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PAK के 'भाईजान' का होगा बॉयकॉट? हमारे कारोबार घटाने से तुर्किये और अजरबैजान पर कितना पड़ेगा असर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत ने जब पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई की थी, उसके बाद पाकिस्तान बौखला गया था और फिर उसने भारत पर ड्रोन्स और मिसाइल के जरिए हमला करने की कोशिश की थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के दौरान दो ऐसे देश भी दुनिया के सामने एक्सपोज हो गए, जिसने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। तुर्किये और अजरबैजान का असली चेहरा दुनिया के सामने आ चुका है। दरअसल, पाकिस्तान ने भारत पर जो ड्रोन दागे थे, उनमें से कुछ 'मेड इन तुर्किये' के भी थे।
तुर्किये के ड्रोन्स को भारतीय डिफेंस सिस्टम ने क्या ध्वस्त
पाकिस्तान ने तुर्किये के जिन ड्रोन्स का इस्तेमाल भारत पर किया था उसे भारतीय डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया और उनके अवशेष नई दिल्ली के पास मौजूद है। तुर्किये अब इन सबूतों को नकार नहीं सकता है।
तुर्किये और अजरबैजान की इस नीयत का अब देशभर में कड़ा विरोध हो रहा है और आम लोगों के साथ-साथ बड़े नेताओं ने भी दोनों देशों का विरोध किया है। इसी कड़ी में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी एक्स पर पोस्ट कर विरोध जताया है।
निशिकांत दुबे का पोस्ट
उन्होंने लिखा, " तुर्किये और अजरबैजान हम भारतीय को जाना बंद कर देना चाहिए। पाकिस्तान के किसी भी समर्थक देश के साथ कोई रिश्ता नहीं, दुश्मन का दोस्त दुश्मन।"
तुर्की और अज़रबैजान हम भारतीय को जाना बंद करना चाहिए, पाकिस्तान के किसी भी समर्थक देश के साथ कोई रिश्ता नहीं, दुश्मन का दोस्त दुश्मन
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) May 14, 2025न सिर्फ भाजपा सांसद, बल्कि देश के अंदर से भी तुर्किये के प्रोडक्ट्स और अजरबैजान के सामानों को बॉयकॉट करने की मांग उठ रही है। कई लोगों ने तुर्किये जाने के टिकट भी कैंसिल किए हैं और लोगों से ये दोनों देश न जाने की अपील भी की है। आईए जानते हैं भारत तुर्किये और अजरबैजान से क्या-क्या व्यापार करता है...
भारत का इन दोनों देशों से कितना है व्यापार?
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये को भारत का निर्यात 5.2 बिलियन अमेरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 6.65 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 437 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात का सिर्फ 1.5 प्रतिशत है।
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान को भारत का निर्यात केवल 86.07 मिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 89.67 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल निर्यात का मात्र 0.02 प्रतिशत है।
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये से भारत का आयात 2.84 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 3.78 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 720 बिलियन अमरीकी डॉलर के आयात का केवल 0.5 प्रतिशत है।
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान से आयात 1.93 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 0.74 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल आवक शिपमेंट का मात्र 0.0002 प्रतिशत है।
भारत तुर्किये से कौन-कौन से सामानों का करता है आयात-निर्यात?
- निर्यात:- खनिज ईंधन और तेल (2023-24 में 960 मिलियन अमरीकी डॉलर), विद्युत मशीनरी और उपकरण, ऑटो और उसके पुर्जे, कार्बनिक रसायन, फार्मा उत्पाद, टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं, प्लास्टिक, रबर, कपास, मानव निर्मित फाइबर और तंतु, लोहा और इस्पात शामिल है।
- आयात:- विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब), ताजे सेब (लगभग 10 मिलियन अमरीकी डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल (2023-24 में 1.81 बिलियन अमरीकी डॉलर), रसायन, प्राकृतिक या संवर्धित मोती, लोहा और इस्पात।
भारत अजरबैजान से कौन-कौन से सामानों का करता है आयात-निर्यात?
