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केरल तट के पास लाइबेरिया का शिप दुर्घटनाग्रस्त, समंदर में गिरे तेल के कंटेनर; कोच्चि में अलर्ट जारी
पीटीआई, तिरुअनंतपुरम। तेल ले जा रहा लाइबेरियाई कंटेनर जहाज शनिवार को केरल तट से 38 समुद्री मील (लगभग 70 किमी) दूर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। करीब 10 कंटेनर समुद्र में जा गिरे। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) ने लोगों को चेतावनी दी है कि अगर कंटेनर या तेल रिसाव किनारे तक पहुंचे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
कंटेनरों में वीएलएसएफओ (वेरी लो सल्फर फ्यूल) और एमजीओ (मरीन गैस आयल) है। 184 मीटर लंबा जहाज एमएससी एल्सा-3 शुक्रवार को विजिंझम बंदरगाह से कोच्चि के लिए रवाना हुआ था। 24 मई दोपहर करीब 1.25 बजे भारतीय अधिकारियों को सूचना दी गई कि जहाज करीब 26 डिग्री तक झुक गया है और तत्काल सहायता मांगी गई।
तटरक्षक बल कर रहा रेस्क्यूतटरक्षक बल बचाव कार्यों का समन्वय किया। तटरक्षक बल ने एक्स पर पोस्ट किया, जहाज पर सवार चालक दल के 24 सदस्यों में से 21 को बचा लिया गया है। बचाव अभियान जारी है। भारतीय तटरक्षक बल के विमानों ने जहाज के पास अतिरिक्त जीवनरक्षक नौकाएं उतारीं।
बचाव अभियान में चालक दल के सदस्यों को चिकित्सा सहायता भी प्रदान की गई। जहाज के चालक दल में फिलीपींस के 20, रूस का एक, यूक्रेन का दो और जार्जिया का एक व्यक्ति शामिल है।
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FinMin makes push for faster debt recovery
Covid-19: देश में पैर पसार रहा कोरोना, ठाणे-बेंगलुरु में एक-एक मरीज की मौत; कई राज्यों में मामले बढ़े
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना एक बार फिर अपने पैर पसार रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को महाराष्ट्र के ठाणे और बेंगलुरु में एक-एक कोरोना मरीज की मौत हो गई। 24 मई तक, ठाणे में कुल 18 सक्रिय कोविड-19 मरीज हैं। उनमें से केवल एक का अस्पताल में इलाज चल रहा है जबकि अन्य घर पर ही आइसोलेशन में हैं। सभी की हालत स्थिर बताई गई है।
इन राज्यों में हुई मौतठाणे नगर निगम की विज्ञप्ति में कहा गया है कि गंभीर मधुमेह से पीड़ित 21 वर्षीय व्यक्ति कोरोना मरीज की सुबह कलवा में टीएमसी के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में मृत्यु हो गई। वहीं, बेंगलुरु में 84 साल के बुजुर्ग की कोरोना के कारण मौत हो गई। कोरोना वायरस का नया JN.1 वैरिएंट कितना गंभीर है, इसका पता लगाया जा रहा है।
केरल में 273, कर्नाटक में 35 और अकेले बेंगलुरु में 32, दिल्ली में 23 नए मामले दर्ज किए गए, हैदराबाद और नोएडा में एक-एक मामला दर्ज किया गया।
हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर में बढ़े कोरोना मरीजदक्षिण-पूर्व एशिया में भी कोविड-19 के मामले बढ़े हैं। हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर और चीन में हाल ही में कोरोनावायरस के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। भारत में बढ़ते कोविड-19 मामलों को लेकर चिंताएं बढ़ने के साथ, यहां बताया गया है कि नया स्ट्रेन कितना गंभीर है और इससे बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं।
Bihar News: मुंगेर किले का बदला जाए नाम, बीजेपी सांसद ने केंद्र और राज्य सरकार से की मांग
राज्य ब्यूरो, पटना। भाजपा उपाध्यक्ष एवं सांसद डा. भीम सिंह ने राज्य और केंद्र सरकार से मांग की है कि मुंगेर किले का नामकरण सम्राट जरासंध किला के रूप में किया जाए।
