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Surbhi Raj Murder: पति ने सुरभि के पिता से क्यों बोला झूठ? इन लोगों पर जा रही शक की सुई; धीरे-धीरे सुलझ रही गुत्थी

Dainik Jagran - March 23, 2025 - 11:11pm

जागरण संवाददाता, पटना सिटी। अगमकुआं थाना क्षेत्र के कुम्हरार स्थित धनुकी मोड़ के समीप शनिवार की दोपहर एशिया अस्पताल की संचालिका सुरभि राज (30) के कार्यालय में घुसकर किसने गोलियों से भूना? इस सवाल की खोज में सहायक पुलिस अधीक्षक अतुलेश झा दिनभर जुटे रहे।

पुलिस टीम अस्पताल तथा आसपास लगे क्लोज सर्किट कैमरा फुटेज को खंगालने में जुटी रही। निजी अस्पताल के आसपास लगे मोबाइल टावर से हत्या के समय में प्रयुक्त मोबाइल और कर्मचारियों के मोबाइल नंबरों की पुलिस वैज्ञानिक पद्धति से जांच कर रही है।

गुलबी घाट पर किया गया अंतिम संस्कार

रविवार की सुबह संचालिका का अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर कर दिया गया। रविवार की शाम तक किसी ठोस नतीजे पर पुलिस नहीं पहुंची है।

प्रथम दृष्टया पुलिस संचालिका की साइलेंसर पिस्टल से गोली मारकर हत्या के बाद साक्ष्य छुपाने के लिए कमरे से खून की सफाई किए जाने को गंभीरता से जांच कर रही है।

सुरभि के स्वजनों की तस्वीर।

एएसपी ने बताया कि घटना से जुड़ा किसी प्रकार का कोई भी फुटेज अभी तक नहीं मिला है। अगमकुआं थाना पुलिस अस्पताल के कर्मचारियों से पूछताछ कर हत्यारों की पहचान एवं कारण तक पहुंचने का प्रयास में जुटी है।

पुलिस ने घटना के समय मृतका के पति के नहीं रहने और मिलने वालों से भी पूछताछ कर चुकी है। हत्याकांड में आईटी सेल, एफएसएल और श्वान दस्ता की टीम गहन जांच कर रही है।

कर्मी ने बताया किसी ने नहीं सुनी गोली की आवाज

हत्या से जुड़े साक्ष्य को एकत्र करने के लिए अगमकुआं थाना पुलिस दूसरे दिन भी कई बार घटनास्थल का निरीक्षण किया। निजी अस्पताल के कर्मियों से पुलिस एक ही बात पूछती रही कि पास के कमरे में गोली चली तो संचालिका की चीख या फिर फायरिंग की आवाज क्यों नहीं सुनाई दिया?

कर्मी दीपक ने पुलिस को बताया कि किसी ने गोलियों की आवाज नहीं सुनी। अगमकुआं थानाध्यक्ष मनोज पांडे ने बताया कि प्रथम दृष्टया कर्मचारियों से पूछताछ में कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। मृतका के पति राकेश रौशन से भी पुलिस कई बिंदुओं पर पूछताछ कर चुकी है।

सात वर्ष पहले की थी शादी, दो दिन पहले छोटे बेटे का मनाया था जन्मदिन

स्वजनों से मिली जानकारी के अनुसार अगमकुआं थाना क्षेत्र के कुम्हरार बैठका निवासी राजेश रौशन ने सुरभि राज से सात मार्च 2018 को अंतर जातीय प्रेम विवाह किया था। स्वजनों ने बताया कि उनके दो पुत्र राघव रौशन उर्फ कुकू और दूसरा रूद्रास रौशन उर्फ डूग्गू है।

दो दिन पहले ही बाजार समिति स्थित एक हाल में छोटे पुत्र डूग्गू का जन्मदिन मनाया गया था। स्वजनों की माने तो छोटे बेटे का अयोध्या में जन्मदिन मनाने के लिए टिकट भी बना था।

लेकिन निजी अस्पताल का ऑडिट होने को लेकर अयोध्या में जन्मदिन नहीं मनाया गया। उन्होंने बच्चों को बुआ के यहां बजरंगपुरी भेज दिया था।

