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'सुप्रीम कोर्ट CJI केंद्रित है, इसमें बदलाव की जरूरत'; फेयरवेल स्पीच पर जस्टिस अभय ओका ने दिया बड़ा बयान

Dainik Jagran - National - May 23, 2025 - 11:05pm

 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट को लेकर समय समय पर बदलाव की बातें होती रही हैं। कई जजों ने सुप्रीम कोर्ट में सुधार की बात की हैं तो कई सुधार भी हुए हैं। वहीं, शुक्रवार को अपने अंतिम कार्य दिवस पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एएस ओका ने बड़ी बात बोली। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश केंद्रित कोर्ट है और इसमें बदलाव की जरूरत है।

न्यायाधीश एएस ओका का अंतिम कार्य दिवस शुक्रवार को था

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एएस ओका का अंतिम कार्य दिवस शुक्रवार को था, अब वे रिटायर हो गए हैं। न्यायमूर्ति ओका ने यह भी संकेत दिया कि यह बदलाव नए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के अधीन आ सकता है, जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में कार्यभार संभाला था और नवंबर में अपनी सेवानिवृत्ति तक इस पद पर बने रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित अपने विदाई समारोह में बोलते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय की तुलना में अधिक लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं।

अपने भाषण में दे गए संकेत

न्यायाधीश एएस ओका ने कहा कि उच्च न्यायालय समितियों के माध्यम से काम करते हैं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय भारत के मुख्य न्यायाधीश-केंद्रित है। इसमें बदलाव की जरूरत है। आप नए सीजेआई के साथ यह बदलाव देखेंगे।

उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (जो 13 मई को सेवानिवृत्त हुए) ने हमें पारदर्शिता के रास्ते पर आगे बढ़ाया। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को विश्वास में लेने के बाद निर्णय लिए। न्यायमूर्ति गवई के खून में लोकतांत्रिक मूल्य हैं।

न्यायपालिका के शीर्ष स्तर पर सुधार की गुंजाइश वाले अन्य क्षेत्रों की ओर इशारा करते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने ट्रायल कोर्ट की अनदेखी की है।

ट्रायल कोर्ट को कभी भी अधीनस्थ न्यायालय न कहें

उन्होंने कहा कि हमें ट्रायल कोर्ट और आम आदमी के बारे में भी सोचना चाहिए। हमारे ट्रायल और जिला न्यायालयों में बहुत सारे मामले लंबित हैं... ट्रायल कोर्ट को कभी भी अधीनस्थ न्यायालय न कहें। यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है... 20 साल बाद किसी को सजा देना मुश्किल काम है।

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'परमाणु हथियार की धमकी बर्दाश्त नहीं करेंगे', जयशंकर ने पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी; बोले- गलतफहमी में मत रहना

Dainik Jagran - National - May 23, 2025 - 10:47pm

पीटीआई, नई दिल्ली। भारत आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने की नीति पर चल रहा है और आगे भी इसी पर चलेगा। विश्व के सामने आतंकवाद वैसी ही बड़ी समस्या है जैसी वातावरण में हो रहा बदलाव और तेजी से बढ़ रही गरीबी है।

भारत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर ब्लैकमेल की कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगा। इतना ही नहीं भारत पाकिस्तान के साथ अपने मसले द्विपक्षीय ही रखेगा, इसे लेकर किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री जयशंकर ने जर्मन समकक्ष जोहान वाडेफुल के साथ बर्लिन में संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस में कही।

पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश

जयशंकर ने कहा, पाकिस्तान भारत की जम्मू-कश्मीर से लगने वाली सीमा का 1947 से लगातार उल्लंघन कर रहा है। यह सिलसिला लगभग आठ दशकों से चल रहा है भले ही पाकिस्तान में सैन्य सरकार रही हो या लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार। पाकिस्तान ने आतंकवाद को भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।

भारत ने दशकों तक संयम बरतने के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिये आतंकवाद को मजबूती से जवाब दिया है। यह अभी स्थगित हुआ है, खत्म नहीं हुआ। इससे पहले डेनमार्क के अखबार पोलिटीकेन को दिए इंटरव्यू में जयशंकर ने पाकिस्तान में सैन्य शासन और लोकतंत्र को कमजोर करने का जितना समर्थन पश्चिमी देशों ने किया उतना किसी अन्य ने नहीं किया।

