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सीजफायर पर क्यों बना सस्पेंस? मलिल्कार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, सचिन पायलट ने भी उठाए सवाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक हुए सीजफायर से हर कोई हैरान है। सीजफायर को लेकर विपक्ष के मन में भी कई तरह के सवाल हैं, जिसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर हमले का पूरे विपक्ष ने समर्थन किया है। हालाकि, 4 दिन के संघर्ष के बाद अचानक लागू हुए सीजफायर पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।
संसद सत्र बुलाने की अपीलकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को पत्र लिखते हुए संसद का स्पेशल सेशल बुलाने की अपील की है, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर पर सबकुछ साफ हो सके।
मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने पत्र में लिखा-
आदरणीय प्रधानमंत्री, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी मैंने आपको संसद सत्र बुलाने से संबंधित पत्र लिखा था। अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद मैं पूरे विपक्ष की तरफ से फिर आपसे गुजारिश करता हूं कि पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिका के द्वारा सीजफायर की घोषणा पर बातचीत के लिए संसद का स्पेशल सेशन बुलाया जाए।
Congress President and Leader of Opposition in Rajya Sabha Mallikarjun kharge writes to PM Modi, reiterating the Opposition's unanimous request for a special session of Parliament to discuss the Pahalgam terror attack, Operation Sindoor and the ceasefire announcements—first by… pic.twitter.com/kVFkxmevhe
— ANI (@ANI) May 11, 2025 सचिन पायलट ने सेना के सराहाकांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, "22 अप्रैल को भारत पर जो आतंकी आक्रमण हुआ, उसका बदला लेने के लिए पूरे देश ने सरकार को समर्थन दिया। हमारी सेना ने आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया है। उसके लिए हमें उनपर गर्व है।
सरकार अपना मत स्पष्ट करे: सचिन पायलटपाकिस्तान ने सीजफायर होने के बाद जो बमबारी की है वो चिंता का विषय है और उसकी घोषणा अमेरिका के माध्यम से हो रही है। वो कश्मीर पर चर्चा की बात करते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार अपना मत स्पष्ट करे। सीजफायर की बात अमेरिका के माध्यम से क्यों हो रही है? हमने हमेशा कहा है कि PoK भारत का हिस्सा है, उसपर कोई समझौता नहीं हो सकता है"
#WATCH | Delhi | Congress leader Sachin Pilot says, "In the 1971 war, America said that we are deploying the 7th Fleet in the Bay of Bengal, but despite that, our leader, Indira Gandhi, did what was in the supreme national interest. Today, we remember her as a leader for whom… pic.twitter.com/OWvqoMzyAQ
— ANI (@ANI) May 11, 2025 विदेश सचिन ने किया था साफबीते दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने का दावा किया था। इसके बाद भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान साफ किया कि पाकिस्तान के DGMO ने भारत में फोन करके युद्ध विराम का प्रस्ताव दिया था
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'1971 और 2025 के हालात अलग', कांग्रेस के इंदिरा गांधी कैंपेन के बीच ये क्या बोल गए शशि थरूर?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौते को लेकर अब राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। PAK के साथ हुए इस संघर्ष की तुलना 1971 में हुए युद्ध से की जा रही है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस जारी है। इस बहस के बीच अब कांग्रेस नेता शशि थरूर का एक बड़ा बयान सामने आया है।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि 1971 और 2025 के हालात एक जैसे नहीं हैं। दरअसल कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1971 के नेतृत्व को उभारते हुए मोदी सरकार के युद्ध नीति की आलोचना करने शुरू कर दी है।
