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दहेज विरोधी कानून के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, इस मामले पर कर दी बड़ी टिप्पणी
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज विरोधी कानून के दुरुपयोग पर मंगलवार को चिंता जताई। वैवाहिक मामलों में पत्नियों द्वारा पतियों के रिश्तेदारों, विशेषकर बुजुर्ग माता-पिता के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और क्रूरता के प्रविधानों के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, क्रूरता शब्द का दुरुपयोग किया जा रहा है।
शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (क्रूरता) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा चार के तहत आरोपों से बरी कर दिया।
आपराधिक मामले के समय और इरादे पर सवाल उठते हैंफैसले में कहा गया कि मामले में एफआइआर पति द्वारा तलाक की याचिका दायर करने के लगभग एक साल बाद दर्ज की गई थी, जिससे आपराधिक मामले के समय और इरादे पर सवाल उठते हैं। विशिष्ट उदाहरणों के बिना क्रूरता को सरलता से स्थापित नहीं किया जा सकता।
बिना किसी विशेष तारीख, समय या घटना का उल्लेख किए इन धाराओं को जोड़ने की प्रवृत्ति अभियोजन के मामले को कमजोर करती है और शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करती है।
विवाहित बहनों को आरोपित बनाया जा रहा हैपीठ ने कहा, हम इस बात से चिंतित हैं कि आइपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धाराओं तीन और चार के तहत शिकायतकर्ता पत्नियों द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से बुजुर्ग माता-पिता, दूर के रिश्तेदारों, और अलग रहने वाली विवाहित बहनों को आरोपित बनाया जा रहा है।
पति के हर रिश्तेदार को शामिल करने की प्रवृत्ति बढ़ रहीपति के हर रिश्तेदार को शामिल करने की बढ़ती प्रवृत्ति से पत्नी या उसके परिवार के सदस्यों के दावों पर गंभीर संदेह उत्पन्न होता है और इससे कानून के उद्देश्य विफल होता है।
पीठ ने कहा कि इस मामले में पत्नी के क्रूरता और दहेज उत्पीड़न के आरोप अस्पष्ट हैं, जिनमें विशेष विवरण की कमी हैं और आरोपों के समर्थन में साक्ष्य भी नहीं हैं। कथित शारीरिक हमले के कारण गर्भपात के दावे का समर्थन करने के लिए चिकित्सा रिकॉर्ड भी पेश नहीं किया गया।
हवा में आरोप न लगाएं जाएंपीठ ने कहा, हम आपराधिक शिकायत में गायब विशिष्टताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें सूचित किया गया है कि अपीलकर्ता की शादी पहले ही समाप्त हो चुकी है। तलाक की डिक्री अंतिम चरण में है, इसलिए अपीलकर्ता के खिलाफ आगे की अभियोजन केवल कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। फैसले में कहा गया कि आरोप स्पष्ट होने चाहिए या हवा में आरोप न लगाएं जाएं।
यह है मामलाएक महिला ने मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, दहेज की मांग और क्रूरता के आरोप लगाते हुए अलग हुए पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दिसंबर 1999 में शिकायत दर्ज कराई। यह शादी एक साल भी नहीं टिक सकी थी।
महिला ने शारीरिक हमले का दावा किया। यह भी आरोप लगाया कि नौकरी छोड़ने के लिए दबाव डाला गया। हालांकि, अदालत ने देखा कि महिला और उसके पिता की गवाही के अलावा, दावों का समर्थन करने के लिए कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं था।
'हाईकोर्ट के जजों के परफार्मेंस का आकलन होना चाहिए', इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
पीटीआई, नई दिल्ली। हाईकोर्ट के जजों द्वारा ''अनावश्यक'' और बहुत अधिक बार ब्रेक लेने के मुद्दे का मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में उल्लेख किया गया। इससे नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि उनके परफार्मेंस का आकलन किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैंजस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं और यह उनके कार्य के मुकाबले उन पर होने वाले खर्च का आकलन करने का सही समय है।
