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1 लीटर अवैध शराब के मामले में प्रशासन ने सील कर दिया अनपढ़ महिला का घर, अब कोर्ट ने दिया ये आदेश

Dainik Jagran - May 16, 2025 - 7:54pm

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने महज एक लीटर अवैध शराब की बरामदगी के आधार पर जब्त किए गए एक मकान को मुक्त करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इतनी कम मात्रा में शराब मिलने पर किसी का घर सील करना विधिसम्मत नहीं है।

न्यायाधीश पी.बी. बजंथरी एवं न्यायाधीश शशिभूषण प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश तेतरी देवी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। कोर्ट ने कहा कि घर की मुक्ति से पूर्व याचिकाकर्ता को दस हजार रुपये का जुर्माना एक सप्ताह के भीतर जमा करना होगा।

मामले में इन धाराओं का कोई मतलब नहीं

अदालत ने कहा कि इस मामले में शराब की मात्रा अल्प है, जो व्यावसायिक मात्रा की श्रेणी में नहीं आती, इसलिए बिहार मद्य निषेध और उत्पाद नियम, 2021 के नियम 12(ए) के संशोधित उप-नियम 2 तथा बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 की धारा 58, 92 व 93 की कठोर धाराएं इस मामले में लागू नहीं की जा सकतीं।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को क्या बताया?

याचिकाकर्ता तेतरी देवी एक अनपढ़ महिला हैं और संबंधित मकान की मालकिन हैं। उन्होंने दावा किया कि गांव में पारिवारिक दुश्मनी के चलते उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया।

कोर्ट को बताया गया कि बिना कोई पूर्व नोटिस दिए और तलाशी के नियमों का पालन किए बिना राजगीर के अनुमंडल दंडाधिकारी (आबकारी) द्वारा जब्ती की कार्रवाई की गई।

कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह राहत प्रदान की और स्पष्ट किया कि इस प्रकार की मामूली बरामदगी को आधार बनाकर किसी का निवास जब्त करना न्यायसंगत नहीं है।

अवैध शराब का धंधा: बरामदगी में मधुबनी, गिरफ्तारी में पूर्वी चंपारण अव्वल

दूसरी ओर, शराबबंदी कानून के तहत चलाए जा रहे अभियान के दौरान अप्रैल महीने में 4,705 प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह अभियान बिहार पुलिस के मद्य निषेध प्रभाग की ओर से चलाया गया। विभाग की ओर से दी गई सूचना के अनुसार, कुल 9,356 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गयी। 1151 वाहन जप्त किए गए।

अभियान के दौरान कुल एक लाख,35 लाख लीटर से अधिक देशी और एक लाख तीन हजार लीटर विदेशी शराब जप्त की गई। सबसे अधिक 21,392 लीटर शराब की जप्ती मधुबनी जिले में हुई। दूसरे नम्बर पर पूर्वी चंपारण रहा, जहां 19.551 लीटर शराब की जप्ती हुई।

17,887 लीटर के साथ पटना तीसरे और 13, 172 लीटर के साथ मुजफ्फरपुर चौथे नम्बर पर रहा। पांच शीर्ष जिलों में सीतामढ़ी पांचवे स्थान पर रहा। इस जिले में 12,401 लीटर शराब की जप्ती हुई। शराब के कारोबारियों की गिरफ्तारी के मामले में पूर्वी चंपारण अव्वल रहा।

अप्रैल में इस जिले में अवैध शराब के साथ 1127 लोग गिरफ्तार किए गए। पटना में 809, सारण में 626, भोजपुर में 574 और नालंदा में 544 लोग गिरफ्तार किए गए। शराब के कारोबार के बारे में मद्यनिषेध इकाई के टाल फ्री नम्बर-15545 और 18003456268 पर गुप्त सूचनाएं मिलती हैं। पुलिस की कार्रवाई में इन सूचनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लालू-तेजस्वी के लिए बड़ी खुशखबरी, टारगेट से आगे पहुंच गया राजद

Dainik Jagran - May 16, 2025 - 7:50pm

राज्य ब्यूरो, पटना। सांगठनिक सत्र 2025-2028 के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने एक करोड़ छह लाख 97 हजार सदस्य बनाए हैं। यह निर्धारित लक्ष्य (एक करोड़) से लगभग सात लाख अधिक है। इनमें 98 लाख 64 हजार 203 सदस्य बिहार के हैं। शुक्रवार को सदस्यों की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी गई।

सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू

इसके साथ ही सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई। इस क्रम में 17 मई को जिला निर्वाचन पदाधिकारियों एवं सहायक जिला निर्वाचन पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। उसमें उन्हें सदस्यों की प्रामाणिक सूची सौंपी जाएगी।

सहायक राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी चित्तरंजन गगन

अधीनस्थ इकाइयों मेंं उन्हें संवैधानिक और पारदर्शी तरीके से सांगठनिक चुनाव संपन्न कराना होगा। सहायक राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी चित्तरंजन गगन ने इसकी जानकारी दी।

सदस्यों की अंतिम सूची का प्रकाशन

राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी डा. रामचंद्र पूर्वे द्वारा सदस्यों की अंतिम सूची का प्रकाशन किया गया। इस अवसर पर चित्तरंजन गगन, राज्य निर्वाचन पदाधिकारी डा. तनवीर हसन, सहायक राज्य निर्वाचन पदाधिकारी ई. अशोक यादव, देव किशुन ठाकुर एवं सारिका पासवान की उपस्थिति रही।

19 सितंबर, 2024 को हुई थी शुरुआत

उल्लेखनीय है कि 19 सितंबर, 2024 को सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए दिल्ली में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और पटना में तेजस्वी यादव ने कम-से-कम एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था।

नए सदस्यों मेंं सर्वाधिक युवा

बिहार में पहले से बने सदस्यों के नवीनीकरण और बनाए गए सदस्यों को मिलाकर कुल संख्या 98 लाख 64 हजार 203 हो गई है। झारखंड सहित अन्य दूसरे प्रदेशों में सदस्यों की कुल संख्या आठ लाख 32 हजार 806 है। नए सदस्यों में नवयुवा सर्वाधिक हैं।

सात लाख पहली बार मतदाता

उनमें से लगभग सात लाख से इस बार पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाता बने हैं। इस बार राजद ने 77 हजार से अधिक मतदान केंद्रों पर कम-से-कम दो क्रियाशील सदस्य अनिवार्य रूप से बनाया है।

चुनावी कार्यक्रम

गगन ने बताया कि बिहार के सभी 534 प्रखंडों, 3320 वार्डों और 8463 पंचायतों में चुनाव पदाधिकारी मनोनीत कर दिए गए हैं। 29 मई तक सभी प्राथमिक इकाइयों, पंचायत इकाइयों एवं प्रखंड इकाइयों के सदस्यों का चुनाव हो जाएगा।

राज्य इकाई चुनाव की प्रक्रिया

31 मई से दो जून के बीच प्रखंड इकाइयों एवं प्रखंडों से जिला परिषद के सदस्यों का और पांच से 11 जून के बीच जिला इकाइयों एवं राज्य परिषद के सदस्यों का चुनाव होगा। सभी राज्यों में 13 जून को राज्य परिषद के सदस्यों की सूची के अंतिम प्रकाशन के साथ ही राज्य इकाई चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

21 जून को प्रदेश अध्यक्ष

21 जून को प्रदेश अध्यक्ष, राज्य कार्यकारिणी के सदस्य तथा राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव होगा। 24 जून को राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों की सूची के अंतिम प्रकाशन के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पार्टी के स्थापना दिवस पर पांच जुलाई को को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा।

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बिहार के गया का नाम बदला, सरकारी कर्मियों का महंगाई भत्ता बढ़ा; यहां देखें नीतीश कैबिनेट के अहम फैसले

Dainik Jagran - May 16, 2025 - 7:22pm

राज्य ब्यूरो, पटना। गया शहर को अब गयाजी के नाम से जाना जाएगा। सरकार ने गया शहर के पौराणिक, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के मद्देनजर इसका नाम गयाजी करने का निर्णय लिया है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। बैठक में कुल 69 प्रस्ताव स्वीकृत किए गए।

बोधगया में बौद्ध ध्यान एवं अनुभव केंद्र बनेगा

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डा. एस सिद्धार्थ ने बताया कि गयाजी नामकरण के साथ ही यह निर्णय भी लिया गया है कि बोधगया जहां निरंतर पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है वहां एक बौद्ध ध्यान एवं अनुभव केंद्र का निर्माण कराया जाएगा।

सरकार का मानना, बढ़ेगी पर्यटकों की संख्या

सरकार का मानना है कि इससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी साथ ही राजस्व बढ़ेगा और लोगों के लिए रोजगार भी सृजित होंगे।

