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Bihar News: नप गए खगड़िया सदर के अंचलाधिकारी, DM की अनुशंसा पर हुई कार्रवाई; ये है पूरा मामला
राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने खगड़िया सदर के अंचलाधिकारी ब्रजेश कुमार पाटिल को निलंबित कर दिया है। निलंबन की अनुशंसा खगड़िया के जिलाधकारी ने विभागीय अनुशासनिक प्राधिकार से की थी।
विभाग के संयुक्त सचिव अनिल कुमार पांडेय के हस्ताक्षर से जारी पत्र के अनुसार पाटिल पर काम में घोर लापरवाही बरतने एवं राजस्व प्रशासन का कार्य नहीं संभाल पाने का आरोप है।
पत्र के अनुसार पाटिल के विरूद्ध बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम के प्रविधानों का उल्लंघन करने एवं वासभूमि विहीन परिवारों को भूमि उपलब्ध कराने में शिथिलता बरतने के अलावा कई अन्य आरोप लगाए गए हैं।
एक आरोप हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना का भीएक आरोप हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना का भी है। जिलाधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार पाटिल ने विभाग की किसी सेवा के कार्यान्वयन में कभी रूचि नहीं दिखाई। ऑनलाइन सेवाओं पर भी ध्यान नहीं दिया।
खगड़िया के जिलाधिकारी की रिपोर्ट में कहा गया है कि खगड़िया सदर अंचल में राजस्व के कागजातों की घोर कमी है।
अंचलाधिकारी की कार्यशैली एवं कार्यभावना राजस्व प्रशासन के अनुकूल नहीं है। इस आलोक में खगड़िया अंचल के रैयतों एवं राजस्व हितों को देखते हुए उन्हें निलंबित करने की अनुशंसा की गयी है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय आयुक्त कार्यालय, मुंगेर रहेगा।
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पहलगाम हमले के बाद पाक की नापाक हरकत, अब छेड़ा हाइब्रिड वारफेयर; भारत ने नाकाम किए 4 अटैक
एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव है। इस बीच पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान एलओसी पर बार बार फायरिंग कर भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, भारतीय सेना पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रही है।
अब खबर है कि पाकिस्तान स्थित साइबर आतंकवादी एक बार फिर भारतीय साइबर संप्रभुता का उल्लंघन करने की कोशिश की है। हालांकि, भारतीय सेना की मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
कई वेबसाइट हैक करने की कोशिशजानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में स्थित साइबर ग्रुप 'IOK' (Internet Of Khalifa) ने भारतीय सेना से जुड़ी कुछ वेबसाइट्स को निशाना बनाने की कोशिश की थी। जैसे ही इस बात की भनक भारत को लगी, इस घुसपैठ के बारे में पता लगाया गया, जिसकी लोकेशन पाकिस्तान में मिली।
बता दें कि पाकिस्तान की ओर से आर्मी स्कूल श्रीनगर और रानीखेत की वेबसाइट्स, आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गेनइजेशन का डाटाबेस और भारतीय वायुसेना के प्लेसमेंट पोर्टल पर साइबर हमला करने की कोशिश की गई थी। माना जा रहा है कि हैकर्स का उद्देश्य था कि इन वेबसाइट्स को डिफेस किया जाए और सेवाओं को बाधित करने के साथ जानकारी चुराई जाए।
पाकिस्तान की मंशा उजागरध्यान देने वाली बात है कि ये निराशाजनक प्रयास दुश्मन की मंशा और उसकी सीमाओं को उजागर करते हैं। बता दें कि भारतीय सेना अपने डिजिटल स्पेस की रक्षा करने, अपनी साइबर स्थिति को लगातार बेहतर बनाने और सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण की रक्षा करने में दृढ़ है।
एलओसी पर गोलीबारी कर रहा पाकिस्तानजानकारी दें कि भारतीय सेना ने 28-29 अप्रैल की रात को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार कुपवाड़ा और बारामूला जिलों के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर के अखनूर सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया।
इस संबंध में भारतीय सेना ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना द्वारा बिना उकसावे के छोटे हथियारों से की गई गोलीबारी का तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाब दिया। 25-26 की रात को पाकिस्तानी सेना द्वारा बिना उकसावे के छोटे हथियारों से की गई गोलीबारी के बाद से भारत के बीच प्रभावी संबंधों का यह लगातार पांचवां दिन है।
बता दें कि 22 अप्रैल को फलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने के बावजूद नियंत्रण रेखा पर तनाव बरकरार है।