सैन्य तानाशाही का किया जिक्र
  • पश्चिमी देशों का यह रुख लंबे समय तक कायम रहा। विदेश मंत्री ने कहा, पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान में लगभग आधे समय रही सैन्य तानाशाही का भी उसी तरह से समर्थन किया जैसे कि वे चुनी हुई सरकार को करते हैं। यह सब यूरोप के लोकतांत्रिक देशों में होता रहा। इससे पाकिस्तान में सेना का प्रभाव बढ़ता गया और वह चुनावों में जीते नेताओं पर भारी पड़ती रही।
  • जयशंकर ने यह बात यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के रूस के समर्थन के सवाल पर कही। इंटरव्यू में सवाल को रूस से भारत की तेल खरीद को यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई के समर्थन के तौर पर पूछा गया था। विदेश मंत्री इस समय नीदरलैंड्स, डेनमार्क और जर्मनी के दौरे पर हैं।

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SC: 'मातृत्व अवकाश लेना महिलाओं का अधिकार', इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर डाली तीखी टिप्पणी

Dainik Jagran - National - May 23, 2025 - 10:38pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मातृत्व अवकाश लेना महिलाओं का अधिकार है। यह मातृत्व का अभिन्न हिस्सा है।

हाईकोर्ट ने कर दिया था इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए कहा कि महिला अपने पहले विवाह से दो बच्चों के बावजूद तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार है। हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका को मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया था।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, पूरी दुनिया में मां बनने के अधिकारों को मान्यता दी गई है, जिसमें मातृत्व लाभ शामिल हैं। मातृत्व अवकाश मातृत्व लाभ का अभिन्न हिस्सा है। अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 21 के व्यापक दायरे पर जोर दिया, जो जीवन के अधिकार की गारंटी देता है।

काफी व्यापक है जीवन के अधिकार का दायरा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अर्थ जीवन के पूर्ण अर्थ से है। जीवन के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार, गरिमा के साथ जीने का अधिकार और गोपनीयता का अधिकार भी शामिल है। अदालत ने अनुच्छेद 42 का भी उल्लेख किया, जिसमें कार्य की न्यायपूर्ण और मानवता के अनुकूल परिस्थितियों और मातृत्व राहत के प्रविधान हैं।

यह है मामला

तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के एक सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी की शिक्षिका के पहले विवाह से दो बच्चे हैं। 2017 में तलाक के बाद से बच्चे उनके पूर्व पति की कस्टडी में हैं।

2018 में, उन्होंने पुनर्विवाह किया और 2021 में गर्भवती हुईं। उन्होंने 17 अगस्त 2021 से 13 मई 2022 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया।

उनका अनुरोध तमिलनाडु के अधिकारियों ने मौलिक नियम (एफआर) 101(ए) का हवाला देकर अस्वीकार कर दिया। इस नियम के तहत मातृत्व अवकाश उन महिलाओं को मिलता है जिनके दो से कम बच्चे हैं। महिला ने इस फैसले को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी।

हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस निर्णय को पलट दिया

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने उनके पक्ष में फैसला दिया और शिक्षा विभाग को मातृत्व अवकाश देने का आदेश दिया। हालांकि, राज्य सरकार ने अपील की। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस निर्णय को पलट दिया, जिसके बाद शिक्षिका ने शीर्ष अदालत का रुख किया।

दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश पर नहीं है रोक

शीर्ष अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि मातृत्व लाभ संशोधन कानून, 2017 के तहत दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश पर रोक नहीं है। इसके बजाय यह कानून मातृत्व अवकाश की अवधि को सीमित करता है। दो से कम बच्चों वाली महिलाओं के लिए 26 सप्ताह और अधिक बच्चों वाली महिलाओं के लिए 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलता है।

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'कानून की नजर में अपराध, लेकिन लड़की...', सुप्रीम कोर्ट ने माफ कर दी रेप के दोषी की सजा; जानिए पूरा मामला

Dainik Jagran - National - May 23, 2025 - 10:36pm

माला दीक्षित, नई दिल्ली। कई बार कानून धरा रह जाता है और कोर्ट को मामले की परिस्थितियों को देखते हुए कानून से परे जाकर न्याय करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐसा ही फैसला सुनाया है। नाबालिग से दुष्कर्म कानून की निगाह में गंभीर अपराध है, लेकिन पीड़िता ऐसा नहीं मानती।

