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क्या AI को बढ़ा-चढ़ाकर किया जा रहा पेश? नौकरियों पर नहीं पड़ रहा प्रभाव; स्टडी में हुए कई खुलासे

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 10:57pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले एक दो वर्षों में आर्टफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर काफी चर्चा की जा रही है। एआई को लेकर कई धारणाएं बनाई जा रही हैं कि इसके प्रतिदिन के उपयोग के कारण मानवीय नौकरियों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

कुछ जगहों पर दावा किया गया कि एआई के कारण लोगों की नौकरियों पर भी संकट मंडरा सकता है। दावा किया जा रहा है कि लोगों की जगह कई कंपनियों एआई का सहारा लेंगी, जिससे काम आसान और कम समय में होगा। इस बीच एक ऐसी स्टडी सामने आई है, जिसने सभी को चौंका दिया है। एक स्टडी में दावा किया गया कि एआई के आ जाने से भी लोगों के काम पर बहुत ही हल्के परिणाम देखने को मिले हैं।

क्या कहती है स्टडी?

दरअसल, डेनमार्क के नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनामी रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि एआई का इस्तेमाल से कोई खास असर देखने को नहीं मिला। रिपोर्ट बताती है कि एआई की मदद से औसतन एक कर्माचारी ने अपने तीन मिनट बचाए। वहीं, उनकी प्रोडक्टिविटी पर केवल 7 से 8 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला। इस बीच अर्थशास्त्री एंडर्स हम्लम और एमिली वेस्टगार्ड ने शोध पत्र में लिखा कि एआई चैटबॉट्स का किसी भी व्यवसाय में कमाई या रिकॉर्ड किए गए घंटों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।

कितने लोगों पर किया गया अध्ययन?

बताया जा रहा है कि अध्ययन के लिए 7000 ऑफिसों से 25000 कर्मचारियों को चुना गया और इनपर विश्लेषण किया गया। अधिकांश कर्माचरी ऐसे थे जो लेखाकार, ग्राहक सहायता विशेषज्ञ, वित्तीय सलाहकार, मानव संसाधन पेशेवर, सॉफ्टवेर डेवेलपर्स के व्यवसाय से जुड़े थे। ऐसा माना जाता रहा है कि एआई के आने से इन लोगों की नौकरियों पर काफी खतरा है। आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पता चला कि एआई के आने बाद भी मानव श्रमिकों का कोई विस्थापन नहीं मिला।

वहीं, शोधकर्ताओं ने कहा कि एआई के आने पर सबसे ज्यादा कंपनियों ने तेजी दिखाई। वहीं, एआई पर काम करने के लिए कंपनियां बड़ी क्षमता के साथ निवेश कर रही हैं। सामने आए रिपोर्ट आपको हैरान कर सकते हैं, क्योंकि माना जा रहा था कि एआई के आने से नौकरियों पर काफी असर देखने को मिलेगा।

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Atomic Energy: परमाणु ऊर्जा कानूनों में होगा बदलाव? सरकार ने बनाया ये प्लान; जानिए क्या है लक्ष्य

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 10:51pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कानूनों में संशोधन पर विचार कर रही है। 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाना चाहती है। इसके लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित कानूनों में बदलाव की जरूरत महसूस हो रही है।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि निजी क्षेत्र को भागीदारी की अनुमति देने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में बदलाव पर विचार हो रहा है।

परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के लिए उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं पर जवाबदेही सीमित करने के लिए परमाणु क्षति के लिए जवाबदेही कानून में संशोधन की जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार नियामक सुधारों पर भी विचार कर रही है और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इनस्पेस) के माडल का मूल्यांकन कर रही है। इनस्पेस अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए नियामक के रूप में कार्य करता है। 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया था।

वित्त मंत्री ने की थी परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोलने की घोषणा की, जिसे अब तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तक सीमित रखा गया था। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआइएल) देशभर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन करता है। ये परमाणु संयंत्र देश में 8.7 गीगावाट बिजली का योगदान करते हैं। सीतारमण ने छोटे माड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट के साथ परमाणु ऊर्जा मिशन की भी घोषणा की। इसका उद्देश्य 2033 तक पांच स्वदेशी विकसित एसएमआर को क्रियान्वित करना है।

परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में कहा कि परमाणु ऊर्जा मिशन का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना, नियामक ढांचे को सुव्यवस्थित करना और भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना है।

निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए अवरोध साबित हुआ है परमाणु जवाबदेही कानून

