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नीतीश कुमार से हो गई गलती? Waqf Bill पर JDU नेताओं ने ही खोल दिया मोर्चा, बोले- ये मुसलमानों के खिलाफ
राज्य ब्यूरो, पटना। वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) के समर्थन के बाद जदयू (JDU) के कुछ नेताओं का विरोध मुखर हो गया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि बुधवार की रात संसद में सभी दलों का पर्दा उठ गया। सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष दलों का अंतर समाप्त हो गया।
उन्होंने कहा कि वे जल्द ही मुस्लिम संगठनों की बैठक बुलाएंगे। विचार करेंगे कि इस बिल को किस अदालत में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट, जहां कहीं हो, हमलोग इस बिल को चुनौती देंगे।
जदयू MLC बोले- मुसलमानों के जख्मों पर नमक छिड़काइधर, जदयू के विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के जख्म पर नमक छिड़कने की तरह है। टूटे हुए दिल से बस यही एक बात जुबान पर आती है कि मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, फैसला हमें क्या देगा?
प्रो. गौस ने कहा कि कभी बाबरी-दादरी, कभी लव जिहाद, घर वापसी, तीन तलाक, सीएए, एनआरसी, 370, मॉब लिंचिंग वगैरह का कहर बरपा किया जाता रहा है। अब वक्फ की आड़ में समस्त मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। इस समाज को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
यह मुस्लिम पहचान, धार्मिक आजादी और संस्कृति पर सीधा हमला है: दीपंकरदूसरी ओर, भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि वक्फ बिल मुस्लिम पहचान, धार्मिक आजादी और संस्कृति पर सीधा हमला है। वक्फ बोर्ड मुस्लिमों की दान में दी गई जमीन और धार्मिक-सांस्कृतिक जगहों से जुड़े मामलों को देखता है। इस नए बदलाव से ऐसी सभी जमीनों, संपत्तियों और संस्थानों का रजिस्ट्रेशन रूरी होगा और इससे जुड़े हर विवाद का फैसला राज्य के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रही है। उन्होंने कहा कि इससे संविधान कमजोर हो रहा है। सबकी आजादी खतरे में है।
उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून (सीएए) के जरिए मुस्लिमों को बाकी लोगों से अलग किया गया, जो संविधान के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ था कि धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं होगा। फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के बहाने मुस्लिम समाज को निशाने पर लिया गया। उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो गया है, जो अलग-अलग धर्मों और जातियों के बीच शादी और बड़े होकर अपनी मर्जी से साथ रहने की आजादी पर बड़ा हमला है।
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'अंतरात्मा की आवाज सुनें', वक्फ बिल पर BJD ने बदला रुख; सांसदों को मनमर्जी से वोट करने को कहा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजू जनता दल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपना रुख बदल दिया है। लोकसभा में बिल के पेश किए जाने के बाद बीजेडी ने इसके खिलाफ स्टैंड लिया था। लेकिन बावजूद इसके बिल लोकसभा से पारित हो गया।
अब संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में बिल पर बहस हो रही है। अब बीजेडी ने भी अपना स्टैंड बदल लिया है और पार्टी के सांसदों को अंतरात्मा की आवाज सुनने को कहा है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वोटिंग के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जाएगा।
