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बिहार से यूपी-झारखंड और छत्तीसगढ़ के छोटे शहरों तक चलेंगी बसें, एक दर्जन से अधिक रूटों को मंजूरी
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के शहरों से उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ के छोटे शहरों व कस्बों के लिए बसों का परिचालन किया जाएगा। इसके लिए एक दर्जन से अधिक रूटों पर स्वीकृति दी गई है।
बिहार राज्य परिवहन प्राधिकार की बैठक में उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अंतरराज्यीय और अंतर्क्षेत्रीय मार्गों पर परमिट की स्वीकृति दी गई।
जानकारी के अनुसार, उत्तरप्रदेश रूट पर पटना से वाराणसी, पटना से देवरिया, पटना से गोरखपुर, बलिया से बक्सर, बलिया से छपरा, बक्सर से वाराणसी रूट पर बस परमिट की स्वीकृति मिली है।
इसी तरह, छत्तीसगढ़ के लिए बोधगया से अंबिकापुर, सासाराम से रायगढ़, पटना से अंबिकापुर, सासाराम से जशपुर, डेहरी आन सोन से जशपुर, डेहरी आन सोन से अंबिकापुर, आरा से जशपुर, दरभंगा से कुनकुरी के रूट पर परमिट की स्वीकृति मिली है।
इसके अलावा, झारखंड रूट पर पटना से हजारीबाग, आरा से बोकारो, बिहारशरीफ से धनबाद आदि रूट पर भी परमिट की स्वीकृति मिली है।
परिवहन विभाग का निर्देश, बीमा क्लेम के लंबित मामले ससमय निबटाएं कंपनियांदूसरी ओर, परिवहन विभाग ने बीमा कंपनियों को निर्देशित किया है, कि वह बीमा क्लेम के लंबित मामले ससमय निबटाएं। इसको लेकर बिहार मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण के सचिव और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों की एक बैठक भी आयोजित की गई। इसमें राज्य परिवहन आयुक्त नवीन कुमार ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे लंबित बीमा क्लेम का जल्द निष्पादन करें।
विभागीय जानकारी के अनुसार, बिहार मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण की ओर से कुल 1016 मामलों में बीमा कंपनियों को 85 करोड़ 38 लाख रुपए का क्लेम आर्डर पास किया गया है। बीमा कंपनियों के स्तर से 494 दावों का निपटारा करते हुए 43.65 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
राज्य परिवहन आयुक्त ने मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण के सचिव को निर्देश दिया है कि अदालतों में हुई सुनवाई के आधार पर दस्तावेजों को तत्परता के साथ संबंधित अधिकारी द्वारा पोर्टल पर अपडेट कराया जाए। बैठक में परिवहन विभाग के संयुक्त सचिव कृत्यानंद रंजन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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भारत ने तुर्किए का रक्षा क्षेत्र में पैर जमाने का सपना किया चकनाचूर, पाक संघर्ष में मारे गए थे सभी ड्रोन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में पीछे से कुछ देश पाकिस्तान की मदद कर रहे थे जिसमें एक देश तुर्किए भी था। जिसकी एक समय भारत ने काफी मदद की थी। तुर्किए ने पाकिस्तान को अपना सबसे खतरनाक बायरकटर टीबी2 ड्रोन भारत के खिलाफ लड़ाई में दिया था लेकिन तुर्किए के इस ड्रोन को भारतीय रक्षा प्रणाली ने चकनाचूर कर दिया।
तुर्किए के रक्षा क्षेत्र में पैर जमाने का सपना भारत ने तोड़ामीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्किए के बहुचर्चित बायरकटर टीबी2 ड्रोन के भारत के साथ लड़ाई में विफल होने के बाद उसकी प्रतिष्ठा को झटका लगा है और जिसके बाद तुर्किए के रक्षा क्षेत्र में पैर जमाने का सपना टूटता दिख रहा है।
भारत के आकाश एयर डिफेंस सिस्टम ने दिखाया कमालस्वदेशी आकाशतीर वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग करते हुए भारतीय सुरक्षा बलों ने मई के संघर्ष में तुर्किए मूल के ड्रोन को मार गिराया, जिसके बाद अब तुर्किए को रक्षा क्षेत्र में काफी संघर्ष करना पड़ रहा है और कई कंपनियां डिब्बा बंद होने की कगार पर हैं।
बायरकटार टीबी2 को भारत ने जमकर मारातुर्किए का बायरकटर टीबी2 ड्रोन यूक्रेन से लेकर लीबिया तक के संघर्षों में क्रांतिकारी हथियार के रूप में प्रचारित किया गया। बायरकटार टीबी2 उतना निर्णायक नहीं था जितना इसके समर्थकों ने दावा किया था। हाल ही में, रूस ने बायरकटार के हमले को रोकने सफलता प्राप्त की, जिसके बाद जेलेंस्की हवाई हमले में काफी हद तक बेअसर हो गए।