- निर्यात:- तम्बाकू और उसके उत्पाद (2023-24 में 28.67 मिलियन अमरीकी डॉलर), चाय, कॉफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबर, कागज और पेपर बोर्ड और सिरेमिक उत्पाद।
- आयात:- पशु चारा, जैविक रसायन, आवश्यक तेल और इत्र और कच्ची खालें और चमड़ा। 2023 में, भारत अज़रबैजान के कच्चे तेल के लिए तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य था।
तुर्किये और अजरबैजान में कितने भारतीय हैं और कितने भारतीय पर्यटक जाते हैं ये दोनों देश?
- वर्तमान में तुर्किये में लगभग 3,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें 200 छात्र शामिल हैं।
- अजरबैजान में भारतीय समुदाय के लोगों की संख्या 1,500 से ज्यादा है।
- अनुमान के अनुसार, 2023 में लगभग 3 लाख भारतीय पर्यटक तुर्किये और 2 लाख से अधिक अजरबैजान गए।
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'मोदी हैं तो मुमकिन है...', पाक से लौटे BSF जवान पूर्णम कुमार की पत्नी बोलीं; भारत वापसी का पहला VIDEO भी आया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान ने बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया है। हुगली जिले के रिसड़ा निवासी पूर्णम 23 अप्रैल को गलती से भारतीय सीमा मार कर पाकिस्तान की सीमा में घुस गए थे। जवान को पाक रेंजर्स ने हिरासत में लिया था। 21 दिन बाद उनकी सुरक्षित वापसी के बाद परिवार में खुशी का माहौल है।
पूर्णम की गर्भवती पत्नी ने भी इस पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद भी कहा है। अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, 'आज सुबह जब हमें फोन आया कि चिंता मत कीजिए, आपके पति भारत आ गए हैं। वह बिल्कुल ठीक हैं, तो हम बहुत खुश हुए। मैंने अपने पति से भी बात की और वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं।'
'मोदी हैं तो मुमकिन है...'उन्होंने आगे कहा कि सीएम ममता बनर्जी ने मुझसे कहा था कि चिंता मत कीजिए, आपके पति इस सप्ताह वापस आ जाएंगे। उन्होंने भी हमारी बहुत मदद की, वह लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर रही थीं।
आगे ये भी कहा कि पिछले दो हफ्ते हमारे लिए अनिश्चितता से भरे रहे और हम सो नहीं सके। हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थे। हमारी प्रार्थना आखिरकार कबूल हो गई है।
पूरा देश मेरे साथ खड़ा था। प्रधानमंत्री मोदी हैं तो सब कुछ संभव है। 22 तारीख को पहलगाम हमला हुआ, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उन्होंने बदला लिया, मेरे पति को भी वापस ले आए। मैं उनका बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं।
अटारी बॉर्डर से पूर्णम कुमार का पहला वीडियोवतन वापसी के बाद पूर्णम कुमार का पहला वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में कुछ गाड़ियों का काफिला नजर आ रहा है।
#WATCH पंजाब: अमृतसर में अटारी बॉर्डर से BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ के भारत लौटने की पहली वीडियो सामने आई।
कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ 23 अप्रैल 2025 को फिरोजपुर सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान अनजाने में पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे और उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में… pic.twitter.com/VS9kqSC4Bj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 14, 2025फिर देश की सेवा करेगा बेटावही, बेटे की घर वापसी पर पिता भोलानाथ साव ने कहा, 'मैं केंद्र और राज्य सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्होंने मेरे बेटे को पाकिस्तान से रिहा करवाया और उसे वापस भारत लाया। अब जब मेरा बेटा वापस आया है, तो मैं चाहूंगा कि वह एक बार फिर देश की सेवा करे।'
क्या बोले बीएसएफ प्रवक्ता?बीएसएफ के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान रेंजर्स ने पूर्णम को बुधवार सुबह 10.30 बजे पंजाब में अटारी-वाघा सीमा पर भारत के सुपुर्द कर दिया। प्रोटोकॉल के तहत शांतिपूर्ण तरीके से यह रिहाई प्रक्रिया हुई। पाकिस्तान रेंजर्स ने पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को फिरोजपुर जिले में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्यूटी के दौरान अनजाने में सीमा पार करने पर उन्हें पकड़ लिया था।
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जब 120 जवानों ने 4000 पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा, छोड़ने पड़े थे टैंक-तोप और वाहन ; क्या है लोंगेवाला युद्ध की कहानी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की फितरत हमेशा से ही पीठ पीछे बार करने की रही है। 7 मई को भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकवादियों के नौ ठिकाने तबाह किए तो इसके जवाब में पाकिस्तानी सेना ने भारत के सीमावर्ती शहरों में सैन्य ठिकानों और आबादी पर ड्रोन और मिसाइल से हमले किए।
जब भारत ने जवाबी कार्रवाई तो पाकिस्तानी सेना घुटनों पर आ गई। घबराई पाकिस्तानी सरकार ने अमेरिका से सीजफायर की गुहार लगाई। जब दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ तो पाकिस्तानी सेना ने 3 घंटे के भीतर ही इसे तोड़ दिया, उसके बाद भारतीय सेना की कार्रवाई में जब की मुंह की खानी पड़ी, तब जाकर सीमा पर शांति आई।
पाकिस्तान की ओर से ऐसा पहली बार नहीं किया गया है। 1971 में भी ऐसा किया। तब भी पाकिस्तानी फौज की नापाक हरकत के चलते एक ऐसी जंग हुई थी, जिसने दुनिया का नक्शा और नजरिया बदल दिया था। रणनीति को नए आयाम दिए। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के टुकड़े कर एक नजीर पेश की थी। यह युद्ध जल, थल और नभ में अनगिनत जगहों और मोर्चों पर लड़ा गया था।
इन्हीं में से एक लोंगेवाला की लड़ाई थी। यह लड़ाई 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी क्षेत्र में लड़ी गई प्रमुख निर्णायक लड़ाइयों में से एक थी। इस लड़ाई में सिर्फ 120 भारतीय जवानों ने 46 टैंक और तोपखाना लेकर पूरी तैयारी से 'लोंगेवाला में नाश्ता, रामगढ़ में लंच और जोधपुर में डिनर' का सपना लेकर आए 4000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई थी, जिसका दूरगामी असर उसके मनोबल पर तो पड़ा ही था।
क्या है लोंगेवाला सघंर्ष जिसके बाद पाकिस्तानी सेना के कई अफसरों को देना पड़ा था इस्तीफा, आइए हम आपको बताते हैं...