विवेक का इस्तेमाल करने को कहाबीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता सस्मित पात्रा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस संबंध में पोस्ट कर कहा, 'बीजू जनता दल ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम रखा है तथा सभी समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित किया है। हम वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के बारे में अल्पसंख्यक समुदायों के विभिन्न वर्गों द्वारा व्यक्त की गई विविध भावनाओं का गहराई से सम्मान करते हैं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'हमारी पार्टी ने इन विचारों पर सावधानीपूर्वक विचार करते हुए राज्य सभा में हमारे माननीय सदस्यों को न्याय, सद्भाव और सभी समुदायों के अधिकारों के सर्वोत्तम हित में अपने विवेक का प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यदि विधेयक मतदान के लिए आता है, तो अपनी अंतर्आत्मा की आवाज सुनें। पार्टी इसके लिए कोई व्हिप जारी नहीं करेगी।'
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Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल को लेकर बिहार के सभी जिलों में पुलिस अलर्ट, सोशल मीडिया पर भी नजर
राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्य के सभी जिलों की पुलिस को अलर्ट किया गया है।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने सभी प्रभागों के एडीजी, सभी जोन के आईजी-डीआईजी से लेकर सभी जिलों के एसएसपी, एसपी और रेल एसपी को शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष सतर्कता बरतने को कहा है।
इसको लेकर पुलिस ने भी बुधवार से ही सतर्कता बढ़ा दी है। इंटरनेट मीडिया की भी निगरानी की जा रही है। सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वालों से सख्ती से पेश आने को कहा गया है।
बुधवार को लोकसभा में पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयकदरअसल, बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हुआ, जबकि गुरुवार को राज्यसभा में विमर्श हो रहा है। इस बिल के विरोध में कई जगह प्रदर्शन की आशंका जताई गई है।
अपर पुलिस महानिदेशक (विधि-व्यवस्था) पंकज दराद की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि किसी भी हाल में राज्य की शांति व्यवस्था ना बिगड़े इसका पूरा ख्याल रखा जाए। अगर कहीं कोई कानून के साथ खिलवाड़ करता है तो उसके विरुद्ध तत्काल उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।
पुलिस अलर्ट के बाद सभी जिलों में पुलिस गश्ती बढ़ा दी गई है। सभी जिलों में संवेदनशील स्थानों को चिह्नित कर वहां अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है। सादे लिबास में भी पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। रामनवमी को लेकर भी पुलिस अलर्ट मोड में है।
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Waqf Bill: सत्तापक्ष के भरे हाथ, विपक्ष का रह गया खाली
आशुतोष झा, नई दिल्ली। वक्फ विधेयक पर हुई चर्चा ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि विरोध सिर्फ राजनीतिक हो तो तथ्य वैसे ही गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सींग। विधेयक को पारित कराने के लिए संसद के दोनों सदनों में 20 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई। विपक्ष की ओर से कई विद्वान सदस्यों ने भी अपनी बात रखी लेकिन हर कोई मूल मुद्दे से भटकता रहा।
