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Sikandar box office collection day 4: Salman Khan film sees 50% drop as Eid festivities end, crosses 80 crore - Hindustan Times
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फर्जी पासपोर्ट या वीजा पर 7 साल की सजा...Immigration & Foreigners Bill 2025 राज्यसभा में पारित, विपक्ष ने किया वॉकआउट
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेशियों के आव्रजन, भारत में प्रवेश और ठहरने को विनियमित करने वाला 'आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025' बुधवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया। यह विधेयक 27 मार्च, 2025 को लोकसभा में पारित किया गया था। विधेयक में विपक्षी सदस्यों द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को अस्वीकार किए जाने के बाद राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।
विधेयक में एक प्रमुख प्रविधान यह है कि भारत में प्रवेश करने या देश में रहने या देश से बाहर जाने के लिए फर्जी पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को सात साल तक की जेल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
कड़ी निगरानी का भा प्रविधान?विधेयक में भारत आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर कड़ी निगरानी रखने का भी प्रविधान है। प्रस्तावित कानून में होटल, विश्वविद्यालय, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम द्वारा विदेशियों के बारे में अनिवार्य रूप से सूचना देने का प्रविधान है, ताकि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने वाले विदेशियों पर नजर रखी जा सके।
बहरहाल, इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछली कांग्रेस सरकार और पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार पर अवैध प्रवासियों को देश में प्रवेश करने में ''मदद'' करने और मतदाता सूची तथा राशन कार्ड में उनके नाम शामिल करके उनके ठहरने को ''सुविधाजनक'' बनाने का आरोप लगाया।
हालांकि, इस पर कांग्रेस और तृणमूल के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों के साथ सदन से वाकआउट कर गए।चर्चा के दौरान राय ने कहा, ''26 सदस्यों ने विधेयक पर अपने विचार व्यक्त किए। हमारे विश्वविद्यालयों, शिक्षा प्रणाली और अर्थव्यवस्था को विश्वस्तरीय बनाने के लिए यह विधेयक लाना आवश्यक था।'' उन्होंने कहा कि देश में उन सभी लोगों का स्वागत है जो शिक्षा, शोध और विकास कार्यों के लिए यहां आते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उन सभी विदेशी नागरिकों से निपटने की जरूरत है जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।
विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए: सिंघवीकांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस विधेयक से यह संदेश जाता है कि सभी विदेशी ''संभावित अपराधी'' हैं, जिन्हें भारत द्वारा गंभीर संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए। विधेयक का विरोध करते हुए उन्होंने मांग की कि इसे स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह निम्न अधिकारियों को अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और इसमें अपील, निगरानी और जवाबदेही के प्रविधानों का अभाव है।
उन्होंने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण केवल उस मानसिकता को दर्शाता है जिसमें विदेशियों को सम्मान और गरिमा वाले व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि ''अवमानना और घृणा की वस्तु'' के रूप में देखा जाता है। समानता, जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार जैसे संवैधानिक प्रविधानों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संविधान नागरिकों के समान ही गैर-नागरिकों को भी कई अधिकारों की गारंटी देता है।
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नेवी की 'तीसरी आंख' ने कर दिया कमाल, समुद्र के बीच 2500 किलो ड्रग्स हुआ बरामद
