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Gold prices at record high amid US-China trade row - Times of India
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जितनी पड़ेगी गर्मी उतना बढ़ेगा खतरा, जानिए क्या है 'काल बैसाखी' जिसने बिहार में बरपाया कहर; इन राज्यों में भी होगा असर
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग का असर मौसम पर भी दिखने लगा है। बिहार, ओडिशा और बंगाल में गुरुवार को तेज आंधी-बारिश और ओले से जान-माल की क्षति का यह अंत नहीं है। मौसम विभाग (आइएमडी) का पूर्वानुमान बता रहा है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में इस बार अप्रैल से मई के दौरान काल बैसाखी (नार्वेस्टर) की घटनाएं पहले की तुलना में ज्यादा हो सकती हैं और अत्यंत खतरनाक रूप भी धारण कर सकती हैं।
बैसाख के महीने में मौसम में होने वाले इस तरह के अचानक परिवर्तन को काल बैसाखी कहा जाता है। ऐसा गर्म और ठंडी हवाओं के टकराने से होता है। ऐसी स्थितियां लगभग हर साल पैदा होती हैं, लेकिन मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते हाल के वर्षों में इसके खतरे बढ़ रहे हैं। इस बार भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्य हैं-बिहार, झारखंड, ओडिशा, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश। बिहार-बंगाल में यह आपदा का रूप ले चुका है।
क्या कहते हैं जानकार?IMD कोलकाता के पूर्व निदेशक और काल बैसाखी के विशेषज्ञ एके सेन का कहना है कि काल बैसाखी के दौरान हवा की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर होती है। इसलिए इसे पश्चिमी झंझा भी कहते हैं। इसमें ओले के साथ भारी बारिश होती है, जो जान-माल के लिए खतरनाक हो जाती है। कहीं-कहीं बिजली भी गिरती है, जिसमें लोगों की जान चली जाती है। हवा लगभग 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।
"कभी-कभी सौ किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हो जाती है। इसका सर्वाधिक नुकसान उत्तर बिहार और बंगाल में देखा जाता है। एक दिन पहले बिहार के 20 जिले इसकी चपेट में आ चुके हैं। कुछ जिलों में तो हवा की गति कुछ समय के लिए 140 किमी प्रति घंटे को भी पार कर गई।" एके सेन, पूर्व निदेशक, कोलकाता, IMD
अप्रैल से जून के बीच बद से बदतर होगी गर्मीआइएमडी ने इस बार अप्रैल से जून के बीच तीव्र गर्मी का पूर्वानुमान लगाया है। काल बैसाखी से प्रभावित होने वाले इलाके में लू की अवधि भी ज्यादा रह सकती है। ऐसे में अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान के टकराने की आशंका बनी रहेगी, जो काल बैसाखी के प्रचंड होने के लिए प्लेटफार्म तैयार करेगा।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार बिहार-बंगाल के कुछ क्षेत्रों का अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर जा सकता है। जितना ज्यादा तापमान होगा, काल बैसाखी उतनी ही खतरनाक हो सकती है।
मौसम विज्ञानियों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते किसी वर्ष काल बैसाखी के प्रभावी होने की संख्या ज्यादा हो जाती है और किसी वर्ष कम। मौसम में इतनी तेजी से परिवर्तन आता है कि बचाव के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। तूफान आमतौर पर दोपहर बाद या सूर्यास्त के आसपास आता है। साफ आसमान में अचानक काले-काले बादल उमड़ पड़ते हैं और देखते ही देखते तेज हवा और ओले के साथ मूसलधार वर्षा होने लगती है। इसकी अवधि कम होती है, लेकिन उतनी ही देर में तबाही मचा देती है।
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Kerala: कोरोना मरीज से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास, एंबुलेंस चालक ने दिया था घटना को अंजाम
