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राफेल-एम की 'गूंज' से Pak आर्मी परेशान? फ्रांस के साथ भारत ने की बड़ी डील; जानें कैसे दबाव में आया पाकिस्तान

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 11:15pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन (Rafale-M) लड़ाकू विमानों की डील ने रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ये समझौता ऐसे वक्त पर हुआ है जब हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाक तनाव को और गहरा कर दिया है।

रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव ने ANI से बातचीत में कहा कि इस डील का समय और संदर्भ पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक दबाव डालने वाला है।

“इस वक़्त जब भारत-पाक रिश्तों में तनाव चरम पर है, राफेल डील का ऐलान एक स्पष्ट संदेश है। आने वाले समय में अगर भारत कोई कार्रवाई करता है, तो राफेल-M उसमें अहम भूमिका निभाएगा।” संजीव श्रीवास्तव, रक्षा विशेषज्ञ

इस डील के तहत 22 सिंगल-सीट राफेल-M और 4 ट्विन-सीट राफेल-D विमान शामिल हैं। इनके साथ ट्रेनिंग, हथियार, सिम्युलेटर और पांच साल की लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल है। यह डील इंटर-गवर्मेंटल एग्रीमेंट (IGA) के तहत हुई है।

समुद्री ताकत को मिलेगा नया बल

राफेल-M विमानों को 2028 से 2030 के बीच INS विक्रांत और INS विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स से उड़ाया जाएगा। ये डील केवल विमान खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ‘मेक इन इंडिया’ को भी बढ़ावा दिया गया है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, भारत में राफेल फ्यूजलाज की मैन्युफैक्चरिंग और इंजन-हथियारों की मरम्मत सुविधा का प्रावधान है।

दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) द्वारा उत्तर प्रदेश में MRO (Maintenance, Repair, Overhaul) केंद्र की शुरुआत की जा चुकी है, जो भारत के पहले राफेल सौदे का हिस्सा था। यह MRO केंद्र फ्रांस से बाहर M88 इंजन की पहली डिपो-स्तरीय मरम्मत सुविधा भी बनेगा।

तीनों सेनाओं में तालमेल की नई शुरुआत

नौसेना के लिए राफेल-M और वायुसेना के राफेल-C के बीच तकनीकी समानता से लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग और मेंटेनेंस आसान होगा। दोनों वर्जन में 'बडी-बडी' रिफ्यूलिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं समान हैं। इससे इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ेगी और संचालन अधिक लचीला होगा।

बोइंग के F/A-18 सुपर हॉर्नेट को हराकर राफेल-M का चयन इसीलिए किया गया क्योंकि भारतीय वायुसेना पहले ही 36 राफेल संचालित कर रही है, जो अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर तैनात हैं।

दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की ओर कदम

वायुसेना वर्तमान में 42 स्क्वॉड्रनों के लक्ष्य से पीछे है और ऐसे में यह डील भविष्य में और राफेल खरीद की नींव रख सकती है। भारत स्वदेशी ‘अस्त्र’ मिसाइल को राफेल से जोड़ना चाहता है, जिसके लिए सोर्स कोड तक पहुंच जरूरी है।

एयर चीफ मार्शल एपी सिंह पहले ही इस बात का हवाला दे चुके हैं कि ब्रिटिश मूल के जैगुआर विमानों को HAL द्वारा अपग्रेड और मेंटेन किया जाना आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि रही। उसी तरह राफेल का भारत में निर्माण और रखरखाव भारत को दीर्घकालिक रणनीतिक बढ़त दिला सकता है।

मिराज से सबक

मिराज-2000 जैसे पुराने सौदों में जब अपग्रेड की ज़रूरत पड़ी, तो भारत को पुराने विमानों के लिए स्पेयर पार्ट्स तक मोलभाव करना पड़ा। लेकिन जैगुआर और Su-30 MKI के मामले में HAL ने इन्हें देश में बनाए रखा और समय पर अपग्रेड किया। राफेल डील उसी मॉडल को दोहराने की कोशिश है।

यह समझौता सिर्फ लड़ाकू विमान हासिल करने का नहीं है, बल्कि एक मजबूत रक्षा इकोसिस्टम बनाने का भी संकेत है। पाकिस्तान के लिए यह डील निश्चित तौर पर दबाव और चिंता का कारण है।

(एएनआई इनपुट के साथ)

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'अवैध निर्माण के मामलों में अदालतें को होना चाहिए सख्त', सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी?