सांसद से मुंगेर से आए नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल ने पटना में मुलाकात कर मुंगेर किला के मूलतः मगध सम्राट जरासंध द्वारा निर्मित होने से संबंधित कई प्रमाण एवं दास्तवेज दिखाकर में किला का नाम सम्राट जरासंध कराने में सहयोग की मांग की।
सांसद ने कहा कि वे शिष्टमण्डल की बातों से सहमत हैं और सरकार से मांग करते हैं कि इस संदर्भ में यथोचित कदम उठाते हुए किला की पहचान सम्राट जरासंध किला के रूप में करायी जाए।
इसके लिए सारे सरकारी दस्तावेजों, खासकर पर्यटन मैप में इसका उल्लेख सम्राट जरासंध किला के रूप में किया जाए।
उन्होंने ने कहा कि यह मुद्दा प्राचीन मगध के गौरवशाली इतिहास के साथ साथ चन्द्रवंशी समुदाय के गौरव से भी जुड़ा हुआ है। अतः इसके लिए वे सदन से बाहर और सदन के अंदर भी नाम परिवर्तन के लेकर हर संभव प्रयास करेंगे।
'हर देश का अपना रोड सेफ्टी एक्शन प्लान है, हमारे पास क्यों नहीं', खास बातचीत में बोले अखिलेश श्रीवास्तव
रुमनी घोष, जागरण नई दिल्ली। पिछले साल देशभर में लगभग आठ करोड़ ट्रैफिक चालान जारी किए गए। जिनका कुल जुर्माना लगभग 12,000 करोड़ रुपये था, यानी हर दूसरे वाहन पर कम से कम एक बार जुर्माना लगा है। पैदल चलने वालों के लिए भी फुटपाथ सुरक्षित नहीं रह गया है।
सुप्रीम कोर्ट को बीते सप्ताह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैदल यात्रियों के लिए उचित फुटपाथ सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश देना पड़ा। इससे भी ज्यादा चिंताजनक यह है कि भारत में हर दिन 500 से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं। यह आंकड़ा आतंकी घटनाओं, युद्ध और माओवादी हमलों में मारे जाने वालों से कहीं ज्यादा है।
हाल ही में 147 देशों की भागीदारी वाले इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) के इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष बने अखिलेश श्रीवास्तव इसे राष्ट्रीय आपात स्थिति बताते हुए सवाल करते हैं कि अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, आस्ट्रेलिया जैसे सभी बड़े देशों के पास अपना नेशनल रोड सेफ्टी एक्शन प्लान (राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कार्ययोजना) है, तो भारत के पास क्यों नहीं?
सड़क सुरक्षा, इंटेलिजेंस ट्रांसपोर्ट सिस्टम और डिजिटल गर्वनेंस विशेषज्ञ के तौर पर उनका यह सवाल गंभीर शून्यता को भी उजागर करता है। सड़क सुरक्षा को लेकर आईआरएफ की योजनाएं और लक्ष्य को लेकर दैनिक जागरण की समाचार संपादक रुमनी घोष ने उनसे विस्तार से चर्चा की तो उन्होंने बताया आईआरएफ ने छह मंत्रालयों की जवाबदेही तय करते हुए एकीकृत रोड सेफ्टी एक्शन प्लान का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसे लागू करवाना पहला लक्ष्य है।
'विजन जीरो' के तहत जोधपुर को 2027 तक एक्सीडेंट फैटालिटी फ्री सिटी (दुर्घटना में कोई मौत नहीं) बनाने का पायलट प्रोजेक्ट और अडास, एटीएमएस, सी-वी2एक्स जैसी उन्नत तकनीक के जरिये वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या में 50 प्रतिशत तक कमी लाना अहम प्रोजेक्ट है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व अधिकारी के रूप में फास्टैग और डाटा लेक जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को लागू करने में उनकी अहम भूमिका रही है। विश्व बैंक व वर्ल्ड इकोनमिक फोरम के साथ मिलकर दक्षिण एशियाई देशों में इंटेलिजेंस मोबिलिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने 'बिल्डिंग बियांड इन्फ्रा' और 'एआई इन इन्फ्रास्ट्रक्चर' नामक पुस्तकें लिखी हैं। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंशः
विजन जीरो क्या है?
