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कैसे गेहूं खरीद के लक्ष्य तक पहुंचेगी सरकार? खुले बाजार में किसानों को मिल रहा अधिक भाव
अरविंद, शर्मा, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस बार 310 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है। किसानों से 2425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद की जानी है, लेकिन सरकारी एजेंसियों की तुलना में खुले बाजार में ही किसानों को अधिक मूल्य मिल रहा है। ऐसे में सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त हो सकती है।
बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समेत कई राज्यों में 2650 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बाजार में ही बिक रहा है। पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार किसानों को बोनस दे रही है। जहां बोनस है, वहां से खरीद की उम्मीद है, लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश में बिना बोनस के खरीद एजेंसियों तक किसान नहीं भी पहुंच सकते हैं। सरकार के लिए यह चिंता का कारण हो सकता है।
बफर स्टॉक अभी भरा हुआ है गेहूंकिसानों को एमएसपी पर खरीद की गारंटी के साथ कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतें पूरी करने और बाजार को नियंत्रित रखने के लिए भारतीय खाद्य निगम और राज्यों की एजेंसियां गेहूं की खरीद करती हैं। सरकार को प्रत्येक वर्ष कल्याणकारी योजनाओं के लिए लगभग दो सौ लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ती है।
अभी संकट नहीं है, क्योंकि बफर स्टॉक में 15 मार्च तक 130 लाख टन गेहूं बचा है, जबकि पहली अप्रैल का मानक 74.6 लाख टन है। इसका अर्थ है कि बफर स्टॉक अभी भरा हुआ है, लेकिन खरीदारी कम हुई तो अगले वर्ष के लिए यह संकट का सबब हो सकता है।
11 राज्यों से होनी है गेहूं खरीदगेहूं की सरकारी खरीदारी इस वर्ष 11 राज्यों से की जानी है। कुल खरीद का लगभग 70 प्रतिशत पंजाब और हरियाणा से पूरा होता है। इस बार 17 लाख 50 हजार किसानों ने अभी तक एमएसपी के लिए पंजीकरण कराया है, मगर शुरुआती संकेत बता रहा है कि ऊंचे बाजार भाव के चलते लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में खरीद शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश को छोड़कर शेष राज्यों में एमएसपी के अतिरिक्त बोनस भी दिया जा रहा है।
बिहार में एक अप्रैल से खरीद होगी शुरूमध्य प्रदेश में 175 रुपये और पंजाब में 125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस है। बिहार और उत्तर प्रदेश में बोनस नहीं है। बिहार में एक अप्रैल से खरीद शुरू होनी है। मुश्किल यह है कि किसानों को बाजार में कीमत भी ठीक मिल रही है। यही कारण है कि थोक मंडियों में ऊंचे भाव को देखते हुए सरकारी क्रय केंद्रों पर किसान गेहूं लाने से हिचक रहे हैं।
समस्या उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, हिमाचल एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आ सकती है, जहां सिर्फ एमएसपी पर ही सरकारी खरीद होती है। यदि व्यापारी, फ्लोर मिलर्स एवं अन्य कंपनियों की ओर से किसानों को अधिक दाम दे दिया जाएगा तो सरकारी खरीद की गति धीमी पड़ सकती है। तीन-चार वर्षों से ऐसा होता भी आया है, लेकिन गेहूं के बढ़ते दाम को देखते हुए बफर स्टाक को मजबूत बनाए रखना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए जरूरी है कि गेहूं का मंडी भाव को एमएसपी से नीचे रखना होगा।
लक्ष्य की तुलना में कम हो रही खरीदसरकारी दर पर कम होती खरीदारी का असर बफर स्टॉक पर पड़ सकता है। 2024-25 में 3.2 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था, लेकिन 2.66 करोड़ टन ही खरीदारी हो पाई।
हालांकि 2023-24 में खरीदे गए 2.62 करोड़ टन से ज्यादा था, लेकिन निर्धारित लक्ष्य को देखें तो काफी कम था। उस वर्ष के 3.41 करोड़ टन खरीद का लक्ष्य रखा गया था। वर्ष 2022-23 का आंकड़ा भी निराश करने वाला है। लक्ष्य रखा गया था 4.44 करोड़ टन खरीदने का, मगर आधी खरीद भी नहीं हो पाई। मात्र 1.88 करोड़ टन गेहूं ही खरीदा जा सका था।
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Bihar News: एक्शन में पुलिस! टॉप उग्रवादियों की बन रही लिस्ट, बिहार में होने जा रहा बड़ा काम