विपक्षी सदस्यों में से किसी ने भी वक्फ बोर्ड के अंदर चल रही घपलेबाजी और लाखों करोड़ की संपत्तियों के सही प्रबंधन पर बोलना जरूरी नहीं समझा। जबकि यह विधेयक लाया ही इसी उद्देश्य के लिए गया था। पर उससे भी ज्यादा रोचक यह रहा कि विपक्ष में राजनीति के लिए भी लड़ने का जज्बा धीरे धीरे गायब होता दिख रहा है।
संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की तैयारी आधे मन से दिखी। ऐसे में इस विरोध का जमीन पर उन्हें कितना अतिरिक्त लाभ मिल पाएगा यह देखना होगा। वैसे भाजपा 'सबका विश्वास' के मोर्चे पर एक कदम आगे बढ़ती दिखी। सहयोगी दलों की ओर से जिस मजबूती से विधेयक का समर्थन किया गया वह इसी का संकेत है।
यह अच्छी बात है कि विपक्ष को इसका अहसास था कि बहुमत सरकार के पक्ष में है और विधेयक पारित होना ही है लिहाजा शोर शराबे की कोशिश नहीं की। लेकिन चेहरे पर थकान और हार दिखना खतरनाक होता है। गुरुवार को जब राज्यसभा में लोकसभा से आया पारित विधेयक पेश किया गया तो कई विपक्षी कुर्सियां खाली थीं।
यह इसलिए अहम है क्योंकि मात्र सात आठ महीने पहले ही विपक्ष का व्यवहार और उत्साह कुछ ऐसा था जैसे लोकसभा चुनाव वही जीतकर आए हो और साथ मिलकर सरकार पर दबाव बनाने में सफल हो सकते हैं। लेकिन अब उन्हें अहसास हो गया कि वह न सिर्फ विपक्ष में हैं बल्कि टूटे हुए विपक्षी विपक्षी दल हैं। याद रहे कि पांच छह महीने पहले जब वक्फ पेश हुआ था तो शिवसेना उद्धव ने विरोध में वाकआउट किया था।
महाराष्ट्र में मुस्लिमों ने इसपर आपत्ति जताई थी दिल्ली चुनाव के वक्त से इसकी शुरूआत हुई थी और आगे यह कायम रहने वाला है। इसीलिए हर प्रयास यही रहा कि विधेयक पर चर्चा को मुस्लिम धर्म से जोड़ कर रखा जाए। वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली और उसमें सुधार की जरूरत पर किसी विपक्षी सदस्य ने मुंह नहीं खोला। यानी न तो बोर्ड में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से काबिज मुट्ठी भर रसूखदार मुस्लिमों का बचाव किया और न ही यह समझाने में कामयाब हुए कि इस विधेयक से आम मुस्लिमों के जीवन में परेशानी बढ़ेगी।
दूसरी तरफ राजग के सहयोगी दलों में एकजुटता और वक्फ की कमाई बढ़ने से होने वाले लाभ का संदेश देकर यह बताने में सफल रहे कि वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में कुशलता लाकर मुस्लिमों की बड़ी आबादी को लाभ ही मिलने वाला है। दरअसल पिछली सरकार में सीएए(नागरिकता कानून) को लेकर विपक्ष ने जो माहौल बनाया था उसका लाभ इस बार सरकार को मिला भी और आगे मिलने वाला भी है। दिल्ली के शाहीनबाग में दो वर्ष तक राजनीतिक प्रश्रय में आंदोलन चला था और डराया गया था कि मुस्लिमों की नागरिकता पर खतरा है।
दो साल होने को हैं लेकिन ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया। वक्फ में तो सरकार ने उन पिछडे मुस्लिमों को जोड़ने की कवायद की है जिन्हें वक्फ तक फटकने नहीं दिया जाता था। इनकी संख्या बहुत बड़ी है। वह अब वक्फ संपत्तियों से सीधे तौर पर लाभान्वित ही नहीं होंगे बल्कि खुद को सशक्त भी समझेंगे। ध्यान रहे कि पिछले कुछ वर्षों से सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें मिल रहा है।
दरअसल यही वह मुद्दे हैं जिसके कारण भाजपा टीडीपी, जदयू जैसे दूसरे सहयोगी दलों को साथ खड़ा करने में सफल रही है। अगर यह रुझान पिछड़े पसमांदा मुस्लिमों और महिलाओं में गहरे पैठ गया तो फिर अल्पसंख्यक राजनीति करने वालों के हाथ खाली हो जाएंगे। जबकि विपक्षी नेता भी मानने लगे हैं कि धीरे धीरे ही सही नरेन्द्र मोदी मुस्लिमों का विश्वास हासिल करने लग गए हैं।
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Trump Tariff Policy: ट्रंप के टैरिफ का भारत पर नहीं पड़ेगा सीधा असर, लेकिन यहां फंस रहा पेच; जानिए क्या है नई मुसीबत