पीटीआई, नई दिल्ली। केरल में कोरोना संक्रमित युवती से दुष्कर्म के मामले में एम्बुलेंस चालक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। घटना पांच सितंबर 2020 की है जब एक 19 वर्षीय युवती को कोरोना संक्रमित होने पर इलाज के लिए अदूर जनरल अस्पताल से पंडलम के कोविड सेंटर स्थानांतरित किया जा रहा था।
इसी दौरान एंबुलेंस चालक नौफल ने युवती के साथ दुष्कर्म किया। घटना तब प्रकाश में आई जब पीड़िता ने कोविड सेंटर पहुंचने पर चिकित्सा कर्मियों को घटना के बारे में बताया। उसके बयान पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने नौफाल को गिरफ्तार कर लिया।
दोषी को आजीवन कारावास की सजाइस मामले में मुख्य सत्र न्यायालय ने दोषी नौफल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उस पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में साक्ष्य जुटाना एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि हर तरफ कोरोना महामारी के कारण तमाम पाबंदियां लागू थीं। फिर भी पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर आवश्यक साक्ष्य एकत्र किए और पीडि़ता को न्याय दिलाया।
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हाईकोर्ट सिर्फ असाधारण परिस्थितियों ही मामले की जांच CBI को सौंपे, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में की अहम टिप्पणी
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हाई कोर्ट को नियमित तरीके से या अस्पष्ट आरोपों के आधार पर किसी मामले की जांच सीबीआइ नहीं सौंपनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक अदालतों को सिर्फ विशेष परिस्थितियों ही किसी मामले की जांच सीबीआइ को सौंपनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने रद किया फैसलाजस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद करते हुए यह टिप्पणी है, जिसमें एक व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की जांच हरियाणा पुलिस से लेकर सीबीआइ को सौंप दी गई थी।
अपने फैसले में पीठ ने कहा है कि बिना किसी ठोस साक्ष्य के राज्य पुलिस पर लगाए गए अक्षमता के बेबुनियाद आरोप से मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने को कोई समुचित कारण नजर नहीं आता है।
स्थानीय पुलिस के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गएसुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि संवैधानिक अदालतों को किसी मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने के लिए आदेश देने का पूरा अधिकार है। हालांकि, उक्त फैसले में संविधान पीठ ने साफ कर दिया था कि संवैधानिक अदालतों को किसी मामले की सीबीआइ जांच का आदेश नियमित तरीके से या सिर्फ महज इसलिए नहीं देना चाहिए कि स्थानीय पुलिस के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गए हैं।
पीठ ने कहा है कि हाई कोर्ट को सिर्फ उन मामलों में ही सीबीआइ जांच का आदेश देना चाहिए, जहां साक्ष्यों से पहली नजर में ऐसा कुछ तथ्य सामने आता हो कि सीबीआइ द्वारा जांच की आवश्यकता है।
शीर्ष न्यायालय ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को किया रदसुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया, जिसमें कथित तौर पर आइबी अधिकारी बनकर कारोबारी से 1.49 करोड़ की जबरन वसूली करने की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी।
आरोपित विनय अग्रवाल की अपील पर यह फैसला दिया हैसुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मामले में आरोपित विनय अग्रवाल की अपील पर यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा मामला ऐसा नहीं है, जिसकी जांच सीबीआइ की दी जानी चाहिए।
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अरविंद केजरीवाल, भूपेंद्र बघेल और चंद्रशेखर राव की गई कुर्सी... क्या सीएम स्टालिन पर भी भारी पड़ेगा शराब घोटाला?
