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Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों को दिया तोहफा, कहा- सरकार रख रही आपका ध्यान

Dainik Jagran - June 4, 2025 - 8:41pm

राज्य ब्यूरो, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को पटना जिले के अथमलगोला और बाढ़ में कई योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यस किया। उन्होंने अथमलगोला में 20 करोड़ 13 करोड़ रुपये लागत से प्रखंड व अंचल कार्यालय और आवासीय परिसर के नवनिर्मित भवनों का उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री ने नये भवन व परिसर में निरीक्षण कर व्यवस्थाओं और सुविधाओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने अथमलगोला के नवनिर्मित जीविका भवन की चाबी जीविका दीदियों को सौंपी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जीविका दीदियों से कहा कि आपलोग अच्छा काम कर रही हैं, इसी तरह काम करते रहिए। आपलोगों की सुविधाओं और सहूलियत का ध्यान सरकार रख रही है ताकि आपलोग आगे बढ़ें।

भवन की छत पर 50 किलोवाट का सोलर पैनल भी

अथमलगोला में नवनिर्मित जीविका भवन तीन मंजिला है। साथ ही प्रखंड व अंचल कार्यालय परिसर में पदाधिकारियों एवं कर्मियों के लिए आवास भी निर्मित किया गया है। भवन के छत पर 50 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है, जिससे कार्यालय भवन में बिजली की बचत होगी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अथमलगोला में 45.90 करोड़ रुपये लागत से राजकीय अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस-टू विद्यालय के नवनिर्मित भवन का उदघाटन किया। उन्होंने भवन का निरीक्षण किया।

इस भवन में प्रशासनिक भवन सहित विद्यालय भवन, 260-260 बेड का दो छात्रावास भवन एवं 20 शिक्षकों तथा अन्य कर्मियों के लिए आवास का निर्माण किया गया है। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने छात्रावास की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि यह भवन अच्छा बना है। विद्यार्थियों के पठन-पाठन और रहने-सहने की व्यवस्था की गयी है। विद्यार्थियों के लिए खेल मैदान का भी निर्माण कराएं ताकि पढ़ाई के साथ-साथ खेल कूद में भी सक्रिय रहें।

पालिटेक्निक एवं अनुमंडलीय अस्पताल के भवन का उद्घाटन

अथलमगोला के बाद मुख्यमंत्री ने बाढ़ में 72.79 करोड़ रुपये लागत से राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान के नवनिर्मित भवन का उदघाटन किया। मुख्यमंत्री ने शैक्षणिक एवं प्रशासनिक भवन के विभिन्न भागों का निरीक्षण किया। इस दौरान वहां छात्र-छात्राओं से मुलाकात की और लैब को भी देखा।

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आपलोग ठीक से पढ़ाई करें और आगे बढ़ें। मुख्यमंत्री ने राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान परिसर में पौधारोपण भी किया। इस भवन में चार मंजिला प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन तथा छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग छात्रावास का निर्माण किया गया है।

भवन के छत पर 150 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है, जिससे कार्यालय भवन में बिजली की बचत होगी। मुख्यमंत्री ने बाढ़ में 24.70 करोड़ रुपये लागत की 100 बेड वाले नये अस्पताल भवन का उदघाटन किया। उन्होंने अस्पताल के नर्सेज रूम, ओपीडी, भर्ती कक्ष आदि का निरीक्षण भी किया और वहां की व्यवस्थाओं व सुविधाओं की जानकारी ली। इस मौके मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की सारी सुविधाओं का ध्यान रखें ताकि उन्हें इलाज कराने में किसी प्रकार की असुविधा न हो।

100 बेड वाला अस्पताल भवन में अत्याधुनिक सुविधाएं

बाढ़ में 100 बेड वाला अस्पताल भवन चार मंजिला है। इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है। भवन में मेडिकल गैस पाइपलाइन, अग्नि सुरक्षा प्रणाली, लिफ्ट एवं एयर कंडीशन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।

निर्माणाधीन पुल का तेजी से पूरा करने का निर्देश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहादुरपुर के पास बख्तियारपुर-ताजपुर निर्माणाधीन पुल का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ताजपुर से करजान तक बनने वाले इस पुल का निर्माण तेजी से पूर्ण करें। इस पुल के बन जाने से लोगों को आवागमन में काफी सहूलियत होगी। उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार की सम्पर्कता को और आसान बनाने में यह पुल उपयोगी होगा।

