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'हाई कोर्ट के पूर्व जजों को मिले एक समान पेंशन', सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक-वन पेंशन पर दिया खास आदेश

Dainik Jagran - National - 18 hours 30 min ago

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट के सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए समान पेंशन लाभ का निर्देश दिया, चाहे उनकी नियुक्ति का तरीका या कार्यकाल कुछ भी हो। न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक पद के संबंध में 'वन रैंक, वन पेंशन' का सिद्धांत होना चाहिए।

निर्णय में कहा गया कि सभी मामलों में पेंशन के भुगतान में भेदभाव नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को समान पेंशन मिलनी चाहिए। अतिरिक्त न्यायाधीशों को भी उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीशों के समान पेंशन मिलेगी।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवाई और जस्टिस आगस्टिन जार्ज मसीह और के विनोद चंद्रन की पीठ ने यह निर्णय दिया कि पेंशन लाभ में किसी भी प्रकार का वर्गीकरण, चाहे न्यायाधीश बार से आए हों या जिला न्यायपालिका से, या चाहे वे स्थायी या अतिरिक्त न्यायाधीश हों, भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।

सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को समान पेंशन देने की आवश्यकता

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि क्या एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पूर्ण पेंशन से वंचित किया जा सकता है, अगर उनकी सेवा में अंतर है। प्रधान न्यायाधीश ने 63 पृष्ठों के निर्णय में कहा कि एक रैंक, एक पेंशन का सिद्धांत उच्च न्यायालय के सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को समान पेंशन देने की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा कि हम पाते हैं कि जब एक जज हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पद पर कार्यभार ग्रहण करता है और संवैधानिक वर्ग में प्रवेश करता है, तो नियुक्ति की तिथि के आधार पर कोई भिन्नता स्वीकार्य नहीं होगी। जब एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश कार्यरत होता है, तो उनके प्रवेश के स्त्रोत की परवाह किए बिना, उन्हें समान वेतन और भत्ते प्राप्त होते हैं।

पीठ ने कहा कि जब सभी हाई कोर्ट के जज कार्यरत होते हैं, समान वेतन, भत्ते और लाभ के हकदार होते हैं, तो उनके बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।

मामले में कोर्ट ने और क्या कहा?

न्यायालय ने यह भी कहा कि एक न्यायिक अधिकारी जो न्यायिक सेवाओं से हाई कोर्ट का न्यायाधीश बनता है और दूसरा बार के सदस्य का अनुभव लेकर उच्च न्यायालय का जज बनता है, उसको भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। जिला जज के रूप में सेवानिवृत्त होने की तिथि और हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के बीच की सेवा में अंतर पेंशन के भुगतान के लिए आधार नहीं हो सकता। ऐसे न्यायाधीशों की पेंशन को हाई कोर्ट के जजों के रूप में प्राप्त वेतन के आधार पर होना चाहिए।

एक व्यक्ति जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होता है, भले ही उसे नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू होने के बाद राज्य न्यायपालिका में नियुक्त किया गया हो, उसे हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन और सेवा की शर्तों के अधिनियम, 1954 के तहत सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) का लाभ प्राप्त होगा।

पीठ ने कहा कि स्थायी न्यायाधीश और अतिरिक्त न्यायाधीश के बीच कृत्रिम भेदभाव करना परिभाषा के साथ अन्याय होगा। इसलिए, हम यह स्पष्ट करते हैं कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त अतिरिक्त न्यायाधीशों को भी समान मूल पेंशन, अर्थात 13.50 लाख रुपये प्रति वर्ष प्राप्त होगी। पीठ ने फैमिली पेंशन और ग्रेच्युटी के मुद्दे पर इसे स्पष्ट रूप से मनमाना करार दिया।

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Dubai gold imports get stricter rules in India

