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ट्रंप ने किया युद्धविराम का एलान, लालू की पार्टी को आया गुस्सा; पूछा- आपको ये अधिकार किसने दिया?

Dainik Jagran - May 11, 2025 - 3:02pm

एजेंसी, नई दिल्ली/पटना। 3 से 4 दिन तक एलओसी (LoC) पर सैन्य संघर्ष के बाद शुक्रवार को शाम 5 बजे भारत और पाकिस्तान युद्धविराम (India Pakistan Ceasefire) के लिए तैयार हो गए। हालांकि, इसकी घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए की।

ट्रंप ने दोनों देशों, भारत-पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए बधाई भी दी। वहीं, अब इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षी दल राजद (RJD) ने ट्रंप की 'मध्यस्थता' की पेशकश और 'युद्धविराम' की घोषणा पर आपत्ति जताई है।

राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा (RJD MP Manoj Jha) ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की। उन्होंने भारत सरकार से इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराने को कहा। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए झा ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को अपने सामान्य ज्ञान में सुधार करना चाहिए।

राजद सांसद ने पूछा- आप कौन होते हैं यह (युद्धविराम) तय करने वाले? आपको यह अधिकार किसने दिया? सबसे पहले, आपको अपने सामान्य ज्ञान में सुधार करने की जरूरत है, क्योंकि उस देश (पाकिस्तान) का जन्म 78 साल पहले हुआ था और आप 1,000 साल का रूपक इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें भू-राजनीतिक फुटबॉल समझने की गलती न करें। इस पर हमारी सरकार की ओर से कड़ा विरोध होना चाहिए।

'पूरी दुनिया के तथाकथित सरपंच...'

उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति पर दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की घोषणा करने के लिए भी निशाना साधा। आरजेडी सांसद ने कहा, "हम पीड़ित थे और हमने यह सुनिश्चित करके सटीक जवाब दिया कि कोई नागरिक हताहत न हो और हमने 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन पाकिस्तान ने हमारे नागरिकों को निशाना बनाया। यह दो सेनाओं के बीच का अंतर दिखाता है - पेशेवर भारतीय सेना और एक दुष्ट देश पाकिस्तान की सेना।

हालांकि, इससे पहले कि हम अपनी आधिकारिक जानकारी दे पाते, अमेरिकी राष्ट्रपति ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी, जो शिमला समझौते के अनुसार भी सही नहीं है। सरकार ने इस दावे का खंडन करने की कोशिश की और कहा कि ऐसा कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ है, लेकिन पूरी दुनिया के तथाकथित "सरपंच" द्वारा किया गया यह प्रयास हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए उचित नहीं है।"

कांग्रेस ने की विशेष सत्र बुलाने की मांग

दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इन संवेदनशील मामलों पर सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तत्काल एक उच्च स्तरीय सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। इन संवेदनशील मामलों पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए, ताकि हम सवाल पूछ सकें और सच्चाई जान सकें। क्या हमें यह जानने के लिए वॉशिंगटन रेडियो सुनने पड़ेगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति ने क्या कहा?

ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "अमेरिका की तरफ से मध्यस्थता के द्वारा रात भर चली बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण और तत्काल सीजफायर की सहमति बन गई है। समझ-बूझ और जबरदस्त बुद्धिमता दिखाने के लिए दोनों देशों को बहुत बहुत धन्यवाद। इस बारे में ध्यान देने के लिए सभी का धन्यवाद।"

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India-Pakistan: 'घर में घुसकर मारेंगे', Ceasefire के बाद BJP नेता ने क्यों दी पाकिस्तान को चेतावनी?

Dainik Jagran - May 11, 2025 - 2:37pm

डिजिटल डेस्क, पटना। India Pakistan Ceasefire: 7 मई की रात पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक करके आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इसे 'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम दिया गया।

भारत के एक्शन से बौखलाए पाक ने कई जम्मू-कश्मीर सहित कई सीमावर्ती राज्यों में ड्रोन हमले किए। दोनों देशों के बीच जारी तनाव के बीच शनिवार का दिन अहम रहा। शनिवार शाम 5 बजे भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ।

शाहनवाज हुसैन की प्रतिक्रिया

हालांकि, सीजफायर के कुछ घंटों बाद एक बार फिर पाकिस्तान ने गोलीबारी शुरू कर दी। फिलहाल स्थिति सामान्य है। इस पूरे ऑपरेशन को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पीएम मोदी और सेना को इसके लिए बधाई दी।

