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'High-Handed' : Bombay High Courts Slams Nagpur Civic Body For Demolishing Homes Of Accused In Communal... - Live Law - Indian Legal News
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मोदी सरकार ने Google, X और Meta को सुनाई खुशखबरी; 1 अप्रैल से डिजिटल टैक्स को लेकर होने जा रहा बड़ा बदलाव
पीटीआई, नई दिल्ली। एक अप्रैल से ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्वलाइजेश लेवी या डिजिटल टैक्स नहीं लगेगा। इस संबंध में सरकार ने एक प्रस्ताव सोमवार को संसद में पेश किया। इस कदम से गूगल, एक्स और मेटा जैसे डिजिटल प्लेटफार्म पर विज्ञापन देने वाली कंपनियों को फायदा होगा। ये बदलाव वित्त विधेयक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में पेश किए गए 59 संशोधनों का हिस्सा हैं।
1 जून से लगाई गई थी छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवीसंशोधन के तहत, एक अप्रैल, 2025 से ऑनलाइन विज्ञापनों पर छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी को खत्म कर दिया जाएगा। ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर इक्वलाइजेशन लेवी एक जून, 2016 को लगाई गई थी। लोकसभा में प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वित्त अधिनियम, 2016 की धारा 163 के अनुसार, एक अप्रैल, 2025 के बाद इक्वलाइजेशन लेवी नहीं लगेगी।
इक्वलाइजेशन लेवी को वित्त अधिनियम 2016 द्वारा आनलाइन विज्ञापन सेवाओं, डिजिटल विज्ञापन स्थान के प्रविधान या केवल आनलाइन विज्ञापन के उद्देश्य से किसी अन्य सुविधा या सेवा के लिए पेश किया गया था। वित्त अधिनियम 2020 ने इस लेवी के दायरे को एक अप्रैल, 2020 को या उसके बाद की गई ई-कामर्स आपूर्ति और सेवाओं तक बढ़ा दिया था।
ई-कामर्स लेनदेन पर यह दो प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी 1 अगस्त, 2024 को समाप्त कर दी गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्वलाइजेशन लेवी को हटाने का प्रस्ताव अमेरिका के प्रति एक उदार रुख दिखाने के उद्देश्य से है, जिसने दो अप्रैल से पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी दी है।
दो प्रतिशत शुल्क को लेकर अमेरिका से अधिक आलोचना हुई: सुमित सिंघानियाडेलाइट इंडिया के पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा कि इक्वलाइजेशन लेवी को पूरी तरह से खत्म करने का सरकार का कदम आयकर कानून को सरल बनाने के मौजूदा प्रयास के अनुरूप है। एकेएम ग्लोबल टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि दो प्रतिशत शुल्क को लेकर अमेरिका से अधिक आलोचना हुई।
अमेरिका द्वारा पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी के बाद सरकार अधिक उदार रुख दिखाने की कोशिश कर रही है। आनलाइन विज्ञापन पर छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी को हटाना इस दिशा में एक कदम है। हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि क्या यह कदम, पहले से चल रहे कूटनीतिक उपायों के साथ मिलकर अमेरिका के रुख में कोई नरमी लाएगा।
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बड़े शहरों पर अत्यधिक बोझ: पानी-परिवहन, बिजली और आवास की किल्लत; जानिए क्या है झुग्गियों का हाल
जागरण टीम, नई दिल्ली। पिछले कुछ दशकों में भारत में शहरीकरण की गति बहुत तेज रही है। भारत में शहरों का विकास काफी हद तक अनियोजित रहा है, जिसके कारण कई चुनौतियां और शहरी अव्यवस्थाएं पैदा हुई हैं। अनियोजित शहरी विकास के सबसे भयावह परिणामों में से एक मौजूदा बुनियादी ढांचे पर पड़ने वाला दबाव है।
पानी की आपूर्ति, स्वच्छता, परिवहन और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं लगातार बढ़ती आबादी की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती हैं। इसका परिणाम अत्यधिक बोझ वाला बुनियादी ढांचा है, जो अपने निवासियों की जरूरतों को पूरा करने में विफल है। इससे भीड़भाड़ बढ़ती है, सेवाएं अपर्याप्त हैं और जीवन की गुणवत्ता कम होती है।
क्यों बढ़ रहा जाम और प्रदूषण?अनियोजित शहरी विकास की वजह से ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। सीमित सड़क नेटवर्क और वाहनों की संख्या में अनियंत्रित वृद्धि के कारण कई शहरों में आवागमन एक दैनिक संघर्ष बन गया है।
ट्रैफिक जाम न केवल बहुमूल्य समय बर्बाद करता है बल्कि ईंधन की खपत, पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को भी बढ़ाता है। व्यापक सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की अनुपस्थिति समस्या को और बढ़ा देती है।