भारत ने 2008 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के बाद वैश्विक परमाणु व्यापार में सहभागी बनने के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से छूट प्राप्त की। इसके बाद विदेशी परमाणु ऊर्जा कंपनियों ने भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में रुचि दिखाई है। हालांकि, 2010 का परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए बाधा साबित हुआ। निजी क्षेत्र ने कानून के कुछ प्रविधानों को अस्वीकार्य बताया।

निजी क्षेत्र के अनुसार ये प्रविधान परमाणु क्षति के पूरक मुआवजे के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते (सीएससी) के अनुरूप नहीं हैं। सरकार को उम्मीद है कि 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र निवेश करेगा। 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के इस लक्ष्य में से लगभग 50 प्रतिशत परमाणु ऊर्जा का उत्पादन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से होने की उम्मीद है।

संसदीय समिति ने भी की है मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिश

संसद की एक समिति ने भी मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिश की है जिसमें घरेलू और विदेशी दोनों निवेशों को आकर्षित करने के लिए सरकारी प्रोत्साहन और संप्रभु गारंटी शामिल हो। समिति ने यह सुझाव भी दिया था कि परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधनों में तेजी लाई जाए।

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डिजिटल धोखाधड़ी करने वालों की अब खैर नहीं, साइबर अपराध के मामले में दर्ज होगी e-Zero FIR

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 10:34pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। साइबर धोखाधड़ी के शिकार लोगों को एफआइआर दर्ज कराने के लिए अब पुलिस के चक्कर नहीं काटने होंगे। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आइ4सी) के राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (एनसीआरपी) और हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की गई शिकायत अपने आप ई-जीरो एफआइआर में तबदील हो जाएगी।

गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने साइबर अपराधियों के खिलाफ नकेल कसने के लिए ई-जीरो एफआइआर की सुविधा का शुभारंभ किया। फिलहाल इसे दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है और 10 लाख रुपये से अधिक के साइबर धोखाधड़ी के मामलों में किया जाएगा।

शिकायतें स्वचालित रूप से जीरो एफआइआर में दर्ज हो जाएंगी

अमित शाह ने कहा कि एनसीआरपी पोर्टल या हेल्पलाइन नंबर पर की गई शिकायतें स्वचालित रूप से दिल्ली की ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में जीरो एफआइआर के रूप में दर्ज हो जाएंगी।

उनके अनुसार इससे शिकायतकर्ताओं के गंवाए हुए धन की आसानी से वसूली हो सकेगी और साथ ही साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को भी सुगम बनाएगी।

उन्होंने कहा कि इस सिस्टम से जांच में तेजी आएगी और दिल्ली के बाद जल्द ही इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। दरअसल हाल ही आइ4सी के क्रियाकलापों की समीक्षा बैठक के दौरान अमित शाह ने साइबर अपराध के पीड़ितों की सहायता के लिए इसके लिए जरूरी तकनीकी प्रविधान करने का निर्देश दिया था।

इसके बाद आइ4सी के एनसीपीआर सिस्टम, दिल्ली पुलिस के ई-एफआइआर सिस्टम और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) को एकीकृत किया गया, जिससे साइबर अपराधों में ई-जीरो एफआइआर की सुविधा संभव हो सकी।

जीरो एफआइआर कैसे नियमित एफआइआर में हो सकती है तब्दील

दिल्ली की ई-क्राइम पुलिस स्टेशन पर जीरो एफआइआर दर्ज होने के बाद आगे की कार्रवाई के लिए इसे तत्काल संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस स्टेशन को भेज दिया जाएगा। इसके बाद शिकायतकर्ता तीन के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआइआर को नियमित एफआइआर में तब्दील करा सकता है।

ध्यान देने की बात है कि देश में बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने से लिए गृह मंत्रालय के मातहत आइ4सी का गठन किया गया है, जो एनसीआरपी पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर का संचालन करता है। इसके साथ ही आइ4सी में साइबर अपराधियों के नए केंद्र, नए उभरते तरीकों का विश्लेषण भी किया जाता है। जिसके आधार पर विभिन्न राज्यों की पुलिस साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होती है।

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China's economy slows in April

