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पाकिस्तान पर प्रहार के लिए सेनाओं को खुली छूट, हाई लेवल मीटिंग में बोले PM मोदी-आतंकवाद को करारा जवाब देना राष्ट्रीय संकल्प

Dainik Jagran - National - 13 hours 15 min ago

संजय मिश्र, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद आतंकवाद के सरगना पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कारवाई के लिए भारत की तीनों सेनाओं को खुली छूट दे दी है।

पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की नृशंस हत्या के बाद देश में उपजे आक्रोश के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस तथा तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ हुई शीर्षस्थ बैठक में मोदी ने सैन्य बलों को किसी भी तरह की कार्रवाई करने की हरी झंडी दे दी। भारतीय सेना अब कार्रवाई का समय और टारगेट अपने हिसाब से तय करेगी।

सरकार को सेना की क्षमता पर पूरा भरोसा: पीएम मोदी 

केंद्र सरकार के सूत्रों ने बैठक के बाद बताया कि प्रधानमंत्री ने इस उच्चस्तरीय रणनीतिक बैठक में देश की सेनाओं की सामरिक क्षमता में संपूर्ण भरोसा जताते हुए कहा कि आतंकवाद को करारा जवाब देना हमारा दृढ़ राष्ट्रीय संकल्प है।

सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले के परिप्रेक्ष्य में कार्रवाई किए जाने के विकल्पों पर सैन्य नेतृत्व से चर्चा करते हुए कहा कि हमारी जवाबी कार्रवाई का तरीका क्या हो, इसके टार्गेट्स कौनसे हों और इसका समय क्या हो, इस प्रकार के ऑपरेशनल निर्णय लेने के लिए सैन्य बलों को खुली छूट है।

पाकिस्तान पर सख्त सैन्य कार्रवाई की उलटी गिनती शुरू

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रक्षामंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह तथा नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी मौजूद थे। अब संदेह नहीं कि पाकिस्तान पर सख्त सैन्य कार्रवाई की उलटी गिनती शुरू हो गई है।

सैन्य बलों को सामरिक कार्रवाई की हरी झंडी देने के साथ ही इस बैठक में पीएम ने जम्मू-कश्मीर समेत देश की सीमाओं की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने आतंकवादी संगठनों तथा उसके सरपरस्त पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जाने वाले सामरिक-रणनीतिक विकल्पों पर गंभीर मंत्रणा की। ध्यान रहे कि बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के साथ-साथ कैबिनेट पर सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक भी होनी है।

जल्द हो सकती है कार्रवाई 

इससे भी अटकलें तेज हो गई है कि कार्रवाई जल्द हो सकती है। पहलगाम हमले के बाद सीसीएस की यह दूसरी बैठक होगी। महत्वपूर्ण यह भी है कि इन दोनों बैठकों के साथ ही कैबिनेट की राजनीतिक मामलों और आर्थिक मामलों की समिति की भी अलग-अलग बैठकें बुलाई गई है।

सीसीएस के साथ सीसीपीए और सीसीई यानि कैबिनेट की तीन सबसे प्रमुख समितियों की एक ही दिन बैठक बुलाया जाना साफ इशारा कर रहा है कि सरकार बड़े निर्णायक कदम उठाने से पहले सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर अपनी तैयारियों को चाक-चौबंद करने में जुटी है। सीसीपीए की बैठक में पहलगाम हमले पर संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर भी फैसला लिया जा सकता है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में सीधे-सीधे पाकिस्तान की भूमिका है इसमें दुनिया को भी कोई संदेह नहीं रह गया।पहलगाम आतंकी हमले को देखते हुए भारत की सैन्य कार्रवाई की आशंका से परेशान पाकिस्तानी रक्षामंत्री ने तीन दिन पहले खुद ही स्वीकार किया था कि अमेरिका और पश्चिम के लिए आतंकवाद को पोषित करने का गंदा काम वह कई दशकों से कर रहा है।

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आतंक पर कड़े प्रहार की तैयारी, UNSC सदस्यों को साधने में लगा भारत; जयशंकर ने 7 देशों के मंत्रियों से की बात

Dainik Jagran - National - 16 hours 25 min ago

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैन्य बलों को पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकियों पर कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है, तो दूसरी तरफ भारत ने वैश्विक समुदाय को अपनी बात समझाने की पहल भी तेज कर दी है।

