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उच्च शिक्षा के लिए बिहार सरकार का बड़ा फैसला, अब एक समय में छात्रों को होगा दोहरा लाभ

Dainik Jagran - May 14, 2025 - 8:10pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य की सभी यूनिवर्सिटी ''बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय'' (मेरु) बनेंगी। इनमें छात्र-छात्राओं को ड्यूअल डिग्री (दोहरी डिग्री) मिलेगी। यानी, एक छात्र एक ही समय में या अलग-अलग समय पर दो अलग-अलग डिग्री हासिल करेंगे।

नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को बनाएगा प्रभावी

शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को प्रभावी बनाया जाएगा। इसके लिए सभी छात्र-छात्राओं एवं संस्थाओं का एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) पोर्टल पर निबंधन होगा तथा सभी पाठ्यक्रम की मैपिंग कर डिग्री क्रेडिट अपलोड की जाएगी।

ज्यादा अनुदान व केंद्रांश का लाभ मिलेगा

सरकार के इस फैसले से केंद्र से विश्वविद्यालयों को ज्यादा से ज्यादा अनुदान व केंद्रांश का लाभ मिलेगा। वर्तमान में प्रदेश में सिर्फ दो विश्वविद्यालय बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (मेरु) के दायरे में हैं। इनमें पटना यूनिवर्सिटी और ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी शामिल है।

100-100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत

बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय'' (मेरु) के रूप में इन दोनों विश्वविद्यालयों के लिए 100-100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत है। यह राशि अब दोनों विश्वविद्यालयों में खर्च की जानी है। शिक्षा विभाग ने बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद (रुसा) को निर्देश दिया है कि मात्र दो संस्थान ही नहीं, बल्कि सभी यूनिवर्सिटी को बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया जाए।

संपदा के उपयोग को साझा किया जाना 

इसके लिए विश्वविद्यालयों के बीच एवं विश्वविद्यालय के अंदर संस्थाओं के बीच संपदा के उपयोग को साझा किया जाना है। बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय'' (मेरु) के रूप में विकसित करने हेतु आवश्यक शर्त है कि ड्यूअल डिग्री देने का प्रयास किया जाए।

30 अप्रैल को तैयार हुआ था प्रस्ताव

राज्य में सभी यूनिवर्सिटी को बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय बनाने को लेकर बीते 30 अप्रैल से एक मई तक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। उसके आधार पर शिक्षा विभाग ने इसका प्रस्ताव रुसा को दिया था। यह प्रस्ताव उच्च शिक्षा के उप निदेशक दीपक कुमार सिंह के हस्ताक्षतर से परिषद के उप सचिव (प्रशासन) को भेजा गया है।

इंटर्नशिप कोर्सेज समयानुकूल हों

इसके मुताबिक इंटर्नशिप कोर्सेज समयानुकूल हों, इसके लिए इंडस्ट्री के साथ बैठ कर उसे विकसित करना होगा एवं क्रेडिट ट्रांसफर की व्यवस्था करनी होगी। यह तभी संभव है, जब राज्य के सभी यूनिवर्सिटी बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय के दायरे में आ जाएंगे। मल्टीपल इंट्री एवं मल्टीपल एक्जिट की व्यवस्था करनी होगी। यह तभी संभव है, जब सभी विश्वविद्यालय पूरी तरह से नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के अंदर एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) कम्पलायंट हो जाएंगे।

कालेज-यूनिवर्सिटी में होंगे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर

उच्च शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव के मुताबिक राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुविधा विकसित करने हेतु कार्य योजना तैयार की जा रही है। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क तथा एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट को क्रियाशील बनाने के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए सभी छात्र-छात्राओं का अपार आइडी होना जरूरी है। इंडियन नालेज सिस्टम के तहत पूर्व से उपलब्ध सामग्रियों का भारतीय भाषाओं में बनाने की आवश्यकता जतायी गयी है।

समर्थ के क्रियान्वयन भी जरूरी

यह भी कहा गया है कि समर्थ के क्रियान्वयन भी जरूरी है। अप्रेटिंशिप को डिग्री का हिस्सा बनाने के लिए अप्रेटिंशिप कराये जाने होंगे और इसके लिए इंडस्ट्री से संपर्क बनाना होगा। मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण प्रोग्राम के तहत आवश्यकतानुसार शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी। नैक व एनआइआरएफ के लिए महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों की हैंडहोल्डिंग करनी होगी। इसके लिए आवश्यक निधि संसाधन विकसित करनी होगी।

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बिहार में पुलिस को लेकर आम लोग क्या सोचते हैं? मंत्री-सांसद के सामने नीतीश कुमार ने खुद बताया

Dainik Jagran - May 14, 2025 - 7:39pm

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि आम जन को पुलिस पर पूरा भरोसा है। पुलिसकर्मियों का यह दायित्व है कि वे जनता के भरोसा पर खरा उतरें। कानून व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के लिए पूरी मुस्तैदी से काम करें।

