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Zeenat Aman recalls Samundar Mein Naha Ke shoot with Amitabh Bachchan: ‘His first after the Coolie accide - Times of India
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Waqf Bill: मुस्लिम बस्तियों में 'फैक्ट फाइल', संसद से मंजूरी के बाद वक्फ पर क्या है BJP का नया प्लान?
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक संसद से पास होने के बाद राजनीति के मैदान में इस मुद्दे को गर्माए जाने के साफ संकेत दिखाई दे रहे हैं। मुस्लिम मतों की राजनीति करने वाले विपक्षी दल जहां इसे भाजपा के विरुद्ध भुनाने की तैयारी में हैं तो भाजपा ने भी कमर कस ली है। ऐतिहासिक ट्रिपल तलाक कानून के सहारे मुस्लिम महिलाओं का कुछ विश्वास जीतने वाला भगवा खेमा अब संशोधित वक्फ कानून का इस वर्ग की महिलाओं के साथ ही गरीब और पिछड़े (पसमांदा) मुस्लिमों पर 'मोहिनी अस्त्र' के रूप में प्रयोग करेगा।
नए-पुराने कानून का जिक्र कर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच जाएगी भाजपापुराने और नए कानून की फैक्ट फाइल लेकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा अल्पसंख्यक बस्तियों में जाएगा। संसद के दोनों सदनों में दिखा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर घंटों चर्चा हुई। विपक्ष ने गंभीरता से इसमें हिस्सा तो लिया, लेकिन अधिकतर नेता विधेयक के तकनीकी बिंदुओं पर तर्क-वितर्क करने की बजाए न सिर्फ भाजपा को मुस्लिम विरोधी घोषित करने के प्रयास में रहे, बल्कि खुलकर भाजपा को मुस्लिम विरोध बताया भी। इस प्रतिक्रिया के लिए भाजपा पहले से तैयार थी। यही कारण है कि सरकार ने जहां कानून के प्रविधानों पर काम किया, वहीं संगठन ने इसके प्रभाव की राजनीतिक बिसात बिछाने पर दिमाग दौड़ाया।
I.N.D.I.A के रूप में एक छतरी के नीचे संघर्ष कर रहे कांग्रेस, सपा, डीएमके, राजद, एनसीपी और टीएमसी जैसे दलों की आंखें एकजुट मुस्लिम मतों के अपने पक्ष में मजबूत होने की संभावना को लेकर चमक रही हैं तो भाजपा का दावा है कि इनके चेहरों से नकाब हटाना अब अधिक आसान होगा।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि वक्फ के मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की भाजपा की पूरी तैयारी है। निर्णय किया गया है कि यह विधेयक संसद से पारित होने वाली तिथि तीन अप्रैल को वक्फ आजादी दिवस के रूप में घोषित किया जाएगा। इस संदेश के साथ ही भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के 65 हजार पदाधिकारी और 38 लाख सदस्यों को मैदान में उतारने का प्रयास होगा।
मुस्लिम समाज को भरोसे में लेने की भाजपा की कोशिश?मोर्चा के कार्यकर्ता मुस्लिम बस्तियों में बेदारी मुहिम यानी जगाने वाला अभियान चलाएंगे। वह बताएंगे कि किस तरह लाखों-करोड़ों रुपये की वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग अब तक कुछ माफिया कर रहे थे। सारे तथ्य सामने रखेंगे कि इस संपत्ति से कितनी आय हो सकती थी और उससे कैसे मुस्लिम समाज का भला होता। चूंकि, कानून में संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड में महिलाओं के साथ ही पिछड़े मुसलमानों की भागीदारी का रास्ता भी खुल रहा है तो यह भी बताया जाएगा कि भाजपा ने गरीब-पिछड़े मुसलमानों के लिए कितना बड़ा काम किया है।
मोर्चा अध्यक्ष का दावा है कि तीन तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बदली, सरकार की योजनाओं में गरीब मुस्लिमों को लाभ मिला, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति उनका विश्वास बढ़ा है। इसी तरह से वक्फ संशोधन विधेयक भी मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति करने वाले विपक्षी दलों को बेनकाब कर संदेश देगा कि भाजपा बिना भेदभाव उनके हित के लिए भी काम कर रही है।
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सुप्रीम कोर्ट के 30 जज ने पब्लिक कर दी अपनी संपत्ति, इतने न्यायधीशों की घोषणा अब भी बाकी; इस वजह से लिया गया फैसला
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक कदम बढ़ाया है। प्रधान न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सभी 33 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा करने और ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है।
इतना ही नहीं प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित 30 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा मुख्य न्यायाधीश को दे दिया है। तीन न्यायाधीशों के नाम अभी नहीं आए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है कि क्योंकि सार्वजनिक करने का विकल्प स्वैच्छिक रखा गया है।
फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर लिया गया फैसलाफिलहाल केवल उन न्यायाधीशों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं जिन्होंने संपत्ति का ब्यौरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया है। हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नगदी मिलने के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करने का लिया गया यह निर्णय महत्वपूर्ण है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने संपत्ति घोषणा का और उस घोषणा को स्वैच्छिक रूप से वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया हो।