कुछ जज ऐसे हैं जो बहुत मेहनत करते हैंजस्टिस कांत ने कहा, ''कुछ जज ऐसे हैं जो बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन साथ ही ऐसे जज भी हैं जो अनावश्यक रूप से काफी ब्रेक लेते हैं; फिर लंच ब्रेक भी..हम हाईकोर्ट के जजों के बारे में बहुत सारी शिकायतें सुन रहे हैं। यह एक बड़ा मुद्दा है जिस पर गौर करने की जरूरत है। हाईकोर्ट के जजों का परफार्मेंस कैसा है? हम कितना खर्च कर रहे हैं और उसका आउटपुट क्या है? अब समय आ गया है कि हम उनके परफार्मेंस का आकलन करें।''
जज की यह टिप्पणी उन चार व्यक्तियों की याचिका पर आई, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर यह दावा किया था कि झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में दोषसिद्धि और आजीवन कारावास के खिलाफ अपील पर अपना आदेश सुरक्षित रखा, लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया।
उन चार लोगों की ओर से पेश वकील फौजिया शकील ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद हाईकोर्ट ने पांच और छह मई को उनके मामलों में फैसला सुनाया।
इस मामले पर उठे सवालइसमें चार में से तीन को बरी कर दिया गया, जबकि शेष के मामले में विभाजित फैसला आया और मामला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दिया गया, जहां उसे भी जमानत दे दी गई। शकील ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की वजह से ही है कि वे चारों ''ताजी हवा में सांस ले रहे हैं''। अगर हाईकोर्ट ने समय पर फैसला सुनाया होता तो वे तीन साल पहले ही जेल से बाहर आ गए होते।
मणिपुर में NIA की बड़ी कार्रवाई, तीन उग्रवादियों को किया गिरफ्तार
पीटीआई, नई दिल्ली। एनआईए ने मणिपुर में दो अलग-अलग हत्या की घटनाओं में शामिल तीन उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है।
प्रतिबंधित उग्रवादी समूह के दो सदस्यों को गिरफ्तार कियाएनआइए ने जिरीबाम जिले में पिछले वर्ष नवंबर में एक महिला की निर्मम हत्या और सशस्त्र उग्रवादियों द्वारा घरों को जलाने और लूटने के मामले में प्रतिबंधित उग्रवादी समूह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
बिष्णुपुर जिले से प्रतिबंधित उग्रवादी समूह यूएनएलएफ के सदस्य नोंगथोम्बम मैराबा को जैरावन गांव में जोसांगकिम नामक महिला की गोली मारकर हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
आरोपित 17 मई तक एनआइए की हिरासत में हैंदूसरे आरोपित सगोलसेम सनातोम्बा उर्फ सुरचंद्र सिंह उर्फ पीबा को थौबल जिले से गिरफ्तार किया गया है। दोनों आरोपित महिला की हत्या में शामिल थे। दोनों आरोपित 17 मई तक एनआइए की हिरासत में हैं और मामले की जांच जारी है।
एक अन्य घटना में एनआइए ने उग्रवादी समूह केसीपी-पीडब्ल्यूजी के एक सदस्य को मणिपुर में 2023 में हुई जातीय हिंसा से संबंधित अपहरण और हत्या के मामले में गिरफ्तार किया है। आरोपित की पहचान वैखोम रोहित सिंह के रूप में हुई है, जो थौबल पाखंगखोंग लेइराक का निवासी है।
India-Bangladesh: बांग्लादेश में अवामी लीग पर प्रतिबंध से भारत चिंतित, जल्द चुनाव कराने की मांग
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत ने मंगलवार को कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा उचित प्रक्रिया के बिना पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय चिंताजनक है। नई दिल्ली ने बांग्लादेश में जल्द से जल्द स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराने की भी मांग की है।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत 12 मई को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था।
अवामी लीग पर प्रतिबंध चिंताजनकविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, उचित प्रक्रिया के बिना अवामी लीग पर प्रतिबंध चिंताजनक है। लोकतंत्र के रूप में, भारत स्वाभाविक रूप से लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं के कमजोर होने को लेकर चिंतित है। हम बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों के शीघ्र आयोजन का समर्थन करते हैं।
