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पाकिस्तान के खिलाफ सैनिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों मोर्चों पर कार्रवाई की जरूरत
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।
आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान की हालत मौजूदा समय में हर मोर्चे पर चरमराई हुई है। वह आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और आंतरिक अशांति का सामना कर रहा है। आईएमएफ के बेलआउट पैकेज के भरोसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रोज हिचकोले खा रही है। सेना-राजनीति के बीच टकराव अपने चरम पर है तो लगातार बढ़ती चरमपंथी हिंसा उसकी हालत और कमजोर कर रही है। ऐसे में बर्बादी के कगार पर खड़े पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने के लिए भारत पुरजोर कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान पर लगाए भारत के प्रतिबंध ने पहले ही उसकी पेशानी पर बल ला दिए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या इस कमजोरी का रणनीतिक फायदा उठाया जाए- जैसे सीमित सैन्य कार्रवाई करना या वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर दबाव बनाना? या फिर संयम बरतते हुए पाकिस्तान के और कमजोर होने का इंतजार करना?
सैन्य और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के लिए सबसे अच्छा तरीका होगा कि वह दोनों रास्तों का सही संतुलन बनाए। फिलहाल भारत को संयम रखते हुए दूसरे देशों के साथ अपनी दोस्ती मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और दुनिया भर में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन साथ ही भारत को इसके लिए भी तैयार रहना चाहिए कि अगर पाकिस्तान कोई बड़ा उकसावा करे तो उसे जवाब दिया जा सके। यह संतुलित तरीका भारत को अपने लक्ष्य पाने में मदद करेगा और बिना बड़ी लड़ाई के क्षेत्र में शांति बनी रहेगी।
इस समय पाकिस्तान की गड़बड़ी फैलाने वाली गतिविधियों का जवाब कूटनीति और गुप्त तरीकों से देना चाहिए और सेना को केवल अंतिम विकल्प के रूप में तैयार रखना चाहिए। पहलगाम हमले के बाद काबुल में भारत के संयुक्त सचिव और तालिबान के विदेश मंत्री के बीच हुई बैठक से भारत ने अफगानिस्तान में अपनी वापसी का मजबूत संकेत दिया है। भारत अब अफगानिस्तान के साथ व्यापार और सहायता के जरिए अपने संबंध मजबूत कर रहा है, खासकर ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए। तालिबान भी भारत को अहम साथी मानने लगा है। इससे पाकिस्तान की "स्ट्रेटेजिक डेप्थ" नीति को झटका लगा है, जो वह अफगानिस्तान पर पकड़ बनाए रखने के लिए अपनाता रहा है।
युद्ध के मामले में चीन के सुन जू की रणनीति काफी अहम मानी जाती है। सुन जू एक सैन्य रणनीतिकार, विचारक और जनरल थे। उनकी किताब द आर्ट ऑफ वॉर रणनीति पर दुनिया की प्रसिद्ध पुस्तकों में एक है, जिसे न केवल युद्धनीति में, बल्कि राजनीति, व्यापार और कूटनीति में भी उपयोग किया जाता है। किताब में सुन जू ने बल प्रयोग को अंतिम विकल्प बताया है। उनका कहना था कि असली जीत वह है जो बिना युद्ध के हासिल की जाए। सुन जू का जोर था कि शत्रु को उसकी आंतरिक कमजोरियों से हराना सबसे उच्च कोटि की विजय है।
लेफ्टिनेंट कर्नल रामचंद्रन कहते हैं कि मैं बीते बीस वर्षों से आतंकवादियों की रणनीति को बारीकी से देखता आ रहा हूं। शुरुआत में हम अधिकतर उन आतंकवादियों का मुकाबला करते थे जो सीमा पार से आते थे, और स्थानीय आतंकियों को खास समर्थन नहीं मिलता था। लेकिन अब स्थिति यह है कि विदेशी भाड़े के आतंकियों के साथ-साथ स्थानीय आतंकियों की संख्या भी बराबर हो चुकी है। वर्तमान परिदृश्य में आतंकवादी सुरक्षा बलों की तुलना में आम नागरिकों को अधिक निशाना बना रहे हैं, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर सकें। चाहे वह पहलगाम में पर्यटकों पर हमला हो या