पीड़िता ने तो उसे बचाने के लिए ऐड़ी चोटी एक कर दी। कर्ज लेकर लाखों रुपये कानूनी लड़ाई में खर्च कर दिए, छोटी बच्ची साथ लिए दर-दर भटकी। पीडि़ता का संघर्ष देख कर सुप्रीम कोर्ट का दिल पसीज गया। कोर्ट ने अभियुक्त को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी तो ठहराया लेकिन उसकी सजा माफ कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 में प्राप्त विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सभी की आंखे खोलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में राइट टु प्राइवेसी ऑफ एडोल्सेन्ट के नाम से स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा था। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कानून के मुताबिक, उसके पास अभियुक्त को सजा देकर जेल भेजने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है लेकिन इस मामले में पीड़ता के परिवार ने, समाज ने और कानूनी तंत्र ने पीड़िता के साथ पहले ही बहुत अन्याय किया है, पीड़िता ने बहुत तनाव और कष्ट झेला है अब उसके पति को जेल भेज कर कोर्ट उसके साथ और अन्याय नहीं कर सकता।

जानिए क्या है पूरा मामला?

पश्चिम बंगाल के इस मामले में 14 वर्षीय पीड़िता से 25 वर्षीय युवक ने दुष्कर्म किया था जिसके लिए निचली अदालत ने पोक्सो कानून में 20 साल की सजा सुनाई थी। लेकिन केस के तथ्यों के मुताबिक पीड़िता युवक से प्यार करती थी और वह स्वयं घर से भागी थी। उसने अभियुक्त से शादी कर ली है और उसकी अब एक छोटी बच्ची भी है और अब उसकी सारी चिंता अपने पति को बचाने और छोटे से परिवार को साथ रखने की है। ये फैसला न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जवल भुइयां की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दाखिल अपील और स्वत: संज्ञान लेकर की जा रही सुनवाई में दिए।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने की थी विवादित टिप्पणी

इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने विवादित टिप्पणी की थी और कहा था कि लड़कियों को अपनी सेक्स इच्छा पर नियंत्रण रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस टिप्पणी के आदेश को रद कर दिया था। उस आदेश में हाई कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में पोक्सो कानून में निचली अदालत से अभियुक्त को सुनाई गई 20 साल की कैद की सजा रद कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त 2024 को विस्तृत फैसला दिया था और हाई कोर्ट का सजा रद करने का आदेश खारिज कर दिया था और निचली अदालत का सजा का आदेश बहाल कर दिया था लेकिन सजा निलंबित रखी थी और तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी बनाई थी उससे रिपोर्ट मांगी थी।

कोर्ट ने कमेटी की रिपोर्ट देखने और न्यायमित्र के सुझाव देखने के बाद यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि कमेटी की रिपोर्ट देखने से पता चलता है कि पीड़िता घटना को गंभीर अपराध नहीं मानती जिसके कारण उसे इतना झेलना पड़ा। ये सब इसलिए हुआ क्योंकि पीड़िता को शुरुआत में जानकारी नहीं दी गई। ये हमारे समाज की, हमारे कानूनी तंत्र की, और उसके परिवार की खामियों को उजागर करता है।

पीड़िता के पुनर्वास का कोर्ट ने दिया आदेश

कोर्ट ने कहा कि मामले को देखने के बाद उन्हें लगता है कि अगर अभियुक्त को जेल भेजा गया तो सबसे ज्यादा पीड़िता ही भुगतेगी। 2018 में जब की यह घटना है उससे अब वह बेहतर स्थिति में है और अपने छोटे से परिवार में आराम से है। वह अभियुक्त के साथ अपनी बेटी पर ध्यान दे रही है और उसे अच्छी शिक्षा देना चाहती है। पीड़िता स्कूल जाने लगी है और आगे पढ़ना चाहती है। कोर्ट ने पीड़िता के पुनर्वास का आदेश देते हुए अभियुक्त की आगे की सजा माफ कर दी। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि यह केस भविष्य के लिए नजीर नहीं होगा।

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पटना वालों के लिए अच्छी खबर, दीघा के दूधिया मालदह आम को मिलेगा जीआइ टैग