कार्यक्रम में मौजूद लोग

उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, विज्ञान प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुमित कुमार सिंह, भवन निर्माण मंत्री जयंत राज, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री हरि सहनी, विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू, विधायक नीलम देवी, विधान पार्षद नीरज कुमार, विकास आयुक्त एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डा.एस. सिद्धार्थ, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, पथ निर्माण विभाग के सचिव संदीप आर. पुदुकलकट्टी, आयुक्त डा.चंद्रशेखर सिंह, बिहार राज्य पथ विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शीर्षत कपिल अशोक, जिलाधिकारी डा. त्यागराजन एस.एम. एवं वरीय पुलिस अधीक्षक अवकाश कुमार।

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Scam alert! Sebi warns investors against fraudulent communications demanding fines, using fake logos

Business News - June 4, 2025 - 6:52pm
The Securities and Exchange Board of India (Sebi) has issued a public advisory cautioning investors regarding fraudulent communications circulated by unidentified individuals who falsely claim to be SEBI officials. These impostors are reportedly misusing SEBI’s official letterhead, logo, and seal to send fabricated notices and demands via social media platforms.In a media release issued on Wednesday, Sebi said that some of these fraudulent messages demand fines to prevent regulatory action while others include forged sale certificates pretending to validate purchase of PACL properties or issue fake usage certificates of third-party vendor accounts.These activities are part of a broader scam attempting to deceive investors and extort money under the guise of regulatory enforcement.The market watchdog clarified that genuine communications from the regulator can be verified directly through its official website, www.sebi.gov.in. Each official document carries verifiable identifiers:Orders issued by SEBI bear a unique reference number and can be accessed under Home > Enforcement > Orders.Recovery Certificates are listed under Home > Enforcement > Recovery Proceedings.Notices, summons, or any formal letters issued by SEBI include a Unique Document Identification Number (UDIN), which can be verified under Home > Authenticate Document Number Issued by SEBI.SEBI officials' contact details, including names, email IDs, and phone numbers, are publicly available under Home > About > SEBI Directory.Official SEBI emails are sent only from addresses ending in @sebi.gov.in.The market regulator has urged the public to exercise caution and verify the authenticity of any suspicious communications, especially those demanding payments. Investors are advised not to fall prey to such scams and to report any suspicious correspondence immediately.(Disclaimer: Recommendations, suggestions, views and opinions given by the experts are their own. These do not represent the views of Economic Times)
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जानवरों से इंसानों तक: भारत में जूनोटिक संक्रमणों की खामोश दस्तक

Dainik Jagran - National - June 4, 2025 - 6:38pm

 नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी।

आईसीएमआर के अध्ययन की रिपोर्ट में सामने आया कि 2018 से 2023 के बीच आठ प्रतिशत संक्रामक रोग पशुओं से मनुष्यों में फैले है। यह रिपोर्ट ज़ूनोटिक बीमारियों पर आधारित है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि इन जूनोटिक बीमारियों में जापानी इंसेफेलाइटिस सबसे आम था, जो कुल जूनोटिक प्रकोपों का 29.5 फीसदी था। इसके बाद लेप्टोस्पायरोसिस (18.7 फीसदी) और स्क्रब टायफस (13.9 फीसदी) का स्थान रहा।

वहीं भारत में क्षेत्रीय आधार पर देखें तो देश के पूर्वोत्तर हिस्से में सबसे ज्यादा 35.8 फीसदी प्रकोप सामने आए हैं। वहीं इसके बाद दक्षिण भारत (31.7 फीसदी) और पश्चिम भारत (15.4 फीसदी) में इनका सबसे ज्यादा प्रकोप देखा गया।

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट 2022 की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत और चीन नए जूनोटिक वायरल बीमारी के सबसे बड़े हॉटस्पॉट बन सकते हैं। स्टडी में कहा गया कि कम से कम 10 हजार वायरस प्रजातियों में मनुष्यों को संक्रमित करने की क्षमता है।

आईसीएमआरके पूर्व वैज्ञानिक रमेश धीमान कहते हैं कि जानवरों से होने वाली बीमारियां भारत में तेजी से बढ़ रही हैं। इसका मुख्य कारण जानवरों के परिवेश में इंसानों का बढ़ता दखल है। तराई इलाकों में भी आबादी तेजी से बढ़ी है।