शोपियां में बिहारी मजदूरों पर, उनका उद्देश्य है कि भारतीय जनता को कश्मीर आने से डराया जाए। यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की एक साजिश है जिससे कश्मीर में अशांति बनी रहे। वह कहते हैं कि कश्मीर में स्थानीय समर्थन के बिना कोई भी आतंकी गतिविधि नहीं हो सकती। मेरे अनुभव के अनुसार, इस स्थान (पहलगाम) की घटना से पहले अच्छी तरह से रेकी की गई थी। यह एक सुनियोजित घटना थी। आतंकियों को भागने का रास्ता पहले से मालूम था। इसमें स्थानीय मददगारों की भूमिका जरूर रही होगी। संभव है कि आतंकी इन दिनों में किसी स्थानीय निवासी के घर में ही ठहरे हों।
रामचंद्रन कहते हैं कि हमें पाकिस्तान को सभी दिशाओं से कमजोर करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनानी चाहिए। इसमें सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ कूटनीतिक नीति की भी जरूरत है। हमारी सरकार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने में सफल रही है और उन्हें पश्चिमी देशों से बहुत कम समर्थन मिल रहा है। अब दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तान एक "रॉग-स्टेट" है। उन्हें अगर कहीं से कोई सहारा मिलेगा, तो वह शायद चीन से होगा – वो भी सैन्य नहीं, केवल राजनीतिक या आर्थिक। पहले ही वे कर्ज लेकर देश चला रहे हैं। यही वह समय है जब उनकी अर्थव्यवस्था को तोड़ा जा सकता है। मेरा मानना है कि सिंधु जल समझौते (Sindh Water Treaty) को समाप्त करना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। आर्थिक दबाव डालकर उनकी सैन्य ताकत को खत्म किया जा सकता है।
पार्ले पॉलिसी इनिशिएटिव, दक्षिण कोरिया के विशेष सलाहकार (दक्षिण एशिया) के नीरज सिंह मनहास कहते हैं कि आज जब पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुका है, भारत के सामने दो विकल्प हैं – एक, सीमित रूप से सक्रिय रहकर (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक या कूटनीतिक दबाव बनाकर) पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना। दूसरा शांत बैठकर इंतज़ार करना, यानी रणनीतिक धैर्य अपनाना।
सीमित सक्रियता के तहत भारत "कोल्ड स्टार्ट" सिद्धांत को अपनाते हुए छोटे स्तर की सैन्य कार्रवाई कर सकता है ताकि युद्ध न हो लेकिन पाकिस्तान पर दबाव बना रहे। दूसरी ओर, यदि भारत बस शांत बैठा रहता है, तो पाकिस्तान अपनी आंतरिक कमजोरियों से और अधिक टूट सकता है। लेकिन बहुत ज़्यादा इंतज़ार करने पर पाकिस्तान को मौका मिल सकता है कि वह अपनी ताकत फिर से जुटा ले या नए दोस्त बना ले।
सिंधु नदी का पानी रोकना पाकिस्तान पर बड़ी चोट
लेफ्टिनेंट कर्नल रामचंद्रन मानते हैं कि यह एक बड़ी कूटनीतिक चोट है जिसकी पाकिस्तान ने शायद कल्पना भी नहीं की होगी। यह संधि दो बड़े युद्धों और कारगिल तक के दौरान भी बनी रही थी। यह बात सही है कि हमारे पास सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पूरे जल को संग्रह करने के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना नहीं है, लेकिन यदि हम बुवाई के समय पानी रोक दें और कटाई के समय छोड़ें, तो यह उनकी पारिस्थितिकी व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। पाकिस्तान को केवल चुभन नहीं, बल्कि तीव्र पीड़ा का अनुभव होगा।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिशए.एम.जैन कॉलेज, चेन्नई के डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के हेड गौरव पांडेय कहते हैं कि भारत के लिए दोनों रणनीतियों का संतुलित उपयोग सबसे प्रभावी साबित हो सकता है। मौजूदा हालात में भारत को रणनीतिक धैर्य का परिचय देते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की दिशा में पहल करनी चाहिए। इसके तहत मित्र देशों के साथ साझेदारी मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को गति देने और वैश्विक कूटनीतिक अभियानों को तेज करने पर जोर देना होगा।