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पीएम के ट्रिपल टी फार्मूले से कैसे बदलेगा भारत का भविष्य? 'युग्म' सम्मेलन में मोदी ने खुद बताया
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर ही निर्भर होता है। इसलिए जरूरी है कि हम उनके भविष्य के लिए और देश के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें तैयार करें।
इनमें सबसे बड़ी भूमिका देश की शिक्षा व्यवस्था की होती है, इसीलिए देश की शिक्षा व्यवस्था को हम 21वीं सदी की जरूरत के मुताबिक आधुनिक बना रहे है।
युवाओं को इनोवेशन से जोड़ा जा रहायुवाओं को बचपन से तकनीक व इनोवेशन से जोड़ा जा रहा है। प्रतिभा (टैलेंट), तेवर (टेंपरामेंट) व तकनीक (टेक्नालॉजी) का यह जुड़ाव भारत के भविष्य को बदलेगा। पीएम मोदी ने मंगलवार को भारत मंडपम में आयोजित पहले नवाचार ( इनोवेशन ) सम्मेलन ‘युग्म’ को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
बायो साइंस के क्षेत्र में 14 सौ करोड़ के करारसम्मेलन में शिक्षा, उद्योग और इनोवेशन से जुड़े लोग शामिल थे। इस मौके पर वाधवानी फाउंडेशन ने पीएम मोदी की मौजदूगी में आइआइटी बांबे, आइआइटी कानपुर और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन ( एनआरएफ) के साथ मिलकर एआई, इंटेलीजेंस सिस्टम व बायो साइंस के क्षेत्र में 14 सौ करोड़ के करार किए है।
पीएम मोदी ने इस मौके पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद शिक्षा के क्षेत्र में आए बदलावों की जिक्र किया व कहा कि बच्चों में अब स्कूली स्तर पर ही शोध और इनोवेशन के बीज रोपे जा रहे है। अटल टिंकरिंग लैब ( एटीएल) के जरिए वे अपने सपनों को नई उड़ान दे रहे है।
पेटेंट के क्षेत्र में रफ्तार बढ़ीपीएम मोदी ने कहा कि भारत ने जिन लक्ष्यों को तय किया है उसे निरंतर गति देने के लिए देश के रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूती देना आवश्यक है। पिछले एक दशक में इस दिशा में काफी तेजी से काम हुआ है। 2013-14 में शोध और इनोवेशन पर जहां खर्च सिर्फ 60 हजार करोड़ था, हमने इसे दोगुना से ज्यादा बढ़ाकर सवा लाख करोड़ से ऊपर कर दिया है।
पेटेंट के क्षेत्र में रफ्तार बढ़ी है, वर्ष 2014 में जहां 40 हजार पेटेंट फाइल हुई थे, वहीं अब ये संख्या 80 हजार से अधिक हो गई है।
हमारे पास समय कम है व लक्ष्य बड़ेः मोदीमोदी ने कहा कि विकसित भारत के लिए हमारे पास समय कम है व लक्ष्य बड़े है। ऐसे में जरूरी है कि प्रोटोटाइप से प्रोडक्ट तक की यात्रा कम समय में पूरी हो। जब हम इस दूरी को कम देंगे तो शोध का लाभ लोगों तक तेजी से पहुंचने लगता है।
शोध के इकोसिस्टम को मजबूती देने के लिए जरूरी है कि शैक्षिक संस्थान, निवेशक, उद्योग जगत के लोग शोधार्थियों की मदद करें। उन्हें गाइड करें। सम्मेलन को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेद्र सिंह व वाधवानी फाउंडेशन के रोमेश वाधवानी ने भी संबोधित किया।
Karnataka HC directs Union govt to block Proton mail using IT Act provisions - The News Minute
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'Complete collapse of the system': Spanish PM Pedro Sánchez on massive blackout across Europe - Times of India
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पाकिस्तान के खिलाफ सैनिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों मोर्चों पर कार्रवाई की जरूरत
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।
आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान की हालत मौजूदा समय में हर मोर्चे पर चरमराई हुई है। वह आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और आंतरिक अशांति का सामना कर रहा है। आईएमएफ के बेलआउट पैकेज के भरोसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रोज हिचकोले खा रही है। सेना-राजनीति के बीच टकराव अपने चरम पर है तो लगातार बढ़ती चरमपंथी हिंसा उसकी हालत और कमजोर कर रही है। ऐसे में बर्बादी के कगार पर खड़े पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने के लिए भारत पुरजोर कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान पर लगाए भारत के प्रतिबंध ने पहले ही उसकी पेशानी पर बल ला दिए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या इस कमजोरी का रणनीतिक फायदा उठाया जाए- जैसे सीमित सैन्य कार्रवाई करना या वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर दबाव बनाना? या फिर संयम बरतते हुए पाकिस्तान के और कमजोर होने का इंतजार करना?