Business News - May 19, 2025 - 10:32pm
China's economy showed signs of slowing in April as President Donald Trump's trade war took a toll, with retail sales, property and investment coming in weaker than economists had forecast. Industrial production slowed as Trump's painfully high tariffs of up to 145%, and 125% retaliatory duties imposed by Beijing, took effect and shipments were curtailed. National Statistics Bureau spokesperson Fu Linghui said the general trend was positive though he pointed to "external shocks" that had gained intensity. "It should also be noted that there are still many outside unstable and uncertain factors, and the foundation for the continued recovery and improvement of the national economy needs to be further consolidated," Fu said. Here are a few key indicators reported Monday. Retail sales Chinese consumers have been holding back after the shocks of a prolonged downturn in the housing market that is the source of much household wealth. Retail sales rose 5.1% from a year earlier in April, below economists' expectations for a 6% increase. Fu said Beijing would continue to focus on supporting job creation and spurring more domestic demand. He also said China must stop prices from falling. The consumer price index fell 0.1% in April. Such deflation is both a symptom of weak demand and also a factor behind shoppers' reluctance to spend, in hopes of getting better deals later. "The current overall price level is low, which puts pressure on production and companies' operations and affects jobs and incomes, so it's important to promote a reasonable recovery of prices," Fu said. On the U.S. side, consumer sentiment has fallen slightly in May for the fifth straight month, with Americans increasingly worried that the trade war will worsen inflation. Manufacturing Industrial production rose 6.1% from a year earlier, slowing from 7.7% in March as tariffs and other trade barriers bit into exports. The truce in Trump's trade war with China has helped, Fu said, calling it "conducive to the growth of bilateral trade and the recovery of the world." With tariffs paused for 90 days to allow time for talks, shipments have revived as businesses rush to meet back-to-school and other seasonal deadlines. But even before Trump took office for the second time in January, China was under pressure from its trading partners for relying too heavily on exports to absorb its excess industrial production. And if output continues to outpace demand from businesses and consumers, prices will keep falling. "Export-driven gains in factory output could continue given China's manufacturing competitiveness and frontloaded orders before the end of the 90-day truce, but this is coming at a persistent deflationary cost," Louise Loo of Oxford Economics said in a report. Investment and property sales The government reported that fixed asset investment in such things as factories and equipment rose 4% in April in the first four months of the year. However, property investments fell 10.3% year-on-year in January to April. New home prices also edged lower. While manufacturing held up better than expected, the pressures from trade are complicating Beijing's effort to keep turn the housing market around and keep the economic recovery on track. "Establishing a trough on a national level is taking some time, as the recovery of the property market remains uneven and gradual. It's possible that tariff-related pessimism and uncertainty kept more buyers on the sidelines in April," Lynn Song, chief economist for Greater China at ING Economics said in a report.
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कुत्तों के आक्रामक तेवर से दहशत में पटना वाले, कई को काटा; घर के बाहर बैठे बच्चों की नोंच ली मांस

Dainik Jagran - May 19, 2025 - 10:23pm

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी पटना के पाटलिपुत्र क्षेत्र के कुर्जी बालूपर मोहल्ले में सोमवार दोपहर आवारा कुत्तों का आतंक देखने को मिला। एक कुत्ते ने राह चलते एक युवक को काटने के बाद घर के दरवाजे पर बैठे तीन बच्चों को बुरी तरह नोंच डाला। हर बच्चे के शरीर को आधे दर्जन से अधिक जगह पर कुत्ते ने काटा।

लोग जुटे तो भाग गया कुत्ता


यही नहीं बच्चे को बचाने पहुंची महिला को भी कुत्ते ने कई जगह काट लिया। इस बीच स्थानीय लोगों के जुटने पर वह भागा। पांचों लोगों को पहले न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल ले जाया गया। जहां ड्रेसिंग व एंटी रैबीज वैक्सीन देने के बाद गंभीर रूप से घायल तीनों बच्चों को पीएमसीएच रेफर किया गया।

एनएनसीएच में चल रहा इलाज

हालांकि, पीएमसीएच ने बच्चों की हालत देखकर एनएनसीएच स्थित संक्रामक रोड अस्पताल भेजा, जहां उनका इलाज किया जा रहा है। न्यू गार्डिनर रोड के निदेशक डा. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि पांच वर्षीय रचना कुमारी, दो वर्षीय अंकुश कुमार व छह वर्षीय वैष्णवी कुमारी की हालत गंभीर देखकर रेफर किया गया। बताते चलें कि न्यू गार्डिनर में प्रतिदिन औसतन 40 से 50 नए समेत 70 से 80 लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लेने पहुंच रहे हैं।  