2009 में भी लिया गया था ऐसा फैसला2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने फुल कोर्ट मीटिंग में ऐसा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया था और उस समय भी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी और उसे सार्वजनिक भी किया गया था, हालांकि संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक थी।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर बताया गया है कि फुल कोर्ट मीटिंग में प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है। पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि पद ग्रहण करने के बाद न्यायाधीश अपनी संपत्ति प्रधान न्यायाधीश को घोषित करेंगे। जब भी महत्वपूर्ण संपत्ति अर्जित करेंगे तब भी उसकी घोषणा की जाएगी। संपत्ति की घोषणा प्रधान न्यायाधीश भी करेंगे।
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Bihar: 'तुम मुसलमानों की भूमि हड़पना चाहते हो, लेकिन...'; वक्फ संशोधन बिल पर ये क्या बोल गए लालू
राज्य ब्यूरो, पटना। गुरुवार को बयान जारी कर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अपना रोष प्रकट किया है। उन्होंने वर्ष 2010 के एक पुराने वीडियो को भी जारी किया है, जिसमें वे संसद में वक्फ से संंबंधित प्रकरण पर बाेल रहे।
संसद में अपनी उपस्थिति नहीं होने पर अफसोस प्रकट करते हुए लालू ने कहा है कि अगर मैं होता तो अकेला ही काफी होता। लालू ने अपने बयान की शुरुआत संबोधन से की है।
लालू यादव ने लिखा,
संघी-भाजपाई नादानो! तुम मुसलमानों की भूमि हड़पना चाहते हो, लेकिन हमने सदा वक्फ की भूमि बचाने के लिए कड़ा कानून बनाया है और बनवाने में सहायता की है। मुझे अफसोस है कि अल्पसंख्यकों, गरीबों, मुसलमानों और संविधान पर चोट करने वाले इस कठिन दौर में संसद में नहीं हूं, अन्यथा अकेला ही काफी था।
सदन में नहीं हूं तब भी आप लोगों के ख्यालों, ख्वाबों, विचारों और चिंताओं में हूं। यह देख कर अच्छा लगा। अपनी विचारधारा, नीति और सिद्धांतों पर प्रतिबद्धता, अडिगता और स्थिरता ही मेरे जीवन की जमा पूंजी है।
एम्स में सुधर रहा लालू का स्वास्थ्य:उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य खराब होने के बाद लालू बुधवार रात दिल्ली स्थित एम्स के कार्डियक क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती कराए गए। डा. राजेश यादव के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम उनका उपचार कर रही और उनके स्वास्थ्य मेंं उत्तरोत्तर सुधार हो रहा।
सोमवार से ही लालू का ब्लड शुगर बढ़ गया था और ब्लड-प्रेशर लो था। बुखार के अलावा देह पर एक-दो फोड़े भी हो गए थे। बुधवार को वे पटना मेंं पारस अस्पताल के चिकित्सकोंं ने उन्हें एम्स जाने का सुझाव दिया था।
लालू और तेजस्वी अल्पसंख्यक वोटों के सौदागर : जदयूजदयू प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद ने गुरुवार को कहा कि राजद ने अल्पसंख्यक समुदाय को हमेशा वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया और कभी भी उनके हित की बात नहीं सोची। दोनों अल्पसंख्यक वोटों के सौदागर रहे हैं।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए कई क्रांतिकारी फैसले लिए और उनके कल्याण के लिए अनेकों योजनाएं चलायी। वर्ष 2004-05 में जहां अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए सरकार का बजट महज 3 करोड़ 53 लाख हुआ करता था।
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में साल 2024-25 के वार्षिक बजट में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 1004 करोड़ 22 लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। वक्फ संशोधन बिल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को किसी से धर्मनिरपेक्षता का सर्टिफिकेट लेने की जरुरत नहीं है।
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वक्फ बिल पारित होने पर केरल के लोगों ने मनाया जश्न, कहा- कांग्रेस और लेफ्ट ने नहीं उठाई आवाज
पीटीआई, कोच्चि। मुनंबम के निवासी उस समय खुशी से झूम उठे जब लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को पारित किया। लोकसभा में बुधवार-गुरुवार मध्यरात्रि के बाद विधेयक पारित होने के तुरंत बाद मुनंबम तटीय क्षेत्र के लगभग 600 परिवारों ने पटाखे फोड़े।
मुनंबम भू संरक्षण समिति के बैनर तले 173 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे इन लोगों ने नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद जैसे नारे लगाए और उम्मीद जताई कि नया कानून लागू होने के बाद यह मुद्दा सुलझ जाएगा। इन प्रदर्शनकारियों में अधिकतर ईसाई हैं।
मुनंबम समुदाय में खुशीसमिति के संयोजक जोसेफ बेनी ने उम्मीद जताई कि विधेयक लागू होने पर उन्हें अपनी संपत्तियों पर राजस्व अधिकार मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि संसद में केरल के निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस और वाममोर्चा के सांसद मुनंबम समुदाय की चिंताओं को आवाज देने में विफल रहे, जिससे लोगों को दुख हुआ है।
एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांवों में निवासियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनके भूमि और संपत्ति पर अवैध रूप से स्वामित्व का दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज और भूमि कर भुगतान रसीदें हैं।
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Bihar News: पटना हाई कोर्ट ने लैब टेक्नीशियनों की नियुक्ति पर लगाई रोक, बिहार सरकार से मांगा जवाब