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के अग्रणी युद्धपोत आइएनएस तरकश ने पश्चिमी हिंद महासागर में 2,500 किलोग्राम से अधिक ड्रग्स जब्त की है। 31 मार्च को नौसेना को कुछ जहाजों की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद अभियान चलाकर ये ड्रग्स जब्त किया गया। इस ड्रग्स में 2,386 किलोग्राम हशीश और 121 किलोग्राम हेरोइन शामिल है। यह सीलबंद पैकेटों में भरी हुई थी।
नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि आसपास के सभी संदिग्ध जहाजों से पूछताछ करने के बाद आइएनएस तरकश ने भारतीय नेवी की तीसरी आंख कहे जाने वाले पी8आइ समुद्री निगरानी विमान और मुंबई में समुद्री परिचालन केंद्र के साथ मिलकर एक संदिग्ध जहाज को रोका। इस दौरान संदिग्ध जहाज की गतिविधियों पर नजर रखने और क्षेत्र में संभावित रूप से संचालित अन्य जहाजों की पहचान करने के लिए अपने हेलीकॉप्टर को भी भेजा।
तलाशी और पूछताछ में सामने आई जानकारीअधिकारी ने बताया कि मरीन कमांडो के साथ एक विशेषज्ञ टीम ने जब संदिग्ध जहाज पर सवार होकर उसकी गहन तलाशी ली तो उसमें कई सीलबंद पैकेट बरामद हुए। उन्होंने बताया कि तलाशी और पूछताछ में पता चला कि जहाज पर विभिन्न कार्गो होल्ड और कंपार्टमेंट में 2,500 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ रखा हुआ था।
आइएनएस तरकश भारतीय नौसेना का एक प्रमुख फ्रिगेटप्रवक्ता ने बताया कि संदिग्ध जहाज को बाद में आइएनएस तरकश के नियंत्रण में लाया गया और चालक दल के सदस्यों से उनकी कार्यप्रणाली और क्षेत्र में अन्य समान जहाजों की मौजूदगी के बारे में विस्तृत पूछताछ की गई। बता दें कि आइएनएस तरकश भारतीय नौसेना का एक प्रमुख फ्रिगेट है, जो पश्चिमी नौसैनिक कमान के तहत आपरेट किया जा रहा है।
यह जब्ती समुद्र में मादक पदार्थों की तस्करी सहित अवैध गतिविधियों को रोकने और नियंत्रित करने में भारतीय नौसेना की प्रभावशीलता एवं कार्यकुशलता को दर्शाती है। भारतीय नौसेना का लक्ष्य ¨हद महासागर क्षेत्र (आइओआर) में सुरक्षा, स्थिरता एवं समृद्धि को बढ़ावा देना है।
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'मस्जिदों और दरगाहों पर...', वक्फ संशोधन बिल पर क्या बोले सम्राट चौधरी; लालू यादव पर साधा निशाना
राज्य ब्यूरो, पटना। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोकसभा में पेश वक्फ संशोधन बिल गरीब एवं पिछड़े मुसलमानों के पक्ष में है, लेकिन लालू यादव सहित विपक्ष के कई नेता वोट बैंक की राजनीति के तहत बिल पर देश को गुमराह कर रहे हैं।
सम्राट ने कहा कि लालू यादव ने यूपीए सरकार के समय 2010 में स्वीकार किया था कि वक्फ के नाम पर लोगों की कीमती जमीन हड़पी जा रही है, इसलिए इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए वक्फ कानून में संशोधन कर कड़े प्रावधान करने चाहिए।
'15 साल बाद जब पीएम मोदी...'उन्होंने कहा कि 15 साल बाद जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने व्यापक विचार-विमर्श के साथ वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया है, तब लालू इसका विरोध कर रहे हैं। कानून का पालन करते हुए बनी मस्जिदों-दरगाहों पर वक्फ संशोधन बिल का कोई असर नहीं पड़ेगा, इसलिए मुस्लिम समाज के जागरूक लोग बिल के समर्थन में आगे आने लगे हैं। इस बदलाव से विपक्ष के पेट में दर्द हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वक्फ कानून की विसंगति दूर कर यह बिल वक्फ बोर्ड को अधिक संवैधानिक बनाने वाला हैं। अब किसी जमीन पर वक्फ के दावे को एकतरफा लागू नहीं किया जा सकेगा, बल्कि उसे अदालत में चुनौती दी जा सकेगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि देश संविधान से चलेगा, वही लोग वक्फ बोर्ड को असंवैधानिक तरीके से चलाते रहना चाहते हैं।
विपक्ष व मुस्लिम संगठनों का विरोध राजनीति से प्रेरित: मंगल पांडेयस्वास्थ्य व विधि मंत्री मंगल पांडेय ने वक्फ संशोधन बिल-2024 को बुधवार को संसद में पेश किए जाने का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक पहल बताया है।