ढाका ने कहा है कि अवामी लीग और उसके सभी संबद्ध संगठनों की सभी गतिविधियों पर तब तक प्रतिबंध रहेगा जब तक कि अवामी लीग के नेताओं और सदस्यों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में चल रहे मुकदमे का निस्तारण नहीं हो जाता।
यूनुस के प्रवक्ता शफीकुल आलम ने जारी किया बयानभारत की प्रतिक्रिया के बाद यूनुस के प्रवक्ता शफीकुल आलम ने बयान में कहा कि यह प्रतिबंध बांग्लादेश की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करने, शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन में भाग लेने वाले कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के गवाहों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
पिछले साल हुआ शेख हसीना की अवामी लीग सरकार का तख्ता पलटछात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक विद्रोह के बाद पिछले साल पांच अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार का तख्ता पलट कर दिया गया था। इस कारण शेख हसीना को भारत आना पड़ा था। हसीना और उनकी पार्टी के कई नेताओं पर तब से लेकर अब तक सैकड़ों मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनमें सामूहिक हत्या और भ्रष्टाचार के मामले भी शामिल हैं।
Keneesha Francis' friend speaks out on Ravi Mohan link-up: 'I've sat in silence too long' amid his divorc - Times of India
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Pakistan staffer declared persona non grata
भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम के बाद सीमावर्ती शहरों में हवाई सेवाएं बहाल, जम्मू-श्रीनगर में कल से मिलेगी फ्लाइट
टीम जागरण, नई दिल्ली। भारत- पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद मंगलवार को सीमावर्ती शहरों में स्थित हवाई अड्डों में हवाई सेवा बहाल हो गई। जम्मू,श्रीनगर, अमृतसर, आदमपुर,साहनेवाल (लुधियाना) और बठिंडा एयरपोर्ट से विमानों का संचालन शुरू हो गया है।
इंडिगो और एअर इंडिया एयरलाइन द्वारा दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आइजीआइ) एयरपोर्ट से मंगलवार को भी अमृतसर, श्रीनगर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, जोधपुर, भुज, जामनगर और राजकोट के लिए उड़ानें रद कर दी गईं। मंगलवार को 12 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में विलंब हुआ, जबकि एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान को रद करना पड़ा। घरेलू उड़ानों की बात करें तो 18 उड़ानों में देरी दर्ज की गई और 91 उड़ानें रद कर दी गईं।
बुधवार से एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही सुचारू रहेगीजम्मू और श्रीनगर एयरपोर्ट पर मंगलवार दोपहर से विमानों का परिचालन फिर से बहाल कर दिया गया। जम्मू एयरपोर्ट के निदेशक संजीव कुमार गर्ग का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा था बुधवार से एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही सुचारू रहेगी। उधर, श्रीनगर हवाई अड्डे से बुधवार को हज उड़ानें भी बहाल हो जाएंगी। बता दें कि भारत-पाकिस्तान के बीच बचे तनाव के चलते विमान सेवाएं बंद की गई थीं।
मंगलवार को पंजाब के आदमपुर से स्टार एअर एयरलाइन की फ्लाइट में हिंडन के लिए दो यात्री ही रवाना हुए। इंडिगो ने कहा, 'यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मंगलवार के लिए जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़, लेह, श्रीनगर और राजकोट से आने-जाने वाली उड़ानें रद की गई हैं।
नियमित अपडेट मिलता रहेगाएअर इंडिया ने भी इंटरनेट मीडिया पर जानकारी दी कि वह स्थिति पर नजर रख रही है और यात्रियों को नियमित अपडेट देती रहेगी। दोनों एयरलाइंस ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे एयरपोर्ट पर आने से पहले अपनी उड़ान की स्थिति आधिकारिक वेबसाइट या एप पर जांच लें।