तुर्किए निर्मित एक भी ड्रोन भारत की सीमा को लांघ नहीं पायाअसली झटका तो भारत में लगा जब तुर्किए निर्मित एक भी ड्रोन भारत की सीमा को लांघ नहीं पाया। पाकिस्तान के तुर्किए निर्मित ड्रोन विफल हो गए। भारत ने या तो उन्हें मार गिराया या वे अपने लक्ष्य पर हमला करने में विफल रहे।
तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन करते थे इन ड्रोन की तारीफतुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने लंबे समय से तुर्किए निर्मित ड्रोन को अपने इस्लामी दृष्टिकोण के प्रतीक और तुर्किए की रक्षा महत्वाकांक्षाओं के केंद्रबिंदु के रूप में प्रचारित किया है। ड्रोन न केवल हार्ड पावर के साधन थे, बल्कि अफ्रीका, मध्य पूर्व और मध्य एशिया में तुर्किए के प्रभाव के लिए एक कूटनीतिक उपकरण भी थे।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीछे से खेल रहे तुर्किए तो तगड़ी मात दीपाकिस्तान की सेना ने सैकड़ों तुर्किए ड्रोन खरीदे जिससे भारतीय वायु रक्षा को पछाड़ने की उम्मीद थी। इसके बजाय, भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीछे से खेल रहे तुर्किए तो तगड़ी मात दी।
भारतीय वायु रक्षा अधिकारियों ने पुष्टि की कि 300-400 तुर्किए ड्रोन, जिनमें बाइकर YIHA III कामिकेज ड्रोन और तुर्किए मूल के माइक्रो-ड्रोन जैसे सोनगात्री और ईयात्री शामिल थे, इन सबको भारतीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने से पहले ही हवा में ही मार गिराया।
Operation Shield: पाक सीमा से सटे राज्यों में मॉकड्रिल आज, ‘ऑपरेशन शील्ड’ से डरा पाकिस्तान
टीम जागरण, नई दिल्ली। ऑपरेशन शील्ड के तहत शनिवार को पाकिस्तान की सीमा से लगे राज्यों मे मॉकड्रिल के साथ ही रात आठ बजे ब्लैक आउट होगा। आठ बजते ही बिजली बंद की जाएगी और सायरन बजेगा। यह ब्लैक आउट 15 मिनट का होगा। इसे लेकर इन राज्यों में स्थानीय प्रशासन ने तैयारियां की हैं।
मॉकड्रिल इन राज्यों में भी की जाएगीऑपरेशन शील्ड के तहत यह मॉकड्रिल जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान,गुजरात के साथ हरियाणा में भी की जाएगी। जम्मू-कश्मीर में कश्मीर और जम्मू संभाग के जिलो में इसे लेकर तैयारियां की गई हैं। जिन सीमावर्ती क्षेत्रो में मॉकड्रिल होगी उसमें बताया जाएगा कि गोलाबारी होने की सूरत में लोगों को कैसे सुरक्षित स्थान व अस्पताल पहुंचाना है।
सभी लोगों को सायरन बजते ही अलर्ट रहने को कहासभी लोगों को सायरन बजते ही इनवर्टर लाइट, सोलर लाइट, टॉर्च, मोबाइल लाइट व वाहनों की लाइट बंद करने की सलाह दी गई है। सभी दरवाजों व खिड़कियों के आगे पर्दे रखने की सलाह दी गई है, ताकि किसी भी तरह की रोशनी बाहर न जाए।
जम्मू-कश्मीर में प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मॉक ड्रिल के दौरान अस्पताल समेत सभी आपात सेवाएं पूरी तरह से सुचारू रहेंगी। बता दें कि इससे पहले 29 मई को माक ड्रिल होनी थी, लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया था।
ड्रोन हमलों से निपटने की तैयारी जांची जाएगीउधर हरियाणा में भी माक ड्रिल को लेकर तैयारियां की गई हैं। पूरे प्रदेश में ऑपरेशन शील्ड के तहत हवाई हमलों और ड्रोन हमलों से निपटने की तैयारी जांची जाएगी। सभी जिलों में शाम पांच से रात नौ बजे तक नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया जाएगा।
राज्य की गृह सचिव सुमिता मिश्रा ने शुक्रवार को मीडिया से माक ड्रिल की कार्ययोजना साझा करते हुए बताया कि राज्य की आपातकालीन तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर यह नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया जा रहा है।
इस मॉकड्रिल में 32 हजार स्वयं सेवकों को शामिल किया जाएगाइसमें सिविल डिफेंस वार्डन, पंजीकृत स्वयंसेवक और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स सहित युवा संगठनों के 32 हजार स्वयं सेवकों को शामिल किया जाएगा, ताकि आपातकालीन परिदृश्यों में सहायता की जा सके।
