते।'
नोटिस पर दिये गए जवाबये आदेश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने पुलिस से अली खान की गिरफ्तारी के बारे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे गए नोटिस पर दिये गए जवाब को भी पूछा है। अगली तारीख पर पुलिस इस बारे में भी कोर्ट को बताएगी।
हरियाणा पुलिस ने किया था गिरफ्तारअली खान को पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकियों से निबटने के लिए चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में फेसबुक पोस्ट में टिप्पणी की थी। इस पर अली खान के खिलाफ हरियाणा में दो एफआईआर दर्ज हुई हैं और हरियाणा पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
कोर्ट में रिपोर्ट देने के आदेशअली खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए एफआईआर रद करने की मांग की है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने अली खान को अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर जांच करने और कोर्ट को रिपोर्ट देने के आदेश दिया था।
दो एफआईआर तक ही जांच सीमितबुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि एसआईटी गठित हुई है और वह जांच कर रही है। तलाशी जब्ती आदि की बात हुई। तभी अली खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जांच का दायरा बढ़ाए जाने का मुद्दा उठाया। जिस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसआईटी मौजूदा मामले में दर्ज दो एफआईआर तक ही जांच सीमित रखेगी।
टिप्पणी या ऑनलाइन पोस्टकोर्ट ने कहा कि दाएं-बाएं जाने की जरूरत नहीं है। इन्हीं दो दर्ज एफआईआर पर ध्यान केंद्रित कीजिए। कोर्ट ने एसआईटी को अगली तारीख पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। तभी कपिल सिब्बल ने कोर्ट के पिछले आदेश में अली खान के मामले के बारे में कोई भी टिप्पणी या ऑनलाइन पोस्ट करने पर लगाई गई रोक पर ढिलाई देने की मांग की।
कोर्ट का आदेश देने से इनकारहालांकि, कोर्ट ने कहा कि उनका आदेश स्पष्ट है, उसमें सिर्फ मौजूदा दो एफआईआर के मामले में टिप्पणी करने पर रोक लगाई गई है, बाकी उनकी अभिव्यक्ति लिखने बोलने पर कोई रोक नहीं है। जब सिब्बल बार-बार अनुरोध करते रहे तो कोर्ट ने फिलहाल कोई भी आदेश देने से इनकार करते हुए कहा कि अभी इसे रहने दीजिए अगली तारीख पर देखेंगे। कोर्ट ने अली खान की अंतरिम जमानत बढ़ाते हुए मामले को जुलाई में सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया।
अली खान के खिलाफ पहला मामला योगेश जठेरी की शिकायत पर दर्ज किया गया था और दूसरा मामला हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर दर्ज हुआ है।
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