यह भी पढ़ें: भारत ने पाकिस्तानी राजनयिक को किया निष्कासित, 24 घंटे के अंदर देश छोड़ने का दिया आदेश
आतंकी हमले से पहले पाकिस्तानी कंपनी ने क्यों खरीदी थी पहलगाम की रियल टाइम सैटेलाइट तस्वीरें? पढ़ें चौंकाने वाला खुलासा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) में 26 हिंदुओं की जान ले ली। इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। आतंकियों ने पूरी प्लानिंग के साथ इस हमले को अंजाम दिया था। आशंका जताई जा रही है कि आतंकियों को पहलगाम की सैटेलाइट तस्वीरें भी दिखाई गई हो।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पहलगाम हमले से ठीक दो महीने पहले बौसरन घाटी की सैटेलाइट तस्वीरों की ऑर्डर मैक्सार टेक्नोलॉजीज (Maxar Technologies) को दी गई थी। यह कंपनी अमेरिका की टॉप स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी में से एक है, जो हाई रिजॉल्यूशन वाली HD तस्वीरें बेचती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि फरवरी 2025 में पहलगाम इलाके की तस्वीरों के सबसे ज्यादा ऑर्डर मिले थे। इसके बाद आतंकी हमले से दस दिन पहले 12 अप्रैल को भी ऑर्डर दिया गया था। इस इलाके की तस्वीरों के ऑर्डर पिछले साल जून में मिलने लगे थे।
मैक्सार ने पाकिस्तान की कंपनी को बेची थी तस्वीरेंरिपोर्ट के मुताबिक, कुछ महीनों पहले ही मैक्सार ने पाकिस्तान की एक कंपनी के साथ डील की थी। मैक्सार ने जिस पाकिस्तानी कंपनी के साथ डील किया था उसका नाम ‘बिजनेस सिस्टम इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड’ है। इस कंपनी के फाउंडर का नाम ओबैदुल्ला सैयद है। यह कंपनी ज्योग्राफिकल लोकेशन की जानकारी मुहैया कराती है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह पता नहीं चलता कि पहलगाम की तस्वीरें पाकिस्तानी फर्म बिजनेस सिस्टम इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (BSI) को बेची गई थी या नहीं, लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट और दूसरे जानकारों ने इस आशंका को खारिज नहीं किया है।
कंपनी के फाउंडर के खिलाफ US में दर्ज हो चुका है मामलाद प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के फाउंडर के खिलाफ अमेरिका में एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा चुका है। ओबैदुल्ला सैयद को अमेरिका से ‘पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग’ यानी PAEC से जुड़े एक मामले में दोषी पाया गया था। अमेरिका की एक अदालत के मुताबिक, सैयद ने ‘हाई परफार्मेंस वाले कंप्यूटर उपकरण’ और ‘सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉल्यूशन’ का अवैध निर्यात किया।
(मैक्सार कंपनी की फाइल फोटो)
सैटेलाइट इमेज की बेस कीमत 3 लाख रुपयेरिपोर्ट से पता चला है कि पहलगाम के अलावा, सैटेलाइट इमेज में भारत के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों जैसे पुलवामा, अनंतनाग, पुंछ, राजौरी और बारामुल्ला की तस्वीरें भी कैद हुई हैं। प्रत्येक सैटेलाइट इमेज की बेस कीमत 3 लाख रुपये से शुरू होती है, जो इमेज के रेजोल्यूशन के आधार पर बढ़ती जाती है।
वहीं, रिपोर्ट में इसरो के एक वैज्ञानिक के हवाले से कहा गया है, "सैटेलाइट निगरानी किसी भी देश की खुफिया जानकारी की रीढ़ बन गई है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन तस्वीरों का इस्तेमाल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमलों की योजना बनाने के लिए किया गया था या नहीं, लेकिन भारत मैक्सार से इन तस्वीरों की जांच करने के लिए कह सकता है।
हाई रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें बेचती है कंपनीबता दें कि मैक्सार टेक्नोलॉजीज’ अपने सैटेलाइट के लिए जानी जाती है। कंपनी 30 सेंटीमीटर से 15 सेंटीमीटर तक के पिक्सल हाई रिजॉल्यूशन वाली HD तस्वीरें मुहैया कराती है। पिक्सल का आकार जितना छोटा होगा, तस्वीर उतनी साफ और अच्छी होगी।
