Feed aggregator

Tahawwur Rana: कैसे भारत लाया गया मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा? 26/11 से लेकर अब तक की पूरी टाइमलाइन

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 12:18am

नीलू रंजन, जागरणनई दिल्ली। मुंबई में 26/11 आतंकी हमले की साजिश में अहम भूमिका निभाने वाले आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा को प्रत्यर्पित कर भारत ले आया गया है। आईएसआई के लिए काम करने वाले और लश्कर-ए-तैयबा व हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (हुजी) जैसे आतंकी संगठनों से करीब से जुड़े रहे तहव्वुर राणा को लेकर विशेष विमान इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) पर गुरुवार शाम करीब पौने सात बजे उतरा, जहां एनआईए की टीम ने उसे यूएपीए के तहत औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।

राणा को अमेरिका से विशेष विमान में एनएसजी कमांडो के सुरक्षा घेरे में लाया गया। वहीं अमेरिका में उसे अमेरिकी स्काई मार्शल की निगरानी में विशेष विमान तक पहुंचाया गया था। आतंकवाद के मामले में अमेरिका से भारत को यह पहला प्रत्यर्पण है।

166 लोग मारे गए थे

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में ताज महल व ओबेराय होटल, लियोपोल्ड कैफे, चबाड हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर हमले किए थे। इनमें मारे गए 166 लोगों में अमेरिकी, ब्रिटिश और इजरायली नागरिक शामिल थे।

कई धाराओं में केस दर्ज

पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक 64 वर्षीय तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के साथ ही आतंकी अजमल कसाब और जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल के बाद मुंबई के 26/11 हमले के एक अन्य आरोपित के ट्रायल व सजा का रास्ता साफ हो गया है। राणा पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16, 18, 20 और आईपीसी की धारा 120बी, 121, 121ए, 302, 468 व 471 लगाई गई हैं। राणा एयरपोर्ट पर करीब पौने तीन घंटा रहा।

इसके बाद एनआईए की टीम एनएसजी कमांडो के सुरक्षा घेरे में रात पौने दस बजे उसे दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए लेकर निकली। मजिस्ट्रेट से रिमांड मिलने के बाद एनआईए की टीम राणा से मुंबई हमले और उसमें उसकी साजिश को लेकर पूछताछ करेगी।

कौन देगा भारत की ओर से दलीलें?

साथ ही राणा से इस हमले में आईएसआई, पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों के साथ-साथ साजिश में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के बारे में पूछताछ की जाएगी।अमेरिकी अदालत में प्रत्यर्पण के लिए भारत की ओर से दलीलें रखने वाले दयान कृष्णन दिल्ली में भी एनआईए के अभियोजन का नेतृत्व करेंगे।

विशेष लोक अभियोजक नरेन्द्र मान उनकी मदद करेंगे। एनआईए की अभियोजन की टीम में अधिवक्ता संजीव शेषाद्री और श्रीधर काले भी शामिल हैं। मामले की सुनवाई विशेष एनआईए जज चंदर जीत ¨सह कर रहे हैं। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के पीयूष सचदेवा राणा का वकील नियुक्ति किया गया है।

रेकी करने वाले हेडली को दी थी सहायता

एनआईए के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के पूर्व डॉक्टर तहव्वुर राणा ने मुंबई आतंकी हमले में अहम भूमिका निभाई थी। हमले के पहले होटल ताज से लेकर अन्य स्थानों की रेकी करने वाले डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी को फंड व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई थी।

इस दौरान राणा लगातार हेडली के साथ संपर्क में था। इसके साथ ही राणा खुद भी हमले के पहले 13 नवंबर से 21 नवंबर तक भारत में था और इस दौरान अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ आगरा, हापुड़, मुंबई और कोच्चि तक गया था। उसने अपने पते के प्रमाण के रूप में 'इमिग्रेंट ला सेंटर' से व्यवसाय प्रायोजक पत्र और कुक काउंटी से संपत्ति कर भुगतान का नोटिस प्रस्तुत किया था।