शाहनवाज हुसैन ने कहा कि 1971 के बाद एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया। भारत के एक्शन से पाकिस्तान गिड़गिड़ाने लगा। उन्होंने कहा कि सेना ने आतंकवाद की कमर तोड़ दी है। पूरी दुनिया में ये संदेश गया है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद करेगा तो घर में घुसकर मारेंगे। पाकिस्तान को अपनी हरकतों से बाज आना पड़ेगा।

इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि सेना ने जो कदम उठाए थे वे आगे भी जारी रहेंगे। हमारा मकसद पहले दिन से ही आतंकियों का सफाया करना था और हमारी सेना ने अपने पराक्रम से उसे कर दिखाया है।

JDU प्रवक्ता राजीव रंजन ने दी प्रतिक्रिया

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच विपक्ष भी सरकार का साथ देता नजर आया। वहीं अब जब दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बनी है, तब भी विपक्षी नेताओं द्वारा इस पर केंद्र का साथ दिया जा रहा है। JDU प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न आता है हम केंद्र के साथ खड़े होते है।

इस दौरान उन्होंने सेना के पराक्रम की सराहना करते हुए कहा कि 72 घंटे में हमारी सेना ने पाकिस्तान को घुटने पर खड़ा कर दिया। एयर स्ट्राइक में सेना ने हिजबुल, जैश और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी लांचिंग पैड को नष्ट कर दिया।

सीजफायर के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राजीव रंजन ने कहा कि युद्ध विराम पर सहमति के साथ ये भी कहा गया है कि अब कोई भी हमला युद्ध माना जाएगा। ऐसे में हमारा अधिकार होगा कि हम पलटवार करेंगे। ऐसे में अगर पाकिस्तान अपनी हरकते दोहराता है तो उसके परिणाण खतरनाक होंगे।

सेना के पराक्रम पर पूरे देश को गर्व: केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारतीय सेना के पराक्रम पर पूरे देश को गर्व है। प्रधानमंत्री मोदी और सेना ने देश को गौरवान्वित किया है। हमें भारतीय होने पर गर्व है।

#WATCH | Patna, Bihar | Union Minister Giriraj Singh says, "The whole country is proud of the Indian army's valour... Prime Minister Modi and the army have made the country proud. We are proud to be Indians..." pic.twitter.com/v6vDQBqMcK

— ANI (@ANI) May 11, 2025

(एजेंसी के इनपुट के साथ)

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Warren Buffett’s $11 billion oil bet is down 21% from 2025 peak. Will this be his oil regret 2.0?

