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Lalu Yadav Health Update : लालू यादव दिल्ली रवाना, RJD सुप्रीमो की हेल्थ का पटना के डॉक्टर ने दिया अपडेट
राज्य ब्यूरो, पटना। Lalu Prasad Yadav health: पिछले 10 वर्षों में तीन आपरेशन करा चुके राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का ब्लड शुगर बढ़ गया है। सोमवार से ही वे कुछ असहज महसूस कर रहे थे। बुधवार पूर्वाह्न जांच के लिए वे दिल्ली प्रस्थान करने वाले थे कि उसी बीच अधिक असहज हो गए। उन्हें पटना में ही पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पूरे दिन चिकित्सकों की सघन निगरानी में रहने के बाद देर शाम वे दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। वहां एम्स में उनकी जांच संभावित है।
दिल्ली में वे अपनी सांसद पुत्री मीसा भारती के सरकारी आवास पर ठहरेंगे। उनके साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी जा रहे हैं।
लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे लालू76 वर्षीय लालू लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे। 2024 में मुंबई में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। हृदय में तीन मिलीमीटर के छेद को भरा गया था और एक स्टेंट लगाया गया था। 2022 में सिंगापुर में किडनी प्रत्यारोपण हुआ था। बेटी रोहिणी आचार्य ने उन्हें किडनी दान की थी।
उसके बाद लालू की सक्रियता कुछ बढ़ी भी थीं, लेकिन बढ़ती उम्र उन्हें बीमारियों से उबरने नहीं दे रही। 2014 में उनकी ओपन हार्ट सर्जरी भी हुई थी। उसके साथ ही खान-पान और रहन-सहन में कई तरह की परहेज बरतनी पड़ रही।
अंदरुनी सूत्र बता रहे कि परहेज में हुई कमी से समस्या बढ़ी है। बहरहाल, पारस अस्पताल में भर्ती लालू की एक तस्वीर प्रसारित हो रही है, जिसमें आक्सीजन का मास्क लगाए बेड पर लेटे हुए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी उनकी सेवा-सुश्रुषा के लिए अस्पताल में ही थीं। अस्पताल के बाहर जुटे राजद कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी और शक्ति सिंह यादव राजद सुप्रीमो के अविलंब स्वस्थ होने की कामना कर रहे थे।
बीमारी के बावजूद राजनीतिक सक्रियताबीमारी के बावजूद लालू स्वयं को राजनीतिक रूप से सक्रिय रखे हुए हैं। 26 मार्च को लालू गर्दनीबाग में वक्फ संशोधन विधेयक के विरुद्ध मुस्लिम संगठनों ने प्रदर्शन में सम्मिलित हुए थे। वहां उन्होंने कहा था कि गलत हो रहा है। जनता सब समझ रही है।
हम इस विधेयक के विरोध में हैं। उससे पहले 22 मार्च को पटना से पूर्वी चंपारण में कल्याणपुर जाते समय लालू को वैशाली जिले के भगवानपुर में समर्थकों ने रोक लिया था। इस दौरान एक समर्थक उनके लिए घर से बनी मक्के की रोटी, बथुए की साग, लिट्टी और चोखा लेकर पहुंचा था।
मन रखने के लिए उन्होंने थोड़ा चखा और चुनावी तैयारी में जुट जाने का निर्देश दे आगे बढ़ गए। कल्याणपुर में उन्होंने कहा था कि इस बार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने से कोई माई का लाल नहीं रोक सकता।
पारस अस्पताल ने दिया लालू यादव का हेल्थ बुलेटिन- पारस अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के एचओडी डॉ. प्रकाश सिन्हा ने मीडिया से बात करते हुए राजद सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का हेल्थ बुलेटिन भी जारी किया।
- उन्होंने कहा कि लालू यादव की तबीयत बिगड़ने पर आज उन्हें पारस अस्पताल लाया गया था। उन्हें बुखार भी था और उन्हें दवा दी गई है।
- सिन्हा ने कहा कि जब वे आए थे, तो उनका स्वास्थ्य थोड़ा कमजोर था, लेकिन जल्द ही उन पर उपचार का असर होने लगा... उन्होंने सभी से बात की। उन्हें आज दिल्ली जाना था... अभी उनका रक्तचाप ठीक हो गया है।
बता दें कि बुधवार सुबह जानकारी सामने आई थी कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तबीयत बिगड़ गई है और उन्हें अचनाक दिल्ली रवाना होना पड़ रहा है। हालांकि, वह दिन में नहीं जा सके थे और उन्हें पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
इसके साथ ही यह जानकारी भी सामने आई कि लालू यादव एम्स में अपना रूटीन चेकअप कराने दिल्ली जा रहे हैं। यह भी कहा गया कि वह दिल्ली में अपनी बेटी और सांसद मीसा भारती के घर पर रहेंगे।
यह वह राजद के नेताओं-कार्यकर्ताओं से मिलकर उन्हें वक्फ संशोधन बिल और दूसरे मुद्दों पर रणनीतिक टिप्स भी देंगे।
#WATCH पटना, बिहार: RJD सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव दिल्ली के लिए रवाना हुए।
तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आज पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। pic.twitter.com/g5mFv1mBrM
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 2, 2025 वक्फ संशोधन विधयेक लोकसभा में पेशबता दें कि लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 (Waqf Amendment Bill ) लोकसभा में पेश कर दिया गया है। कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों ने इस दौरान जमकर हंगामा किया।
सरकार जहां इस विधेयक को मुस्लिमों के हित में एक सुधारात्मक कदम बता रही तो वहीं विपक्ष पुरजोर तरीके से विरोध में उतरा है। विपक्षी दलों का कहना है कि विधेयक संविधान का उल्लघंन है और धार्मिक आजादी के खिलाफ है।
वक्फ बोर्ड का क्या काम है?वक्फ बोर्ड संपत्तियों का पंजीकरण, प्रबंधन और संरक्षण करता है
मस्जिद, कब्रिस्तान- रैन-बसेरों का निर्माण व रखरखाव करता है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में वक्फ बोर्ड के आठ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है।
वक्फ बोर्ड का विवाद क्या है?एक बार जब कोई जमीन वक्फ के पास चली जाती है तो उसमें हस्तक्षेप करना मुश्किल
आरोप है कि पावरफुल लोगों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है
वक्फ संपत्ति का उपयोग सिर्फ मुसलमान ही कर सकते हैं
वक्फ बोर्ड में न केंद्र सरकार, राज्य सरकार और न ही कोर्ट का दखल हो सकता है
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सुनील राज, पटना। देश में मंडल की राजनीति के बाद से बिहार जैसे प्रदेश में पिछड़ी जातियों का वोट सभी राजनीतिक दलों के लिए तुरुप का इक्का रहा है।
कांग्रेस भी अल्पसंख्यक, पिछड़ा, अति पिछड़ा वोट को अपना परंपरागत वोट बताती रही है, लेकिन इस वर्ष बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के ऐन पहले पार्टी ने अपने 40 संगठनात्मक जिलों में जिन 40 अध्यक्षों की नियुक्ति की है उनमें 14 सवर्ण बिरादरी से आते हैं।
पांच दलित, सात अल्पसंख्यक, 10 ओबीसी, तीन अतिपिछड़ा समाज और एक वैश्य समाज से आते हैं। यह पहला मौका नहीं है, इसके पूर्व पार्टी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने मई 2023 में 39 जिलों में अध्यक्ष नियुक्त किए थे, उनमें 25 जिलों की कमान सवर्ण अध्यक्षों को दी गई थी।
इनमें 11 भूमिहार, पांच राजपूत, आठ ब्राह्मण और एक कायस्थ बिरादरी के थे। इनके अलावा चार यादव, पांच मुस्लिम, तीन पासवान और एक रविदास बिरादरी से आते थे। इन जिलाध्यक्षों में दो महिलाएं भी थी। 2023 की कमेटी की अपेक्षाकृत नई कमेटी में अगड़ों की संख्या में काफी कमी आई है।
कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने 27 मार्च को जिला और प्रखंड के संगठन में बदलाव के लिए एक स्क्रीनिंग कमेटी बनाई थी।
इस कमेटी ने महज चार दिनों में जिलों का आकलन करने के बाद अपनी अनुशंसा केंद्रीय हाईकमान को भेजी थी। जिसके बाद नए 21 चेहरों को पार्टी में जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि 19 पुराने चेहरों को वापस जिलाध्यक्ष पद का जिम्मा दिया गया है।
पार्टी के अंदर चल रही ये चर्चा- पार्टी के अंदरखाने भी जिलाध्यक्षों के 14 पद सवर्णो को देने को लेकर दबी जुबान चर्चा होनी शुरू हो गई है। हालांकि कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष राजेश राठौड़ कहते हैं।
- नए जिलाध्यक्षों को लेकर कोई शंका, विवाद नहीं है। कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करती है। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में भी इसका ख्याल रखा गया है।
हालांकि, पार्टी के बाहर राजनीति गलियारों में इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस मंडल की राजनीति के तीन दशकों के बाद बिहार में काफी कमजोर हुई है।
ऐसे में वह नया दांव चलकर अगड़ी जातियों के अपने पुराने वोटरों को लुभाने में जुटी है। साथ ही दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा का हिमायती होने का दावा भी कर रही है।
बहरहाल कांग्रेस अपने इस प्रयोग में कितना सफल होगी इसका निर्णय तो विधानसभा चुनाव 2025 के बाद ही हो पाएगा।
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'लालू ने कहा था चोरी करने वालों को जेल भेजो', अमित शाह ने संसद में पढ़ा RJD सुप्रीमो का पुराना बयान