एनआईए मुख्यालय में होगी पूछताछ

फिलहाल एनआईए के मुख्यालय में ही तहव्वुर राणा से पूछताछ की जाएगी। इसके लिए एनआईए मुख्यालय की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पूछताछ पूरी होने के बाद उसे तिहाड़ जेल में रखा जाएगा और इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राणा के विरुद्ध जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल की जाएगी। दिल्ली के पटियाला कोर्ट में ही ट्रायल होगा।

जांच में कई आतंकियों के नाम आए सामने

एनआईए की जांच के दौरान प्रतिबंधित आतंकी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और हूजी के वरिष्ठ पदाधिकारियों - हाफिज मुहम्मद सईद उर्फ तैय्याजी, जकी-उर-रहमान लखवी, साजिद मजीद उर्फ वासी, इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान हाशिम सईद उर्फ मेजर अब्दुर्रहमान उर्फ पाशा की भूमिकाएं सामने आईं। अधिकारियों ने बताया कि वे आईएसआई के अधिकारियों मेजर इकबाल उर्फ मेजर अली, मेजर समीर अली उर्फ मेजर समीर की सक्रिय मिलीभगत और सहायता से काम कर रहे थे। ये सभी पाकिस्तान के निवासी हैं।

अब तक क्या-क्या हुआ घटनाक्रम

26 नवंबर 2008 : समुद्र के रास्ते आतंकी मुंबई पहुंचे और प्रमुख स्थानों पर हमला किया। हमले के दौरान ही आतंकी अजमल आमिर कसाब को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया।2

5 फरवरी 2009 : मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया।

27 अक्टूबर 2009 : तहव्वुर हुसैन राणा और डेविड कोलमैन हेडली को अमेरिका में एफबीआई ने गिरफ्तार किया।

11 नवंबर 2009 : एनआईए ने दिल्ली में हेडली, राणा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।

6 मई 2010 : मुंबई की विशेष अदालत ने कसाब को मृत्युदंड सुनाया।

9 जनवरी 2011 : राणा को अमेरिकी जिला अदालत ने 14 साल की सजा सुनाई।

24 दिसंबर 2011 : एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका को अनुरोध भेजा।

21 नवंबर 2012 : कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी।

21 जनवरी 2025 : अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का राणा की याचिका पर सुनवाई से इन्कार।

13 फरवरी 2025 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ प्रेस मीट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राणा के प्रत्यर्पण का एलान किया।

27 फरवरी 2025 : राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी जिसे मार्च में अस्वीकार कर दिया।

7 अप्रैल 2025 : अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने राणा की समीक्षा याचिका को अस्वीकार कर दिया।

10 अप्रैल 2025 : राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लाया गया।

11 अप्रैल 2025 : एनआईए ने कोर्ट से राणा की 26 दिन की रिमांड मांगी है।

यह भी पढ़ें: तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को चिदंबरम ने UPA सरकार को दे दिया क्रेडिट, बोले- मोदी सरकार क्यों ले रही श्रेय

Categories: Hindi News, National News

कौन हैं अमेरिका में भारत का पक्ष रखने वाले दयान कृष्णन? तहव्वुर राणा के खिलाफ मुकदमे का करेंगे नेतृत्व

Dainik Jagran - National - April 10, 2025 - 11:56pm

पीटीआई, नई दिल्ली। तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत में भारत की ओर से दलीलें रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन एनआइए की ओर से अदालतों में अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सहायता के लिए आपराधिक मामलों के अनुभवी वकील नरेन्द्र मान को विशेष अभियोजक नियुक्त किया है। आइए उनके बारे में जानते हैं:

दयान कृष्णन

  • बेंगलुरु स्थित एनएलएसआइयू से 1993 में स्नातक किया और वरिष्ठ अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज संतोष हेगड़े के साथ काम किया। 1999 में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है।
  • दिसंबर, 2012 के दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में विशेष लोक अभियोजक थे। अतीत में भी कई हाई प्रोफाइल मामलों में केंद्र, एनआइए, सीबीआइ, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व किया है।
  • 2011 में ब्रिटेन से रवि शंकरन के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया था।