पिछले कुछ अध्ययनों में पाया गया कि चिकनगुनिया, स्क्रब टायफस और त्वचीय लीशमैनियासिस जैसे जूनोटिक रोग पश्चिमी राजस्थान से हिमाचल प्रदेश, केरल और हरियाणा में बढ़ते हुए देखे गए हैं। असम में वेस्ट नाइल वायरस, और जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) के गैर-स्थानिक क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र और दिल्ली में जेई के मरीज पाए जाने लगे हैं। इस पर और अध्ययन किए जाने और तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड के सेक्रेटरी जनरल डॉक्टर इश्वर गिलाडा कहते हैं कि इंसानों ने अपने लालच के चलते जानवरों का परिवेश तबाह कर दिया है। बड़े पैमाने पर जंगली जानवरों को खाने का चलन भी आया है। ऐसे में बड़ी संख्या में जानवरों से होने वाली बीमारियां बढ़ी हैं। एक अनुमान के मुताबिक पिछले 40 सालों में जो भी नई बीमारियां आई हैं उनमें से 70 फीसदी जानवरों से आई हैं। इसमें नीपा वायरस, सार्स, एचआईवी, मैड काऊ, इबोला और एच वन एन वन जैसी बीमारियां शामिल हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि अगर हम जानवरों के परिवेश में घुसेंगे तो हमें कई तरह की चुनौतियां का सामना करना होगा। हमें अभी खाद्य आदतों पर भी ध्यान देना होगा।

अध्ययन में कहा गया है कि दुनियाभर में महामारी और प्रकोपों का बड़ा कारण नई या दोबारा से उभरती बीमारियां हैं, जिनमें से करीब दो-तिहाई रोग जानवरों से इंसानों में फैलते हैं। देखा जाए तो इसके लिए कहीं न कहीं हम इंसान ही जिम्मेवार हैं।

जूनोटिक बीमारी बन सकती है बड़ा खतरा

केजीएमसी के डॉक्टर (जूनोटिक पर शोध पत्र प्रकाशित कर चुके) डॉक्टर विभोर अग्रवाल कहते हैं कि वर्तमान में, बड़ी संख्या में ऐसे वायरस, बैक्टीरिया या फंगस हैं जो महामारी का कारण बन सकते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में जानवरों से आए हैं। डब्लूएचओ ने इनकी एक संभावित सूची भी तैयार की है। लेकिन अगली महामारी का कारण क्या होगा इसकी अभी कोई जानकारी नहीं है। आने वाले समय में जूनोटिक बीमारियां एक बड़ा खतरा बन सकती हैं। हमें अभी इस इस तरह के प्रयास करने होंगे कि इन बीमारियों के संक्रमण के खतरे को रोका जा सके और अगर संक्रमण होता है तो हमें इससे कैसे लड़ना है इसकी तैयारी करनी होगी।

इबोला, कोरोना से लाखों लोगों की हर साल जान जा रही

अगर इंसानों ने पर्यावरण और जंगली जीवों को नहीं बचाया तो उसे कोरोना जैसी और खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं जूनोटिक बीमारियां जैसे जीका वायरस, इबोला और कोरोना से लाखों लोगों की हर साल जान जा रही है।

कोविड महामारी के बाद पूरी दुनिया में इस बात को लेकर बहस छिड़ी है की भविष्य में इस तरह की महामारियों से भविष्य में कैसे निपटा जाए। ऐसे में वैज्ञानिकों के एक समूह ने सुझाव दिया है कि महामारियों के आने पर उनसे जूझने की बजाए उन्हें रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम किया जाना काफी किफायती और फायदेमंद कदम होगा। www.science.org में छपी एक रिपोर्ट के वैज्ञानिकों ने तीन ऐसे कदम बताए हैं जिनसे आने वाले समय में महामारियों को रोकने में मदद मिल सकती है।