इसके समानांतर, भारत को सीमित और सटीक प्रतिक्रिया देने का विकल्प भी बनाए रखना चाहिए ताकि पाकिस्तान को तनाव बढ़ाने की कीमत का स्पष्ट संदेश दिया जा सके। इस संतुलित नीति के जरिए भारत अपने दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों को साधते हुए क्षेत्रीय स्थिरता और शक्ति संतुलन बनाए रखने में सफल हो सकता है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत की प्राथमिकता पाकिस्तान की अस्थिरता फैलाने वाली गतिविधियों का लक्षित कूटनीतिक प्रयासों और गुप्त अभियानों के माध्यम से मुकाबला करना होनी चाहिए, जबकि सैन्य विकल्प को केवल एक निवारक के तौर पर तैयार स्थिति में रखा जाए।
नीरज सिंह कहते हैं कि चीन के महान रणनीतिकार सुन जू ने कहा था – "सबसे अच्छी जीत वो है जो बिना लड़े मिले। भारत UN, BRICS और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान का विरोध करके उसका समर्थन कम कर सकता है। भारत क्षेत्रीय व्यापार, ऊर्जा संसाधनों और IMF/World Bank जैसे संस्थानों के जरिए पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव डाल सकता है। योग, बॉलीवुड, भारतीय शिक्षा और संस्कृति के ज़रिए भारत अपने पड़ोसी देशों से गहरे रिश्ते बना सकता है, जिससे उन पर पाकिस्तान का प्रभाव घटेगा।
पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए आक्रामक रवैया अपनाया जाएगौरव पांडेय कहते हैं कि भारत कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर सकता है। भारत दुनिया के सामने यह साफ कर सकता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है, और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और एफएटीएफ जैसे मंचों पर उठा सकता है। आर्थिक मोर्चे पर भारत पाकिस्तान के साथ व्यापार कम कर सकता है और दुनिया से पाकिस्तान पर पाबंदियां लगाने की अपील कर सकता है। मीडिया अभियानों और सांस्कृतिक संपर्कों के जरिए पाकिस्तान को एक आतंकवाद समर्थक देश के रूप में दिखाया जा सकता है। इन तरीकों से बिना युद्ध के पाकिस्तान की साख को कमजोर किया जा सकता है और उसे गलत कदम उठाने से रोका जा सकता है।
कूटनीति, खुफिया गतिविधियां और संवाद के जरिए जीती जाए जंगनीरज सिंह मनहास कहते हैं कि भारत ने पहले भी सीमित सैन्य कार्रवाई की है – 2016 और 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक। इस तरह की कार्रवाई से भारत यह दिखाता है कि वह आतंकवाद को सहन नहीं करेगा। लेकिन बार-बार ऐसे कदम उठाने से क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है। पाकिस्तान की हालत पहले ही खराब है – अगर भारत हमला करता है तो बदले में कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी हो सकता है। इसलिए हमें सावधानी से सोचना होगा। संदेश देना ज़रूरी है, लेकिन क्षेत्र को अस्थिर करना नहीं।
गौरव पांडेय कहते हैं कि भारत को सीमित सैन्य कार्रवाई, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। इससे भारत का संकल्प तो मजबूत दिखेगा, लेकिन इसमें युद्ध बढ़ने का खतरा भी है, क्योंकि पाकिस्तान की परमाणु नीति बहुत गैर-जिम्मेदार है। भले ही आज भारत को दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है, लेकिन किसी भी सैन्य कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी आ सकता है (जैसे इज़राइल के साथ हुआ)। ज्यादा दबाव डालने से पाकिस्तान में अस्थिरता बढ़ सकती है। इसलिए भारत को ऐसी रणनीति अपनानी चाहिए जो कूटनीति, खुफिया गतिविधियां और संवाद के ज़रिए बिना अनावश्यक लड़ाई के अपने हितों को सुरक्षित रखे।