Dainik Jagran - May 23, 2025 - 10:30pm

नीरज कुमार, पटना। राजधानीवासियों के लिए अच्छी खबर है कि दीघा के दूधिया मालदह आम को जीआइ टैग प्रदान किया जाएगाा। इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों ने प्रस्ताव तैयार किया है। दीघा का दूधिया मालदह राजधानी की पहचान रहा है, इसके संरक्षण के लिए भी आवश्यक कदम उठाये जाएंगे। साथ ही इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार विशेष योजना तैयार की जा रही है। 

दूधिया मालदह का मीठास अन्य आमों से अलग

मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. शिवनाथ दास का कहना है कि दीघा के दूधिया मालदह आम की मीठास अन्य आमों से एकदम अलग है। यहां की मिट्टी की बनावट भी विशेष प्रकार की है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि जिस मिट्टी पर दूधिया मालदह आम की खेती होती है, वह मिट्टी गंगा एवं सोन के पानी से सिंचित होती रही है। पूर्व में यहां पर गंगा एवं सोन का संगम हुआ करता था। वर्तमान में गंगा एवं सोन का संगम के मनेर के पास है। परंतु पूर्व के वर्षों में वेटेनरी कालेज, दीघा एवं चिड़ियाघर से सोन बहा करता था। 

कुर्जी से लेकर मनेर तक अच्छी मिट्टी

दीघा के दुधिया मालदह आम के लिए कुर्जी मोड़ से लेकर मनेर तक की मिट्टी काफी अच्छी है। वर्तमान में राजधानी में बिहार विद्यापीठ, लोयाला हाईस्कूल, संत माइकल हाईस्कूल, संत जेवियर कालेज, आत्मदर्शन सहित कई संस्थानों में दीघा दूधिया मालदह के आमों के पेड़ मौजूद हैं। मनेर के कई किसानों ने भी मालदह आम के पौधे लगाये हैं। 

1907 के गजेटियर में है दीघा मालदह का वर्णन

1907 में प्रकाशित गजेटियर में दीघा मालदह आम का वर्णन है। इससे पता चलता है कि पटना शहर के आसपास दीघा मालदह आम की खेती होती थी। वर्तमान में पटना जिले में लगभग 190 हेक्टेयर में दुधिया मालदह की खेती की जा रही है। अब तक मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से राजधानी के आसपास 1500 पेड़ों की पहचान की गई है। फिलहाल दीघा के दूधिया मालदह दो हजार मीट्रिक टन उत्पादन हो रहा है।

मीठापुर में होगा पांच हजार मालदह आम के पौधे का वितरण

दीघा के दूधिया मालदह आम को बढ़ावा देने के लिए मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से अगले माह पांच हजार पौधे का वितरण किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर गुलाबखास, दशहरी, आम्रपाली सहित अन्य आमों के पौधों का वितरण किसानों के बीच किया जाएगा।

लीची एवं नींबू के पौधे भी मिलेंगे

मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान में इस वर्ष राजधानीवासियों एवं किसानों को नींबू, अमरूद, लीची एवं कटहल के पौधे मुहैया कराये जाएंगे। संस्थान की ओर से पौधे तैयार कर लिये गए हैं। वर्षा का इंतजार किया जा रहा है। जैसे ही मानसून की वर्षा शुरू होगी पौधे का वितरण प्रारंभ कर दिया जाएगा।

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बिहार के अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्रों में हो रहा समग्र विकास, शिविर में आए आवेदनों का तेजी से निपटारा

Dainik Jagran - May 23, 2025 - 10:04pm

डिजिटल डेस्क, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर सभी जिलों में समग्र सेवा अभियान चलाने की कार्य योजना तैयार की गई। राज्य के 60 हजार से अधिक छोटे-बड़े अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति टोलों में डॉ. अंबेडकर समग्र सेवा अभियान के तहत विशेष विकास शिविर आयोजित किए गए थे। इनमें 22 प्रमुख योजनाओं से संबंधित आवेदन प्राप्त किए गए।

14 अप्रैल से 17 मई तक आयोजित सभी शिविरों में 22 लाख 99 हजार 405 आवेदन प्राप्त हुए। इसमें 9 हजार 477 आवेदन आधारभूत संरचनाओं तथा 22 लाख 89 हजार 928 आवेदन विभिन्न योजनाओं को पूरा करने की मांग को लेकर प्राप्त हुए हैं। इन पर संबंधित विभाग के स्तर से क्रियान्वयन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। एक तिहाई मामलों का निष्पादन करते हुए संबंधित व्यक्ति को इसका लाभ भी दिया जा चुका है।

