Feed aggregator

Bank lending growth halves in February

Business News - March 27, 2025 - 10:14pm
Categories: Business News

'वसुधैव कुटुंबकम मानने वाले देश में सगे परिवार में एकता नहीं', SC की टिप्पणी; जानिए पूरा मामला

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 10:09pm

पीटीआई, नई दिल्ली। परिवार संस्था के विघटन से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में लोग वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरे विश्व को एक परिवार मानने में विश्वास करते हैं। लेकिन अपने करीबी रिश्तेदारों से भी निकटता बनाए रखने में विफल हो रहे हैं।

जस्टिस पंकज मिथल और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के जिला सुल्तानपुर के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि परिवार की अवधारणा अब एक व्यक्ति एक परिवार प्रणाली से छिन्न-भिन्न हो रही है। हम आज अपने सगे परिवार में भी एकता नहीं बनाए रख पा रहे हैं।

घर से निकालने का मामला

कोर्ट ने कहा कि परिवार की पूरी अवधारणा ही शिथिल पड़ती जा रही है। हम अब एक व्यक्ति-एक परिवार बनकर ही रह गए हैं। सर्वोच्च अदालत ने यह गंभीर टिप्पणी एक महिला के अपने सबसे बड़े बेटे को घर से निकालने को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि उनके बेटे को घर से बाहर करने का कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि वरिष्ठ नागरिक कानून के तहत उनका गुजारा भत्ता जारी रहना चाहिए। बताया जाता है कि सुलतानपुर के कल्लूमल के निधन के बाद उनकी पत्नी समतोला देवी और उनके तीन बेटों समेत पांच बच्चे हैं।

संपत्ति को लेकर बढ़ा विवाद
  • लेकिन दंपती का अपने सबसे बड़े बेटे से संपत्ति को लेकर विवाद इतना बढ़ा, जो कल्लूमल की मौत के बाद भी जारी है। समतोला देवी ने अपने सबसे बड़े बेटे को अपने घर से बेदखल करने के लिए यह याचिका दायर की है।
  • उनके घर के साथ ही कुछ दुकानें भी हैं जो विवाद का मूल कारण हैं। यह मामला निचली अदालत से होते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा जहां बेटे को संपत्ति से बेदखल करने के आदेश को दरकिनार कर दिया गया, जिसके खिलाफ मां समतोला देवी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।

यह भी पढ़ें: दुष्कर्म पर इलाहाबाद HC की टिप्पणी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, फैसले पर लगाई रोक

Categories: Hindi News, National News

'ठेकेदारों के ट्रैक रिकॉर्ड देखना जरूरी', संसदीय समिति ने कहा- अधर में 700 परियोजनाएं, रियल टाइम निगरानी जरूरी

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 9:47pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सड़क निर्माण के ठेके देने में ठेकेदारों की सख्त वित्तीय जांच में सड़क परिवहन मंत्रालय की विफलता पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए सड़क परिवहन संबंधी संसदीय स्थाई समिति ने कहा है कि इस कमजोरी के कारण ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां ठेकेदार पैसों के संकट के कारण अपनी जिम्मेदारी पूरा नहीं कर सके।

इसके चलते प्रोजेक्टों में देरी भी हुई और उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हुई। बुनियादी ढांचा से जुड़ी परियोजनाओं में लंबे समय तक गतिरोध रहने पर चिंता जताते हुए समिति ने कहा कि जिन ठेकेदारों को परियोजनाएं दी गईं, उनमें से कई के पास अपना काम जारी रखने के लिए वित्तीय क्षमता ही नहीं थी। स्पष्ट है कि ठेकेदार चयन प्रक्रिया में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता थी।

डिफेक्ट लायबिलिटी में लचर रवैया

ठेकेदारों की जवाबदेही के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय ने खामियों को ठीक करने की जिम्मेदारी तय की है, लेकिन ठेकेदार बिना आर्थिक दंड के अपने स्तर पर इस प्रविधान का पालन नहीं कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि डिफेक्ट लायबिलिटी यानी दोष दायित्व की व्यवस्था लागू करने के मामले में लचर रवैया अपनाया जा रहा है।