पिता को दामाद से बेटी के मरने की मिली थी सूचना

अगमकुआं में ही त्रिभुवन कांप्लेक्स के फ्लैट संख्या 304 में रहने वाले पिता राजेश सिन्हा ने पुलिस को बताया है कि उन्हें दामाद राजेश रौशन से मोबाइल पर सूचना मिली कि कक्ष में सुरभि गिर कर बेहोश हो गई हैं।

सूचना के 15 मिनट के अंदर अस्पताल पहुंचे तो देखा कि बेटी आईसीयू में है। अस्पताल वाले बेटी को एम्स ले गए। रात में सूचना मिली की बेटी की मौत हो गयी है।

पिता ने एशिया ह\स्पिटल के कर्मचारियों पर शक जताया है। रविवार की सुबह संचालिका का अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर कर दिया गया। पुलिस छानबीन कर रही है।

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News - March 23, 2025 - 10:40pm
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Bihar News: बिहार में अपराधियों की उल्टी गिनती शुरू, आ गया ऊपर से नया ऑर्डर; तेज हुई बदमाशों की धरपकड़

Dainik Jagran - March 23, 2025 - 10:19pm

जागरण संवाददाता, पटना। बिहार में अब अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं बची है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सख्त निर्देश के बाद पुलिस अपराध के खिलाफ एक्शन मोड में आ चुकी है।

बीते कुछ दिनों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में पुलिस ने कई कुख्यात बदमाशों का एनकाउंटर किया है, वहीं दर्जनों को गिरफ्तार भी किया गया है।

इसी साल जनवरी महीने में एसटीएफ की टीम ने 50-50 हजार के दो कुख्यात अपराधियों को मार गिराया। आठ नक्सलियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

इसके अलावा अब तक कुल 227 अपराधियों को धर दबोचा गया है, जिसमें 29 इनामी बदमाश भी शामिल हैं। राज्य की पुलिस अब साफ कर चुकी है कि जो कानून तोड़ेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। 

तीन महीने में चार मुठभेड़

पिछले तीन महीनों में पटना सहित कई जिलों में मुठभेड़ की चार घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें न केवल अपराधियों की धरपकड़ हुई, बल्कि उनके नेटवर्क को भी ध्वस्त किया गया है।

अररिया, मुंगेर, गया, भोजपुर जैसे जिलों में भी पुलिस की कार्रवाई तेज है। अपराधियों की लोकेशन मिलने पर उन्हें मौके पर ही घेरकर कार्रवाई की जा रही है।

राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से गठित एसटीएफ, एसओजी और जिला पुलिस के संयुक्त ऑपरेशनों के जरिए नक्सली और संगठित अपराधियों पर शिकंजा कस दिया गया है।

बीते कुछ महीनों में एसटीएफ द्वारा गठित विशेष जांच इकाइयों (SIG), चीता बल, और अभियान दलों के माध्यम से की गई कार्रवाइयों में यह साफ हो चुका है कि राज्य में अपराधियों के लिए अब कोई “सुरक्षित ठिकाना” नहीं बचा है।

नक्सली गतिविधियों पर भी लगाम
  • नक्सली गतिविधियां अब केवल खड़गपुर और छक्कबरबंधा के सीमित पहाड़ी क्षेत्रों तक सिमट गई हैं। पुलिस का लक्ष्य है कि इन क्षेत्रों को भी आगामी तीन महीनों में पूरी तरह उग्रवादमुक्त कर दिया जाए।
  • इसके लिए झारखंड की सीमा से सटे इलाकों में अंतर्राज्यीय समन्वय के साथ अभियान तेज किया गया है।
  • इसके अलावा, एसटीएफ द्वारा बनाए गए 15 विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने संगठित अपराधियों के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए हैं।
  • माफिया नेटवर्क, फिरौती गिरोह, हथियार तस्करी और आर्थिक अपराधों के मामलों में सैकड़ों गिरफ्तारियों हुई हैं।
  • राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया डिजिटल अपराध डाटाबेस भी पुलिस की कार्रवाई में मददगार साबित हो रहा है।
टॉप-10 अपराधियों की अब खैर नहीं

टॉप-10 और टॉप-20 अपराधियों की सूची नियमित रूप से अपडेट की जा रही है। जेल में बंद रहते हुए या राज्य से बाहर रहकर अपराध करने वाले अपराधियों पर भी विशेष निगरानी रखी जा रही है। ऐसे अपराधियों को प्रश्रय देने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