Business News - May 11, 2025 - 2:35pm
One of Warren Buffett’s largest public equity investments is now deep in the red. Occidental Petroleum, in which Berkshire Hathaway holds a 28.2% stake, has seen its shares slump 21% from their 2025 peak of $53.20, closing at $42.16 on Friday. The stock touched a low of $34.78 last month, its lowest level since 2022, as U.S. oil prices struggle, wiping out billions in value and casting a long shadow over one of Buffett’s final big swings in the energy sector.The Berkshire Hathaway chairman, who has long praised Occidental and its CEO Vicki Hollub, calling her “an extraordinary manager” and saying “we’re in it for keeps,” was notably silent about the company at Berkshire’s annual shareholder meeting last Saturday—his last as CEO. Hollub, seated in the audience, watched as Buffett skipped over what had previously been a fixture of his annual remarks.As the stock continues to fall, Berkshire’s stake—purchased largely at prices above $50—has dropped by an estimated $6.4 billion from its peak value last year, according to the Wall Street Journal.Berkshire Hathaway owns 28.2% of Occidental’s outstanding shares, currently valued at $11 billion, making it the seventh-largest position in Berkshire’s $280 billion public equity portfolio. Berkshire also holds $8.5 billion in preferred stock in Occidental and has warrants to buy another 83.9 million shares for $5 billion.Buffett's energy strategy faces a testThe Sage of Omaha has a history of oil investing missteps. A sizable stake in ConocoPhillips in 2008 soured during the financial crisis. He later exited Exxon Mobil in 2014 after a drop in prices. But in the wake of the pandemic, he reentered the sector aggressively, buying into Chevron and Occidental as oil prices rebounded.In 2019, Buffett funded Occidental’s acquisition of Anadarko Petroleum with a $10 billion preferred stock investment. He later said he was sold on Hollub’s vision after listening to her outline Occidental’s future plans to analysts: “What Vicki Hollub was saying made nothing but sense.” That backing appeared to embolden the company’s leadership, with Buffett even supporting Occidental’s high-risk carbon capture ambitions, despite admitting the economics were unproven.Occidental’s $11 billion purchase of Permian driller CrownRock last year further increased its debt burden, bringing long-term liabilities to around $24 billion. Now, facing sub-$60 oil prices and increased output from OPEC+, Occidental’s debt-heavy balance sheet and capital-intensive green ventures are under strain. Meanwhile, the Wall Street Journal has reported that the Energy Department is preparing major funding cuts to clean-energy projects—including Occidental’s carbon capture plans in South Texas.Q1 offers a glimmer of hopeStill, Occidental’s recent financial performance offers reasons not to write the investment off just yet. The company reported better-than-expected results for the first quarter last week, buoyed by strong production and improving natural gas prices.Production jumped nearly 19% year-on-year to 1.39 million barrels of oil equivalent per day, with gains in the Rockies and what Occidental referred to as the Gulf of America. Average realized natural gas prices surged 50% from a year earlier to $2.42 per thousand cubic feet, while natural gas liquids rose 17% to $25.94 per barrel. “In the first quarter, our teams' sustained focus on operational excellence unlocked additional efficiencies and supported the delivery of resilient free cash flow,” Hollub said in the company’s earnings release.The company generated $3 billion in operating cash flow and $1.2 billion in free cash flow after capital expenditures. It used those proceeds to fund a 9% increase in its dividend and to pay down $2.3 billion in debt, aided by $1.3 billion in non-core asset sales. Since the third quarter of 2024, Occidental has repaid $6.8 billion in debt, exceeding its target following the CrownRock acquisition.“We continue to rapidly advance towards our debt reduction goals, and we believe our deep, diverse portfolio of high-quality assets positions us for success in any market environment,” Hollub added.What next for Berkshire’s stake?As Occidental’s stock continues to slide, investors are watching closely to see how Buffett—or his successor Greg Abel will navigate the situation. Berkshire has regulatory approval to buy up to 50% of the company and could choose to add to its position at current levels. Alternatively, Abel could steer toward a more conservative approach, given the stock’s volatility and Occidental’s elevated debt.So far, Berkshire has shown no signs of pulling the plug, even buying 763,000 additional Occidental shares at $46.82 in February this year, according to regulatory filings.For now, Berkshire remains one of Occidental’s largest shareholders. The company has repaid $2.3 billion in debt this year, but weaker oil prices and uncertain demand continue to cloud the outlook.Also read | Warren Buffett’s biggest investment isn’t Apple, BofA or Coca-Cola — it’s a stock hidden in plain sight(Disclaimer: Recommendations, suggestions, views and opinions given by the experts are their own. These do not represent the views of Economic Times)
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'हमने घर में घुसकर मारा...', भारतीय सेना ने किस तरह दिया 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम; रक्षा मंत्री ने बताई एक-एक बात

Dainik Jagran - National - May 11, 2025 - 2:28pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम HQ-9 तबाह हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने अकल्पनीय काम किया है, जिसके लिए उन्हें दिल से बधाई।

सेना की तारीफ की

राजनाथ सिंह ने सेना की तारीफ की और कहा, "भारतीय सेना ने शौर्य का परिचय दिया और पीओके में आतंकी कैंप तबाह कर दिए। भारतीय सेना को हृदय से बधाई।" दिल्ली में DRDO भवन में नेशनल क्वालिटी कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने यह बात कही है।

'आपरेशन सिंदूर' सिर्फ़ एक सैन्य कार्रवाई भर नहीं है, बल्कि भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है। pic.twitter.com/3S7L6mLHWu

— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 11, 2025

उन्होंने कहा, "सेना ने जो शौर्य और पराक्रम दिखाया है उसके लिए बधाई। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में सेना ने आतंकी ठिकानों को तबाह किया। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता सराहनीय है और इसमें कोई भी निर्देष नहीं मारा गया है। भारत की कार्रवाई में बहुत सारे आतंकवादी मारे गए हैं।"

राजनाथ सिंह ने क्या-क्या कहा?