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में कानून का राज स्थापित करने की दिशा में बिहार पुलिस द्वारा लगातार प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अपराध और उग्रवाद पर काबू पाने के लिए जिस दूरदर्शी रणनीति को अपनाया है, उसका असर अब साफ नजर आने लगा है।
विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और जिला पुलिस के संयुक्त अभियानों के चलते उग्रवादी गतिविधियां अब खडगपुर और छक्कबरबंधा के कुछ सीमित पहाड़ी क्षेत्रों तक सिमट कर रह गई हैं।
बिहार पुलिस ने 1 जनवरी 2025 से अब तक की गई कार्रवाई के दौरान उग्रवाद और संगठित अपराध पर सख्त नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की है।
उग्रवाद को खत्म करने की दिशा में लगातार चलाए जा रहे अभियानएसटीएफ द्वारा गठित विशेष जांच इकाइयों, अभियान दलों और चीता टीमों के साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों के समन्वय में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं।
पुलिस का दावा है कि आगामी तीन महीनों में शेष बचे इलाकों से भी उग्रवाद का पूरी तरह सफाया कर दिया जाएगा।
उग्रवादी संगठनों की रीढ़ तोड़ने के लिए शीर्ष कमांडरों की गिरफ्तारी, 15 लाख के इनामी विवेक यादव की संदिग्ध मृत्यु और जमानत पर रिहा उग्रवादियों, उनके संरक्षकों और आर्थिक मददगारों पर कड़ी निगरानी की जा रही है।
झारखंड की सीमा से लगे जंगली इलाकों में अंतर्राज्यीय समन्वय के जरिए कार्रवाई की जा रही है, ताकि नक्सली नेटवर्क फिर से संगठित न हो सके।
लगातार की जा रही बैठकेंएसटीएफ और जिला आसूचना इकाइयों के बीच समन्वय को बेहतर बनाने के लिए मासिक समीक्षा बैठकें, प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी उन्नयन किए जा रहे हैं।
तकनीकी सेल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निगरानी रखकर जिलों को रियल टाइम इनपुट उपलब्ध करा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पुलिस बल को आधुनिक उपकरणों, संसाधनों और तकनीक से लैस किया है।
अब पुलिस केवल कार्रवाई तक सीमित नहीं, बल्कि अपराध की जड़ों तक पहुंचने और नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है।
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राजीव चंद्रशेखर का केरल BJP का प्रदेश अध्यक्ष बनना तय! सोमवार को एलान होने की संभावना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर केरल के अगले प्रदेश अध्यक्ष हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो वह एकमात्र इस पद के प्रत्याशी हैं। सोमवार को पार्टी की राज्य परिषद की बैठक के बाद औपचारिक घोषणा की जाएगी।
माना जा रहा है कि बीजेपी केंद्रीय पर्यवेक्षक प्रह्लाद जोशी सोमवार को आधिकारिक रूप से उनकी नियुक्ति की घोषणा कर सकते हैं। वहीं, रविवार को राजीव चंद्रशेखर ने राज्य की राजधानी में भाजपा मुख्यालय में पद के लिए नामांकन पत्रों के दो सेट दाखिल किए। 60 वर्षीय राजीव चंद्रशेखर इससे पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।
तीन बार सांसद रहे चंद्रशेखरबता दें कि उन्होंने तीन बार कर्नाटक से राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में कार्य किया। वे एनडीए की केरल इकाई के उपाध्यक्ष हैं। बता दें कि साल 2024 में उन्होंने तिरुवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव लड़ा था।
के सुरेंद्रन की जगह लेंगे चंद्रशेखरहालांकि, उनको हार का सामना करना पड़ा था। ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और 2026 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वह प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं। बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर वर्तमान में केरल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन से पार्टी की बागडोर लेंगे। साल 2020 से के सुरेंद्रन बीजेपी के केरल के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
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Railway Claim Scam: एक्शन में ED, रेलवे क्लेम स्कैम में 8 करोड़ से अधिक की 24 संपत्तियां की जब्त; बढ़ेंगी मुश्किलें