विजन जीरो सड़क सुरक्षा के कई पहलुओं को जोड़कर बनाया गया है। इसमें सड़क सुरक्षा सबसे पहले है, जिसके तहत वर्ष 2030 तक दुर्घटना में मौतों में 50 प्रतिशत तक कमी आ जाए। इसके अलावा सड़क निर्माण में कार्बन उत्सर्जन शून्य हो। यानी में सस्टेनेबल (टिकाऊ) तकनीक से सड़क निर्माण किया जाए।
सड़क निर्माण में ऐसी चीजों का उपयोग किया जाए, जिससे जीरो या ना के बराबर कार्बन उत्सर्जन हो। इसमें लंबा समय लगेगा और वर्ष 2040 का लक्ष्य रखा गया है। ग्लोबल रोड इंफ्राटेक समिट (ग्रिस) के जरिये सड़क निर्माण कंपनियों व छोटे ठेकेदारों को जोड़कर उन्हें जागरूक व प्रोत्साहित कर रहे हैं।
क्या कोई पायलट प्रोजेक्ट है?
जी, बिल्कुल। जोधपुर में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह देश का पहला एक्सीटेंड फैटालिटी फ्री सिटी होगा। अभी जोधपुर में 1000 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती है। दुर्घटनाएं तो होंगी, उसे रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कोशिश है कि उससे कोई भी मौत नहीं हो। वर्ष 2027 तक इसे पाने का लक्ष्य रखा है।
जोधपुर का ही चयन क्यों किया गया ?
सड़क सुरक्षा पांच 'ई' से जुड़ी हुई है। इंजीनियरिंग, इनफोर्समेंट (प्रवर्तन), एनवायरमेंट (पर्यावरण), एजुकेशन (जागरूकता) और इमजेंसी केयर (आपातकालीन चिकित्सा)। इन पांचों पर एक साथ काम करेंगे तो सड़क सुरक्षा आ जाएगी। इसके लिए जोधपुर विश्वविद्यालय, आर्मी-एयरफोर्स प्रबंधन, एनएचएआइ, जोधपुर एम्स और वर्ल्ड बैंक इस प्रोजेक्ट में साथ काम कर रहे हैं।
एनएचएआइ यहां एआई आधारित एडवांस ट्राफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमएस) लगाने जा रही है। इसमें पूरे शहर में कैमरे लगाए जाएंगे और जो ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले तेज रफ्तार, बिना हेलमेट या सिग्नल तोड़ने वाले वाहन चालकों की पहचान कर उन्हें तुरंत अलर्ट करेगा और चालान भी भेजेगा। इससे पूरे शहर को स्कैन किया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट के लिए जोधपुर को चुनने के तीन प्रमुख कारण है। पहला, शहर में घनी आबादी व गलियों वाला इलाका अन्य शहरों की तुलना में कम है, इससे निगरानी में आसानी हो। दूसरा, यहां विदेशी पर्यटक आते हैं। यदि लक्ष्य पूरा होता है तो सड़क सुरक्षा को लेकर भारत द्वारा उठाए गए कदम का संदेश दुनियाभर में जाएगा। तीसरा, ट्रैफिक नियमों को लेकर जनता तुलनात्मक रूप से जागरूक हैं। परिणाम जल्दी व उत्साहजनक आ सकते हैं।
क्या यह सही है कि दुनिया में दुर्घटनाओं में मौतें घट रही है और भारत में बढ़ रही है?
यह सबसे बड़ी चुनौती है। यूरोपीय संघ ने वर्ष 2010 से 2020 में दुर्घटना मृत्यु दर में 35 प्रतिशत कमी की है, जबकि भारत में इस अवधि में मौतें 15 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। इस पर सबको गंभीरता से सोचना पड़ेगा। अब इन आंकड़ों को देखिए...अमेरिका में सालाना 32 लाख दुर्घटनाएं होती है और मौतें 32 हजार हुई है।
यानी एक प्रतिशत। हमारे यहां 4.50 लाख दुर्घटनाओं में से 1.68 मौतें हुई। यूरोपीय देशों में तो यह आंकड़ा 0.7 प्रतिशत ही है। एशियाई देशों में सिर्फ चीन ने नियंत्रित किया है। वहां यह आंकड़ा सात से आठ प्रतिशत है।
आईआरएफ रोड सेफ्टी एक्शन प्लान का मुद्दा क्यों बार-बार उठा रही है?