गृह एवं आपदा प्रबंधन विभाग का किया निरीक्षण

सीएम ने बुधवार को पटेल भवन स्थित गृह एवं आपदा प्रबंधन विभाग का निरीक्षण किया। पटेल भवन स्थित अपने कक्ष में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और राज्य की कानून व्यवस्था एवं पुलिसिंग गतिविधि की बेहतरी के लिये किए जा रहे कार्यों की जानकारी ली।

कार्यों का बेहतर ढंग से निपटारा करें

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी लोग समय पर कार्यालय आकर अपने कार्यों का बेहतर ढंग से निपटारा करें। मुख्यमंत्री राज्य आपातकालीन संचालन केन्द्र भी गये और वहां की व्यवस्थाओं तथा कार्य पद्धतियों की जानकारी ली।

24 घंटे संचालित रहता है केंद्र

इस दौरान विकास आयुक्त सह आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इस केंद्र की कार्य पद्धति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह केद्र 24 घंटे संचालित रहता है। इससे कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं। 

राज्य के मौसम एवं तापमान की मिलती है जानकारी

इस केंद्र से राज्य का मौसम, तापमान एवं आपदा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों की जानकारी मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत उपयोगी केंद्र है। इसका संचालन बेहतर ढंग से करें, ताकि राज्य के लोगों को इसका लाभ मिलता रहे।

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विभागों का लिया जायजा

मुख्यमंत्री ने पांचवें तल स्थित बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विभिन्न भागों का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने कांफ्रेंस हाल में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, सदस्य एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री के समक्ष आगजनी से बचाव के लिये जन जागरूकता को लेकर बनायी गयी वीडियो गीत भी प्रस्तुत की गई।

मंत्री व सांसद बैठक में रहे मौजूद

बैठक और निरीक्षण में जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल, जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं सांसद संजय कुमार झा, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डा. उदय कांत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, प्राधिकरण के सदस्य श्री पीके राय, कौशल कुमार मिश्र, नरेन्द्र कुमार सिंह, प्रकाश कुमार, पुलिस महानिदेशक विनय कुमार, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि सहित गृह एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।

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'स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर हो बिहटा एयरपोर्ट' , केंद्रीय मंत्री नायडु से मिले रोहित कुमार सिंह

Dainik Jagran - May 14, 2025 - 7:18pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडु से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने पटना के बिहटा में निर्माणाधीन ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का नामकरण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और किसान-मजदूरों के महान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर करने की मांग दोहराई।

रोहित कुमार सिंह ने मंत्री नायडु को बताया कि स्वामी सहजानंद सरस्वती न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे भारत के किसानों की आवाज थे। उन्होंने जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के लिए बड़ा आंदोलन खड़ा किया और भारतीय किसान सभा जैसी ऐतिहासिक संस्था की स्थापना कर लाखों किसानों को संगठित किया। उनके विचार आज भी ग्रामीण भारत और किसानों के संघर्ष के प्रतीक हैं।

बिहटा से है सहजानंद सरस्वती का ऐतिहासिक संबंध

रोहित ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती का ऐतिहासिक आश्रम  सीताराम आश्रम बिहटा में ही स्थित है, जो आज भी किसान चेतना और सामाजिक न्याय के केंद्र के रूप में देखा जाता है। ऐसे में यह उचित होगा कि पटना के पास बन रहे इस नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को स्वामी जी के नाम पर समर्पित किया जाए। इससे एक ओर जहां बिहार के ऐतिहासिक गौरव को मान्यता मिलेगी, वहीं देश के युवाओं और किसानों को प्रेरणा भी मिलेगी।

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खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में बिहार के खिलाड़ियों ने रचा इतिहास, मणिपुर का दबदबा बरकरार

Dainik Jagran - May 14, 2025 - 7:11pm

डिजिटल डेस्क, गया/पटना। मणिपुर की पारंपरिक मार्शल आर्ट थांग-टा, जो खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 (KIYG) में शामिल पांच स्वदेशी खेलों में से एक है, बुधवार को गया के बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड रूरल डेवलपमेंट (BIPARD) में समाप्त हुई। मेजबान बिहार ने इतिहास रचते हुए पहली बार दो स्वर्ण पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया, जबकि मणिपुर ने सबसे ज्यादा तीन स्वर्ण पदकों के साथ अपना दबदबा बनाए रखा।

बिहार की ओर से प्रिय प्रेरणा और माहिका कुमारी ने स्वर्ण पदक जीतकर राज्य को गौरवान्वित किया। कुल आठ स्वर्ण पदकों में से मणिपुर ने तीन, बिहार और असम ने दो-दो, जबकि मध्य प्रदेश ने एक स्वर्ण पदक जीता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार थांग-टा, मल्लखंब, गतका, कलरिपयट्टु और योगासन जैसे पारंपरिक स्वदेशी खेलों को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए प्रयासरत है और अगर ऐसा हुआ तो इन खेलों को ओलंपिक में जगह बनाने का प्रयास किया जाएगा।

