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- US to engage in 'direct' nuclear talks with Iran, Trump threatens Tehran with 'great danger' Telegraph India
- Analysis: Can Trump convince Iran to ditch its nuclear programme? BBC
Monsoon Alert: किसानों के लिए आई गुड न्यूज, इस बार झमाझम बरसेगा मानसून, सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों एवं देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है कि इस बार मानसून की बारिश अच्छी होने जा रही है। जून से सितंबर के बीच मानसूनी मौसम के दौरान औसत से तीन प्रतिशत ज्यादा बारिश हो सकती है। इस दौरान संपूर्ण भारत में औसतन लगभग 868.6 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस वर्ष लगभग 895 मिमी बारिश होने का अनुमान है।
मौसम पर नजर रखने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट ने अपने ताजा अनुमान में बताया है कि प्रशांत महासागर में न्यूट्रल स्थिति है। ला-नीना बेहद कमजोर हो चुका है और अगले चार महीने के दौरान अलनीनो के विकसित होने की संभावना भी नहीं है।
इस साल झमाझम होगी बारिशहिंद महासागर का जलवायु पैटर्न भी अनुकूल दिख रहा है, जो मानसूनी बारिश के लिए मददगार साबित होगा। मानसून में अच्छी बारिश खेती कार्य में सहायक होती है। इसी दौरान खरीफ की फसल की बुआई और रोपाई होती है। भूजल स्तर में भी वृद्धि होती है, जिससे वर्ष भर पेयजल की कमी नहीं हो पाती है।
पूर्वानुमान में 96 से 104 प्रतिशत तक बारिश को सामान्य माना जाता है। चार महीने के दौरान 103 प्रतिशत का मतलब है कि अच्छी बारिश होगी। हालांकि, इसमें पांच प्रतिशत तक अंतर आ सकता है। मतलब सामान्य से पांच प्रतिशत कम या ज्यादा बारिश हो सकती है।
भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगा?स्काइमेट का अनुमान है कि 96 प्रतिशत से नीचे जाने का अनुमान बहुत ही कम है। देश के पश्चिमी तट एवं मध्य भागों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ जम्मू-कश्मीर और पहाड़ी इलाकों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगा, इसका आकलन अभी नहीं किया जा सका है। मगर मानसून का प्रवेश केरल के रास्ते होता है, जहां सामान्य तौर पर एक जून को सक्रिय होता है। फिर धीरे-धीरे दक्षिण भारत के राज्यों से आगे बढ़ते हुए बंगाल की खाड़ी के सहारे मध्य एवं उत्तर भारत की ओर बढ़ता है। सबसे अंत में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक फैलता है।
भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगास्काइमेट ने कोर मानसून मंथ के दौरान कुछ क्षेत्रों में औसत से कम बारिश की भी आशंका जताई है, लेकिन अधिकतर क्षेत्रों में मानसून सामान्य रहने वाला है। जून में मानसून की रफ्तार थोड़ी कम हो सकती है, क्योंकि ला-नीना का असर कुछ दिन तक रह सकता है। जून में औसत से चार प्रतिशत कम बारिश हो सकती है, लेकिन अगले महीने से बारिश रफ्तार पकड़ लेगी।
जुलाई, अगस्त एवं सितंबर में औसत से ज्यादा बारिश होगी। अगस्त में आठ प्रतिशत ज्यादा वर्षा हो सकती है। खेती के लिहाज से यह महीना ज्यादा अनुकूल होता है।