'हमारे लिए शांति जरूरी है'अब समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद से कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर दिखाए गए इंदिरा गांधी अभियान के बारे में सवाल किए गए। अभियान पर सीधे टिप्पणी किए बिना थरूर ने जवाब दिया,
'मेरे हिसाब से सच्चाई यह है कि हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां तनाव बेवजह नियंत्रण से बाहर हो रहा है। हमारे लिए शांति जरूरी है। सच्चाई यह है कि 1971 के हालात 2025 के हालात जैसे नहीं हैं। दोनों में अंतर है।'
'मैं ये नहीं कह रहा कि युद्ध बंद...'शशि थरूर ने आगे कहा, भारत के लोग शांति के हकदार हैं। हमने बहुत कुछ सहा है, पुंछ के लोगों से पूछिए, कितने लोग मारे गए हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें युद्ध बंद कर देना चाहिए। जब उन्हें जारी रखने के कारण हों, तो हमें जारी रखना चाहिए। लेकिन यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे। हम बस आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते थे। वह सबक सिखाया जा चुका है।
रातों रात नहीं पकड़े जाते आतंकवादी-शशि थरूरशशि थरूर का मानना है उन्हें भरोसा है कि सरकार पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने की कोशिश जारी रखेगी, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।शशि थरूर अपने बयान में आगे कहा- यह रातों-रात नहीं हो सकता, इसमें महीनों, सालों लग सकते हैं, लेकिन हमें यह करना होगा। किसी को भी निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पूरे देश को एक लंबे युद्ध में खतरे में डाल दें।
जहां तक पाकिस्तान के साथ इस विशेष संघर्ष का सवाल है, तो और अधिक जान, अंग और संपत्ति को जोखिम में डालने का कोई कारण नहीं है। हमें भारतीय लोगों की समृद्धि, कल्याण विकास और प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि इस समय शांति ही सही रास्ता है।
1971 की लड़ाई पर क्या बोले शशि थरूर?शशि थरूर ने आगे भारत और बांग्लादेश के बीच हुई 1971 की लड़ाई का विस्तार से जिक्र किया। शशि थरूर ने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत लोगों को आजादी दिलाने के लिए नैतिक लड़ाई लड़ रहा था। यह एक अलग कहानी है। हम दोनों पक्षों के लोगों की जान जाने के साथ एक बहुत लंबे, लंबे संघर्ष में फंस जाते। क्या आज भारत के लिए यह सबसे बड़ी प्राथमिकता है? नहीं, यह नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा है- हम उन लोगों को सिखाना चाहते थे जिन्होंने इन आतंकवादियों को भेजा था कि उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। कांग्रेस नेता ने आगे ये भी कहा कि 1971 की जीत एक महान उपलब्धि थी जो मुझे एक भारतीय के रूप में गौरवान्वित करती है।
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Zelenskyy expects Russia to commit to ceasefire, says 'ready' for talks - The Hindu
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- It is a positive sign that the Russians have finally begun to consider ending the war. The entire world has been waiting for this for a very long time. And the very first step in truly ending any war is a ceasefire. There is no point in continuing the killing even for a si x.com
- Kremlin Focuses On 2022 Draft Deal For Proposed Russia-Ukraine Peace Talks NDTV
Bihar News: बिहार में 3758 करोड़ रुपये की लागत से बनेंगे पुल, वार्षिक कार्ययोजना के तहत मिली मंजूरी
राज्य ब्यूरो, पटना। पुलों के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बिहार की वार्षिक कार्ययोजना 2025-26 के तहत 3758 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। दिलचस्प यह है कि अकेले तीन प्रोजेक्ट के लिए ही 3500 करोड़ रुपये का आवंटन है। शेष राशि पांच परियोजनाओं के बीच बंटी है। जिन पुलों के लिए वार्षिक कार्ययोजना के तहत राशि मिली है उनमें एक पटना का है।
सबसे अधिक 1800 करोड़ रुपये गंडक पर नए पुल के निर्माण के लिएपुलों के निर्माण के लिए वार्षिक कार्य योजना के तहत जो राशि आवंटित की गई है उनमें सबसे अधिक राशि गंडक पर नए पुल के निर्माण को मिली है। गंडक नदी पर बेतिया से यूपी के सेवराही (एनएच 727एए) के बीच एप्रोच रोड सहित 20 किमी लंबे पुल का निर्माण किया जाना है। इसके लिए 1800 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