स्वदेश दर्शन स्कीम 2.0 के तहत बौद्ध ध्यान एवं अनुभव केंद्र का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए 165.44 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गई है।

आपरेशन सिंदूर बलिदानियों के परिवार को मुआवजा

सरकार ने आपरेशन सिंदूर में सशस्त्र सेनाओं एवं केंद्रीय सशस्त्र बलों के बलिदानियों के परिवार को 50 लाख का अनुग्रह अनुदान देने का प्रस्ताव स्वीकृत किया है।

भारत-पाक के बीच हुई तनातनी में बिहार के जो सैनिक बलिदान हुए हैं उनके परिवारों को यह मुआवजा दिया जाएगा।

राज्य कर्मियों के महंगाई भत्ते में दो प्रतिशत की वृद्धि

सरकार ने सातवां वेतनमान प्राप्त कर रहे राज्य कर्मियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ता में दो प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव स्वीकृत किया है।

राज्य कर्मियों को अभी 53 प्रतिशत भत्ता मिल रहा था बढ़ोत्तरी के बाद 55 प्रतिशत भत्ते देय होगा। इसका लाभ पहली जनवरी 2025 दिया जाएगा।

1070 करोड़ का अतिरिक्त खर्च

फैसले से 1070 करोड़ का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। इसके अलावा पंचम केंद्रीय वेतनमान, पेंशन प्राप्त करने वालों के 455 की बजाय 466 प्रतिशत और षष्ठम वेतन, पेंशन प्राप्त कर्मियों को 246 के स्थान पर 252 प्रतिशत का महंगाई भत्ता दिया जाएगा।

पंचायत सचिव भी करेंगे जन्म मृत्यु का रजिस्ट्रेशन

डा. सिद्धार्थ ने बताया कि मंत्रिमंडल ने जन्म मृत्यु रजिस्ट्रेशन के पूर्व के नियमों में संशोधन किया है। जिसके बाद पंचायत सचिवों को जन्म मृत्यु निबंधन का अधिकार दिया गया है।

पंचायत सचिव अपने पंचायत क्षेत्र के रजिस्ट्रार होंगे और जन्म-मृत्यु से संबंधित आवेदन का निष्पादन ग्राम पंचायत के स्तर पर ही करेंगे।

कैंसर केयर एवं रिसर्च सोसायटी बनेगी

राज्य में कैंसर जैसे रोग में पीडि़तों को राहत देने के लिए सरकार ने राज्य में कैंसर केयर एंड रिसर्च सोसायटी गठन का प्रस्ताव स्वीकृत किया है।

सिद्धार्थ के अनुसार राज्य में कैंसर की वर्तमान चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने और इसके विस्तार और कैंसर की रोकथाम के लिए यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

दिव्यांगजनों को नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में क्षैतिज आरक्षण

सामान्य प्रशासन विभाग के प्रस्ताव पर मंथन के बाद सरकार ने राज्याधीन सेवाओं की नियुक्ति एवं शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए राज्य के मूल निवासी बेंच मार्क दिव्यांगजन मात्र को ही क्षैतिज आरक्षण देने का प्रस्ताव स्वीकृत किया है।

1069 पंचायत भवन बनेंगे, 27.84 अरब स्वीकृत

प्रदेश की विभिन्न पंचायतों में पंचायत सरकार भवन निर्माण का कार्य जारी है। अब तक करीब 2500 पंचायत भवन निर्माण किए जा रहे हैं।

इसी कड़ी में अब सरकार ने 1069 नए पंचायत भवन निर्माण का प्रस्ताव स्वीकृत किया है। इन भवनों के निर्माण के लिए 27.84 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। यह निर्णय भी हुआ है कि पंचायत सरकार भवन परिसर में सुधा होल-डे मिल्क पार्लर का निर्माण किया जाएगा।

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Bihar Summer Holiday: सरकारी स्कूलों में 2 जून से होगी गर्मी की छुट्टी, सुबह और शाम चलेगा समर कैंप

Dainik Jagran - May 16, 2025 - 6:46pm

जागरण संवाददाता, पटना। सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टी दो जून से 21 जून तक रहेगी। इस दौरान बच्चों के लिए गणितीय समर कैंप आयोजित किया जाएगा। गर्मी की छुट्टी में आयोजित होने वाले समर कैंप में कक्षा पांच और छह के चयनित किए गए कमजोर विद्यार्थियों को शामिल किया जाएगा। जिसमें विशेष रूप से गणित विषय की शिक्षा दी जाएगी।