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। चुनावी साल में तमिलनाडु में शराब घोटाला डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर भारी पड़ सकता है। पिछले डेढ़ साल में शराब घोटाले के आरोपों में घिरे तीन मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
इनमें दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव हैं, जिनकी बेटी के कविता दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी हैं। पिछले महीने मारे गए छापे में ईडी ने तमिलनाडु में एक बड़े शराब घोटाले के पुख्ता सबूत मिलने का दावा किया है।
जांच रुकवाने की कोशिश में लगे सीएम स्टालिनशराब घोटाले के चुनावी असर को देखते हुए स्टालिन इसकी ईडी की जांच रुकवाने के लिए पूरी ताकत के साथ जुड़ गए हैं। इसके लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन दोनों जगह से फटकार मिली है।
शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में चार मार्च को तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (टासमैक) के ठिकानों पर ईडी के छापे के खिलाफ हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की गईं। लेकिन सुनवाई के पहले की इन याचिकाओं के सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल कर दी गई।
SC ने मामले को सुनने से इनकार कर दियासुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनने से इनकार कर दिया, हालांकि हाईकोर्ट का फैसला आना बाकी है। ईडी के उच्च पदस्थ अधिकारी के अनुसार शराब की खरीद-बिक्री में घोटाले को लेकर खुद तमिलनाडु पुलिस में कई एफआईआर दर्ज हैं, जो ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए पुख्ता आधार है। कानूनी तौर पर ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से रोका नहीं जा सकता है।
ईडी की जांच में भारी घोटाले के सबूत मिले- ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ईडी की जांच तमिलनाडु में शराब की खरीद, वितरण और दुकानों पर बिक्री तक तीनों स्तरों पर भारी घोटाले के सबूत मिले हैं। शराब के कारोबार को संभालने वाले टासमैक के अधिकारी शराब निर्माता कंपनियों को सप्लाई आर्डर देने के लिए बड़ी मात्रा में रिश्वत वसूल के आरोप हैं।
- वहीं, टासमैक के रिटेल दुकानों पर कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर बिक्री तक में रिश्वत लेने के सबूत मिले हैं। सबसे बड़ी बात टासमैक की दुकानों पर हर बोतल पर ग्राहकों से 10 से 30 रुपये अतिरिक्त बेचने के भी सबूत हैं। टासमैक द्वारा बिना पैन, जीएसटी नंबर और केवाइसी कराये बिना शराब बिक्री का टेंडर जारी करने के भी सबूत मिले हैं।
- ईडी ने अभी तक पूरे घाटाले में की गई काली कमाई का आंकलन नहीं किया है। लेकिन इसकी व्यापकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। सिर्फ शराब निर्माता कंपनियों के सप्लाई में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले के सबूत मिले हैं। खुदरा दुकानों पर बिक्री में ग्राहकों से की गई अवैध वसूली इससे कई गुना ज्यादा हो सकती है।
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Phule Release Date: 'फुले' की रिलीज टलने पर गरमाई राजनीति, राहुल गांधी बोले- BJP-RSS करती है दिखावा
राज्य ब्यूरो, मुंबई। समाज सुधारक दंपत्ति ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई फुले पर बनी हिंदी फिल्म फुले का प्रदर्शन स्थगित किए जाने पर राजनीति गरमा गई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर तक के बयान आ रहे हैं। आंबेडकर ने तो शुक्रवार को पुणे स्थित फुले वाड़ा पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन भी किया है।
ज्योतिबा फुले एवं उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले का नाम 19वीं शताब्दी के अग्रणी समाज सुधारकों में लिया जाता है। वह स्वयं माली समाज से आते थे। लेकिन उन्होंने महिलाओं की उन्नति के लिए कई सफल आंदोलन चलाए। पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोलना भी उनके इन्हीं आंदोलनों का हिस्सा है।
महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बना फिल्म पर रोकफिल्म अभिनेता और निर्देशक अनंत महादेवन ने इन्हीं समाज सुधारक दंपत्ति के जीवनचरित एवं संघर्षों पर ‘फुले’ नामक फिल्म का निर्माण किया है। इस फिल्म का प्रदर्शन ज्योतिबा फुले की जयंती 11 अप्रैल को होना था। लेकिन महाराष्ट्र के ब्राह्मण समाज द्वारा फिल्म के कुछ दृश्यों पर किए गए विरोध एवं केंद्रीय सेंसर बोर्ड द्वारा कुछ दृश्यों को काटने का निर्देश दिए जाने के कारण फिल्म का प्रदर्शन आज नहीं हो सका। अब फिल्म का प्रदर्शन रोका जाना महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है।
प्रकाश आंबेडकर ने क्या कहा?फिल्म का प्रदर्शन रोके जाने के विरोध की शुरुआत बाबासाहेब आंबेडकर के पौत्र एवं वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने की। उन्होंने पुणे स्थित फुले वाड़ा में अपने कार्यकर्ताओं के साथ जाकर प्रदर्शन किया। चूंकि उस समय तक राज्य के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी की ओर से फिल्म का प्रदर्शन रोके जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।
इस बारे में एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि महात्मा फुले और सावित्री बाई फुले के अपमान पर कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) चुप क्यों हैं। ये सभी वंचित बहुजन आघाड़ी की तरह विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं ? तो प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि क्योंकि ज्योतिबा फुले ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से थे। अगर वे मराठा होते, तो कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) सड़कों पर होते। ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई माली समाज से थे, इसलिए महाविकास आघाड़ी उनके अपमान का विरोध नहीं कर रही है।
राहुल गांधी की भी एंट्रीलेकिन शाम होते-होते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दोनों संगठन एक तरफ फुले जी को दिखावटी नमन करते हैं, तो दूसरी तरफ उनके जीवन पर बनी फिल्म को लेकर सेंसर कर रहे हैं।
राहुल ने आगे कहा कि महात्मा फुले एवं सावित्रीबाई फुले ने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मगर सरकार उस संघर्ष और उसके ऐतिहासिक तथ्यों को पर्दे पर नहीं आने देना चाहती। भाजपा और संघ हर कदम पर दलित-बहुजन इतिहास को मिटाना चाहते हैं। ताकि जातीय भेदभाव और अन्याय की असली लड़ाई सामने न आ सके।
BJP-RSS के नेता एक तरफ फुले जी को दिखावटी नमन करते हैं, और दूसरी तरफ उनके जीवन पर बनी फिल्म को सेंसर कर रहे!
महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले जी ने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा जीवन समर्पित कर दिया, मगर सरकार उस संघर्ष और उसके ऐतिहासिक तथ्यों को पर्दे पर नहीं आने देना चाहती।…
अब इस विवाद में कूदते हुए भाजपा सांसद में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने कहा है कि लड़कियों के लिए पहला विद्यालय आठवें छत्रपति प्रतापराव भोसले ने अपने सातारा के महल में शुरू किया था। उनसे प्रेरणा लेकर बाद में ज्योतिबा फुले ने यह स्कूल शुरू किया।
ये कोई एजेंडा फिल्म नहीं है: अनंत महादेवनफिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन का कहना है कि फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद कुछ गलतफहमी हो गई है। हम इसे दूर करना चाहते हैं, ताकि फिल्म को बिना किसी रुकावट के देखा जा सके।
महादेवन कहते हैं कि जब मैंने अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें बताया कि हमने फिल्म में दिखाया है कि कैसे ब्राह्मणों ने ज्योतिबा फुले को 20 अस्पताल खोलने में मदद की, तो वे खुश हुए थे। जब फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, तो ये ब्राह्मण ही उसके स्तंभ थे। मैं खुद एक कट्टर ब्राह्मण हूं। मैं क्यों अपने समुदाय को बदनाम करूंगा। हमने सिर्फ तथ्य दिखाए हैं। ये कोई एजेंडा फिल्म नहीं है।
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Bihar Politics: राजद MLA रीतलाल के 11 ठिकानों पर छापे, 10.5 लाख कैश और जमीन के 14 डीड मिले
