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गिल्ली-डंडा, कबड्डी, खो-खो और कंचे...स्कूलों में फिर खेले जाएंगे पारंपरिक भारतीय खेल, शिक्षा मंत्रालय ने बनाई योजना

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 8:50pm

अरविंद पांडेय, जागरण, नई दिल्ली। यदि आप स्कूलों में पढ़ रहे है और अब तक गिल्ली-डंडा, कंचे, कबड्डी, लगड़ी, गुट्टी और राजा मंत्री-चोर सिपाही जैसे खेलों से परिचित नहीं है तो जल्द ही आपको इन परंपरागत प्राचीन भारतीय खेलों से परिचित होने का मौका मिल सकता है।

आधुनिकता और तकनीक के इस दौर में तेजी से लुप्त हो रहे इन परंपरागत भारतीय खेलों को बचाने को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने एक नई मुहिम शुरू की है। जिसमें देश की नई पीढ़ी को इन भारतीय खेलों से स्कूली स्तर पर ही जोड़ा जाएगा। इनमें ऐसे परंपरागत खेलों को अधिक अहमियत दी जाएगी, जो समूहों में खेले जाते है।

सामाजिक जुड़ाव की भावना विकसित करने में मिलेगी मदद

माना जा रहा है कि इससे बच्चों में सामाजिक जुड़ाव की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी। देश के अलग-अलग हिस्सों में प्राचीन समय से खेले जाने वाले करीब 75 भारतीय खेलों को अब तक इस पहल के तहत चिन्हित किया गया है। इनमें खो-खो, लगड़ी, कबड्डी व गिल्ली-डंडा जैसे ऐसे खेल भी शामिल है, जो अलग-अलग नामों से देश के कई हिस्सों में और दुनिया के दूसरे देशों में खेले जाते है।

मंत्रालय फिलहाल कबड्डी की तर्ज पर इन खेलों के लिए एक स्टैंडर्ड नियम-कायदे बनाने में जुटा है। इसमें इन खेलों से जुड़े विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। अब तक कबड़ी, गिल्ली-डंडा, खो-खो और लगोरी या पिट्ठू जैसे खेलों के नियम कायदे व इसे खेलते हुए वीडियो अपलोड भी किए जा चुके है।

बाकी खेलों को लेकर भी ऐसी तैयारी चल रही है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस पहल के पीछे मकसद बच्चों को इन खेलों के जरिए भारतीय जड़ों से परिचित कराना शामिल है। इसका एक ढांचा तैयार किया जा रहा है। इन खेलों से जुड़े देश भर के प्रतिभाशाली लोगों की पहचान की जा रही है।

फिजिकल टीचर को ट्रेनिंग देने की तैयारी

स्कूलों में तैनात खेल व व्यायाम शिक्षकों को इससे जुड़ा प्रशिक्षण देने की तैयारी भी की जा रही है। स्कूलों से इसका ब्यौरा मांगा है। इसके साथ ही इन खेलों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए देश भर में इससे जुड़ी प्रतियोगिताएं आयोजित करने जैसी पहल शामिल है। शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में की गई पहल को इससे जोड़कर देखा जा रहा है।

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RBI Feb rate cut sees mixed transmission