रक्षा मंत्रालय और इसरो जैसी सरकारी एजेंसियां भी मैक्सार से तस्वीरें खरीदती है। कम से कम 11 भारतीय अंतरिक्ष स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप और दूसरी कंपनियां मैक्सार टेक्नोलॉजीज की ग्राहक और पार्टनर हैं।
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ऑपरेशन सिंदूर: 70 देशों के सामने बेनकाब हुआ पाकिस्तान, भारत ने ऐसे खोली दुष्प्रचार की पोल
संजय मिश्र, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर की सैन्य कार्रवाई के बाद लागू सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखने के लिए भारत सीमा पर पूरी सतर्कता के साथ ही राजनयिक मोर्चे पर भी आक्रामक रणनीति अपना रहा है। इस रणनीति के तहत ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तथा तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एलओसी और पाकिस्तान से लगी संपूर्ण पश्चिमी सीमाओं की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।
पाकिस्तान के दुष्प्रचार का पर्दाफाशइस समीक्षा बैठक में रक्षा सचिव और उप नौसेना प्रमुख भी मौजूद थे। सीजफायर लागू होने के बाद भी भारतीय सेनाएं सीमा के अग्रिम मोर्चों पर बेहद सजग होकर सख्त निगरानी कर रही हैं। जबकि कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की सैन्य कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान के दुष्प्रचार का पर्दाफाश करने के लिए भारतीय सेना ने 70 देशों के राजनयिकों को ऑपरेशन सिंदूर का ब्यौरा दिया।
देशों की सरकारों को सही तस्वीर से रूबरूइसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को सटीक मिसाइल हमलों से ध्वस्त करने के सबूतों के साथ इस्लामाबाद के आतंकवाद प्रेम की पोल खोली गई। ऑपरेशन सिंदूर पर दुनिया के तमाम देशों की सरकारों को सही तस्वीर से रूबरू कराना इसलिए भी जरूरी माना जा रहा क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को एक कदम और आगे बढ़ाते हुए भारत ने साफ कह दिया है कि अब कोई भी आतंकी हमला एक्ट आफ वार माना जाएगा।
पाकिस्तान के दुष्प्रचार की खुली पोलभारत स्थित 70 प्रमुख देशों के दूतावास में तैनात डिफेंस अटैची को भारतीय सेना ने विशेष ब्रीफिंग के लिए बुलाकर पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागिरकों की बर्बरतापूर्ण हत्या के बाद पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की कार्रवाई को इस नीति का हिस्सा बताया गया। दुनिया के इन देशों को ऑपरेशन सिंदूर की सही तस्वीर दिखाना इसलिए भी जरूरी था कि पाकिस्तान पश्चिमी मीडिया में भारत के खिलाफ अपने जवाबी सैन्य हमलों को लेकर कई दुष्प्रचार कर अपना नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहा है।
भारत और पाकिस्तान संबंधों में नए मानदंड की लकीररक्षा खुफिया एजेंसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा ने मानकेशा सेंटर में मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर के सफल संचालन की राजनयिकों को पूरी जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि कई प्रमुख देशों के रक्षा अधिकारियों ने ब्रीफिंग में हिस्सा लिया जो कई अंतरराष्ट्रीय समूहों का हिस्सा हैं। इसमें स्वीडन, नेपाल, फिलीपींस, मिस्त्र व अन्य देशों के साथ कुछ प्रमुख इस्लामी देशों के डिफेंस अटैची भी ब्रीफिंग में मौजूद थे। राजनयिकों को यह बताया गया है कि इस आपरेशन ने भारत और पाकिस्तान संबंधों में नए मानदंड की लकीर खींच दी है।
लक्ष्यों के चयन के लिए बनाई गई योजनासाथ ही यह भी संदेश दिया गया कि भारत नए युग के युद्ध में पाकिस्तान की तुलना में सैन्य श्रेष्ठता के लिहाज से ही नहीं फायर पवार की दृष्टि से भी कहीं आगे है।आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत के राष्ट्रीय संकल्प की दृढ़ता भी स्पष्ट कर दी गई। सेना के अनुसार रक्षा खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने सभी नौ चिन्हित ध्वस्त किए गए आतंकी संबंधों वाले लक्ष्यों के चयन के लिए बनाई गई योजना और प्रक्रिया का भी इस दौरान विस्तार से ब्यौरा दिया।