लोंगेवाला में पूरी तैयारी से हमला करने आए पाकिस्तानी सेना के टैंक की फोटो।
लोंगेवाला पर क्यों किया हमला?लोंगेवाला चेक पोस्ट.. राजस्थान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर एक छोटी-सी सुरक्षा चौकी है। यह जगह जैसलमेर से 120, रामगढ़ से 55 और अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किलोमीटर दूर थी। उस वक्त यहां पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन की एक टुकड़ी रेगिस्तान के वीराने में सीमा की निगरानी में तैनात थी।
लोंगेवाला रामगढ़ रोड पर एक समतल जमीन पर एक हेलीपैड बनाया गया था, जिसकी दूरी सुरक्षा चौकी से 700 मीटर थी। लोंगेवाला में दुश्मन के नजर डालने की गुंजाइश ना के बराबर थी। इसलिए यहां सेना की चौकसी तो रहती थी, लेकिन अतिरिक्त तैयारी नहीं।
जवानों के पास दो मीडियम मशीन गन, 81 एमएम के दो मोर्टार, टैंकर से रक्षा के लिए कंधे से चलाए जाने वाले चार रॉकेट लॉन्चर और एक रिकॉइल थी। कुछ बारूदी सुरंगे भी थी, लेकिन उन्हें तब तक बिछाया नहीं गया था।
भारतीय फौज का एक बड़ा हिस्सा पूर्वी सीमा पर उलझा था तो बाकी सेना जम्मू-कश्मीर व अन्य सेनाओं की सुरक्षा में लगी थी। दिसंबर के शुरुआत में थार क्षेत्र में अफवाह थी- 'पाकिस्तानी दावा कर रहे हैं कि वो 4 दिसंबर को जैसलमेर में नाश्ता करेंगे।'
लोंगेवाला में 5 दिसंबर की रात क्या हुआ था?4-5 दिसंबर की रात...चांदनी रात थी। लोंगेवाला के पास हल्की हवा चल रही थी। सुरक्षा चौकी इंचार्ज मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने कैप्टन धर्मवीर सिंह के नेतृत्व में कुछ सैनिकों को सीमा की ओर गस्त के लिए भेजा।
धर्मवीर सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था- 4-5 दिसंबर की दरमियानी रात की शांति अचानक टैंकों के इंजन से पैदा हुई हल्की-सी आवाज और उनके आगे बढ़ने की गड़गड़ाहट से भंग हुई। शुरुआत में तो किसी को अंदाजा नहीं हुआ कि ये आवाज आ कहां से रही है। पूरी पलटन ध्यान उस आवाज को सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी।
जब आवाज बढ़ती चली गई तो मैंने कंपनी कमांडर मेजर ध्यानचंद से वायरलेस से बात की। कमांडर ध्यानचंद ने पूरी बात सुनने के बाद कहा- हो सकता है कि कोई वाहन बालू में फंस गया हो। इसलिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। जा सो जा।
करीब 12 धर्मवीर को पाकिस्तानी टैंक नजर आए। टैंक बेहद धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। टैंकों की लाइट बंद थीं। टैंक धीरे-धीरे इसलिए भी आ रहे थे, क्योंकि वे पक्की सड़क से नहीं रेत पर चलकर आगे बढ़ रहे थे। धर्मवीर ने कंपनी कमांडर को आगाह करना चाहा, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। कुछ देर बाद संपर्क हुआ तो जानकारी दी।
एक बटालियन ने 4000 सैनिकों को पूरी रात रोके रखाडॉ. यूपी थपलियाल ने अपनी किताब 'द 1971 वॉर एन इलस्ट्रेटेड हिस्ट्री' (The 1971 War: An Illustrated History) इसका जिक्र करते हुए लिखा- रात के 12:30 बजे के करीब पाकिस्तानी टैंकों ने गोले बरसाने शुरू कर दिए थे। शुरुआती हमले में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के पांच ऊंट मारे गए। पाकिस्तानी सेना के टैंक कंटीले तारों के पास आकर रुक गए थे, क्योंकि उन्हें लगा था कि यहां बारूदी सुरंगें बिछी हुई हैं।
