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भारत-पाकिस्तान सीजफायर का क्रेडिट लेने की होड़... ट्रंप बनना चाहते हैं 'फूफा', चीन भी नहीं छोड़ रहा मैदान

Dainik Jagran - National - May 14, 2025 - 5:23pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद 'क्रेडिट-जीवी' चीन और अमेरिका अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे भारत और पाकिस्तान के बाद एक संघर्ष इन दोनों देशों के बीच क्रेडिट को लेकर शुरू हो गया है।

खुद को दुनिया का मसीहा समझने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ये साबित करने की कोशिश की कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर उनकी मध्यस्थता का नतीजा है। वहीं इससे दो कदम आगे निकलकर चीन ने यहां तक कह दिया कि वह क्षेत्र को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने का प्रयास जारी रखेगा।

पाकिस्तान से नाराज है चीन

भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने फोन कर सीजफायर की गुजारिश की थी। दरअसल चर्चा है कि चीन इस बात को लेकर पाकिस्तान से नाराज है कि बीजिंग फोन मिलाने की बजाय अमेरिका की मदद क्यों ली।

ये सच है कि भारत और अमेरिका के बीच पाकिस्तान से तनाव के दौरान कई बार बातचीत हुई थी, जिसमें भारत ने ये स्पष्ट कर दिया था कि वह पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है। जब भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी, तो डोनाल्ड ट्रंप ने क्रेडिट लेने की कोशिश में पहले ही सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जानकारी दे दी।

अमेरिका और चीन में प्रतिस्पर्धा
  • चीन ने कथित तौर पर पाकिस्तान को फोन मिलाकर खरी-खोटी सुनाई। इसके बाद चीन ने सीजफायर का क्रेडिट लेते हुए बयान जारी किया। बदले में पाकिस्तान ने अपने सहयोगी की खुशामद के लिए फिर से एक बयान जारी किया और बताया कि चीन से उसकी सीजफायर पर बात हुई है।
  • चीनी विदेश मंत्री वांग यी की अजित डोभाल से बातचीत के बाद चीन ने एक और बयान जारी किया और जिसमें खुद को मसीहा दिखाने की कोशिश की। ये भी कहा कि चीन इस्लामाबाद और नई दिल्ली दोनों के संपर्क में रहेगा और क्षेत्र को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने के प्रयास जारी रखेगा।
  • एक ओर अमेरिका खुद को दुनिया का मसीहा साबित करने में जुटा है, तो वहीं चीन भी एशिया में हो रही हर दूसरी बात का क्रेडिट लेना चाहता है। हालांकि भारत ने दोनों के ही दावों की पोल खोल दी है।

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Pak conflict: Indian QSR stock with Turkey ops in crossfire amid boycott calls

Business News - May 14, 2025 - 4:49pm
Jubilant FoodWorks finds itself caught in the crossfire of escalating tensions between India and Pakistan, amid growing calls for a boycott of Türkiye following the country's implicit support for Pakistan in the ongoing conflict. The company had acquired DP Eurasia, the master franchisee of Domino’s Pizza in Turkey, Azerbaijan, and Georgia, in early 2024.There are reports emerging that overall India's trade relations with Turkey and Azerbaijan are expected to come under strain due to Ankara and Baku backing Islamabad and condemning India's recent strikes on terror camps in Pakistan. Indian traders too have started boycotting Turkish products such as apples and marble.India launched Operation Sindoor on May 7 to destroy nine terror infrastructures in Pakistan and Pakistan-occupied-Kashmir in retaliation for the Kashmir's Pahalgam terror attack on April 22. During the conflict, Pakistan used Turkish drones in its failed attempt to target Indian military installations.Jubilant FoodWorks is a QSR chain that holds franchise rights for global brands like Domino’s, Popeyes, and Dunkin’, in addition to its own brands, Hong’s Kitchen in India and COFFY in Turkey.In the latest fourth quarter, consolidated revenue from operations rose 34% YoY to Rs 2,107 crore with Turkey’s Domino’s showing a modest 0.9% LFL growth.DP Eurasia contributed 31% of the group’s system sales in Q3FY25, making its financial performance a key factor for Jubilant.Domino’s Pizza operates 746 stores in Turkey as of March 2025, with 8 new stores added in Q4FY25. Turkey accounts for over 90% of DP Eurasia’s stores. Domino’s holds the top market share in the Turkish pizza market, and COFFY being the seventh largest coffee brand aspires to be in the Top 5 brands.Jubilant is already going through a tough period in terms of demand in the last nine quarters, according to analysts. Domino’s implemented various initiatives to maintain market share, including delivery fee waivers, higher food costs on new launches, and sharper discounts to capture order growth.However, these efforts led to a reduction in margins, as gross margins for 9MFY25 fell. Additionally, EBITDA margins were weaker due to continued investments in technology, advertising, and an operational shift from a four region to a seven-region model.India's exports to Turkey stood at $5.2 billion during Apr-Feb 2024-25 as against $6.65 billion in 2023-24. It accounts for only about 1.5% of India's total exports of $437 billion.
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'महिलाएं राफेल उड़ा सकती हैं, तो सेना की कानूनी शाखा में क्यों नहीं जा सकती', SC ने केंद्र से किए सवाल; जानें क्या है पूरा मामला