दुनिया में सभी बड़े देशों के पास रोड सेफ्टी एक्शन प्लान है। भारत में पास समग्र रोड सेफ्टी एक्शन प्लान नहीं है। दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के आंकड़े कम करना है तो इसे लागू करना ही होगा।
क्या आप लोगों ने कोई पहल की है?
हमारा लक्ष्य है कि देश की हर सड़क का ऑडिट हो। इससे सड़क की तकनीकी खामियां दूर करने के साथ ही शेष चार 'ई' पर भी संयुक्त रूप से काम करना है। पांचों ई पर एक साथ काम होगा, तो वह जगह सुरक्षित हो जाएगी। वर्ष 2021 में एक वैश्विक वेबिनार श्रृंखला की थी। उसमें सड़क निर्माण और तकनीक से जुड़ी दुनियाभर की ख्यात कंपनियों के प्रतिनिधि सहित दुनियाभर के 600-700 प्रतिनिधि जुड़े थे।
इसमें छह सेमिनार रोड इंजीनियरिंग, सातवीं व्हीकल इंजीनियरिंग और पालिसी करेक्शन पर थी। उसके बाद तीन सेमिनार एजुकेशन और मास अवेयरनेस, दो इंफोर्सर्मेंट और आखिरी में आपातकालीन चिकित्सा पर आधारित थी। इनमें आए सुझावों के आधार पर ड्राफ्ट तैयार कर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, शिक्षा विभाग, गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, कानून मंत्रालय के साथ सूचना प्रसारण मंत्रालय के साथ सड़क विकास प्राधिकरण को भी भेजा था।
दुर्भाग्यवश, इतने दिनों बाद भी अभी तक किसी भी मंत्रालय से कोई जवाब, सुझाव या प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हमने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह किया है कि वह संबंधित सभी मंत्रालयों को इस बारे में पत्र लिखें ताकि इसे लागू करवाने की दिशा में काम शुरू हो सके। इसके साथ ही राष्ट्रीय सड़क संरक्षा बोर्ड (एनआरएसबी) बनाने की मांग भी रखेंगे। यह बोर्ड सुरक्षा आडिट मानकों को एकीकृत करेगा। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय करेगा। अडास, एटीएमएस, सी-वी2एक्स जैसी उन्नत इंटेलिजेंस प्रवर्तन तकनीक को बढ़ावा देगा। साथ ही नागरिक केंद्रित डिजाइन, शिक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली (इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम) सुनिश्चित भी करेगा।
दुर्घटनाओं के लिए तकनीकी कारण ज्यादा जिम्मेदार या फिर मानवीय भूल?
मानवीय भूल। देश में सालाना होने वाली 4.8 लाख दर्घघटनाओं में 74-75 प्रतिशत ओवर स्पीडिंग की वजह से होती है। सात से आठ प्रतिशत गलत लेने में जाने की वजह से टक्कर होती है। चार से पांच प्रतिशत शराब पीकर गाड़ी चलाना, सीट बेल्ट व हेलमेट न लगाना, सिग्नल का पालन न करना। इस तरह से 78-80 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती है।
शेष 20 प्रतिशत दुर्घटनाएं तकनीकी खामियों की वजह से है, लेकिन सरकार का सारा फोकस सिर्फ सड़क निर्माण या खामियों पर ही। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में हर वाहन चालक से नियमों का पालन करवाने और उन्हें गलती करने से रोकने के लिए तकनीक का उपयोग करना बेहद जरूरी है। तकनीक नेता या वीआईपी और आम आदमी में अंतर नहीं करती है। इस वजह से लोकतांत्रिक तरीके से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले हर व्यक्ति पर सुबूत के साथ समान रूप से कार्रवाई करेगी।
आईआरएफ से दुनियाभर की रोड कंस्ट्रक्शन कंपनियां जुड़ी हुई है। आरोप लगता है कि आप लोग सड़क निर्माण की गड़बड़ियों पर कम और ट्रैफिक उल्लंघन व वाहन चालकों की गलतियों पर ज्यादा बात करते हैं?