नरेन्द्र मान

  • 1990 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया। सीबीआइ का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और कई महत्वपूर्ण मामलों में पेश हुए हैं, जिनमें आनंद मार्गिस द्वारा पूर्व सीजेआइ एएन रे पर जानलेवा हमला भी शामिल है।
  • जनवरी, 2011 से अप्रैल, 2019 तक दिल्ली हाई कोर्ट में सीबीआइ के लिए विशेष लोक अभियोजक थे। सीबीआइ के वकील के रूप में आपराधिक अपील, रिट याचिका, आपराधिक पुनरीक्षण याचिका, निरस्तीकरण याचिका और आपराधिक विविध मामलों को संभाला।
  • मेडिकल काउंसिल घोटाला, एआइसीटीई घोटाला, सीडब्ल्यूजी मामले, सीजीएचएस सोसायटी घोटाला और एफसीआरए के तहत मामलों, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और बैं¨कग धोखाधड़ी के मामलों में भी सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया। जैन-डायरी हवाला मामला, झामुमो सांसदों का मामला, बोफोर्स मामला और सहकारी समिति मामलों सहित कई मामलों में भी पेश हुए।

यह भी पढ़ें: केरल में एक ही परिवार के चार लोग फंदे से लटके मिले, पुलिस कर रही मामले की जांच

Categories: Hindi News, National News

Tahawwur Rana LIVE: तहव्वुर राणा की पटियाला हाउस कोर्ट पेशी, NIA मांग सकती है 15 दिन की कास्टडी

Dainik Jagran - National - April 10, 2025 - 10:54pm

Tahawwur Rana LIVE: मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को आज अमेरिका से भारत लाया गया। कुछ ही घंटों में वो दिल्ली स्थित एनआईए अदालत में पेश होगा। तहव्वुर राणा को एयरपोर्ट पर ही NIA ने गिरफ्तार कर लिया। 

Categories: Hindi News, National News

डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने पौधा संरक्षण योजना की समीक्षा, प्रतिबंधित कीटनाशकों के रोकथाम के लिए दिए निर्देश

Dainik Jagran - April 10, 2025 - 10:23pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा कृषि भवन, पटना स्थित अपने कार्यालय कक्ष में पौधा संरक्षण से संबंधित योजनाओं की समीक्षा की गई। उप मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में कई महत्त्वपूर्ण निर्देश दिए, ताकि किसानों को कीट-व्याधि से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान की जा सके एवं राज्य में कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सके।

उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य के किसानों को कीट-व्याधि के संभावित प्रकोप से ससमय सचेत करने हेतु पूर्वानुमाण आधारित सूचनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाये। इसके लिए समय-समय पर दैनिक समाचार पत्रों, रेडियो जिंगल, सोशल मीडिया का सहारा लिया जाये, ताकि सूचनाएं समय पर किसानों तक पहुँच सके और वे आवश्यक उपाय कर सकें।

उन्होंने कहा कि पौधा संरक्षण योजनाओं से संबंधित जानकारी के प्रसार हेतु पंचायत, प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर सभी सरकारी कार्यालयों में होर्डिंग एवं बैनर लगाना सुनिश्चित करेंगे। इन प्रचार-प्रसार से किसानों को कीट नाशकों के सही उपयोग, सुरक्षा उपायों एवं सरकारी सहायता योजनाओं की जानकारी मिल पायेगी।

उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि अधिकतर किसान कीट-व्याधि की समस्या के समाधन हेतु सर्वप्रथम कीटनाशी विक्रेताओं से सम्पर्क करते हैं। अतः विक्रेताओं का कीटनाशकों के वैज्ञानिक उपयोग, संभावित दुष्प्रभाव एवं विभिन्न कीटों की पहचान संबधी प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाए। साथ ही, कीटनाशी रसायनों के योजनाओं का बैनर प्रतिष्ठान पर प्रदर्शित किया जाये।