पटना में एक प्रोजेक्ट के लिए 1308 करोड़वार्षिक कार्ययोजना के तहत पटना के एक प्रोजेक्ट के लिए 1308 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। अनिसाबाद से पटना एम्स के बीच 10 किमी लंबे एलिवेटेड कारिडोर के लिए 1308 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
कमला नदी पर फोर लेन पुल के निर्माण के लिए 400 करोड़एनएच 227 (पुराना एनएच 104) पर कमला नदी पर दो किमी लंबाई में फोर लेन पुल के निर्माण के लिए 400 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
पांच परियोजनाएं ऐसी जिनमें एक के लिए भी सौ करोड़ नहींजिन पांच अन्य पुल परियोजनाओं के लिए वार्षिक कार्ययोजना के तहत राशि आवंटित की गई है उनमें एक भी प्रोजेक्ट ऐसा नहीं है, जिसके लिए सौ करोड़ की राशि आवंटित हुई है।
एनएच 333 ए पर नारायणा ब्रिज को दुरुस्त करने के लिए 50 करोड़, एनएच 333 ए पर ही मांगोबंदर पुल को दुरुस्त करने को 50 करोड़, एनएच 333 ए पर ही सती घाट पुल के लिए 10 करोड़, एनएच 322 पर मगरदाही घाट पुल के निर्माण के लिए 65 करोड़ तथा एनएच 131 पर कटया हाइडल पर पुल निर्माण के लिए 75 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। सभी पुलों का निर्माण ईपीसी मोड में कराया जाएगा।
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भारतीय सेना में कैसे बनते हैं DGMO? चयन की प्रक्रिया है काफी कठिन; लाखों में होती है सैलरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई से छटपटाए पाकिस्तान ने भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात और राजस्थान में ड्रोन्स के जरिए हमला करने की कोशिश की थी। हालांकि, भारतीय सेना ने डिफेंस सिस्टम की मदद से पाक ने 'नापाक' इरादों को ध्वस्त कर दिया था और सारे ड्रोन्स को नष्ट कर दिया था।
फिलहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का एलान हो चुका है और शनिवार शाम 5 बजे से दोनों देशों ने संघर्ष विराम की घोषणा की है। सीजफायर की खबरों के बीच सेना के DGMO (Director General Of Military Operations) को लेकर खूब चर्चा हो रही है।
दरअसल, विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी देते हुए बताया था कि पाकिस्तान के DGMO ने कॉल करके संघर्ष विराम पर सहमति जताने की बात की थी। इसके बाद से ही DGMO के पद को लेकर लोगों में काफी ज्यादा उत्साह है। आईए जानते हैं, कौन होते हैं DGMO, कैसे होता है इनका चयन और कितनी होती है इनकी सैलरी...
भारतीय सेना में DGMO कौन होता है?
भारतीय सेना का एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल 3-स्टार रैंक का अधिकारी DGMO होता है। इनका काम सेना के बड़े ऑपरेशन की प्लानिंग करना है। DGMO सीधे सेना प्रमुख (Army Chief) को रिपोर्ट करते हैं और सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बैठाते हैं।
DGMO के मुख्य काम
- भारतीय सेना में DGMO की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है और इनका काम युद्ध, आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशंस और शांति मिशनों की रणनीति बनाना होता है।
- साथ ही, लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पर तनाव कम करना, गोलीबारी रुकवाना, सैन्य खुफिया जानकारियों को समझना और सेना को तैयार रखना भी DGMO के मुख्य कार्यों में से एक है।
- पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने जब पाकिस्तान और पीओके में 'ऑपरेशन सिंदूर' किया था, तब DGMO ने ही पाकिस्तानी DGMO से बात कर तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई थी।
कितनी होती है DGMO की सैलरी?
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के लिए 7वें वेतन आयोग के हिसाब से बेसिक सैलरी ₹1,82,200 से ₹2,24,100 प्रति माह तक मिलती है। इतना ही नहीं, DGMO को अन्य कई तरह के भत्ते भी मिलते हैं। कुल मिलाकर इनकी सैलरी ₹2.5 लाख से लेकर ₹3 लाख प्रति माह तक होती है। इसके अलावा घर, मेडिकल सुविधाएं आदि मिलती है।
पाकिस्तान सेना में कौन होता है DGMO?