मासिक वर्षा का अनुमान महीना मात्रा (मिलीमीटर में) जून 165.3 मिमी (चार प्रतिशत कम) जुलाई 280.5 मिमी (दो प्रतिशत ज्यादा) अगस्त 254.9 मिमी (आठ प्रतिशत ज्यादा) सितंबर 167.9 मिमी (चार प्रतिशत ज्यादा)यह भी पढ़ें: Weather Update: इन 8 राज्यों में लू की चेतावनी, राजस्थान में रेड अलर्ट; जानिए यूपी-बिहार समेत अपने राज्य का हाल
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चुनाव में दुष्प्रचार फैलाने वालों की खैर नहीं, जानिए क्या है EC का प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव के दौरान झूठ और दुष्प्रचार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने इससे निपटने की व्यवस्था को अब और सशक्त बनाने का फैसला लिया है। इस दिशा में सभी राज्यों में जल्द ही एक मजबूत सेल गठित करने का फैसला लिया गया है।
जिसमें चुनाव से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इंटरनेट मीडिया पर नजर रखने के लिए विशेषज्ञों की तैनाती दी जाएगी। जो न सिर्फ इंटरनेट मीडिया पर फैलाए जाने वाले झूठ व दुष्प्रचार पर पैनी नजर रखेंगे बल्कि झूठ के इस गुब्बारे को नजर आते ही तुरंत नष्ट भी करेंगे।
इंटरनेट पर निगरानी रखने के लिए होगा प्रशिक्षणआयोग ने इसके साथ ही सभी राज्यों में इंटरनेट मीडिया पर नजर रखने के लिए तैनात अमले को इससे निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण भी देने की योजना बनाई है। जो नौ अप्रैल से शुरू होगी। इस प्रशिक्षण में अमले को इंटरनेट मीडिया पर निगरानी रखने सहित उनके फैलाव को रोकने के तरीके और उससे जुड़ी सही जानकारी मतदाताओं तक पहुंचाने की बारीकियों से अवगत कराया जाएगा।
दुष्प्रचार फैलाने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाईआयोग ने झूठ व दुष्प्रचार में शामिल लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने जैसे कदम उठाने के भी निर्देश दिए है। आयोग ने इसके साथ ही राज्यों को इससे निपटने वाले अमले को बढ़ाने के भी निर्देश दिए है। ज्यादातर राज्यों में इसके लिए एक-दो सदस्यों की ही टीम है। आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में इसकी सक्रियता को परखने की भी योजना बनाई है।
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आधी रात बाद हाफ पैंट में पुलिस स्टेशन पहुंचे लालू के बेटे तेज प्रताप, SHO से कहा- सहयोग कीजिए
जागरण संवाददाता, पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के बड़े बेटे सह पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) सोमवार को आधी रात बाद लौ-लश्कर के साथ हाफ पैंट में ही कदमकुआं थाना पहुंच गए। समर्थकों के साथ नालंदा की जनप्रतिनिधि का पीड़ित परिवार भी था, जो मुखिया पति की तलाश में आए थे।
ओडी अफसर की सूचना पर थानेदार अजय कुमार थाने पहुंचे। तेज प्रताप ने उनसे कहा- सहयोग कर दीजिए। इसके बाद पुलिस संभावित ठिकाने पर दबिश देने के लिए निकल गई और तेज प्रताप भी काफिले के साथ रवाना हो गए।
क्या है पूरा मामला?दरअसल, तेज प्रताप यादव समर्थकों के साथ रात में घूम रहे थे। दिनकर गोलंबर के पास उन्होंने कुछ लोगों को खड़ा देखा, जो व्याकुल होकर इधर-उधर नजर घुमा रहे थे। तेज प्रताप ने उनमें से एक व्यक्ति को पहचान लिया और पूरा मामला जाना।