उप मुख्यमंत्री ने किसानों को गुणवत्तापूर्ण कीटनाशक उपलब्ध कराने हेतु जिला स्तर पर नियुक्त कीटनाशी निरीक्षकों को अपने क्षेत्र के प्रतिष्ठानों का नियमित निरीक्षण करने, संदेहास्पद कीटनाशकों के नमूने संग्रहित कर उनका विश्लेषण प्रयोगशाला में करने का निदेश दिया।

किसानों के बीच कीटनाशी के प्रयोग के दुष्प्रभाव के बारे में प्रशिक्षित करना सुनिश्चित करें। इससे किसानों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की रक्षा की जा सकेगी।

विजय सिन्हा ने जिला में पदस्थापित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि राज्य में प्रतिबंधित कीटनाशकों के बिक्री पर रोक-थाम के लिए समय-समय पर छापामारी कर कीटनाशी अधिनियम के अधीन कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।

इसे भी पढ़ें: बिहार के किसानों को शीघ्र बाजार समिति प्रांगणों की सुविधा, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने की समीक्षा बैठक

Categories: Bihar News

अब डेटा संरक्षण विधेयक को लेकर रार, विपक्षी दलों ने बताया RTI कानून के खिलाफ; अश्विनी वैष्णव ने दिया ये जवाब

Dainik Jagran - National - April 10, 2025 - 10:17pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से की जा रही मोर्चेबंदी के बीच केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ किया है कि ये विधेयक पुट्टास्वामी फैसले के अनुरूप सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के सिद्धांतों के अनुरूप है।

सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि गोपनीयता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार व निजता के अधिकारों को संरक्षित करने वाला है। गोपनीयता का यह अधिकार व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा से भी काफी निकट से जुड़ा हुआ है।

जयराम रमेश ने अश्विनी वैष्णव को लिखा था खत

दरअसल, गुरुवार को आइएनडीआइए के दलों ने एक प्रेस काफ्रेंस कर डेटा सुरक्षा विधेयक की धारा 44 को सूचना के अधिकार के विरोध में बताया और कहा कि वह वैष्णव से मिलकर ज्ञापन सौंपेगे जिसमें विपक्ष के 120 से ज्यादा सदस्यों ने हस्ताक्षर किया है। जयराम रमेश ने भी पत्र लिखकर वैष्णव से शिकायत की। डीपीडीपी एक्ट की धारा 44(3) का विरोध किया है क्योंकि इसके आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(जे) को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें व्यक्ति जानकारी देने से रोकने लगाने की अनुमति दी गई है, यदि उसका खुलासा सार्वजनिक गतिविधि या हित से संबंधित नहीं है या इससे निजता का गलत तरीके से उल्लंघन होता है।

अश्विनी वैष्णव ने जवाब में क्या लिखा?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाबी पत्र में कहा कि यदि आपको विधेयक से जुड़े किसी पहलु को लेकर किसी भी तरह का संदेह है तो वह उनसे कभी भी मिल सकते है। उन्होंने कहा कि ये विधेयक सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता की आवश्यकता बनाए रखने पर जोर देता है। साथ ही यह गोपनीयता व सूचना के अधिकार के बीच सामंजस्यपूर्ण प्रविधानों की आवश्यकता पर भी जोर देता है। उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान में लागू ऐसे किसी कानून के तहत व्यक्तिगत डेटा को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने में कोई परेशानी नही है।

यह भी पढ़ें: Tahawwur Rana: तहव्वुर राणा को हो सकती है फांसी की सजा? जानिए क्या कहता है कानून

Categories: Hindi News, National News

पाकिस्तान ने तहव्वुर राणा मामले में झाड़ा पल्ला, कहा- हमारा नागरिक नहीं; इजरायल ने किया स्वागत

Dainik Jagran - National - April 10, 2025 - 10:03pm

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। वर्ष 2008 में मुंबई आतंकी हमले का प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक तहाव्वुर राणा भारत पहुंच चुका है। तकरीबन पिछले डेढ़ दशक से विदेश मंत्रालय राणा को भारत लाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा था। राणा को नई दिल्ली लाने पर इजरायल सरकार ने भारत सरकार की कोशिशों की तारीफ की है। जबकि पाकिस्तान सरकार ने राणा से दूरी बनाने की कोशिश की है।