सैन्य और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के लिए सबसे अच्छा तरीका होगा कि वह दोनों रास्तों का सही संतुलन बनाए। फिलहाल भारत को संयम रखते हुए दूसरे देशों के साथ अपनी दोस्ती मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और दुनिया भर में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन साथ ही भारत को इसके लिए भी तैयार रहना चाहिए कि अगर पाकिस्तान कोई बड़ा उकसावा करे तो उसे जवाब दिया जा सके। यह संतुलित तरीका भारत को अपने लक्ष्य पाने में मदद करेगा और बिना बड़ी लड़ाई के क्षेत्र में शांति बनी रहेगी।
इस समय पाकिस्तान की गड़बड़ी फैलाने वाली गतिविधियों का जवाब कूटनीति और गुप्त तरीकों से देना चाहिए और सेना को केवल अंतिम विकल्प के रूप में तैयार रखना चाहिए। पहलगाम हमले के बाद काबुल में भारत के संयुक्त सचिव और तालिबान के विदेश मंत्री के बीच हुई बैठक से भारत ने अफगानिस्तान में अपनी वापसी का मजबूत संकेत दिया है। भारत अब अफगानिस्तान के साथ व्यापार और सहायता के जरिए अपने संबंध मजबूत कर रहा है, खासकर ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए। तालिबान भी भारत को अहम साथी मानने लगा है। इससे पाकिस्तान की "स्ट्रेटेजिक डेप्थ" नीति को झटका लगा है, जो वह अफगानिस्तान पर पकड़ बनाए रखने के लिए अपनाता रहा है।
युद्ध के मामले में चीन के सुन जू की रणनीति काफी अहम मानी जाती है। सुन जू एक सैन्य रणनीतिकार, विचारक और जनरल थे। उनकी किताब द आर्ट ऑफ वॉर रणनीति पर दुनिया की प्रसिद्ध पुस्तकों में एक है, जिसे न केवल युद्धनीति में, बल्कि राजनीति, व्यापार और कूटनीति में भी उपयोग किया जाता है। किताब में सुन जू ने बल प्रयोग को अंतिम विकल्प बताया है। उनका कहना था कि असली जीत वह है जो बिना युद्ध के हासिल की जाए। सुन जू का जोर था कि शत्रु को उसकी आंतरिक कमजोरियों से हराना सबसे उच्च कोटि की विजय है।
लेफ्टिनेंट कर्नल रामचंद्रन कहते हैं कि मैं बीते बीस वर्षों से आतंकवादियों की रणनीति को बारीकी से देखता आ रहा हूं। शुरुआत में हम अधिकतर उन आतंकवादियों का मुकाबला करते थे जो सीमा पार से आते थे, और स्थानीय आतंकियों को खास समर्थन नहीं मिलता था। लेकिन अब स्थिति यह है कि विदेशी भाड़े के आतंकियों के साथ-साथ स्थानीय आतंकियों की संख्या भी बराबर हो चुकी है। वर्तमान परिदृश्य में आतंकवादी सुरक्षा बलों की तुलना में आम नागरिकों को अधिक निशाना बना रहे हैं, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर सकें। चाहे वह पहलगाम में पर्यटकों पर हमला हो या शोपियां में बिहारी मजदूरों पर, उनका उद्देश्य है कि भारतीय जनता को कश्मीर आने से डराया जाए। यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की एक साजिश है जिससे कश्मीर में अशांति बनी रहे। वह कहते हैं कि कश्मीर में स्थानीय समर्थन के बिना कोई भी आतंकी गतिविधि नहीं हो सकती। मेरे अनुभव के अनुसार, इस स्थान (पहलगाम) की घटना से पहले अच्छी तरह से रेकी की गई थी। यह एक सुनियोजित घटना थी। आतंकियों को भागने का रास्ता पहले से मालूम था। इसमें स्थानीय मददगारों की भूमिका जरूर रही होगी। संभव है कि आतंकी इन दिनों में किसी स्थानीय निवासी के घर में ही ठहरे हों।