उन्होंने कहा कि इस बिल को पारित करने के पीछे सरकार का उद्देश्य पुराने वक्फ कानून को पारदर्शी व न्यायसंगत बनाना है। विपक्ष व मुस्लिम संगठनों का विरोध तुष्टिकरण की राजनीति से प्रेरित है। 2022 से अब तक देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में वक्फ एक्ट से जुड़ी करीब 120 याचिकाएं दायर कर मौजूदा कानून में कई खामियां बताई गईं।
पांडेय ने कहा कि पुराने वक्फ कानून की खामियों की वजह से आम लोगों के लिए वक्फ जैसी ताकतवर संस्था के फैसले को कोर्ट में चौलेंज करना आसान नहीं है। इन याचिकाकर्ताओं की सबसे महत्वपूर्ण मांग है कि धार्मिक आधार पर कोई ट्रिब्यूनल नहीं होना चाहिए। वक्फ संपत्तियों पर फैसला सिविल कानून से हो, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल से।
संशोधित वक्फ कानून के पारित होने व अस्तित्व में आने के बाद न केवल कई पेचीदगियों का समाधान होगा बल्कि पारदर्शी तरीके से आम व गरीब मुसलमानों के कल्याणार्थ वक्फ परिसम्पतियों का प्रबंधन भी संभव होगा। विभिन्न तबकों की मुस्लिम महिलाओं व गरीबों को उनका वाजिब हक मिल सकेगा।
वक्फ संशोधन विधेयक अन्याय के जड़ पर प्रहार: दानिश इकबालभाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल ने वक्फ संशोधन विधेयक की प्रशंसा करते हुए कहा है कि वक्फ संशोधन विधेयक अन्याय के जड़ पर प्रहार है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड आज सिर्फ कुछ लोगों के हाथ में है, जबकि इस विधेयक के पास हो जाने के बाद यह बोर्ड पारदर्शी और जवाबदेह बन जाएगा।
इकबाल ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग इसे असंवैधानिक व मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध है। वक्फ बोर्ड आज कुछ सीमित लोगों के हाथ में है। यह संशोधन पहले ही पास हो जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, सही अर्थों में वक्फ की संपत्ति गरीब मुस्लिमों के लिए थी, लेकिन आज कुछ भू-माफिया इन संपत्तियों के ठेकेदार बने हुए हैं। इस विधेयक का विरोध करने वालों को यह बताना चाहिए कि किसी गरीब मुस्लिम को वक्फ से फायदा हुआ। कितने अस्पताल खुले, कितने स्कूल खुले।
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Bihar Politics: तीसरे दांव में भी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी चित, फिर भी पराजय धमकदार
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) तो बिहार में काफी पहले से सक्रिय थे, जबकि पिछले वर्ष दो अक्टूबर से उनकी जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) भी अस्तित्व में आ गई। उससे पहले पीके का आंदोलन पदयात्रा और संवाद तक सीमित था, फिर भी उसका राजनीतिक रंग उभर ही आता था।
अलबत्ता जसुपा के साथ पीके की चुनावी यात्रा की शुरुआत हुई, जो अभी तक कांटों से ही रही है। आगे विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) है, जिसके लिए जीत का हौसला बनाए रखने की चुनौती तीन अलग-अलग चुनावों में मिली हार के बाद बढ़ गई है।
पहली हार विधानसभा के उपचुनाव में हुई थी और दूसरी विधान परिषद के लिए तिरहुत (स्नातक) क्षेत्र के उपचुनाव में। तीसरी हार पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में हुई है, जो ताजातरीन है। नि:संदेह इन तीनों चुनावों में जसुपा की पराजय हुई, लेकिन मिलने वाले वोट बता रहे कि मैदान में उसकी उपस्थिति कमजोर भी नहीं कही जा सकती।
तीनों चुनाव क्यों हारी जसुपा?इन तीनों चुनावों से जसुपा को एक सीख समान रूप से मिल रही। वह प्रत्याशियों के चयन में सूझबूझ है। हड़बड़ी के कारण या पूर्व तैयारी नहीं होने से वह तीनों चुनावों में इस मोर्चे पर गच्चा खा चुकी है। दिसंबर, 2024 मेंं हुए विधानसभा उपचुनाव में उसे कुल चार में से अपने दो प्रत्याशी बदलने पड़े थे। फिर भी उसे 10 प्रतिशत से कुछ अधिक मत मिले थे।