Dainik Jagran - National - May 14, 2025 - 3:56pm

पीटीआई, नई दिल्ली। आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सवाल किया है, जो काफी ज्यादा सुर्खियों में आ गया है।

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल करते हुए पूछा है कि यदि भारतीय वायुसेना में (IAF) में एक महिला राफेल लड़ाकू विमान उड़ा सकती है, तो सेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) ब्रांच के जेंडर-न्यूट्रल पदों पर कम हमला अधिकारी क्यों हैं?

क्या है मामला?

दो महिला अधिकारियों अर्शनूर कौर और आस्था त्यागी ने याचिका दायर की थी कि उनके चौथा और पांचवां रैंक होने के बावजूद, मेरिट में अपने पुरुष साथियों की तुलना में ज्यादा होने के बाद भी, महिलाओं के लिए कम वैकेंसीज की वजह से जेएजी डिपार्टमेंट के लिए उन्हें सेलेक्ट नहीं किया गया।

इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें, दोनों महिला अधिकारियों ने पुरुषों और महिलाओं के लिए असमानुपातिक रिक्तियों को चुनौती दी थी और कहा था कि उनका चयन नहीं किया जा सकता क्योंकि कुल छह पदों में से महिलाओं के लिए केवल तीन रिक्तियां थी।

SC ने दिए यह निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, "पहली नजर में हम याचिकाकर्ता अर्शनूर कौर द्वारा स्थापित मामले से संतुष्ट हैं। हम प्रतिवादियों को निर्देश देते हैं कि वे जज एडवोकेट जनरल (JAG) के रूप में नियुक्ति के लिए अगले ट्रेनिंग कोर्स में उसे शामिल करने से जो भी कार्रवाई जरूरी है, उसे शुरू करें।"

बेंच ने एक अखबार के लेख का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि एक महिला पायलट राफेल लड़ाकू विमान उड़ाएगी और कहा कि ऐसी स्थिति में उसे युद्ध बंदी के रूप में भी लिया जा सकता है।

जस्टिस दत्ता ने केंद्र और सेना की ओर से पेश एडशिनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा, "अगर इंडियन एयरफोर्स में किसी महिला के लिए राफेल लड़ाकू विमान उड़ाना जायजा है, तो सेना के लिए जेएजी में ज्यादा महिलाओं को अनुमति देना इतना मुश्किल क्यों है?"

क्या दलील पेश की गई?

बेंच को बताया गया कि दूसरी याचिकाकर्ता आस्था त्यागी कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान भारतीय नौसेना में शामिल हो गई थीं। इसके बाद अदालत ने पदों को जेंडर-न्यूट्रल होने का दावा करने के बावजूद महिलाओं के लिए कम पद निर्धारित करने के लिए केंद्र से सवाल किया।

ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सेना में जेएजी ब्रांच सहित महिला अधिकारियों की भर्ती और नियुक्ति इसकी परिचालन तैयारियों को ध्यान में रखते हुए एक प्रगतिशील प्रक्रिया है।

सुप्रीम कोर्ट के सवाल

सर्वोच्च न्यायालय ने आगे पूछा कि पदों को जेंडर-न्यूट्रल क्यों कहा गया है, जबकि उच्च योग्यता वाली महिला उम्मीदवार योग्य नहीं थीं, क्योंकिय रिक्तियां अभी भी लिंग के आधार पर विभाजित हैं।

जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अगर 10 महिलाओं योग्यता के आधार पर जेएजी के लिए योग्य हैं, तो क्या उन सभी को जेएजी ब्रांच के अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

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Business News - May 14, 2025 - 3:53pm
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