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई पारस्परिक शुल्क नीति (Reciprocal Tariff Policy) की घोषणा को लेकर ज्यादातर विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि इसका भारत पर उतना व्यापक असर नहीं होगा, जितना अमेरिका के दूसरे बड़े कारोबारी साझेदार देशों जैसे चीन, वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका, जापान आदि पर होगा। हालांकि, ट्रंप प्रशासन की इस नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जिस तरह से असर होगा, भारत को उसका दंश झेलना पड़ सकता है।
भारत के नीति नियामकों को अमेरिका के साथ ट्रेड वार्ता के जरिए समाधान तलाशने के साथ ही देश की इकॉनमी को संभावित वैश्विक मंदी, अमेरिका में ब्याज दरों के बढ़ने, घरेलू शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के बाहर निकलने की तेज होने जैसे दूसरी चुनौतियों से भी पार पाने की कोशिश करनी होगी।
वैश्विक सप्लाई चेन की मौजूदा व्यवस्था में भी भारी अस्थिरता फैलने की आशंका
अमेरिकी सरकार का नई टैरिफ नीति वैश्विक सप्लाई चेन की मौजूदा व्यवस्था में भी भारी अस्थिरता फैला सकती है, भारत को इस नये हालात में भी अपने लिए अवसर तलाशने होंगे।
और सुस्त होगी वैश्विक इकॉनमीआईएमएफ (International Monetary Fund) की निदेशक क्रिस्टेलीना जॉर्जजीवा ने इसी हफ्ते कहा है कि वह वैश्विक मंदी के गहराने की संभावना देख रही हैं। आइएमएफ ने दिसंबर, 2024 में कहा था कि वर्ष 2025 में वैश्विक विकास दर 3.3 फीसद रहेगी जो वर्ष 2024 में दर्ज 3.1 फीसद से थोड़ी बेहतर होगी। लेकिन अब आइएमएफ के अधिकारियों का कहना है कि 3.3 फीसद की विकास दर को हासिल करना संभव नहीं दिख रहा। बहुत जल्द ही इसे घटाया जाएगा।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी का कहना है कि, वैश्विक इकॉनमी में मंदी आने से उन सेक्टरों पर भी असर होगा जिन पर ट्रंप सरकार ने सीधे तौर पर शुल्क नहीं लगाया है, जैसे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग। यह इसलिए होगा क्योंकि ज्यादातर कंपनियां अपने खर्चे को सीमित कर प्रतिस्पर्द्धी बनने की कोशिश करेंगी। यहां बताते चलें कि वैश्विक विकास की दर अभी तक कोरोना काल से पहले (वर्ष 2019 में 3.6 फीसद) की रफ्तार को नहीं पकड़ पाई है।
अमेरिका की महंगाई का भी खोजना होगा काटभारत की और कई विदेशी एजेंसियों ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शुल्क बढ़ा कर ट्रंप प्रशासन ने महंगाई को न्यौता दे दिया है। अमेरिका ने जिन उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाया है, उनकी लागत अमेरिकी बाजार में बढ़ जाएगी। महंगाई को काबू में करने के लिए फेडरल बैंक (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) को ब्याज दरों को बढ़ाना पड़ेगा यह स्थिति भारतीय इकॉनमी को कई तरह से प्रभावित करेगी। भारतीय रिजर्व बैंक को भी वैश्विक महंगाई को भारतीय सीमा पर रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
अगले हफ्ते बुधवार को RBI की मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है, देखना होगा कि आरबीआइ गवर्नर का संकेत देते हैं। लेकिन इसका एक दूसरा असर भारतीय इकॉनमी पर ज्यादा प्रभावकारी यह होगा कि अमेरिका में ज्यादा ब्याज के आकर्षण से विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ से भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना तेज कर सकते हैं।