Business News - 19 hours 32 min ago
India Monday imposed restrictions on import of gold and silver in unwrought, semi manufactured and powdered form, allowing imports only through nominated agencies, qualified jewellers and valid tariff rate quota holders under the India-UAE Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA).The restrictions are based on Budget FY26 announcement to introduce new HS (Harmonised System) codes or tariff codes for key items like gold dore, silver dore and platinum containing at least 99% platinum.Some importers used this loophole to bring in products that were 99% gold from Dubai, labelling them as platinum alloy to take advantage of lower duties under the India-UAE CEPA.To block this misuse, the government introduced a new HS code specifically for platinum containing 99% or more pure platinum. Only this category qualifies for duty benefits under the pact. Imports under other platinum compositions were restricted. This effectively closed the route for importing gold disguised as platinum."This measure follows the Budget announcement to create separate HS codes to ensure that gold imports don't happen in the name of platinum," said an official, adding that this alignment ensures consistency between customs duties and import regulations. Under the agreement, India agreed to import up to 200 metric tonnes of gold annually from the UAE with a 1 per cent tariff concession under tariff rate quota (TRQ).
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भारत ने मालदीव के साथ किए 13 समझौते, पाकिस्तान की उड़ी नींद; जानिए क्या है ये डील

Dainik Jagran - National - 20 hours 22 min ago

पीटीआई, माले। भारत ने मालदीव के साथ 13 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इनमें 10 करोड़ मालदीव रुपये के अनुदान से फेरी सेवाओं को बढ़ाने, समुद्री संपर्क का विस्तार करने और सामुदायिक आजीविका को बढ़ाने वाली परियोजनाएं शामिल हैं। रविवार को एमओयू पर किया गया हस्ताक्षर उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना चरण-3 के तहत लागू की जाने वाली परियोजनाओं के लिए है।

मालदीव सरकार की ओर से विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील और मालदीव में भारत के उच्चायुक्त जी बालासुब्रमण्यम ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। मालदीव में भारत के उच्चायोग ने कहा कि भारत, मालदीव के लोगों के लिए समुद्री संपर्क बढ़ाने के लिए सरकार के साथ साझेदारी कर खुश है।

दोनों देशों के बीच सहयोग और मजबूत

विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने कहा कि शुरू की गई परियोजनाएं महज ढांचागत विकास से कहीं अधिक हैं। वे लोगों के लिए जीवनरेखा हैं, जिन्हें स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने और स्थायी सामाजिक-आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। इन परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन से दोनों देशों के बीच सहयोग और मजबूत होगा।

इस साल परियोजना पूरा होने की उम्मीद

परिवहन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री मोहम्मद अमीन ने देश भर में हाई-स्पीड फेरी नेटवर्क स्थापित करने में तेजी से हो रही प्रगति पर प्रकाश डाला। यह अब नौ एटोल के 81 द्वीपों को जोड़ रहा है। भारत के साथ यह समझौता इन सेवाओं को और विस्तार देगा। इसे पहले 2027 में पूरा करने की योजना थी, लेकिन अब परियोजना के इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

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Bengaluru Rain: बेंगलुरु में बारिश का कहर, दीवार गिरने से महिला की मौत

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 11:45pm

पीटीआई, बेंगलुरु। भारत की सिलिकॉन सिटी कहे जाने वाले बेंगलुरू में रविवार और सोमवार की दरमियानी रात को छह घंटे से ज्यादा वक्त तक मूसलाधार बारिश हुई। भारी बारिश पूरे शहर का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। भारी बारिश के कारण एक आइटी फर्म की दीवार ढहने से 35 वर्षीय महिला शशिकला की मौत हो गई।

शहर में भारी बारिश से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सड़कों पर पानी भर गया है और कई घरों में भी पानी घुस गया है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है। रेस्क्यू टीमें नाव, जेसीबी और ट्रैक्टर की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।बारिश के कारण उत्पन्न अव्यवस्था को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा

पिछले 24 घंटों में शहर में करीब 104 मिमी बारिश हुई, जिससे कई निचले इलाके जलमग्न हो गए और यातायात जाम हो गया, जिसके चलते भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। भाजपा ने शहर के बुनियादी ढांचे और इससे उत्पन्न नागरिक मुद्दों को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और मल्लेश्वरम के विधायक सीएन अश्वथ नारायण ने शिवकुमार की आलोचना करते हुए कहा कि करोड़ों खर्च किए गए। नतीजा शून्य।

कर्नाटक भाजपा के महासचिव और करकला के विधायक सुनील कुमार करकला ने सरकार से पिछले दो वर्षों में बेंगलुरु के बुनियादी ढांचे पर वास्तव में कितना खर्च किया गया है, इस पर एक श्वेत पत्र जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक बार सिल्क बोर्ड पर आइए, आपको अपना वास्तविक योगदान पता चल जाएगा।

कर्नाटक में अधिकतम कर बेंगलुरु से वसूला जाता है

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि पिछले दो सालों में शहर में कोई विकास कार्य नहीं हुआ, जिसका नतीजा बारिश के कहर के रूप में सामने आया। कर्नाटक में अधिकतम कर बेंगलुरु से वसूला जाता है, लेकिन यहां बुनियादी ढांचे पर आवश्यक निवेश नहीं किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि बारिश के दौरान आइटी राजधानी के सामने आने वाली परेशानियां कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन सरकार अब दीर्घकालिक समाधान के साथ उन्हें ठीक करने के लिए काम कर रही है।

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किसानों का पेट काटकर नेहरू ने पाकिस्तान को दिया पानी, सिंधु जल समझौते पर शिवराज ने कांग्रेस को घेरा

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 11:41pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने सिंधु जल संधि को तत्कालीन केंद्र सरकार की ऐतिहासिक गलती बताया और कहा कि जल विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद जवाहर लाल नेहरू ने किसानों का पेट काटकर पाकिस्तान को पानी दे दिया था, जिसे पीएम नरेन्द्र मोदी ने खत्म कर दिया।

सिंधु जल संधि को ''स्थगन'' में रखने के केंद्र के फैसले को लेकर कृषि मंत्री ने सोमवार को किसानों से संवाद का आयोजन किया था। इसमें उन राज्यों के किसानों को आमंत्रित किया गया था, जिन्हें इस संधि के निरस्त होने पर लाभ मिल सकता है।

संवाद में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल एवं राजस्थान से आए विभिन्न किसान संगठनों ने सरकार को समर्थन दिया। संयुक्त किसान मोर्चा एवं भारतीय किसान यूनियन ने केंद्र के इस निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया। 1960 में भारत-पाकिस्तान में हुई इस संधि को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद स्थगित कर दिया गया है।

सिंधु का पानी किसानों के फायदेमंद: शिवराज सिंह चौहान

शिवराज सिंह चौहान ने सिंधु के जल को देश एवं किसानों के लिए लाभप्रद बताया और कहा कि कृषि एवं अन्य उद्देश्यों में जल के बेहतर उपयोग के लिए व्यापक योजना बनाई जाएगी। इससे राजस्थान से लेकर पंजाब-हरियाणा तक की तकदीर बदल जाएगी।

उन्होंने कहा कि नेहरू ने सिंधु के जल के साथ पाकिस्तान को 83 करोड़ रुपये भी दिए थे, जो वर्तमान में पांच हजार पांच सौ करोड़ के बराबर है।

पाकिस्तान को यह पैसा नहर बनाने के लिए दिया गया था। यह कैसी दरियादिली है कि हम उन्हें पानी दे रहे हैं जो आतंकियों को पैदा कर भारत भेजते हैं। शिवराज ने कहा कि उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में इस संधि का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि हमने पैसे देकर शांति खरीदी है। लेकिन नेहरू ने नहीं माना। हमारा पानी भी गया पैसा भी गया। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कहा था कि अगर नेहरू नहीं होते तो समझौता नहीं होता।