विभाजन से परिणाम नहीं मिलेंगे। समग्रता में सोचना होगा। बतौर अध्यक्ष मैंने चार लक्ष्य तय किए हैं। रोड सेफ्टी एक्शन प्लान, तकनीक आधारित अधोसंरचना व प्रवर्तन प्रणाली, हर किसी के लिए सुरक्षित सड़क अभियान को आंदोलन के रूप में स्थापित करना होगा। हम पश्चिम से प्रभावित होकर सड़कें बनाते हैं। उनके वहां चार पहिया वाहन होते हैं, जबकि भारत में 60 प्रतिशत दो पहिया वाहन हैं। टू व्हीलर व साइकिल के लिए अलग लेन बनाए जाने का प्रस्ताव दिया है। एनएचएआई ने इसे अपनी योजना में शामिल भी कर लिया है।
स्कूल सेफ्टी जोन प्रोजेक्ट क्या है?
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, सालाना होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में नौ से 10 प्रतिशत स्कूलों के आसपास होती हैं। देशभर में लगभग 15 लाख स्कूल हैं हमने दिल्ली के अलावा पांच राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, उप्र, बिहार और असम में एक पायलट प्रोजेक्ट किया है। सभी जगह 10-10 स्कूलों का ऑडिट किया। 78 प्रतिशत स्कूल असुरक्षित पाए गए।
हमारा लक्ष्य है कि दो राज्यों केरल और राजस्थान के एक हजार स्कूलों का ऑडिट हो सके। इसके लिए सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को भी प्रोजेक्ट सबमिट किया है। शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के डेढ़ लाख स्कूलों के आडिट के काम सौंपा है। आईआरएफ का लक्ष्य है कि अगले पांच साल में सभी 15 लाख स्कूलों का आडिट कर रिपोर्ट ऑनलाइन कर दें।
इसके आधार पर स्कूलों की सेफ्टी रैकिंग जारी करेंगे। ताकि देशभर के अभिभावक व बच्चे आनलाइन देख सकें कि उनका स्कूल सुरक्षित जोन में है या नहीं। इससे स्कूल, जिला प्रशासन, नगर निगम व राजनेताओं सहित सभी जवाबदारों पर दबाव बनेगा। उम्मीद है कि इससे दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
सड़क दुर्घटना में लोग बड़ी संख्या में किसी न किसी दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं। उनके बारे में क्या सोचा जाता है?
सड़क दुर्घटना में दिव्यांगता के शिकार होने वालों के लिए यूएस की जान हापकिंस यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। एमओयू हो चुकी है। उन्हें प्रशिक्षित कर काम दिया जाएगा। जिससे वह समाज व परिवार पर बोझ नहीं होंगे। जहां तक आर्थिक बोझ या नुकसान की बात है तो आईआईटी दिल्ली ने एक अध्ययन किया था कि सड़क दुर्घटनाओं की वजह से हर साल 1.85 से 3.1 प्रतिशत जीडीपी का नुकसान हो रहा है।
सरकार ने अगले साल से अडास सिस्टम को मंजूरी दी है। कितना फायदा होगा?