भारत की तरह पाकिस्तान की सेना में भी DGMO एक सीनियर अफसर होता है, जो ज्यादातर मेजर जनरल रैंक का होता है। कभी-कभी लेफ्टिनेंट जनरल को भी DGMO बनाया जाता है।
- पाकिस्तान का DGMO सैन्य ऑपरेशंस की प्लानिंग करता है और सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है।
- इसका काम भी LoC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सैन्य गतिविधियों को संभालना होता है।
- पाकिस्तान में DGMO बनने की प्रक्रिया भारत जैसी ही है।
- यह पद मेजर जनरल रैंक के उन्हीं अफसरों को मिलता है,जिन्होंने LoC या आतंकवाद-रोधी ऑपरेशंस में काम किया हो।
- पाकिस्तान के DGMO का चुनाव भी सेना प्रमुख और जनरल हेडक्वार्टर्स (GHQ)मिलकर चुनते हैं।
India Pakistan Ceasefire: क्या होता है सीजफायर? आसान भाषा में समझें इसका पूरा मतलब
जागरण डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर (Ceasefire) हो गया है। जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान की सेना एक दूसरे के खिलाफ किसी तरह की गोलाबारी या हमला नहीं करेंगे। इस दौरान एक शब्द हर किसी चर्चा में आ गया है, सीजफायर।
आखिर क्या होता है सीजफायर (What is Ceasefire) और दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति में ये किस तरह से काम करता है। इसकी पूरी डिटेल्स आइए इस लेख में पढ़ते हैं।
क्या होता है सीजफायर?भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालातों को देखते हुए सीजफायर की घोषणा की गई है। दरअसल, सीजफायर का असली मतलब दो देशों के बीच सीजफायर होता है। इसके लागू होने के तुरंत बाद से दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष पर अस्थाई और स्थाई तौर पर रोक लग जाती है। इसके अतिरिक्त सीजफायर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ऑक्सफोर्ड पब्लिक इंटरनेशनल लॉ की आधिकारिक साइड और कैम्ब्रिज डिक्शनरी के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
फोटो क्रेडिट- जागरणये भी पढ़ें- भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का एलान, विदेश सचिव बोले- 12 मई को फिर बात करेंगे DGMO
सीमा पर आक्रामक कार्रवाई को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। खासबात ये है कि इसमें किसी भी तरह की संधि की जरूरत नहीं होती है, बल्कि इसके लागू होना फैसला दोनों देशों की आपसी सहमति पर निर्भर रहता है।
सीजफायर लागू होने के बाद क्या होता है?-
सीजफायर लागू होने के बाद दोनों देशों के बीच जारी सैन्य कार्रवाई पर अस्थाई और स्थाई तौर पर रोक लग जाती है।
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दोनों देशों के जरिए आपसी तनाव खत्म करने के लिए समय और दायरे सहित शर्तों पर सहमति व्यक्त की जाती है।
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सीजफायर लागू करने के लिए सैन्य कमान शृंखला में निर्देश दिए जाते हैं।
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युद्ध विराम को लागू करने के लिए सैन्य कमान की श्रृंखला में निर्देश दिए जाते हैं। सीजफायर लागू होने में महानिदेशक मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) भी अहम भूमिका अदा करते हैं।
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इसके पूर्ण अनुपालन की जांच करने के लिए निगरानी व्यवस्था भी की जा सकती है।
इस वक्त सीजफायर और युद्धविराम को एक साथ जोड़कर भी देखा जा रहा है। लेकिन इसमें भी काफी अंतर है। दरअसल युद्धविराम उस वक्त कहा जाता है कि जब दोनों देशों के बीच पहले से ही युद्ध की घोषणा की गई हो। भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसा नहीं हुआ है और इस संघर्ष को आपसी तनाव की तरह देखा गया।
इसके लिए सीजफायर करके दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई पर रोक लगाई गई है। इसे सीमा युद्धविराम कहा जा सकता है, क्योंकि जब दो देशों का संघर्ष किसी भी नतीजे पर न पहुंचे तो ऐसी स्थिति में दोनों देश एक समझौता करते हैं और सीमा पर जारी आपसी संघर्ष पर कुछ वक्त के लिए लगाम लगाए रखने पर सहमति प्रदान करते हैं। भारत और पाकिस्तान का सीजफायर भी कुछ इसी तरह का माना जा रहा है।
भारत बनाम पाक सीजफायरभारत और पाकिस्तान के आपसी मतभेद का इतिहास काफी पुराना है। आजादी के एक साल बाद 1948 में पहली बार दोनों देश जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर आमने-सामने आए थे। बताया जाता है कि उस वक्त 1 जनवरी 1949 को पहला औपचारिक सीजफायर हुआ था। इसके बाद का विस्तार इस प्रकार से है-