  • हमारी सहनशीलता का कोई नाजायज फायदा नहीं उठाए नहीं तो कल जैसा ही प्रहार होगा।
  • पाकिस्तान और PoK में हमारे सुरक्षा बलों ने जो किया है, वह हमारे लिए गौरव का विषय है।
  • क्वालिटी की भूमिका का नमूना हमने कल देखा। जिस सटीकता के साथ ऑपरेशन सिंदूर किया गया वह अकल्पनीय और सराहनीय है।
  • इसमें काफी संख्या में आतंकी मारे गए।
  • सेना ने किसी भी निर्दोष को नुकसान पहुंचाए बिना ऑपरेशन को अंजाम दिया, क्योंकि हमारे प्रोफेशनली आर्म्ड फोर्सेज के पास इक्विपमेंट भी हाई क्वालिटी के थे।

बता दें, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को आतंकियों से बदला लिया और ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकवादियों के ठिकानों को तबाह कर दिया।

'ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है', भारतीय वायुसेना का बड़ा बयान; कहा- 'हमने अपने लक्ष्य पूरे किए'

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सीजफायर पर क्यों बना सस्पेंस? मलिल्कार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, सचिन पायलट ने भी उठाए सवाल

Dainik Jagran - National - May 11, 2025 - 2:23pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक हुए सीजफायर से हर कोई हैरान है। सीजफायर को लेकर विपक्ष के मन में भी कई तरह के सवाल हैं, जिसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर हमले का पूरे विपक्ष ने समर्थन किया है। हालाकि, 4 दिन के संघर्ष के बाद अचानक लागू हुए सीजफायर पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।

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संसद सत्र बुलाने की अपील

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को पत्र लिखते हुए संसद का स्पेशल सेशल बुलाने की अपील की है, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर पर सबकुछ साफ हो सके।

मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने पत्र में लिखा-

आदरणीय प्रधानमंत्री, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी मैंने आपको संसद सत्र बुलाने से संबंधित पत्र लिखा था। अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद मैं पूरे विपक्ष की तरफ से फिर आपसे गुजारिश करता हूं कि पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिका के द्वारा सीजफायर की घोषणा पर बातचीत के लिए संसद का स्पेशल सेशन बुलाया जाए।

Congress President and Leader of Opposition in Rajya Sabha Mallikarjun kharge writes to PM Modi, reiterating the Opposition's unanimous request for a special session of Parliament to discuss the Pahalgam terror attack, Operation Sindoor and the ceasefire announcements—first by… pic.twitter.com/kVFkxmevhe

— ANI (@ANI) May 11, 2025 सचिन पायलट ने सेना के सराहा

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, "22 अप्रैल को भारत पर जो आतंकी आक्रमण हुआ, उसका बदला लेने के लिए पूरे देश ने सरकार को समर्थन दिया। हमारी सेना ने आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया है। उसके लिए हमें उनपर गर्व है।

सरकार अपना मत स्पष्ट करे: सचिन पायलट

पाकिस्तान ने सीजफायर होने के बाद जो बमबारी की है वो चिंता का विषय है और उसकी घोषणा अमेरिका के माध्यम से हो रही है। वो कश्मीर पर चर्चा की बात करते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार अपना मत स्पष्ट करे। सीजफायर की बात अमेरिका के माध्यम से क्यों हो रही है? हमने हमेशा कहा है कि PoK भारत का हिस्सा है, उसपर कोई समझौता नहीं हो सकता है"

#WATCH | Delhi | Congress leader Sachin Pilot says, "In the 1971 war, America said that we are deploying the 7th Fleet in the Bay of Bengal, but despite that, our leader, Indira Gandhi, did what was in the supreme national interest. Today, we remember her as a leader for whom… pic.twitter.com/OWvqoMzyAQ

— ANI (@ANI) May 11, 2025 विदेश सचिन ने किया था साफ

बीते दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने का दावा किया था। इसके बाद भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान साफ किया कि पाकिस्तान के DGMO ने भारत में फोन करके युद्ध विराम का प्रस्ताव दिया था

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'1971 और 2025 के हालात अलग', कांग्रेस के इंदिरा गांधी कैंपेन के बीच ये क्या बोल गए शशि थरूर?

Dainik Jagran - National - May 11, 2025 - 2:16pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौते को लेकर अब राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। PAK के साथ हुए इस संघर्ष की तुलना 1971 में हुए युद्ध से की जा रही है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस जारी है। इस बहस के बीच अब कांग्रेस नेता शशि थरूर का एक बड़ा बयान सामने आया है।

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि 1971 और 2025 के हालात एक जैसे नहीं हैं। दरअसल कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1971 के नेतृत्व को उभारते हुए मोदी सरकार के युद्ध नीति की आलोचना करने शुरू कर दी है।

'हमारे लिए शांति जरूरी है'

अब समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद से कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर दिखाए गए इंदिरा गांधी अभियान के बारे में सवाल किए गए। अभियान पर सीधे टिप्पणी किए बिना थरूर ने जवाब दिया,

'मेरे हिसाब से सच्चाई यह है कि हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां तनाव बेवजह नियंत्रण से बाहर हो रहा है। हमारे लिए शांति जरूरी है। सच्चाई यह है कि 1971 के हालात 2025 के हालात जैसे नहीं हैं। दोनों में अंतर है।'

'मैं ये नहीं कह रहा कि युद्ध बंद...'