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पस्तइसमें बताया गया कि भारतीय सेनाओं ने नागरिक तथा सैन्य प्रतिष्ठानों को बिना नुकसान पहुंचाए बेहद सटीक और त्वरित कार्रवाई कर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर 100 से ज्यादा आतंकियों को कैसे मार गिराया। डिफेंस अटैची को इस तथ्य से भी रूबरू कराया गया कि परंपरागत युद्ध प्रणाली ही नहीं नए आधुनिक हाईटेक हथियारों के संयुक्त एकीकरण के जरिए भारतीय सेनाओं ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तान को पस्त किया।
विदेशी मीडिया में पाकिस्तान के दावों की पोल खुलीअंतरिक्ष, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वार फेयर के विशिष्ट डोमेन में पाकिस्तानी सेना के मुकाबले भारतीय सेनाओं के कहीं ज्यादा आगे होने का पहलू भी साझा किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेशी मीडिया में पाकिस्तान के दावों की पोल खोलते हुए रक्षा खुफिया एजेंसी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राणा ने आतंकियों के समर्थन में उतरकर भारत के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के हमलों का जवाब देने के लिए की गई सैन्य कार्रवाईयों का तस्वीरों सहित ब्यौरा दिया। इसमें लाहौर से कराची तक पाकिस्तान के 11 एयरफोर्स बेस तथा कुछ अन्य सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों में उसे पहुंची क्षति की कुछ तस्वीरें भी दिखाई गई।
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भारत ने पाकिस्तानी राजनयिक को किया निष्कासित, 24 घंटे के अंदर देश छोड़ने का दिया आदेश
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत एक अधिकारी को निष्कासित कर दिया। उसे अपनी आधिकारिक स्थिति के अनुरूप गतिविधियों में लिप्त नहीं होने के कारण निष्कासित किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उक्त अधिकारी को भारत छोड़ने के लिए 24 घंटे का समय दिया गया है।
पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी को आपत्तिपत्र किया गया जारीऑपरेशन सिंदूर के तहत दोनों देशों के बीच चार दिनों तक चले सैन्य टकराव से बढ़े तनाव के बीच यह कार्रवाई की गई है। भारत ने उक्त अधिकारी की गतिविधियों पर नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी को आपत्तिपत्र भी जारी किया है। गौरतलब है कि पहलगाम में आतंकी हमले के तुरंत बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने पाकिस्तान के विरुद्ध कई कदमों की घोषणा की थी।
इनमें नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा या सैन्य, नौसेना एवं वायुसेना सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित करना शामिल था। उन्हें भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था और नई दिल्ली ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से भी अपने सैन्य सलाहकारों को वापस बुला लिया था।
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सीजफायर के बाद भी आतंकवाद पर जारी रहेगा एक्शन, जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर भारत ने ट्रंप को दिया सीधा जवाब
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बड़बोलेपन के लिए विख्यात हैं और बहुत संभव है कि पिछले दो दिनों में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव खत्म कराने को लेकर किया गया उनका दावा भी सच न हो।
भारत के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति ट्रंप के इस संदर्भ में किए गए तीनों दावों को सीधे या परोक्ष तौर पर खारिज कर दिया है। भारत ने कहा कि कश्मीर को लेकर उसकी पारंपरिक नीति में कोई बदलाव नहीं आया है कि इससे जुड़े मुद्दे पर सिर्फ पाकिस्तान से बात होगी और बकाया मुद्दा सिर्फ गुलाम जम्मू-कश्मीर को खाली कराने का है।