डिजिटल डेस्क, पटना/नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार (2 अप्रैल) को वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया। बिल पर खूब बहस छिड़ी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। वहीं, उन्होंने विपक्षी नेताओं को लालू यादव का एक पुराना बयान भी याद दिलाया। जिसमें लालू ने वक्फ को लेकर एक कड़ा कानून लाने की मांग की थी। अमित शाह ने संसद में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का पुराना बयान पढ़ा।
शाह ने कहा कि
'मैडम, सरकार ने जो ये संशोधन विधेयक पेश किया है। सरकार की पहल का हम स्वागत करते हैं। शाहनवाज हुसैन और अन्य सदस्यों ने अपनी बातों को यहां रखा, मैं उनका समर्थन करता हूं। आप देखिए कि सारी जमीनें हड़प ली गई हैं। चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी, वक्फ बोर्ड में जो काम करने वाले लोग हैं। उनके द्वारा सारी प्राइम लैंड को बेच दिया गया है। पटना में ही डाक बंगले की जितनी प्रॉपर्टी थी, सब पर आपर्टमेंट बन गए। इस तरह की काफी लूट-खसोट हुई है। हम संशोधन विधेयक तो आपको अंत में लाए हैं, समर्थन करते हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि भविष्य में आप कड़ा कानून लाइए। ये जो चोरी करने वाले लोग हों, उनको जेल की सलाखों के पीछे डालिए।'
अमित शाह ने इसके बाद विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब साहब; लालू प्रसाद की इच्छा इन्होंने तो पूरी नहीं की नरेंद्र मोदी जी ने पूरी कर दी। शाह की इस बात को सुनकर एनडीए के सदस्यों ने हंसते हुए अपनी मेज भी थपथपाई।
अमित शाह ने हंसते हुए कहा कि ये लालू यादव ने कहा था कि कड़ा कानून लाइए। इसके बाद शाह ने अन्य सदस्यों का भी पुराना भाषण पढ़ा।
अमित शाह ने और क्या कहा?इसके अलावा, अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि वक्फ एक प्रकार की चैरिटेबल संस्था है, जहां कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को सामाजिक, धार्मिक या जनकल्याण के उद्देश्य से दान करता है, बिना उसे वापस लेने के अधिकार के। इसमें 'दान' शब्द का विशेष महत्व है, क्योंकि दान केवल उसी चीज का किया जा सकता है, जो हमारी स्वयं की संपत्ति हो। सरकारी संपत्ति का दान कोई नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को डराकर वोट बैंक खड़ा किया जा रहा है। भय का माहौल बनाकर भारत में भ्रांति फैलाई जा रही है। गृह मंत्री शाह ने सदन में कहा कि जो लोग धार्मिक संस्थाओं का संचालन करते हैं, उनमें किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति को शामिल करने का प्रावधान न पहले था और न ही एनडीए सरकार ऐसा करने जा रही है।
जो लोग बड़े-बड़े भाषण देते हैं कि समानता का अधिकार खत्म हो गया या दो धर्मों के बीच भेदभाव होगा या मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों में दखल दिया जाएगा, उन्हें कहना चाहता हूँ कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है।
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'अगर नरेंद्र मोदी का चेहरा पसंद नहीं है तो...', ललन सिंह ने संसद में विपक्ष से कह दी तीखी बात
राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्रीय मंत्री एवं जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) धर्मनिरपेक्ष नीतियों के आधार पर बिना किसी भेदभाव के देश के सभी लोगों के विकास की योजना पर काम कर रहे हैं।
बुधवार को लोकसभा में पेश वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) का समर्थन करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि वोट की राजनीति के कारण कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। बिल को मुस्लिम विरोधी बता कर प्रचारित किया जा रहा है।
'अगर नरेंद्र मोदी का चेहरा पसंद नहीं है तो...'उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड कोई धार्मिक संस्था नहीं है। यह वक्फ संपत्तियों के संचालन की एक नियामक समिति है। विपक्ष के लोगों को अगर नरेंद्र मोदी का चेहरा पसंद नहीं है तो न देखें, लेकिन उनके अच्छे कार्यों की प्रशंसा तो करें।
ललन ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस या दूसरे दलों से धर्मनिरपेक्षता का प्रमाण पत्र नहीं चाहिए। नीतीश कुमार ने 20 वर्षों के अपने शासनकाल में बिहार के मुसलमानों के लिए जितना काम किया, उतना काम कांग्रेस अपने लंबे शासनकाल में भी नहीं कर पाई थी।
'नीतीश ने सबसे विकास के लिए काम किया'ललन सिंह ने कहा, नीतीश ने भागलपुर के दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाया। कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराई। मुसलमानों के शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास के लिए कई योजनाएं बनाई, जिनका लाभ पूरी मुस्लिम आबादी को मिल रहा है। नीतीश ने बिना किसी विवाद के सबके विकास के लिए काम किया। नीतीश कुमार ने यह सब भाजपा के सहयोग से किया।
ललन सिंह ने बताया वक्फ संशोधन बिल का फायदा?केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल के पारित होने के बाद मुसलमानों के कमजोर तबके को लाभ मिलेगा। आज वक्फ की संपत्ति का लाभ खास लोगों को मिल रहा है। मुसलमानों की बड़ी आबादी इसके लाभ से वंचित है।
उन्होंने कहा, बिल का उद्देश्य यह है कि वक्फ की संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी मिले। वक्फ की संपत्ति का अपने हक में उपयोग करने वाले लोग ही संशोधन बिल का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस वोट के लिए बिल का विरोध कर रही है।
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Waqf Amendment Bill: 'आपने जो पाप किया था पीएम मोदी ने...', वक्फ संशोधन बिल पर संसद में क्या बोले ललन सिंह?
डिजिटल डेस्क, पटना। लोकसभा में आज यानी कि बुधवार को सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया है। जनता दल यूनाइटेड के सांसद और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने संसद में वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया है। इसके साथ उन्होंने एक लंबी स्पीच भी दी है।
ललन सिंह ने कहा कि शुरू से ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जैसे कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम विरोधी है। गलत जानकारी देकर पूरे देश में माहौल खराब किया जा रहा है। सभी लोगों से यह बताया जा रहा है कि यह मुसलमान विरोधी है, कहीं से यह मुसलमान विरोधी नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि वक्फ कोई मुस्लिम संस्था है क्या? यह एक ट्रस्ट है, जो मुसलमानों के हक के लिए बनाया जाता है। यह कोई धार्मिक संस्था नहीं है। इस ट्रस्ट को मुसलमान वर्ग के सभी वर्गों के साथ न्याय करना चाहिए, जो नहीं हो रहा है।
वक्फ कोई संस्था नहीं एक नियामक है- ललन सिंह- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वक्फ कोई संस्था नहीं है, यह नियामक है और प्रशासनिक निकाय है, जो मुसलमानों के हित केलिए काम करती है। आज इसे नैरेटिव बनाया जा रहा है।
- ललन सिंह ने कहा कि मोदीजी को लोग कोस रहे हैं, उनका चेहरा पसंद नहीं आ रहा है तो मत देखिए उनकी तरफ। 2013 में आपने जो पाप किया था, उसे समाप्त करके पारदर्शिता लाने का काम किया है।
- उन्होंने कहा कि आज इस देश में दो तरह के लोग वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ हैं। एक वैसे लोग जो वोट के लिए धार्मिक मामलों का इस्तेमाल करते हैं। दूसरे वो लोग हैं, जिनका वक्फ पर कब्जा था।
- उन्होंने कहा कि वक्फ की आमदनी मुसलमानों के लिए सही से इस्तेमाल हो रही है, इसपर नजर रखने के लिए यह संशोधन हम कर रहे हैं।
#Live: वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में संबोधन। https://t.co/p5KOMbvv0c
— Rajiv Ranjan (Lalan) Singh (@LalanSingh_1) April 2, 2025 कांग्रेस पर ललन सिंह ने साधा निशानाइसके साथ ललन सिंह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक नेता ने बयान दिया कि जदयू सेक्युलर पार्टी है, उसे देखना है। तो हम बता दें कि जदयू और नीतीश कुमार को आपके सेक्युलरिज्म की जरूरत नहीं है।
सेक्युलरिज्म की आपकी (कांग्रेस) परिभाषा यह है कि समाज को वोट के लिए बांट दो और भावना की राजनीति करो। इसके बाद वोट लेकर देश पर राज करो।
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Bihar Politics: बिहार कांग्रेस में देर रात उलटफेर, विधानसभा चुनाव के पहले 40 जिलों में नए अध्यक्ष बनाए
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News Today: बिहार में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके पहले प्रदेश कांग्रेस में पार्टी संगठन को मजबूत करने की कवायद लगातार जारी है। बिहार के प्रभारी और अध्यक्ष के पद पर नए लोगों को जिम्मेदारी देने के बाद अब पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने बिहार के 40 संगठनात्मक जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। मंगलवार की देर रात पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया।
