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Bihar News: चुनावी साल में केंद्र से बिहार को मिल गया एक और बड़ा तोहफा, नए फैसले से गांव के लोग हो जाएंगे खुश!
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में ग्रामीण सड़क संपर्क को सुदृढ़ करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई-III) के तहत 367.94 करोड़ की नई योजनाओं को मंजूरी दी है।
इन योजनाओं के अंतर्गत राज्य में पांच नई सड़कों के साथ 103 पुलों का निर्माण किया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत और टिकाऊ सड़क नेटवर्क से जोड़ा जा सकेगा।
इसके अतिरिक्त बिहार सरकार को वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए केंद्र सरकार की ओर से 138 करोड़ की प्रोत्साहन राशि भी प्राप्त हुई है।
इस राशि के साथ राज्य सरकार 92 करोड़ का अंशदान देगी, जिससे कुल 230 करोड़ की राशि सड़कों के अनुरक्षण पर खर्च की जाएगी। ये रखरखाव कार्य उन सड़कों पर किए जाएंगे, जिनकी पंचवर्षीय अनुरक्षण अवधि पूरी हो चुकी है।
जल्द ही शुरू होगा निर्माण कार्यग्रामीण कार्य विभाग के अनुसार इन योजनाओं का उद्देश्य राज्य के हर गांव को सुदृढ़, सुरक्षित और हर मौसम में उपयोगी सड़कों से जोड़ना है। विभाग ने बताया कि योजनाओं के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और जल्द ही निर्माण कार्य भी प्रारंभ होगा।
जर्जर सड़क पर वाहन चालकों की मनमानी से लोग परेशानप्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रखंड में कई सड़कें बनी हैं, लेकिन वर्षों से उपेक्षित केसठ सोनवर्षा मुख्य सड़क की स्थिति दयनीय हो चुकी है।
लोगों को इस पथ पर आवाजाही करने में काफी परेशानी होती है। जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। इसकी वजह से इस सड़क से गुजरने वाले लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
क्षेत्र के लोगो ने सड़क निर्माण के लिए कई बार गुहार लगाई। आश्वासन तो मिला, लेकिन हुआ कुछ नहीं। ग्रामीणों के पास इंतजार करने के अलावा दूसरा विकल्प ही नहीं है।
लोगों ने जनप्रतिनिधियों की अनदेखी को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। इस सड़क से जमुआ टोला, दंगौली, पोखरा टोला, महादेवगंज, डिहरा, राजापुर, धेनुआडीह सहित अन्य गांवों के लोग प्रत्येक दिन इस मार्ग से सोनवर्षा व राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाते है।
यह मार्ग केसठ से सोनवर्षा एनएच 319 को जोड़ता है। वाहन चालक सड़क खराब होने की दुहाई दे मनमाने भाड़े वसूलते हैं। वहीं यात्री तब तक भगवान का नाम जपते हैं, जब तक अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच जाते।
काफी दिनों से जर्जर हालत में पड़ा यह मार्ग इस बार चुनावी मुद्दा बन सकता है। इसका खामियाजा चुनाव में आने वाले नेताओं को भुगतना पड़ सकता है।
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Bihar Politics: 'अगर हम अलग-अलग चुनाव लड़े तो...', राहुल गांधी के बयान से बिहार में आएगा सियासी भूचाल
राज्य ब्यूरो, पटना। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कांग्रेसियों को दो टूक कह दिया है कि अलग-अलग चुनाव लड़कर बिहार में एनडीए को परास्त नहीं कर सकते हैं। एनडीए को परास्त करना है तो महागठबंधन के सभी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना होगा।
सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में पार्टी के जिलाध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि बिहार विधानसभा का चुनाव इस राज्य के लिए ही नहीं, देश के लिए भी महत्वपूर्ण है। बदलाव का रास्ता बिहार से ही निकलता है।
उन्होंने कांग्रेसियों से आग्रह किया कि वे कथनी और करनी में बिल्कुल अंतर न रखें। कहें कुछ और करें कुछ और इस प्रवृति को छोड़ दें। ईमानदारी से काम करें तो सफलता जरूर मिलेगी।
'कांग्रेस के लोग गांवों में जाएं'गांधी ने कहा कि कांग्रेस के लोग राज्य के गांवों में जाएं। चौपाल लगाएं। आम लोगों की समस्याओं को सुनें। आन्दोलन के माध्यम से उसका समाधान करें। आप उन लोगों के बीच भी जाकर काम करें, जिनकी प्रतिबद्धता अन्य दलों के प्रति है। दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और वंचितों के अलावा गरीब सवर्णों को भी संगठन से जोड़ें। उन्हें जाति आधारित गणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लाभ के बारे में भी बताएं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि राज्य इकाई एआइसीसी के निर्देशों के अनुरूप काम कर रही है। कांग्रेसी अपने वाहन और घर पर पार्टी का झंडा लगा रहे हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि राज्य कांग्रेस के लोग ईमानदारी और मेहनत से काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम को बिहार के कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लाबारू ने भी संबोधित किया। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह, डॉ. मदनमोहन झा, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान सहित कई वरिष्ठ नेता कार्यक्रम में शामिल हुए। मंच पर राहुल गांधी के अलावा राजेश कुमार, कृष्णा अल्लाबारू, डॉ. मदन मोहन झा और शकील अहमद खान बैठे थे।