पाकिस्तानी सेना की इस गलतफहमी का फायदा उठाकर हमारे जवानों ने अपनी स्थिति थोड़ी मजबूत की। 5 दिसंबर की सुबह की पहली किरण खिलते ही पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय चौकी पर हमला बोल दिया था। इससे पहले की बात करें तो पाकिस्तानी टैंकों को भारत-पाक सीमा से 16 किलोमीटर की दूरी तय करने में 6 घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया था।
राजस्थान पर्यटन पर लोंगेवाला वॉर के हीरो और पाकिस्तानी सैनिकों की तादाद का जिक्र।
मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी रात भर बटालियन मुख्यालय से संपर्क करने की कोशिश करते रहे। सुबह 4 बजे जाकर संपर्क हो पाया। तब मेजर चांदपुरी ने मुख्यालय को सूचित किया कि पाकिस्तानी टैंक भारतीय क्षेत्र में घुस आए हैं और लोंगेवाला की तरफ बढ़ रहे हैं। मेजर चांदपुरी ने फोन पर मदद और हथियार की मांग की।
किसी भी हाल में सुबह से पहले कोई मदद नहीं पहुंच सकती थी। ऐसे में मेजर चांदपुरी के पास दो ऑप्शन थे- पहला बटालियन के साथ आखिरी सांस तक लड़े और दूसरा बटालियन के साथ चेक पोस्ट छोड़ दें। लेकिन मेजर चांदपुरी समेत पूरी बटालियन ने आखिरी सांस तक लड़ना चुना। बटालियन ने पाकिस्तानी सेना के हजारों सैनिकों को रात भर रोककर रखा।
वायुसेना बनी उम्मीद की किरणमेजर जनरल आरएफ थंबाटा जब लोंगेवाला में पाकिस्तानी सेना के लाव-लश्कर के साथ हमला करने की खबर लगी तो वे हैरान रह गए। उनको स्थिति की गंभीरता का अंदाजा समझते देर नहीं लगी।
वे जानते थे कि सामने खड़े दुश्मन से निपटने के लिए उनके पास बहुत साधन नहीं हैं। ऐसे में वायुसेना ही उनके लिए एकमात्र उम्मीद की किरण थी। रात के 2 बजे उन्होंने जैसलमेर एयरबेस के कमांडर एमएस बावा से वायरलेस रेडियो से संपर्क किया।
जैसलमेर एयरबेस पर हंटर लड़ाकू विमान मौजूद थे, जोकि रात में उड़ान नहीं भर सकते थे। ऐसे में सुबह तक का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। बेस कमांडर ने मेजर आरएफ थंबाटा को भरोसा दिया कि सुबह की पहली किरण के साथ ही हंटर विमान उड़ान भरेंगे और पाकिस्तानी टैंकों को ढूंढ-ढूंढकर देश की पश्चिमी सीमा पर आए खतरे को बेअसर करने की कोशिश करेंगे।
सुबह के करीब 4 बजे कमांडर एमएस बावा ने स्क्वाड्रन लीडर आरएन बाली को घटना की स्थिति से वाकिफ कराया। एयर मार्शल भरत कुमार ने अपनी 'द एपिक बैटल ऑफ लोंगेवाला' में इसका जिक्र किया है।
मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने सुबह के 5:15 बजे ब्रिगेडियर रामदौंस से संपर्क किया। उस वक्त पाकिस्तानी सेना का लीड टैंक लोंगेवाला पोस्ट के दक्षिण-पश्चिम में घोटारू सड़क से कोई एक किलोमीटर से भी कम दूर था।
चांदपुरी ने रिकॉइल गन से उस पर फायर किया। निशाना चूक गया। पलटवार में कुछ सेकंड में पाकिस्तानी टैंक ने सुरक्षा चौकी को मलबे में बदल दिया था। फिर ऊंटों के लिए रखे चारे में आग लगा दी। उस वक्त सिर्फ चेक पोस्ट के बगल में खड़ा तनोट माता का मंदिर बच गया था।
सुबह 7 बजे भारतीय जवानों ने किया हमलापाकिस्तानी सेना से रिटायर ब्रिगेडियर जेड ए खान ने 'द वे इट वॉज, इनसाइड द पाकिस्तानी आर्मी' नाम से एक किताब लिखी है, जिसमें लोंगेवाला युद्ध का भी जिक्र किया है। खान ने अपनी किताब में लिखा- लोंगेवाला चेक पोस्ट पर हमले के वक्त मैं जीप पर सबसे आगे चल रहा था। हम लोग सुरक्षा चौकी के दक्षिण रिज तक पहुंच चुके थे। साढ़े सात बजे मुझे लोंगेवाला की तरफ से धमाकों की आवाज सुनाई दी। आसमान धुएं से भरा हुआ था।