गौरव पांडेय बताते हैं कि जब भारत अफगानिस्तान में अपनी पकड़ बढ़ाएगा, तो पाकिस्तान इसे रोकने के लिए चरमपंथी गुटों को बढ़ावा दे सकता है, भारत के खिलाफ झूठा प्रचार कर सकता है और भारतीय संस्थानों को निशाना बना सकता है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने भी कहा था कि भारत की बढ़ती मौजूदगी से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है। चीन भी पर्दे के पीछे से पाकिस्तान का साथ दे सकता है। भारत को चाहिए कि वह अफगान जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करे, ज्यादा मानवीय सहायता दे और तालिबान के अलावा अन्य गुटों से भी अच्छे संबंध बनाए। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा है कि हमारा मकसद क्षेत्रीय स्थिरता है, और अफगान विदेश मंत्री ने भी माना कि भारत का अफगानिस्तान में भविष्य में बड़ा रोल होगा। "अफगानिस्तान में असली ताकत डर नहीं, बल्कि उम्मीद पैदा करने वालों के हाथ में होगी। भारत को उस उम्मीद का निर्माण करना चाहिए।"
नीरज मानते हैं कि भारत के अफसरों ने हाल ही में तालिबान के विदेश मंत्री से काबुल में जो मुलाकात की, वह इस बात का संकेत है कि भारत अब अफगानिस्तान में फिर से सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है। यह कदम पाकिस्तान की "Strategic Depth" रणनीति को झटका दे सकता है, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान को अपनी रणनीतिक ज़मीन मानता रहा है। भारत अगर अफगानिस्तान में निर्माण कार्य, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में मदद करता है तो यह उसकी मजबूत वापसी होगी। लेकिन तालिबान और पाकिस्तान के घनिष्ठ संबंधों को ध्यान में रखते हुए भारत को सतर्क रहना होगा।
मनहास सलाह देते हैं कि भारत अगर अफगानिस्तान में अपनी पकड़ बनाता है, तो पाकिस्तान ज़रूर वहां के आतंकी गुटों को और बढ़ावा देगा ताकि भारत को रोका जा सके। ऐसे में भारत को इसका जवाब देने के लिए अफगानी सेना और प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था मजबूत करनी होगी। सड़कें, अस्पताल और स्कूल बनाकर स्थानीय जनता का भरोसा जीतना होगा। वहीं अफगान जनजातीय नेताओं से दोस्ती कर पाकिस्तान के प्रभाव को संतुलित करना काफी अहम होगा। निरंतर कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग से भारत अपनी जगह मजबूत बना सकता है।
सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए करनी होगी पुरजोर वकालतबकौल गौरव पांडेय भारत अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्य बनता है तो यह सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक बदलाव भी होगा। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय हैसियत कमजोर हो जाएगी। भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस और खाड़ी देशों का समर्थन मिल रहा है, जो उसकी बढ़ती ताकत को दिखाता है।
चीन, जो यूएनएससी का स्थायी सदस्य है, जरूर भारत के रास्ते में बाधा बन सकता है, लेकिन जैसे-जैसे भारत दुनिया में लोकतंत्र, विकास और स्थिरता का उदाहरण बन रहा है, पाकिस्तान की पुरानी रणनीतियां कमजोर पड़ रही हैं। यूएनएससी में स्थायी सदस्यता पाना मुश्किल है, लेकिन भारत का लगातार बढ़ता प्रभाव पाकिस्तान को अलग-थलग कर देगा और वैश्विक फैसलों में उसकी दखलअंदाजी खत्म कर देगा। अब दुनिया के मंच पर पाकिस्तान की घटती अहमियत साफ दिखने लगी है और भारत का उदय पाकिस्तान की कमज़ोर होती वैश्विक पकड़ का संकेत है।
नीरज सिंह कहते हैं कि भारत को अब वैश्विक ताकतों का बड़ा समर्थन मिल रहा है। अमेरिका भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का समर्थक है। रूस पारंपरिक सहयोगी है, हालांकि अब पाकिस्तान से भी संबंध बढ़ा रहा है। फ्रांस, यूके, जर्मनी भारत के साथ लोकतांत्रिक और आर्थिक मूल्यों के कारण जुड़े हैं। यूएई, सऊदी अरब जैसे खाड़ी देश: भारत के साथ व्यापार और सुरक्षा में गहरी रुचि रखते हैं। भारत अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य बनता है, तो पाकिस्तान की कूटनीतिक ताकत और भी घटेगी। भारत वैश्विक आतंकवाद पर नीति बनाने में अग्रणी बन सकता है, जिससे पाकिस्तान और भी अलग-थलग पड़ेगा।