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 10:49pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख दिखाया है। कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा कि अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाना चाहिए। अदालतें कानूनी बंधनों से मुक्त नहीं हैं। न्याय कानून के अनुसार ही होना चाहिए। अवैध निर्माण के मामलों में अदालतों को सख्त रुख अपनाना चाहिए।

सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर निर्मित भवनों के न्यायिक नियमितीकरण में स्वयं को शामिल नहीं करना चाहिए। इस तरह का दृढ़ रुख बनाए रखने की आवश्यकता न केवल कानून का शासन बनाए रखने के अदालतों के दायित्व से उत्पन्न होती है, बल्कि इस तरह के न्यायिक संयम से सभी की भलाई व सुविधा को बल मिलता है।

सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को दिया ये आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि इस आदेश की प्रति सभी हाई कोर्टों को भेजे। सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि कानून को उन लोगों को बचाने के लिए नहीं आना चाहिए जो इसकी कठोरता का उल्लंघन करते हैं, ऐसा करने से दंड से मुक्ति की संस्कृति पनप सकती है। अगर इसे दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, अगर कानून उन लोगों की रक्षा करता है जो इसकी अवहेलना करने का प्रयास करते हैं, तो उससे कानून के कठोर प्रभाव पर असर पड़ेगा, जो न्यायपूर्ण व्यवस्थित समाज की आधारशिला है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया HC आदेश

ये आदेश जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने कोलकाता में अवैध निर्माण ढहाने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए दिए। हाई कोर्ट ने कोलकाता नगर निगम को अवैध निर्माण ढहाने का आदेश दिया था जिसके विरुद्ध कनीज अहमद ने सुप्रीम कोर्ट मे अपील की थी। हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर आदेश दिया था और कहा था कि सिर्फ एक अवैध निर्माण को ही नहीं, बल्कि आस-पड़ोस की सभी संपत्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करें जिनमें अवैध निर्माण हुआ हो।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश से सहमति जताते हुए उसकी प्रशंसा की है। कहा कि वे हाई कोर्ट के जनहित में अवैध निर्माण को रोकने के लिए दिखाए गए साहस और दृढ़ता की प्रशंसा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2024 के राजेन्द्र कुमार बडजात्या बनाम यूपी आवास एवं विकास परिषद मामले में दिए फैसले को उद्धत किया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि प्रत्येक निर्माण नियम-कानूनों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए।

सभी को मानना होगा नियम: SC
  • अगर कोई उल्लंघन अदालत के संज्ञान में आता है तो उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उस फैसले में यह भी कहा था कि अवैध निर्माण के दोषी व्यक्ति के प्रति कोई भी नरमी या दया दिखाना गलत सहानुभूति दिखाने के समान होगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता द्वारा अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए प्रार्थना करने का मौका देने का अनुरोध ठुकराते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को कानून की परवाह नहीं है, उसे दो मंजिल का अवैध निर्माण करने के बाद नियमितीकरण की प्रार्थना करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। न्यायिक विवेकाधिकार औचित्य से निर्देशित होगा।
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि कई राज्य सरकारों ने इम्पैक्ट फीस भुगतान के आधार पर अवैध विकास के नियमितीकरण का अधिनियम बनाते समय इस पहलू का ध्यान नहीं रखा।

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सीमा पर हथियारों का जखीरा जुटा रहा पाकिस्तान, चीन की तोपें भी तैनात; Indian Army रख रही बारीक नजर

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 10:25pm

एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान खौफ में है। उसे भारत के हमले का डर सता रहा है। ऐसे में खौफजदा पाकिस्तान, भारत से लगती सीमाओं पर लगातार सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहा है। उसने अग्रिम मोर्चों पर वायु रक्षा प्रणाली और चीनी एसएच-15 होवित्जर तोपें भी तैनात कर दी हैं।

पाकिस्तानी वायुसेना इस समय एक साथ तीन अभ्यास भी कर रही है, जिसमें सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों को शामिल किया गया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने राजस्थान में लोंगेवाल सेक्टर से सटे अपने इलाके में रडार सिस्टम और हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती की है।

पाकिस्तान ने एयरपोर्ट सुरक्षा बल को भी किया तैनात

पाकिस्तानी सेना ने जमीनी संपत्तियों और एयर बेस की सुरक्षा के लिए एयरपोर्ट सुरक्षा बल को भी तैनात कर दिया है। इस बीच, पाकिस्तानी वायुसेना एक साथ तीन अभ्यास कर रही है। इनको फिजा-ए-बद्र, ललकार-ए-मोमिन और जर्ब-ए-हैदरी नाम दिया गया है। इन अभ्यासों में एफ-16,, जे-10 और जेएफ-17 समेत प्रमुख लड़ाकू विमानों को शामिल किया गया है। ये अभ्यास मंगलवार को शुरू हुए।