हमारा दावा है कि अडास सिस्टम से 50-60 प्रतिशत दुर्घटनाएं रुक जाएंगी। यह ऐसा डिवाइस है, जिसमें एआइ संचालित दो कैमरे लगे होते हैं। इसमें एक कैमरा गाड़ी के अंदर लगा होता है। इसे ड्राइवर मैनेजमेंट सिस्टम (डीएमएस) कहते हैं। दूसरा कैमरा गाड़ी के बाहर लगा है। यदि गाड़ी सामने से आने वाली किसी गाड़ी से टकराने वाली है, तो बाहर वाला कैमरा वाहन चालक को अलर्ट करेगा।
वहीं, अंदर वाला कैमरा ड्राइवर पर नजर रखता है। झपकी, ओवर स्पीडिंग, सीट बेल्ट नहीं लगाने की स्थिति में यह बार-बार सचेत करता है। एक फीड पुलिस को भी भेजता है। मुंबई की लॉजिलस्टिक कंपनी अग्रवाल पैकर्स एंड मूर्वस ने अपनी गाड़ियों में इसे लगाया है।
दो अर्लट आते ही मुंबई में बनाए गए कंट्रोल रूम से ड्राइवर के पास फोन चला जाता है। कंपनी का दावा है कि 90 प्रतिशत दुर्घटनाएं उन्होंने रोक ली है। एक अप्रैल 2026 के बाद बनने वाली नई मॉडल की हर गाड़ी में अडास लगाना अनिवार्य होगा। पुराने माडल की जो गाड़ियां 1 अप्रैल 2026 के बाद निर्मित होंगी, उनमें भी यह लगाना होगा।
सुना है डीआरडीओ के साथ भी काम कर रही है आइआरएफ। क्या प्रोजेक्ट है?
दुर्घटनाओं में 75 प्रतिशत मौतें 15 से ५5 साल के बीच की होती हैं। इनमें से भी 48 प्रतिशत मौतें दो पहिया वाहन चालकों या पीछे बैठने वालों की होती है। 15 प्रतिशत पैदल चलने वाले यात्रियों की हैं। इनके लिए स्मार्ट हेलमेट बनाया है। जब तक वह हेलमेट नहीं पहनेंगे, तब तक टू व्हीलर चालू नहीं होगी। आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर टू व्हीलर एयर बैग तैयार किया है।
दोनों के प्रोटोटाइप बनाकर टेस्ट कर लिए गए हैं और सरकार को रिपोर्ट दे दी गई है। इससे दो पहिया वाहन चालकों की होने वाली मौतों की संख्या को घटने में मदद मिलेगी। इसके अलावा डीआरडीओ की मदद से 'मोटरसाइकिल एंबुलेंस' तैयार करवाई है।
मोटरसाइकिल के साथ अटैच एक छोटा सा यूनिट होगा, जिसमें आईसीयू की सभी सुविधाएं मौजूद होंगी। आने वाले समय में हाईवे पर हर 10 किमी पर इसे तैनात कर दुर्घटनाग्रस्त लोगों को तुरंत प्राथमिक उपचार उपलब्ध करवाया जा सकता है। प्रोटोटाइप ट्रायल दोनों हो चुके हैं।
टैक्स में मिले 50% की हिस्सेदारी, जल विवाद का जल्द निपटारा हो... गैर BJP शासित राज्यों ने नीति आयोग की बैठक रखी ये मांगें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शनिवार को नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान देश के अधिकांश राज्यों के सीएम उपस्थित रहे। इस साल हुई नीति आयोग की बैठक का विषय ‘विकसित भारत के लिए विकसित राज्य@2047’ रहा।
वहीं, इस बैठक में पीएम मोदी ने जोर देते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर टीम इंडिया की तरह काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास की गति को बढ़ाने की जरूरत है। वहीं, इस बैठक में गैर बीजेपी शासित राज्यों ने अपनी कई मांगों को केंद्र सरकार के समक्ष रखा।
केंद्रीय टैक्स में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांगइस बैठक के दौरान तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के सामने केंद्रीय करों में राज्यों की 50% हिस्सेदारी की मांग की है। इसके अलावा केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत लंबित धनराशि में से 2,200 करोड़ रुपये जारी करने का आग्रह किया।
पंजाब के लिए भगवंत मान ने केंद्र से की ये मांगवहीं, इस बैठक में पंजाब के सीएम भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर सौतेला व्यवहार का आरोप मढ़ दिया। राज्य के सीएम मान ने कहा कि राज्य के बिगड़ते जल संकट को देखते हुए, सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के विकल्प के रूप में यमुना-सतलुज-लिंक (वाईएसएल) नहर के निर्माण पर विचार किया जाना चाहिए।