शशि थरूर ने आगे कहा, भारत के लोग शांति के हकदार हैं। हमने बहुत कुछ सहा है, पुंछ के लोगों से पूछिए, कितने लोग मारे गए हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें युद्ध बंद कर देना चाहिए। जब ​​उन्हें जारी रखने के कारण हों, तो हमें जारी रखना चाहिए। लेकिन यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे। हम बस आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते थे। वह सबक सिखाया जा चुका है।

रातों रात नहीं पकड़े जाते आतंकवादी-शशि थरूर

शशि थरूर का मानना है उन्हें भरोसा है कि सरकार पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने की कोशिश जारी रखेगी, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।शशि थरूर अपने बयान में आगे कहा- यह रातों-रात नहीं हो सकता, इसमें महीनों, सालों लग सकते हैं, लेकिन हमें यह करना होगा। किसी को भी निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पूरे देश को एक लंबे युद्ध में खतरे में डाल दें।

जहां तक ​​पाकिस्तान के साथ इस विशेष संघर्ष का सवाल है, तो और अधिक जान, अंग और संपत्ति को जोखिम में डालने का कोई कारण नहीं है। हमें भारतीय लोगों की समृद्धि, कल्याण विकास और प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि इस समय शांति ही सही रास्ता है।

1971 की लड़ाई पर क्या बोले शशि थरूर?

शशि थरूर ने आगे भारत और बांग्लादेश के बीच हुई 1971 की लड़ाई का विस्तार से जिक्र किया। शशि थरूर ने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत लोगों को आजादी दिलाने के लिए नैतिक लड़ाई लड़ रहा था। यह एक अलग कहानी है। हम दोनों पक्षों के लोगों की जान जाने के साथ एक बहुत लंबे, लंबे संघर्ष में फंस जाते। क्या आज भारत के लिए यह सबसे बड़ी प्राथमिकता है? नहीं, यह नहीं है।

कांग्रेस नेता ने कहा है- हम उन लोगों को सिखाना चाहते थे जिन्होंने इन आतंकवादियों को भेजा था कि उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। कांग्रेस नेता ने आगे ये भी कहा कि 1971 की जीत एक महान उपलब्धि थी जो मुझे एक भारतीय के रूप में गौरवान्वित करती है।

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Bihar News: बिहार में 3758 करोड़ रुपये की लागत से बनेंगे पुल, वार्षिक कार्ययोजना के तहत मिली मंजूरी

Dainik Jagran - May 11, 2025 - 1:45pm

राज्य ब्यूरो, पटना। पुलों के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बिहार की वार्षिक कार्ययोजना 2025-26 के तहत 3758 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। दिलचस्प यह है कि अकेले तीन प्रोजेक्ट के लिए ही 3500 करोड़ रुपये का आवंटन है। शेष राशि पांच परियोजनाओं के बीच बंटी है। जिन पुलों के लिए वार्षिक कार्ययोजना के तहत राशि मिली है उनमें एक पटना का है।

सबसे अधिक 1800 करोड़ रुपये गंडक पर नए पुल के निर्माण के लिए

पुलों के निर्माण के लिए वार्षिक कार्य योजना के तहत जो राशि आवंटित की गई है उनमें सबसे अधिक राशि गंडक पर नए पुल के निर्माण को मिली है। गंडक नदी पर बेतिया से यूपी के सेवराही (एनएच 727एए) के बीच एप्रोच रोड सहित 20 किमी लंबे पुल का निर्माण किया जाना है। इसके लिए 1800 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।

पटना में एक प्रोजेक्ट के लिए 1308 करोड़

वार्षिक कार्ययोजना के तहत पटना के एक प्रोजेक्ट के लिए 1308 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। अनिसाबाद से पटना एम्स के बीच 10 किमी लंबे एलिवेटेड कारिडोर के लिए 1308 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।

कमला नदी पर फोर लेन पुल के निर्माण के लिए 400 करोड़

एनएच 227 (पुराना एनएच 104) पर कमला नदी पर दो किमी लंबाई में फोर लेन पुल के निर्माण के लिए 400 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।