आदेश के मुताबिक पटना टाउन, पटना ग्रामीण-एक और दो को मिलाकर तीन नए अध्यक्ष और इतने ही कार्यकारी अध्यक्ष तैनात किए गए हैं। पटना टाउन का अध्यक्ष पार्टी के पुराने और युवा नेता शशि रंजन को बनाया गया है। साथ ही पटना टाउन के कार्यकारी अध्यक्ष पद का जिम्मा रंजीत कुमार को सौंपा गया है।
सुमित कुमार सन्नी को पटना ग्रामीण 1 के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारीइसी प्रकार पटना ग्रामीण एक के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सुमित कुमार सन्नी को दी गई है, जबकि उदय कुमार चंद्रवंशी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। पटना ग्रामीण-दो के अध्यक्ष पद का जिम्मा गुरजीत सिंह को दिया गया है, जबकि नीतू निषाद को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
पटना के अतिरिक्त मुजफ्फरपुर कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अरविंद मुकुल को दी गई है। भागलपुर अध्यक्ष के पद पर परवेज जमाल को दिया गया है। गया में संतोष कुमार को अध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं, शहाबुद्दीन रहमानी व उदय मांझी। नालंदा में नरेश अकेला, नवादा में सतीश कुमार को अध्यक्ष बनाया गया है।
अररिया, दरभंगा, कटिहार समेत कई जिलों में फेरबदलइसी प्रकार अररिया में शाद अहमद, दरभंगा में दयानंद पासवान, पूर्वी चंपारण में इंजीनियर शशि भूषण राय, गोपालगंज में ओमप्रकाश गर्ग, कटिहार में सुनील यादव के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए हैं। किशनगंज में इमाम अली के अलावा शाहिबुल अख्तर को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
मधेपुरा में सूर्यनारायण राम, मधुबनी में सुबोध मंडल, पूर्णिया में विजेंद्र यादव, सहरसा में मुकेश झा और तारिणी ऋषि देव को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। समस्तीपुर में अबू तमीम, सारण में बच्चन प्रसाद वीरू, शिवहर में नूरी बेगम सीतामढ़ी में रकतु प्रसाद को अध्यक्ष बनाया गया है।
सिवान में सुशील कुमार यादव, सुपौल में सूर्यनारायण मेहता, वैशाली में महेश प्रसाद राय, पश्चिमी चंपारण में प्रमोद सिंह पटेल, औरंगाबाद में राकेश कुमार सिंह, अरवल में धनंजय शर्मा, बांका में कंचन सिंह, बेगूसराय में अभय कुमार सजन, भोजपुरी में अशोक राम, बक्सर में डा. मनोज कुमार पांडे बनाए गए।
जहानाबाद, जमुई समेत इन जिलों में भी बदले जिला अध्यक्षवहीं जहानाबाद में इश्तियाक आजम, जमुई में अनिल कुमार, सिंह कैमूर में राधेश्याम कुशवाहा, खगड़िया में अविनाश कुमार अविनाश, लखीसराय में अमरेश कुमार अनीश मुंगेर में अशोक पासवान,रोहतास में अमरेंद्र पांडे और शेखपुरा में प्रभात कुमार चंद्रवंशी को अध्यक्ष बनाया गया है।
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जागरण संवाददाता, पटना। Bihar Weather News: बिहार समेत देश भर में इस बार भीषण गर्मी से लोग बेहाल हो सकते हैं। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) का अनुमान है कि अप्रैल से जून के तीन महीने में इस बार लू (हीट वेव) के कारण भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है। वहीं बारिश को लेकर भी अच्छी खबर नहीं है।
बिहार के दक्षिण भागों में भीषण गर्मी पड़ने की संभावनाउत्तर बिहार की तुलना में दक्षिण भागों के जिलों में अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। दक्षिण बिहार का न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने के कारण गर्म रात भी होने के आसार है। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार अप्रैल में अधिकतम तापमान सामान्य से 50 फीसद अधिक रहने का पूर्वानुमान है।
आमतौर पर प्रदेश का सामान्य अधिकतम तापमान 36-38 डिग्री सेल्सियस के बीच है। अधिकतम तापमान की तरह ही प्रदेश का न्यूनतम तापमान भी सामान्य से 60 फीसद अधिक रहने का पूर्वानुमान है।
अप्रैल में बारिश सामान्य से 40 फीसदी कम होगीअप्रैल में प्रदेश का सामान्य न्यूनतम तापमान 20-22 डिग्री सेल्सियस है। अप्रैल में वर्षा भी सामान्य से 40 फीसद कम वर्षा होने के आसार है। सामान्य वर्षापात 18.0 मिमी है। प्रदेश का मौसम पछुआ के कारण शुष्क बना रहेगा। 48 घंटों के दौरान अधिसंख्य भागों के अधिकतम तापमान व 72 घंटों के दौरान न्यूनतम तापमान में एक से तीन डिग्री की वृद्धि का पूर्वानुमान है।
तीन अप्रैल को बक्सर, कैमूर व राेहतास जिले के कुछ स्थानों पर गरज-तड़क के साथ हल्की वर्षा का पूर्वानुमान है। पटना व आसपास इलाकों में दोपहर के बाद कुछ स्थानों पर आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है। बीते 24 घंटों के दौरान पटना सहित पटना सहित 21 शहरों के न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई।
पटना का न्यूनतम तापमान 21.3 डिग्री सेल्सियसपटना का न्यूनतम तापमान 21.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि 13.0 डिग्री सेल्सियस के साथ पूसा समस्तीपुर में सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। राजधानी का अधिकतम तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
38.9 डिग्री सेल्सियस के साथ प्रदेश का सबसे अधिकतम तापमान खगड़िया में दर्ज किया गया। पटना व आसपास इलाकों में सुबह-शाम मौसम सामान्य बने होने के साथ कुछ स्थानों पर आंशिक रूप से बादल छाए रहे। बीते 24 घंटों के दौरान पटना सहित सभी जिलों के अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई।
प्रमुख शहरों के तापमान में वृद्धिपटना के अधिकतम तापमान में 1.1 डिग्री, पूर्णिया में 1.2 डिग्री, फारबिसगंज में 1.8 डिग्री, सुपौल में दो डिग्री, मोतिहारी में 1.3 डिग्री, डेहरी में एक डिग्री, वैशाली में 1.1 डिग्री, वाल्मीकि नगर में 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई।
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Chaiti Chhath Puja 2025: नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ चैती छठ, आज खरना के दिन बन रहा अद्भुत संयोग
जागरण संवाददाता, पटना। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरछाय। ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय..लोक आस्था का महापर्व चैती छठ (Chaiti Chhath 2025) मंगलवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया। मंगलवार की सुबह शहर के प्रमुख गंगा घाटों पर व्रतियों ने आस्था की डुबकी लगाने के बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य देकर पवित्रता के साथ अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।
घाटों पर व्रतियों के साथ अन्य महिलाएं व युवाओं की भागीदारी रही। आज खरना (लोहंडा) की पूजा कर व्रती शाम में खीर, रोटी, मौसमी फल का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लेंगे। सूर्य देव को आरोग्य देवता के रूप में पूजा की जाती है तथा समस्त जगत के जीवन शक्ति का प्रदाता सूर्य को माना गया है।
खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रती गुरुवार को अस्ताचलगामी को सूर्य को अर्घ्य देने के बाद शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेंगे।
ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि चैत्र शुक्ल पंचमी बुधवार को कृतिका व रोहिणी नक्षत्र के युग्म संयोग, प्रीति योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन बना रहेगा। व्रती आज पूरे दिन निराहार रह कर संध्या में खरना का पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। चैत्र शुक्ल षष्ठी गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग के संयोग में डूबते सूर्य को अर्घ्य व चार अप्रैल शुक्रवार को उगते सूर्य को रवि योग में अनुष्ठान का समापन होगा।
महापर्व में बरसती है षष्ठी मैया की कृपा:छठ महापर्व शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय-खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक छठ व्रती पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है।
सूर्य को आरोग्य को देवता माना गया है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है। खरना के प्रसाद में ईख, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा से आराम मिलता है। प्रसाद से तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है।
छठ महापर्व के सामग्री का विशेष महत्व :- सूप, डाला: अर्घ्य में नए बांस से बनी सूप व डाला का इस्तेमाल किया जाता है। सूप से वंश वृद्धि तथा उनकी रक्षा होती है।
- ईख: ईख आरोग्यता का घोतक है।
- ठेकुआ: ठेकुआ समृद्धि का घोतक है।
- मौसमी फल: ऋतुफल के फल से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।
- खरना पूजा: संध्या 06:10 बजे 07:15 बजे तक
- अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य : शाम 06:10 बजे तक
- प्रातः कालीन सूर्य को अर्घ्य: सुबह 05:49 बजे के बाद