शैक्षणिक सत्र 2025-26 के प्रारंभिक विद्यालयों में अध्ययनरत व गणित में कमजोर विद्यार्थियों के लिए प्रथम संस्थान के सहयोग से गणितीय समर कैंप आयोजित की जाएगी। समर कैंप गांव व टोल स्तर पर भी आयोजित होगी। इसका उद्देश्य बच्चों की गणितीय कौशल की क्षमता को मजबूत करना है।

इंंजीनियरिंग छात्र पढ़ाएंगे बच्चों को

समर कैंप में शामिल बच्चों को इंजीनियरिंग के छात्र गणित पढ़ाएंगे और गणितीय तकनीक का प्रशिक्षण देंगे। समर कैंप में बच्चों को शामिल करने के लिए प्राथमिक शिक्षा की निदेशक की ओर से सभी डीइओ व डीपीओ समग्र शिक्षा को पत्र जारी किया गया है।

पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि समर कैंप के सफल संचालन के लिए बड़ी संख्या में स्वयंसेवक की आवश्यकता होगी। इसके लिए विभिन्न वर्गों से आने वाले विद्यार्थियों की सहायता ली जाएगी।

प्रतिदिन सुबह सात से नौ और शाम पांच से सात बजे तक चलेगा समर कैंप

बच्चों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रतिदिन सुबह सात से नौ बजे और शाम पांच से सात बजे तक समर कैंप आयोजित होगी। प्रत्येक कैंप में 10 से 15 विद्यार्थी शामिल होंगे।

समर कैंप के सफल आयोजन के लिए डायट के प्रशिक्षु, बिहार कौशल विकास मिशन के तहत कुशल युवा कार्यक्रम में नामांकित विद्यार्थी, एनसीसी कैडेट, शिक्षा सेवक, पॉलिटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी, जीविका दीदी द्वारा प्रेरित युवक युवतियां, नेहरू युवा केंद्र के सदस्य, प्रथम संस्था व अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता व समाज के शिक्षित युवक-युवतियां को शामिल किया जाएगा।

असर टूल्स के माध्यम से बच्चों का चयन कर चिह्नित बच्चों के साथ प्रतिदिन प्रशिक्षित स्वयं सेवक एक से डेढ़ घंटे तक गणित विषय पर विशेष प्रशिक्षण उनके गांव व टोलों में जाकर देंगे।

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दुनियाभर में पाकिस्तान की पोल खोलेंगे थरूर, ओवैसी समेत 30 सांसद; मोदी सरकार ने दिया ये काम

Dainik Jagran - National - May 16, 2025 - 6:07pm

पीटीआई, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच केंद्र सरकार ने तय किया है कि वह कई देशों में ऑल पार्टी डेलिगेशन भेजेगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस बड़े कूटनीतिक अभियान के तहत सरकार वैश्विक मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए अगले सप्ताह से भारतीय नेताओं को अलग-अलग देशों में भेजेगी।

केंद्र सरकार ने विपक्ष सहित कई राजनीतिक दलों के सांसदों से इस बारे में बात की है। वहीं कुछ पार्टी ने भी इस कूटनीतिक अभ्यास के लिए अपने सदस्यों की उपस्थिति को मंजूरी दे दी है।

कितने नेता इस कूटनीतिक अभ्यास में लेंगे भाग?

भारत सरकार की इस मुहिम का हिस्सा बनने वाले प्रतिनिधिमंडल या उनके सदस्यों की सही संख्या के बारे में कोई साफ जानकारी नहीं है। हालांकि कुछ नेताओं की ओर से कहा गया हैकि 30 से ज्यादा सांसद इस मुहिम का हिस्सा हो सकते हैं।

नेताओं का डेलिगेशन 10 दिनों तक अलग-अलग देशों का दौरा करेंगे। सांसद सरकार की ओर से निर्धारित देशों के अलग-अलग हिस्सों का दौरा करेंगे। विदेश मंत्रालय (MEA) सांसदों को उनके राजनयिक मिशन के लिए रवाना होने से पहले जानकारी देगा।