मूल तौर पर पाकिस्तानी नागरिक राणा अभी कनाडा का नागरिक है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसने दो दशकों से पाकिस्तान की अपनी नागरिकता के नवीकरण के लिए आवेदन भी नहीं किया है। हालांकि इसके बावजूद भारतीय एजेंसियों के पास राणा के पाकिस्तान के साथ गहरे ताल्लुक को साबित करने के पर्याप्त सबूत है।

पाकिस्तान पर दबाव बनाने में मिलेगी मदद

वैसे भी पाकिस्तान ने कनाडा में रहने वाले अपने नागरिकों को दोहरी नागरिकता की सुविधा दे रखी है। भारत को यह भी उम्मीद है कि तहाव्वुर राणा की भारत में की जाने वाली पूछताछ के बाद 26 नवंबर, 2008 को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने में मदद मिलेगी। भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने इस आतंकी हमले के दोषियों को सजा दिलाने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।

भारत की तरफ से कई बार आग्रह किये जाने के बावजूद और दोनों देशों की सरकारों के बीच पूर्व में हुई शिखर वार्ता होने में सहयोग का आश्वासन देने के बावजूद पाकिस्तान ने अपने यहां इस मामले की जांच को दबा दिया है। जबकि भारत भारत की तरफ से इस आतंकी हमले के दो प्रमुख साजिशकर्ताओं हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी के आवाज के सैंपल मांगे थे, जिस पर भी पाकिस्तान ने अमल नहीं किया।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने झाड़ा पल्ला
  • इस आतंकी हमले के लिए वित्त सुविधा जुटाने में अहम भूमिका निभाने वाले आतंकी साजिद माजीद मीर को पाकिस्तान की एक अदालत ने वर्ष 2008 के आतंकी हमले के संदर्भ में ही जून, 2022 को 15 वर्षों की सजा सुनाई थी। लेकिन इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। एक अमेरिकी समाचार एजेंसी ने इसकी सूचना दी थी। अब राणा से होने वाली पूछताछ के अधार पर विदेश मंत्रालय इस मामले को पाकिस्तान को नये सिरे से उठा सकता है।
  • पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि तहाव्वुर राणा कनाडा का नागरिक है और हमारे रिकॉर्ड बताते हैं कि उसने पिछले दो दशकों मे अपनी नागरिकता के नवीकरण के लिए पाकिस्तान से कोई आवेदन भी नहीं किया है।
  • पाकिस्तान कई देशों में रहने वाले अपने नागरिकों को दोहरी नागरिकता दे रखी है। इनके आने जाने या कारोबार करने या निवेश करने को लेकर कोई भी पाबंदी नहीं है।

यह भी पढ़ें: कौन हैं वो तीन अधिकारी, जिन्हें मिली तहव्वुर राणा को भारत लाने की जिम्मेदारी?

Categories: Hindi News, National News

Trump Tariff: ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी अर्थव्यवस्था घायल, Reciprocal Tariff पर वापसी का फैसला होगा मुश्किल

Dainik Jagran - National - April 10, 2025 - 10:00pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariff) का हौवा अब भी थोड़ा अनिश्चित लेकिन तुलनात्मक रूप से थोड़ा शांत होता दिख रहा है। डोनाल्ड ट्रंप सरकार को एक सप्ताह में ही पता चल गया कि पारस्परिक शुल्क वह हथियार है जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के ही घायल होने का खतरा है। अंदरूनी दबाव के कारण ही फिलहाल ट्रंप सरकार ने 90 दिनों के लिए चीन को छोड़कर बाकी देशों के लिए पारस्परिक शुल्क पर रोक लगा दी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इसका फिर से वापस आना मुश्किल होगा। कम से कम इसी स्वरूप में अमेरिका फिर से फैसला नहीं लेगा। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह वैश्विक स्तर पर बाजार लुड़का है और अनिश्चितता फैली है उसके बाद अमेरिका में महसूस किया जा रहा है कि अमेरिका भी महंगाई के साथ मंदी के दुष्चक्र में फंस सकता है। स्टॉक बाजार तबाह हो सकता है और पूरी दुनिया व्यापार के मोर्चे पर अमेरिका के खिलाफ हो सकती है।