बढ़ा आर्थिक बोझ

वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछली सदी में वायरल प्राणीजन्य महामारियों के चलते करोड़ों लोगों की जान चली गई और इन महामारियों से लड़ने में सरकारों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ में भी लगातार वृद्धि हुई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक बड़ी संख्या में वायरस को आश्रय देने के लिए जाने जाने वाले वन्यजीवों के साथ मनुष्य कई तरह से संपर्क में आते हैं। इन वायरसों में से कई अभी तक मनुष्यों में नहीं फैले हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं ने उभरते हुए वायरस जिसने खतरनाक महामारी फैल सकती है उनसे संभावित वार्षिक नुकसान की गणना की। शोधकर्ताओं ने पाया कि भविष्य की महामारियों के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ व्यावहारिक कदम तुरंत उठाए जाने की जरूरत है। इनमें रोगजनक स्पिलओवर की बेहतर निगरानी, वायरस जीनोमिक्स और सीरोलॉजी के वैश्विक डेटाबेस का विकास, वन्यजीव व्यापार का बेहतर प्रबंधन और वनों की कटाई में पर्याप्त कमी शामिल है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि महामारियों की रोकथाम के लिए उठाए जाने वाले प्राथमिक कदमों की लागत हर साल उभरते वायरल ज़ूनोज के लिए खोए गए जीवन के मूल्य के 1/20 वें हिस्से से भी कम है, साथ ही इसके कई फायदे भी हैं।

इतने लोगों की गई जान

इस बीमारी के चलते 1918 में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान गई थी। इसी तरह एच2एन2 इन्फ्लुएंजा 11 लाख, लासा बुखार 2.5 लाख, एड्स 1.07 करोड़, एच1एन1 2.8 लाख और कोरोनावायरस 40 लाख से ज्यादा लोगों की जान अब तक ले चुका है। पिछलों कुछ वर्षों में इंसानों में जानवरों से होने वाली बीमारियों यानी 'जूनोटिक डिजीज' में इजाफा हुआ है। इबोला, बर्ड फ्लू और सार्स जैसी बामारियां इसी श्रेणी में आती हैं। पहले ये बीमारियां जानवरों और पक्षियों में होती हैं और फिर उनके जरिए इंसानों को अपना शिकार बना लेती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जूनोटिक बीमारियों के बढ़ने की एक बड़ी वजह खुद इंसान और उसके फैसले हैं।

भारत को इन बीमारियों से आगाह रहना होगा

वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ एनीमल एंड फिशरी साइंसेज के प्रोफेसर सिद्धार्थ एन जोरदार कहते हैं कि कांगो फीवर का प्रभाव अब गुजरात और महाराष्ट्र में हो रहा है। पहले यह अफ्रीका के देशों में होता था। जोनोसेस निपाह, हेंड्रा वायरस, सेरेमन कांगो फीवर, कायसनूर फॉरेस्ट डिजीज आदि से भारत को बेहद सावधान रहने की आवश्यकता है।

ये उठाने होंगे कदम

इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डा. यशपाल सिंह मलिक कहते हैं कि हमें हर जानवर से फैलने वाली संभावित बीमारी का पता होना चाहिए। भारत मे भी जूनोटिक बीमारियों का खतरा काफी अधिक है। भारत मे बंदरो से भी इंसान में बीमारी फैल चुकी है। ऐसे में हमे इस विषय को गंभीरता से लेते हुए काम करना होगा।

प्रोफेसर सिद्धार्थ कहते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और सर्विलांस की वजह से यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। प्रयोगशालाएं सीमित है। वैज्ञानिक और सरकारें अभी इसे लेकर व्यापक स्तर पर कोई प्रोजेक्ट नहीं चला रही है। हम बड़े पैमाने पर इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाना होगा।

दुनिया में सख्त वन्यजीव व्यापार प्रतिबंधों की जरूरत

वैज्ञानिकों के मुताबिक जंगली जानवरों को पकड़ने और उनके व्यापार से वायरस फैलने के जोखिम को कम करने के लिए पूरी दुनिया में सख्त वन्यजीव व्यापार प्रतिबंधों की जरूरत है। वहीं उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई को धीमा करना वायरसों को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि वायरस की प्राथमिक रोकथाम पर खर्च बीमारी के इलाज पर खर्च की तुलना में बेहद मामूली होता है।

विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से एक ग्लोबल प्रिपेयरनेस मॉनिटरिंग बोर्ड बनाया गया है जो इस बात की निगरानी कर रहा है कि हम आने वाली महामारियों के लिए कितने तैयार हैं। इस बोर्ड को लक्ष्य दिया गया है कि वो ग्लोबल हेल्थ क्राइसिस को मैनेज करने के लिए पहले से ही तैयारियां करके रखे। 100 वर्षों में इंसान नए वायरस की वजह से होने वाले छह तरह के खतरनाक संक्रमण का सामना कर चुका है।