रामचंद्रन कहते हैं कि हमें पाकिस्तान को सभी दिशाओं से कमजोर करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनानी चाहिए। इसमें सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ कूटनीतिक नीति की भी जरूरत है। हमारी सरकार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने में सफल रही है और उन्हें पश्चिमी देशों से बहुत कम समर्थन मिल रहा है। अब दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तान एक "रॉग-स्टेट" है। उन्हें अगर कहीं से कोई सहारा मिलेगा, तो वह शायद चीन से होगा – वो भी सैन्य नहीं, केवल राजनीतिक या आर्थिक। पहले ही वे कर्ज लेकर देश चला रहे हैं। यही वह समय है जब उनकी अर्थव्यवस्था को तोड़ा जा सकता है। मेरा मानना है कि सिंधु जल समझौते (Sindh Water Treaty) को समाप्त करना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। आर्थिक दबाव डालकर उनकी सैन्य ताकत को खत्म किया जा सकता है।
पार्ले पॉलिसी इनिशिएटिव, दक्षिण कोरिया के विशेष सलाहकार (दक्षिण एशिया) के नीरज सिंह मनहास कहते हैं कि आज जब पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुका है, भारत के सामने दो विकल्प हैं – एक, सीमित रूप से सक्रिय रहकर (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक या कूटनीतिक दबाव बनाकर) पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना। दूसरा शांत बैठकर इंतज़ार करना, यानी रणनीतिक धैर्य अपनाना।
सीमित सक्रियता के तहत भारत "कोल्ड स्टार्ट" सिद्धांत को अपनाते हुए छोटे स्तर की सैन्य कार्रवाई कर सकता है ताकि युद्ध न हो लेकिन पाकिस्तान पर दबाव बना रहे। दूसरी ओर, यदि भारत बस शांत बैठा रहता है, तो पाकिस्तान अपनी आंतरिक कमजोरियों से और अधिक टूट सकता है। लेकिन बहुत ज़्यादा इंतज़ार करने पर पाकिस्तान को मौका मिल सकता है कि वह अपनी ताकत फिर से जुटा ले या नए दोस्त बना ले।
सिंधु नदी का पानी रोकना पाकिस्तान पर बड़ी चोट
लेफ्टिनेंट कर्नल रामचंद्रन मानते हैं कि यह एक बड़ी कूटनीतिक चोट है जिसकी पाकिस्तान ने शायद कल्पना भी नहीं की होगी। यह संधि दो बड़े युद्धों और कारगिल तक के दौरान भी बनी रही थी। यह बात सही है कि हमारे पास सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पूरे जल को संग्रह करने के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना नहीं है, लेकिन यदि हम बुवाई के समय पानी रोक दें और कटाई के समय छोड़ें, तो यह उनकी पारिस्थितिकी व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। पाकिस्तान को केवल चुभन नहीं, बल्कि तीव्र पीड़ा का अनुभव होगा।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिशए.एम.जैन कॉलेज, चेन्नई के डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के हेड गौरव पांडेय कहते हैं कि भारत के लिए दोनों रणनीतियों का संतुलित उपयोग सबसे प्रभावी साबित हो सकता है। मौजूदा हालात में भारत को रणनीतिक धैर्य का परिचय देते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की दिशा में पहल करनी चाहिए। इसके तहत मित्र देशों के साथ साझेदारी मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को गति देने और वैश्विक कूटनीतिक अभियानों को तेज करने पर जोर देना होगा।
इसके समानांतर, भारत को सीमित और सटीक प्रतिक्रिया देने का विकल्प भी बनाए रखना चाहिए ताकि पाकिस्तान को तनाव बढ़ाने की कीमत का स्पष्ट संदेश दिया जा सके। इस संतुलित नीति के जरिए भारत अपने दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों को साधते हुए क्षेत्रीय स्थिरता और शक्ति संतुलन बनाए रखने में सफल हो सकता है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत की प्राथमिकता पाकिस्तान की अस्थिरता फैलाने वाली गतिविधियों का लक्षित कूटनीतिक प्रयासों और गुप्त अभियानों के माध्यम से मुकाबला करना होनी चाहिए, जबकि सैन्य विकल्प को केवल एक निवारक के तौर पर तैयार स्थिति में रखा जाए।