घर के बाहर बैठे बच्चों को बनाया शिकार

कुर्जी बालूपर के शक्तिनगर रोड नंबर सात में दोपहर करीब 12 बजे तीन बच्चे घर के बाहर बैठे खेल रहे थे। इसी बीच उधर से गुजर रहे 25 वर्षीय सन्नी कुमार पर कुत्ते ने हमला बोला और काट खाया। सन्नी के भागने के बाद कुत्ते ने घर के बाहर बैठे राकेश प्रसाद की पांच वर्षीय पुत्री रचना कुमारी, दो वर्षीय पुत्र अंकुश कुमार व पड़ोसी विकास कुमार की छह वर्षीय पुत्री वैष्णवी कुमारी पर हमला बोलकर बुरी तरह से नोंच खाया।

चीख सुन आई महिला को नहीं बख्शा

बच्चों की चीख सुन बचाने आई 41 वर्षीय महिला अमृता कुमारी को भी उसने नहीं बख्शा। उसके चिल्लाने पर आसपास के लोग बाहर आए और कुत्ते को भगाया। कुत्ते के भागने के बाद भी इस सड़क के लोग दहशत में हैं और बच्चों को अकेले बाहर नहीं जाने दे रहे। बड़े लोग भी हाथ में डंडा लेकर चल रहे हैं। न्यू गार्डिनर में सभी को ले जाकर इलाज कराया गया। डा. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि रचना, अंकुश व वैष्णवी के शरीर में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर कुत्ते ने नोच खाया है।  

गर्मी उस पर पानी-खाना न मिलने से हुए आक्रामक 

डा. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि आज तो गर्मी अधिक नहीं थी लेकिन सामान्यत: कुत्तों का शरीर जल्दी गर्म हो जाता है। अधिक तापमान, उमस उन्हें चिड़चिड़ा बना देती है। इससे उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है। इसके अलावा गर्मी में सड़क पर रहने वाले कुत्तों को पानी-खाना ढूंढना मुश्किल हो जाता है। भूखा-प्यासा होने के कारण भी वे आक्रामक हो सकते हैं।

गर्मी के कारण बढ़ी समस्या

गर्मी में कुत्ते ठंडी-छायादार जगह तलाशते हैं, वहां किसी के जाने पर वे हमला कर सकते हैं। इसके अलावा गर्मी में संक्रमण का खतरा होता है, यदि कुत्ता पहले से रैबीज संक्रमित है तो वह ज्यादा आक्रामक होता है। कुछ कुत्तों का प्रजनन काल होता है, ऐसे में वे मादा की रक्षा में ज्यादा आक्रामक हो सकते हैं।

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क्या ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी? विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने दिया जवाब

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 10:14pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव पर जानकारी दी।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति को बताया है कि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब दिया है। आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया गया। विक्रम सचिव ने यह भी बताया कि पाकिस्तान को हमले की जानकारी दी गई थी। 

संसदीय समिति का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं। यह समिति भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद कूटनीतिक, सैन्य और क्षेत्रीय प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह बैठक पहलगाम आतंकवादी हमले के कारण सीमा पार बढ़े तनाव के मद्देनजर हो रही है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी।

पाक ने नहीं दी थी न्यूक्लियर हमले की धमकी: विक्रम मिसरी

बैठक के दौरान संसदीय समिति ने कुछ सदस्यों से विक्रम मिसरी से पूछा कि क्या पाकिस्तान की तरफ से किसी तरह के न्यूक्लियर हमले की कोई धमकी दी गई थी? इस पर विदेश सचिव ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से किसी तरह के न्यूक्लियर हमले की धमकी नहीं दी गई थी।

पहलगाम हमले के बाद आतंकियों के ठिकाने हुए तबाह 

22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की जान ले ली। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया। इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक सैन्य तनाव की स्थिति पैदा हो गई।

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विदेशी छात्रों को लुभाने की मुहिम में विश्वविद्यालय के सुस्त रवैए से यूजीसी खफा, जारी किए नए निर्देश

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 10:00pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने और विदेशी छात्रों को लुभाने की मुहिम में जुटे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग( यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों के सुस्त रवैए को लेकर उन्हें एक बार फिर कसा है। साथ ही पूछा है कि विदेशी छात्रों के लिए अतिरिक्त सीटें सृजित करने के उसके निर्देशों का पालन कितना किया गया और कितनी सीटें बढ़ाई गई है।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों सहित सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से तत्काल इसका ब्यौरा मुहैया कराने को कहा है। वैसे भी किसी भी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए विश्वस्तरीय रैंकिंग में जगह बनाने के लिए जरूरी है कि वह अपने यहां विदेशी छात्रों को भी दाखिला दे।यूजीसी ने इसके तहत सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए सितंबर -2022 में एक दिशा-निर्देश जारी किया था और कहा था कि वह जल्द ही अपने संस्थानों में विदेशी छात्रों के लिए सृजित सीटों के अतिरिक्त 25 प्रतिशत और सीटें सृजित करें।