राज्य ब्यूरो, पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पटना रेलवे दावा न्यायाधिकरण घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आठ करोड़ से अधिक की 24 संपत्तियां जब्त कर ली हैं।
इसके साथ ही इस मामले में आरोपितों को दोषी ठहराने की मांग को लेकर कोर्ट में अभियोजन शिकायत भी दायर की है।
इन्हें दोषी ठहराने की ईडी ने की मांगप्रवर्तन निदेशालय ने जिस लोगों को दोषी ठहराने की मांग की है कि उनमें एडवोकेट विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा, रिंकी सिन्हा, अर्चना सिन्हा, विजय कुमार, निर्मला कुमार और मे. हरजिग बिजनेस एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लि. के नाम हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने रेलवे के अज्ञात लोक सेवकों विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा, विजय कुमार और अन्य के खिलाफ मृत्यु दावा मामलों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने और आपराधिक मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी।
प्राथमिकी में कहा गया था कि मृत्यु से जुड़े रेलवे दावों में घपला किया गया और दावेदारों को रेलवे से मिली राशि में से केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को दिया गया, जबकि बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया।
जांच में यह बात सामने आई कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने 900 से अधिक दावों का निपटारा किया। जिसे जज आरके मित्तल द्वारा पारित किया गया था।
ईडी ने पाया कि विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और उनका संचालन किया। उन्होंने रेलवे से प्राप्त दावा राशि को अपने खातों में या नकद निकालने के लिए दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का इस्तेमाल किया।
वकीलों के बैंक खाते में पैसा किया गया ट्रांसफरदावेदारों के बैंक खाते से वकीलों के बैंक खातों में 10.27 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। यही नहीं वकीलों की पत्नियों ने अपराध की इस आय को छिपाने के लिए एक कंपनी के नाम पर 24 अंचल संपत्तियां अर्जित की, जो पटना, नालंदा, गया और नई दिल्ली में स्थित है।
इस मामले में इसी वर्ष जनवरी महीने में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने पटना, नालंदा में छापा मारा था। जिसमें अधिवक्ता विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और विजय कुमार को गिरफ्तार किया गया और वर्तमान में सभी न्यायिक हिरासत में हैं।
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Bihar Gram Kachahri Sachiv: बिहार ग्राम कचहरी सचिव की फाइनल मेरिट लिस्ट जारी, इस वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं नाम
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Gram Kachahri Sachiv: पंचायती राज विभाग ने बिहार ग्राम कचहरी सचिव की अंतिम मेधा सूची तैयार कर जिला परिषद की वेबसाइट https://ps.bihar.gov.in पर देर शाम जारी कर दी गई है।
विभाग द्वारा 1583 रिक्त पदों पर ग्राम कचहरी सचिव के नियोजन हेतु 16 से 29 जनवरी 2025 तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया गया था।
विभाग द्वारा गठित नियोजन समिति के अनुमोदन उपरांत 14 फरवरी को अनुमोदित औपबंधिक मेधा सूची की घोषणा की गई।
19 फरवरी तक कर ली गई शिकायतइस पर आपत्ति/शिकायत दर्ज करने के लिए 19 फरवरी से पांच मार्च तक विभाग द्वारा विकसित जिला परिषद की वेबसाइट पर विकल्प उपलब्ध कराया गया था।
पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के नियोजन समिति द्वारा विधि सम्मत निराकरण के बाद विभाग ने अंतिम मेधा सूची जारी की है।
इस प्रकार विभाग द्वारा आवेदन आमंत्रित करने से अंतिम मेधा सूची जारी करने की पूरी प्रक्रिया मात्र दो माह छह दिन में पूरी कर ली गई। ऑनलाइन पद्धति को अपनाते हुए विभाग द्वारा पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की गई।