विकास की ओर बढ़ते कदम

आधारभूत संरचनाओं से संबंधित कुल 9 हजार 477 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 3 हजार 114 कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किए जा चुके हैं। शेष 4 हजार 652 मामलों में कार्य प्रगति पर है। बड़ी बात ये है कि इस श्रेणी में प्राप्त हुए सभी आवेदनों में अबतक 32.86 प्रतिशत का निपटारा कर लिया गया है। वहीं, विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित 22 लाख 89 हजार 928 आवेदनों में से 9 लाख 92 हजार 203 को स्वीकृत किया गया है। इनमें 43.48 प्रतिशत आवेदनों का निपटारा कर दिया गया है।

विद्यालय निर्माण की स्थिति

आधारभूत संरचनाओं की जरूरतों से संबंधित विद्यालय निर्माण के लिए कुल 207 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 45 स्थलों पर काम पूरा हो चुका है। वहीं, 151 विद्यालय निर्माण के मामले प्रक्रियाधीन हैं। बड़ी बात ये है कि मुजफ्फरपुर जिले से विद्यालय निर्माण के लिए सर्वाधिक 24 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें तीन पर काम पूरा हो चुका है जबकि 21 विद्यालय निर्माण के मामले प्रक्रियाधीन हैं। वहीं, नवादा से कुल 14 आवेदन प्राप्त हुए हैं, इनमें 11 पर काम पूर्ण हो चुके हैं जबकि तीन मामले प्रक्रियाधीन हैं। वहीं, सीवान, वैशाली और गोपालगंज जिले से विद्यालय निर्माण के लिए कुल 12 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें सीवान में एक जगह पर काम पूर्ण हो चुका है जबकि तीन प्रक्रियाधीन है। वैशाली में भी एक जगह पर काम पूरा हो चुका है, वहीं 11 विद्यालय निर्माण के मामले प्रक्रियाधीन है। गोपालगंज में 12 जगहों पर स्कूल निर्माण के मामले प्रक्रियाधीन है।

अन्य जिलों की बात करें तो अररिया से 2, अरवल से 4, औरंगाबाद से 4, बांका से 10, बेगूसराय और भागलपुर से 1, भोजपुर से 12, दरभंगा से 5, पूर्वी चंपारण से 10, गया से 11, कैमूर से 3, कटिहार से 2, किशनगंज से 3, लखीसराय से 3, मधुबनी से 8, मुंगेर से 5, पटना से 7, नालंदा से 4, रोहतास से 6, सहरसा से 8, समस्तीपुर से 3, सारण से 11, सीतामढ़ी से 4, सुपौल से 3 और पश्चिम चंपारण से 1 विद्यालय निर्माण के आवेदन प्राप्त हुए हैं।

आंगनबाड़ी निर्माण की वर्तमान स्थिति

आधारभूत संरचनाओं की जरूरतों से संबंधित आंगनबाड़ी निर्माण के लिए कुल 632 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 172 स्थलों पर काम पूरा हो चुका है, जबकि 437 निर्माण के मामले प्रक्रियाधीन हैं। विद्यालय निर्माण की तरह आंगनबाड़ी निर्माण को लेकर भी मुजफ्फरपुर से सर्वाधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। मुजफ्फरपुर में सबसे अधिक 49 आवेदन मिले हैं। इनमें 18 आंगनबाड़ी निर्माण के काम पूरे हो गये हैं, वहीं, 30 प्रक्रियाधीन हैं। नवादा से भी 40 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें 33 जगहों पर निर्माण के काम पूर्ण हो चुके हैं और 7 प्रक्रियाधीन है। सीवान से कुल 36 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें 8 पर काम पूरा हो चुका है और 14 आंगनबाड़ी निर्माण के कार्य प्रक्रियाधीन है। वैशाली से कुल 33 आवेदन मिले हैं, इनमें 10 पर काम पूरा हो चुका है और 23 प्रक्रियाधीन है।