सूत्रों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में जिन पार्टियों के सांसद शामिल होंगे, उनमें भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी (एसपी), जेडीयू, बीजेडी, सीपीआई (एम) और कुछ अन्य शामिल हैं। इस डेलिगेशन के एक संभावित सदस्य ने कहा है कि उन्हें 22-23 मई तक 10 दिनों के लिए रवाना होने के लिए मुस्तैद रहने को कहा गया है। इसके अलावा कहा गया है कि विदेश मंत्रालय बाकी की जानकारी और ब्यौरे के साथ उन्हें बाद में संपर्क करेगा।

सूत्रों ने कहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, ओडिशा की बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी सत्ता पक्ष से इस डेलिगेशन का हिस्सा हो सकती हैं।

कांग्रेस से कम से कम चार सांसदों को किया जाएगा शामिल

सरकार ने कई दूसरे दलों के सदस्यों के अलावा कांग्रेस के कम से कम चार सांसदों को भी इस कूटनीतिक अभ्यास के बारे में बताया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार की लिस्ट में कांग्रेस सांसदों में शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह शामिल हैं और पार्टी ने पुष्टि की है कि वह प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होगी।

कांग्रेस नेता शशि थरूर और एआईएआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी इस डेलिगेशन के हिस्सा हो सकते हैं

सूत्रों ने बताया कि टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, जेडीयू के संजय झा, बीजेडी के सस्मित पात्रा, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले, डीएमके की के कनिमोझी, सीपीआई (एम) के जॉन ब्रिटास और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी को भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के लिए चुना जा रहा है।

हालांकि केंद्र सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने पीटीआई को बताया कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बारें में कांग्रेस अध्यक्ष से बात की है।

जयराम रमेश क्या बोले?

जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "प्रधानमंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर दो सर्वदलीय बैठकों की अध्यक्षता करने से इनकार कर दिया है। प्रधानमंत्री संसद का विशेष सत्र बुलाने पर सहमत नहीं हुए हैं, जिसकी मांग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सामूहिक इच्छाशक्ति प्रदर्शित करने और 22 फरवरी, 1994 को संसद की ओर से सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव को दोहराने के लिए कर रही है।"

जयराम रमेश ने दावा किया कि विपक्षी पार्टी की ओर से एकता और एकजुटता का आह्वान किए जाने के बावजूद प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी लगातार कांग्रेस को बदनाम कर रही है।

उन्होंने कहा, "अब अचानक प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत के रुख को समझाने के लिए विदेश में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हमेशा सर्वोच्च राष्ट्रीय हित में रुख अपनाती है और भाजपा की तरह कभी भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करती है। इसलिए, कांग्रेस निश्चित रूप से इन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा होगी।"

#WATCH | Over media reports on India to send delegations of MPs from all political parties to world capitals to brief different countries on the recent India-Pakistan tension, Congress leader Jairam Ramesh says, "Keeping national interest above all, Congress will certainly join… pic.twitter.com/R8U8AVDMoA

— ANI (@ANI) May 16, 2025

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क्‍या राष्‍ट्रपति या राज्‍यपाल के लिए सुप्रीम कोर्ट कोई समय-सीमा तय कर सकता है; क्‍या कहता है संविधान?

Dainik Jagran - National - May 16, 2025 - 6:00pm

डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। विधानसभा से पारित विधेयकों को लेकर राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार के बाद अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी सवाल किए हैं। राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को 14 सवाल भेजकर राय मांगी है। हालांकि, राष्ट्रपति ने जिन सवालों पर राय मांगी है, उनमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र नहीं किया है, लेकिन सभी सवाल फैसले के इर्द गिर्द ही हैं।

दरअसल, यह पूरा मामला तमिलनाडु से जुड़ा हुआ है। वहां के राज्‍यपाल आर एन कवि के खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके हस्‍तक्षेप की मांग की थी। याचिका में राज्‍य सरकार ने राज्‍यपाल पर जरूरी विधेयकों को लटकाने का आरोप लगाया था।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पार्दीवाला और आर महादेवन की पीठ ने राज्‍यपाल द्वारा विधेयकों को लंबे समय तक रोके जाने के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा राज्‍य के विधेयकों पर मंजूरी देने/अस्‍वीकृति करने/पुनर्विचार के लिए भेजने की समय सीमा भी तय कर दी।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर जल्दी ही बहस छिड़ गई। कानूनी के जानकारों ने कहा कि जब संविधान में राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय नहीं है तो क्या सुप्रीम कोर्ट न्यायिक आदेश के जरिये समय सीमा तय कैसे कर सकता है। अब इसी पर राष्‍ट्रपति ने सवाल भेजकर राय मांगी है।

आइए आपको बताते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है, सुप्रीम कोर्ट का वो कौन-सा फैसला है, जिस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट 14 सवाल क्यों पूछे हैं, कौन-से 14 सवाल पूछे हैं और क्‍या राष्ट्रपति की ओर से सवालों पर मांगी गई राय देने के लिए सुप्रीम कोर्ट बाध्य है?