पता चला कि नालंदा जिले के चिकसौरा से आए हैं। वहां की मुखिया बेबी देवी के पति बिंदु यादव चार अप्रैल से संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हैं। चिकसौरा थाने में अपहरण की प्राथमिकी कराई गई है। जिन पर बिंदु यादव के अपहरण का संदेह है, वे इसी इलाके में घूमते दिखाई दिए थे।
पीड़िता परिवार ने तेज प्रताप से किया आग्रहपीड़ित परिवार ने तेज प्रताप से कहा कि यदि स्थानीय पुलिस का सहयोग मिल जाता तो लापता को खोजने में आसानी होती। इस पर तेज प्रताप ने पीड़ित परिवार को साथ चलने के लिए कहा और स्वयं भी थाना पहुंच गए।
ओडी अफसर से उन्होंने थानेदार के बारे में पूछा। वे इलाके में गश्त लगा रहे थे। सूचना मिलने के बाद थानेदार भी आए और पूर्व मंत्री से मुलाकात की।
थानेदार ने बताया कि लापता के स्वजन ने जो जगह बताई थी, पुलिस वहां पहुंची, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा।
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Bihar News: अचानक 51 उप मुख्य पार्षदों ने दिया इस्तीफा, नीतीश सरकार को इस बात पर दे दी साफ चेतावनी
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के 261 नगर निकायों में से 51 उप मुख्य पार्षदों ने मंगलवार को नगर विकास एवं आवास मंत्री जिवेश कुमार से मुलाकात के बाद सामूहिक रूप से अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
इन जनप्रतिनिधियों का कहना है कि राज्य सरकार ने उप मुख्य पार्षदों को कोई अधिकार नहीं दिया है। इसके कारण वह खुद को जनता के प्रति जवाबदेह नहीं मान पा रहे हैं।
संघ के अध्यक्ष पिंटू रजक, कार्यकारी अध्यक्ष अजय प्रमोद यादव और प्रधान महासचिव राजीव प्रसाद सिंह सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि ढाई वर्ष पहले सरकार ने नगर निकायों का सीधा चुनाव कराया था।
इसमें जनता ने मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद को प्रत्यक्ष रूप से चुना। चुनाव के बाद मुख्य पार्षदों को तो अधिकार दे दिए गए, पर उप मुख्य पार्षदों को अब तक कोई अधिकार नहीं सौंपे गए हैं।
मुख्य पार्षदों ने दे दी साफ चेतावनीउपमुख पार्षद संघ ने साफ चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो बाकी उप मुख्य पार्षद भी इस्तीफा देंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में पूरे बिहार में एनडीए समर्थित प्रत्याशियों का विरोध किया जाएगा।
इस मौके पर मनेर के शंकर यादव, मोकामा के कन्हैया सिंह, देव औरंगाबाद के गोलू गुप्ता, पुपरी के जयप्रकाश, अरवल की जमीला खातून,अस्थावा के अजीत कुमार पासवान, चंडी के प्रवीण कुमार सुमन, परवलपुर के अक्षय कुमार, बिहटा के रिंकू कुमार आदि शामिल थे।
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फॉलोअर्स नहीं तो टिकट नहीं..., बिहार में कांग्रेस ने उम्मीदवारों के सामने रखी अनोखी शर्त; विधायकों की भी बढ़ी टेंशन
अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से बिहार में जिला कमेटियों के सदस्य बनने और विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों के लिए जो शर्तें तय की गई हैं, उससे पुराने कांग्रेसियों के साथ मौजूदा विधायकों में भारी बेचैनी है।
