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ट्रांसफर का आवेदन देने वाले बिहार के एक लाख 90 हजार टीचरों के लिए अच्छी खबर, सरकार ने दिया मौका
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में विभिन्न कारणों से ऐच्छिक स्थानातंरण के लिए एक लाख 90 हजार जिन शिक्षकों ने आवेदन किया है, उनमें से जो शिक्षक अब स्थानातंरण नहीं चाह रहे हैं और वर्तमान विद्यालय में ही बने रहना चाहते हैं तो उन शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने स्थानातंरण संबंधी आवेदन को वापस लेने का मौका मुहैया कराया है। स्थानातंरण संबंधी आवेदन वापस लेने के लिए मंगलवार को ई-शिक्षाकोष पोर्टल को खोला जा रहा है, ताकि जो शिक्षक अब स्थानातंरण नहीं चाह रहे हैं वो अपना आवेदन वापस ले सकें।
ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर आवेदन वापस ले सकते हैंशिक्षा विभाग के मुताबिक इस व्यवस्था से उन शिक्षकों को राहत मिलेगी, जिन्होंने स्थानातंरण के लिए आवेदन किया है, लेकिन अब चाह रहे हैं कि वर्तमान विद्यालय में ही बने रहें। ऐसे शिक्षक अपनी आइडी और पासवर्ड का उपयोग कर ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर आवेदन वापस ले सकते हैं।
अन्य शिक्षकों को स्थानातंरण का विकल्प बढ़ जाएगाइससे अन्य शिक्षकों को स्थानातंरण का विकल्प बढ़ जाएगा। विगत सप्ताह शिक्षा विभाग ने एक लाख 30 हजार शिक्षकों को स्थानांतरित करते हुए उनके पदस्थापन को जिला आवंटित कर रहा है। जिला शिक्षा पदाधिकारी के स्तर से शिक्षकों को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर विद्यालय आवंटित किया जा रहा है, जो 15 जून तक पूरा किया जाना है।
शिक्षकों को स्थानातंरण संबंधी पत्र मिल जाएगा20 जून को शिक्षकों को स्थानातंरण संबंधी पत्र मिल जाएगा। 23 से 30 जून तक नव पदस्थापित विद्यालयों में शिक्षकों को योगदान करना है। इस बीच स्थानातंरण के लिए आवेदन देने वाले बड़ी संख्या में शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव से स्थानातंरण का आवेदन वापस लेने का विकल्प मांगा है।
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Safeguard Duty: भारत की शिकायत पर अमेरिका ने WTO में दिया जवाब, अब भारत के सामने क्या हैं विकल्प
प्राइम टीम, नई दिल्ली। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के इस दावे को खारिज किया है कि स्टील और एल्युमीनियम आयात पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत सेफगार्ड उपाय हैं। अमेरिका ने 23 मई 2025 को डब्ल्यूटीओ को भेजे अपने जवाब में कहा है कि ये टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से धारा 232 के तहत लगाए गए थे। ये टैरिफ GATT व्यापार समझौते के अनुच्छेद XXI के अंतर्गत आते हैं, सेफगार्ड समझौते (safeguard agreement) के अंतर्गत नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के इस जवाब के बाद अब भारत के पास कई विकल्प हैं। भारत इस विवाद को डब्ल्यूटीओ की बॉडी के सामने रखे, एकतरफा जवाबी कार्रवाई करे या अमेरिका के साथ बातचीत कर समाधान निकाले। अभी भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते पर बात चल रही है। इस बातचीत में भारत टैरिफ हटाने का दबाव डालकर इस मुद्दे को हल करने का प्रयास कर सकता है।
भारत ने की थी डब्ल्यूटीओ में शिकायतदरअसल, भारत ने 9 मई 2025 को सेफगार्ड एग्रीमेंट के अनुच्छेद 12.5 के तहत डब्ल्यूटीओ को एक औपचारिक नोटिफिकेशन दिया। उसमें भारत ने डब्ल्यूटीओ को बताया कि वह स्टील, एल्युमीनियम और उनसे बने उत्पादों पर अमेरिका के टैरिफ के जवाब में सेफगार्ड समझौते के अनुच्छेद 8.2 के तहत दी जा रही रियायतों को निलंबित करना चाहता है। भारत के अनुसार अमेरिका ने 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम (U.S. Trade Expansion Act) की धारा 232 के तहत ये टैरिफ लगाए हैं, इसलिए भारत को रियायतें वापस लेने का अधिकार है।