शीघ्र मिलेगी काउंसलिंग से संबंधित सूचनाविभाग द्वारा बिहार ग्राम कचहरी सचिव के पद पर नियोजन हेतु अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की काउंसलिंग से संबंधित संपूर्ण जानकारी आधिकारिक वेबसाइट तथा विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से शीघ्र प्रदान की जाएगी।
ग्राम कचहरी सचिव चयन पर विवाद, सरपंच के इनकार के बावजूद बीडीओ ने जारी की सूची
वहीं, दूसरी ओर एकंगरसराय प्रखंड के ग्राम कचहरी धुरगांव में ग्राम कचहरी सचिव पद के चयन को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। अंतिम मेधा सूची में सरपंच की पत्नी का नाम शामिल न होने के कारण सरपंच और उपसरपंच दोनों ने सूची पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
इस स्थिति को देखते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रशांत कुमार ने अपने हस्ताक्षर से सूची को प्रमाणित कर पोर्टल पर अपलोड कर दिया।
क्या है मामला?ग्राम कचहरी सचिव पद के लिए चयन प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थियों की अंतिम मेधा सूची तैयार की गई थी। सरपंच की पत्नी रीता कुमारी ने भी इस पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन आवश्यक मापदंडों को पूरा न करने के कारण उनका नाम सूची में शामिल नहीं किया गया।
इसे लेकर सरपंच ने सूची पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया और उपसरपंच को भी इसी आधार पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।
बीडीओ ने बताया कि प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रशांत कुमार ने कहा कि अंतिम मेधा सूची पूरी तरह पारदर्शी और नियमानुसार तैयार की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकारी कार्य किसी के इनकार करने से नहीं रुकता, हर काम का एक वैकल्पिक समाधान मौजूद होता है।
प्रखंड विकास पदाधिकारी ने इस संबंध में पंचायती राज विभाग बिहार पटना के निदेशक को पत्र लिखकर उक्त मामले की जानकारी दे दी है।
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सरकार संवेदनशील मुद्दों पर विमर्श के लिए बुला सकती है लोकसभा की गुप्त बैठक, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा
पीटीआई, नई दिल्ली। संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार नियमों के अनुसार लोकसभा की गुप्त बैठक बुला सकती है, लेकिन इस प्रविधान का अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है।
एक संवैधानिक विशेषज्ञ के अनुसार, वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की गुप्त बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस पर सहमत नहीं हुए थे।
कैसे बुलाई जाती है ऐसी बैठक?उल्लेखनीय है कि 'लोकसभा में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम' के अध्याय-25 में सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठकें आयोजित करने के लिए सक्षम प्रविधान हैं। नियम-248 के उपखंड एक के अनुसार, सदन के नेता के अनुरोध पर अध्यक्ष सदन की गुप्त बैठक के लिए कोई भी एक दिन तय कर सकते हैं।
उपखंड दो में कहा गया है कि जब सदन की गुप्त बैठक चलेगी तो किसी भी अजनबी को कक्ष, लाबी या गैलरी में उपस्थित होने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन, कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ऐसी बैठकों के दौरान अनुमति दी जाएगी।
क्या कहते हैं नियम?इसी अध्याय में एक अन्य नियम के अनुसार, अध्यक्ष यह निर्देश दे सकते हैं कि गुप्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट उसी तरीके से जारी की जाए जैसा अध्यक्ष उचित समझें। लेकिन कोई भी अन्य उपस्थित व्यक्ति गुप्त बैठक की किसी भी कार्यवाही या निर्णय का नोट या रिकार्ड नहीं रखेगा, चाहे वह आंशिक हो या पूर्ण, या ऐसी कार्यवाही की कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा या उसका वर्णन करने का दावा नहीं करेगा।
जब यह माना जाता है कि किसी गुप्त बैठक की कार्यवाही के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता समाप्त हो गई है और अब यह अध्यक्ष की सहमति के अधीन है तो सदन का नेता या कोई अधिकृत सदस्य यह प्रस्ताव पेश कर सकता है कि ऐसी बैठक के दौरान की कार्यवाही को अब गुप्त नहीं माना जाए। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है तो लोकसभा महासचिव गुप्त बैठक की कार्यवाही की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और इसे जल्द से जल्द प्रकाशित करेंगे।