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Neha Singh Rathore के खिलाफ अब बिहार में शिकायत दर्ज, पहलगाम हमले पर विवादित टिप्पणी का आरोप
जागरण संवाददाता, पटना। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले को लेकर कथित विवादित बयान और टिप्पणी किए जाने से आहत भाजयुमो (भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा) के प्रदेश प्रवक्ता कृष्णा सिंह कल्लू ने यूट्यूबर नेहा सिंह राठौर (Neha Singh Rathore) के विरुद्ध सोमवार को गांधी मैदान थाने में सनहा कराया।
इससे पहले नेहा पर रविवार को लखनऊ (यूपी) के हजरतगंज थाने में देशद्रोह की प्राथमिकी की गई थी। गांधी मैदान थानेदार राजेश कुमार ने बताया कि कृष्णा सिंह कल्लू की ओर से लिखित शिकायत मिली है। मामले की जांच की जा रही है।
आवेदन में कल्लू ने कहा कि उन्हें इंटरनेट मीडिया और टीवी से जानकारी मिली कि नेहा सिंह राठौर ने भारत एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर देश विरोधी टिप्पणी की है। यह संकेत है कि नेहा पाकिस्तानियों से मिली है। उन्होंने पुलवामा हमले पर भी राजनीति की थी और अब पहलगाम को लेकर विवादित बयान दे रही हैं, जिसे पाकिस्तान की मीडिया तेजी से प्रसारित कर रही है।
कवि निर्भीक ने दी थी तहरीरकवि अभय प्रताप सिंह उर्फ निर्भीक ने तथाकथित कवयित्री सह लखनऊ के अंबेडकरनगर की हीडी पकड़िया निवासी नेहा सिंह राठौर के विरुद्ध प्राथमिकी कराई थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि वह अपने एक्स हैंडल से कई गलत टिप्पणी कर रही हैं।
दो समुदाय के विरुद्ध आपसी सौहार्द बिगाड़ने, शांति व्यवस्था को भंग करने के लिए नेहा सिंह राठौर लगातार देश विरोधी बातें कर रही हैं। यही नहीं उनके बयान पाकिस्तान में खूब प्रसारित हो रहे हैं। साथ ही पाकिस्तान में नेहा सिंह राठौर की प्रशंसा हो रही है। सभी देश विरोधी बयान पाकिस्तान की मीडिया में भारत के खिलाफ प्रयोग किए जा रहे हैं।
भाजपा विधायक ने लगाया ISI एजेंट होने का आरोपगाजियाबाद के लोनी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने लोनी थाने में नेहा के खिलाफ शिकायत की है। इसमें उन्होंने कहा है कि नेहा एक्स अकाउंट पर पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर आपत्तिजनक, भ्रामक और देश विरोधी पोस्ट कर रही हैं।
इनसे देश के खिलाफ संयोजित प्रोपेगेंडा और पाकिस्तान के लिए सहानुभूति का माहौल तैयार हो रहा है। इससे यह साबित होता है कि वह भारत में आईएसआई के एजेंट के रूप में कट्टरपंथी देश से फंडिंग लेकर कार्य कर रही हैं।
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पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में घर की चाहत रखने वालों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें कई बार बैंक और बिल्डरों की गठजोड़ के कारण आम लोगों को तकलीफ होती है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को एनसीआर में सुपरटेक लिमिटेड की परियोजनाओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया है। इस जांच के माध्यम से बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ का पता लगाया जा सकेगा।
दरअसल, सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई द्वारा दायर हलफनामे पर विचार किया और उत्तर प्रदेश, हरियाणा के डीजीपी को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के लिए डीएसपी, इंस्पेक्टर, कांस्टेबलों की सूची एजेंसी को देने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने RBI को भी दिए निर्देशवहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ/प्रशासकों, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान और आरबीआई को निर्देश दिया कि वे एसआईटी को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए एक सप्ताह के भीतर अपने वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक नोडल अधिकारी को अधिसूचित करें।