इसी तरह से ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद सात से 10 मई के दौरान भारत और अमेरिका के शीर्ष नेताओं के बीच बात हुई है, लेकिन इसमें कारोबार को लेकर कोई बात नहीं हुई जैसा राष्ट्रपति ट्रंप दावा कर रहे हैं। इसी तरह भारत ने फिर स्पष्ट किया कि आपरेशन सिंदूर में सिर्फ पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया।
यानी ट्रंप का यह दावा कि उन्होंने संभावित परमाणु टकराव की तरफ बढ़ रहे भारत-पाकिस्तान के बीच समझौता कराया, भी सच से दूर प्रतीत होता है।
सीजफायर समझौते में तीसरे देश का दखल नहींविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर को खत्म करने की पेशकश पाकिस्तान की तरफ से हुई थी क्योंकि भारतीय सैन्य बलों के 10 मई के हमलों ने वहां के सैन्य ढांचे को तबाह कर दिया था। विस्तार से बताते हुए जायसवाल ने कहा, 'संघर्ष विराम कब, कैसे और किस समय से लागू किया जाना है, इसका फैसला दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच 10 मई की शाम 3.45 बजे हुई टेलीफोन वार्ता में किया गया था।
इस वार्ता के लिए उसी दिन दोपहर 12.37 बजे नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग की तरफ से विदेश मंत्रालय को फोन किया गया था। पहले तकनीकी समस्या के कारण बात नहीं हो पाई थी, लेकिन बाद में बात हुई और सहमति बनी। वैसे इसके पहले ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के साथ ही भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि उसके निशाने पर सिर्फ पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन है।
भारत ने यहीं बात विदेशी नेताओं को भी बताई थी। शुरुआत में इस पर पाकिस्तान ने ध्यान नहीं दिया। बहुत संभव है कि वैश्विक नेताओं ने यह बात पाकिस्तान को बाद में बताई हो।'
भारत-अमेरिकी रणनीतिक रिश्तों पर कोई असर नहींजायसवाल ने अंत में कहा कि अमेरिका के साथ भारत के रणनीतिक रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ा है और ये पहले की तरह मजबूत बने हुए हैं। लेकिन जिस तरह उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के एक-एक दावे को खारिज किया, वह असामान्य था।
ट्रंप ने 11 मई को दो बार बयान दिया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव समाप्त कराया है। असलियत में भारत की तरफ से घोषणा होने से पहले ही उन्होंने इस बारे में इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर दी थी। 12 मई को तो ट्रंप ने एक लंबा बयान दिया जिसमें संघर्ष विराम का श्रेय खुद को दिया और यह दावा किया जब उन्होंने भारत-पाकिस्तान से कारोबार नहीं करने की बात कही तब जाकर दोनों देश तैयार हुए।
जायसवाल ने कहा कि सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई के बीच कई बार अमेरिकी नेताओं से बात हुई, लेकिन कारोबार का मुद्दा तो कभी नहीं उठा। लेकिन उन्होंने इस खबर की तस्दीक की कि भारत ने अमेरिका से होने वाले कुछ आयात पर ज्यादा टैक्स लगाने के लिए विश्व व्यापार संगठन के कार्यालय को सूचना भेज दी है। अभी भारत व अमेरिका के बीच कारोबारी समझौते की बात हो रही है, उस स्थिति में भारत सरकार का यह कदम कुछ खटकता है।
कश्मीर पर भी राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रूबियो के इस दावे को भारत ने खारिज किया है कि अमेरिका इस पर हस्तक्षेप करेगा और किसी तटस्थ स्थल पर भारत-पाकिस्तान के बीच बात होगी। ऐसा ही दावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी किया है। वैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी एक दिन पहले राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि भारत सिर्फ गुलाम जम्मू-कश्मीर पर बात करेगा। जायसवाल ने भी भारत की इसी पारंपरिक नीति को दोहराया।