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Bihar Jobs 2025: चुनाव से पहले बिहार में फिर निकली बहाली, 682 पदों पर भर्ती के लिए जारी हुआ नोटिफिकेशन
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) अवर सांख्यिकी पदाधिकारी और प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के 682 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन स्वीकार कर रहा है।
वेबसाइट https://bssc.bihar.gov.in/ पर आवेदन के लिए 21 अप्रैल तक लिंक उपलब्ध होगा। फीस ऑनलाइन 19 अप्रैल तक स्वीकार किए जाएंगे।
सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए 313 पद चिह्नित हैं। 98 एससी, सात एसटी, 112 बीसी, 62 पिछड़ा वर्ग, 22 पिछड़ा वर्ग की महिला और 68 ईडब्ल्यूएस श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित है।
दीघा आईटीआई में विशेष भर्ती अभियान- बता दें कि जॉब को लेकर बिहार सरकार के अलावा एक प्राइवेट संस्था ने भी नोटिफिकेशन जारी किया है। दरअसल, एमआरएफ के दो प्लांट चेन्नई और हैदराबाद में दो हजार से ज्यादा भर्तियां होनी है।
- इसको लेकर दो अप्रैल को दीघा स्थित आइटीआइ परिसर में विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसमें पांचवीं, 10वीं व 12वीं पास के अलावा आइटीआइ अभ्यर्थी शामिल हो सकते हैं।
- एप्रेंटिसशिप योजना के तहत भर्ती किए गए युवकों को 17,500 स्टाइपेंड दिया जाएगा।
इसके अलावा, श्रम संसाधन विभाग पटना के निर्देशानुसार जिला नियोजनालय सह माडल कैरियर सेंटर संयुक्त श्रम भवन नवादा (सरकारी आइटीआइ) के प्रांगण में तीन अप्रैल को रोजगार शिविर का आयोजन किया जाएगा।
शिविर में एचआरबीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) द्वारा हेल्पर एवं आपरेटर के 50 पदों के लिए भर्ती की जाएगी।
इसके लिए योग्यता दसवी, बारहवीं, आइटीआइ, डिप्लोमा पास एवं उम्र सीमा 18 से 40 वर्ष निर्धारित है।
इच्छुक आवेदक अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र, पहचान पत्र (आइडीकार्ड) की छायाप्रति, रंगीन फोटो एवं बायोडाटा के साथ संयुक्त श्रम भवन (सरकारी आइटीआइ), नवादा के प्रांगण में शिविर में भाग लेकर लाभ उठा सकते हैं।
यहां भी लगेगा जॉब कैंप, तैयारी पूरीदो अप्रैल यानी बुधवार को संयुक्त श्रम भवन परिसर में जॉब कैम्प का आयोजन किया जाएगा। इसमें कुल दो सौ पदों पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार का आयोजन किया जाएगा।
12 वीं उत्तीर्ण अभ्यर्थी की बहाली की जाएगी। इसके लिए अभ्यर्थी की उम्र सीमा 18 से 29 वर्ष निर्धारित है। कम्पनी द्वारा अभ्यर्थी को रुपये वेतन सहित अन्य मुफ्त आवास इनसेन्टिव, फ्युल खर्च प्रतिमाह दिया जाएगा।
नियोजक द्वारा चयनित अभ्यर्थी को उत्तर बिहार के सभी जिलों में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। नियोजक द्वारा चयनित अभ्यर्थी को दो पहिया वाहन एवं चालक लाइसेंस होना अनिवार्य है।
जॉब कैम्प में भाग लेने के लिए अपना बायो डाटा,सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्र, पांच रंगीन फोटो, आधार कार्ड, पेन कार्ड एवं अन्य प्रमाण पत्र की छाया प्रति साथ लाना होगा। कैंप निशुल्क है।
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Bihar Wheat Price: पछुआ से गेहूं की उपज हो सकती है प्रभावित, 15 जून तक होगी खरीद; ये है सरकारी रेट
जागरण टीम, पटना। इस बार गर्मी गत वर्ष की अपेक्षा थोड़ी पहले आ गई है। मार्च महीने से ही इसका असर दिख रहा है। मौसम में अचानक इस बदलाव की वजह से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंच सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, तापमान अधिक होने से गेहूं का दाना पूर्णरूप से विकसित होने से पहले ही पक जाएगा। इससे गेहूं की उपज प्रभावित हो सकती है।
सारण, बेगूसराय समेत अन्य जिलों से मिली सूचना के अनुसार, गेहूं के दाने सिकुड़ गए हैं, खासकर पीछे बोआई करने वाले किसानों की फसल की स्थिति अपेक्षाकृत खराब है।
इधर, राज्य में मंगलवार यानी 01 अप्रैल से गेहूं खरीदने की व्यवस्था सरकार ने शुरू कर दी है। सरकार ने इसबार दो लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है। इनमें 1.5 लाख टन गेहूं पैक्स और व्यापार मंडल के माध्यम से खरीद होगी, जबकि 50 हजार टन गेहूं भारतीय खाद्य निगम से खरीद होगी।
सरकार ने इस बार गेहूं के भाव में 150 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि कर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल का भाव तय किया है। यह भी घोषणा की गई है कि गेहूं खरीद के 48 घंटे के अंदर ही किसानों को राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। पहले दिन खरीदारी का शुभारंभ सासाराम से हुआ है। अब वहां के दो किसानों को 48 घंटे में भुगतान की प्रतीक्षा है। शेष जिलों से खरीद की सूचना नहीं है।
गोपालगंज: कई स्थानों पर कटाई प्रारंभजिले में 98,300 हेक्टेयर में गेहूं के आच्छादन का लक्ष्य था। जिसके विरुद्ध 97,200 हेक्टेयर में गेहूं की खेती की गई है। मार्च माह के तीसरे सप्ताह से तेज पछुआ चलने का असर गेहूं के दानों पर आंशिक रूप से पड़ने की संभावना है। गेहूं की फसल पककर लगभग तैयार हो गई है। कई स्थानों पर गेहूं की कटाई भी शुरू हो गई है। पहले दिन कहीं से भी गेहूं खरीद प्रारंभ होने की सूचना नहीं है।
जहानाबाद/अरवल: 30 डिग्री से अधिक तापमान पर तेजी से परिपक्व होते दानेजहानाबाद की जिला कृषि पदाधिकारी संभावना ने बताया कि समय से पहले गर्मी आने से गेहूं की फसल पर आंशिक असर पड़ सकता है। 15 से 20 प्रतिशत तक उपज प्रभावित होने की आशंका है। दाने सिकुड़ गए हैं। अरवल जिले में 17 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की गई है।
कृषि विज्ञान केंद्र की वरीय कृषि वैज्ञानिक अनिता कुमारी ने बताया कि गेहूं की फसल में सामान्य रूप से परागण और दाने भरने के लिए अनुकूल तापमान बेहद जरूरी है। 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर दाने तेजी से परिपक्व होने लगते हैं। ऐसे मे नवंबर में गेहूं की बोआई करने वाले किसानों को 10 तथा दिसंबर में बोआई करने वाले किसानों की उपज 20 प्रतिशत तक प्रभावित होने की संभावना है।
बेगूसराय: पीछे बोआई करने वालों के दाने अपुष्टजिले में अगात बोआई करने वाले किसानों की फसल के दाने तो ठीक हैं, लेकिन थोड़ा पीछे बोआई करने वालों की फसल के दाने अपुष्ट हैं। समय से पहले गर्मी के कारण गेहूं के दाने सिकुड़ गए हैं।
नवादा: पछुआ हवा ने पहुंचाया नुकसानगेहूं की फसल को बहुत अधिक नुकसान होने की सूचना नहीं है। कुछ किसान पछुआ के प्रभाव से लेट वेराइटी वाले गेहूं के दाने कमजोर पड़ने की आशंका जता रहे हैं। दाने तैयार होने से पहले ही सिकुड़ गए हैं।
गया: अच्छी पैदावार की उम्म्मीदजिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया है कि जिले में इस वर्ष गेहूं की फसल अच्छी हुई। अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
हाजीपुर: पछुआ का आंशिक असरजिले में 98.7 प्रतिशत यानी 47 हजार 376 हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगी है। बताया गया कि मार्च माह में जिस गति से पछुआ हवा चलनी शुरू हुई थी। इसका असर गेहूं के दाने पर आंशिक रूप से पड़ा है।
सिवान: पछुआ का दाने पर असरजिले में गेहूं की फसल का आच्छादन निर्धारित लक्ष्य 1 लाख 12 हजार 566 हेक्टेयर के विरुद्ध 98.70 प्रतिशत यानी एक लाख 11 हजार 107 हेक्टेयर में हुआ है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डा. जितेंद्र प्रसाद ने बताया कि मार्च माह में जिस गति से पछुआ चलनी शुरू हुई थी। इसका असर गेहूं के दाने पर आंशिक पड़ा है।
सासाराम: पहले दिन दो किसानों से खरीदजिले में 84 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें सहकारिता विभाग के 74 व एफसीआइ के 10 केंद्र शामिल हैं। पहले दिन मंगलवार तक एफसीआइ द्वारा दो किसानों से 3.550 एमटी गेहूं की खरीद की गई है।
बक्सर: उपज 25 प्रतिशत तक प्रभावित होने की आशंकाबक्सर जिले में 99323 हेक्टेयर में गेहूं की खेती की गई है। जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश शंकर ने बताया कि 20 से 25 प्रतिशत तक उपज प्रभावित होने की आशंका है। जिले में गेहूं की कटनी अभी कुछ ही दिनों पहले शुरू हुई है। प्रशासनिक स्तर पर फसल कटनी प्रयोग होना शेष है। इसके बाद ही आधिकारिक स्तर पर कोई आंकड़ा मिल सकेगा।
भोजपुर: ताप प्रतिरोधी हैं बीजभोजपुर जिले में तापमान बढ़ने का असर नहीं होगा। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि अब जिले के किसान गेहूं के जिस बीज से खेती कर रहे हैं, वह ताप प्रतिरोधी है। गेहूं की नई फसल 30 डिग्री तक तापमान सहन कर सकती है। पहले दिन कहीं भी गेहूं की खरीद नहीं हुई है।
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Waqf Bill पर जदयू की 'हां' और 'ना', 2 मुस्लिम नेताओं ने कही ये बात; अब क्या करेंगे नीतीश कुमार?