कांग्रेस के फरमान के अनुसार, टिकट का असली हकदार उन्हें माना जाएगा, जिनके फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स प्लेटफार्म पर फॉलोअर की अच्छी संख्या होगी। तीनों प्लेटफार्म के लिए न्यूनतम संख्या अलग-अलग निर्धारित की गई है।
किस प्लेटफॉर्म पर कितने फॉलोअर्स चाहिए ?फेसबुक पर कम से कम एक लाख 30 हजार, एक्स हैंडल पर 50 हजार और इंस्टाग्राम पर कम से कम 30 हजार फॉलोअर्स होने पर ही किसी की दावेदारी पर विचार किया जाएगा। जिला कमेटियों की दावेदारी के लिए भी इसी पैमाने पर खरा उतरना होगा। बिहार में विधानसभा का चुनाव इसी वर्ष अक्टूबर-नवंबर में होने हैं।
शर्तों के आधार पर 19 विधायक भी हो सकते हैं बेटिकटशर्तों पर अमल किया गया तो बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता और प्रदेश अध्यक्ष समेत सभी 19 विधायक भी बेटिकट हो सकते हैं। अन्य दावेदारों के लिए तो और भी मुश्किल होगा। बिहार कांग्रेस नेताओं को यह असंभव-सा लक्ष्य सात अप्रैल को सेंट्रल वार रूम के चेयरमैन व पूर्व आईएएस शशिकांत सेंथिल ने उस समय दिया, जब राहुल गांधी बिहार के दौरे पर थे।
सेंथिल ने पटना स्थित सदाकत आश्रम में यह लक्ष्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं एवं जिलाध्यक्षों के साथ बैठक में प्रजेंटेशन के माध्यम से दिया। रास्ते भी बताए कि टिकट का कोई दावेदार कैसे अपने फॉलोअर्स की संख्या बढ़ा सकता है। सेंथिल ने किसी तरह की दिक्कत आने पर एक फोन नंबर भी जारी किया है। कांग्रेस नेतृत्व की ओर से लक्ष्य मिलने के बाद बिहार कांग्रेस में टिकट के दावेदार परेशान हैं।
सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेताओं सक्रियता बेहद कमइंटरनेट मीडिया पर बिहार कांग्रेस के नेताओं की सक्रियता का यदि सही से आकलन किया गया तो दो-तीन को छोड़कर कोई भी खरा साबित नहीं हो पाएगा। इस मामले में कन्हैया कुमार सबसे आगे हैं, जिनके एक्स हैंडल पर 44 लाख और फेसबुक पर 14 लाख फालोअर्स हैं।
पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के फेसबुक पर तीन लाख 71 हजार और एक्स हैंडल पर 27.2 हजार फॉलोअर्स हैं। हालांकि दोनों बिहार विधानसभा के सदस्य नहीं हैं और चुनाव लड़ने की संभावना भी नहीं है। इन दोनों के अलावा सिर्फ नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और अजीत शर्मा की स्थिति थोड़ी अच्छी कही जा सकती है।
किस नेता के कितने फॉलोअर्स?राजेश को फेसबुक पर 1.34 लाख लोग फालो करते हैं, लेकिन एक्स पर यह संख्या मात्र 4,530 है। अजीत शर्मा को फेसबुक पर 24 हजार और एक्स पर 8126 लोग फालो करते हैं। विधानसभा में कांग्रेस के नेता शकील अहमद खान को फेसबुक पर 13 हजार एवं एक्स पर 8,634 लोग ही फालो करते हैं।
शेष सभी विधायकों के फालोअर्स की संख्या दस हजार से नीचे है। दर्जनभर विधायक तो हजार से भी कम हैं। दो-तीन विधायकों के इंटरनेट मीडिया पर तो एकाउंट भी नहीं हैं। फॉलोअर्स की संख्या के लिहाज से बिहार प्रदेश कांग्रेस की स्थिति भी अच्छी नहीं है। फेसबुक पर इसके सिर्फ 2.49 लाख और एक्स हैंडल पर 1.58 लाख ही फॉलोअर्स हैं।
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Bihar Politics: 'मुसहर जाति से आने वाले को अध्यक्ष बनाएंगे तेजस्वी', मांझी ने लालू के लाल पर कसा तंज