निर्णयों का नहीं कर सकते खुलासाहालांकि, नियमों में चेतावनी दी गई है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी तरीके से गुप्त कार्यवाही या बैठक की कार्यवाही या निर्णयों का खुलासा करना सदन के विशेषाधिकार का घोर उल्लंघन माना जाएगा। संविधान विशेषज्ञ एवं पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि सदन की गुप्त बैठक आयोजित करने का अब तक कोई अवसर नहीं आया है।
उन्होंने पुराने लोगों के साथ अपनी बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 1962 में चीन-भारत युद्ध के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के लिए गुप्त बैठक का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, नेहरू इससे सहमत नहीं हुए और कहा कि जनता को यह बात पता होनी चाहिए।
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'कठिन समय में काम करने के लिए मार्गदर्शन देता है संविधान', SC के जज कोटिस्वर सिंह की मणिपुर के लोगों से खास अपील
पीटीआई, इंफाल। सुप्रीम कोर्ट के जज कोटिस्वर सिंह ने रविवार को कहा कि यदि लोग संविधान का पालन करें तो मणिपुर में चुनौतियों से निपटा जा सकता है। वहीं, जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि संवैधानिक तरीकों से सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जब संवाद होता है तो समाधान पहुंच में होता है।
जस्टिस गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की टीम शनिवार से मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर है। टीम में शामिल जस्टिस कोटिस्वर सिंह ने मणिपुर हाई कोर्ट की स्थापना की 12वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि मणिपुर एक छोटा राज्य है, लेकिन सौभाग्य से हमारे पास संविधान है जो हमें कठिन समय में काम करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
देश को मजबूत करने के लिए करें कामउन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की टीम ने शनिवार को चूड़चंदपुर और बिष्णुपुर जिलों के दौरे के दौरान लोगों में काफी उत्साह और आशा देखी। चुनौतियां भी हैं जिनसे संवैधानिक मूल्यों का पालन करके निपट सकते हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे देश को मजबूत बनाने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास करें और इसे कमजोर करने वाला कोई काम न करें।
जस्टिस गवई ने कहा,
संवैधानिक तरीकों से हर चीज का समाधान किया जा सकता है। अगर बातचीत होगी तो समाधान दूर नहीं होगा। राहत शिविरों में रह रहे लोग अपने घर लौटना चाहते हैं। मुझे यकीन है कि राज्यपाल के प्रयासों से मणिपुर में जल्द ही शांति और सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।
जज ने कहा कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने तय किया था कि मणिपुर की यात्रा के दौरान वे उन लोगों से बातचीत करेंगे जो पिछले दो वर्षों से संघर्ष के कारण पीडि़त हैं। हमने चूड़चंदपुर और बिष्णुपुर में राहत शिविरों का दौरा किया और दोनों समुदायों से बातचीत की। एक बात जो हम समझ पाए, वह यह है कि हर कोई शांति की बहाली चाहता है। किसी की भी मौजूदा स्थिति जारी रखने में दिलचस्पी नहीं है। हम सभी संवैधानिक तरीकों से राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए एकजुट होकर काम कर सकते हैं।
मणिपुर में शांति प्रयासों में हुई प्रगति : मेघवालकेंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से वार्ता में कहा कि मणिपुर की स्थिति में सुधार हो रहा है। शांति बहाली की प्रक्रिया में प्रगति हुई है और आगे भी इस दिशा में काम किए जाने की जरूरत है।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इस मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की गई और शांति बहाल करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। केंद्र सरकार राज्य में जल्द ही शांति वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से नकदी मिलने के मामले पर मेघवाल ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच कर रहा है.. समिति की रिपोर्ट आने दीजिए.. हम उसके बाद बात करेंगे।''