पांच परियोजनाएं ऐसी जिनमें एक के लिए भी सौ करोड़ नहीं

जिन पांच अन्य पुल परियोजनाओं के लिए वार्षिक कार्ययोजना के तहत राशि आवंटित की गई है उनमें एक भी प्रोजेक्ट ऐसा नहीं है, जिसके लिए सौ करोड़ की राशि आवंटित हुई है।

एनएच 333 ए पर नारायणा ब्रिज को दुरुस्त करने के लिए 50 करोड़, एनएच 333 ए पर ही मांगोबंदर पुल को दुरुस्त करने को 50 करोड़, एनएच 333 ए पर ही सती घाट पुल के लिए 10 करोड़, एनएच 322 पर मगरदाही घाट पुल के निर्माण के लिए 65 करोड़ तथा एनएच 131 पर कटया हाइडल पर पुल निर्माण के लिए 75 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। सभी पुलों का निर्माण ईपीसी मोड में कराया जाएगा।

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भारतीय सेना में कैसे बनते हैं DGMO? चयन की प्रक्रिया है काफी कठिन; लाखों में होती है सैलरी

Dainik Jagran - National - May 11, 2025 - 1:22pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई से छटपटाए पाकिस्तान ने भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात और राजस्थान में ड्रोन्स के जरिए हमला करने की कोशिश की थी। हालांकि, भारतीय सेना ने डिफेंस सिस्टम की मदद से पाक ने 'नापाक' इरादों को ध्वस्त कर दिया था और सारे ड्रोन्स को नष्ट कर दिया था।

फिलहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का एलान हो चुका है और शनिवार शाम 5 बजे से दोनों देशों ने संघर्ष विराम की घोषणा की है। सीजफायर की खबरों के बीच सेना के DGMO (Director General Of Military Operations) को लेकर खूब चर्चा हो रही है।

दरअसल, विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी देते हुए बताया था कि पाकिस्तान के DGMO ने कॉल करके संघर्ष विराम पर सहमति जताने की बात की थी। इसके बाद से ही DGMO के पद को लेकर लोगों में काफी ज्यादा उत्साह है। आईए जानते हैं, कौन होते हैं DGMO, कैसे होता है इनका चयन और कितनी होती है इनकी सैलरी...

भारतीय सेना में DGMO कौन होता है?

भारतीय सेना का एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल 3-स्टार रैंक का अधिकारी DGMO होता है। इनका काम सेना के बड़े ऑपरेशन की प्लानिंग करना है। DGMO सीधे सेना प्रमुख (Army Chief) को रिपोर्ट करते हैं और सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बैठाते हैं।

DGMO के मुख्य काम

  • भारतीय सेना में DGMO की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है और इनका काम युद्ध, आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशंस और शांति मिशनों की रणनीति बनाना होता है।
  • साथ ही, लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पर तनाव कम करना, गोलीबारी रुकवाना, सैन्य खुफिया जानकारियों को समझना और सेना को तैयार रखना भी DGMO के मुख्य कार्यों में से एक है।
  • पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने जब पाकिस्तान और पीओके में 'ऑपरेशन सिंदूर' किया था, तब DGMO ने ही पाकिस्तानी DGMO से बात कर तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई थी।

कितनी होती है DGMO की सैलरी?

भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के लिए 7वें वेतन आयोग के हिसाब से बेसिक सैलरी ₹1,82,200 से ₹2,24,100 प्रति माह तक मिलती है। इतना ही नहीं, DGMO को अन्य कई तरह के भत्ते भी मिलते हैं। कुल मिलाकर इनकी सैलरी ₹2.5 लाख से लेकर ₹3 लाख प्रति माह तक होती है। इसके अलावा घर, मेडिकल सुविधाएं आदि मिलती है।

पाकिस्तान सेना में कौन होता है DGMO?

भारत की तरह पाकिस्तान की सेना में भी DGMO एक सीनियर अफसर होता है, जो ज्यादातर मेजर जनरल रैंक का होता है। कभी-कभी लेफ्टिनेंट जनरल को भी DGMO बनाया जाता है।

  • पाकिस्‍तान का DGMO सैन्य ऑपरेशंस की प्लानिंग करता है और सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है।
  • इसका काम भी LoC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सैन्य गतिविधियों को संभालना होता है।
  • पाकिस्तान में DGMO बनने की प्रक्रिया भारत जैसी ही है।
  • यह पद मेजर जनरल रैंक के उन्‍हीं अफसरों को मिलता है,जिन्होंने LoC या आतंकवाद-रोधी ऑपरेशंस में काम किया हो।
  • पाकिस्‍तान के DGMO का चुनाव भी सेना प्रमुख और जनरल हेडक्वार्टर्स (GHQ)मिलकर चुनते हैं।