Business News - March 27, 2025 - 8:44pm
Transmission of Reserve Bank of India’s first rate cut in five years into deposit and lending rates were mixed in February. While banks lowered rates on new deposits, they did not offer lower rates to new loan borrowers immediately.Data released Thursday by the RBI showed that the weighted average domestic term deposit rate on fresh deposits of banks fell to 6.48% in February from 6.56% a month ago. On the outstanding deposits, the rate remained unchanged at 7.02%.At the same time, the weighted average lending rate (WALR) on fresh rupee loans of banks increased to 9.40% in February from 9.32% in the previous month. This was because MCLR had gone up by 5 basis points in February. In the subsequent month, one-year median MCLR fell by 5 bps to 9.00% in March, the RBI data showed.But WALR for outstanding loans fell to 9.80% in February from 9.87% a month ago, indicating that existing borrowers may have benefitted from the RBI’s policy rate cut.WALR reflects loans priced to external benchmarks as well as those linked to banks’ marginal cost of funds.According to experts, fall in MCLR could reflect in the overall lending rates for fresh loans in March. The transmission of regulatory rate cuts happens quickly in case of repo-linked benchmark rate. The transmission in case of MCLR-linked rates, which depend on banks' costs, takes a longer time of at least two quarters for the effect to play out.Nearly 61% of floating rate loans were linked to external benchmarks, while 36% were priced on MCLR at the end of December, according to the central bank data. Private sector banks have a higher share of externally benchmarked loans at 86%, while the same number for public sector banks is at around 47%.Analysts said that because public sector banks have lower percentage of loans priced to external benchmarks, the impact on net interest margin in the fiscal fourth quarter due to downward revision in loan rates will be lesser compared to their private peers.
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UCO Bank fixes QIP price at Rs 34.37 per share

Business News - March 27, 2025 - 8:40pm
State-owned Uco Bank has fixed the price of its Rs 2000 crore qualified institutional placement at Rs 34.27 per equity share, the bank said Thursday.The price, fixed at a premium of Rs 24.27 over the face value of Rs 10 per equity share, was at a discount of 4.99% to the floor price of Rs 36.07 per equity share, the lender said in a regulatory filing to the stack exchanges.The QIP would help the bank reduce the government stake to about 3% from the current holding of 95.39%.Uco's share price closed Thursday 1.92% higher at Rs 36.68 on BSE.A couple of days back, Indian Overseas Bank raised Rs 1437 crore by selling shares to institutional investors at Rs 40.57 per share, also at a 5% discount over the floor price.The Central Bank of India is also in the process of raising equity capital via the QIP route.
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अन्न भंडार भरने में जुटी केंद्र सरकार, दलहन खरीद पर जोर; चना खरीद को भी मंजूरी

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 8:36pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसान हित में केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से किसी भी हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर फसलों की खरीदारी नहीं करने का आग्रह किया है। सरकार का सबसे अधिक जोर दलहन खरीद पर है, क्योंकि दाल का बफर स्टाक अभी न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है और ऐसी स्थिति में अगले चार वर्षों के भीतर दलहन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य आसान नहीं है।

कीमतों पर नियंत्रण रखते हुए देश की विशाल आबादी को दाल की आपूर्ति के लिए बफर स्टाक में कम से कम 35 लाख टन दाल होनी चाहिए, ताकि दाम बढ़ने की स्थिति में बाजार में हस्तक्षेप किया जा सके। मगर बफर स्टाक में मानक से अभी आधी मात्रा में ही दाल उपलब्ध है। इसलिए केंद्र सतर्क है।

'उपभोक्ताओं की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध केंद्र सरकार'

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि केंद्र सरकार किसानों के साथ उपभोक्ताओं की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है।दालों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने, किसानों को अत्यधिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने एवं दलहन आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत राज्यों के उत्पादन के सौ प्रतिशत अरहर, उड़द और मसूर खरीद को मंजूरी दी है। बजट में भी अपनी आवश्यकता के अनुसार दलहन उत्पादन का संकल्प जताया जा चुका है। इसके लिए अगले चार वर्षों तक उक्त तीनों तरह की दालों की सारी उपज की खरीदारी की जाएगी।

चालू खरीफ मौसम में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तेलंगाना में अरहर खरीद को मंजूरी दी गई है। बिहार एवं उत्तर प्रदेश में अरहर की कीमत अभी एमएसपी से अधिक चल रही है। इसलिए यहां खरीदारी की रफ्तार सुस्त है। कर्नाटक में खरीद की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया है। यहां अब एक मई तक अरहर की खरीद हो सकती है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना में नेफेड एवं एनसीसीएफ के जरिए पौने दो लाख किसानों से अभी तक 2.46 लाख टन अरहर की खरीदारी हो चुकी है।