शहरों में रहना इतना महंगा क्यों?ग्रामीण इलाकों से लोग बड़ी संख्या में शहरों में आ रहे हैं। इसकी वजह से किफायती आवास विकल्पों की भारी कमी हो गई है। परिणामस्वरूप, विभिन्न शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ियां और अनौपचारिक बस्तियां उग आई हैं, जिससे घटिया जीवन स्तर और सामाजिक असमानताएं पैदा हुई हैं। इसके अलावा, उचित नियोजन की कमी से अक्सर कीमती भूमि का अतिक्रमण होता है, जिससे आवास संकट बढ़ता है और शहरी गरीबी बढ़ती है।
पर्यावरण को कैसे नुकसान पहुंचा रहे शहर?भारत में अनियोजित शहरी विकास ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। लोग वनों की भूमि पर अक्सर अतिक्रमण करते है, जिससे जैव विविधता का नुकसान होता है और पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान होता है।
अनियंत्रित निर्माण, अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन और अनियंत्रित औद्योगीकरण प्रदूषण, मिट्टी के क्षरण और पानी की कमी में योगदान करते हैं। शहरों का अनियोजित विकास सामाजिक असमानता को बढ़ाता है।
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समावेशी नियोजन की अनुपस्थिति और बुनियादी सेवाओं तक पहुंच की कमी हाशिए पर पड़े समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करती है। शहरी गरीब अक्सर खुद को अनौपचारिक बस्तियों में रहते हुए पाते हैं, जहां स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका के अवसरों तक सीमित पहुंच होती है।
इस मुद्दे के समाधान के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो टिकाऊ शहरी नियोजन, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों को एकीकृत करता है।
व्यापक शहरी नियोजन में निवेश करके, किफायती आवास को प्राथमिकता देकर, बुनियादी ढांचे में सुधार करके और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाकर, भारत अपने शहरों को जीवंत, रहने योग्य स्थानों में बदल सकता है जो पर्यावरण को संरक्षित करते हुए अपने नागरिकों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
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(Source: अरबन प्लानिंग एक्सपर्ट वरुण रोहिल्ला से बातचीत)
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NEP: इस सत्र से चार कक्षाओं के लिए NCERT की नई पुस्तकें, नई शिक्षा नीति के तहत तैयार हुईं किताबें
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं कक्षाओं की एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकें भी अब तैयार हो चुकी है। जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध होंगी।
इनमें चौथी और सातवीं कक्षाओं की नई पुस्तकें 31 मार्च तक ही बाजार में आ जाएंगी, जबकि पांचवीं व आठवीं की सभी पुस्तकें पंद्रह मई तक आएंगी। यानी एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र में स्कूलों में चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं कक्षाओं के बच्चे भी एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों से पढ़ाई करेंगे।
इन दो कक्षाओं के लिए ब्रिज कोर्स भी तैयार- एनसीईआरटी ने इसके साथ ही पांचवीं व आठवीं कक्षाओं के लिए एक ब्रिज कोर्स भी तैयार किया है। इसकी भी पाठ्यपुस्तकें तैयार हो गई है, जो 31 मार्च तक बाजार में आ जाएगी।
- एनसीईआरटी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक नई पाठ्यपुस्तकों को छात्रों को समय पर मुहैया कराने की पूरी तैयारी कर ली गई है। नई पाठ्यपुस्तकों के नाम पहली, दूसरी व तीसरी कक्षाओं की पुस्तक की तरह वीणा, मृदंग व सारंगी आदि रखा गया है। इनमें सिर्फ कक्षाएं व उसके आवरण में बदलाव किया गया है।
- एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें अब अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध कराई जाएंगी। गौरतलब है कि अब तक एनईपी के तहत एनसीईआरटी की बालवाटिका से लेकर पहली, दूसरी, तीसरी व छठवीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकें आ चुकी है। जबकि चौथी, पाचंवीं, सातवीं व आठवीं की पुस्तकें इस साल आ रही है। बाकी नौ से बारहवीं कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकें अगले शैक्षणिक तक आएंगी।
स्कूलों में आने वाली चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं की नई पाठ्यपुस्तकों के साथ ही एनसीईआरटी ने इन नई पाठ्यपुस्तकों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी तैयारी कर ली है। जो तीन अप्रैल से शुरू होगी। इस दौरान पहले चरण में देश भर में मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे। इनमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय आदि के शिक्षक मुख्य रूप से शामिल होंगे।