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India Pakistan Ceasefire: क्या होता है सीजफायर? आसान भाषा में समझें इसका पूरा मतलब

Dainik Jagran - National - May 11, 2025 - 1:18pm

जागरण डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर (Ceasefire) हो गया है। जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान की सेना एक दूसरे के खिलाफ किसी तरह की गोलाबारी या हमला नहीं करेंगे। इस दौरान एक शब्द हर किसी चर्चा में आ गया है, सीजफायर। 

आखिर क्या होता है सीजफायर (What is Ceasefire) और दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति में ये किस तरह से काम करता है। इसकी पूरी डिटेल्स आइए इस लेख में पढ़ते हैं। 

क्या होता है सीजफायर?

भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालातों को देखते हुए सीजफायर की घोषणा की गई है। दरअसल, सीजफायर का असली मतलब दो देशों के बीच सीजफायर होता है। इसके लागू होने के तुरंत बाद से दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष पर अस्थाई और स्थाई तौर पर रोक लग जाती है। इसके अतिरिक्त सीजफायर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ऑक्सफोर्ड पब्लिक इंटरनेशनल लॉ की आधिकारिक साइड और कैम्ब्रिज डिक्शनरी के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।

फोटो क्रेडिट- जागरण

ये भी पढ़ें- भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का एलान, विदेश सचिव बोले- 12 मई को फिर बात करेंगे DGMO

सीमा पर आक्रामक कार्रवाई को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। खासबात ये है कि इसमें किसी भी तरह की संधि की जरूरत नहीं होती है, बल्कि इसके लागू होना फैसला दोनों देशों की आपसी सहमति पर निर्भर रहता है। 

सीजफायर लागू होने के बाद क्या होता है?
  • सीजफायर लागू होने के बाद दोनों देशों के बीच जारी सैन्य कार्रवाई पर अस्थाई और स्थाई तौर पर रोक लग जाती है।

  • दोनों देशों के जरिए आपसी तनाव खत्म करने के लिए समय और दायरे सहित शर्तों पर सहमति व्यक्त की जाती है।

  • सीजफायर लागू करने के लिए सैन्य कमान शृंखला में निर्देश दिए जाते हैं।

  • युद्ध विराम को लागू करने के लिए सैन्य कमान की श्रृंखला में निर्देश दिए जाते हैं। सीजफायर लागू होने में महानिदेशक मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) भी अहम भूमिका अदा करते हैं।

  • इसके पूर्ण अनुपालन की जांच करने के लिए निगरानी व्यवस्था भी की जा सकती है।

युद्धविराम का समझें मतलब

इस वक्त सीजफायर और युद्धविराम को एक साथ जोड़कर भी देखा जा रहा है। लेकिन इसमें भी काफी अंतर है। दरअसल युद्धविराम उस वक्त कहा जाता है कि जब दोनों देशों के बीच पहले से ही युद्ध की घोषणा की गई हो। भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसा नहीं हुआ है और इस संघर्ष को आपसी तनाव की तरह देखा गया।

इसके लिए सीजफायर करके दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई पर रोक लगाई गई है। इसे सीमा युद्धविराम कहा जा सकता है, क्योंकि जब दो देशों का संघर्ष किसी भी नतीजे पर न पहुंचे तो ऐसी स्थिति में दोनों देश एक समझौता करते हैं और सीमा पर जारी आपसी संघर्ष पर कुछ वक्त के लिए लगाम लगाए रखने पर सहमति प्रदान करते हैं। भारत और पाकिस्तान का सीजफायर भी कुछ इसी तरह का माना जा रहा है। 

भारत बनाम पाक सीजफायर

भारत और पाकिस्तान के आपसी मतभेद का इतिहास काफी पुराना है। आजादी के एक साल बाद 1948 में पहली बार दोनों देश जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर आमने-सामने आए थे। बताया जाता है कि उस वक्त 1 जनवरी 1949 को पहला औपचारिक सीजफायर हुआ था। इसके बाद का विस्तार इस प्रकार से है- 

1965 युद्ध

भारत और पाकिस्तान की सेनाएं 1965 में एक बार फिर से युद्ध के मैदान में आमने-सामने आई थीं। उस वक्त सोवियत संघ और संयुक्त राज्य (अमेरिका) के हस्तक्षेप के बाद दोनों देशों की आपसी सहमति के बाद सीजफायर का एलान हुआ था।