रबी मौसम के दौरान चना खरीद को भी मंजूरी

कृषि मंत्री ने बताया कि दाल भंडार को समृद्ध करने के लिए रबी मौसम के दौरान चना खरीद को भी मंजूरी दी गई है। पीएम-आशा योजना को 2025-26 तक बढ़ाया गया है। इसके तहत किसानों से एमएसपी पर दालों एवं तिलहनों की खरीद होती रहेगी। चालू रबी मौसम में चने की खरीदारी के लिए कुल स्वीकृत मात्रा 27.99 लाख टन है।

तेलहन की कमी को देखते हुए 28.28 लाख टन सरसों की भी खरीदारी होगी। दाल उत्पादक प्रमुख राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। मसूर की कुल स्वीकृत मात्रा 9.40 लाख टन है। सरकार ने किसानों को पंजीकरण और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नेफेड और एनसीसीएफ पोर्टलों का उपयोग सुनिश्चित किया है।

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Parliament approves Finance Bill 2025

Business News - March 27, 2025 - 8:21pm
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लंच-डिनर पर 5% और आइसक्रीम खाई तो 18% जीएसटी, स्‍लैब में बदलाव की मांग; क्या कम होंगीं टैक्स दरें?

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 8:13pm

राजीव कुमार, नई दिल्ली। अगर आप रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं तो पांच प्रतिशत, लेकिन खाने के बाद आइसक्रीम खा लिया तो 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। रोटी खाएंगे तो अलग, पराठा खाएंगे तो अलग जीएसटी। कोई ग्राहक एक रोटी और दो पराठा खा ले तो बिल बनाने में दुकानदार परेशान होगा और बिल देखकर ग्राहक भी। रेस्टोरेंट में एसी चल रहा हो या नहीं अगर रेस्टोरेंट को एसी रेस्टोरेंट का दर्जा प्राप्त है तो किसी भी फूड आइटम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

कपड़ा खरीदने जाएंगे तो 1000 रुपये से कम वाले पर अलग जीएसटी तो उनसे अधिक वाले पर अलग। फुटवियर में भी यही हाल है। खुले में फूड आइटम पर कोई टैक्स नहीं तो उसे पैक्ड रूप में दे दिया तो टैक्स लग जाएगा। जीएसटी में विसंगतियों के ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं। इन भ्रांतियों की वजह से व्यापारी कई बार गलती कर बैठते हैं और उन्हें पेनाल्टी या अन्य रूप में इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। ग्राहक भी खुद को ठगा महसूस करते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि अब जीएसटी की इन विसंगतियों को दूर करने के साथ जीएसटी की दरों में भी कमी लाने की जरूरत है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल की कुछ बैठकों में इस इस प्रकार की विसंगतियों को दूर करने को लेकर चर्चाएं तो हुईं, लेकिन जीएसटी कलेक्शन और राजनीतिक मजबूरियों की वजह से कोई फैसला नहीं हो सका। जैसे पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में शामिल करने पर चर्चाएं तो कई बार हुईं, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका।

चार नहीं, तीन स्‍लैब होने चाहिए

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के पूर्व चेयरमैन विवेक जोहरी कहते हैं, जीएसटी के लिए सबसे जरूरी चीज है कि सभी खाद्य पदार्थों के लिए एक प्रकार की जीएसटी दर होनी चाहिए व अन्य दरों को भी तार्किक बनाने की जरूरत है। चार स्लैब (5,12,18 और 28) की जगह तीन स्लैब होने चाहिए।

डेलायट के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) हरप्रीत सिंह कहते हैं, जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने से मुकदमेबाजी में भारी कमी आएगी। जीएसटी स्लैब कम होने से भारत विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। साथ ही, जीएसटी की रिटर्न प्रणाली और इनपुट टैक्स क्रेडिट नीति में भी बदलाव की जरूरत है।

जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने और कई आइटम की दरों में कमी पर चर्चा शुरू हो सकती है, लेकिन माना जा रहा है कि राज्य राजस्व में कमी की आशंका से दर कम करने पर राजी नहीं होंगे।

GST दरों में कमी से क्‍या घट जाएगा राजस्‍व?

अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञ एवं डेलायट के पार्टनर एम.एस. मनी के मुताबिक, यह सोचना गलत है कि जीएसटी दरों में कमी से राजस्व संग्रह में कमी आएगी। दर कम होने से वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे खपत बढ़ेगी। खपत बढ़ने से मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार बढ़ेंगे। जाहिर है इससे राजस्व भी बढ़ेगा।

कांग्रेस नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम तथा बिक्री कर मंत्री टी.एस. सिंह देव भी मानते हैं कि उपभोक्ताओं के लिए जीएसटी टैक्स की दरों को कम करने की जरूरत है। वह कहते हैं कि चूंकि राज्य अपने राजस्व में कमी से समझौता नहीं करेंगे, इसलिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने या स्लैब में बदलाव के दौरान राजस्व व उपभोक्ता के बीच का रास्ता निकालना होगा।

जानकार भी कहते हैं कि राजस्व बढ़ने पर राज्यों को वित्तीय रूप से कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि राज्यों को एसजीएसटी के साथ केंद्र के जीएसटी से भी हिस्सेदारी मिलती है।

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क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में लाने के लिए केंद्र सरकार को पहल करनी होगी। राज्यों के भरोसे छोड़ने पर पेट्रोलियम कभी भी जीएसटी के दायरे में नहीं आ पाएगा। आने वाले महीने में जीएसटी दर बदलाव पर चर्चा शुरू हो सकती है।

बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के मुताबिक, जीएसटी स्लैब में बदलाव को लेकर बनाए गए मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने अभी अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री को नहीं सौंपी है। चौधरी इस जीओएम के अध्यक्ष हैं और उनके मुताबिक जल्द ही वे वित्त मंत्री को रिपोर्ट सौंपने वाले हैं।

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Bihar News: टेंडर घोटाले में एक साथ बिहार के 8 अधिकारियों के यहां ED का छापा, करोड़ों कैश व दस्तावेज मिले

Dainik Jagran - March 27, 2025 - 8:09pm

राज्य ब्यूरो, पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार की सुबह-सुबह टेंडर घोटाले से जुड़े एक मामले में एक मुख्य अभियंता, कई कार्यपालक अभियंता और बिहार प्रशासनिक सेवा से जुड़े चार अधिकारियों समेत आठ अधिकारियों के यहां एक साथ छापा मारा।

भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (उत्तर) तारिणी दास के यहां सबसे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी कार्रवाई प्रारंभ की। इसके बाद बुडको (बिहार अरबन डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कारपो.लि.) के र्कायपालक अभियंता, बुडको में तैनात एक अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों के यहां भी जांच टीम ने छापा मारा।

करोड़ों कैश के साथ दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद

समाचार लिखे तक ईडी ने अपनी जांच में करोड़ी की नकदी के साथ कई अहम दस्तावेज, डिजिटल उपकरण के साथ ही जमीन में निवेश के कागजात बरामद किए हैं। छापामारी अभी भी जारी है। छापामारी के संबंध में ईडी आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से बच रही है।

सूत्रों से मिली जानकासूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की लगातार निगरानी कर रही है। इसी क्रम में के बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग में बड़े भ्रष्टाचार के सबूत मिले थे। जिसके बाद निदेशालय ने मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज करते हुए गुुरुवार की सुबह-सुबह फुलवारीशरीफ के पूर्णेन्दु नगर स्थिति भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (उत्तर) तारिणी दास के यहां ईडी ने छापा मारा।

तारिणी दास के साथ ही पूर्व नगर आयुक्त स्तर के एक बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, वित्तीय मामलों से जुड़े एक अधिकारी जो बुडको में पदस्थापित हैं सहित नगर विकास एवं आवास विभाग, पुल निर्माण निगम के अन्य अधिकारियों के यहां छापा मारा है। जिनके नाम बताने से ईडी परहेज कर रही है।