यूएन एनवायरमेंट प्रोग्राम की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इंगर एंडरसन ने कहा कि पिछले 100 वर्षों में इंसान नए वायरस की वजह से होने वाले कम से कम छह तरह के खतरनाक संक्रमण का सामना कर चुका है। मध्यम और निम्न आय वर्ग वाले देशों में हर साल कई लाख लोगों की मौत गिल्टी रोग, चौपायों से होने वाली टीबी और रेबीज जैसी जूनोटिक बीमारियों के कारण हो जाती है। इतना ही नहीं, इन बीमारियों से न जाने कितना आर्थिक नुकसान भी होता है।

जूनोटिक बीमारियां

वह रोग जो पशुओं के माध्यम से मनुष्य में और मनुष्य से फिर पशुओं में फैलते हैं, उन्हें जूनोसिस या जूनोटिक रोग कहा जाता है। ये रोग 2300 ईसा पूर्व से चले आ रहे हैं। जूनोटिक संक्रमण प्रकृति या मनुष्यों में जानवरों के अलावा बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के माध्यम से फैलता है। जूनोटिक रोगों में मलेरिया, एचआइवी एडस, इबोला, कोरोना वायरस रोग, रेबीज आदि शामिल हैं। इन बीमारियों में खास यह है कि यह समय के हिसाब से खुद को म्यूटेट करते रहते हैं। ऐसे में एक वायरस पर प्रभावी वैक्सीन आ भी जाए तो वह जरूरी नहीं कि दूसरे पर भी असर करेगी।

जूनोटिक रोग बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद अथवा परजीवी किसी भी रोगकारक से हो सकते हैं। भारत में होने वाले जूनोटिक रोगों में रेबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, इबोला, निपाह, ग्लैंडर्स, सालमोनेलोसिस इत्यादि शामिल हैं। दुनिया में लगभग 150 जूनोटिक रोग हैं।

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गुरुद्वारे की जमीन को वक्फ बोर्ड ने बताई अपनी संपत्ति, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला; अदालत ने की ये टिप्पणी

Dainik Jagran - National - June 4, 2025 - 6:38pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के शाहदरा स्थित एक गुरुद्वारे की जमीन को वक्फ भूमि बताते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। दिल्ली वक्फ बोर्ड का दावा था कि शाहदरा में जिस जमीन पर गुरुद्वारा बना हुआ है, वह वक्फ की जमीन है और आजादी से पहले वहां एक मस्जिद थी।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि गुरुद्वारा कई दशकों से वहां पर है, इसलिए वक्फ बोर्ड को पीछे हट जाना चाहिए। इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया था।

शाहदरा इलाके में स्थित है गुरुद्वारा

ये पूरा मामला शाहदरा स्थित गुरुद्वारे की जमीन से जुड़ा है। इसे वक्फ की संपत्ति बताते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने वहां मस्जिद होने का दावा किया था। बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील संजय घोष ने कहा कि निचली अदालतों में मस्जिद होने के दावे को स्वीकार किया था।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जब गुरुद्वारा वहां अच्छी तरह संचालित हो रहा है, तो उसे रहने दें। एक धार्मिक संरचना पहले से चल रही है, इसलिए वक्फ बोर्ड को खुद पीछे हट जाना चाहिए। जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि आपको खुद ही दावे को छोड़ देना चाहिए।

2010 में वक्फ बोर्ड की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था, जिसके बाद बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में कहा गया था कि वहां मस्जिद तकिया बब्बर शाह स्थित थी और जमीन वक्फ को दी गई थी। हालांकि प्रतिवादी का तर्क था कि संपत्ति वक्फ की नहीं रह गई, क्योंकि उसके तत्कालीन मालिक मोहम्मद अहसान ने इसे 1953 में बेच दिया था।

यह भी पढ़ें: मुस्लिमों की ‘उम्मीद’ बनेगा वक्फ, सरकार 6 जून को लॉन्च करेगी पोर्टल

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Caste Census Data 2027: 1 मार्च 2027 से शुरू होगी जनगणना, जातिगत आंकड़े भी होंगे शामिल

Dainik Jagran - National - June 4, 2025 - 6:37pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में 17 साल बाद फिर राष्ट्रीय जनगणना होने जा रहा है। सूत्रों के अनुसार जनगणना 1 मार्च 2027 से शुरू होगी। जनगणना, जाति जनगणना (National Population Census In India)  के साथ ही की जाएगी। राष्ट्रीय जनगणना दो चरणों में की जाएगी। उत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे पहले। सूत्रों ने बताया कि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जनगणना 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी।