अमेरिका कंज्यूमर गुड्स का सबसे बड़ा आयातक देश

असल में अमेरिका खाने-पीने से लेकर रोजमर्रा के आइटम एवं सभी प्रकार के कंज्यूमर गुड्स का सबसे बड़ा आयातक देश है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 88 प्रतिशत हिस्सेदारी सर्विस सेक्टर की है। 1.5-2 प्रतिशत हिस्सेदारी कृषि की है तो बाकी के 8-9 प्रतिशत हिस्सेदारी मैन्यूफैक्च¨रग की है। ऐसे में, अमेरिका तत्कालिक रूप से अपने नागरिकों की जरूरतों की पूर्ति देश में होने वाले उत्पादन से नहीं कर सकता है। सप्लाई चेन विकसित करने में सालों लग जाते है और तब तक अमेरिकावासियों को महंगाई की मार झेलनी पड़ती।

अगर गारमेंट, फुटवियर व इलेक्ट्रॉनिक्स की फैक्ट्री लग भी जाती है तो स्थानीय निवासियों का वेतन काफी अधिक होने से उत्पादित वस्तुएं अधिक दाम पर ही बिकेंगी। गत दो अप्रैल को पारस्परिक शुल्क की घोषणा होते ही अमेरिका में वस्तुएं महंगी हो गई, स्टाक बाजार धराशायी हो गया और वहां के उद्योगपति परेशानी में फंसते दिखे थे। बात यहां तक आई कि अमेरिकी आयातकों की ओर से निर्यायतों को 15-20 फीसद दाम कम करने की बात शुरू हो गई थी जो कई देशों की कंपनियों के लिए मुश्किल होता। यानी वहां के आयातकों की आय कम होने वाली थी। वहां सिर्फ विपक्षी रिपब्लिकन ही नहीं सरकार के ट्रंप के नजदीकियों की ओर से भी इस फैसले को टालने का दबाव बनने लगा था।

2018 में भी चीन पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा चुके हैं ट्रंप

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक और विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व विदेश व्यापार अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने बताया कि पारस्परिक शुल्क लगते ही अमेरिका में लोग सड़कों पर उतर आए। वहां की अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडराने लगा। 2018 में भी ट्रंप ने पारस्परिक शुल्क लगाया था, लेकिन तब सिर्फ चीन पर यह लगाया गया था। इस बार पूरी दुनिया पर लगा दिया और एक सप्ताह में ही परिणाम को देखते हुए पारस्परिक शुल्क को टालना पड़ा।

उनका कहना है कि मुझे नहीं लगता है कि ट्रंप फिर से पारस्परिक शुल्क को वापस लाने की कोशिश करेगा। अगर कुछ देश पारस्परिक शुल्क को लेकर अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हैं या विरोध जताते हैं तो उनके खिलाफ थोड़ा बहुत शुल्क लगा सकता है।

भारत में रेसिप्रोकल टैरिफ की आशंका कम

श्रीवास्तव के मुताबिक भारत पर फिर से पारस्परिक शुल्क के वापस आने की संभावना नहीं दिख रही है। भारत के साथ अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कर रहा है। लेकिन अमेरिका कृषि सेक्टर में जिस प्रकार से भारत के साथ व्यापारिक समझौता करना चाह रहा है, वह मुश्किल दिख रहा है। इसकी जगह भारत औद्योगिक वस्तुओं पर अपने शुल्क को शून्य करके पारस्परिक शुल्क से हमेशा के लिए पूरी तरह मुक्ति पा सकता है और इससे भारत को व्यापार में भी फायदा होगा।

यह भी पढ़ें: देश के एक लाख से अधिक प्राथमिक स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे, लाखों पद खाली; देखें पूरी लिस्ट

Categories: Hindi News, National News

Pages

Subscribe to Bihar Chamber of Commerce & Industries aggregator

  Udhyog Mitra, Bihar   Trade Mark Registration   Bihar : Facts & Views   Trade Fair  


  Invest Bihar