WTO को नोटिस देकर एक तरह से भारत ने उसके नियमों का पालन किया है। नियम के अनुसार अगर कोई देश बिना उचित नोटिफिकेशन या सलाह-मशविरा के सेफगार्ड उपाय लागू करता है तो दूसरे देश को जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है। अपने नोटिस में भारत ने कहा कि उसे अमेरिका के टैरिफ बढ़ने से जितना नुकसान होगा उतने के बराबर अमेरिका से आयात पर टैरिफ बढ़ा सकता है। भारत का आकलन है कि अमेरिका की सेफगार्ड ड्यूटी (safeguard duty) से भारत का 7.6 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा और अमेरिका को 1.91 अरब डॉलर अतिरिक्त टैरिफ की कमाई होगी। बातचीत न होने या अमेरिका के कदम वापस नहीं लेने की स्थिति में भारत के जवाबी टैरिफ 8 जून से लागू होंगे।
अमेरिका ने 2018 में जब राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ लगाया था, तब भी भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी। अपनी पहले कार्यकाल में ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाने के अलावा जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) के तहत भारत को दी गई छूट खत्म कर दी थी। उसके जवाब में भारत ने जून 2019 में अमेरिका से आयात होने वाले बादाम, सेब, केमिकल समेत कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया था। दोनों देश 2023 में डब्ल्यूटीओ में चल रहे छह विवाद खत्म करने पर सहमत हुए तब यह टैरिफ वापस लिए गए।
भारत की शिकायत पर अमेरिका का जवाबइसके जवाब में अमेरिका ने 22 मई 2025 को अपना औपचारिक जवाब दिया, जिसे डब्ल्यूटीटओ ने अगले दिन प्रसारित किया। अमेरिका के अनुसार ये टैरिफ धारा 232 के तहत विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से लगाए गए थे। ये टैरिफ जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड (GATT) 1994 के अनुच्छेद XXI के तहत लागू किए गए थे, अनुच्छेद XIX या WTO के सेफगार्ड नियमों के तहत नहीं। यह अंतर इसलिए मायने रखता है क्योंकि सेफगार्ड एग्रीमेंट का अनुच्छेद 8.2 किसी देश को रियायतें निलंबित करने की अनुमति केवल तभी देता है जब कोई सेफगार्ड उपाय लागू किया गया हो, जिससे अमेरिका इनकार कर रहा है।
अमेरिका ने एक प्रक्रियागत मुद्दे का भी जिक्र किया है। भारत ने 11 अप्रैल 2025 को अनुच्छेद 12.3 के तहत बातचीत का अनुरोध किया था। अमेरिका ने 16 अप्रैल 2025 को इसका जवाब दिया, उसका दावा है कि उसके बाद भारत की तरफ से कोई पहल नहीं की गई। अमेरिका का तर्क है कि भारत परामर्श के चरण को पूरा करने में विफल रहा है, इसलिए वह अनुच्छेद 8.2 के तहत जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकता है। सेफगार्ड का प्रावधान लागू हो तब भी नहीं, हालांकि अमेरिका इससे इनकार कर रहा है। अमेरिका ने कहा है कि वह सेफगार्ड एग्रीमेंट के तहत धारा 232 टैरिफ पर चर्चा नहीं करेगा।
भारत के पास अब क्या हैं विकल्पथिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका के इस जवाब के बाद भारत के पास कई विकल्प हैं। एक विकल्प औपचारिक रूप से WTO विवाद निपटाने वाली बॉडी में जाना है। इसमें भारत सेफगार्ड एग्रीमेंट के तहत नहीं, बल्कि GATT नियमों के तहत धारा 232 टैरिफ को संरक्षणवादी बता सकता है। भारत यह तर्क दे सकता है कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा के अपवाद का दुरुपयोग कर रहा है। हालांकि इस तरह के कानूनी मार्ग में जोखिम है, क्योंकि अमेरिका का राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर WTO के फैसलों की अनदेखी करने का इतिहास रहा है। वह अपने खिलाफ किसी भी प्रतिकूल निर्णय के खिलाफ WTO अपीलेट बॉडी में जा सकता है। यह बॉडी अभी काम नहीं कर रही है इसलिए मामला वहां पड़ा रहेगा।
एक और विकल्प यह होगा कि वह डब्ल्यूटीओ की अनुमति न मिलने पर भी अपने स्तर पर जवाबी टैरिफ लगाए। यूरोपियन यूनियन, कनाडा और चीन जैसे देशों ने अमेरिका के धारा 232 टैरिफ के खिलाफ ऐसा किया है। इससे स्पष्ट संदेश तो जाएगा, लेकिन साथ ही अमेरिका की तरफ से भी कार्रवाई किए जाने और कानूनी उलझनों का जोखिम भी रहेगा।