राज्य ब्यूरो, पटना। वक्फ बिल (Waqf Amendment Bill) पर जदयू को उम्मीद है कि सरकार उनकी बात को मानेगी। जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा का कहना है कि हमलोग यह चाहते हैं कि यह बिल पूर्व की तारीख से लागू नहीं हो।
राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा है कि वक्फ बिल पर जदयू द्वारा दिए गए संशोधन पर केंद्र सरकार की सहमति मिल सकती है। इस बीच जदयू ने वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने को ले व्हीप जारी किया है।
JDU के दो मुस्लिम नेताओं ने कही ये बातजदयू के दो मुस्लिम नेताओं ने वक्फ बिल पर अपनी आपत्ति जतायी है। जदयू विधान पार्षद गुलाम गौस ने कहा कि उनकी समझ है कि जदयू वक्फ बिल के पक्ष में नहीं है। मालूम हाे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक वक्फ बिल पर कोई वक्तव्य नहीं दिया है।
'हम उम्मीद करते हैं कि...'मंगलवार को मीडिया ने उनसे जदयू कार्यालय में उनसे इस बारे में सवाल किया था पर वह टाल गए और ठीक है कहते हुए निकल गए।
पूर्व राज्यसभा सदस्य और जदयू नेता अश्फाक करीम का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि नीतीश कुमार इस बारे में कोई न कोई फैसला जरूर लेंगे।
जदयू के सुझाव में क्या-क्या?ऐसा कहा गया है कि जदयू के सुझाव में यह शामिल है कि जमीन के मामले में राज्यों के सुझाव भी लेने चाहिए क्योंकि जमीन राज्य का विषय है। इसके अतिरिक्त सुझाव में यह भी शामिल है कि पुराने मुस्लिम धार्मिक स्थान को लेकर किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो।
केंद्रीय मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि जदयू अपना पक्ष संसद में ही रखेगा।
वक्फ संशोधन कई राजनीतिक दलों के सपने चकनाचूर कर देगा : मांझीदूसरी ओर, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया है। मांझी ने मंगलवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि वक्फ संशोधन बिल 2025 कई राजनीतिक दलों के सपनों का चकनाचूर कर देगा।
उन्होंने लिखा के जो दल अभी तक वक्फ बिल को लेकर मुसलमानों को भड़काने का काम कर रहे थे उन्हें हमारी सरकार करारा जवाब देने जा रही है। वक्फ संशोधन बिल जिस दिन पास होगा उस दिन देश के हर मुसलमान कहेंगे मोदी है तो सब मुमकिन है। उन्होंने मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा है कि देश का हर तबका आपके साथ है।
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शिवदीप लांडे के बाद बिहार में एक और IPS अफसर का इस्तीफा मंजूर, केंद्र सरकार ने दी हरी झंडी
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार की आईपीएस और दरभंगा ग्रामीण की एसपी रही काम्या मिश्रा का इस्तीफा (IPS Kamya Mishra Resignation) स्वीकार कर लिया गया है। काम्या मिश्रा ने बीते वर्ष अगस्त महीने में निजी कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा राज्य सरकार को सौंपा था। अब जिसे केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल गई है।
इस्तीफा देने से कुछ महीनों पूर्व ही काम्या मिश्रा ने दरभंगा ग्रामीण एसपी के रूप में अपना योगदान दिया था। अपने पदस्थापन के दौरान विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी की हत्या मामले की जांच के साथ उन्होंने कई कई अहम कार्य जिले में किए।
2018 में पास की थी सिविल सेवा परीक्षामूल रूप से ओडिशा की रहने वाली काम्या ने अपने पहले ही प्रयास में 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी और पुलिस सेवा का चयन किया था।
उनकी शुरुआती पोस्टिंग हिमाचल कैडर में हुई, परंतु बाद में उन्होंने स्वयं ही बिहार कैडर का चयन कर लिया था। पुलिस सेवा में एक सीमित अवधि बिताने के बाद उन्होंने पिछले वर्ष राज्य सरकार को अपना इस्तीफा दिया था। जिसे अब स्वीकृति मिल गई है।
शिवदीप के बाद दूसरा इस्तीफा मंजूरगौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में बिहार के दूसरे आईपीएस अफसर का इस्तीफा मंजूर हुआ है। काम्या मिश्रा से पहले 15 जनवरी 2025 को बिहार कैडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी और आईजी शिवदीप लांडे का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया था। शिवदीप लांड ने पिछले साल (2024) सितंबर में पूर्णिया आईजी रहते हुए पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था।
काम्या मिश्रा ने क्यों दिया था इस्तीफा?काम्या मिश्रा ने बताया था कि माता-पिता की अकेली बेटी हूं। वहां बड़ा कारोबार है। संभल नहीं रहा है। परिवार भी नहीं संभल रहा है। इतनी अच्छी नौकरी कोई यूं ही नहीं छोड़ता। उन्होंने कई बार ऐसा भी बोला था कि नौकरी में उनका मन नहीं लग रहा है।
काम्या मिश्रा की महत्वपूर्ण उपलब्धियां- UPSC में सफलता और आईपीएस कैडर प्राप्ति
काम्या मिश्रा ने 22 वर्ष की उम्र में 2019 में पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर हिमाचल प्रदेश आईपीएस कैडर प्राप्त किया था। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस कठिन परीक्षा में सफलता दिलाई।
- बिहार कैडर में स्थानांतरण और पति की भूमिका
2021 में काम्या मिश्रा ने बिहार कैडर में स्थानांतरण करा लिया। इसके साथ ही उनके पति अवधेश दीक्षित भी आईपीएस ऑफिसर बने, जो फिलहाल मुजफ्फरपुर में सिटी एसपी के पद पर तैनात हैं।
- दरभंगा की पहली ग्रामीण एसपी नियुक्ति
7 मार्च 2024 को काम्या मिश्रा को दरभंगा की पहली ग्रामीण एसपी नियुक्त किया गया। इससे पहले वह पटना सचिवालय में एएसपी के पद पर कार्यरत थीं। उनका यह योगदान ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा को और सुदृढ़ बनाने में अहम साबित हो रहा है।
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Bihar Politics: अचानक JDU दफ्तर पहुंचे CM नीतीश, 15 मिनट तक क्या हुआ? बिहार में फिर तेज हुई सियासी हलचल
राज्य ब्यूरो, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार की शाम अचानक जदयू प्रदेश कार्यालय पहुंच गए। उनके साथ ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी भी थे। लगभग 15 मिनट तक मुख्यमंत्री प्रदेश कार्यालय में रहे।
लौटने के क्रम में वहां मौजूद पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोका और गाने लगीं- केहू केतनो होई, बाकी नीतीश न होई, जईसन राज्य चलाए कि दूसरे के परवेश न होई।
महिला कार्यकर्ताओं के इस गीत पर प्रदेश कार्यालय में जिंदाबाद के नारे भी लगे। कार्यकर्ताओं ने यह नारा भी लगाया कि हमारा नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो। महिला कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के साथ अपनी तस्वीर भी ली।
बिना किसी सूचना के मुख्यमंत्री 4.45 बजे जदयू प्रदेश कार्यालय पहुंच गए। वह लगभग 15 मिनट तक पार्टी कार्यालय में रहे।
पार्टी दफ्तर का एक चक्कर लगाकर वह निकले- पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के बारे में पूछा तो पता चला अस्वस्थता की वजह से नहीं आए हैं। मुख्यमंत्री ने पार्टी के प्रदेश दफ्तर में मौजूद कार्यकर्ताओं से बात भी। उनके आवेदन भी मुख्यमंत्री ने लिए।
- पार्टी दफ्तर का एक चक्कर लगाकर वह निकले। पार्टी दफ्तर में मौजूद पार्टी के पदाधिकारियों से भी बात की।
- वहां मौजूद मीडिया ने मुख्यमंत्री से वक्फ बिल पर सवाल भी किया पर ठीक है कहकर उन्होंने इसे टाल दिया।
- हाल के दिनों में यह पहला मौका है, जब मुख्यमंत्री बगैर किसी सूचना के जदयू दफ्तर पहुंचे और वहां मौजूद कार्यकर्ताओं से बात की।
इधर, नीतीश के जदयू दफ्तर दौरे के बीच उनके एक नेता का बयान भी सामने आया है। सभी के हित सोचते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। उनके जैसा नेता पूरे देश में खोजने पर नहीं मिलेंगे।
उक्त बातें पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह ने मंगलवार को कही। कहा कि बिहार का विकास नीतीश कुमार की देन है। बिहार की समृद्ध विरासत का जिक्र करते हुए कहा कि यह महात्मा बुद्ध, महावीर और सूफी संतों की धरती है।