अन्य जिलों की बात करें तो अररिया से 16, अरवल से 7, औरंगाबाद से 15, बांका से 21, बेगूसराय से 9, भागलपुर से 9, भोजपुर से 37, बक्सर से 3, दरभंगा से 19, पूर्वी चंपारण से 32, गया से 14, गोपालगंज से 25, कैमूर से 26, कटिहार से 9, किशनगंज से कुल 14 आवेदन प्राप्त हुए हैं। लखीसराय से 13, मधुबनी से 33, पटना से कुल 24, रोहतास से 15, सहरसा से 18, समस्तीपुर से 10, सारण से 22, सुपौल से 15 और पश्चिम चंपारण से कुल 17 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राज्य सरकार ग्रामीण और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के बीच आधारभूत विकास को प्राथमिकता दे रही है। शिक्षा और पोषण के लिए चल रहे निर्माण कार्यों की गति सराहनीय है और इसका सीधा लाभ महादलित समुदायों को मिलेगा।

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पटना में फिल्मी स्टाइल में वारदात, हत्या करने निकले अपराधियों के सामने आ गई पुलिस; दोनों तरफ से फायरिंग

Dainik Jagran - May 23, 2025 - 9:48pm

जागरण संवाददाता, पटना। हत्या करने निकले अपराधियों की बिक्रम में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम से मुठभेड़ हो गई। दोनों ओर से फायरिंग की गई, जिसमें एक अपराधी के घुटने में गोली लगी। वहीं, अपराधी की पिस्टल से चली गोली से पुलिस की बोलेरो का टायर फट गया।

मौके से जख्मी विशाल (पड़रियावां, बिक्रम), रितिक कुमार यादव उर्फ सुजीत कुमार (पतसाह रोड, बिहटा), शुभम उर्फ रेयांश कुमार (बोचाचक, फुलवारीशरीफ), सोनू कुमार (हरिदासपुर, खगौल), जितेंद्र कुमार (सोताचक, परसाबाजार) और अंकित कुमार (दयानपुर, बिहटा) शामिल हैं।

आरोपितों के पास से चार पिस्टल, दो मैग्जीन, 24 कारतूस, दो मोबाइल और दो बाइक बरामद की गई। दो पिस्टल पर मेड इन यूएसए लिखा था, जबकि एक बाइक की नंबर प्लेट हिंदी में लिखी थी। सिटी एसपी पश्चिमी शरथ आरएस ने बताया कि एसटीएफ के सहयोग से वाहन चेकिंग की जा रही थी। इसी दौरान पुलिस को सफलता मिली। मुठभेड़ में जख्मी अपराधी का एम्स, पटना में उपचार चल रहा है। 

उज्ज्वल को मारने निकले थे अपराधी

एसटीएफ को गुरुवार की शाम गुप्त सूचना मिली कि बिक्रम थानांतर्गत दीनाबिगहा निवासी उज्ज्वल कुमार की हत्या की साजिश रची गई है। इसे अंजाम देने के लिए बिहटा के महुआर गांव का रहने वाला दयानंद दुबे उर्फ दया उर्फ छोटे गुर्गों के साथ नहर रोड से गुजरने वाला है। इसकी सूचना पर थानेदार विनोद कुमार नहर रोड पर निसरपुरा मोड़ के पास वाहन जांच करने लगे। तब तक एसटीएफ की टीम भी पहुंच गई थी। शाम करीब 7:10 बजे पुलिस ने हिंदी में नंबर लिखी बाइक को रोका, जिस पर जितेंद्र, सोनू और अंकित सवार थे। इनके पास से पिस्टल और कारतूस बरामद हुए।

बाइक लेकर खेत में गिरा विशाल

पुलिस पहले पकड़े गए युवकों से निसपुरा मोड़ पर पूछताछ कर ही रही थी कि तभी नौबतपुर की ओर से आ रही एक और बाइक को रुकने का इशारा किया गया। इस पर सवार जितेंद्र और सोनू बाइक से उतरकर भागने लगे, जिन्हें प्रशिक्षु दारोगा विष्णु कुमार ने दलबल के साथ दबोच लिया।

वहीं, विशाल बाइक लेकर भागने लगा। थानेदार और एसटीएफ की टीम विशाल का पीछा करने लगी। तभी उसने फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में थानेदार ने एक और एसटीएफ के जवान साकेत कुमार ने दो राउंड फायरिंग की। इससे विशाल का बाइक पर संतुलन बिगड़ गया और वह महजपुरा सूर्य मंदिर के आगे वाहन लेकर खेत में गिर पड़ा। पुलिस ने घेराबंदी की और विशाल के नजदीक पहुंची, तब मालूम हुआ कि उसके घुटने में गोली लगी है। 