राष्ट्रपति किन 14 सवालों पर मांगी है SC से राय?
  • जब राज्‍यपाल के पास अनुच्छेद 200 के तहत कोई विधेयक आता है तो उनके पास क्या-क्‍या संवैधानिक विकल्प होते हैं?
  • क्‍या राज्‍यपाल विधेयक पर संविधान के तहत मिले विकल्‍पों का उपयोग करते समय कैबिनेट द्वारा दी गई सलाह और मदद के लिए बाध्य हैं?
  • क्‍या राज्‍यपाल द्वारा अनुच्छेद 200 के तहत संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है?
  • क्‍या अनुच्छेद 361 राज्यपाल के फैसलों पर न्यायिक समीक्षा पर पूरी तरह पाबंदी लगा सकता है?
  • जब संविधान में राज्‍यपाल लिए अनुच्छेद 200 की शक्तियों के इस्तेमाल को लेकर समय सीमा और तरीके तय नहीं है तो क्‍या कोर्ट इसे तय कर सकता है?
  • क्‍या राष्ट्रपति के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकती है?
  • जब संविधान में राष्ट्रपति के लिए अनुच्छेद 201 में कार्य करने के लिए प्रक्रिया और समय सीमा तय नहीं है तो क्‍या अदालत समय सीमा तय कर सकती है?
  • क्या राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट से राय लेना अनिवार्य है?
  • क्या राष्ट्रपति और राज्यपाल के फैसलों पर कानून लागू होने से पहले अदालत सुनवाई कर सकती है?
  • क्या सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर राष्ट्रपति या राज्यपाल के फैसले को बदल सकता है?
  • क्या राज्य विधानसभा में पारित कानून, अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की स्वीकृति के बिना लागू किया जा सकता है?
  • क्या संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच को भेजना अनिवार्य है?
  • क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे निर्देश /आदेश दे सकता है, जो संविधान या वर्तमान कानून से मेल न खाता हो?
  • क्या केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही सुलझा सकता है?

राष्‍ट्रपति द्रोपदी मुर्मु। फाइल फोटो

क्‍या राष्ट्रपति राय मांग सकती हैं?

हां, संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत किसी तथ्य या कानूनी मामले पर राष्ट्रपति लोकहित में सुप्रीम कोर्ट की राय ले सकते हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जुड़े विवादों की सुनवाई के लिए अनुच्छेद 131 में सुप्रीम कोर्ट के पास मूल क्षेत्राधिकार है। इन मामलों में भी अनुच्छेद 143 (2) के तहत सुप्रीम कोर्ट की राय ली जा सकती है। 

क्‍या सुप्रीम कोर्ट सलाह देने के लिए बाध्य है?

नहीं, राष्‍ट्रपति द्वारा 14 सवाल भेजकर मांगी गई राय देने के लिए सुप्रीम कोर्ट बाध्‍य नहीं है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी कई दफा सुप्रीम कोर्ट से राग मांगी गई। 

  • राम मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर विवाद पर नरसिम्हा राव सरकार के संदर्भ कहा था-  ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों के मसलों में राय देना अनुच्छेद 143 के दायरे में नहीं आता है। 
  • कावेरी जल विवाद:  साल 1993 में कावेरी जल विवाद पर भी सुप्रीम कोर्ट ने राय देने से इनकार कर दिया था। 
  • गुजरात चुनाव: साल 2002 में गुजरात चुनावों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था' अपील या पुनर्विचार याचिका की बजाय रेफरेंस भेजने का विकल्प गलत है।
क्‍या सुप्रीम कोर्ट की राय मानना राष्ट्रपति के लिए जरूरी है?

संविधान के प्रावधान और पिछले कई फैसलों से यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट की राय मानना राष्ट्रपति और केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं  है। 

क्‍या राष्ट्रपति के पास राय मांगने का अधिकार है?