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Patna News: पटना, रांची समेत 7 जगहों पर CBI का छापा, NHAI एमडी समेत 4 गिरफ्तार
राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को रिश्वत प्रकरण से जुड़े एक मामले में कार्रवाई करते हुए भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के महाप्रबंधक रामप्रीत पासवान समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने पटना, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, रांची और वाराणसी समेत सात जगहों पर एक साथ छापा भी मारा। अपनी इस कार्रवाई के दौरान जांच एजेंसी ने 1,18,85,000 रुपये नकद और कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस बरामद किए है, जांच अभी जारी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई को जानकारी मिली थी कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के जीएम और अन्य लोक सेवक एक निजी कंपनी के साथ मिलीभगत करके अनुबंध के आधार पर जो काम दिए गए, उसके बिलों को पास करने में घपला कर रहे थे और इसके एवज में मोटी रिश्वत वसूल रहे थे।
12 आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्जसीबीआई ने शिकायत की सत्यता जानने के बाद 22 मार्च को 12 आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। जिन आरोपितों पर प्राथमिकी की गई, उसमें राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुख्य महाप्रबंधक, महाप्रबंधक, सीनियर रैंक के छह लोक सेवकों के साथ ही अन्य निजी ठेकेदार और अज्ञात लोक सेवक और निजी व्यक्तियों के नाम हैं।
अपनी जांच के क्रम में सीबीआई को यह सूचना भी मिली थी कि निजी कंपनी को बिल पारित कराने के एवज में 15 लाख रुपये की रिश्वत देनी है। रिश्वत की यह रकम पहुंचाने के लिए पटना में एक स्थान का चयन किया गया है। जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले का उद्भेदन करने और आरोपितों तक पहुंचने के लिए जाल बिछाया।
सीबीआई को अपने इस अभियान में सफलता भी मिली। पटना में तय स्थान पर निजी कंपनी के सेवक, एनएचएआई के आरोपित महाप्रबंधक को रिश्वत के 15 लाख रुपये दे रहे थे, उसी वक्त उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। इसी दौरान दो अन्य लोगों को भी रिश्वत पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया।
इस कार्रवाई और पूछताछ में मिले साक्ष्यों के आधार पर सीबीआई ने आगे कार्रवाई करते हुए पटना, मुजफ्फरपुर, रांची, वाराणसी समेत कुल सात स्थानों पर छापा मारा।
जहां से अब तक 1.18 करोड़ से अधिक नकद, कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और कुछ कागजात बरामद करने में सफलता मिली है। इस मामले में सीबीआई आगे की जांच में जुटी है।
इन पर की गई प्राथमिकी- वाई. बी. सिंह, मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) एवं क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, क्षेत्रीय कार्यालय, पटना।
- रामप्रीत पासवान, महाप्रबंधक (जीएम), एनएचएआई क्षेत्रीय कार्यालय, पटना (रिश्वत प्राप्त कर्ता) (गिरफ्तार)।
- श्री कुमार सौरभ, उप महाप्रबंधक (डीजीएम), एनएचएआई, परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू), पूर्णिया
- ललित कुमार, परियोजना निदेशक (पीडी), एनएचएआई, परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू), दरभंगा, मुजफ्फरपुर।
- अंशुल ठाकुर, साइट इंजीनियर, एनएचएआई, परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू), दरभंगा, मुजफ्फरपुर।
- हेमेन मेधी, एजीएम, लेखा, एनएचएआई, क्षेत्रीय कार्यालय, पटना।
- वरुण कुमार, कर्मचारी, मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (गिरफ्तार)।
- सुरेश महापात्रा, महाप्रबंधक (जीएम), मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (रिश्वत देने वाला) (गिरफ्तार)।
- अमर नाथ झा, महाप्रबंधक (जीएम), मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड।
- चेतन कुमार, कर्मचारी, मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, (गिरफ्तार)।
- सत्य नारायण सिंह उर्फ पप्पू सिंह, ठेकेदार, मुजफ्फरपुर।
- मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और
- अज्ञात अन्य लोक सेवक और निजी व्यक्ति
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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का शहरों में क्यों नहीं दिख रहा है असर; पैसा या प्लानिंग क्या है वजह?