राज्य सरकार अब हथियारों की अवैध तस्करी और गोली के क्रय-विक्रय पर विधिसम्मत नियंत्रण लाने के लिए नई नीति लागू करने की तैयारी में है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्पष्ट संदेश है कि सुशासन के रास्ते में कोई बाधा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पुलिस को फ्री हैंड दिया गया है और अपराध पर काबू पाने के लिए हर आवश्यक संसाधन मुहैया कराया जा रहा है।

एसटीएफ और जिला आसूचना इकाइयों के बीच समन्वय को और मजबूत किया गया है। तकनीकी सेल द्वारा डिजिटल निगरानी, डेटा एनालिटिक्स और रियल टाइम इंटेलिजेंस के आधार पर अपराधियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है।

बिहार पुलिस की मौजूदा कार्यशैली केवल तात्कालिक कार्रवाई नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। राज्य को उग्रवाद, संगठित अपराध और भय से मुक्त करना अब केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि सरकार की प्राथमिकता बन चुकी है।

जनता को सुरक्षा का भरोसा दिलाना, और अपराधियों को स्पष्ट संदेश देना यही आज के बिहार की बदलती तस्वीर है। और यही कारण है कि अब कहा जा सकता है। बिहार में कानून का राज लौट रहा है, और अपराधियों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।

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परिसीमन पर सीएम स्टालिन ने बुलाई बैठक, संवेदनशील मुद्दों में सियासी संतुलन की राह पर चल रही कांग्रेस

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 10:05pm

संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। परिसीमन तथा भाषा विवाद पर गरमाई सियासत के बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति की अपनी जरूरतों के हिसाब से इन दोनों मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने की रणनीति पर चलती दिखाई दे रही है।

वहीं आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति तथा बीजू जनता दल जैसी पार्टियां भी अपनी चुनौतियों के मद्देनजर सियासी संतुलन बनाए रखने का विकल्प अभी नहीं छोड़ रही हैं। द्रमुक प्रमुख तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की चेन्नई में शनिवार को परिसीमन पर बुलाई गई बैठक में इन तीनों पार्टियों के नेताओं की मौजूदगी में इसकी झलक साफ दिखाई पड़ी।

क्षेत्रीय नेताओं को आग रख रही कांग्रेस
  • परिसीमन तथा भाषा दोनों मसलों पर कांग्रेस फिलहाल अपने क्षेत्रीय नेताओं को ही आगे रखने की सतर्कता बरत रही है। जबकि कांग्रेस से असहज रिश्ते होने के बावजूद बीआरएस और आप उसके साथ विपक्षी राजनीति का मंच साझा करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
  • परिसीमन पर दक्षिणी राज्यों को एकजुट करने के अपने एक प्रमुख सहयोगी दल द्रमुक का साथ देने के बावजूद राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस इस मसले पर संतुलन की राह पर चल रही है। पार्टी ने जहां दक्षिणी राज्यों की चिंताओं से इत्तेफाक रखते हुए भविष्य में प्रस्तावित परिसीमन में इसका ख्याल रखे जाने की पूरी पैरोकारी की है।
  • वहीं, उत्तरी राज्यों के बारे में ऐसी कोई टिका-टिप्पणी नहीं की है जैसी द्रमुक या बीआरएस ने की है। कांग्रेस ने परिसीमन से पहले जनगणना कराए जाने की मांग कर इस विवाद को फिलहाल विराम देने में ज्यादा रूचि दिखाई है।
परिसीमन से कई राज्यों को हो सकता है नुकसान

चेन्नई बैठक के संदर्भ में कांग्रेस का परिसमीमन पर रूख जाहिर करते पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने साफ कहा है कि वाजपेयी सरकार ने 2002 में 25 साल के लिए लोकसभा सीटों के परिसीमन पर रोक लगाते हुए 2026 के बाद की जनगणना के उपरांत परिसीमन कराए जाने का निर्णय लिया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका अर्थ है कि 2031 की जनगणना के बाद ही परिसीमन होना है और 2025 की जनसंख्या को आधार बनाया गया तो कई राज्यों को परिसीमन में बड़ा नुकसान होगा।

परिसीमन पर संतुलन की रणनीति के तहत ही कांग्रेस ने स्टालिन के बुलावे पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेडडी और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जैसे क्षेत्रीय नेताओं को चेन्नई बैठक भेजा।

हिंदी विवाद में कांग्रेस का क्या है रुख?