1971 और 1999 में भारत की जीत

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 और 1999 कारगिल युद्ध हुए थे। इन दोनों संघर्षों में भारतीय सेना की विजय हुई। 71 की लड़ाई में सोवियत संघ यानी रूस ने भारत की सहायता कर दुनिया के सामने ये साबित कर दिया था कि अन्य कोई भी देश भारत की तरफ आंख उठाकर भी न देखे।

भारत-पाकिस्तान तनाव 2025

22 अप्रैल को जम्मू एंड कश्मीर के पहलगाम में हुआ आंतकी हमले के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 7 मई एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान और POK में 9 आंतकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।

8-9 मई को पाकिस्तान ने भारत के सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी और ड्रोन से हमले की कायराना हरकत की। जिसका भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने मुंहतोड़ जवाब दिया और 10 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान 4 एयरबेस ठिकानों को उड़ा दिया।

कई बार हुआ सीजफायर का उल्लघंन

ऐसा नहीं है कि सीजफायर के एलान के बाद पाकिस्तान ने कभी इसका उल्लंघन नहीं किया है। इतिहास इस बात का गवाह है कि सीजफायर के बाद समय-समय पर पाकिस्तानी सेना लॉइन ऑफ कंट्रोल पर सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है। 2021 से पहले ये नजारा कई बार देखने को मिला था। 

लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सीजफायर उल्लघंन को लेकर विस्तार से जानकारी साझा की थी। 

  • साल 2018- 2140 बार सीजफायर उल्लघंन

  • साल 2019- 3479 बार सीजफायर उल्लघंन

  • साल 2020- 5133 बार सीजफायर उल्लघंन

जबकि इंडियन आर्मी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 से लेकर 2024 के दौरान सिर्फ तीन बार ऐसा हुआ है कि LOC पर महज तीन बार सीजफायर का उल्लघंन हुआ है। 

विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

10 मई मई को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बात की आधिकारिक जानकारी दी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की पुष्टि की है। हालांकि, आतंकवाद के बाद खिलाफ देश के सख्त रवैये पर अडिग रहने की बात भी कही है। इस मामले को लेकर 12 मई को एक फिर से अहम बातचीत होगी। 

Source: ऑक्सफोर्ड पब्लिक इंटरनेशनल लॉ की आधिकारिक वेबसाइट

कैम्ब्रिज डिक्शनरी

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'ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है', भारतीय वायुसेना का बड़ा बयान; कहा- 'हमने अपने लक्ष्य पूरे किए'

Dainik Jagran - National - May 11, 2025 - 1:17pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 7 मई की रात पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकियों के 9 ठिकानों पर कहर बनकर टूटे भारतीय वायुसेना ने पहलगाम में आतंकियों द्वारा मारे गए निर्देष लोगों की मौत का बदला लिया। इसे 'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम दिया गया था।

भारत पाकिस्तान में हुआ सीजफायर

फिलहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का एलान हो चुका है और दोनों तरफ से सबकुछ बिल्कुल शांत है। इस बीच भारतीय वायुसेना की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर ऑपरेशन सिंदूर के बारे में और अधिक जानकारी दी है।

वायुसेना ने किया पोस्ट

वायुसेना ने पोस्ट में लिखा, "भारतीय वायु सेना (IAF) ने ऑपरेशन सिंदूर में अपने सौंपे गए कार्यों को सटीकता और व्यावसायिकता के साथ सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। ऑपरेशन राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप सोच-समझकर और विवेकपूर्ण तरीके से संचालित किए गए।"

The Indian Air Force (IAF) has successfully executed its assigned tasks in Operation Sindoor, with precision and professionalism. Operations were conducted in a deliberate and discreet manner, aligned with National Objectives.

Since the Operations are still ongoing, a detailed…

— Indian Air Force (@IAF_MCC) May 11, 2025

पोस्ट में यह भी जानकारी दी गई कि ऑपरेशन अभी भी जारी है। वायुसेना ने लिखा, "चूंकि ऑपरेशन अभी भी जारी है, इसलिए समय रहते विस्तृत जानकारी दी जाएगी। IAF सभी से अपील करता है कि वे अटकलें लगाने और असत्यापित जानकारी के प्रसार से बचें।"

'उनकी युद्ध नीति बहुत अच्छी है', ऑपरेशन सिंदूर पर पी चिदंबरम ने की पीएम मोदी की तारीफ; जानें और क्या कहा

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