नीरज सिंह कहते हैं कि चीन के महान रणनीतिकार सुन जू ने कहा था – "सबसे अच्छी जीत वो है जो बिना लड़े मिले। भारत UN, BRICS और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान का विरोध करके उसका समर्थन कम कर सकता है। भारत क्षेत्रीय व्यापार, ऊर्जा संसाधनों और IMF/World Bank जैसे संस्थानों के जरिए पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव डाल सकता है। योग, बॉलीवुड, भारतीय शिक्षा और संस्कृति के ज़रिए भारत अपने पड़ोसी देशों से गहरे रिश्ते बना सकता है, जिससे उन पर पाकिस्तान का प्रभाव घटेगा।
पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए आक्रामक रवैया अपनाया जाएगौरव पांडेय कहते हैं कि भारत कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर सकता है। भारत दुनिया के सामने यह साफ कर सकता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है, और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और एफएटीएफ जैसे मंचों पर उठा सकता है। आर्थिक मोर्चे पर भारत पाकिस्तान के साथ व्यापार कम कर सकता है और दुनिया से पाकिस्तान पर पाबंदियां लगाने की अपील कर सकता है। मीडिया अभियानों और सांस्कृतिक संपर्कों के जरिए पाकिस्तान को एक आतंकवाद समर्थक देश के रूप में दिखाया जा सकता है। इन तरीकों से बिना युद्ध के पाकिस्तान की साख को कमजोर किया जा सकता है और उसे गलत कदम उठाने से रोका जा सकता है।
कूटनीति, खुफिया गतिविधियां और संवाद के जरिए जीती जाए जंगनीरज सिंह मनहास कहते हैं कि भारत ने पहले भी सीमित सैन्य कार्रवाई की है – 2016 और 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक। इस तरह की कार्रवाई से भारत यह दिखाता है कि वह आतंकवाद को सहन नहीं करेगा। लेकिन बार-बार ऐसे कदम उठाने से क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है। पाकिस्तान की हालत पहले ही खराब है – अगर भारत हमला करता है तो बदले में कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी हो सकता है। इसलिए हमें सावधानी से सोचना होगा। संदेश देना ज़रूरी है, लेकिन क्षेत्र को अस्थिर करना नहीं।
गौरव पांडेय कहते हैं कि भारत को सीमित सैन्य कार्रवाई, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। इससे भारत का संकल्प तो मजबूत दिखेगा, लेकिन इसमें युद्ध बढ़ने का खतरा भी है, क्योंकि पाकिस्तान की परमाणु नीति बहुत गैर-जिम्मेदार है। भले ही आज भारत को दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है, लेकिन किसी भी सैन्य कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी आ सकता है (जैसे इज़राइल के साथ हुआ)। ज्यादा दबाव डालने से पाकिस्तान में अस्थिरता बढ़ सकती है। इसलिए भारत को ऐसी रणनीति अपनानी चाहिए जो कूटनीति, खुफिया गतिविधियां और संवाद के ज़रिए बिना अनावश्यक लड़ाई के अपने हितों को सुरक्षित रखे।
गौरव पांडेय बताते हैं कि जब भारत अफगानिस्तान में अपनी पकड़ बढ़ाएगा, तो पाकिस्तान इसे रोकने के लिए चरमपंथी गुटों को बढ़ावा दे सकता है, भारत के खिलाफ झूठा प्रचार कर सकता है और भारतीय संस्थानों को निशाना बना सकता है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने भी कहा था कि भारत की बढ़ती मौजूदगी से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है। चीन भी पर्दे के पीछे से पाकिस्तान का साथ दे सकता है। भारत को चाहिए कि वह अफगान जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करे, ज्यादा मानवीय सहायता दे और तालिबान के अलावा अन्य गुटों से भी अच्छे संबंध बनाए। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा है कि हमारा मकसद क्षेत्रीय स्थिरता है, और अफगान विदेश मंत्री ने भी माना कि भारत का अफगानिस्तान में भविष्य में बड़ा रोल होगा। "अफगानिस्तान में असली ताकत डर नहीं, बल्कि उम्मीद पैदा करने वालों के हाथ में होगी। भारत को उस उम्मीद का निर्माण करना चाहिए।"