प्रारंभिक छापामारी के दौरान तारिणी दास के ठिकाने से करोड़ों की नकदी बरामद

सूत्रों की माने तो ईडी ने अपनी प्रारंभिक छापेमारी के दौरान ही तारिणी दास के ठिकाने से करोड़ों की नकदी बरामद करने की सफलता प्राप्त की। इसके अलावा जमीन के निवेश के दस्तावेज, टेंडर घोटाले से जुड़े कई अहम कागजात, कई बैंकों की पास के साथ ही डिजिटल उपकरण बरामद किए हैं। सूत्रों की माने तो जो नकदी बरामद की गई है वह तीन करोड़ के करीब है। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि नही हो पाई है।

बड़ी नकदी देख निदेशालय की टीम ने नोट गिनने के लिए मशीनें भी मंगाई हैं। सूत्रों की माने तो यह पूरा मामला आइएएस संजीव हंस से जुड़ा हुआ है।

संजीव हंस मामले की जांच के क्रम में ही ईडी को भवन निर्माण, नगर विकास एवं आवास विभाग, बुडको में टेंडर घोटाले में गड़बड़ी के प्रमाण मिले थे। हालांकि सूत्रों की बातों में कितनी सच्चाई है यह ईडी का आधिकारिक बयान आने के बाद ही साफ हो पाएगा।

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डिफेंस कॉलोनी आरडब्ल्यूए को सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 40 लाख हर्जाना देना होगा

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 8:07pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी की आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को लोधी काल के स्मारक शेख अली की गुमटी से छह दशक पुराने अवैध कब्जे के हर्जाने के तौर पर 40 लाख रुपये पुरातत्व विभाग को देने को कहा है।

15वीं सदी का यह स्मारक पुरातत्व विभाग की देखरेख में होने के बावजूद डिफेंस कॉलोनी की आरडब्ल्यूए के कब्जे में है। इस मामले पर अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होनी है।

पुरातत्व विभाग को मिलेगी हर्जाने की रकम

जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस अवधि की लागत को माफ करने से इनकार कर दिया है। खंडपीठ ने कहा कि उचित यही होगा कि आरडब्लूए 40 लाख रुपये का हर्जाना दिल्ली सरकार से संबद्ध पुरातत्व विभाग को दे दे।

यह विभाग इस स्मारक की देखरेख और मरम्मत का काम करता है। इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि आरडब्ल्यूए बताए कि क्यों न स्मारक पर अवैध कब्जे के लिए उस पर हर्जाना लगाया जाए। साथ ही स्मारक के मूल स्वरूप की बहाली के लिए पुरातत्व विभाग को एक कमेटी गठित करने को कहा गया है।

एएसआई को अदालत की फटकार

अदालत ने दिल्ली में कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय न्यास की पूर्व संयोजक स्वपना लिडिल को स्मारक के सर्वे और निगरानी के लिए नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि खंडपीठ ने नवंबर, 2024 में एएसआइ को इस स्मारक में आरडब्लूए का कार्यालन होने पर फटकार लगाई थी।

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राहुल गांधी पर टिप्पणी को लेकर विपक्ष हुआ गोलबंद, संयुक्त पत्र सौंप स्पीकर से की शिकायत

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 7:27pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की टिप्पणियों का सत्तापक्ष की ओर से राजनीतिकरण करने पर गंभीर सवाल उठाते हुए स्पीकर से मुलाकात की। बिरला से गुरूवार को हुई इस मुलाकात में विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सदन में राहुल गांधी को बोलने का मौका नहीं दिए जाने पर अपना क्षोभ जाहिर करते हुए इस संबंध में एक पत्र भी सौंपा।

विपक्षी दलों ने इस पत्र में नेता प्रतिपक्ष को बोलने का अवसर नहीं देने से लेकर लोकसभा उपाध्यक्ष का अब तक चुनाव नहीं कराए जाने से लेकर विपक्ष के सांसदों का माइक बंद करने जैसे आठ मुद्दों को उठाया है।

स्पीकर को सौंपे गए पत्र में क्या आरोप लगाए?