1965 युद्धभारत और पाकिस्तान की सेनाएं 1965 में एक बार फिर से युद्ध के मैदान में आमने-सामने आई थीं। उस वक्त सोवियत संघ और संयुक्त राज्य (अमेरिका) के हस्तक्षेप के बाद दोनों देशों की आपसी सहमति के बाद सीजफायर का एलान हुआ था।
1971 और 1999 में भारत की जीतभारत और पाकिस्तान के बीच 1971 और 1999 कारगिल युद्ध हुए थे। इन दोनों संघर्षों में भारतीय सेना की विजय हुई। 71 की लड़ाई में सोवियत संघ यानी रूस ने भारत की सहायता कर दुनिया के सामने ये साबित कर दिया था कि अन्य कोई भी देश भारत की तरफ आंख उठाकर भी न देखे।
भारत-पाकिस्तान तनाव 202522 अप्रैल को जम्मू एंड कश्मीर के पहलगाम में हुआ आंतकी हमले के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 7 मई एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान और POK में 9 आंतकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।
8-9 मई को पाकिस्तान ने भारत के सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी और ड्रोन से हमले की कायराना हरकत की। जिसका भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने मुंहतोड़ जवाब दिया और 10 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान 4 एयरबेस ठिकानों को उड़ा दिया।
कई बार हुआ सीजफायर का उल्लघंनऐसा नहीं है कि सीजफायर के एलान के बाद पाकिस्तान ने कभी इसका उल्लंघन नहीं किया है। इतिहास इस बात का गवाह है कि सीजफायर के बाद समय-समय पर पाकिस्तानी सेना लॉइन ऑफ कंट्रोल पर सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है। 2021 से पहले ये नजारा कई बार देखने को मिला था।
लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सीजफायर उल्लघंन को लेकर विस्तार से जानकारी साझा की थी।
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साल 2018- 2140 बार सीजफायर उल्लघंन
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साल 2019- 3479 बार सीजफायर उल्लघंन
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साल 2020- 5133 बार सीजफायर उल्लघंन
जबकि इंडियन आर्मी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 से लेकर 2024 के दौरान सिर्फ तीन बार ऐसा हुआ है कि LOC पर महज तीन बार सीजफायर का उल्लघंन हुआ है।
विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी10 मई मई को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बात की आधिकारिक जानकारी दी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की पुष्टि की है। हालांकि, आतंकवाद के बाद खिलाफ देश के सख्त रवैये पर अडिग रहने की बात भी कही है। इस मामले को लेकर 12 मई को एक फिर से अहम बातचीत होगी।
Source: ऑक्सफोर्ड पब्लिक इंटरनेशनल लॉ की आधिकारिक वेबसाइट
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'ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है', भारतीय वायुसेना का बड़ा बयान; कहा- 'हमने अपने लक्ष्य पूरे किए'
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 7 मई की रात पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकियों के 9 ठिकानों पर कहर बनकर टूटे भारतीय वायुसेना ने पहलगाम में आतंकियों द्वारा मारे गए निर्देष लोगों की मौत का बदला लिया। इसे 'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम दिया गया था।
भारत पाकिस्तान में हुआ सीजफायर
फिलहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का एलान हो चुका है और दोनों तरफ से सबकुछ बिल्कुल शांत है। इस बीच भारतीय वायुसेना की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर ऑपरेशन सिंदूर के बारे में और अधिक जानकारी दी है।
वायुसेना ने किया पोस्ट
वायुसेना ने पोस्ट में लिखा, "भारतीय वायु सेना (IAF) ने ऑपरेशन सिंदूर में अपने सौंपे गए कार्यों को सटीकता और व्यावसायिकता के साथ सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। ऑपरेशन राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप सोच-समझकर और विवेकपूर्ण तरीके से संचालित किए गए।"
The Indian Air Force (IAF) has successfully executed its assigned tasks in Operation Sindoor, with precision and professionalism. Operations were conducted in a deliberate and discreet manner, aligned with National Objectives.