हां, संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत किसी तथ्य या कानूनी मामले पर राष्ट्रपति लोकहित में सुप्रीम कोर्ट की राय ले सकते हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जुड़े विवादों की सुनवाई के लिए अनुच्छेद 131 में सुप्रीम कोर्ट के पास मूल क्षेत्राधिकार है। इन मामलों में भी अनुच्छेद 143 (2) के तहत सुप्रीम कोर्ट की राय ली जा सकती है।

क्‍या सुप्रीम कोर्ट सलाह देने के लिए बाध्य है?

नहीं, राष्‍ट्रपति द्वारा 14 सवाल भेजकर मांगी गई राय देने के लिए सुप्रीम कोर्ट बाध्‍य नहीं है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी कई दफा सुप्रीम कोर्ट से राग मांगी गई।

  • राम मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर विवाद पर नरसिम्हा राव सरकार के संदर्भ कहा था-  ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों के मसलों में राय देना अनुच्छेद 143 के दायरे में नहीं आता है।
  • कावेरी जल विवाद: साल 1993 में कावेरी जल विवाद पर भी सुप्रीम कोर्ट ने राय देने से इनकार कर दिया था।
  • गुजरात चुनाव: साल 2002 में गुजरात चुनावों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था' अपील या पुनर्विचार याचिका की बजाय रेफरेंस भेजने का विकल्प गलत है।
क्‍या सुप्रीम कोर्ट की राय मानने के लिए बाध्‍य हैं राष्ट्रपति?

संविधान के प्रावधान और पिछले कई फैसलों से यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट की राय मानना राष्ट्रपति और केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं  है।

आखिर सुप्रीम कोर्ट ने क्‍यों तय की समय सीमा?

सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि इस मामले की शुरुआत कहां से हुई। दरअसल, तमिलनाडु सरकार ने साल 2023 सुप्रीम कोर्ट में एक मामला उठाया गया था, जिसमें कहा गया था कि 2020 के एक विधेयक समेत 12 विधेयक राज्यपाल के पास लंबित हैं।

  • तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने 10 अहम विधेयकों को लंबे समय तक मंजूरी नहीं दी, ना विधेयकों को खारिज किया और न ही राष्ट्रपति को भेजे।
  • राज्‍य सरकार ने 18 नवंबर, 2023 को अनुच्छेद 200 के तहत उन विधेयकों को दोबारा विधानसभा में पारित कराया। फिर राज्यपाल के पास भेजे।
  • राज्यपाल ने 28 नवंबर, 2023 को उन विधेयकों को अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेज दिया।
  •  इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए और कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की। कहा, ‘राज्यपाल संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं। विधायी प्रक्रिया में जानबूझकर बाधा डाल रहे हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के अधिकार का प्रयोग करते हुए इस पर फैसला दिया था- ''राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। अगर राष्ट्रपति की ओर से तय समय (तीन माह) में फैसला नहीं लिया गया तो इसका कारण रिकॉर्ड किया जाएगा और संबंधित राज्य सरकार को इस बारे में सूचित किया जाएगा।''

सुप्रीम कोर्ट फाइल फोटो।

अनुच्छेद 200 और 201 में क्‍या प्रावधान हैं?अनुच्छेद 200: राज्‍यपाल को मिलते हैं 4 विकल्‍प 

विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल के पास भेजा जाता है तो राज्यपाल के पास चार विकल्प (मंजूरी देना, स्वीकृति देना, पुनर्विचार के लिए विधानसभा भेजना और राष्ट्रपति के पास विचारार्थ के लिए भेजना) होते हैं।

अनुच्छेद 201: राज्‍यपाल के पास होते हैं दो विकल्‍प 

अगर राज्यपाल ने कोई विधेयक पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है और विधानसभा में वो दोबारा पारित हो जाता है तो राज्यपाल को मंजूरी देनी होती है, उसे रोका नहीं जा सकता है।

इसके अलावा, राज्यपाल अनुच्छेद 201 के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ भेज सकते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति के पास तीन विकल्प (मंजूरी देना, अस्वीकृति देना और विधानसभा को पुनर्विचार के लिए लौटाना) होते हैं।

अगर राष्ट्रपति विधेयक विधानसभा को पुनर्विचार के लिए लौटाने का विकल्प चुनते हैं और विधानसभा में दोबारा पारित हो जाता है, तब भी अंतिम निर्णय लेने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होता है।