यह 40 देशों की राजधानी रही है, लेकिन कुछ नेताओं ने जाति और धर्म के नाम पर राज्य को नुकसान पहुंचाया है। वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर कहा कि नीतीश कुमार अल्पसंख्यक समाज के साथ मजबूती से खड़े हैं।
उनकी सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। कब्रिस्तानों की घेराबंदी का काम भी कराया है। गठबंधन की राजनीति में भी नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज पर अत्याचार कभी बर्दाश्त नहीं किया।
इसी कारण बिहार में दो बार गठबंधन टूटा। अपने कार्यकाल में वक्फ बोर्ड के मामलों में कभी दखल नहीं दिया और न ही किसी को देने दिया। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि वे बताएं कि बिहार में नीतीश कुमार जैसा दूसरा नेता कौन है।
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Bihar Election 2025: सीटों को लेकर गठबंधन के दलों के बीच शुरू हुआ मंथन, दोनों तरफ बढ़ सकती है टेंशन
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा का चुनाव (Bihar Election 2025) अगर निर्धारित समय पर हुआ तो यह अक्टूबर से शुरू होकर नवंबर में समाप्त होगा। सभी दल समय पर चुनाव की संभावना प्रकट कर रहे हैं, लेकिन दलों की तैयारी बता रही है कि ये किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार हैं। इस कारण दोनों बड़े गठबंधन के दलों के बीच लड़ने वाली सीटों को लेकर मंथन शुरू हो गया है।
एनडीए और महा गठबंधन के तीन बड़े दल अपने लिए अधिक सीटों की गारंटी के साथ सहयोगी दलों के लिए इतनी सीटें छोड़ने की रणनीति पर चल रहे हैं, जिनसे असंतोष की संभावना न रहे।
कैसे होगा सीटों का बंटवारा?आम तौर पर पिछले चुनाव की हार-जीत और घटक दलों की संख्या में कमी-वृद्धि के आधार पर अगले चुनाव में सीटों का बंटवारा होता है। दोनों गठबंधन में इस आधार पर सहमति बनाने की कोशिश हो रही है कि जिस दल की पिछले चुनाव में जितनी सीटें थीं, वह उनके पास रह जाएं।
बची हुई सीटों का बंटवारा जीत की संभावना के अनुमान से किया जाए। जीती हुई सीटों पर किसी गठबंधन में विवाद नहीं है, लेकिन बाकी सीटों का वितरण किस तरह किया जाए, इस पर मंथन चल रहा है।
नए दलों ने बढ़ाई गठबंधनों की टेंशन!इसमें नए दलों की आमद नया विषय है। एनडीए में लोजपा (रामविलास) के अलावा राष्ट्रीय लोक मोर्चा इस विधानसभा चुनाव के नए फरीक हैं। उधर, महागठबंधन में वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) का आगमन हुआ है। दोनों गठबंधनों के लिए ये सहयोगी बड़ी समस्या पैदा कर रहे हैं।
पिछले चुनाव में लोजपा स्वतंत्र रूप से 134 सीटों पर लड़ी थी। एक पर जीत हुई और उसके इकलौते विधायक जदयू में समा गए। वीआईपी को एनडीए ने 11 सीटें दी थीं। अब वह महागठबंधन से 60 सीटों की मांग कर रही है। वह 40 से कम पर मान जाएगी, ऐसा नहीं लग रहा है।
2020 में महागठबंधन में कैसे हुआ सीटों का बंटवारा?2020 में महागठबंधन के दलों के बीच सीटों का बंटवारा इस तरह हुआ था- राजद-144, कांग्रेस-70, भाकपा माले-19, भाकपा-06, माकपा-04। महागठबंधन में मंथन का विषय यह है कि वीआईपी की मांग किस दल के हिस्से में कटौती करके पूरी की जाए।
अगर कांग्रेस 30 और राजद 10 सीट छोड़ दे तो वीआईपी का मुंह भर जाएगा। दूसरी तरफ वाम दलों की ओर से भी कुछ अधिक सीटों की मांग हो रही है।
2020 में एनडीए में कैसे हुआ सीटों का बंटवारा?2020 में एनडीए में सीटों का बंटवारा आसानी से हो गया था। जदयू के 115, भाजपा के 110, वीआइपी के 11 और हम (हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा) के छह उम्मीदवार मैदान में थे। इस बार लोजपा रा के लिए अधिक हिस्सा निकालने की मांग हो रही है।
यहां इस पर मंथन हो रहा है कि भाजपा और जदयू में पूर्व की कितनी सीटों को छोड़ने पर सहमति बनती है। अगर दोनों दल सौ-सौ सीटों पर राजी हो जाएं तो लोजपा रा, हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा की मांग सम्मानजनक ढंग से पूरी हो सकती है।
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आरा तनिष्क और जीवा ज्वेलरी शोरूम लूट के पीछे कौन? पुरुलिया जेल में बंद है मास्टरमाइंड, सामने आई चौंकाने वाली बात
राज्य ब्यूरो, पटना। दानापुर के जीवा ज्वेलरी शो रूम, भोजपुर और पूर्णिया के तनिष्क में करोड़ों के स्वर्णाभूषणों की लूट की साजिश पुरुलिया जेल में बंद अपराधी शेरू सिंह उर्फ ओंकारनाथ सिंह, उर्फ चंदन सिंह उर्फ प्रिंस ने रची थी।
मंगलवार को एडीजी मुख्यालय कुंदन कृष्णन ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी। इस दौरान एसटीएफ के आइजी, डीआइजी व तीन एसपी सहित जांच में लगी पूरी टीम मौजूद थी।
कुंदन कृष्णन ने बताया कि प्रिंस अभी पुरुलिया जेल में है। जल्द ही उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ होगी। घटना के बाद अब तक इस मामले में तीन आरोपियों का एनकाउंटर हुआ है।
इसमें एक आरोपी चुनमुन झा की मौत हुई है, जबकि दो आरोपी विशाल कुमार और कुणाल कुमार घायल अवस्था में गिरफ्तार हुए हैं। जबकि 13 अन्य आरोपितों को पटना, वैशाली, भोजपुर सहित देश के छह अन्य राज्यों जम्मू, गुडग़ांव (हरियाणा), छत्तीसगढ़, मिर्जापुर (यूपी) व बेंगलुरु (कर्नाटक) में छापेमारी कर गिरफ्तार किया गया है।
लूट के 2.5 किलो से अधिक स्वर्ण आभूषण भी बरामद किए जा चुके हैं। एडीजी मुख्यालय ने बताया कि अपराध के बाद अपराधी दूसरे राज्यों में छिपे हुए थे। जिन्हें छापा मार कर गिरफ्तार किया गया।
अब इन आरोपितों की अवैध संपत्ति को जब्त किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक 4000 से अधिक पेशेवर अपराधियों और 3000 नक्सलियों का डेटाबेस तैयार किया गया है। जिन्हें लगातार ट्रेस किया जा रहा है।
धर्म व नक्सल के नाम पर कट्टरपंथ फैलाने वाले के लिए बनेगी हाई सिक्योरिटी जेलपुलिस मुख्यालय के एडीजी कुंदन कृष्णन के अनुसार जेल में रह कर अपराध को अंजाम देने वाले माफिया, धर्म और नक्सल के नाम पर कट्टरपंथ फैलाने वाले अपराधियों के लिए अलग से हाई सिक्योरिटी जेल बनेगी।
दो निर्जन स्थल पर ऐसी जेल बनाने का प्रस्ताव जल्द ही गृह विभाग को भेजा जाएगा। जेल ऐसी रिमोट एरिया में बनेंगे जहां आरोपियों के स्वजनों के पहुंचने की बात छोड़ दें दूर तक नेटवर्क भी नहीं होगा।
माफियाओं को आदर्श मान अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले युवाओं के अभिभावकों से एडीजी ने अपील की कि बच्चों पर ध्यान रखें।
उन्होंने कहा कि लूट कांडों में सर्वाधिक भोजपुर, वैशाली और समस्तीपुर के किशोर-युवाओं की संलिप्तता मिली है।
ऐसे में उनकी आय के स्रोत भी भी अभिवावक नजर रखें। नहीं तो हश्र बुरा होगा। अपराध के पैसे से बनी संपत्ति को भी जब्त करेंगे और ऐसे युवाओं का पूरा भविष्य भी चौपट हो जाएगा।
Prashant Kishor: चुनाव से पहले पीके ने फिर लिया पीएम मोदी का नाम, बिहार के लोगों से कर दी बड़ी अपील
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बिहार की उपेक्षा का आरोप लगाया है।
मंगलवार को बयान जारी कर पीके ने कहा कि नरेन्द्र मोदी बिहार की जनता से वोट लेकर गुजरात में फैक्ट्री लगा रहे हैं।
पूरे देश का पैसा लेकर गुजरात के गांव-गांव में फैक्ट्री लगाई जा रही है और बिहार के लोग वहां मजदूरी करने के लिए विवश हैं।
जनता से उन्होंने पूछा है कि जब वोट आपका है तो फैक्ट्री कहां लगनी चाहिए, गुजरात में या बिहार में? अपील यह कि वोट अपने बच्चों और बिहार के भविष्य के लिए दें।
उन्होंने कहा कि इस बार वोट नेता का चेहरा देखकर नहीं, अपने बच्चों का चेहरा देखकर देना है। वोट जाति-धर्म पर नहीं, शिक्षा और रोजगार के लिए देना है। लालू-नीतीश-मोदी नहीं, बल्कि जनता का राज लाना है।
बिहार बदलों रैली को लेकर जन सुराज पार्टी की बैठकबता दें कि जन सुराज पार्टी ने 11 अप्रैल को बिहार बदलो रैली" का आयोजन पटना के गांधी मैदान में किया जा रहा है। यह रैली केवल एक राजनीतिक आयोजन नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य को संवारने का एक संकल्प है।
इसका उद्देश्य जनता को सशक्त बनाना, शासन में पारदर्शिता लाना और राज्य की बुनियादी समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए ठोस नीति निर्माण को बढ़ावा देना है।