जागरण टीम, नई दिल्ली। भारत में शहरीकरण की खास बात यह है कि यहां शहरी आबादी असमान तरीके से तेजी से बढ़ रही है। बड़े शहरों और मेट्रो शहरों में आबादी ज्यादा बढ़ रही है। 2001-2011 के दशक आंकड़ों से पता चलता है कि देश के मध्य, पूर्वी और उत्तर पूर्व के हिस्से में शहरीकरण का स्तर बहुत कम है। इन इलाकों में आर्थिक विकास की रफ्तार भी कमजोर रही है।
भारत के शहर कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं के लिए जाने जाते हैं। जीवन की गुणवत्ता के स्तर की बात करें तो यहां रहने वालों के बीच बहुत अधिक असमानता है। बड़े शहर ही नहीं छोटे और मझोले कस्बों में भी बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं जैसे सड़कों, जल आपूर्ति, सीवेज और शिक्षा और चिकित्सा के इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट है फिर क्यों शहरों में समस्या त्यों की त्यों?केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में सूचना एवं संचार तकनीक और इसकी सेवाओं का इस्तेमाल कर रही है। उसको लगता है कि इससे शहरों की सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। हालांकि, यह सिर्फ टूल और तकनीक हैं।
तथ्य यह है कि भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा गांवों में रहता है और लोग गरीब हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें शहरों और गांवों को नियोजित तरीके से विकसित करना होगा। हमें रणनीति बनाकर अपनी शहरी विकास की नीतियों को सुधारने के लिए तरीके तलाशने होंगे। इससे शहरों और कस्बों को व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।
कहीं पैसा तो कहीं प्लानिंग बन रही रोड़ासबसे अहम मुद्दा है शहरी गवर्नेंस से जुड़े फंड का अंतरण और इससे जुड़े कार्यकलाप का। इन विषयों को 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 में शामिल किया गया था। संशोधन के 32 वर्ष बाद भी ज्यादातर राज्यों ने इसे सही तरीके से लागू नहीं किया है।
स्थानीय निकाय और दूसरी ज्यादातर एजेंसियों का प्रशासन राज्य सरकारों के अधीन हैं। कुछ राज्यों में शहरी नीतियां और दिशा निर्देश तय करने के लिए शहरी नियामकीय तंत्र नहीं है।
कुछ राज्यों में प्लानिंग के कानून बहुत पुराने हैं जो आज के समय के लिहाज से प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। बिल्डिंग कोड्स को अमीर और ताकतवर लोगों के फायदे के लिए कमजोर किया जाता है। कुछ राज्यों में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का विभाग ही नहीं है। इसके अलावा सभी राज्यों के लिए व्यापक टाउन एंड रीजनल प्लानिंग एक्ट की तत्काल जरूरत है।
ग्रामीण और शहरी बस्तियों को प्लानिंग के स्तर पर समान रूप से देखना होगा। ग्रामीण और शहरी बस्तियों के एकीकरण और समन्वय से उनमें निहित संभावनाओं का दोहन किया जा सकता है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सुविधाओं के स्तर पर अंतर कम होगा।
शहर या 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर के लिए योजना बनाते समय मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की योजना भी बनानी होगी।शहर या रीजन के विकास का प्लान तैयार करने के लिए विस्तृत सर्वेक्षण और समय सीमा का पालन होना चाहिए। इसमें स्थानीय समुदायों की सहभागिता भी होनी चाहिए।
डेवलपमेंट कंट्रोल और बिल्डिंग कोड्स के नियमों को सही तरीके से लागू न करने से काफी अधिक नुकसान हुआ है।
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(Source: हरियाणा पूर्व चीफ टाउन प्लानर केके यादव से बातचीत)
UK detects first H5N1 bird flu case in sheep, raising livestock spread fears - Firstpost