नीट परीक्षा तथा नई शिक्षा नीति पर तमिलनाडु के रूख का समर्थन करने के बावजूद कांग्रेस ने हिन्दी को लेकर द्रमुक के विरोध से अपनी एक दूरी बनाए रखी है, जो संसद के वर्तमान सत्र में भी नजर आया है। इन मसलों पर द्रमुक सांसदों के साथ राज्य के कांग्रेस सांसद चाहे विरोध में शामिल हुए मगर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भाषा विवाद को सियासी तूल देने के द्रमुक की रणनीति से दूरी बनाए रखी है।

एक साथ नजर आए कांग्रेस और आप के दिग्गज

परिसीमन पर चेन्नई की बैठक में कांग्रेस की तरह ही आप, बीआरएस तथा बीजद भी अपनी सियासत का संतुलन साधने की कोशिश करते दिखे। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस से बढ़ी तीखी खटास के बावजूद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का स्टालिन और कांग्रेस संग मंच साझा करने जाने का संकेत साफ है कि वर्तमान सियासी परिस्थितियों में विपक्षी खेमे की छतरी से बाहर जाने का जोखिम उठाने की स्थिति में आम आदमी पार्टी नहीं है।

बीआरएस ने किया स्टालिन का समर्थन

तेलंगाना में रेवंत सरकार पर चंद्रशेखर राव चाहे जितना बरसें पर बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव को चेन्नई में कांग्रेस नेताओं की मंच पर मौजूदगी से कोई दिक्कत नहीं हुई और उन्होंने परिसीमन पर स्टालिन का सबसे मुखर समर्थन भी किया।

विपक्षी मंच पर केटीआर की उपस्थिति पर भाजपा ने सियासी तंज कसने में देर नहीं लगाई। तेलंगाना से भाजपा सांसद अरविंद ने केटीआर से पूछा कि कांग्रेस का विरोध करते-करते क्या बीआरएस अब आईएनडीआईए गठबंधन में शामिल हो गई है।

बीआरएस का ग्राफ जा रहा नीचे

दरअसल, तेलंगाना में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद बीआरएस का ग्राफ नीचे जा रहा है और भाजपा को इसका फायदा मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। इसीलिए बीआरएस को अपनी सियासत बचाने के लिए भाजपा के खिलाफ लामबंदी का सियासी मंच ही मुफीद नजर आ रहा है।

ओडिशा में पहली बार भाजपा के सत्ता में आने के बाद नवीन पटनायक को भी राजनीति की नई हकीकत का अहसास हो गया है और चाहे वीडियो कांफ्रें¨सग के जरिए ही सही स्टालिन की परिसीमन बैठक में शामिल होकर उन्होंने ने भी बीजद की सियासत का संतुलन नए सिरे से साधने के संकेत दिए हैं। 

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'औरंगजेब जैसी मानसिकता देश के लिए खतरा', RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने और क्या कहा?

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 10:02pm

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। औरंगजेब पर चल रहे विवाद और उसकी कब्र को लेकर नागपुर में हुई हिंसा के बीच आरएसएस ने साफ कर दिया है कि आक्रांता कभी भी हमारे आदर्श नहीं हो सकते हैं। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के अनुसार आक्रांताओं जैसी मानसिकता वाले लोग देश के लिए खतरा हैं।

होसबाले ने साफ कर दिया कि धर्म के आधार पर आरक्षण बाबा साहब अंबेडकर के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनने का आरएसएस के बजाय पूरे समाज की उपलब्धि बताया।

दारा शिकोह को लेकर क्या बोले होसबाले?