मंत्रालय के अनुसार लगभग 700 परियोजनाएं लंबित रही हैं, जिनके प्रमुख कारणों में जमीन अधिग्रहण में अड़चनों के साथ एफओबी-अंडरपास आदि बनाने के लिए रेलवे मंजूरी में देरी के साथ ही ठेकेदारों की वित्तीय समस्याएं भी प्रमुख वजह हैं। इसके पीछे सरकारी भुगतान में देरी और लागत में बढ़ोतरी भी कारण है।

समिति ने जताई चिंता
  • समिति ने इस पर भी चिंता जताई है कि प्रोजेक्टों में खामियां तब तक पता नहीं चलतीं जब तक कोई बड़ी बाधा न खड़ी हो जाए। इसका कारण यह है कि रियल टाइम निगरानी का कोई ढांचा मौजूद नहीं है। यह ढांचा महत्वपूर्ण राजमार्ग परियोजनाओं में भी नदारत है और इसका असर निर्माण की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
  • समिति ने नई बनी सड़कों के समय से पहले उनकी सतह के खराब होने पर चिंता जताते हुए यह जानना चाहा है कि क्या मौजूदा निगरानी तंत्र इंजीनियरिंग मानकों का पालन सुनिश्चत करने के लिए पर्याप्त है।
सीबीआई के नये कानून की सिफारिश

एक संसदीय समिति ने गुरुवार को सिफारिश की कि सीबीआई के लिए एक नया कानून बने ताकि एजेंसी बिना राज्यों की अनुमति के राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता से जुड़े मामलों की जांच कर सके। वहीं, एजेंसी में प्रतिनियुक्ति पर उम्मीदवारों की कमी का मामला उठाते हुए समिति ने विशेषज्ञों के लिए लैटरल एंट्री की सिफारिश की।

भाजपा के राज्यसभा सदस्य ब्रजलाल के नेतृत्व वाली कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने गुरुवार को संसद में अपनी 145वीं रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीबीआई को जांच की ज्यादा ताकत देने के लिए एक अलग या नए कानून की आवश्यकता है, जिससे जरूरत पड़ने पर यह बिना राज्यों की मंजूरी के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की तुरंत जांच कर सके।

लैटरल एंट्री भी शुरू करने की सिफारिश

इस कानून के लिए राज्यों के विचार लिए जा सकते हैं। कानून में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपाय भी शामिल होने चाहिए, इससे राज्य सरकारें खुद को शक्तिहीन महसूस नहीं करेंगी। समिति ने बताया कि आठ राज्यों द्वारा सीबीआई जांच के लिए सहमति वापस ले ली गई, जिससे भ्रष्टाचार और संगठित अपराध की जांच करने की इसकी क्षमता गंभीर रूप से सीमित हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सीबीआई में प्रतिनियुक्ति के लिए उचित नामांकन की कमी से परिचालन क्षमता पर असर पड़ रहा है।

प्रमुख कारणों में उन विभागों में कर्मियों की कमी है, जहां से इसे कर्मचारी मिलें, राज्य पुलिस की अनिच्छा, दस्तावेज बनाने की प्रक्रिया में देरी और कुशल कर्मचारियों की पहचान ना होना शामिल है। इसमें सिफारिश की गई है कि प्रतिनियुक्ति पर निर्भरता कम की जाए और एजेंसी एसएससी, यूपीएससी या केवल अपनी विशेष परीक्षा के जरिये उप पुलिस अधीक्षक, निरीक्षक और उप-निरीक्षक जैसे मुख्य पदों पर सीधी भर्ती की अनुमति देकर स्वतंत्र भर्ती का ढांचा विकसित करे। इसे साइबर अपराध, फोरेंसिक, वित्तीय धोखाधड़ी और कानूनी क्षेत्रों में विशेषज्ञों के लिए लैटरल एंट्री भी शुरू करनी चाहिए।

यह भी पढ़ें: NH से जुड़े मध्यस्थता मामलों की हर 15 दिन में समीक्षा करेगा सड़क परिवहन मंत्रालय, राज्यों को भेजा निर्देश