विपक्ष की ओर से स्पीकर को सौंपे गए पत्र में कार्य मंत्रणा समिति के निर्णयों की अनदेखी, स्थगन प्रस्ताव नोटिस को पूरी तरह निष्क्रिय बना दिए जाने, सदस्यों के निजी विधेयकों और प्रस्तावों की उपेक्षा, बजट और अनुदान मांगों पर चर्चा में प्रमुख मंत्रालयों को शामिल न करना, नियम 193 के तहत बेहद कम चर्चाएं करना और सदन में मसले उठाने के दौरान विपक्षी सदस्यों के माइक्रोफोन बंद कर दिए जाने जैसे विषय उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि जब भी विपक्षी सांसद कोई मुद्दा उठाते हैं तो उनके माइक्रोफोन बंद कर दिए जाते हैं और इसके विपरीत सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री या सांसद जब भी बोलना चाहते हैं तो तुरंत उन्हें बोलने की अनुमति दी जाती है।

विपक्ष के आरोप?

विपक्ष के अनुसार सदन में यह एकतरफा नियंत्रण लोकतांत्रिक बहस की भावना को कमजोर करता है। स्पीकर से विपक्षी नेताओं की इस मुलाकात में लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, द्रमुक के ए राजा, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, शिवसेना यूबीटी नेता अरविंद सावंत, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले के साथ राजद, आईयूएमएल, एमडीएमके और आरएसपी के भी नेता शामिल थे।

गौरव गोगोई ने प्रतिनिधिमंडल की स्पीकर से मुलाकात के बाद कहा कि विपक्षी नेताओं के संयुक्त हस्ताक्षर का पत्र बिरला को सौंपा गया है जिसमें हमने सदन के संचालन में नियमों-परंपराओं की धज्जियां उड़ाए जाने पर अपनी सामूहिक चिंता और निराशा व्यक्त की है।

स्पीकर की ओर से नियम 349 का संदर्भ लेकर नेता विपक्ष पर टिप्पणी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वह किस विशिष्ट घटना का उल्लेख कर रहे थे, यह स्पष्ट नहीं है। साथ ही हमने स्पीकर का ध्यान आकृष्ट किया कि किस तरह उनकी टिप्पणी का इस्तेमाल कर दुष्प्रचार और राजनीति की जा रही है।

विपक्षी नेताओं ने किस परंपरा का दिया हवाला?

विपक्षी नेताओं के पत्र में परंपरा का हवाला देते हुए कहा गया है कि जब भी नेता प्रतिपक्ष खड़े होते हैं, तो उन्हें बोलने की अनुमति दी जाती है। मगर मौजूदा सरकार बार-बार विपक्ष के नेता को बोलने का अवसर देने से इनकार कर रही है और यह पिछली प्रथाओं से अलग है जब टकराव की स्थिति में भी विपक्ष के नेता की बात सुनी जाती थी।

लोकसभा उपाध्यक्ष का पद 2019 से ही रिक्त होने को अभूतपूर्व बताते हुए कहा गया है कि सदन की तटस्थता और कामकाज में उपाध्यक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, फिर भी सरकार चुनाव कराने में विफल रही है। स्थगन प्रस्ताव के संबंध में शिकायत की गई है कि इसे अब पूरी तरह नजरअंदाज या सरसरी तौर पर खारिज कर विपक्षी सांसदों को तत्काल सार्वजनिक मुद्दे उठाने से वंचित किया जा रहा है।

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Bettiah Raj: बेतिया राज के असली भूमि मालिकों के लिए खुशखबरी, राजस्व मंत्री ने दिया राहत देने वाला संदेश

Dainik Jagran - March 27, 2025 - 7:22pm

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधान परिषद में एक बार फिर से बेतिया राज की जमीन का मुद्दा उठा। इस मुद्दे पर गुरुवार को विधान परिषद में भूमि सुधार व राजस्व मंत्री संजय सरावगी ने जमीन मालिकों को राहत देने वाली घोषणा की है।