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- World’s first case of bird flu in sheep detected in England The Guardian
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Bihar Politics: जिलों के टॉप-20 अपराधियों की अब खैर नहीं, टाइमलाइन के साथ पुलिस का टारगेट सेट
राज्य ब्यूरो, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सख्त निर्देश के बाद पुलिस अपराध के खिलाफ एक्शन मोड में आ चुकी है। जिलों के टाप-10 और टाप-20 अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर लगातार अभियान जारी है।
इस साल बिहार पुलिस के एसटीएफ ने 227 कुख्यात और वांछित अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इनमें 29 इनामी अपराधी भी शामिल हैं।
इसी साल जनवरी महीने में एसटीएफ की टीम ने 50-50 हजार के दो कुख्यात अपराधियों को मार गिराया। आठ नक्सलियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
पुलिस मुख्यालय के अनुसार, पिछले तीन महीनों में पटना सहित कई जिलों में मुठभेड़ की चार बड़ी घटनाएं सामने आई हैं। अररिया, मुंगेर, गया, भोजपुर जैसे जिलों में भी पुलिस की कार्रवाई तेज है।
अपराधियों की लोकेशन मिलने पर उन्हें मौके पर ही घेरकर कार्रवाई की जा रही है। एसटीएफ और पुलिस की कार्रवाई से नक्सली प्रभाव भी सिमट गया है। इनकी गतिविधियां खड़गपुर और छक्कबरबंधा के सीमित पहाड़ी क्षेत्रों तक सिमट गई हैं।
पुलिस का लक्ष्य है कि इन क्षेत्रों को भी आगामी तीन महीनों में पूरी तरह उग्रवादमुक्त कर दिया जाए। इसके लिए झारखंड की सीमा से सटे इलाकों में अंतर्राज्यीय समन्वय के साथ अभियान तेज किया गया है।
हथियारों और गोली की खरीद-बिक्री को लागू होगी नई नीतिबिहार पुलिस हथियार तस्करी के अवैध नेटवर्क को भी खंगाल रही है। अवैध हथियार तस्करी रोकने को नई नीति भी लाई जा रही है।
राज्य सरकार जल्द ही हथियारों और गोली के क्रय-विक्रय पर विधिसम्मत नियंत्रण लाने के लिए नई नीति लागू करने की तैयारी में है।
इसके अलावा पुलिस मुख्यालय ने जेल में बंद या राज्य से बाहर रहकर अपराध करने वाले अपराधियों पर भी विशेष निगरानी रखने का निर्देश जिलों को दिया है।
ऐसे अपराधियों को प्रश्रय देने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है। इसमें तकनीकी सेल की भी मदद ली जा रही है।
डिजिटल निगरानी, डेटा एनालिटिक्स और रियल टाइम इंटेलिजेंस के आधार पर अपराधियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापामारी की जा रही है।
पांच आरोपितों के घर पर पुलिस ने इश्तेहार चस्पाया- उधर, पानापुर में लंबे समय से फरार चल रहे थाना क्षेत्र के धोबवल गांव के पांच आरोपितों के घर पर सोमवार को स्थानीय पुलिस द्वारा इश्तेहार चस्पाया गया।
- आरोपितों में धोबवल निवासी अरविंद कुमार सिंह, दूर्गावती देवी, शैलेश सिंह, सोनी कुमारी, बिट्टू कुमार सिंह आदि शामिल हैं। इनके खिलाफ एक कांड अंकित है।
- इस मामले में वे सभी लोग काफी दिनों से फरार चल रहे है। जिसको लेकर न्यायालय द्वारा इश्तेहार जारी किया गया है। थानाध्यक्ष विश्वमोहन राम के नेतृत्व में पुलिस टीम आरोपितों के घर पहुंची एवं इश्तेहार चस्पाया।
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ट्रंप के Tariff War से बचने के लिए भारत ने बनाया मास्टर प्लान, Reciprocal टैक्स के मामले पर नरम पड़ा अमेरिका
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही बार-बार दो अप्रैल, 2025 से भारतीय उत्पादों पर पारस्परिक टैक्स लगाने की धमकी दे रहे हों, लेकिन उनकी सरकार की तरफ से कुछ नरमी के संकेत दिए गए हैं। यह संकेत भारतीय अधिकारियों के साथ चल रही वार्ता में दिए गए हैं। कोशिश यह है कि दोनों रणनीतिक साझेदार देशों के बीच ट्रेड वार को किसी भी तरह से टाला जाए।