टिकट चाहिए तो बनाइए 50 हजार से अधिक फॉलोअर्समंच पर राहुल गांधी के आने से पहले पार्टी की आईटी टीम के सदस्य बता रहे थे कि आज इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोगों के बीच अपनी पहुंच बनाना कितना आसान हो गया है।
टीम के एक सदस्य ने कहा कि अगर विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनना चाहते हैं तो इंटरनेट मीडिया पर अपने फॉलोअर्स की संख्या बढ़ाएं। यह 50 हजार से अधिक हो तो टिकट मिलने में सुविधा होगी।
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Munambam Waqf Land Dispute: 'वक्फ को मिली जमीन की होगी जांच', केरल HC ने न्यायिक आयोग के गठन करने का दिया आदेश
पीटीआई, कोच्चि। केरल के मुनंबम जमीन विवाद के मामले में सोमवार को केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई की। हाई कोर्ट ने इस दौरान एक जज की पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन को रद कर दिया गया था। इस मामले में न्यायिक आयोग के गठन का एलान केरल सरकार ने किया था।
हालांकि, हाई कोर्ट की एकल जज की पीठ ने 17 मार्च को इस न्यायिक आयोग की नियुक्ति को रद कर दिया था। इसी मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और जस्टिस एस मनु की खंडपीठ ने एक अंतरिम आदेश पारित किया और एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी।
सरकार जरूरी प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ेगी: कानून मंत्री पी राजीवहाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि न्यायिक आयोग अगले आदेश तक अस्थायी तौर पर काम करता रहेगा। अपील पर आगे की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद जून में होगी। अदालत के आदेश को लेकर केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने कहा कि अब आयोग अपना कार्य कर सकता है और सरकार जरूरी प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने साफ किया कि मुनंबम से किसी को भी नहीं निकाला जाएगा।
गौरतलब है कि बीते साल नवंबर में राज्य सरकार ने एक न्यायिक आयोग के गठन का एलान किया था। इसकी अध्यक्षता केरल हाई कोर्ट के पूर्व कार्यकारी चीफ जस्टिस सीएन रामचंद्रन नायर को सौंपी गई थी।
गौरतलब है कि केरल के एर्नाकुलम जिले में चेराई और मुनंबम गांव के रहने वालों का आरोप है कि वहां के वक्फ बोर्ड ने अवैध तरीके से उनकी जमीनों और संपत्तियों पर दावा कर दिया है। जबकि गांव वालों के पास रजिस्टर्ड बैनामे और जमीन पर टैक्स देने से जुड़ी रसीदें मौजूद हैं।
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Delhi: Yellow alert issued for heatwave
ट्रंप के टैरिफ से भारत डरेगा नहीं, निर्यातकों की मदद के लिए सरकार ने बनाया मास्टर प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रंप सरकार के पारस्परिक शुल्क की घोषणा से निर्यात पर होने वाले असर को रोकने के लिए सरकार जल्द ही वित्तीय पैकेज की घोषणा कर सकती है। निर्यातकों को नए बाजार की तलाश के साथ लागत को कम करने के लिए वित्तीय मदद दी जा सकती है। हालांकि निर्यातक ब्याज दरों में छूट के साथ कई अन्य मदद की भी मांग कर रहे हैं।
आगामी बुधवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के साथ विभिन्न सेक्टर के एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की बैठक भी बुलाई है। पारस्परिक शुल्क की घोषणा के बाद से ही सरकार के स्तर पर निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन शुरू हो चुका है।
'भारत सरकार को अमेरिका की सरकार से बातचीत करनी चाहिए'निर्यातकों के मुताबिक वे चाहते हैं कि अमेरिका व भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) के पहले चरण को पूरा होने तक पारस्परिक शुल्क को टाल दिया जाए। इस संबंध में भारत सरकार को अमेरिका की सरकार से बातचीत करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो भारत को अगले दो-तीन माह में बीटीए के पहले चरण का समझौता कर लेना चाहिए। अभी दोनों देश आगामी सितंबर-अक्टूबर तक बीटीए के पहले चरण पर समझौते की उम्मीद जता रहे हैं।