नहीं मिला दयानंद, तलाश जारी

जिस दयानंद दुबे उर्फ दया उर्फ छोटे को दबोचने के लिए पुलिस ने नाकाबंदी की थी, वह गिरफ्त में नहीं आ सका। उसकी तलाश में छापेमारी की जा रही है। एफएसएल की टीम ने खेत और निसरपुरा मोड़ से वहां तक पहुंचने वाले रास्ते से खोखा, मैग्जीन व पिस्टल बरामद किया। थानेदार के बयान पर प्राथमिकी की गई है। अपराधियों के हथियार और फायरिंग करने वाले पुलिसकर्मियों की सरकारी पिस्टल बैलिस्टिक जांच के लिए भेजी जाएगी।

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Bihar Teacher Transfer: ट्रांसफर से नाखुश शिक्षकों के लिए आया बड़ा अपडेट, पोस्टिंग के बाद करना होगा ये काम

Dainik Jagran - May 23, 2025 - 9:42pm

राज्य ब्यूरो, पटना। स्थानांतरण से असंतुष्ट शिक्षक स्थानांतरित विद्यालय में योगदान के बाद अपने जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास आवेदन कर सकेंगे। ऐसे आवेदनों का निराकरण जिला शिक्षा पदाधिकारी जिला स्थापना समिति के माध्यम से कराएंगे।

स्थानांतरण में विसंगति अथवा असंतुष्टि से संबंधित किसी प्रकार का आवेदन शिक्षा विभाग अथवा इसके निदेशालय के स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।

शेष शिक्षक जिनके आवेदन पर अब तक विचार नहीं हुआ है, उन पर द्वितीय चरण में समीक्षोपरांत निर्णय लिया जाएगा। ऐसे शिक्षकों के लिए ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर यह विकल्प उपलब्ध कराया गया है कि वे या तो अपना आवेदन वापस ले लें अथवा उस आवेदन को डीलीट कर नये सिरे से विकल्प को भर सकते हैं।

जो शिक्षक में पूर्व में भरे गए कारण को बदलना चाहते हैं, वे भी अपना पूर्व का आवेदन डीलीट कर नये सिरे से आवेदन भी दे सकते हैं। इन सभी आवेदनों पर द्वितीय चरण में जिलों में रिक्ति की उपलब्धता एवं छात्र-शिक्षक अनुपात के आधार पर विचार किया जाएगा।

शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्णिया, पूर्वी चंपारण, अररिया, कटिहार, खगड़िया, सुपौल, बांका, जमुई, किशनगंज, लखीसराय, भागलपुर एवं मधुबनी जिलों में छात्र-शिक्षक अनुपात औसत से काफी ज्यादा है। नया विकल्प चुनते समय शिक्षक यदि इन जिलों का विकल्प चुनते हैं, तो उस पर यथाशीघ्र विचार किया जायेगा।

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Gravita India promoter pares 3.4% stake for Rs 498 crore

Business News - May 23, 2025 - 9:32pm
A promoter of Gravita India on Friday divested a 3.4 per cent stake in the company for Rs 498 crore through an open market transaction. According to the bulk deal data available on the NSE, Rajat Agarwal offloaded 25 lakh shares, representing a 3.38 per cent stake in Gravita India. The shares were sold at an average price of Rs 1,991.52 apiece, taking the transaction value to Rs 497.88 crore. Following the latest transaction, Rajat Agarwal's holding in Gravita India slipped to 32.39 per cent from 35.77 per cent. Meanwhile, Motilal Oswal Asset Management Co picked up 7.33 lakh shares at an average price of Rs 1,991 per piece. This took the deal value to Rs 145.98 crore. Details of the other buyers of Gravita India's shares could not be identified on the National Stock Exchange (NSE). On Friday, shares of Gravita India depreciated 4.55 per cent to close at Rs 1,954 apiece on the NSE. In May 2023, Gravita India promoter Rajat Agarwal sold a 4.6 per cent stake in the company for Rs 181 crore. In a separate bulk deal on the NSE, Nippon India Mutual Fund purchased 19.5 lakh shares or 0.82 per cent stake in the Ramco Cements for Rs 195.98 crore. The shares were picked up at an average price of Rs 1,005.03 apiece on the NSE. Details of the sellers of the Ramco Cement's shares could not be ascertained on the exchange. The scrip of the Ramco Cements rose 1.50 per cent to close at Rs 1,002.65 apiece on the NSE.
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