इस बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि पंजाब ने बार-बार यमुना जल आवंटन पर बातचीत में शामिल होने की मांग की है, इसके लिए उत्तर प्रदेश के साथ 1954 के समझौते का हवाला दिया है, जिसके तहत तत्कालीन पंजाब को यमुना के दो-तिहाई पानी दिए गए थे। उन्होंने कहा कि समझौते में सिंचाई क्षेत्रों को निर्दिष्ट नहीं किया गया था।
उन्होंने बताया कि रावी और ब्यास नदियों के विपरीत, पंजाब-हरियाणा पुनर्गठन के दौरान यमुना के पानी पर विचार नहीं किया गया था, जबकि नदी मूल रूप से पंजाब से होकर बहती है। इसके अलावा उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध पर सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती पर चिंता जताई और कहा कि पारंपरिक रूप से सुरक्षा का प्रबंधन संबंधित राज्यों द्वारा किया जाता रहा है।
तेलंगाना के सीएम ने की टास्क फोर्स गठित करने की मांगइस बैठक के दौरान तेलंगाना के सीएम ए रेवंत रेड्डी ने देश के छह प्रमुख महानगरों (मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद) की पूरी आर्थिक क्षमता को अनलॉक करने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में प्रमुख राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शामिल करते हुए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव रखा।
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल को संबोधित करते हुए सीएम रेड्डी ने कहा कि शहरों की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए, प्रधानमंत्री और संबंधित मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय स्तर की टास्क फोर्स स्थापित करने की सख्त जरूरत है।
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बिहार में थाने से महिला दारोगा और दो ASI ने चोरी की शराब, पुलिस स्टेशन में मचा हड़कंप
जागरण संवाददाता, पटना। जब्त शराब गायब करने पर पाटलिपुत्र थाने के तीन पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी की गई है। इसके साथ ही तीनों को निलंबित भी कर दिया गया है। इनमें महिला दारोगा आशा कुमारी और एएसआइ पंकज कुमार व राजेश कुमार शामिल हैं।
दूसरे थानों में भी हड़कंप मच गयापंकज मुंशी का काम भी देखते थे। महिला दारोगा पर जब्त शराब को रखने में लापरवाही करने का आरोप है। सिटी एसपी स्वीटी सहरावत ने आरोपितों को निलंबित करने के साथ विभागीय कार्रवाई का भी आदेश दिया है। इस कार्रवाई के बाद से दूसरे थानों में भी हड़कंप मच गया है। गौर हो कि इससे पहले दीघा थाने में ऐसी हरकत की गई थी। इसके बाद बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई थी।
महिला दारोगा ने पकड़ी थी शराब की खेपदरअसल, एक सप्ताह पूर्व महिला दारोगा आशा कुमारी ने शराब की खेप पकड़ी थी। उसे सरिस्ता में रख दिया था। जब मालखाना प्रभारी ने शराब की बाेतलों का मिलान जब्ती सूची से किया तो गिनती में कम आई। इसके बाद मालखाना प्रभारी ने दारोगा और छापेमारी दल में शामिल पुलिसकर्मियों से पूछा तो सभी ने शराब लेकर जाने की बात से इनकार दिया।
कानाफूसी की जानकारी सिटी एसपी को हो गईइसके बाद मालखाना प्रभारी ने कैमरे के फुटेज को खंगाला, जिससे मालूम हुआ कि राजेश ने सरिस्ता से शराब की बोतलें हटाई थीं। वहां पंकज भी मौजूद था। मगर, दोनों ही शराब लेकर जाने की बात से नकार रहे थे। थाने में हो रही कानाफूसी की जानकारी सिटी एसपी को हो गई।
थाने में जाकर पुलिसकर्मियों से किया सवाल-जवाबसिटी एसपी ने भी वीडियो फुटेज देखा और थाने में जाकर सवाल-जवाब किया। इस पर आरोपित पुलिसकर्मियों की कलई खुल गई। स्वयं को घिरता देख आरोपित पुलिसकर्मी वहां से निकल गए। इसके बाद सिटी एसपी के आदेश पर पाटलिपुत्र थाने में ही आरोपित पुलिसकर्मियों के विरुद्ध प्राथमिकी की गई। बाद में तीनों आरोपितों को निलंबित कर दिया गया।
India overtakes Japan to become world's 4th largest economy: NITI Aayog CEO - Business Standard
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