श्रीवास्तव का कहना है कि भले ही भारत के पास कई कानूनी और कूटनीतिक विकल्प हों, लेकिन तुरंत कार्रवाई न करना बेहतर हो सकता है। इसके बजाय, द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता का उपयोग करके भारत इस मुद्दे को सुलझाने का व्यावहारिक मार्ग अपना सकता है। एफटीए सौदे के हिस्से के रूप में स्टील और एल्युमीनियम पर धारा 232 टैरिफ खत्म करने या कम करने के लिए अमेरिका पर दबाव डालकर भारत बातचीत के जरिए समाधान प्राप्त कर सकता है।
अमेरिका स्टील और एल्युमीनियम आयात पर दोगुना कर चुका है शुल्कराष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते स्टील और एल्युमीनियम आयात पर टैरिफ दोगुना करने की घोषणा की। निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को 25% से बढ़ाकर 50% करने की घोषणा पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इस बढ़े हुए टैरिफ से भारत के स्टील और एल्युमीनियम निर्यात, विशेष रूप से मूल्यवर्धित और तैयार स्टील उत्पादों तथा ऑटो-कंपोनेंट निर्यात में दिक्कत आ सकती है।
FIEO अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा कि अमेरिका में स्टील और एल्युमीनियम आयात शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि का भारत के स्टील निर्यात पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से स्टेनलेस स्टील पाइप, स्ट्रक्चरल स्टील कंपोनेंट और ऑटोमोटिव स्टील पार्ट्स जैसी श्रेणी में परेशानी बढ़ सकती है। ये उत्पाद भारत के बढ़ते इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा हैं। शुल्क बढ़ने से अमेरिकी बाजार में हमारी प्रतिस्पर्धी क्षमता कम हो सकती है।
फियो के अनुसार भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को लगभग 6.2 अरब डॉलर के स्टील और फिनिश्ड स्टील उत्पादों का निर्यात किया। इसके अलावा 0.86 अरब डॉलर के एल्युमीनियम और उसके उत्पादों का भी निर्यात किया गया। अमेरिका भारतीय स्टील निर्माताओं के लिए शीर्ष गंतव्यों में से एक है।
भारतीय सेना के जखीरे में S-400 का आएगा 'नया स्टॉक', रूस ने कहा- 'पाक के साथ संघर्ष में कारगार रहा Air Defence सिस्टम'
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले महीने हुए सैन्य संघर्ष में भारत के लिए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम रक्षा कवच की तरह सुरक्षा देता रहा। इस एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की ओर से आ रहे सभी खतरों को हवा में ही नेस्तनाबूद कर दिया। इस बीच रूस ने भी माना है कि भारत के S-400 ने पाकिस्तान के 'छक्के छुड़ा' दिए।
रूस के भारत में मिशन उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने सोमवार को कहा कि रूस 2025-2026 तक भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की बची हुई यूनिटस् देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस बात पर भी रोशनी डाली कि हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान इस एयर डिफेंस ने "अपना काम बखूबी" निभाया था।
भारत-रूस के बीच सहयोग का लंबा इतिहास: Russiaरोमन ने एयर डिफेंस और एंटी ड्रोन सिस्टम में भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा, "हमने सुना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्षों के दौरान S-400 ने कारगर तरीके से काम किया। हमारे बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास है।"
बाबुश्किन ने बताया कि बाकी के दो S-400 यूनिट्स के लिए डील चल रही है। उन्होंने कहा कि इसकी डिलीवरी 2025-26 तक होने की उम्मीद है। बता दें भारत ने 2018 में रूस के साथ S-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली के पांच स्क्वाड्रन के लिए 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा किया था।
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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