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देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश, अमरावती की झुग्गी से CJI तक का सफर... जानिए कौन हैं जस्टिस बीआर गवई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने शपथ ले ली है और राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने उन्हें पद और गोपनियता की शपथ दिलाई।
जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध CJI हैं और आजादी के बाद देश में दलित समुदाय से वे दूसरे सीजीआई हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल छह महीने का होगा। जस्टिस बीआर गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई ने डॉक्टर बीआर अंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था।
जस्टिस बीआर गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को खत्म होगा। सीजेआई बनने के अगले ही दिन जस्टिस गवई वक्फ कानून में हुए संशोधनों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेंगे। आईए जानतें हैं कैसी रही जस्टिस गवई की अब तक की यात्रा...
जस्टिस गवई की जिंदगी में डॉक्टर अंबेडकर की भूमिका
संविधान को सर्वोच्च बताने वाले जस्टिस गवई ने कई बार बताया है कि सकारात्मक सोच ने कैसे उनकी पहचान को आकार दिया है।
2024 में उन्होंने एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था, यह पूरी तरह से डॉक्टर अंबेडकर के प्रयासों का परिणाम है कि मेरे जैसा कोई व्यक्ति, जो एक झुग्गी के नगरपालिका के स्कूल से पढ़कर इस पद तक पहुंच सका। उन्होंने अपने भाषण को 'जय भीम' के नारे के साथ खत्म किया था।
बता दें, जस्टिस गवई अनुसूचित जाति से आने वाले देश के दूसरे चीफ जस्टिस होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे। उनका कार्यकाल तीन साल का था।
राजनीतिक मामलों में सुनाए अहम फैसले
- सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गवई ने राजनीति से जुड़े कई मामलों में फैसले सुनाए, इनमें न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े मामले शामिल हैं।
- इन मामलों में जस्टिस गवई के नेतृत्व वाले पीठ ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और धन शोधन निवारण अधिनियम जैसे कानूनों में मनमानी गिरफ्तारी पर फैसले सुनाए।
- जस्टिस गवई उस पीठ के प्रमुख थे, जिसने नवंबर 2024 में यह माना था कि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लोगों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना रूल ऑफ लॉ के खिलाफ है।
- जस्टिस गवई सात जजों के उस संविधान पीठ में भी शामिल थे, जिसने अनुसूचित जातियों के आरक्षण में आरक्षण देने की वकालत की थी।
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आपराधिक मानहानी के एक मामले में सजा को स्थगित करने वाले बेंच में भी जस्टिस गवई शामिल थे।
महाराष्ट्र के दिग्गज नेता था जस्टिस गवई के पिता
- जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वह अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में से एक थे और वे 1964 से लेकर 1994 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे।
- उनके पिता विधान परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता के पद पर भी चुने गए थे। वे 1998 में अमरावती से 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए थे। इसके साथ ही अप्रैल 2000 से लेकर अप्रैल 2006 तक जस्टिस गवई के पिता महाराष्ट्र से राज्य सभा के लिए भी चुने गए थे।
- मनमोहन सिंह की सरकार ने जून 2006 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया था। बिहार के अलावा वे सिक्किम और केरल के भी राज्यपाल रहे। अंबेडकरवादी राजनीति करने वाले रामकृष्ण सूर्यभान गवई ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापनी भी की थी।
घर के कामों में की मां की मदद
जस्टिस बीआर गवई को बचपन में लोग भूषण कहकर पुकारते थे और पिता के राजनीति में होने के कारण उन्हें राजनीतिक गतिविधियों के लिए अक्सर घर से बाहर रहना पड़ता था। ऐसे में उनका पालन-पोषण मां कमलाताई की देखरेख में ही हुआ।
अपने भाइयों में वे सबसे बड़े थे, जिस वजह से उन्हें जिम्मेदारी भी ज्यादा उठानी पड़ी। इतना ही नहीं, जस्टिस गवई बचपन में घर के कामकाज में अपनी मां की मदद भी किया करते थे। उनके अंदर समाज सेवा का हुनर बचपन से ही था।
जस्टिस गवई का बचपन अमरावती की एक झुग्गी बस्ती फ्रेजरपुरा में ही बीता और वहीं के नगरपालिका के स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की। मराठी माध्यम के स्कूल में जमीन पर बैठकर उन्होंने कक्षा सात तक की पढ़ाई की। इसके आगे की पढ़ाई उन्होंने मुंबई, नागपुर और अमरावती में की।
जस्टिस गवई की यात्रा
- जस्टिस गवई ने बीकॉम के बाद कानून की पढ़ाई अमरावती विश्वविद्यालय से की।
- लॉ की डिग्री लेने के बाद 25 साल की उम्र में उन्होंने वकालत शुरू की।
- इस दौरान वो मुंबई और अमरावती की अदालतों में पेश होते रहे।
- इसके बाद उन्होंने बांबे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच का रुख किया और वहां वह सरकारी वकील भी रहे।
- भूषण रामकृष्ण गवई को 2001 में जज बनाने का प्रस्ताव दिया गया था।
- उन्हें 2003 में बांबे हाई कोर्ट का एडिशनल जज और 2005 में स्थायी जज बनाया गया।
राहुल गांधी को जस्टिस गवई के फैसले से मिली थी राहत
जस्टिस गवई का करियर काफी लंबा रहा है और इस दौरान उन्होंने अपने परिवार की राजनीति पृष्ठभूमि को कभी नहीं छिपाया। ताजा मामला राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म करने वाले आपराधिक मानहानी मामले में सुनाई गई सजा से जुड़ा था।
जुलाई 2023 में राहुल गांधी के मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस गवई ने अपने परिवार का कांग्रेस से लगाव होने की वजह से मामले की सुनवाई से हटने का प्रस्ताव भी दिया था।
कैसे राहुल गांधी की सदस्यता हुई बहाल?