खबर अपडेट की जा रही है। 

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Bengaluru Stampede चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़, सात लोगों की मौत और कई घायल;

Dainik Jagran - National - June 4, 2025 - 6:31pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Bengaluru Stampede। आरसीबी विक्ट्री परेड (RCB Victory Parade) से पहले बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ मच गई। समाचार एजेंसी रॉयटर ने टीवी चैनलों के हवाले से जानकारी दी है कि भगदड़ में अब तक सात लोगों की मौत हुई है।

बता दें कि आईपीएल फे फानल मुकाबले में आरसीबी ने पंजाब को 6 रन से हरा दिया। आरसीबी पहली बार आईपीएल चैंपियन बनी है। थोड़ी देर में कर्नाटक विधानसभा से चिन्नास्वामी स्टेडियम आरसीबी परेड निकलने वाली है। 

हजारों की तादाद में चिन्नास्वामी पहुंचे RCB फैंस 

घायलों को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। हादसे के पीछे की वजह आयोजकों की लापरवाही बताई जा रही है। हजारों की तादाद में आरसीबी फैंस जीत का जश्न मनाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम पहुंचे हैं। वहीं, बड़ी संख्या में लोग स्टेडियम के बाहर मौजूद हैं। मंगलवार रात से ही आरसीबी फैंस जीत का जश्न मना रहे हैं।

हम लोगों पर लाठी चार्ज नहीं कर सकते: डीके शिवकुमार

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भगदड़ को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा,"मौत को लेकर कुछ भी पुष्टि नहीं कर सकते। हमने 5,000 से अधिक कर्मियों की व्यवस्था की थी। यह एक युवा उत्साही भीड़ है, हम लाठी चार्ज नहीं कर सकते।"

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छह लड़ाकू विमान, C-130 एयरक्राफ्ट... IAF ने पाकिस्तान में मचाई थी भारी तबाही, पढ़ें दुश्मन देश को कितना पहुंचा नुकसान

Dainik Jagran - National - June 4, 2025 - 6:26pm

एएनआइ,नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि भारत की क्रूज एवं सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों ने पाकिस्तानी वायुसेना के छह लड़ाकू विमानों, दो अन्य अहम विमानों, 10 से अधिक अनमैन्ड काम्बैट एरियल व्हीकल (यूसीएवी), एक सी-130 परिवहन विमान के साथ कई क्रूज मिसाइलों को नष्ट कर दिया। हालांकि भारतीय वायुसेना अभी भी संघर्ष के दौरान एकत्रित भारी मात्रा में आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है।

पाकिस्तान के विरुद्ध अभियान में शामिल रहे सूत्रों ने बताया कि मार गिराए गए दो अहम विमानों में से एक या तो काउंटर मेजर्स एयरक्राफ्ट या एयरबोर्न अर्ली वार्निंग या कंट्रोल एयरक्राफ्ट हो सकता है जिसे सुदर्शन ने 300 किलोमीटर की दूरी पर नष्ट कर दिया।

स्वीडन निर्मित एक अन्य एईडब्ल्यूसी विमान नष्ट हुआ

चार दिवसीय संघर्ष के दौरान भोलारी एयरबेस पर क्रूज मिसाइलों से किए गए हमले में स्वीडन निर्मित एक अन्य एईडब्ल्यूसी विमान नष्ट हो गया। हैंगर में लड़ाकू विमानों की मौजूदगी के बारे में भी जानकारी है, लेकिन पाकिस्तान वहां से मलबा नहीं निकाल रहा इसलिए जमीन पर लड़ाकू विमानों के नुकसान की गिनती नहीं की गई है।

भारतीय वायुसेना की रडार एवं वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों ने पाकिस्तानी विमानों को कैप्चर कर लिया था और वायु रक्षा प्रणालियों के हमले के बाद उन्हें गायब होते देखा गया था। पाकिस्तानी वायुसेना ने पाकिस्तानी पंजाब में भारतीय वायुसेना के ड्रोन हमलों में अपना एक सी-130 परिवहन विमान भी गंवा दिया।

सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला करने में केवल हवा से लांच की जाने वाली क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया, इनमें सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग नहीं किया गया। राफेल और एसयू-30 विमानों के एक हमले में बड़ी संख्या में लंबी दूरी तक मध्यम ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम चीन ¨वग लूंग श्रेणी के ड्रोन नष्ट हो गए। साथ ही 10 से अधिक यूसीएवी को भी नष्ट कर दिया गया।

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