बिहार लंबे समय से स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। प्रशासनिक लापरवाही और औद्योगिक विकास की धीमी गति ने राज्य की प्रगति को अवरुद्ध कर रखा है।
एकमा में दर्जनों लोग जनसुराज में हुए शामिल- एकमा विधानसभा क्षेत्र के रामपुर बिंदालाल पंचायत के विष्णुपुरा कला गांव निवासी समाजसेवी विकास कुमार सिंह ने अपने सर्मथकों के साथ जन सुराज पार्टी में शामिल हुए।
- पटना में जनसुराज पार्टी के कार्यालय में पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, अध्यक्ष मनोज भारती, सारण जिलाध्यक्ष बच्चा प्रसाद राय, एकम विधानसभा प्रभारी अशरफ राजा खान के समक्ष वे जन सुराज पार्टी में शामिल हुए।
- प्रशांत किशोर के साथ आगामी विधानसभा चुनाव पर चर्चा हुई तथा जन सुराज पार्टी की तरफ से उन्हें एकमा विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने का दायित्व सौंपा गया।
- मौके पर प्रशांत सिंह, विजय यादव, ओम प्रकाश सिंह, देवेंद्र ओझा, नरेंद्र सिंह, उज्ज्वल सिंह, संदीप सिंह, सुनील यादव एवं सत्येंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
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Tejashwi Yadav: अमित शाह की यात्रा के बाद तेजस्वी का खुला चैलेंज, बोले- छेड़िएगा तो छोड़ेंगे नहीं
राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आधारहीन और तथ्यहीन बताया है।
वे आरोप बिहार और लालू-राबड़ी के शासन-काल के संदर्भ में हैं। अपराध से जुड़े आंकड़े गिनाते हुए मंगलवार को प्रेस-वार्ता मेंं तेजस्वी ने कहा कि ये आंकड़े जिस राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हैं, वह गृह मंत्रालय की अधीनस्थ इकाई है।
तेजस्वी ने कहा- शाह को जवाब देने के लिए हम पर्याप्तउन्होंने कहा कि भाजपा झूठ और जुमलेबाजी से बाज आए, अन्यथा तर्कों-तथ्यों के साथ बहस कर ले। लालू प्रसाद को छोड़िए, शाह को उत्तर देने के लिए तेजस्वी ही पर्याप्त हैं।
डबल इंजन की सरकार में शाह कोई ऐसा उदाहरण बताएं, जिसमें बिहार सर्वश्रेष्ठ रहा हो। मोदी सरकार ने गुजरात को कितनी सहायता दी और बिहार को कितनी। शाह सब कुछ सच-सच बताएं, अन्यथा वे छेड़ेंगे तो हम छोड़ने वाले नहीं हैं।
तेजस्वी ने कहा कि जंगलराज से संबंधित पटना हाई कोर्ट की टिप्पणी वस्तुत: पटना नगर निगम के संदर्भ में थी। तब नगर निगम का नेतृत्व भाजपा के पास था।
वह टिप्पणी वस्तुत: भाजपा के कामकाज पर थी, नहीं कि विधि-व्यवस्था और बिहार सरकार के संदर्भ में। गृह मंत्री का दायित्व देश को एकजुट रखने का है, जबकि शाह की सच्चाई सर्वविदित है।
प्रेस वार्ता में दो नेता रहे मौजूद- प्रेस-वार्ता में शक्ति सिंह यादव और चित्तरंजन गगन उपस्थित रहे। तेजस्वी ने कहा कि परिवारवाद पर चर्चा करते हुए उन्हें पासवान और मांझी परिवार नहीं दिखता।
- बिहार मंत्रिमंडल में 50 प्रतिशत चेहरे राजनीतिक परिवार से हैं। आश्चर्यजनक यह कि शाह यह बता रहे कि लालू के भाई-भाभी भी विधायक थे। उनके इस ज्ञान पर क्षोभ है। उन्हें बिहार के बारे में कुछ नहीं पता।
- जिस जानकी मंदिर के निर्माण की वे बात कर रहे वह तो पहले से अस्तित्व में है। 80 करोड़ से उसके सुंदरीकरण की योजना को मैंने अपने हस्ताक्षर से स्वीकृति दी थी।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार की बंद चीनी मिलों को चालू कराने का वादा कर गए थे। शाह उसकी चर्चा नहीं करेंगे। चारा घोटाले की बात होगी, लेकिन सृजन घोटाला के 3000 करोड़ की वसूली कब और कैसे होगी।
- इसी के साथ उन्होंने महागठबंधन सरकार के दौरान हुए कामकाज और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार में बिहार को मिली सहायता का उल्लेख किया। रेल मंत्री के रूप में लालू के दौर को उपलब्धियों वाला बताया।
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Bihar Assembly Election: जेपी से पहले नरेंद्र थे लालू के गुरु? क्लर्क की नौकरी; राबड़ी-राजनीति और रोचक किस्सा
अजय सिंह, नई दिल्ली/ पटना । "हम सब में से वह अकेला था, जो परिवार के नाम 'राय' का उपयोग नहीं करता था। वह हमेशा लालू राय के स्थान पर लालू यादव लिखता था। यह सब उसके स्कूल के शुरुआती दिनों की बात है। हमारा इस ओर ध्यान भी नहीं गया, जब तक कि उसने राजनीति में नाम कमाना शुरू कर दिया, लेकिन वह जाति का नाम यादव हमेशा अपने नाम के आगे लगाता था।"
वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर अपनी किताब 'द ब्रदर्स बिहारी' में लालू यादव के बड़े भाई महावीर यादव के हवाले से लिखते हैं " लालू यादव हम सब भाई-बहनों में वह शुरू से ही खास था। हम सब शुरू से जानते थे कि उसमें कोई ऐसी बात थी, जो हममें से किसी के पास नहीं थी।
दरअसल, लालू यादव जिस इलाके से आते हैं वहां यादव समुदाय के लोग अपना सरनेम राय लिखा करते हैं। लालू यादव के पिता का नाम भी कुंदन राय है। लेकिन बचपन से चालाक लालू अपना सरनेम राय नहीं लिखते हैं। इसके पीछे भी दिलचस्प वाकया है।
फुलवारिया से पटना कैसे पहुंचे लालू यादव?लालू यादव छोटे से आंगन में एक छोटे से ईंट के टुकड़े से अपनी स्लेट पर कुछ चित्रकारी कर रहे थे कि तभी वहां से फुलवारिया के एक जमींदार गुजरे और लालू पर नजर पड़ते ही कहा- ओहो, देखा एही कलयुग है। अब ई ग्वार का बच्चा भी पढ़ाई-लिखाई करी। बैरिस्टर बनाबे के बा का...
(फोटो: लालू यादव फेसबुक पेज)
लालू यादव के चाचा यदुनंद राय, जो उस समय पटना पशु चिकित्सा महाविद्यालय में ग्वाला का काम करते थे, इस टिप्पणी से इतने तिलमिला गए कि उन्होंने अपने भतीजे को तुरंत पटना ले जाकर पढ़ाई-लिखाई का प्रबंध करने का निर्णय ले लिया।
और यहीं से कुंदन राय के बेटे लालू यादव की सियासी कहानी की शुरुआत होती है। लालू यादव फुलवारिया (गोपालगंज) से पटना आते हैं। वेटनरी कॉलेज में लालू यादव का ठिकाना मिलता है। मिलर स्कूल में स्कूलिंग करते हैं। उसके बाद पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज में दाखिला कराते हैं।
कौन हैं नरेंद्र सिंह जो लालू को छात्र राजनीति में लाए?बिहार में उस समय साइंस कॉलेज और बीएन कॉलेज पटना विश्वविद्यालय के बेहतर कॉलेजों में से एक थे। जब तक लालू यादव को बी.एन कॉलेज में प्रवेश मिला, वह विश्वविद्यालय राजनीति का एक गढ़ भी बन चुका था। राममनोहर लोहिया की लीडरशिप में समाजवादी आंदोलन उत्तर भारत के स्कूल-कॉलेजों में तूफान लाने के लिए आतुर था। गैर-कांग्रेसवाद की लहर युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने लगी थी।
ऐसे में लालू यादव के लिए बीएन कॉलेज में रहकर राजनीति से दूर रह पाना आसान नहीं था। पढ़ाई में कमजोर लालू यादव के लिए राजनीति का ककहरा सीखना आसान था।
इसी बीच, लालू यादव को एक नामी-गिरामी साथी मिलता है। नाम था नरेंद्र सिंह जो कि सोशलिस्ट नेता श्रीकृष्ण सिंह के पुत्र थे। लालू यादव जिस समय पटना यूनिवर्सिटी में पहुंचे थे उस समय नरेंद्र सिंह समाजवादी छात्र कार्यकर्ता के रूप में फेमस हो चुके थे।
कहा जाता है कि वह नरेंद्र सिंह ही थे , जो लालू यादव को राजनीति में लाए। 'नरेंद्र सिंह बताते हैं कि पिछड़ी जाति के छात्रों को राजनीति में लाना चाहता था और उस समय लालू यादव सबसे मुफीद लगे।' लालू यादव का एक किस्सा संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब में नरेंद्र सिंह के हवाले से लिखा है:
मुझे याद है, वे कॉलेज के गलियारे की रेलिंग पर चढ़ गए और अपना गमछा हिला-हिलाकर कुछ ही मिनटों में सैकड़ों छात्रों को इकट्ठा कर लिया।
लालू यादव को क्लर्क की नौकरी कैसे मिली?लालू यादव के परिवार की आर्थिक हालत बहुत ही बुरी थी। लालू जानते थे कि गांव से पटना पहुंचकर राजनीति करूंगा तो परिवार का खर्च कौन और कैसे चलाएगा? इसलिए एक बार वो पुलिस में बहाल होने की नाकाम कोशिश भी कर चुके थे।
'नरेंद्र सिंह कहते हैं कि एक बार छात्र नेताओं की बैठक थी, लेकिन उस बैठक में लालू यादव नहीं आए। दूसरे दिन जब हमने पूछा कि बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए। पहले तो लालू यादव ने छिपाने की कोशिश की लेकिन फिर बताया कि वो पुलिस में भर्ती होना चाहते हैं, लेकिन दौड़ (फिजकल टेस्ट) नहीं निकाल पाए।'