इस क्रम में मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सात अस्थायी सदस्यों से टेलीफोन पर बात। ये देश हैं गुयाना, ग्रीस, स्लोवेनिया, पनामा, सोमालिया, सिएरा लियोन और अल्जीरिया। पाकिस्तान भी अभी यूएनएससी के दस अस्थायी सदस्यों में शामिल है और उम्मीद है कि भारत की तरफ से आतंकियों पर किसी तरह के सैन्य कार्रवाई होने की स्थिति में वह भारत के विरुद्ध प्रस्ताव ला सकता है।

अस्थायी सदस्य देशों के साथ भारतीय विदेश मंत्री के संपर्क को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। उक्त देशों के अलावा दक्षिण कोरिया, डेनमार्क और सिएला लियोन भी यूएनएससी के अस्थायी सदस्य हैं। जिस दिन आतंकियों ने पहलगाम में हमला (22 अप्रैल) किया था, भारत उसी दिन से वैश्विक समुदाय के बीच अपनी बात रखा रहा है। पहले दो दिनों के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बात की थी, जबकि विदेश मंत्री जयशंकर ने भी तकरीबन 25 देशों के विदेश मंत्रियों से अलग-अलग बात की है।

कई देशों के साथ भारत की पारंपरिक रणनीतिक साझेदारी

यूएनएससी के जिन अस्थायी सदस्यों के साथ जयशंकर की बात हुई है उनमें कई देशों के साथ भारत की पारंपरिक रणनीतिक साझेदारी है। ग्रीस के विदेश मंत्री जार्ज गेरापेट्रीटिस से वार्ता के बाद जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले पर बात हुई है। ग्रीन सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा रुख रखता है जिसका हम स्वागत करते हैं। हमारे संबंधों की गहराई में हमारी रणनीतिक साझेदारी दिखती है।

अल्जीरिया के विदेश मंत्री अहमद अताफ से वार्ता के बाद जयशंकर ने लिखा कि पहलगाम पर समर्थन के लिए उनका धन्यवाद। हम अपनी साझेदारी को लेकर दृढ़ हैं और उनका हम जल्द ही भारत में स्वागत करेंगे। इसी तरह से गुयाना के साथ भी भारत के काफी करीबी संबंध हैं।

पिछले साल पीएम मोदी ने की थी गुयाना

नवंबर, 2024 में ही प्रधानमंत्री मोदी ने गुयाना की यात्रा की थी। गुयाना के भारत में राजदूत धीरज कुमार सीराज ने कहा है कि हर देश के पास अपने नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है। स्लोवेनिया ऐसा देश है जो यूएनएससी में भारत को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन करता है। भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की स्थिति में इन सभी देशों की अहम भूमिका होगी।

उधर, पाकिस्तान की तरफ से भी दुनिया के कई देशों के साथ संपर्क किया जा रहा है। विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने मंगलवार को बहरीन, कुवैत और हंगरी के विदेश मंत्रियों से बात की। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सीजार्टो ने इसके बाद कहा कि हंगरी बढ़ते आतंकवाद से चिंतित है, लेकिन दो परमाणु संपन्न देशों के बीच लड़ाई यह दुनिया बर्दाश्त नहीं कर सकती। जाहिर है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री की तरफ से जिन देशों से बात हो रही है उन्हें परमाणु युद्ध के खतरे के बारे में बताया जा रहा है।

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पहलगाम हमले को लेकर कांग्रेस ने अपने नेताओं की दी नसीहत, बोली- गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचें

Dainik Jagran - National - 16 hours 41 min ago

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सियासी और सामाजिक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ऐसे संवेदनशील मौके पर कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं और पदाधिकारियों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। पार्टी की ओर से यह कदम उठाया गया है ताकि किसी भी तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचा जा सके और एकजुटता के साथ पार्टी की आधिकारिक पोजिशन पेश की जा सके।

कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल की ओर से इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पार्टी के सभी पदाधिकारी अनुशासन का पूरा पालन करें और सार्वजनिक बयानबाजी में एकरूपता बरतें।

बयान सिर्फ आधिकारिक रुख के मुताबिक हो

सर्कुलर में साफ तौर पर कहा गया है कि पार्टी की तरफ से बयान देने के लिए केवल अधिकृत व्यक्ति ही आगे आएं और वे भी केवल कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) द्वारा 24 अप्रैल 2025 को पारित प्रस्ताव में दर्ज पार्टी के रुख तक ही सीमित रहें।