राज्य ब्यूरो, पटना। हम के संरक्षक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने राजद की ओर से आयोजित मुसहर-भुईयां सम्मेलन पर तंज कसते हुए कहा कि इसके जरिए तेजस्वी यादव दलिताें को फांसने के लिए चारा डाल रहे हैं।
मांझी ने एक्स पर चुटकी लेते हुए लिखा- सुना है मुसहर सम्मेलन के बाद तेजस्वी यादव राजद का राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी मुसहर जाति से आने वाले नेता को बना देंगे। साथ ही वह यह घोषणा करेंगे कि जिन राजद कार्यकर्ताओं या गुंडों ने मुसहर भुईयां के पर्चे वाली जमीन पर कब्जा किया है, वह उस जमीन को छोड़ देंगे।
उन्होंने आगे लिखा- आज राजद नेता यह भी प्रण लेंगे कि भविष्य में उनका कोई भी कार्यकर्ता दलित अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नहीं करेगा।
मांझी ने कहा कि तेजस्वी यादव चाहते हैं कि किसी भी तरह मुसहर और भुईयां जाति के लोग उनके झांसे में आ जाएं और वे उनका वोट चुनाव में हासिल कर लें, लेकिन तेजस्वी शायद भूल गए हैं कि बिहार में अब जंगलराज का पुराना दौर नहीं है, जब दलितों को डरा धमका कर उनका वोट छीन लिया जाता था।
'मुसहर और भुईयां समाज ने चखा विकास का स्वाद'उन्होंने कहा, आज बिहार के मुसहर और भुईयां समाज ने विकास का स्वाद चख लिया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के अंदर एनडीए की सरकार ने दलितों के लिए जो काम किया है वो भुलाया नहीं जा सकता।
आपराधिक घटनाओं की सूची जारी कर तेजस्वी ने विधि-व्यवस्था को बताया ध्वस्तदूसरी ओर, इधर के दिनों में हुई आपराधिक घटनाओं की सूची जारी करते हुए मंगलवार को तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि बिहार में विधि-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
सीतामढ़ी में युवक की हत्या से उन्होंने अपनी सूची की शुरुआत की है और पटना के रानीपुर तालाब में पुलिस टीम पर हमला से समापन। इस सूची में 117 घटनाओं का उल्लेख है।
ज्ञातव्य है कि तेजस्वी प्राय: प्रत्येक माह ऐसी सूची जारी कर रहे हैं। प्रदेश प्रवक्ता अरुण यादव ने आरोप लगाया कि बिहार में विधि-व्यवस्था बेपटरी है और अपराध बढ़ रहा है। हत्या, दुष्कर्म, लूटपाट, चोरी आदि की घटनाओं से आम आदमी त्रस्त है। उन्होंने राज्यपाल से इस संदर्भ मेंं हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
मूल्य-वृद्धि वापस हो:राजद के प्रदेश महासचिव भाई अरुण का कहना है कि जनता महंगाई से पहले से ही त्रस्त थी, रसोई-गैस के मूल्य में हुई वृद्धि ने घर-गृहस्थी का खर्च और बढ़ा दिया है। बयान जारी कर उन्होंने केंद्र सरकार के इस निर्णय को जन-विरोधी व गरीब-विरोधी बताया। साथ ही मूल्य-वृद्धि वापस लेने की मांग की।
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विकास की कसौटी पर पूरी तरह खरी नहीं देश की एक भी ग्राम पंचायत, ए प्लस श्रेणी में कोई पंचायत नहीं
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित 17 सतत विकास लक्ष्यों को नौ थीम में एकीकृत कर पंचायतीराज मंत्रालय ने वर्ष 2021-22 में ग्राम पंचायतों के विकास के लिए काम शुरू किया। तमाम योजनाएं चलीं, राज्यों को प्रोत्साहित किया गया, लेकिन सच यह है कि धरातल पर प्रगति के आकलन के लिए मंत्रालय ने पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (पीएआइ) बनाते हुए विकास की कसौटी पर परखा तो देश की एक भी पंचायत पूरी तरह खरी नहीं उतरी। ए प्लस श्रेणी में कोई पंचायत नहीं है, जबकि ए श्रेणी में भी सिर्फ 12 राज्य खाता खोल सके हैं।