लाहौर और कराची वायुक्षेत्र बंद

पाकिस्तान ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर इस महीने कराची और लाहौर के वायुक्षेत्र के कुछ हिस्सों को प्रतिदिन चार घंटे बंद रखने की घोषणा की है। देश के सभी एयरपोर्ट को हाई अलर्ट पर भी रख दिया है। यह घटनाक्रम पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई की आशंका के बीच सामने आया है।

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने गुरुवार को एक सरकारी नोटिस के हवाले से बताया, 'वायुक्षेत्र को लेकर यह पाबंदी एक मई से लेकर 31 मई तक स्थानीय समायानुसार भोर में चार बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक रहेगी।

पाकिस्तान ने भारतीय गानों के प्रसारण को रोका

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने अपने यहां भारतीय गानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद पाकिस्तानी एफएम रेडियो स्टेशनों ने गुरुवार को भारतीय गानों का प्रसारण रोक दिया।पाकिस्तान ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन (पीबीए) के महासचिव शकील मसूद ने कहा, 'पीबीए ने देशभर में पाकिस्तानी एफएम रेडियो स्टेशनों पर भारतीय गानों के प्रसारण को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है।'

पाकिस्तानियों के बीच भारतीय गाने खासतौर पर लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश जैसे महान गायकों के गाने काफी लोकप्रिय हैं। इनके गानों का यहां के एफएम रेडियो स्टेशन प्रतिदिन प्रसारण करते थे। पाकिस्तानी सूचना मंत्री अता तरार ने कहा कि पाकिस्तानी एफएम स्टेशनों पर भारतीय गानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाए जाने से जाहिर होता है कि हम सभी एकजुट हैं।

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What is Signal Gate scandal?

Business News - May 1, 2025 - 9:34pm
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Bihar Politics: बिहार चुनाव को लेकर NDA ने बना लिया नया प्लान, अब 15 जून पर टिकी निगाहें

Dainik Jagran - May 1, 2025 - 8:29pm

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) तैयारियों को लेकर जिलेवार कार्यकर्ता सम्मेलन के सफलता के उपरांत एनडीए ने विधानसभावार सम्मेलन करने का निर्णय लिया है। संभवत: 15 जून से एनडीए का विधानसभावार कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू हो जाएगा। इसमें गांव स्तरीय एनडीए के कार्यकर्ताओं का जुटान होगा।

सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य एनडीए कार्यकर्ताओं के बीच और बेहतर समन्वय स्थापित करना है। बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की अध्यक्षता में बुधवार को हुई पार्टी नेताओं के साथ बैठक यह निर्णय लिया गया।

एक और बैठक हुई

इससे पहले, आरएसएस के प्रांत मुख्यालय विजय निकेतन और फिर प्रदेश संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया के आवास पर हुई बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा के अतिरिक्त अन्य वरिष्ठ नेता सम्मिलित हुए।

बीएल संतोष ने की समीक्षा

बीएल संतोष ने बिहार भाजपा की ओर से चलाए जा रहे संगठनात्मक गतिविधियों की सूक्ष्म समीक्षा की। इसमें छह जिलाध्यक्षों के मनोनयन, कुछ मंडल अध्यक्षों के रिक्त पद को लेकर चर्चा हुई। जिलेवार एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन की प्रशंसा की गई।

बैठक में तय हुआ कि अब विधानसभावार एनडीए का कार्यकर्ता सम्मेलन हो। जिलेवार सम्मेलन से एनडीए कार्यकर्ताओं में बेहतर समन्वय कायम हुआ है।

गांव के स्तर पर एनडीए के कार्यकर्ता एक साथ बैठेंगे तो उसका सकारात्मक असर चुनाव परिणाम पर होगा। संतोष ने चुनाव को देखते हुए सांगठनिक गतिविधियों के प्रति और सक्रिता बढ़ाने के निर्देश दिए।

सामाजिक न्याय व विकास के लिए निर्णायक कदम : ऋतुराज सिन्हा

भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दूरदर्शी निर्णय लेते हुए आगामी जनगणना में जाति आधारित जनगणना को सम्मिलित करने की मंजूरी दे दी है। यह पूरी तरह सामाजिक और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम है। स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया।

इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने जातिगत आंकड़ों को सिर्फ राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जातिगत जनगणना पर कैबिनेट विचार करेगी। मंत्रियों का समूह गठित भी हुआ, अधिकतर दलों ने सहमति भी दी, लेकिन कांग्रेस ने सार्वजनिक नहीं किया।

इससे स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने इस गंभीर विषय का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किया है। अब मोदी सरकार का यह निर्णय सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ आर्थिक योजनाओं और नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन का आधार बनेगा। जब हमारे पास स्पष्ट आंकड़े होंगे कि किस वर्ग की वास्तविक स्थिति क्या है, तो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचेगा।

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