कांग्रेस ने चेताया है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और इसमें किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। पार्टी ने अपने सभी नेताओं को याद दिलाया है कि ऐसे नाजुक मौकों पर संयम और शालीनता बनाए रखना जरूरी है, जो कि कांग्रेस की पुरानी परंपरा और उसूलों का हिस्सा है।

संयम और जिम्मेदारी जरूरी: कांग्रेस

सर्कुलर में आगे कहा गया है, "आइए हम कांग्रेस पार्टी के मूल्यों और रवायतों को ध्यान में रखते हुए एकजुट होकर देश के सामने गरिमा और समझदारी का परिचय दें, जिसकी अपेक्षा इस वक़्त मुल्क को हमसे है।"

गौरतलब है कि इस तरह की हिदायतें ऐसे समय में दी गई हैं जब आतंकवाद को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो जाती है, जिससे भ्रम और सियासी तनाव बढ़ सकता है। कांग्रेस का यह कदम जिम्मेदार राजनीतिक व्यवहार को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है।

(एएनआई इनपुट के साथ)

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माता या पिता की ईमानदारी बच्चे की कस्टडी तय करने का आधार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Dainik Jagran - National - 17 hours 24 min ago

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अलग-अलग रह रहे माता-पिता के बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर कानूनी लड़ाई में बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करना सर्वोपरि है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि बच्चे की कस्टडी के मामलों में, सर्वोपरि ध्यान बच्चे के कल्याण पर होना चाहिए। माता या पिता का सबसे उच्च दर्जे की ईमानदारी, प्रेम और स्नेह दिखाना, बच्चे की कस्टडी तय करने का आधार नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी केरल हाई कोर्ट के 11 दिसंबर 2024 को दिए गए आदेश को खारिज करते हुए आई है। हाई कोर्ट ने हर माह 15 दिन के लिए दो नाबालिग बच्चों की अंतरिम कस्टडी पिता को सौंपी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे बच्चों की भलाई के लिए हानिकारक और अव्यवहारिक बताया।

जानिए क्या है पूरा मामला? 

सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला हाई कोर्ट के आदेश को मां द्वारा चुनौती देने पर आया। अदालत पहुंचे इस जोड़े की शादी 2014 में हुई 2016 में एक लड़की का जन्म हुआ। मनमुटाव के चलते 2017 से दोनों अलग रहने लगे, लेकिन 2021 में हुई छोटी सुलह के बाद 2022 में एक लड़के के रूप में दूसरे बच्चे का जन्म हुआ। पिता ने 2024 में तिरुवनंतपुरम के एक पारिवारिक न्यायालय में बच्चे की कस्टडी की मांग की। अदालत ने पिता को सीमित मुलाकात का अधिकार दिया। बाद में हाई कोर्ट ने 15 दिनों के लिए इस शर्त पर कस्टडी दी कि एक फ्लैट किराये पर ले, आया रखे और बच्चों के लिए परिवहन का इंतजाम करे।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया HC का आदेश

इस आदेश को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि बच्चों की शारीरिक-मानसिक भलाई के लिए अंतरिम व्यवस्था ना तो संभव है और ना ही अनुकूल। इसमें बच्चों के विकास से जुड़ी जरूरतों, विशेषरूप से स्थायित्व, पोषण और भावनात्मक सुरक्षा पर ध्यान देने में अदालत विफल रही। हालांकि, हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि पिता भी बहुत प्रेम करने वाला है जिसने बच्चों को बड़ा करने में बराबरी और असरदार भूमिका निभाने की इच्छा दिखाई। इसलिए उसे कस्टडी नहीं देना न तो स्वीकार्य है और न ही न्यायोचित और यह परिवार को जोड़ने की सभी संभावनाएं खत्म कर सकता है।

पीठ ने कहा हर दूसरे शनिवार और रविवार को पिता के पास बेटी की कस्टडी होगी और इन दिनों वह एक काउंसलर की मौजूदगी में बेटे से भी चार घंटे के लिए मिल सकता है। पिता हर मंगलवार और गुरुवार को 15 मिनट के लिए बेटे से वीडियो काल में बात कर सकता है।

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