एफआइआइ (Foreign Institutional Investors) ने वर्ष 2025 में 15 अरब डॉलर की राशि भारतीय बाजार से निकाली है। ऐसा होने से घरेलू शेयर बाजार की मौजूदा अस्थिरता और तेज हो सकती है। मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ निश भट्ट ने कहा है कि, ट्रंप सरकार का कदम भारत समेत वैश्विक शेयर बाजार को अस्थिर कर देगा।
वैश्विक सप्लाई चेन में अफरा-तफरीएसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर का कहना है कि वैश्विक ट्रेड व वैल्यू चेन में नये सिरे से समीकरण बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
इक्विटी शोध एजेंसी वेंचुरा के प्रमुख (शोध) विनीत वोलिंजकर ने आशंका जताई है कि वैश्विक सप्लाई चेन में मंदी की संभावना पैदा हो रही है। दुनिया के विभिन्न स्थलों पर प्लांट लगा कर लागत कम करन में जुटी दिग्गज मैन्यूफैक्चरिंग व प्रौद्योगिकी कंपनियों को अब नये सिरे से अपनी रणनीति बनानी होगी। पारस्परिक शुल्क लगाने के दौर में हर देश की प्रतिस्पर्द्धता क्षमता पर क्या असर होता है, इसको लेकर स्थिति साफ होने में समय लगेगा। भारत ने कोविड महामारी के बाद वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी पैठ बनाने की मुहिम तेज की हुई है। भारत सरकार को भी रणनीत में बदलाव करना पड़ सकता है।
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Investors should raise cash by up to 10% as Trump tariffs roil markets: Axis Securities
The last time an American visited the restricted Andaman islands, it led to his death - India Today
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- US Man Arrested For Entering Restricted North Sentinel Island In Andamans: Cops NDTV
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- With coconut & coke, American tried to befriend Sentinelese in Andaman and Nicobar islands Times of India
Obama worked against Kamala Harris?
Bihar Land Survey: भूमि सर्वे के बीच जमीन मालिकों को बड़ी राहत, नीतीश सरकार ने आसान कर दिया ये काम
राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने भूमि सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) के लिए स्वघोषणा जमा करने में देरी करने वाले रैयतों को बड़ी राहत दी है।
उन्होंने गुरुवार को आयोजित समीक्षा बैठक में कहा- अभी आपके पास जमीन से जुड़ा जो भी उपलब्ध कागजात है, उसी आधार पर ऑनलाइन स्वघोषणा जमा कर दें। बाकी कागजात किस्तवार एवं खानापुरी की प्रक्रिया के समय जमा करा दें।
उन्होंने स्वघोषणा की तिथि बढ़ाने की संभावना पर भी विचार किया। इसमें आने वाली तकनीकी एवं कानूनी बाधाओं के अध्ययन का निर्देश दिया। बैठक में बताया गया कि 31 मार्च तक कुल एक करोड़, 15 लाख 916 स्वघोषणा प्राप्त हुई है। ये ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में जमा कराए गए हैं।
1.35 करोड़ स्वघोषणा जमा होने की उम्मीदइसमें दूसरे चरण में शुरू किए गए 36 जिलों के सभी 445 अंचलों (सर्वे शिविरों) में रैयतों द्वारा जमा की गई स्वघोषणा की संख्या को भी जोड़ा गया है। राज्य में करीब चार करोड़ जमाबंदी है।
एक करोड़ 35 लाख स्वघोषणा जमा होने की उम्मीद है। मंत्री ने भूमि सर्वेक्षण में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों को सुधार के लिए 15 दिनों का समय दिया।
ये है स्वघोषणा का स्टेटसपश्चिम चंपारण जिले के पांच अंचलों- बेतिया, पिपरासी, मधुबनी, ठकराहा और भितहा एवं पूर्वी चंपारण जिले के पांच अंचलों- पिपराकोठी, तुरकौलिया, बनकटवा, छौड़ादानो और रक्सौल में स्वघोषणा की संख्या काफी कम रही।