इतना वोट कम नहीं होता, जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव मेंं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से मात्र 0.3 प्रतिशत कम मत पाकर महागठबंधन सत्ता से वंचित रह गया था। तब दोनों गठबंधनों के बीच 15 सीटों का अंतर रहा था। लगभग तीन दर्जन सीटों पर जदयू की संभावना मात्र 5.66 प्रतिशत मत पाने वाली लोजपा के कारण प्रभावित हुई थी।
विधान परिषद उपचुनाव में क्या हुआ?विधान परिषद के उपचुनाव में निर्दलीय वंशीधर बृजवासी विजयी हुए थे। वे जसुपा के अघोषित प्रत्याशी थे, लेकिन खर्च आदि के मुद्दे पर बात नहीं बनी। अंतत: जसुपा विनायक गौतम को ले आई। बृजवासी को मिले 23003 मतों की तुलना में 10195 मत लेकर विनायक दूसरे स्थान पर रहे। राजद और जदयू को क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
छात्र संघ चुनावछात्र संघ के चुनाव में तो जदयू मैदान में ही नहीं था, जबकि राजद समर्थित सभी प्रत्याशियों की करारी हार हुई। जसुपा ने लगभग सभी सीटों पर विरोधियों को करारी टक्कर दी। हालांकि, उसका एक भी प्रत्याशी विजयी नहीं रहा, लेकिन युवाओं का उसे अच्छा समर्थन मिला है। कोषाध्यक्ष पद पर उसके प्रत्याशी ब्रजेश 1528 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे, जबकि एनएसयूआइ 901 मतों के अंतर से विजयी रहा था।
महासचिव के पद पर उसकी प्रत्याशी ऋतंभरा राय 753 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहीं। इस चुनाव में जसुपा की सर्वोत्तम उपलब्धि अनु कुमारी के नाम संयुक्त सचिव के पद पर रही। यहां जीत-हार का निर्णय मात्र 182 वोटों से हुआ, जबकि अनु 2091 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहीं।
हालांकि, प्रत्याशियों के चयन की सीख यहां भी मिली। दिवेश दीनू अध्यक्ष पद के प्रत्याशी थे। विद्यार्थी परिषद से मिलीभगत के कारण उनसे हाथ पीछे खींच जसुपा को एनएसयूआइ को समर्थन देना पड़ा था।
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'पिछड़े मुस्लिम-महिलाओं की वक्फ में भागीदारी से परेशानी क्यों', बीजेपी सांसद ने Waqf Amendment Bill के समझाए कानूनी प्रविधान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में दोनों ओर से जमकर तर्क-बाण चले। विपक्ष की ओर से इसका विरोध किया गया तो सत्ता पक्ष की ओर से संविधान का हवाला और मुस्लिम पिछड़ों और महिलाओं की भलाई का हवाला दिया।
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई द्वारा उठाए गए बिंदुओं का जिक्र करते हुए स्पष्ट करना चाहा कि संविधान के मौलिक अधिकार में धारा 15 है, जिसमें लिखा है कि महिलाओं के साथ कोई भी भेद नहीं होगा और सरकार महिलाओं के विकास के लिए कोई भी कानून बना सकती है। यदि यह वक्फ बिल खवातीनों के लिए, वक्फ में उनकी भूमिका के लिए लाया जा रहा है तो असंवैधानिक कैसे हो गया? वहीं, संविधान की धारा 15 में यह भी लिखा हुआ है कि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के विकास के लिए सरकार कार्यवाही कर सकती है। पिछड़े मुसलमानों को अभी वक्फ के मैनेजमेंट में अवसर नहीं मिलता। संशोधन बिल में इसका प्रविधान किया जा रहा है कि पिछड़े मुसलमानों को भी वक्फ में जगह दी जाएगी तो इसमें विपक्ष को परेशानी क्यों है?
Wafq is not a religious body and just a statutory body: Ravi Shankar Prasad#WaqfAmendmentBill #WaqfBill #WaqfBoard pic.twitter.com/DxL1AsNJp9
— DD News (@DDNewslive) April 2, 2025 वक्फ धार्मिक नहीं, वैधानिक संस्था: बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसादसांसद रविशंकर ने तर्क दिया कि वक्फ धार्मिक नहीं, वैधानिक संस्था है। मुतवल्ली को सिर्फ मैनेजर बोलते हैं। यह वक्फ बोर्ड की आठ लाख की संपत्ति के मैनेजर हैं। यह संपत्ति लूटी जा रही है तो क्या सरकार खामोश रहेगी? उन्होंने सवाल किया कि आठ लाख संपत्ति में कितने अस्पताल, स्कूल, स्किल सेंटर या अनाथालय बने? विधवा-बेटियों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने के लिए क्या व्यवस्था की गई?