पीएम मोदी ने सालों से चले आ रहे अन्याय को खत्म किया

शिवराज ने इसे ऐतिहासिक अन्याय बताते हुए कहा कि पीएम मोदी ने कई सालों से चले आ रहे अन्याय को खत्म कर दिया। संवाद में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक एमएल. जाट भी मौजूद थे।

किसान सम्मानित कार्यक्रम में पंजाब के फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला गांव के किसान गोमा सिंह को सम्मानित किया गया। उन्होंने पाकिस्तान सीमा पर सेना की जरूरत के लिए अपना घर सौंप दिया था।

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Bihar News: बिहार के युवाओं के लिए 'गुड न्यूज', कारोबार और रोजगार का मौका दे रही ये स्कीम

Dainik Jagran - May 19, 2025 - 11:29pm

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार सरकार पशुपालन के जरिए उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा दे रही है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के तहत एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (NLM-EDP) शुरु किया है। इसमें छोटे जुगाली करने वाले पशु, कुक्कुट और सूअर पालन के साथ-साथ चारा क्षेत्र में उद्यमिता के विकास से रोजगार का सृजन किया जा रहा है।

साथ ही इस कार्यक्रम के तहत पात्र उद्यमियों को अधिकतम 50 फीसदी तक की पूंजीगत सब्सिडी भी दी जा रही है। इसका लाभ निजी व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह (SHG), किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान सहकारिता संस्थाएं (FCO), संयुक्त दायित्व समूह (JLG) और धारा 8 की कंपनियां ले सकती हैं।

किसानों और पशुपालकों के लिए गुणवत्तापूर्ण विस्तार सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए राज्य के पदाधिकारियों और पशुपालकों की क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया जा रहा है। साथ ही, कौशल-आधारित प्रशिक्षण और नई तकनीकों के प्रसार के माध्यम से उत्पादन लागत को कम करने और पशुधन क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत विभिन्न योजनाओं के जरिए पशुपालकों और उद्यमियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जिसमें नस्ल सुधार के माध्यम से प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाना, मांस, अंडा, बकरी का दूध, ऊन और चारे के उत्पादन में वृद्धि करना, चारा बीज की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना, चारा प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करना, और पशुधन बीमा के जरिए जोखिम प्रबंधन को बढ़ावा देना जैसे काम शामिल हैं।

यहां कर सकते हैं संपर्क

इसके अलावा, मुर्गी, भेड़, बकरी पालन और चारा क्षेत्र में अनुप्रयुक्त अनुसंधान को प्राथमिकता दी जा रही है। अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति आधिकारिक वेबसाइट्स https://nlm.udyamimitra.in और www.dahd.nic.in पर संपर्क कर सकते हैं।

यह मिशन बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को एक लाभकारी उद्यम के रूप में स्थापित करने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

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Assam Crime: जादू-टोना के शक में महिला की हत्या, कोर्ट ने 23 लोगों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

Dainik Jagran - National - May 19, 2025 - 11:28pm

डिजिटल डेस्क, डिब्रूगढ़। असम के चराईदेव जिले की एक अदालत ने 13 साल पहले जादू-टोना करने के संदेह में एक महिला की हत्या के मामले में सोमवार को 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

दोषियों को पीड़ित परिवार 

चराईदेव जिला एवं सत्र न्यायाधीश अबूबक्कर सिद्दीकी ने 12 पुरुषों और 11 महिलाओं को अपराध करने के लिए दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, साथ ही प्रत्येक पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने दोषियों को पीड़ित परिवार को 8 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।

पीड़िता को लोगों ने गंभीर शारीरिक यातनाएं दी 

2012 की इस घटना से व्यापक आक्रोश फैल गया था और इसके कारण 13 वर्षों तक लम्बी सुनवाई चली थी। पुलिस ने बताया कि पीड़िता को जादू-टोना करने के संदेह में चराईदेव के जाल्हा गांव में लोगों के एक समूह द्वारा गंभीर शारीरिक यातनाएं दी गई और अंततः उसे आग के हवाले कर दिया गया।

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