वायुसेना को देख पाकिस्तानी सेना ने बदली रणनीतिपाकिस्तानी टैंक लोंगेवाला चौकी पर अगला हमला करने ही वाले थे कि जैसलमेर से उड़ भारतीय लड़ाकू विमान हंटर ऊपर आ गए। उस वक्त पाकिस्तानी लीड टैंक लोंगेवाला चेक पोस्ट से महज 800 मीटर की दूरी पर था। लड़ाकू विमानों को देखते ही पाकिस्तानी टैंक गोलाई में घूमकर धुआं निकालने लगे। हंटर विमान स्क्वाड्रन लीडर डी के दास और फ्लाइट लेफ्टिनेंट रमेश गोसाई उड़ा रहे थे।
स्क्वाड्रन लीडर डी के दास ने बाद में एक टीवी साक्षात्कार में बताया था, '' हंटर लेकर जब हम लोंगेवाला के पास पहुंचे तो नीचे का दृश्य था, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। जमीन पर दुश्मन के टैंक काली माचिस के डिब्बे की तरह नजर आ रहे थे। कुछ खड़े थे और कुछ चल रहे थे।
दुश्मन ने हंटर को देखते हुए हमारे ऊपर ट्रेसर फायर शुरू कर दिए थे। मैंने रमेश से कहा- विमानभेदी तोपों से बचने के लिए हमें 3500 फुट की ऊंचाई पर जाना चाहिए।
ऊपर से देखा कि एक पाकिस्तानी टैंक कुछ सुरक्षित जगह पर रेत के एक टीले के पास खड़ा था, जबकि दूसरा हेलीपैड की ओर जा रहा था। मैं उन दोनों टैंकों को निशाना बनाने का फैसला लिया। मैंने 3500 फुट से नीचे डाइव लगाते हुए नीचे आया और 900 फुट की ऊंचाई उन पर रॉकेट फायर किए।
इस तरह की डाइव लगाने की दौरान हम नीचे आते चले जाते हैं और विमानभेदी तोपों की जद में आ जाते हैं। तुरंत दिशा बदलकर दोबारा ऊपर चले गए। उधर, जैसे ही मेरे रॉकेट ने हेलीपैड की ओर बढ़ रहे टैंक को हिट तो अचानक सारे टैंकों ने आगे बढ़ना बंद कर दिया।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट रमेश गोसाई भी मेरी तरह नीचे आए और एक टैंक तबाह कर दिया। इसके बाद हम दोनों ने दो से तीन बार और टैंकों को हिट किया। ऊपर से होते हमलों से बचने के लिए पाकिस्तानी टैंकों ने जिगजैग चलना शुरू कर दिया। तेजी से धूल उड़ने लगी। ऐसे में हम दोनों के लिए टैंको पर निशाना लगाना मुश्किल हो गया।
लोंगेवाला युद्ध स्मारक में रखा भारतीय सेना का लड़ाकू विमान हंटर। फोटो - जागरण
दोपहर तक दुश्मन के 17 टैंक कर दिए थे तबाहरॉकेट खत्म होने पर स्क्वाड्रन लीडर दास ने '30 एमएम एडम गन' से एक टैंक पर निशाना लगाया और टैंक में आग लग गई। जमीन पर सेना और आसमान में वायुसेना ने मोर्चा संभाल हुआ था। शाम होने तक भारतीय पायलट थोड़ी-थोड़ी देर पाकिस्तानी टैंकों पर हमला कर रहे थे। दोपहर होते-होते भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 17 टैंक और 23 अन्य वाहन नेस्तनाबूत कर दिए थे।
पाकिस्तानी मेजर ने अपनी किताब में क्या लिखा?किताब 'द वे इट वॉज, इनसाइड द पाकिस्तानी आर्मी' में लिखा है- सुबह 7 बजे से भारतीय वायुसेना के चार हंटर हमारे ऊपर लगातार बम बरसाते रहे। जैसे शाम हुई और अंधेरा छाया तो हवाई हमले रुक गए।
उस वक्त पाकिस्तानी सेना के पास दो ऑप्शन थे- पहला वे अपनी सीमा में लौट जाएं और दूसरा फिर से खुद को तैयार कर अपने मूल मकसद रामगढ़ और जैसलमेर पर दोबारा कब्जा करने की कोशिश करें।