बता दें कि अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के पास असीमित समय होता है। इसके चलते कुछ विधेयक सालों तक लंबित रह सकते हैं, जिससे राज्य की विधायी प्रक्रिया बाधित होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने किस अधिकार के तहत बनाया नियम?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को एक विशेषाधिकार देता है, जिससे वह विशेष मामलों में कानून की सीमा से परे जाकर पूर्ण न्याय कर सके।

अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट कोई भी आदेश अथवा निर्देश दे सकता है। इस आदेश/निर्देश को लागू करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और अन्‍य अधिकारी सभी जरूरी कदम उठाने के लिए बाध्य होते हैं।

सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार का इस्तेमाल तब करता है, जब सामान्य कानून से न्याय नहीं मिल पा रहा हो या फिर कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा हो। तब कोर्ट अपना फैसला इस तरह देते है कि किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो।

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राष्ट्रपति ने संविधान पर अतिक्रमण करार दिया

राष्‍ट्रपति मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट के राज्‍यपाल और राष्‍ट्रपति के लिए तीन महीने की समय सीमा तय करने के फैसले को संवैधानिक मूल्यों और व्यवस्थाओं के विपरीत करार दिया है। मुर्मु ने इस फैसले को संवैधानिक सीमाओं का अतिक्रमण भी बताया है। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मु ने अनुच्छेद 143 (1) के तहत 14 सवालों पर सुप्रीम कोर्ट की राय मांगी है।

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क्‍या  पहले भी इस तरह का मामला हुआ?

हां, इससे पहले भी अनुच्छेद 143 के तहत राय लेने के मामले आ चुके हैं।

  • सबसे पहला मामला दिल्ली लॉज एक्ट-1951 में आया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राय दी थी।
  • इसके बाद केरल शैक्षणिक बिल 1957 पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय न सिर्फ रेफरेंस की व्याख्या की थी, बल्कि राय भी दी थी।
  •  2006 इंदौर नगर निगम मामले में तीन जजों की बेंच ने फैसला दिया था-  नीतिगत मामलों में संसद और केंद्र के निर्णयों पर न्यायिक दखल नहीं होना चाहिए।

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'आतंकवाद पर फंड का इस्तेमाल करेगा पाकिस्तान', राजनाथ सिंह बोले; फिर से विचार करे IMF

Dainik Jagran - National - May 16, 2025 - 5:56pm

पीटीआई, नई दिल्ली। शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुजरात के भुज एअरबेस पहुंचे। यहां पर उन्होंने जवानों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने राष्ट्र को भी संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना के जवानों की सराहना की।

अपने संबोधन के दौरान रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान को दिए जाने वाले पैसे पर फिर से विचार करने की अपील की। उन्होंने इस दौरान कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ से मिले पैसों को अपने देश में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर खर्च करेगा।

पाकिस्तान को IMF ने दिया है भारी कर्ज

जानकारी दें कि हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का लोन मंजूर किया है। आज भुज एअरफोर्स स्टेशन पर जवानो को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि मेरा मानना ​​है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से प्राप्त धन का बड़ा हिस्सा अपने देश में आतंकवादी ढांचे पर खर्च करेगा, भारत चाहता है कि आईएमएफ पाकिस्तान को दिए जाने वाले धन पर पुनर्विचार करे।

राजनाथ सिंह ने की जवानों की सराहना

जवानों की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आपने जो पराक्रम दिखाया, उसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। आज भारत को वैश्विक मंच पर, जो सम्मान मिल रहा है, उसकी बुनियाद में आपका यही पराक्रम है। यही कारण है कि भारत का बच्चा-बच्चा आपको, अपना मानता है।

आगे उन्होंने कहा कि आपने पूरे देश को यकीन दिलाया कि नया भारत अब सहन नहीं करता, बल्कि वह पलटकर जवाब देता है। मैं चाहे जितना कुछ भी बोलूं, लेकिन मेरे शब्द आपके कार्यों को मापने में असमर्थ होंगे।

भारत की युद्ध नीति और तकनीक बदल गई है: राजनाथ सिंह

अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे आपने नौ आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया। बाद में की गई कार्रवाई में उनके कई हवाई ठिकाने नष्ट कर दिए गए। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने न केवल अपनी ताकत दिखाई, बल्कि दुनिया को यह भी साबित कर दिया कि अब भारत की युद्ध नीति और तकनीक बदल गई है।

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