बेंगलुरू में आरएसएस के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक के संपन्न होने के बाद दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि दो भी भारतीय मूल्यों और यहां के सांस्कृतिक विरासत को खत्म करना चाहता है वह आक्रांता है और भारतीय उसे अपना आर्दश नहीं मान सकते हैं। उन्होंने साफ किया कि दारा शिकोह भारतीय मूल्यों के अनुरूप फिट बैठते हैं, जबकि औरंगजेब ने उसके खिलाफ काम किया। शाह ने औरंगजेब जैसे आक्रांता को आदर्श मानने वाली मानसिकता के प्रति आगाह करते हुए करते कहा कि ऐसे लोग भारत के लिए खतरा हैं।

होसबाले ने यह भी साफ कर दिया कि सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले ही स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि मध्यकाल में विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले भी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे। इस सिलसिले में उन्होंने राणा प्रताप का नाम लिया।

सामाजिक सौहार्द कायम करने के सिलसिले में मुसलमानों के प्रति आरएसएस के विचार के बारे में पूछे जाने पर होसबाले ने कहा कि हिंदू केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रवादी अभिव्यक्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सभ्यतागत अभिव्यक्ति भी है।

इतिहास, संस्कृति और सभ्यता से लेना होगा प्रेरणा: दत्तात्रेय होसबाले

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि सौहार्द पूर्ण समाज के निर्माण के लिए सभी लोगों को यहां के इतिहास, संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रीय आदर्शों से प्रेरणा लेना होगा और आरएसएस इसके लिए प्रयास कर रहा है। इस सिलसिले में उन्होंने सरसंघचालक मोहन भागवत के अल्ससंख्यक समुदाय के साथ सैंकड़ों बैठकों का हवाला दिया।

कर्नाटक में ठेकों में मुसलमानों के लिए चार फीसद आरक्षण के सवाल पर दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि इसके पहले कई राज्यों ने इस तरह के प्रयास हो चुके हैं। लेकिन संविधान के विरूद्ध होने के कारण यह लागू नहीं हो सका। धर्म के आधार पर आरक्षण देने की कोई भी कोशिश संविधान निर्माताओं की भावनाओं के खिलाफ है।

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कैसे गेहूं खरीद के लक्ष्य तक पहुंचेगी सरकार? खुले बाजार में किसानों को मिल रहा अधिक भाव

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 9:47pm

अरविंद, शर्मा, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस बार 310 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है। किसानों से 2425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद की जानी है, लेकिन सरकारी एजेंसियों की तुलना में खुले बाजार में ही किसानों को अधिक मूल्य मिल रहा है। ऐसे में सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त हो सकती है।

बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समेत कई राज्यों में 2650 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बाजार में ही बिक रहा है। पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार किसानों को बोनस दे रही है। जहां बोनस है, वहां से खरीद की उम्मीद है, लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश में बिना बोनस के खरीद एजेंसियों तक किसान नहीं भी पहुंच सकते हैं। सरकार के लिए यह चिंता का कारण हो सकता है।

बफर स्टॉक अभी भरा हुआ है गेहूं

किसानों को एमएसपी पर खरीद की गारंटी के साथ कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतें पूरी करने और बाजार को नियंत्रित रखने के लिए भारतीय खाद्य निगम और राज्यों की एजेंसियां गेहूं की खरीद करती हैं। सरकार को प्रत्येक वर्ष कल्याणकारी योजनाओं के लिए लगभग दो सौ लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ती है।

अभी संकट नहीं है, क्योंकि बफर स्टॉक में 15 मार्च तक 130 लाख टन गेहूं बचा है, जबकि पहली अप्रैल का मानक 74.6 लाख टन है। इसका अर्थ है कि बफर स्टॉक अभी भरा हुआ है, लेकिन खरीदारी कम हुई तो अगले वर्ष के लिए यह संकट का सबब हो सकता है।

11 राज्यों से होनी है गेहूं खरीद

गेहूं की सरकारी खरीदारी इस वर्ष 11 राज्यों से की जानी है। कुल खरीद का लगभग 70 प्रतिशत पंजाब और हरियाणा से पूरा होता है। इस बार 17 लाख 50 हजार किसानों ने अभी तक एमएसपी के लिए पंजीकरण कराया है, मगर शुरुआती संकेत बता रहा है कि ऊंचे बाजार भाव के चलते लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में खरीद शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश को छोड़कर शेष राज्यों में एमएसपी के अतिरिक्त बोनस भी दिया जा रहा है।

बिहार में एक अप्रैल से खरीद होगी शुरू

मध्य प्रदेश में 175 रुपये और पंजाब में 125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस है। बिहार और उत्तर प्रदेश में बोनस नहीं है। बिहार में एक अप्रैल से खरीद शुरू होनी है। मुश्किल यह है कि किसानों को बाजार में कीमत भी ठीक मिल रही है। यही कारण है कि थोक मंडियों में ऊंचे भाव को देखते हुए सरकारी क्रय केंद्रों पर किसान गेहूं लाने से हिचक रहे हैं।