#WaqfAmendmentBill
BJP MP Ravi Shankar Prasad says, "Today, I want to raise this question before Parliament—how many schools have been built on Waqf property? How many hospitals, skill centres, and orphanages have been established on Waqf land?..."#WaqfBill | #Waqf | #LokSabha… pic.twitter.com/7ruhz9iCpw
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश जितना हिंदुओं का है, उतना ही मुस्लिमों का है, लेकिन मुस्लिमों के आदर्श क्या वोटों की दलाली करने वाले होंगे? हमें लगा था कि वोटों की सौदागरी बंद होगी, लेकिन बंद नहीं हुई। देश बदल रहा है। कांग्रेस कहां थी, कहां आ गई। राजीव गांधी को 400 सीटें मिली थीं, लेकिन शाहबानो केस के बाद आज तक बहुमत नहीं मिला।
वक्फ बन गया था अत्याचार और भ्रष्टाचार का अड्डा: अनुराग ठाकुरइसी तरह अनुराग ठाकुर ने कहा कि वक्फ को बदलने का वक्त आ गया है, क्योंकि यह अत्याचार और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। भारत को वक्फ के खौफ से आजादी चाहिए। यह हिंदुस्तान है, पाकिस्तान या तालिबान नहीं है। यहां बाबा साहेब का संविधान चलेगा, मुगलिया फरमान नहीं चलने वाला।
उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के लिए संपत्तियों का प्रबंधन करना था, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने इस भूमि को वोटबैंक का एटीएम बनाकर रख दिया। अपने तेवर और तीखे करते हुए आरोप लगाया कि 1947 का विभाजन देश ने देखा, जो कि एक परिवार और पार्टी के कारण हुआ। आज लैंड जिहाद के नाम पर दूसरा विभाजन नहीं होने देंगे। राहुल गांधी और अखिलेश यादव से पूछा कि क्या मुस्लिम समुदाय में भी भेदभाव या छुआछूत है? फिर कहा कि यह विधेयक कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण का अंतिम संस्कार करने वाला है।
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Waqf Amendment Bill: 'आप हाथ छोड़कर चले गए...', अखिलेश ने मोदी सरकार के इस मंत्री को दिया साथ आने का खुला ऑफर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को पेश हुए Waqf Amendment Bill की चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अलग भाजपा और उसके सहयोगी दलों पर जमकर निशाना साधा।
लोकसभा चुनाव 2025 के पहले तक जेडीयू विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा थी, लेकिन बाद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के खेमे में चले गए। अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हल्के-फुल्के अंदाज में लेकिन बड़े राजनीतिक संकेतों के साथ केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता ललन सिंह को साथ आने का खुला ऑफर दे दिया।
अखिलेश का जेडीयू पर तंजयह वाकया तब हुआ जब जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने संसद में अपना बयान दिया। उनके बोलने के बाद अखिलेश यादव ने मुस्कुराते हुए तंज कसा, "आप हमें छोड़कर चले गए। सभापति महोदया, देखिए राजनीति कैसी होती है! हमने इनका हाथ पकड़ा और यहां तक आए, लेकिन इन्होंने हमारा हाथ छुड़ा लिया और वहां चले गए। हो सकता है, कल फिर हमारा और इनका हाथ मिल जाए!"
वक्फ बिल को लेकर क्या बोले अखिलेश यादव?सपा अध्यक्ष ने कहा, "यह वक्फ बिल जो लाया जा रहा है ये अपने वोट बैंक को संभालने के लिए और समाज को बाटने के लिए है। जो इससे पहले फैसले लिए सरकार ने क्या उससे देश और प्रदेश में बड़ा बदलाव आ गया?"
"यह वक्फ बिल जो लाया जा रहा है ये अपने वोट बैंक को संभालने के लिए और समाज को बाटने के लिए है। जो इससे पहले फैसले लिए सरकार ने क्या उससे देश और प्रदेश में बड़ा बदलाव आ गया?"
- माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी pic.twitter.com/l2vJCyySqd
वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ बोलते हुए अखिलेश ने भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरी को लेकर सवाल उठाते हुए तंज किया।
अखिलेश ने कहा, जो पार्टी ये कहती हो कि वो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, वो अब तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाई हैं।
#WATCH | Samajwadi Party chief and MP Akhilesh Yadav takes jibe at BJP; he said, "The party that calls itself the world's largest party has not yet been able to choose its national president."