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Tejas: प्राइवेट कंपनी ने बनाया तेजस के बीच का हिस्सा, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि
पीटीआई, नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे भारत की सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। इसी के तहत एक प्राइवेट कंपनी ने पहली बार एलसीए तेजस एमके1ए लड़ाकू विमान का बीच का हिस्सा सेंटर फ्यूजलेज असेंबली बनाकर हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंप दिया है। फ्यूजलेज, विमान का हिस्सा होता है।
वीईएम टेक्नोलाजीज ने एचएएल को सौंपा रियर फ्यूजलेजरक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया, हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके1ए के लिए पहली सेंटर फ्यूजलेज असेंबली 30 मई को हैदराबाद में मेसर्स वीईएम टेक्नोलाजीज ने एचएएलको सौंप दी।
एसएएल का दो प्रोडक्शन लाइन बेंगलुरु और एक नासिक मेंहैदराबाद में हुआ यह हस्तांतरण एलसीए तेजस एमके1ए के चौथे प्रोडक्शन लाइन के लिए महत्वपूर्ण है। इस समय एसएएल का दो प्रोडक्शन लाइन बेंगलुरु, वहीं एक नासिक में है। यह हस्तांतरण सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार और एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डीके सुनील की उपस्थिति में हुआ।
हमारे रक्षा निर्यात में भी वृद्धि हो रही है- रक्षा सचिवसचिव (रक्षा उत्पादन) ने एलसीए एमके 1ए के उत्पादन में तेजी लाने के लिए एचएएल और वीईएम टेक्नोलाजीज के बीच साझेदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत वार्षिक दर से महत्वपूर्ण वृद्धि हो रही है। हमारे रक्षा निर्यात में भी वृद्धि हो रही है।
बयान में कहा गया, पहली बार एलसीए तेजस के लिए प्रमुख सब असेंबली या हिस्सा प्राइवेट भारतीय कंपनी द्वारा बनाई गई है। एचएएल के सीएमडी ने आश्वासन दिया कि प्रमुख सब असेंबली के निर्माण के साथ, एचएएल एलसीए विमान के उत्पादन को बढ़ाएगा और वायु सेना को समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करेगा।
एचएएल की इन कंपनियों के साथ साझेदारीएचएएल ने एलएंडटी, अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल), वीईएम टेक्नोलाजीज और लक्ष्मी मिशन वर्क्स (एलएमडब्ल्यू) जैसी विभिन्न भारतीय प्राइवेट कंपनियों को सेंटर फ्यूजलेज, ईंधन ड्रॉप टैंक, पाइलन, रियर फ्यूजलेज, पंख, फिन जैसे प्रमुख माड्यूल की आपूर्ति के लिए ऑर्डर दिए थे।
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जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सक्रिय नियंत्रण में था स्टोर रूम, जांच समिति ने सबूत के साथ लगाए आरोप
पीटीआई, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को नकदी बरामदगी मामले में दोषी ठहराने वाली सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने कहा है कि जिस स्टोर रूम में जली हुई नकदी मिली थी, वह जज और उनके परिवार के सक्रिय नियंत्रण में था।
सूत्रों ने बताया कि समिति को कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो संकेत करते हैं कि आग की घटना सामने आने के बाद स्टोर रूम से जली हुई नकदी को हटा दिया गया था।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था और जस्टिस वर्मा के जवाब के साथ समिति की रिपोर्ट भी साझा की थी।
विभिन्न साक्ष्यों पर विचार कियासूत्रों का कहना है कि समिति ने इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों के साथ ही विभिन्न साक्ष्यों पर विचार किया और अपनी रिपोर्ट में राय व्यक्त की है कि जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आरोप काफी गंभीर हैं।
जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर आरोपों से इन्कार किया हैसमिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा व दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख समेत 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए। वे 14 मार्च को रात 11.35 बजे लुटियन दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद सबसे पहले पहुंचने वालों में शामिल थे। तब जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे। जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर आरोपों से इनकार किया है।