Since the Operations are still ongoing, a detailed…
पोस्ट में यह भी जानकारी दी गई कि ऑपरेशन अभी भी जारी है। वायुसेना ने लिखा, "चूंकि ऑपरेशन अभी भी जारी है, इसलिए समय रहते विस्तृत जानकारी दी जाएगी। IAF सभी से अपील करता है कि वे अटकलें लगाने और असत्यापित जानकारी के प्रसार से बचें।"
सीजफायर के बाद पीएम मोदी की हाई लेवल मीटिंग, तीनों आर्मी चीफ, अजीत डोभाल समेत राजनाथ सिंह रहे मौजूद
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, तीनों सेनाओं के प्रमुख, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान मौजूद रहे।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सीजफायर के बाद की स्थिति का आकलन करना था। बैठक में पाकिस्तान के तरफ से भेजे गए ड्रोन और मिसाइलों की घटनाओं पर भी चर्चा हुई। ये पिछले 24 घंटों में प्रधानमंत्री के साथ हुई तीसरी उच्च स्तरीय बैठक थी।
क्या बोले विदेश मंत्री जयशंकर?विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत ने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद के खिलाफ लगातार दृढ़ और अडिग रुख अपनाया है और ऐसा करना जारी रखेगा।
सीजफायर पर ट्रंप का एलानबता दें कि संघर्ष विराम की घोषणा सबसे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी, उन्होंने कहा था, भारत और पाकिस्तान संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच कल संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी, उसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघर कर सीमा पार से एलओसी से लेकर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी शुरू कर दी।
पाकिस्तान ने किया था सीजफायर का उल्लंघनभारत ने इसके बाद तुरंत जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र में ड्रोन और मिसाइल भेजना बंद कर दिया। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, गुजरात के कुछ हिस्सों और राजस्थान के बाड़मेर सहित कई स्थानों पर पाकिस्तानी ड्रोन देखे गए और उन्हें रोका गया। कई सीमावर्ती क्षेत्रों में फिर से ब्लैकआउट करना पड़ा। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया।
भारत ने सीजफायर उल्लंघन को गंभीरता से लिया-विक्रम मिसरीइसके बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को देर रात प्रेस ब्रीफिंग की। प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने इन उल्लंघनों को बहुत- बहुत गंभीरता से लिया है। वहीं भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर पाकिस्तान की तरफ से भारत में कोई भी आतंकी गतिविधि होगी तो उसे एक्ट ऑफ वार माना जाएगा। फिलहाल अभी स्थिति सामान्य बनी हुई है।
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Iran, US begin 4th round of talks in Oman, with focus on uranium enrichment - The Times of Israel
- Iran, US begin 4th round of talks in Oman, with focus on uranium enrichment The Times of Israel
- Iran says fourth round of ‘difficult’ nuclear talks with US ends in Oman Al Jazeera
- Iran and US talks upbeat despite disagreement over uranium enrichment The Guardian
- Iran and the US conclude a 4th round of negotiations over Tehran's nuclear program in Oman Times of India
- Iran, US nuclear talks end in Oman, next round to be announced Reuters
'उनकी युद्ध नीति बहुत अच्छी है', ऑपरेशन सिंदूर पर पी चिदंबरम ने की पीएम मोदी की तारीफ; जानें और क्या कहा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद शनिवार को आखिरकार सीजफायर का एलान कर दिया गया है। फिलहाल दोनों देशों की सीमाओं पर शांति है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक कॉलम काफी ज्यादा सुर्खियों में आ गया है।
अपने लेख में की पीएम मोदी की तारीफ
अपने इस कॉलम में चिदंबरम ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युद्ध नीति की जमकर तारीफ की है और भारत द्वारा पाकिस्तान को दिए गए जवाब को 'बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित' बताया है।
उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद देश में बदला लेने की आवाजें तेज थीं, लेकिन सरकार ने सीमित सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुनकर एक बड़ा युद्ध टाल दिया।
पी चिदंबरम ने कहा कि सैन्य कार्रवाई सीमित और सुनियोजित थी, जिसका उद्देश्य आतंकी संगठनों की बुनियादी ठांचे को नष्ट करना था। उन्होंने अपने लेख में पीएम मोदी के इस कदम को समझदारी भरा बताया। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि भारत ने पूर्ण युद्ध की स्थिति को टालते हुए वैश्विक स्थिरता को प्राथमिकता दी।
पीएम मोदी के किन शब्दों की तारीफ की?
अपने लेख में चिदंबरम ने 2022 में पीएम मोदी द्वारा व्लादिमीर पुतिन को बोले गए शब्दों का भी जिक्र किया, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि 'यह युद्ध का युग नहीं है'। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के यह शब्द आज भी दुनिया को याद हैं और यही वजह है कि कई देशों ने भारत को निजी तौर पर युद्ध न करने की सलाह दी।
पी चिदंबरम ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं और पूर्ण युद्ध न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक अस्थिरता पैदा कर सकता था। रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा के संघर्षों को उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया अब युद्ध को बर्दाश्त नहीं कर सकती है।
चार दिन में कैसे घुटनों पर आया पाकिस्तान? 5 प्वाइंट्स में समझें भारत-पाक सीजफायर के पीछे की कहानी
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