Replying to him, Union HM Amit Shah said, "All the parties in front of me, their… pic.twitter.com/9zX6mAejzz
हालांकि इस तंज पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष में जो भी पार्टी बैठी है, वहां परिवार में से ही किसी को अध्यक्ष चुनना होता है। जबकि हमारे यहां 12-13 करोड़ सदस्य हैं, चुनाव की प्रक्रिया होती है, इसीलिए देर लगती है।
अमित शाह बोले, "आपके यहां चुनाव नहीं होता इसीलिए देर नहीं लगती। मैं कह देता हूं कि आप अगले 25 साल तक अपनी पार्टी के अध्यक्ष हो, और कोई नहीं बन सकता। अमित शाह के इस जवाब पर अखिलेश यादव हाथ जोड़ते नजर आए।
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Bihar Bhumi: लैंड म्यूटेशन को लेकर सरकार सख्त, इन अफसरों पर गिरेगी गाज; अंचलों की बन गई लिस्ट
राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा बैठक में विभागीय मंत्री संजय सरावगी ने सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया। बुधवार को हुई समीक्षा बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह तथा सचिव जय सिंह भी मौजूद थे।
दाखिल-खारिज मामलों में विगत छह महीनों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले पदाधिकारियों पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मंत्री ने कार्रवाई का आदेश दिया।
मंत्री ने कहा कि कई छोटे-मोटे कारणों की वजह से अंचलाधिकारियों द्वारा दाखिल-खारिज के मामलों को अस्वीकृत कर दिया जाता है।
खराब प्रदर्शन में लखीसराय का पिपरिया अंचल सबसे ऊपरबैठक में बताया गया कि प्राप्त आवेदनों को अस्वीकृत करने के आधार पर खराब प्रदर्शन करने वाले अंचलों में लखीसराय का पिपरिया अंचल पहले स्थान पर है।
इस अंचल में अंचलाधिकारी द्वारा विगत वर्ष में दाखिल खारिज के कुल प्राप्त आवेदनों में से 65.12% आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया गया है। दूसरे स्थान पर दरभंगा का जाले है, जहां दाखिल खारिज आवेदनों को अस्वीकृत करने का प्रतिशत 62.96 है।
तीसरे स्थान पर भोजपुर का अगियांव (55.21%), चौथे स्थान पर किशनगंज का ठाकुरगंज (55.15%), पांचवें स्थान पर जहानाबाद का मोदनगंज (53.91%), छठे स्थान पर भोजपुर का बरहरा (53.52%), सातवें पर अररिया का जोकीहाट (52.38%), आठवें पर मधुबनी का जयनगर (50.30%), नौवें पर खगड़िया का बेलदौर (50.09%) तथा दसवें स्थान पर दरभंगा का कुशेश्वर स्थान पूर्वी (49.62%) है।
सबसे अच्छा प्रदर्शनकैमूर के नुआंव अंचल का प्रदर्शन सबसे अच्छा है। यहां कुल प्राप्त आवेदनों में से मात्र 6.74% आवेदनों को ही अस्वीकृत किया गया है। दूसरे स्थान पर नालंदा का एकंगरसराय (7.44%), तीसरे स्थान पर लखीसराय का हलसी (8.93%), चौथे स्थान पर कैमूर का मोहनियां (9.24%), पांचवें स्थान पर मुजफ्फरपुर का मुरौल अंचल (9.54%)।
छठे स्थान पर वैशाली का पातेपुर (9.60%), सातवें स्थान पर पूर्णिया का श्रीनगर अंचल (9.71%), आठवें पर सीतामढ़ी का बाजपट्टी (10.26%), नौवें पर लखीसराय का बरहिया (10.53%) तथा दसवें स्थान पर कैमूर का रामपुर अंचल (11.06%) है।
अपना नम्बर डालेंमंत्री ने समीक्षा बैठक के दौरान यह भी कहा कि आमजनों को दाखिल खारिज हेतु आवेदन करते समय अपना ही मोबाइल नंबर डालना चाहिये। सीएससी सेंटर या साइबर कैफे से आवेदन करते वक्त भी यह ध्यान रखें कि मोबाइल नंबर कैफे वाले का न डालें, बल्कि आवेदक सजग होकर अपना फोन नंबर दें।
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