समस्या उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, हिमाचल एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आ सकती है, जहां सिर्फ एमएसपी पर ही सरकारी खरीद होती है। यदि व्यापारी, फ्लोर मिलर्स एवं अन्य कंपनियों की ओर से किसानों को अधिक दाम दे दिया जाएगा तो सरकारी खरीद की गति धीमी पड़ सकती है। तीन-चार वर्षों से ऐसा होता भी आया है, लेकिन गेहूं के बढ़ते दाम को देखते हुए बफर स्टाक को मजबूत बनाए रखना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए जरूरी है कि गेहूं का मंडी भाव को एमएसपी से नीचे रखना होगा।

लक्ष्य की तुलना में कम हो रही खरीद

सरकारी दर पर कम होती खरीदारी का असर बफर स्टॉक पर पड़ सकता है। 2024-25 में 3.2 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था, लेकिन 2.66 करोड़ टन ही खरीदारी हो पाई।

हालांकि 2023-24 में खरीदे गए 2.62 करोड़ टन से ज्यादा था, लेकिन निर्धारित लक्ष्य को देखें तो काफी कम था। उस वर्ष के 3.41 करोड़ टन खरीद का लक्ष्य रखा गया था। वर्ष 2022-23 का आंकड़ा भी निराश करने वाला है। लक्ष्य रखा गया था 4.44 करोड़ टन खरीदने का, मगर आधी खरीद भी नहीं हो पाई। मात्र 1.88 करोड़ टन गेहूं ही खरीदा जा सका था।

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Bihar News: एक्शन में पुलिस! टॉप उग्रवादियों की बन रही लिस्ट, बिहार में होने जा रहा बड़ा काम

Dainik Jagran - March 23, 2025 - 9:43pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में कानून का राज स्थापित करने की दिशा में बिहार पुलिस द्वारा लगातार प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अपराध और उग्रवाद पर काबू पाने के लिए जिस दूरदर्शी रणनीति को अपनाया है, उसका असर अब साफ नजर आने लगा है।

विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और जिला पुलिस के संयुक्त अभियानों के चलते उग्रवादी गतिविधियां अब खडगपुर और छक्कबरबंधा के कुछ सीमित पहाड़ी क्षेत्रों तक सिमट कर रह गई हैं।

बिहार पुलिस ने 1 जनवरी 2025 से अब तक की गई कार्रवाई के दौरान उग्रवाद और संगठित अपराध पर सख्त नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की है।

उग्रवाद को खत्म करने की दिशा में लगातार चलाए जा रहे अभियान

एसटीएफ द्वारा गठित विशेष जांच इकाइयों, अभियान दलों और चीता टीमों के साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों के समन्वय में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं।

पुलिस का दावा है कि आगामी तीन महीनों में शेष बचे इलाकों से भी उग्रवाद का पूरी तरह सफाया कर दिया जाएगा।

उग्रवादी संगठनों की रीढ़ तोड़ने के लिए शीर्ष कमांडरों की गिरफ्तारी, 15 लाख के इनामी विवेक यादव की संदिग्ध मृत्यु और जमानत पर रिहा उग्रवादियों, उनके संरक्षकों और आर्थिक मददगारों पर कड़ी निगरानी की जा रही है।

झारखंड की सीमा से लगे जंगली इलाकों में अंतर्राज्यीय समन्वय के जरिए कार्रवाई की जा रही है, ताकि नक्सली नेटवर्क फिर से संगठित न हो सके।

लगातार की जा रही बैठकें

एसटीएफ और जिला आसूचना इकाइयों के बीच समन्वय को बेहतर बनाने के लिए मासिक समीक्षा बैठकें, प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी उन्नयन किए जा रहे हैं।

तकनीकी सेल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निगरानी रखकर जिलों को रियल टाइम इनपुट उपलब्ध करा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पुलिस बल को आधुनिक उपकरणों, संसाधनों और तकनीक से लैस किया है।

अब पुलिस केवल कार्रवाई तक सीमित नहीं, बल्कि अपराध की जड़ों तक पहुंचने और नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है।

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