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले कहा था कि हजारों घर खरीदार सब्सिडी योजना से प्रभावित हुए हैं, जहां बैंकों ने निर्धारित समय के भीतर परियोजनाएं पूरी किए बिना बिल्डरों को आवास ऋण राशि का 60 से 70 प्रतिशत भुगतान कर दिया।
पहले एससी ने एसबीआई को दिया था रोडमैप प्रस्तुत करने का आदेशसर्वोच्च न्यायालय ने तब सीबीआई को एक रोडमैप प्रस्तुत करने का आदेश दिया था कि वह "बिल्डर-बैंकों के गठजोड़" को उजागर करने की योजना कैसे बना रहा है, जिसने एनसीआर में हजारों घर खरीदारों को धोखा दिया और मामले की जड़ तक जाने का प्रस्ताव दिया।
जानिए किस मामले पर हो रही सुनवाई
शीर्ष अदालत कई घर खरीदारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फ्लैटों पर कब्जा नहीं होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
Bihar Politics: 'अगर अब भी चुप रहे तो...', पदयात्रा के बीच क्या बोले बिहार कांग्रेस अध्यक्ष? तेज हुई सियासत
राज्य ब्यूरो, पटना। चुनावी वर्ष में बिहार कांग्रेस आक्रामक तेवर के साथ अपने अभियान में जुटी है। इसी कड़ी में मंगलवार को प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम से राजापुर पुल से डॉ राजेंद्र प्रसाद समाधि स्थल तक दो किलोमीटर लंबे तिंरगे के साथ कांग्रेस ने हजारों की संख्या में कांग्रेस नेताओं के साथ संविधान बचाओ पदयात्रा निकाली।
तीन किलोमीटर लंबी इस पदयात्रा का नेतृत्व बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने किया। यात्रा के दौरान पार्टी के कई बड़े नेता भी इसमें शामिल रहे।
यात्रा को संबोधित करते हुए राजेश राम ने कहा कि अगर अब हम संविधान सुरक्षा के लिए आवाज नहीं उठाएंगे तो संविधान नहीं बचेगा। इसलिए हमें चुप नहीं रहना है और इस निरंकुश शासन के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद करना है।
उन्होंने कहा कि संविधान की सुरक्षा के लिए कांग्रेस पार्टी और हमारे नेता से लेकर कार्यकर्ता तक दृढ़ संकल्पित रहे और हर तरीके के बलिदान को तैयार रहें।
हमने देश की निरंकुश सरकार को बता दिया है कि संविधान के मूल आत्मा को बदलने के उनके प्रयास को हम सफल नहीं होने देंगे। संविधान की रक्षा के लिए वो संघर्ष से पीछे नहीं हटेगा।
आज संविधान को वर्तमान सरकार लगातार कमजोर कर रही है ताकि वंचितों के हक की आवाज और प्रयास इस देश के विकास में शामिल ना हो।
हम इसके खिलाफ संघर्ष करते रहेंगे और संविधान सुरक्षा के लिए लगातार सड़कों से लेकर सदनों तक आवाज बुलंद रखेंगे।
क्या बोले प्रभारी सचिव?प्रभारी सचिव देवेंद्र यादव ने कहा कि संविधान ने देश में सभी को समान अधिकार दिया है और लोकतंत्र में बराबरी का संदेश बेहद जरूरी होता है, लेकिन आज वर्तमान सरकार संविधान की आत्मा पर लगातार हमलावर है और यह साफ इशारा करता है कि हमारे देश की समानता, एकता और अखंडता को खत्म करने का प्रयास वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा है।
प्रभारी सचिव शाहनवाज आलम ने कहा कि संविधान ने आम लोगों को शक्तियां प्रदान की है और इन शक्तियों से उनके हक की रक्षा सुनिश्चित होती है, लेकिन जब संविधान में प्रदत्त शक्तियों को कमजोर किया जाएगा तो देश में अस्थिरता आएगी और लोग अपने वाजिब हक से वंचित रह जाएंगे। डॉ मदन मोहन झा ने कहा कि संविधान की रक्षा को आम जनता को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
पैदल यात्रा में चंदन यादव, तौकीर आलम, कौकब कादरी, मोतिलाल शर्मा, कृपानाथ पाठक, अफाक आलम, अवधेश कुमार सिंह, नरेन्द्र कुमार ,डा समीर कुमार सिंह, प्रेमचन्द्र मिश्रा, राजेश राठौड़,जाहिदुर रहमान, प्रतिमा कुमारी दास, छत्रपति यादव के साथ दूसरे कई नेता कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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