उनकी कुल 699 पंचायतें इसमें स्थान बना सकी हैं। सर्वाधिक 61.2 प्रतिशत पंचायतें सी श्रेणी की हैं। पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स ग्राम पंचायतों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में उनके प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड है। अपनी ग्राम पंचायतों को लेकर राज्यों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ कमियों को चिन्हित कर सुधारा जा सके, इसलिए पंचायतीराज मंत्रालय ने पहली बार इस तहर ग्रेडिंग की व्यवस्था शुरू की है।
सभी ग्राम पंचायतों ने अपना डाटा पोर्टल पर अपलोड कियापहली रिपोर्ट वर्ष 2022-23 के डाटा के आधार पर तैयार की गई है। देश की सभी 255699 ग्राम पंचायतों ने पीएआइ पोर्टल पर नौ थीम के संदर्भ में अपना डाटा अपलोड किया। चूंकि, मंत्रालय ने ग्राम पंचायत के बाद ब्लॉक और जिला के बाद राज्य स्तर पर भी आंकड़ों के सत्यापन की व्यवस्था बनाई थी, इसलिए राज्यों द्वारा सत्यापित 216285 ग्राम पंचायतों के डाटा को ही रिपोर्ट में शामिल कर आकलन किया।
मेघालय, नगालैंड, गोवा, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल का डाटा राज्य स्तर पर सत्यापित न किए जाने के कारण इसमें शामिल नहीं हो सका। बहरहाल, प्राप्त डाटा का गहन परीक्षण करते हुए मंत्रालय ने अंकों के आधार पर पांच श्रेणियां बनाईं। ए प्लस (90 से 100 अंक), ए (75 से 90 अंक), बी (60 से 75 अंक), सी (40 से 60 अंक) और डी (40 अंक से नीचे)। स्थिति यह है कि ए प्लस श्रेणी में देश की एक भी ग्राम पंचायत अपना स्थान नहीं बना सकी। ए श्रेणी में कुल 699 पंचायतें (0.3 प्रतिशत) पंचायतें रही हैं।
इनमें सर्वाधिक 346 पंचायतें गुजरात की हैं, दूसरे पर 270 तेलंगाना, तीसरे पर 42 त्रिपुरा, चौथे पर 12 दादरा एवं नगर हवेली व दमन-द्वीव, आठ-आठ पंचायतें केरल व महाराष्ट्र की तो चार पंचायतें उत्तर प्रदेश की हैं। यदि प्रतिशत के हिसाब से देखें तो इस श्रेणी में 31.5 प्रतिशत के साथ दादरा एवं नगर हवेली व दमन-द्वीव पहले पर है।
3.57 प्रतिशत पंचायतें त्रिपुरा, 2.11 प्रतिशत तेलंगाना तो 2.3 प्रतिशत पंचायतें गुजरात की हैं। उल्लेखनीय है कि जब पंचायत डिवाल्यूशन इंडेक्स जारी हुआ था तो इस रिपोर्ट में बेहतर प्रदर्शन करने वाले ही अधिकतर राज्य उस रिपोर्ट की शीर्ष श्रेणी में शामिल थे। संकेत साफ है कि राज्यों ने पंचायतों को अधिकार हस्तांतरित किए तो वह बेहतर विकास के रूप में परिलक्षित भी हुआ।
किस श्रेणी की पंचायतें- ए प्लस- 0 प्रतिशत
- ए- 0.3 प्रतिशत
- बी- 35.8 प्रतिशत
- सी- 61.2 प्रतिशत
- डी- 2.7 प्रतिशत
- पंचायत में गरीबी मुक्त एवं उन्नत आजीविका
- स्वस्थ पंचायत
- बाल अनुकूल पंचायत
- जल पर्याप्त पंचायत
- स्वच्छ एवं हरित पंचायत
- आत्मनिर्भर बुनियादी सुविधाओं वाली पंचायत
- सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण एवं सुरक्षित पंचायत
- सुशासन वाली पंचायत
- महिला अनुकूल पंचायत
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