उन्होंने कहा था, "मेरे पिता कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, हालांक वह पार्टी के सदस्य नहीं थे लेकिन उसके साथ जुड़े थे। मिस्टर सिंघवी (अभिषेक मनु सिंघवी) आप भी कांग्रेस से 40 सालों से जुड़े हैं और मेरा भाई अभी भी राजनीति में है और कांग्रेस से जुड़ा है। कृपया आपलोग बताएं कि क्या मुझे इस केस की सुनवाई करनी चाहिए?"
हालांकि, उनके यह कहने पर दोनों पक्षों ने उनके द्वारा सुनवाई करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सुनाई गई सजा पर रोक लगा दी थी। इससे राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हो गई थी।
Video: देश के 52वें चीफ जस्टिस बने बीआर गवई, शपथ लेते ही छुए मां के पैर
India-UK FTA a good deal, but for whom?
ग्लोबल टाइम्स का 'एक्स' अकाउंट भारत में ब्लॉक, चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने पर लिया एक्शन
एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय सेना पर अपुष्ट दावे फैलाने पर केंद्र सरकार ने बुधवार को चीन के सरकारी एक्स हैंडल पर प्रतिबंध लगा दिया।
यह प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है जब कुछ दिन पहले चीन में भारतीय दूतावास ने मीडिया आउटलेट को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले तथ्यों की पुष्टि करने की सख्त चेतावनी दी थी।
दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "ग्लोबल टाइम्सन्यूज, हम आपको सलाह देंगे कि इस तरह की गलत सूचना को आगे बढ़ाने से पहले आप अपने तथ्यों को सत्यापित कर लें और अपने स्रोतों की जांच कर लें।
दूतावास ने बताई सच्चाई
इसके बाद दूतावास ने पोस्ट में कहा, "कई पाकिस्तान समर्थक हैंडल #ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में गलत दावे फैला रहे हैं, जिससे जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। जब मीडिया आउटलेट स्रोतों की पुष्टि किए बिना ऐसी जानकारी साझा करते हैं, तो यह जिम्मेदारी और पत्रकारिता नैतिकता में गंभीर चूक को दर्शाता है।"
(1/n) Dear @globaltimesnews , we would recommend you verify your facts and cross-examine your sources before pushing out this kind of dis-information. https://t.co/xMvN6hmrhe
— India in China (@EOIBeijing) May 7, 2025दूतावास की यह टिप्पणी पाकिस्तानी अकाउंट्स और कुछ मीडिया द्वारा वायरल पोस्ट के बाद आई थी, जिसमें कहा गया था कि बहावलपुर के पास एक भारतीय राफेल जेट को मार गिराया गया है।
PIB ने किया फैक्ट चेक
हालांकि, पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने ऐसी ही एक वायरल तस्वीर को भ्रामक बताते हुए कहा कि यह तस्वीर 2021 में पंजाब के मोगा जिले में हुए मिग-21 क्रैश की है। पीआईबी ने अपने पोस्ट में चेतावनी दी, "वर्तमान संदर्भ में पाकिस्तान समर्थक हैंडल द्वारा शेयर की गई पुरानी तस्वीरों से सावधान रहें।"
अरुणाचल में स्थानों का नाम बदलने पर विदेश मंत्रालय ने चीन को दिया जवाब
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने भी अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे का खंडन किया और राज्य में स्थानों का नाम बदलने के उसके प्रयास पर कड़ी आपत्ति जताई।
विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में दोहराया कि चीन के 'नामकरण' से इस निर्विवाद वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और हमेशा रहेगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमने देखा है कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नामकरण के अपने व्यर्थ और निरर्थक प्रयासों में लगा हुआ है। हम इस तरह के प्रयासों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं।"
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Video: देश के 52वें चीफ जस्टिस बने बीआर गवई, शपथ लेते ही छुए मां के पैर
एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस बीआर गवई ने शपथ ले ली है और राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने उन्हें शपथ दिलाई है।
जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध CJI हैं और आजादी के बाद देश में दलित समुदाय से वे दूसरे सीजीआई हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल छह महीने का होगा।
#WATCH | Delhi: CJI BR Gavai greets President Droupadi Murmu, Prime Minister Narendra Modi, Vice President Jagdeep Dhankhar, former President Ram Nath Kovind and other dignitaries at the Rashtrapati Bhavan. He took oath as the 52nd Chief Justice of India.
(Video Source:… pic.twitter.com/yMUL0Sw3LH
जस्टिस बीआर गवई के मुख्य फैसले
जस्टिस बीआर गवई के मुख्य फैसलों की बात करें तो उनमें बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ तोड़फोड़, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखना, डिमोनेटाइजेशन को बरकरार रखना, अनुसूचित जाति कोटे में उप-वर्गीकरण को बरकरार रखना जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं।
बुलडोजर सिस्टम पर जस्टिस गवई ने क्या कहा?
बुलडोजर जस्टिस पर फैसला सुनाते समय उन्होंने आश्रय के अधिकार के महत्व पर जोर दिया था। मनमाने ढंग से तोड़फोड़ की निंदा करते हुए उन्होंने इस तरह की कार्रवाईको प्राकृतिक न्याय और कानून के शासन के सिद्धांतों के खिलाफ बताया था। अपने फैसले में उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि कार्यपालिका, जज, जूरी और जल्लाद की भूमिका नहीं निभा सकती है।
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