उस रात पाकिस्तानी सैनिक वापस लौट गए, लेकिन लोंगेवाला पर कब्जा करने का ऑप्शन उनके पास था। पाकिस्तानी सेना ने अगली सुबह लोंगेवाला पर हमला करने की योजना बनाई। 28 बलूच रेजीमेंट से भी कहा कि लोंगेवाला जैसलमेर रोड पर आगे बढ़े और घोटारू पर कब्जा कर लें।
उल्टे पांव जान बचाकर भागे थे पाकिस्तानी सैनिकपाकिस्तानी सेना की योजना बेशक शानदार रही हो, लेकिन हमारे सिर्फ 120 जवानों ने उनके मंसूबे कामयाब नहीं होने दिए। 6 दिसंबर की शाम होते-होते लोंगेवाला का युद्ध खत्म हो गया। पाकिस्तानी सैनिकों को टैंक और तोपखाना छोड़ जान बचाकर उल्टे पांव भागने के लिए मजबूर कर दिया।
पाकिस्तानी टैंक पर जीत की खुशी मनाते भारतीय सैनिक। फोटो- राजस्थान पर्यटन वेबसाइट
4000 हजार पाकिस्तानी सैनिक और 46 टैंक, तोपें और भरपूर मात्रा में गोला-बारूद होने के बावजूद हमारे जवानों ने अपनी रणनीति और बहादुरी से दुश्मन को बुरी तरह हरा दिया। इस लड़ाई में पाकिस्तानी 200 से ज्यादा सैनिक मारे गए। 46 में से 36 टैंक और 500 से ज्यादा हथियारबंद वाहन बर्बाद हो गए।
पाकिस्तानी अफसरों को देने पड़े इस्तीफेयह दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार किसी एक देश ने एक लड़ाई में इतनी बड़ी संख्या में अपने टैंक गंवाए थे। इस हार से पाकिस्तानी सेना का मनोबल हिल गया। लोंगेवाला लड़ाई में वीरता से दुश्मन को मात देने के लिए मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को देश का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान महावीर चक्र दिया गया।
महावीर चक्र सम्मान लेते मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी। फोटो- राजस्थान पर्यटन वेबसाइट
पाकिस्तानी कमांडर मेजर जनरल बीएम मुस्तफा और उनकी बटालियन के कुछ अफसरों को जांच के बाद पद से हटा दिया गया था।
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लोंगेवाला में रखे हैं पाकिस्तानी ट्रैंकलोंगेवाला पोस्ट को अब 'इंडो-पाक पिलर 638' के नाम से जाना जाता है। भारत ने 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध का जीवंत चित्रण करने के लिए लोंगेवाला में युद्ध स्मारक और जैसलमेर से 10 किमी दूर वॉर म्यूजियम बनाया है।
यहां पाकिस्तानी सेना के टैंक, आरसीएल हंटर विमान और भारतीय जवानों के हथियार प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। 15 मिनट की डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जाती है। हर साल हजारों सैलानी यहां जाकर भारतीय जांबाजों की वीर गाथा के साक्षी बन रहे हैं। बता दें कि बॉलीवुड फिल्म इस लड़ाई पर आधारित ही है।
लोंगेवाला युद्ध स्मारक में प्रदर्शनी में रखा पाकिस्तानी सेना का टैंक। फोटो- जागरण
तनोट माता के चमत्कार की चर्चाभारत-पाकिस्तान के इस युद्ध के बाद तनोट माता मंदिर भी खासा चर्चा में आ गया। स्थानीय लोगों का कहना है- यह तनोट माता का ही चमत्कार है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से फेंके गए सैकड़ों बम नहीं फटे। भारतीय सेना को ये जिंदा बम तनोट मंदिर कैंपस में पड़े मिले। सेना ने कुछ बम आज भी मंदिर में प्रदर्शित कर रखे हैं, जो माता के चमत्कार की गवाही देते हैं।
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Source:
- राजस्थान पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट- www.tourism.rajasthan.gov.in