नीरज मानते हैं कि भारत के अफसरों ने हाल ही में तालिबान के विदेश मंत्री से काबुल में जो मुलाकात की, वह इस बात का संकेत है कि भारत अब अफगानिस्तान में फिर से सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है। यह कदम पाकिस्तान की "Strategic Depth" रणनीति को झटका दे सकता है, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान को अपनी रणनीतिक ज़मीन मानता रहा है। भारत अगर अफगानिस्तान में निर्माण कार्य, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में मदद करता है तो यह उसकी मजबूत वापसी होगी। लेकिन तालिबान और पाकिस्तान के घनिष्ठ संबंधों को ध्यान में रखते हुए भारत को सतर्क रहना होगा।
मनहास सलाह देते हैं कि भारत अगर अफगानिस्तान में अपनी पकड़ बनाता है, तो पाकिस्तान ज़रूर वहां के आतंकी गुटों को और बढ़ावा देगा ताकि भारत को रोका जा सके। ऐसे में भारत को इसका जवाब देने के लिए अफगानी सेना और प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था मजबूत करनी होगी। सड़कें, अस्पताल और स्कूल बनाकर स्थानीय जनता का भरोसा जीतना होगा। वहीं अफगान जनजातीय नेताओं से दोस्ती कर पाकिस्तान के प्रभाव को संतुलित करना काफी अहम होगा। निरंतर कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग से भारत अपनी जगह मजबूत बना सकता है।
सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए करनी होगी पुरजोर वकालतबकौल गौरव पांडेय भारत अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्य बनता है तो यह सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक बदलाव भी होगा। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय हैसियत कमजोर हो जाएगी। भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस और खाड़ी देशों का समर्थन मिल रहा है, जो उसकी बढ़ती ताकत को दिखाता है।
चीन, जो यूएनएससी का स्थायी सदस्य है, जरूर भारत के रास्ते में बाधा बन सकता है, लेकिन जैसे-जैसे भारत दुनिया में लोकतंत्र, विकास और स्थिरता का उदाहरण बन रहा है, पाकिस्तान की पुरानी रणनीतियां कमजोर पड़ रही हैं। यूएनएससी में स्थायी सदस्यता पाना मुश्किल है, लेकिन भारत का लगातार बढ़ता प्रभाव पाकिस्तान को अलग-थलग कर देगा और वैश्विक फैसलों में उसकी दखलअंदाजी खत्म कर देगा। अब दुनिया के मंच पर पाकिस्तान की घटती अहमियत साफ दिखने लगी है और भारत का उदय पाकिस्तान की कमज़ोर होती वैश्विक पकड़ का संकेत है।
नीरज सिंह कहते हैं कि भारत को अब वैश्विक ताकतों का बड़ा समर्थन मिल रहा है। अमेरिका भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का समर्थक है। रूस पारंपरिक सहयोगी है, हालांकि अब पाकिस्तान से भी संबंध बढ़ा रहा है। फ्रांस, यूके, जर्मनी भारत के साथ लोकतांत्रिक और आर्थिक मूल्यों के कारण जुड़े हैं। यूएई, सऊदी अरब जैसे खाड़ी देश: भारत के साथ व्यापार और सुरक्षा में गहरी रुचि रखते हैं। भारत अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य बनता है, तो पाकिस्तान की कूटनीतिक ताकत और भी घटेगी। भारत वैश्विक आतंकवाद पर नीति बनाने में अग्रणी बन सकता है, जिससे पाकिस्तान और भी अलग-थलग पड़ेगा।
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