निर्यातकों का कहना है कि तब तक बहुत देर हो जाएगी और उनका भारी नुकसान हो जाएगा।पारस्परिक शुल्क की घोषणा के बाद दुनिया के कई देशों ने ट्रंप सरकार से शुल्क में कमी को लेकर बातचीत की शुरुआत कर दी है और इनमें अमेरिका के बाजार में भारत को प्रतिस्पर्धा देने वाले देश भी शामिल हैं।
वियतनाम ने अमेरिकी वस्तु पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दियाइलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात में भारत को कड़ा मुकाबला देने वाले वियतनाम ने अमेरिकी वस्तु पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है और अब वियतनाम अमेरिका से अपने ऊपर लगाए गए 46 प्रतिशत के शुल्क को समाप्त करने की गुजारिश कर रहा है।
निर्यातकों का कहना है कि भारत को जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि अनिश्चितता की वजह से अमेरिका से नए आर्डर ठप है और अमेरिकी खरीदारी पुराने आर्डर की डिलिवरी भी फिलहाल लेने से मना कर रहे हैं। खरीदार कीमत में छूट की भी मांग कर रहे हैं।
ट्रंप के फैसले से छोटे निर्यातक अधिक प्रभावित होंगेनिर्यातकों का कहना है कि खरीदार को छूट देने की स्थिति में उसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के मुताबिक ट्रंप के फैसले से छोटे निर्यातक अधिक प्रभावित होंगे। वे अपने खरीदार को कीमत में छूट भी नहीं दे सकते हैं। नए बाजार की तलाश के लिए के साथ ब्याज में छूट की भी मांग की जा रही है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क से वर्ष 2025 में 5.7 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है। इनमें मुख्य रूप से मछली व अन्य समुद्री उत्पाद, जेम्स व ज्वैलरी, स्टील के सामान, कार्पेट मुख्य रूप से शामिल है। भारत के लघु निर्यातक अमेरिका में पेपर, पेपरबोर्ड व संबंधित आइटम, टूल्स, कटलेरी व किचन का सामान का निर्यात करते हैं।
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Waqf Law 2025: 'समावेशी शासन हो प्राथमिकता', नए वक्फ कानून का विरोध करने वालों से एक्सपर्ट ने पूछे कौन-से दो सवाल?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय संसद ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पारित किया, जिसे 'उम्मीद' नाम दिया गया है। इस कानून को लाने का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार बताया गया। नए कानून का उद्देश्य वक्फ प्रशासन को आधुनिक बनाना, इस में पारदर्शिता लाना और लाखों एकड़ में फैली वक्फ संपत्तियों की देखरेख में लंबे समय से चली आ रही अक्षमताओं को दूर करना है।
हालांकि, इस कानून को विभिन्न मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है, जो इस कानून को अल्पसंख्यक मामलों में सरकार का अतिक्रमण मानते हैं। सरकार को इस कानून की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए समावेशी शासन और जनविश्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इतिहास से पता चलता है कि भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले भी, वक्फ संपत्तियां अक्सर विभिन्न विवादों में उलझी रहती थीं। लेकिन आजादी के बाद इनमें और अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली।
कुछ विवाद उन संपत्तियों से उत्पन्न हुए जिन पर वक्फ का दावा था, जबकि अन्य विवाद वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे और बिक्री से उत्पन्न हुए। जो लोग वक्फ संपत्तियों के साथ किसी भी रूप में जुड़े रहे हैं, वे यह भली भांति जानते हैं कि इन संपत्तियों का लाभ भारतीय मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से तक नहीं पहुंचा।
वक्फ का क्या काम है?इस्लामी विद्वान रामिश सिद्दीकी बताते हैं कि वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है, जिसने इस्लामिक सभ्यताओं में सामाजिक, आर्थिक और शहरी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वक्फ ने धार्मिक संस्थाओं से लेकर सामाजिक संस्थाओं दोनों का समर्थन करते हुए कल्याणकारी प्रविधान की आधारशिला के रूप में काम किया।
अलग-अलग समय और स्थानों में वक्फ की अद्भुत अनुकूलनशीलता इसे एक दीर्घकालिक विचार के रूप में दर्शाती है, जिसने व्यक्ति की आस्था और सामाजिक जिम्मेदारियों दोनों के बीच पुल का कार्य किया।
क्यों हो रहा वक्फ संशोधन कानून का विरोध?रामिश सिद्दीकी के मुताबिक, इस कानून की आलोचना करने वालों का मानना है कि यह वक्फ संपत्तियों पर मुस्लिमों के अधिकार को कमजोर कर सकता है, जबकि समर्थकों का तर्क है कि यह वक्फ में कुप्रबंधन और अतिक्रमण को रोकने में सहायक होगा। हालांकि, दोनों दृष्टिकोणों के सामने चुनौतियां हैं।
सवाल :1. सबसे पहले, नए कानून के आलोचकों से हमारा एक प्रश्न है कि क्या आम मुसलमानों का कभी इन वक्फ संपत्तियों पर कोई नियंत्रण था, या यह सिर्फ समुदाय के कुछ चुनिंदा लोगों के पास ही हमेशा रही?