विधि संवाददाता, पटना। बिहार में लैब तकनीशियनों की नियुक्ति प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगाते हुए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को 10 अप्रैल तक जवाबी हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश हरीश कुमार की एकल पीठ ने विमल प्रकाश और अन्य छह याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन पर रोक लगा दी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शिव प्रताप ने दलील दी कि बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने 03 मार्च को विज्ञापन संख्या 2/25 के अंतर्गत 2,969 लैब तकनीशियनों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी।
शेष 610 रिक्तियों को नए विज्ञापन में कर दिया गया सम्मिलितअधिवक्ता का तर्क था कि वर्ष 2015 में जारी किए गए एक विज्ञापन के अंतर्गत 1,772 पदों पर नियुक्ति होनी थी। उनमें से 1,162 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, जबकि शेष 610 रिक्तियों को नए विज्ञापन में सम्मिलित कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें 2015 के विज्ञापन की स्थिति को यथावत बनाए रखने का निर्देश दिया गया था।
उनका कहना था कि जब पुराना विज्ञापन अब भी न्यायिक समीक्षा के अधीन है तो आयोग द्वारा नई नियुक्ति के लिए नया विज्ञापन जारी करना कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है।
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ओवैसी और मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्ती, वक्फ संशोधन विधेयक को इस मुस्लिम नेता ने बताया ऐतिहासिक
जागरण टीम, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बौद्ध, ईसाई और पसमांदा समेत समाज के अन्य वर्गों ने ऐतिहासिक, आपसी भाईचारा को बढ़ाने और लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया है। भारतीय बौद्ध संघ, द चर्च आफ नार्थ इंडिया व राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज जैसे संगठनों ने कहा कि विधेयक से वक्फ के मनमाने असंवैधानिक अधिकारों पर लगाम लगेगी।
भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि विधेयक से वक्फ बोर्ड की दादागीरी पर लगाम लगाई जा सकेगी। उसके कब्जे में जा रही बौद्ध संपत्तियों को बचाया जा सकेगा। अहमदाबाद के कालूपुर में बौद्धों के बुद्ध विहार समेत महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश में ऐसी कई बौद्ध संपत्तियां हैं, जिसे अपना बताते हुए वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने वोट बैंक के लिए वक्फ को असाधारण शक्तियां दीं। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की जमीनों को वक्फ को सौंप दिया, जबकि देश में आए हिंदुओं की जमीनों को पाकिस्तान ने अपने कब्जे में लिया।
द चर्च आफ नार्थ इंडिया ने क्या कहा?द चर्च आफ नार्थ इंडिया (सीएनआइ) के प्रवक्ता प्रांजल मसीह ने कहा कि मौजूदा वक्फ कानून देश के संविधान को चुनौती दे रहा था। अगर वक्फ ने किसी की भी संपत्ति पर दावा कर दिया तो जिसकी जमीन है उसे वक्फ ट्रिब्यूनल में साबित करना पड़ता था कि दावे वाली जमीन उसकी है। अब ऐसे मामलों में न्याय की उम्मीद रहेगी।
राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज के अध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा कि संशोधन विधेयक से भू माफिया और मुस्लिम समाज के ठेकेदारों से मुक्ति मिलेगी। अब विधेयक पारित होने पर पिछड़ी, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से आने वाले अशराफ मुस्लिम समाज के साथ जरूरतमंद महिलाओं व बच्चों को लाभ मिलेगा।
वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुकदमेबाजीबिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने संशोधन विधेयक का समर्थन करते वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। अलीगढ़ में मंगलायतन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने इसमें संशोधन को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि मंत्री रहते वक्फ बोर्ड में मुकदमों के अलावा कुछ नहीं देखा। वहां कोई काम नहीं होता था। बोर्ड की इतनी संपत्ति फिर भी भत्ता, वेतन तक देने के लिए पैसा नहीं? पैसा कहां गया? कहीं न कहीं गड़बड़ है।
वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए भी जरूरी है कानून: गुलाम नबीजम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए कानून जरूरी है। जमीन जिस मकसद के लिए वक्फ को दी जाती है, उसका लाभ मिले। वक्फ की जिस जमीन पर कब्जा है, वह हटना चाहिए।
ओवैसी व मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्तीअजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह आवश्यक था। कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे मस्जिद, कब्रिस्तान और खानकाहें छिन जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। दरगाह दीवान के पुत्र और आल इंडिया सुफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष नसीरूद्दीन चिश्ती ने एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद को मानहानि का नोटिस भेजने की बात कही है। दरअसल, ईद के दिन नसीरूद्दीन ने वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते बयान दिया था। इस पर ओवैसी और मसूद ने कहा था कि दरगाह दीवान सरकार के नौकर हैं।
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