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Planning a trip to US? Know your rights at airports and border crossings - Hindustan Times
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- Yes, border control can go through your phone. Here's what travelers should know. USA TODAY
- Entering the U.S.? Here are your rights at airports and border crossings. The Washington Post
- Here’s what you need to know about your rights when entering the US The Guardian US
कांग्रेस ने वक्फ संशोधन बिल को संविधान पर हमला बताया, BJP पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद वक्फ संशोधन बिल इसी सत्र में लाने की सरकार की तैयारियों के बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस विधेयक को देश के संविधान पर हमला बताते हुए आरोप लगाया है कि प्रस्तावित कानून के जरिए हमारे सदियों पुराने सामाजिक सद्भाव के बंधनों को भाजपा लगातार नुकसान पहुंचाने में जुटी हुई है। साथ ही कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया है कि यह विधेयक दुष्प्रचार और पूर्वाग्रह पैदा करके अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने के भाजपा के प्रयासों का भी हिस्सा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को वक्फ संशोधन बिल पर पार्टी का रूख साफ करते हुए बयान जारी कर कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करना है जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी लाभ की खातिर समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में रखने के लिए अल्पसंख्यक समुदायों की परंपराओं और संस्थाओं को बदनाम करने का भाजपा का रूख उसकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार करने का आरोप
जयराम रमेश ने वक्फ बिल पर गठित जेपीसी की रिपोर्ट में विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार किए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2024 मुख्य रूप से पांच कारणों की वजह से गंभीर रूप से दोषपूर्ण है। पहला पूर्ववर्ती कानूनों के तहत वक्फ प्रबंधन के लिए बनाए गए सभी संस्थानों की स्थिति, संरचना और अधिकार को सुनियोजित तरीके से कम करने का प्रयास किया गया है। ताकि अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं और धार्मिक संस्थाओं के प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा सके।
कांग्रेस महासचिव ने दूसरी त्रुटि गिनाते हुए कहा कि अपनी भूमि को कौन वक्फ मकसदों के लिए दान कर सकता है, इसे तय करने में जानबूझकर अस्पष्टता लायी गई है और इस वजह से वक्फ की परिभाषा ही बदल गई है। तीसरा दोष यह है कि देश की न्यायपालिका द्वारा लंबे समय से निर्बाध चली आ रही परंपरा के आधार पर विकसित किए गए “वक्फ-बाई-यूजर'' की अवधारणा को समाप्त किया जा रहा है।
'अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए जा रहे'
चौथी बात यह है कि वक्फ प्रशासन को कमजोर करने के लिए बिना किसी कारण के मौजूदा कानून के प्रावधानों को हटाया जा रहा है। साथ ही वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों को बचाने के लिए अब कानून में और अधिक सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं।
पांचवी त्रुटि गिनाते हुए जयराम ने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों और उनके पंजीकरण से जुड़े मामलों में कलेक्टर और राज्य सरकार के अन्य नामित अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों के पास अब किसी की शिकायत पर या वक्फ संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने के आरोप मात्र पर अंतिम निर्णय होने तक किसी भी वक्फ की मान्यता रद्द करने का अधिकार होगा।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह याद रखना आवश्यक है कि 428 पृष्ठों की रिपोर्ट को संयुक्त संसदीय समिति में बिना किसी विस्तृत अनुच्छेद-दर-अनुच्छेद चर्चा के संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर जबरन पारित कर दिया गया।
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