बेतिया सदर में अबतक मात्र 187 स्वघोषणा ही प्राप्त हुई है, जबकि पिपरासी अंचल में प्राप्त स्वघोषणा की संख्या मात्र 524 है।
दूसरी तरफ, अररिया सदर अंचल एवं दरभंगा के बिरौल बहेड़ी, कुशेश्वर स्थान, अररिया के जौकीहाट, फारबिसगंज एवं पलासी में भी बड़ी संख्या में रैयतों ने स्वघोषणा जमा किया है।
इसी प्रकार समस्तीपुर के कल्याणपुर और औरंगाबाद के नबीनगर सर्वे शिविर की स्थिति भी स्वघोषणा प्राप्त करने के मामले में संतोषप्रद है।
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EPFO New Rules: अब UAN से बैंक अकाउंट लिंक करने के लिए Employer से नहीं लेनी होगी मंजूरी, जानिए क्या है नया नियम
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सदस्यों को बैंकिंग की तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराने की पहल को आगे बढ़ाते हुए इपीएफओ दावा निपटान प्रक्रिया (EPFO Claim Settlement Process) को और सरल बनाने के लिए दो बड़े सुधार किए गए हैं।
इसमें पहला सुधार चेक लीफ या सत्यापित बैंक पासबुक की तस्वीर अपलोड करने की आवश्यकता को हटा दिया गया है। दूसरा बदलाव यह हुआ है कि यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता (Employer) की मंजूरी की आवश्यकता को EPFO ने हटा दिया है।
श्रम मंत्रालय ने बताया कितने लोगों को मिलेगा लाभश्रम मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के इन सुधारों को समग्र रूप से इपीएफओ में लागू किए जाने की जानकारी एक बयान जारी कर साझा की। चेक-बैंक पास बुक की तस्वीर अपलोड करने की आवश्यकता को हटाने का लाभ इपीएफओ के 7.7 करोड़ से अधिक सदस्यों को लाभ मिलेगा।
वहीं यूएएन के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की आवश्यकता को हटाने से लंबित अनुमोदन वाले लगभग 15 लाख सदस्यों को तत्काल लाभ मिलेगा। इस आवश्यकता को शुरू में कुछ केवाईसी-अपडेट सदस्यों के लिए पायलट आधार पर थोड़े सुधार किया गया था।
क्यों लाया गया नया नियम?मंत्रालय के अनुसार मई 2024 को इसके लांच होने के बाद से इस कदम से 1.7 करोड़ इपीएफ सदस्यों को लाभ मिल चुका है। चूंकि यूएएन के साथ बैंक खाते को जोड़ने के समय बैंक खाताधारक का नाम पहले से ही ईपीएफ सदस्य के विवरण के साथ सत्यापित होता है, इसलिए अब इस अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। वहीं यूएएन के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की आवश्यकता को इसलिए हटा दिया गया है कि वर्तमान में प्रत्येक सदस्य को अपने बैंक खाते को यूएएन से जोड़ना आवश्यक है ताकि उनके पीएफ निकासी को ऐसे खाते में सहजता से जमा किया जा सके।
हर रोज बैंक अकांउट जोड़ने के लिए आते हैं इतने रिक्वेस्टउल्लेखनीय है कि सदस्यों द्वारा प्रतिदिन बैंक खाते को जोड़ने के लिए लगभग 36,000 अनुरोध किए जा रहे हैं और बैंकों को सत्यापन पूरा करने में औसतन 3 दिन लगते हैं। हालांकि बैंक सत्यापन के बाद नियोक्ता की ओर से प्रक्रिया को मंजूरी देने में लगने वाला औसत समय लगभग 13 दिन है। इसकी वजह से नियोक्ता के स्तर पर कार्यभार बढ़ जाता है और बैंक खाते को जोड़ने में देरी होती है।
EPFO के अनुसार वर्तमान में प्रत्येक माह योगदान देने वाले 7.74 करोड़ सदस्यों में से 4.83 करोड़ सदस्यों ने अपने बैंक खातों को यूएएन से जोड़ दिया है। जबकि 14.95 लाख स्वीकृतियां नियोक्ताओं के स्तर पर लंबित हैं। इन दोनों सुधारों से उन सदस्यों को भी सुविधा होगी जो अपना नया बैंक खाता नंबर दर्ज करके पहले से जुड़े बैंक खाते को बदलना चाहते हैं।
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