इसी कोशिश में मंगलवार को अमेरिका के उप व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडेन लॉंच पांच दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। पारस्परिक टैक्स लगाने की निर्धारित अवधि से पहले यह दोनों देशों के बीच अंतिम दौर की वार्ता होगी।
भारत के साथ संतुलित कारोबार बढ़ाना चाह रहा अमेरिकाअमेरिकी दूतावास के सूत्रों ने बताया कि, “भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार को लेकर जारी वार्ता में शामिल होने के लिए उप व्यापार प्रतिनिधि (दक्षिण व मध्य एशिया) लॉंच 25-29 मार्च तक भारत में होंगे। यह अमेरिका की प्रतिबद्धता को दिखाता है कि वह भारत के साथ अपने संतुलित व फायदेमंद कारोबारी संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है। हम भारत के साथ निवेश व कारोबार संबंधी मौजूदा वार्ता का सम्मान करते हैं और आशा करते हैं कि एक रचनात्मक, बराबरी वाला व भविष्य केंद्रित विमर्श जारी रहेगा।''
इस बारे में भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों से भी कोई प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन देर शाम तक कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। 20 जनवरी, 2025 को दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कम से कम सात मौकों पर भारत पर पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी देने के साथ ही भारत को अमेरिकी उत्पादों पर सबसे ज्यादा आयात शुल्क लगाने वाले देश के तौर पर चिन्हित कर चुके हैं।
ट्रंप के सामने पीएम मोदी ने उठाया था आयात शुल्क का मुद्दाहालांकि, भारत सरकार की तरफ से इस विषय पर बहुत ही कम बोला गया है। पिछले शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने यह जरूर कहा है कि दोनों देशों के बीच एक पारस्परिक हितों वाले नतीजों पर पहुंचने के लिए कई स्तरों पर बातचीत चल रही है। फरवरी, 2025 में पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ वॉशिंगटन में मुलाकात के दौरान भी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत सरकार की तरफ से बहुत ज्यादा आयात शुल्क लगाने का मुद्दा उठाया था।
दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों देश इस साल के अंत तक एक कारोबारी व निवेश समझौता करेंगे। इसके कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका का दौरा किया था।
अतिरिक्त टैक्स लगाने से कारोबारी मौहाल को नुकसान होगा: भारतसूत्रों के मुताबिक वाणिज्य मंत्री के इस दौरे और उसके बाद की अधिकारियों के स्तर पर होने वाली वार्ताओं में भारत ने यह तर्क रखा है कि जब इस साल के अंत तक कारोबारी समझौता किया जाना है तो उसके जरिए ही द्विपक्षीय कारोबार से जुड़े मुद्दों का समाधान किया जाए।
उसके पहले एक दूसरे पर अतिरिक्त टैक्स लगाने से कारोबारी मौहाल को नुकसान होगा। जानकारों का कहा है कि अमेरिकी पक्ष ने इस तर्क से सहमति जताई है।
भारत ने यह भी कहा है कि दोनों देशों को पिछले वर्ष मोदी और पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच आपसी कारोबार को बढ़ा कर 500 अरब डॉलर करने के लक्ष्य के लिए काम करना चाहिए। अगले तीन-चार दिनों तक जब नई दिल्ली में दोनों तरफ के अधिकारी मिलेंगे तो इन मुद्दों पर फिर से बात की जाएगी।
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Rupee on a roll, clocks strongest close in 2025
Bihar Teacher Transfer: बिहार में 10 हजार से अधिक टीचरों का तबदला, शिक्षा विभाग ने जारी किया नया नोटिफिकेशन