Categories: Hindi News, National News

Truhome Finance raises $100 million from DBS Bank, SMBC

Business News - March 27, 2025 - 9:37pm
Warburg Pincus-owned mortgage lender Truhome Finance has raised $100 million in external commercial borrowing from DBS Bank and Sumitomo Mitsui Banking Corporation (SMBC).The lender with about Rs 17000 crore assets under management has borrowed the fund at a coupon which is benchmarked with Secured Overnight Financing Rate (SOFR). The blended cost of it was 7.9%, which is 160 basis points over SOFR, a senior company official said.The non-banking finance company has secured this funding through a social loan facility. DBS Bank and SMBC have invested $50 million each in the loan syndication. The tenure of the loan is three years.The ECB will help the lender diversify its resources. This is the first external borrowing by the company after it was taken over by Warburg Pincus."This ECB facility shows the trust that marquee investors have in our business model," Truhome Finance managing director Ravi SubramanianThe global private equity firm bought the non-banking finance company from Shriram Capital and San Francisco-based PE Valiant Capital Management for Rs 4,630 crore in December last year. Warburg invested another Rs 1,200 crore into the company last year itself and has committed to infuse more capital whenever needed.The company has a network of 165 branches across 17 states and union territories. Major industrial states such as Gujarat, Maharashtra and Tamil Nadu accounted for 18%, 18% and 16% of the AUM respectively, at the end of December.The company focuses on borrowers from the middle-income group and low-income groups, mostly residing in urban and semi-urban regions, and has an average loan book ticket size of Rs 18 lakh, which is significantly higher than its peers in the affordable housing finance space. India Ratings & Research said in its rating report last month.About three-fourth of Truhome’s borrowers are self-employed and operating in a formal sector.
Categories: Business News

संयुक्त राष्ट्र ने की Ayushman Bharat Yojana की तारीफ, बाल मृत्यु दर में बड़ी गिरावट पर मिली सराहना

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 9:33pm

पीटीआई, संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य पहल का उदाहरण देते हुए बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए भारत के प्रयासों और प्रगति की सराहना की है। विश्व निकाय ने कहा है कि देश ने अपनी स्वास्थ्य प्रणाली में रणनीतिक निवेश के माध्यम से लाखों लोगों का जीवन बचाया है।

आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो प्रति वर्ष प्रति परिवार को पांच लाख रुपये की वार्षिक कवरेज प्रदान करता है। मंगलवार को जारी संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी समूह की बाल मृत्यु दर आकलन रिपोर्ट में भारत, नेपाल, सेनेगल, घाना और बुरुंडी का उदाहरण दिया गया और बाल मृत्यु दर रोकने में हुई प्रगति में अहम भूमिका निभाने वाली विभिन्न रणनीतियों पर प्रकाश डाला गया है।

भारत को लेकर रिपोर्ट में क्या कहा गया?

रिपोर्ट में कहा गया कि इन देशों ने दिखाया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, साक्ष्य-आधारित रणनीतियों और निरंतर निवेश से मृत्यु दर में पर्याप्त कमी लाई जा सकती है। भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि देश ने स्वास्थ्य प्रणाली में निवेश के माध्यम से स्थिति को बेहतर किया है। अपनी स्वास्थ्य प्रणाली में रणनीतिक निवेश के माध्यम से भारत पहले ही लाखों लोगों का जीवन बचा चुका है और लाखों अन्य लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त किया है।

वर्ष 2000 से भारत ने पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 70 प्रतिशत की कमी तथा नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में 61 प्रतिशत की कमी हासिल की है। स्वास्थ्य कवरेज बढ़ाने, मौजूदा स्थिति को सुधारने और स्वास्थ्य ढांचे तथा मानव संसाधन विकसित करने के लिए किए गए उपायों के कारण ऐसा संभव हुआ है।

इन उपायों से बची लाखों बच्चों की जिंदगी

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्येक गर्भवती महिला मुफ्त प्रसव की हकदार है और शिशु देखभाल संस्थानों में मुफ्त परिवहन, दवाएं, निदान और आहार इसमें सहायता प्रदान करती है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए भारत ने प्रसूति प्रतीक्षा गृहों, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग, बीमार नवजात की देखभाल, मातृ देखभाल और जन्म दोष जांच के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। इससे हर साल लाखों स्वस्थ गर्भधारण और जीवित बच्चों का जन्म सुनिश्चित होता है। भारत ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए दाइयों और कुशल प्रसव सहायकों के प्रशिक्षण तथा तैनाती को भी प्राथमिकता दी है।