इसी बीच, लालू यादव 1968 और 1969 में पटना विश्वविद्यालय में छात्र महासचिव के पद पर निर्वाचित हुए। लेकिन 1970 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष पद के चुनाव में उनकी करारी हार हो गई। पराजय के बाद लालू यादव टूट चुके थे और छात्र राजनीति को तिलांजलि देने का मन बना चुके थे।
लालू एक बार फिर नौकरी की तलाश में निकल गए। इस बार उन्हें सफलता भी मिल गई और पटना पशु चिकित्सा महाविद्यालय में क्लर्क के पद पर तैनाती हो गई। लालू यादव के परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
अब्दुल गफूर की सरकार और छात्र राजनीतिनौकरी मिलने के बाद लालू यादव के जीवन में राबड़ी देवी का पदार्पण हुआ। साल 1973 में लालू यादव और राबड़ी देवी परिणय सूत्र में बंध गए। लेकिन कहा जाता है कि इंसान का नेचर और सिग्नेचर नहीं बदलता। लालू यादव के साथ भी वही हुआ। हिसाब-किताब में कमजोर लालू को क्लर्क की नौकरी नहीं भायी और एक बार फिर छात्र राजनीति में कूद गए।
1973 में लालू यादव पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए। भाजपा के दिवंगत नेता सुशील कुमार मोदी उस वक्त महासचिव चुने गए थे। हालांकि, लालू यादव छात्र राजनीति में कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाए। 1974 में अब्दुल गफूर की सरकार ने राज्य के सभी कॉलेजों में छात्र संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगा दी। इस घटना के बाद छात्रों में उबाल आ गया।
लालू यादव कैसे और क्यों हुए लापता?बिहार विधानसभा के घेराव में पुलिस ने छात्रों पर जमकर गोलियां बरसाईं। पटना में कर्फ्यू लगा और कई छात्रों की गिरफ्तारी हुई। हालांकि, लालू यादव पुलिस की गिरफ्त से बच निकले।
संकर्षण ठाकुर अपनी किताब में लिखते हैं कि नरेंद्र सिंह और नीतीश कुमार को चिंता हो रही थी कि लालू यादव को कुछ हो तो नहीं गया? क्योंकि पटना में पुलिस ने जमकर गोलियां बरसाई थीं। लालू यादव गोलीबारी से पहले ही रेलवे ट्रैक पार कर अपने भाई के घर पहुंच गए थे। लालू यादव के भाई वेटनरी कॉलेज में रहते थे।
अंधेरा होने के बाद नीतीश और नरेंद्र जब लालू यादव के भाई के घर पहुंचे तो लालू खाना बनाने में मशगूल थे। दोनों नेताओं को देखते ही लालू यादव बोले
हम त भाग अइली (हम तो भाग निकले)। बहुत बढ़िया मीट बनइले हई, आवा, आवा खा ल (बहुत बढ़िया मीट बनाया है, आप लोग भी खा लो)।
1977 में लालू कैसे पहुंचे छपरा?पटना में हुई गोलीबारी के बाद छात्रों की क्रांति पूरे राज्य में फैल गई। गफूर सरकार को बर्खास्त करने की मांग उठने लगी। लालू यादव ने जयप्रकाश नारायण से छात्रों के आंदोलन की अगुआई करने की गुहार लगाई। इसी बीच, गया में भी पुलिस ने छात्रों पर बर्बरतापूर्ण ढंग से गोलियां बरसाईं जिसमें आठ लोगों की जान चली गई।
इसके बाद पटना के गांधी मैदान में विशाल रैली हुई। जेपी की अगुआई में पटना ठसाठस भर गया। इतनी भीड़ पटना में एकसाथ कभी नहीं जुटी थी। लालू यादव इस रैली के बाद छात्र राजनेता के रूप में उभरे।
1975 में इमरजेंसी के दौरान लालू यादव की गिरफ्तारी होती है। जेल से बाहर आने के बाद 1977 में छपरा से जनता पार्टी का सिंबल लालू के हाथों में होता है। लालू फुलवरिया से पटना और फिर दिल्ली पहुंच जाते हैं।
Source:
- The Brothres Bihari: संकर्षण ठाकुर
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बिहार का पहला आधुनिक बांसघाट शवदाहगृह मई में होगा पूरा, 89.40 करोड़ रुपये किए जाएंगे खर्च
डिजिटल टीम, पटना। बिहार का पहला आधुनिक शवदाहगृह पटना के बांसघाट में बन रहा है। राजधानी पटना में लगभग 4.5 एकड़ जमीन पर 89.40 करोड़ रुपये की लागत से नया शवदाहगृह मई में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बाद इसका उद्घाटन किया जाएगा।
आधुनिक सुविधाओं से युक्त शवदाहगृहनिर्माण कंपनी बुडको के इंजीनियर के अनुसार, पहले शवदाहगृह केवल 1.24 एकड़ में था। इसमें कई आवश्यक सुविधाओं का अभाव था। नया शवदाहगृह आधुनिक तकनीकों से लैस होगा और यहां चार विद्युत शवदाह यूनिट, छह लकड़ी आधारित और आठ परंपरागत शवदाह स्थलों की व्यवस्था होगी। यहां एक ही जगह अंतिम संस्कार के लिए सभी तरह की सुविधाएं मौजूद होंगी।
यह मिलेंगी विशेष सुविधाएं- अस्थि विसर्जन और नहाने के लिए दो तालाब
- पाइपलाइन की मदद से गंगा नदी से इन दोनों तालाबों तक आएगा पानी
- दो प्रतीक्षा कक्ष, दो प्रार्थना घर और दो पूजा हॉल
- 6 ब्लॉक शौचालय, एक कार्यालय और 2 चेंजिंग रूम
- एक प्रशासनिक कार्यालय, कैंटीन, मंदिर और स्टाफ क्वॉर्टर
- 40 स्क्वॉयर मीटर का सब-स्टेशन
- शवगृह, पार्किंग, आंतरिक सड़कें और सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली
- कैंटीन, मंदिर, स्टॉफ क्वॉर्टर और 40 वर्ग मीटर का सब-क्वार्टर
- परिसर में शवगृह, पार्किंग, सड़क, मंत्र/श्लोक और पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम
पुराने शवदाहगृह का जीर्णोद्धारपुराने शवदाहगृह जीर्णोद्धार के तहत 4 हजार 260 वर्ग मीटर में वेंडिंग जोन और वेटिंग रूम, 1 ब्लॉक शौचालय, चेंजिंग रूम, पार्किग तथा बैठने के लिए शेड बन रहे हैं। परंपरागत शवदाहगृह में अस्थि विसर्जन की व्यवस्था, गंगा जल शावर भी बनाए गये हैं। इस परियोजना के पूरा होने से पटना और आसपास के क्षेत्रों के नागरिकों को अंतिम संस्कार के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी, जिससे यह स्थान अधिक सुव्यवस्थित और पर्यावरण के अनुकूल बनेगा।
Bihar Politics: 'लालू-राबड़ी के राज में 7 चीनी मिलें हो गई थीं बंद', मंगल पांडेय ने RJD को गिनवा डाले सभी के नाम
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News Today: स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि राजद-कांग्रेस के शासनकाल (1985-2005) के 20 वर्षों में उत्तर बिहार की कई चीनी मिलें एक-एक कर बंद हो गईं। उत्तर बिहार कभी चीनी का कटोरा कहा जाता था। पांडेय ने कहा कि एक जमाने में उत्तर बिहार में 16 चीनी मिलें चलती थीं, उनमें से सात लालू-राबड़ी के राज में बंद हुई।
मंगल पांडेय ने गिनवाए सभी बंद चीनी मिलों के नाममिलें बंद होने का असर न सिर्फ रोजगार पर पड़ा, बल्कि लाखों किसान नकदी फसल की खेती से अलग हो गए। पश्चिम चंपारण में नरकटियागंज, लौरिया, मझौलिया, चनपटिया, बगहा और रामनगर में कुल छह चीनी मिलें थीं। चनपटिया चीनी मिल वर्ष 1994 से बंद है।
मधुबनी की लोहट चीनी मिल भी जंगलराज के दहशत के दौर में 1996 में बंद हो गई, जो आज तक बंद है। मुजफ्फरपुर की मोतीपुर चीनी मिल में 1997 से पेराई ठप हो गई। समस्तीपुर जिला मुख्यालय स्थित चीनी मिल पर 1985 (कांग्रेस के शासनकाल) से ताला लटका है।
लालू-राबड़ी राज में सबसे बुरी स्थिति मिथिलांचल की रही। कभी यहां की सकरी और रैयाम चीनी मिलों का नाम था। 1993 में सकरी और एक साल बाद 1994 में रैयाम में तालाबंदी हो गई। राजद को बताना चाहिए कि यह किसका कार्यकाल था।
गांधी मैदान पहुंचकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी को दी ईद की मुबारकबादमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ईद के मौके पर सोमवार की सुबह राजधानी पटना स्थित गांधी मैदान पहुंचे और वहां उपस्थित लोगों को ईद की बधाई दी। इमाम इदैन हजरत मौलाना महसूद अहमद कादरी नदवी से मुलाकात कर उनसे मोसाफा किया और ईद की मुबारकबाद पेश की।
इमाम इदैन हजरत मौलाना महसूद अहमद कादरी नदवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी ईद की मुबारकबाद दी तथा बिहार की सुख, समृद्धि, प्रगति, उन्नति एवं विकास की कामना की।इदैन कमिटी के सदर महमूद आलम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गुलदस्ता भेंटकर एवं साफा पेश कर उनकी इज्जत अफजाई की।
मुख्यमंत्री ने तमाम नमाजियों सहित मुस्लिम भाई-बहनों एवं बिहारवासियों तथा देशवासियों को ईद की मुबारकबाद एवं बधाई दी। इस अवसर पर ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष इर्शादुल्लाह, पटना प्रमंडल के आयुक्त मयंक बरबड़े एवं पटना के जिलाधिकारी चन्द्रशेखर सिंह भी मौजूद थे।
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