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सरकारी विद्यालयों के 10,225 शिक्षकों का ऐच्छिक स्थानांतरण किया गया है। इनमें 226 ऐसे शिक्षक हैं, जो स्वयं या जिनके पति-पत्नी या बच्चे कैंसर से ग्रस्त हैं।
जबकि 937 ऐसे शिक्षक हैं, जो स्वयं या जिनके पति-पत्नी या बच्चे किडनी, लीवर या हृदय रोग से पीड़ित हैं। 2,685 शिक्षकों को दिव्यांगता के आधार पर स्थानांतरण किया गया है।
इस संबंध में सोमवार को शिक्षा विभाग की ओर से संबंधित शिक्षकों की सूची जारी की गई। शिक्षा विभाग के मुताबिक स्थानांतरित शिक्षकों में 573 ऐसे हैं, जो स्वयं या जिनके पति-पत्नी या बच्चे ऑटिज्म-मानसिक दिव्यांगता से ग्रस्त हैं।
516 ऐसी महिला शिक्षकों का तबादला किया गया है, जो विधवा या परित्यक्ता हैं। 5,288 महिला शिक्षकों का पति के पदस्थापन के आधार पर स्थानांतरण किया गया है।
इस स्थानांतरण से नियोजित शिक्षकों को अलग रखा गया है। स्थानांतरित शिक्षकों का 10 अप्रैल से 20 अप्रैल तक विद्यालय आवंटन होगा।
इन सभी शिक्षकों के अंतर जिला आवेदनों पर विचार करते हुए उन्हें ऐच्छिक जिला आवंटित किया गया है। स्थानांतरित 10,225 शिक्षकों में 7,272 महिलाएं हैं। बाकी 2,953 पुरुष शिक्षक हैं।
स्वयं, पति-पत्नी या बच्चे के विभिन्न प्रकार के कैंसर के आधार पर जिन 226 शिक्षकों को स्थाननांतरित किया गया है, उनमें 113 महिला एवं 113 पुरुष शिक्षक हैं।
स्वयं, पति-पत्नी या बच्चे के किडनी, लीवर या हृदय रोग के आधार पर स्थानांतरित 937 शिक्षकों में 442 महिला एवं 442 पुरुष शिक्षक हैं।
स्वयं के दिव्यांगता के आधार पर स्थानांतरित 2,685 शिक्षकों में 620 महिला एवं 2,065 पुरुष शिक्षक हैं। स्वयं, पति-पत्नी या बच्चे के ऑटिज्म-मानसिक दिव्यांगता के आधार पर स्थानांतरित 573 शिक्षकों में 293 महिला एवं 280 पुरुष शिक्षक हैं।
स्थानांतरित सभी 10,225 शिक्षकों की सूची शिक्षा विभाग ने जारी कर दी है। संबंधित शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण का फैसला शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली विभागीय स्थापना समिति की बैठक में सोमवार को लिया गया है।
समिति के अध्यक्ष शिक्षा सचिव अजय यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसके सभी सदस्य प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला, प्राथमिक शिक्षा के उपनिदेशक संजय कुमार चौधरी एवं माध्यमिक शिक्षा के उपनिदेशक अब्दुस सलाम अंसारी शामिल थे।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों का स्थानांतरण उनके द्वारा ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर दिए गए घोषणा के आलोक में किया गया है।
स्थानांतरित सभी शिक्षकों को अब ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर इस आशय के शपथपत्र देने होंगे कि उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन एवं घोषणा में किसी प्रकारी सूचना गलत पाए जाने पर उन पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी।
प्राथमिकता के आधार किया जाएगा विचार- अधिकारी ने यह भी बताया कि शिक्षकों को इस आशय के भी शपथपत्र देने होंगे कि आवंटत जिला उन्हें स्वीकार है।
- समिति द्वारा उनके द्वारा दिए गए विद्यालय के विकल्प को प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जाएगा।
- जहां प्राथमिकता के आधार पर रिक्ति उपलब्ध नहीं होगी, वहां उसके निकटतम विद्यालय के पंचायत-प्रखंड में पदस्थापन स्वीकार होगा।
- दोनों शपथ पत्र अपलोड करने के बाद ही शिक्षकों का विद्यालय आवंटन होगा। शपथ पत्र अपलोड नहीं करने वाले शिक्षकों का स्थानांतरण स्थगित रहेगा।
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