- डॉ. यूपी थपलियाल की किताब 'द 1971 वॉर एन इलस्ट्रेटेड हिस्ट्री'।
- पाकिस्तानी सेना से रिटायर ब्रिगेडियर जेड ए खान की किताब 'द वे इट वॉज, इनसाइड द पाकिस्तानी आर्मी'।
- एयर मार्शल भरत कुमार की किताब 'द एपिक बैटल ऑफ लोंगेवाला'।
- लोंगेवाला युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के साक्षात्कार।
- जागरण आर्काइव।
BSF jawan detained by Pakistan on April 23 handed over to India - The Indian Express
- BSF jawan detained by Pakistan on April 23 handed over to India The Indian Express
- 'He brought back my suhag': Wife of BSF jawan held by Pakistan praises PM Narendra Modi Times of India
- BSF Jawan Purnam Shaw returns home after 22 days; Family thanks PM Modi, Mamata Banerjee The Economic Times
- DH Evening Brief: BSF Jawan Returns from Pakistan; MP HC Orders FIR Against Minister Deccan Herald
- West Bengal CM Mamata welcomes release of BSF jawan from Pakistan custody The Hindu
SpaceX Falcon 9 launches 28 Starlink satellites on 28th successful mission, reaching a new milestone | Wa - Times of India
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- SpaceX Falcon 9 rocket launches Starlink satellites from Cape Canaveral, lands at sea (video) Space
- SpaceX Falcon 9 launches 26 Starlink satellites to orbit from Vandenberg Space Force Base The Economic Times
- SpaceX aims for afternoon launch from Cape Canaveral Yahoo
- SpaceX sends up more Starlink satellites upi.com
चीन के बाद तुर्किये के प्रोपेगेंडा पर भारत की कार्रवाई, TRT वर्ल्ड के 'एक्स' अकाउंट पर लगाया बैन
एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर कार्रवाई करते हुए कई सरकारी एक्स अकाउंट और वहां के अभिनेता और अभिनेत्रियों के एक्स अकाउंट पर भारत में बैन लगाया था।
The 'X' account of Turkish broadcaster 'TRT World' withheld in India. pic.twitter.com/in72SVkubD
— ANI (@ANI) May 14, 2025इसके बाद भारत सरकार ने चीन के ग्लोबल टाइम्स पर भी रोक लगा दी। अब भारत ने पाकिस्तान के 'दोस्त' तुर्किये पर एक्शन लिया है और तुर्किये के ब्रॉडकास्टर टीआटी वर्ल्ड के एक्स अकाउंट पर भारत में रोक लगा दी है।
चीन के ग्लोबल टाइम्स के एक्स अकाउंट पर क्यों लगी रोक?
भारतीय सेना पर अपुष्ट दावे फैलाने पर केंद्र सरकार ने बुधवार को चीन के सरकारी एक्स हैंडल पर प्रतिबंध लगा दिया।
यह प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है जब कुछ दिन पहले चीन में भारतीय दूतावास ने मीडिया आउटलेट को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले तथ्यों की पुष्टि करने की सख्त चेतावनी दी थी।
दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "ग्लोबल टाइम्सन्यूज, हम आपको सलाह देंगे कि इस तरह की गलत सूचना को आगे बढ़ाने से पहले आप अपने तथ्यों को सत्यापित कर लें और अपने स्रोतों की जांच कर लें।"
ग्लोबल टाइम्स का 'एक्स' अकाउंट भारत में ब्लॉक, चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने पर लिया एक्शन
Expired food found at railways' caterer
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