जागरण संवाददाता, पटना। बिल्डर से रंगदारी मांगने पर पटना पुलिस ने एसटीएफ और एटीएस के साथ दानापुर से राजद विधायक रीतलाल यादव के 11 ठिकानों पर शुक्रवार की सुबह से देर शाम तक छापेमारी की। छापेमारी दल का नेतृत्व दानापुर एएसपी भानु प्रताप सिंह कर रहे थे। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए भारी संख्या में बल की तैनाती की गई।
आर्म्स डिटेक्टर से भी घरों की तलाशी ली गई। हालांकि, अवैध हथियार नहीं मिले। एएसपी ने बताया कि विधायक के ठिकानों से साढ़े 10 लाख नकद, साढे़ 77 लाख के ब्लैंक चेक, जमीन के 14 डीड, कई एग्रीमेंट पेपर, 17 चेकबुक, पांच स्टांप पेपर, छह पेन ड्राइव, वाकी-टाकी आदि बरामद हुए।
छह-सात ब्लैंक चेक और जमीन के दस्तावेज शिकायतकर्ता के आरोपों की पुष्टि कर रहे हैं। पूरे दिन हुई कार्रवाई के दौरान विधायक और उनके साथ प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त फरार थे। मामले में विधि-सम्मत कार्रवाई की जा रही है।
विधायक के भाई पर बालू-गिट्टी की मनमानी कीमत वसूलने का आरोपशास्त्री नगर थानांतर्गत पुनाईचक प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले कुमार गौरव की जेनेक्स इको इंफ्रा प्रा. लि. नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी है। इसमें राकेश रंजन और जियाउल्लाह साझेदार हैं। उन्होंने 2023 में खगौल थानांतर्गत कोथवां में 18 कट्ठे का भूखंड लेकर 38 फ्लैट बनाने का काम शुरू किया था।
विधायक के भाई पिंकू यादव ने बिल्डर से मुलाकात की और विधायक का आदेश बताते हुए धमकी दी कि निर्माण सामग्री यथा गिट्टी, बालू, ईंट आदि मुझसे ही लेना होगा। पिंकू कभी सामग्री की बिल नहीं देता था। बिल्डर के हिसाब से 19 लाख रुपये बकाया था, जबकि पिंकू 33 लाख देने का दबाव बना रहा था।
विधायक ने कॉल कर मिलने बुलाया, मांगी 50 लाख रंगदारीपिछले वर्ष दीपावली से पहले विधायक ने बिल्डर को काल कर मिलने बुलाया और आवास पर जाने के बाद कहा कि उनके अनुसार चलना होगा, इसलिए भतीजे धीरज यादव को 33 लाख रुपये देना पड़ेगा। क्षेत्र में काम करने के लिए विधायक ने 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी। रकम नहीं देने पर बुरा अंजाम भुगतने की धमकी दी। भयवश बिल्डर ने तत्काल चार लाख रुपये दिए और शेष राशि के लिए उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी।
...और जमीन खरीदने पर फिर दी धमकीविधायक की ओर से लगातार दबाव बनाए जाने को बिल्डर नजरअंदाज करते रहे। उन्होंने कोथवां में ही और 15 कट्ठा जमीन खरीदने का एग्रीमेंट कराया। इसके बाद ज्यादा धमकियां मिलने लगीं। तब कुमार गौरव ने गुरुवार को खगौल थाने में विधायक रीतलाल यादव, उनके भाई पिंकू यादव, भतीजा धीरज यादव, सुनील कुमार उर्फ सुनील महाजन व अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी कराई।
वारंट लेने में देरी पर लीक हुई सूचनासूत्रों के अनुसार, पुलिस को पुख्ता जानकारी दी गई थी कि विधायक के सहयोगियों के पास कौन-कौन से हथियार हैं और कहां रखे हैं? इस कारण भारी संख्या में पुलिस बल का इंतजाम किया गया था। शुक्रवार को पुलिस ने सर्च वारंट लेने के लिए न्यायालय से अनुरोध किया। इस प्रक्रिया में दो-तीन घंटे लग गए। सूत्र बताते हैं कि पुलिस कोर्ट के कर्मियों पर भी नजर रख रही है। अधिकारियों को यकीन है कि कोर्ट के ही किसी कर्मी ने पुलिसिया कार्रवाई से पूर्व सूचना लीक कर दी थी।
हाल में जेल से छूटा है पिंकूपिछले वर्ष अगस्त में एम्स, पटना के मुख्य सुरक्षा अधिकारी पर दीघा-एम्स एलिवेटेड रोड के दक्षिणी छोर पर जानलेवा हमला हुआ था। उनपर फायरिंग की गई थी, जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे। अधिकारी के बयान पर विधायक के भाई पिंकू के विरुद्ध प्राथमिकी हुई थी।
इस मामले में पुलिस ने शूटरों को दबोचने के बाद पिंकू की तलाश तेज की तो उसने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। हाल में वह जमानत पर छूटकर आया है। वह एम्स में कुछ लोगों से रुपये लेकर गार्ड के तौर पर बहाल करने के लिए मुख्य सुरक्षा अधिकारी पर दबाव बना रहा था।
उन्होंने इनकार कर दिया था, जिस कारण पिंटू ने फायरिंग कराई थी। उसके ठिकाने से गार्ड की वर्दी और प्राथमिकी को पुष्ट करते साक्ष्य भी मिले थे।
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