राजस्व मंत्री ने विधान परिषद में कहा कि बेतिया राज की भूमि और दूसरी संपत्ति सरकार के अधिकार-क्षेत्र में है, लेकिन उस भूमि पर वैधानिक अधिकार रखने वाले लोगों को चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। सरकार उनके हितों का पूरा ध्यान रखेगी। 

महेश्वर सिंह और पांच अन्य सदस्यों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर उत्तर देते हुए राजस्व मंत्री सरावगी ने बताया कि निर्धारित मानकों को पूरा करते हुए जिन लोगों का बेतिया राज की भूमि पर कब्जा है, वह बरकरार रहेगा।

सरकार बनाने जा रही नियम

सरकार विस्तृत नियम बनाने जा रही है। उसमें शिकायत के निवारण का प्रविधान भी होगा। कोई व्यक्ति सरकारी आदेश से प्रभावित है तो प्रविधान के अंतर्गत शिकायत कर सकेगा।

महेश्वर सिंह आदि चाहते थे कि सरकार भूमि पर कब्जानशीं सभी लोगोंं के हितों के संरक्षण की घोषणा कर दे। हस्तक्षेप करते हुए सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि इस विषय पर बाद में मंत्री के साथ मिल-बैठकर सदस्य विस्तार से चर्चा कर लेंगे।

सभापति ने भरी हामी

सदन ने सभापति से आग्रह किया कि उन्हीं के नेतृत्व में विचार-विमर्श हो जाए। सभापति ने इसके लिए हामी भर दी। इससे पहले सदन को सरावगी यह बता चुके थे कि बेतिया राज की महारानी जानकी कुंअर को अंग्रेजों ने 01 अप्रैल, 1897 को अयोग्य घोषित कर दिया था।

हालांकि, सरकार के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं कि उन्हें कर्ज नहीं चुकाने के कारण अयोग्य घोषित किया गया था। वैसे ही उनके द्वारा एक लाख एकड़ भूमि अंग्रेजों को हस्तांतरित करने का भी कोई प्रमाण नहीं।

अलबत्ता 15253 एकड़ भूमि कोर्ट आन रिकार्ड में है। बेतिया राज की 70 कोठियां थीं, इसे पुष्ट करने का कोई साक्ष्य नहीं है। महेश्वर सिंह का कहना था कि बेतिया राज की एक लाख एकड़ भूमि पर किसानों का कब्जा है। दाखिल-खारिज के साथ मालगुजारी की वसूली नहीं हो रही।

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Bihar News: अब बाढ़ मुक्त होंगी बिहार की नदियां, नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला; सभी जिलों को आदेश जारी

Dainik Jagran - March 27, 2025 - 7:21pm

राज्य ब्यूरो, जागरण, पटना। Bihar News: नदियों को गादमुक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। सरकार नदियों की उड़ाही करने वालों को मुफ्त में गाद देगी। नदियों के गादमुक्त होने से यह बाढ़ मुक्त भी हो जाएगी।

इसको लेकर सभी जिलों के डीएम को पत्र भी लिखा गया है। जल संसाधन विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को विधानपरिषद में इसकी जानकारी दी। राजद सदस्य डा. अजय कुमार सिंह ने कोसी एवं सहायक नदियों में जमी गाद के समाधान को लेकर प्रश्न किया था।

विजय चौधरी ने बताया कि जब तक गाद का व्यावसायिक उपयोग नहीं होगा, तब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। हमने चानन डैम से गाद हटाने की 878 करोड़ की योजना बनाई। इसमें एजेंसी ने बताया कि वह गाद भी साफ करेगी और उसका व्यावसायिक इस्तेमाल कर सरकार को 39 करोड़ की रॉयल्टी भी देगी।

राज्य सरकार ने इसी तर्ज पर नदियों और डैम से गाद हटाने के लिए सभी डीएम को पत्र लिखा है। इसके लिए जिलास्तर पर कमेटी भी बनाई गई है, जिसमें एडीएम स्तर के अधिकारी चेयरमैन होंगे।