पाक ने परमाणु के पहलू से खुद किया इनकारट्रंप के परमाणु युद्ध की आशंका के दावे पर जायसवाल ने कहा, 'ऐसी कुछ रिपोर्टें थीं कि पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथारिटी 10 मई को बैठक करेगी। लेकिन बाद में उन्होंने इसका खंडन किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने खुद ही रिकार्ड पर परमाणु के पहलू से इनकार किया है।''
प्रवक्ता ने कहा, ''भारत का दृढ़ रुख है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा या इसका हवाला देकर सीमा पार आतंकवाद को संचालित करने की अनुमति नहीं देगा। विभिन्न देशों के साथ बातचीत में हमने यह भी चेतावनी दी है कि इस तरह के परि²श्यों को स्वीकार करने से उन्हें अपने क्षेत्र में नुकसान हो सकता है।''
स्थगित रहेगी सिंधु जल संधिजायसवाल ने कहा कि भारत सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखेगा जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से छोड़ नहीं देता। पाकिस्तान ने औद्योगिक स्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया है और इसके परिणामों के लिए वही उत्तरदायी है।
इससे बचने का उसका प्रयास निरर्थक है। उन्होंने कहा कि यह आतंकवाद से निपटने का 'न्यू नार्मल' है और पाकिस्तान को इस वास्तविकता को स्वीकार करने और इसके अनुसार ढलने की जरूरत है। साथ ही कहा कि भारत टीआरएफ को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में शामिल कराने के लिए प्रयासरत है।
हाईवे निर्माण में समय सीमा में लेनी होगी वन, पर्यावरण और रेलवे की मंजूरी, नई व्यवस्था एक जून से लागू
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हाईवे निर्माण और खासकर काम पूरा करने में लगातार हो रही देरी से बचने के लिए केंद्र सरकार ने पर्यावरण, वन, वन्य जीवन, रेलवे, भूमि अधिग्रहण संबंधी अनुमतियों और मंजूरियों के लिए एक तरह से समय सीमा निर्धारित की है।
सभी टेंडरों के लिए इन मंजूरियों के लिए तय किए गए चरण लागू होंगेआगामी एक जून के बाद जारी होने वाले सभी टेंडरों के लिए इन मंजूरियों के लिए तय किए गए चरण लागू होंगे। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार, पर्यावरण और वन्य जीवन मंजूरी का काम एलाइनमेंट को संस्तुति किए जाने के साथ ही शुरू हो जाना चाहिए और इसे हर हाल में बिड प्राप्त करने से पहले पूरा कर लिया जाना चाहिए।
इसी तरह वन मंजूरी का काम एलाइनमेंट तय हो जाने से लेकर कांट्रैक्टर को काम सौंपे जाने तक पूरा हो जाना चाहिए। हाईवे के कामों में अक्सर रेलवे की मंजूरियां हासिल होने में देरी बाधा बन जाती है।
अधिसूचना जारी होने के साथ ही नई व्यवस्था शुरू हो जाएगीइसे दूर करने के लिए मंत्रालय ने यह व्यवस्था की है कि रेलवे से अनुमति मांगने की प्रक्रिया प्रोजेक्ट की व्यावहारिकता का पहला मसौदा बनते ही आरंभ हो जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बिड प्राप्त करने के पहले ही समाप्त कर लिया जाए। यही बात पानी, बिजली और अन्य लाइनों की शिफ्टिंग के मामले भी लागू होगी।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नेशनल हाईवे एक्ट के सेक्शन 3 ए के तहत अधिसूचना जारी होने के साथ ही शुरू हो जाएगी और इसे भी राइट ऑफ वे की 90 प्रतिशत लंबाई की 3डी अधिसूचना जारी होने और निविदा प्राप्त करने के पहले पूरा हो जाना चाहिए।
हाईवे के 80 प्रतिशत इस वजह से रुकेसरकार की ओर से इन जरूरी मंजूरियों के लिए चरण निर्धारित करना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाईवे के 80 प्रतिशत से अधिक काम न्यूनतम डेढ़ साल की देरी के शिकार होते हैं और इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मंजूरियां हासिल करने का काम ठेकेदारों पर छोड़ दिया जाता है।
प्रशासनिक लेटलतीफी के कारण भी प्रोजक्ट रुक जाता हैइन मंजूरियों में होने वाली देरी और प्रशासनिक लेटलतीफी के कारण न केवल परियोजनाओं में विलंब होता है, बल्कि कई विशेषज्ञों ने इसे घटिया निर्माण की भी प्रमुख वजह माना है।
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