यूजीसी ने इन शिक्षण संस्थानों के लिए दिए ये निर्देश

इस काम को आयोग ने क्रमबद्ध तरीके से करने के निर्देश दिए थे। यानी पहले वर्ष कम से कम दस प्रतिशत और दूसरे वर्ष भी दस प्रतिशत या उससे अधिक सीटें सृजित करने का सुझाव दिया था। सूत्रों के मुताबिक अब तक करीब सौ विश्वविद्यालयों ने ही इस पर अमल शुरू किया है। इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू जैसे शीर्ष के केंद्रीय विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थान व निजी विश्वविद्यालय शामिल है। यह स्थिति तब है जब देश में अकेले 1100 से अधिक विश्वविद्यालय है और कालेजों की संख्या भी 45 हजार से अधिक है। इसके साथ ही यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों से अपने यहां अंतरराष्ट्रीय केंद्र, वीजा हेल्प डेस्क व फीस आदि की पारदर्शी व्यवस्था करने के निर्देश दिए है।

करीब पचास हजार विदेशी छात्र भारत में कर रहे हैं अभी पढ़ाई

उच्च शिक्षण संस्थानों से दाखिले से लेकर वीजा, फीस आदि की व्यवस्था में पारदर्शिता रखने की सलाह के साथ ही यूजीसी सारी जानकारी अपने वेबसाइट पर पारदर्शिता करने को कहा है। मौजूदा समय में वैसे तो दुनिया के करीब 163 देशों के छात्र देश के अलग-अलग उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे है, लेकिन इनकी संख्या सिर्फ पचास हजार ही है। इनमें करीब 28 फीसद छात्र अकेले नेपाल के है। इसके अतिरिक्त अफगानिस्तान के करीब आठ फीसद, बांग्लादेश के करीब छह फीसद, भूटान के करीब चार फीसद और अमेरिका के करीब पांच फीसद होते है।

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Bihar School News: छठी से बारहवीं कक्षा के स्कूलों में सप्ताह में एक दिन स्वास्थ्य की घंटी, आदेश जारी

Dainik Jagran - May 19, 2025 - 9:43pm

राज्य ब्यूरो, पटना। प्रदेश के छठी से बारहवीं कचा तक की पढ़ाई वाले सभी सरकारी विद्यालयों में सप्ताह में एक दिन स्वास्थ्य की घंटी बजेगी। यह घंटी विद्यालय स्वास्थ्य एवं आरोग्य कार्यक्रम के तहत बजेगी। इस घंटी में बच्चे स्वस्थ रहने का पाठ पढ़ेंगे।

इससे संबंधित दिशा-निर्देश शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ की ओर से सोमवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकाधिकारियों को जारी किया गया।

निर्देश के मुताबिक, स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूत अपने-अपने स्कूल में विद्यालय स्वास्थ्य एवं आरोग्य कार्यक्रम सत्रों का कक्षा में प्रभावी संचालन करेंगे। विद्यालय की समय-सारणी में हर सप्ताह एक घंटी विद्यालय स्वास्थ्य एवं आरोग्य कार्यक्रम के लिए निर्धारित होगी। यह घंटी मंगलवार या बुधवार को बजेगी।

शिक्षा विभाग ने दिए ये आदेश

निर्देश में कहा गया कि विद्यालय स्वास्थ्य एवं आरोग्य कार्यक्रम राज्य के सभी जिलों में के संबंधित विद्यालयों में लागू हो गया है। इसके लिए हर जिले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नोडल पदाधिकारी हैं। प्रत्येक स्कूल में दो शिक्षकों को स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूत के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं के जीवन कौशल, शारीरिक, मानसिक और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देना तथा उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करना है।

स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूत अपने स्कूल का मासिक प्रतिवेदन सीएएचपी मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से जमा करेंगे। प्रधानाध्यापकों द्वारा भी विभिन्न कार्यक्रम से संबंधित रिपोर्टिंग मोबाइल एप के माध्यम से करेंगे।

प्रत्येक स्कूल में त्रैमासिक किशोर स्वास्थ्य एवं आरोग्य दिवस का आयोजन होगा। इसकी मासिक समीक्षा प्रखंड स्तर पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा एवं जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा की जाएगी।

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