Manipur violence: मणिपुर संकट का दीर्घकालिक समाधान जरूरी, बैठक में विधायकों ने रखे अपने मुद्दे
पीटीआई, इंफाल। भाजपा के मणिपुर के विधायकों ने शुक्रवार रात पूर्व मंत्री बिस्वजीत के घर पर बैठक की। विधायकों ने कहा कि राज्य में संकट का दीर्घकालिक समाधान जरूरी है। यह समाधान राजनीतिक इच्छाशक्ति, समावेशी संवाद, संवैधानिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के निष्पक्ष समर्थन के स्तंभों पर आधारित होना चाहिए।
23 विधायकों ने की मणिपुर हिंसा पर की चर्चा23 विधायकों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया है, हम मणिपुर के लोगों द्वारा पिछले दो वर्षों में सहन किए गए दुख को महसूस करते हैं। निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में हमारा दृढ़ विश्वास है कि संकट का दीर्घकालिक समाधान संभव भी है और आवश्यक भी।
बैठक में विचार किया गया कि राज्यपाल और केंद्रीय नेतृत्व से शांति दूत या समिति बनाने के लिए संपर्क किया जाए। विधायकों ने कहा, हम नागरिक समूहों, छात्र संगठनों, लोगों के बीच संवाद के महत्व पर जोर देते हैं। विधायकों ने लोकप्रिय सरकार के गठन की जनता की इच्छा को भी स्वीकार किया।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन हैगौरतलब है कि मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों बेघर हो गए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन है। विधानसभा निलंबित है।
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खाद्य उत्पादों पर ना लगाएं 100 प्रतिशत का लेबल, FSSAI ने दिखाई सख्ती; कहा - 'ये नियमों के खिलाफ'
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य उत्पादों के लेबल पर 100 प्रतिशत शब्द के इस्तेमाल को लेकर सख्त परामर्श जारी करते हुए कहा है कि इससे उपभोक्ताओं के गुमराह होने की आशंका होती है।
खाद्य नियामक ने कहा कि उसने सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों को खाद्य लेबल, पैकेजिंग और प्रचार सामग्री पर 100 प्रतिशत शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने को कहा है। इसकी वजह यह है कि यह शब्द अस्पष्ट है और इससे मौजूदा नियामकीय प्रविधानों के तहत गलत व्याख्या की आशंका है।
उत्पादों पर 100 प्रतिशत लिखना भ्रामकएफएसएसएआई ने गुरुवार को जारी परामर्श में खाद्य उत्पादों के लेबल और प्रचार मंचों पर 100 प्रतिशत शब्द के इस्तेमाल में धड़ल्ले से हो रही बढ़ोतरी को उजागर किया। प्राधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी शब्दावली न केवल मौजूदा नियमों के तहत अपरिभाषित है, बल्कि भ्रामक भी है। यह उपभोक्ताओं के बीच गलत धारणा पैदा कर सकती है।
एफएसएसएआई ने दिया नियमों का हवालाखाद्य सुरक्षा एवं मानक (विज्ञापन एवं दावे) नियम, 2018 के मुताबिक, 100 प्रतिशत शब्द को एफएसएस अधिनियम, 2006 या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत किसी भी तरीके से परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अलावा, उप-नियम 10(7) में किसी भी ऐसे विज्ञापन या दावे को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है जो अन्य निर्माताओं को कमतर आंकता है या भ्रामक तरीके से उपभोक्ता की धारणा को प्रभावित करता है।
उप-नियम 4(1) के तहत यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दावे सत्य, स्पष्ट, सार्थक, भ्रामक न हों और उपभोक्ताओं को दी गई जानकारी को समझने में मदद करें। इन चिंताओं को देखते हुए खाद्य व्यवसाय से जुड़ी सभी कंपनियों को खाद्य उत्पाद लेबल, पैकेजिंग और किसी भी तरह की प्रचार सामग्री पर 100 प्रतिशत शब्द का उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई है।
एफएसएसएआई ने कहा कि वह उपभोक्ता हितों की रक्षा और सूचना-आधारित विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए खाद्य लेबलिंग में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।
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