  • 2020 में भारत में शिशु मृत्यु दर (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर) 29.85 थी।
  • 2025 में भारत में शिशु मृत्यु दर (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर) 24.98 होगी।
  • 2000 में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में खसरे से होने वाली मृत्यु दर के मामले में भारत सबसे आगे था।
  • केवल 56 प्रतिशत शिशुओं को खसरे का टीका लगाया गया था और खसरे से 1.89 लाख शिशुओं की मृत्यु हुई थी।
  • 2023 तक शिशुओं में खसरे के टीकाकरण की दर बढ़कर 93 प्रतिशत हो गई थी
  • इस बीमारी के कारण पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में खसरे से संबंधित मृत्यु दर 97 प्रतिशत घटकर 5,200 रह गई थी।

यह भी पढ़ें: कंपनियों के खराब कस्टमर सर्विस से ग्राहक परेशान, रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे; पढ़िए पूरी Report

Categories: Hindi News, National News

Top MS-13 gang leader arrested in US

Business News - March 27, 2025 - 9:28pm
Categories: Business News

कंपनियों के खराब कस्टमर सर्विस से ग्राहक परेशान, रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे; पढ़िए पूरी Report

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 8:56pm

पीटीआई, नई दिल्ली। एआई एजेंट और चैटबॉट्स ग्राहक सेवा का अभिन्न अंग बनते जा रहे हैं, फिर भी वे ग्राहक सेवा की प्रतीक्षा अवधि को कम नहीं कर पा रहे हैं। सर्विसनाउ कस्टमर एक्सपीरियंस के एक सर्वेक्षण में इसकी जानकारी सामने आई है।

सर्वेक्षण में पता चला है कि भारतीय उपभोक्ताओं ने 2024 में ग्राहक सेवा में शिकायत दर्ज कराने के लिए 15 अरब घंटे से अधिक समय खर्च किए। ग्राहकों की बढ़ती अपेक्षाओं और ग्राहक सेवा की वास्तविकता के बीच बढ़ते अंतर का विश्लेषण करने के लिए सर्वेक्षण में 5,000 उपभोक्ताओं और 204 ग्राहक सेवा एजेंटों को शामिल किया गया।

खत्म होता जा रहा है धैर्य

सर्वेक्षण में उपभोक्ताओं ने कहा कि अब उनका धैर्य खत्म होता जा रहा है। 89 प्रतिशत उपभोक्ता खराब सेवा के कारण ब्रांड बदलने की तैयारी कर रहे हैं। 84 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि वे खराब सेवा अनुभव के बाद ऑनलाइन या इंटरनेट मीडिया पर नकारात्मक समीक्षा छोड़ कर अपनी भड़ास निकालते हैं।

ग्राहक सेवा की कमी को पूरा करने तथा दक्षता की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए बदलाव करने को इच्छुक व्यवसायों के पास दो ही विकल्प हैं, एआई संचालित दक्षता को अपनाएं या ग्राहक निष्ठा खोने का जोखिम उठाएं।

- सुमीत माथुर, सर्विसनाउ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक

रिपोर्ट के अनुसार 80 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता अब शिकायत की स्थिति की जांच करने और उत्पाद से जुड़ी जानकारी के लिए एआई चैटबॉट पर निर्भर हैं, फिर भी वही उपभोक्ता सामूहिक रूप से हर साल 15 अरब घंटे प्रतीक्षा में बिताते हैं। हालांकि इस क्षेत्र में पहले की तुलना में मामूली प्रगति भी दर्ज की गई है।

ग्राहकों में बढ़ रही निराशा
  • 2023 की तुलना में 2024 में ग्राहकों ने किसी समस्या के समाधान के लिए 3.2 घंटे कम समय बिताया है। यह ग्राहकों की अपेक्षाओं और सेवा वितरण के बीच बड़े अंतर को दर्शाता है। इससे ग्राहकों में निराशा बढ़ रही है।
  • सर्वेक्षण मे सामने आया है कि 39% उपभोक्ताओं को होल्ड पर रखा जाता है। 36% को बार-बार स्थानांतरित किया जाता है। 34% का मानना है कि कंपनियां जानबूझकर शिकायत प्रक्रिया को जटिल बनाती हैं।
  • यह भी पढ़ें: गूगल से सावधानीपूर्वक उठाएं Customer Care नंबर, जालसाज कई लोगों को बना चुके हैं शिकार

Categories: Hindi News, National News

Pages

Subscribe to Bihar Chamber of Commerce & Industries aggregator

  Udhyog Mitra, Bihar   Trade Mark Registration   Bihar : Facts & Views   Trade Fair  


  Invest Bihar