2. दूसरे, वे लोग जो दावा करते हैं कि नए कानून से कुप्रबंधन और अतिक्रमण खत्म होगा, उनसे मेरा सवाल है कि भारत में कई कानून हैं लेकिन क्या कहीं भी भूमि अतिक्रमण पूरी तरह से समाप्त हो पाया?
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रामिश सिद्दीकी ने बताया, ''बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने एक बार कहा था कि संविधान केवल राज्य की संस्थाओं जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना प्रदान कर सकता है। लेकिन इन संस्थाओं कर वास्तविक क्षमता जिन कारकों पर निर्भर करती है, वे हैं- जनता और राजनीतिक दल। नए वक्फ कानून की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि सरकार भरोसे की कमी को कैसे दूर करेगी, इसे निष्पक्ष तरीके से कैसे लागू करेगी।''
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ITI Admission 2025: आईटीआई में दाखिला लेने के लिए अब 17 अप्रैल तक करें आवेदन, परीक्षा तिथि में भी हुआ बदलाव
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (बीसीईसीईबी) ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान प्रतियोगिता प्रवेश परीक्षा (आईटीआई कैट) - 2025 के लिए परीक्षा तिथि में बदलाव किया गया है।
11 मई को आयोजित होने वाली परीक्षा अब 17 मई को आयोजित होगी। आवेदन भी अब सात अप्रैल से बढ़ाकर 17 अप्रैल तक लेने को लेकर अधिसूचना जारी की गई है।
बीसीईसीईबी के विशेष कार्य पदाधिकारी अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि आईटीआई में नामांकन के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है। इच्छुक अभ्यर्थी अब 17 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
परीक्षा बिहार के सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए आयोजित की जाएगी। परीक्षा 17 मई को होगी।
आवेदन और अन्य जानकारी के लिए अभ्यर्थी bceceboard.bihar.gov.in वेबसाइट पर जा सकते हैं। अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जारी है।
151 सरकारी आईटीआई में 32,828 सीटें उपलब्धबिहार में वर्तमान में 151 सरकारी आईटीआई संस्थान हैं, इनमें कुल 32,828 सीटें उपलब्ध हैं। इन सीटों पर विभिन्न ट्रेड्स में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। पिछले सत्र 2024-25 में लगभग 6,000 सीटें खाली रह गयी थीं।
इस बार सरकार कोशिश कर रही है कि अधिक से अधिक छात्रों को नामांकन का मौका मिले और सीटें खाली न रहें। सरकार ने अगले सत्र 2025-26 से आईटीआई सीटों की संख्या बढ़ाने की योजना बनायी है। इसके तहत 35,000 सीटें करने का लक्ष्य रखा गया है।
निजी आईटीआई में 50,000 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं। राज्य में लगभग 500 से अधिक निजी आईटीआई संस्थान कार्यरत हैं, जहां विभिन्न ट्रेड्स में नामांकन लिया जाता है।
निजी आईटीआई संस्थानों में दाखिले के लिए भी बीसीईसीईबी परीक्षा का आयोजन करता है, जिसके माध्यम से मेरिट के आधार पर छात्रों को सीटें आवंटित की जाती हैं।
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