इसके अलावा जिला खनन पदाधिकारी और जल संसाधन के सबसे वरीय अधिकारी इसके सदस्य होंगे। गाद की उड़ाही मानक के अनुरूप हो और इसका दुरुपयोग न हो, इसपर नजर रखने की जिम्मेदारी विभागीय अभियंता को दी गई है। इसके लिए नोडल अभियंता भी तय कर दिए गए हैं।

मंत्री ने कहा कि यह सही है कि उच्च डैम बनाकर गाद को कम किया जा सकता है, मगर नेपाल से उचित सहयोग नहीं मिलने के कारण डैम नहीं बन पा रहा है। बिहार सरकार की तरफ से लगातार गाद का मुद्दा उठाने के बाद राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति के गठन पर चिंतन हो रहा है। इसका काम अंतिम चरण में है और जल्द ही इसकी घोषणा की जा सकती है।

मरीन ड्राइव गोलंबर पर नहीं लगेगी अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा 

राजधानी के अटल पथ के मरीन ड्राइव गोलंबर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा नहीं लगाई जाएगी। भाजपा सदस्य निवेदिता सिंह के ध्यानाकर्षण पर सरकार ने यह जवाब दिया।

संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अटल जी के सम्मान में ही इस पथ का नामकरण अटल पथ किया है। उनकी पहल पर ही अटल पथ के पास पाटलिपुत्र पार्क में अटल जी की आदमकद प्रतिमा भी लगाई गई है। ऐसे में थोड़ी ही दूर पर उनकी फिर से प्रतिमा स्थापित करना उचित प्रतीत नहीं होता।

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चीन की ब्रह्मपुत्र बांध परियोजना पर नजर रख रही सरकार, कीर्ति वर्धन बोले- देश के हितों की रक्षा सर्वोपरि

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 7:20pm

पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर सावधानीपूर्वक नजर रख रही है, जिसमें चीन द्वारा जलविद्युत परियोजना बनाने की योजना भी शामिल है। सरकार देश के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।

सिंह ने कहा कि भारत सरकार अपने हितों की रक्षा के लिए सीमा पार नदियों के मुद्दे पर चीन के साथ संपर्क में बनी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए 'निवारक और सुधारात्मक उपाय' किए जा रहे हैं।

भारतीय अप्रवासियों की वापसी

'अप्रवासियों की वापसी को वायुसेना या चार्टर्ड विमान का इस्तेमाल नहीं' विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने तृणमूल सांसद साकेत गोखले द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2020 से किसी भी देश से भारतीय अप्रवासियों की वापसी के लिए किसी भी भारतीय वायुसेना, चार्टर्ड या वाणिज्यिक नागरिक विमान का इस्तेमाल नहीं किया है।

देशों का विवरण भी पूछा गया

विदेश मंत्रालय से उन सभी उदाहरणों का विवरण मांगा गया था जब मंत्रालय ने 2020 से अब तक अन्य देशों से निर्वासित भारतीय अप्रवासियों की वापसी के लिए वायु सेना के विमान या चार्टर्ड या वाणिज्यिक नागरिक विमान का इस्तेमाल किया है। उन देशों का विवरण भी पूछा गया था जिन्होंने 2020 से भारतीय अप्रवासियों को निर्वासित करने के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया है।

नागरिक-उन्मुख वेब अनुप्रयोगों में बड़ी संभावनाएं

उल्लेखनीय है कि सरकार ने पहले अपने जवाब में कहा था कि 2009 से 2024 तक कुल 15,564 भारतीय नागरिकों को अमेरिका द्वारा भारत निर्वासित किया गया है। एआई-आधारित उपकरणों के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं: मंत्री केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक लिखित उत्तर में कहा कि किसी भी सरकारी विभाग द्वारा एआई-आधारित उपकरणों के उपयोग और अपनाने पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है क्योंकि यह एक उभरती हुई तकनीक है जिसमें नागरिक-उन्मुख वेब अनुप्रयोगों में बड़ी संभावनाएं हैं।

हालांकि, सरकारी अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी डिजिटल तकनीक या प्लेटफार्म का उपयोग करते समय सार्वजनिक सूचना की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए उचित परिश्रम और सावधानी बरतें।

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