थांग-टा का सफर और हुइद्रोम प्रेमकुमार की भूमिका

70 वर्षीय हुइद्रोम प्रेमकुमार, जो थांग-टा के पुनरुत्थान के मुख्य स्तंभ रहे हैं, ने खेल की यात्रा पर प्रकाश डाला।

वह कहते हैं, “1891 में ब्रिटिश सरकार ने इस खेल को प्रतिबंधित कर दिया था क्योंकि यह उनके लिए चुनौती बन रहा था। 1930 में एक स्थानीय राजा के प्रयासों से इसे पुनर्जीवित किया गया और फिर मेरे गुरु राजकुमार सनाहान ने इसकी बागडोर संभाली।”

1988 में सनाहान के निधन के बाद, प्रेमकुमार ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्होंने इसे भारत के कोने-कोने में और विदेशों (दक्षिण कोरिया, ईरान) तक पहुँचाया। 2021 में जब इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल किया गया, तब इस खेल को नई पहचान मिली।

प्रेमकुमार ने कहा, “मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी थांग-टा को समर्पित कर दी है। हम जहाँ हैं, उस पर गर्व है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। स्थानीय मार्शल आर्ट्स को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। दूसरों का अपमान नहीं, लेकिन अपनी परंपरा को ज़्यादा समर्थन मिलना चाहिए।”

प्रतियोगिता और प्रतिभागिता

थांग-टा में दो वर्ग शामिल थे:

फुनबा अमा (Phunaba Ama): पारंपरिक संस्करण जिसमें तलवार (चैबी) और ढाल (चुंगोई) का उपयोग होता है।

फुनबा अनीशुबा (Phunaba Anishuba): प्रेमकुमार द्वारा विकसित संस्करण, जिसमें ढाल नहीं होती, लेकिन किकिंग की अनुमति होती है।

25 राज्यों के 128 खिलाड़ियों ने चार भार वर्गों (-52kg, -56kg लड़कियाँ; -56kg, -60kg लड़के) में भाग लिया। 12 से 14 मई तक चले इस तीन दिवसीय आयोजन में प्री-क्वार्टरफाइनल से लेकर फाइनल तक रोमांचक मुकाबले हुए।

बिहार के कोच की भूमिका

बिहार के कोच सारंगथेम टीकेन सिंह, जो मूल रूप से मणिपुर से हैं, ने बिहार की सफलता में अहम भूमिका निभाई।

कोच सिंह ने कहा, “बिहार के बच्चे बहुत प्रतिभाशाली हैं। हमने राजगीर में दो महीने का कैंप किया था। उन्होंने बड़ी मेहनत की और बहुत तेज़ी से सीखा।”

थांग-टा के परिणाम-

फुनबा अनीशुबा (बालक, -56kg):

• स्वर्ण: थोकचोम श्रीनिवास सिंह (मणिपुर)

• रजत: सत्यं डांगी (मध्य प्रदेश)

• कांस्य: राहुल यादव (राजस्थान), मनीष राय (नागालैंड)

फुनबा अनीशुबा (बालक, -60kg):

• स्वर्ण: कोंजेंगबम परेहानबा सिंह (मणिपुर)

• रजत: गर्व (दिल्ली)

• कांस्य: हरमन सैनी (पंजाब), भुमिक राज (बिहार)

फुनबा अमा (बालक, -56kg):

• स्वर्ण: प्रणय दास (असम)

• रजत: वैभव शरद माली (महाराष्ट्र)

• कांस्य: युमनाम मलेमंगनबा मैतेई (मणिपुर), जस्टिन वेनर (नागालैंड)

फुनबा अमा (बालक, -60kg):

• स्वर्ण: राजदीप दास (असम)

• रजत: लक्ष्य (हरियाणा)

• कांस्य: लकी कुमार (बिहार), थोइबा युमनाम (मणिपुर)

फुनबा अनीशुबा (बालिका, -52kg):

• स्वर्ण: थांजम लेम्बिसाना देवी (मणिपुर)

• रजत: थ. रेनूका देवी (असम)

• कांस्य: तानिया डे (त्रिपुरा), सुवाक्षी सरगम (बिहार)

फुनबा अनीशुबा (बालिका, -56kg):

• स्वर्ण: माहिका कुमारी (बिहार)

• रजत: मेमोला देवी (असम)

• कांस्य: आलिया अक्तर (छत्तीसगढ़), प्रियांशी (हिमाचल प्रदेश)

फुनबा अमा (बालिका, -52kg):

• स्वर्ण: प्रिया प्रेर्णा (बिहार)

• रजत: इरोम अनामिका देवी (मणिपुर)

• कांस्य: किरण साहू (छत्तीसगढ़), अपेक्षा बसवराज (महाराष्ट्र)

फुनबा अमा (बालिका, -56kg):

• स्वर्ण: अंजली रावत (मध्य प्रदेश)

• रजत: लौरेंबम डैना देवी (मणिपुर)

• कांस्य: लवली बर्मन (पश्चिम बंगाल), तनिष्का रमेश कुंभार (महाराष्ट्र)

खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसे 14 अक्टूबर, 2017 को लॉन्च किया गया था।

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