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40 करोड़ की सोने की तस्करी में शामिल थीं अभिनेत्री रान्या राव और साहिल जैन, कुछ यूं रचा पूरा खेल

Dainik Jagran - National - April 3, 2025 - 10:11pm

पीटीआई, बेंगलुरु। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने कहा कि गोल्ड बिजनेसमैन साहिल सकारिया जैन ने अभिनेत्री रान्या राव को 40.14 करोड़ रुपये मूल्य के 49.6 किलोग्राम तस्करी के सोने को ठिकाने लगाने में अहम भूमिका निभाई थी।

डीआरआई के रिमांड नोट के अनुसार, जैन ने न केवल अवैध लेनदेन में मदद की, बल्कि तस्करी ऑपरेशन से जुड़े हवाला मनी ट्रांसफर में भी रान्या का सहयोग किया। साहिल जैन को सोना तस्करी मामले में रान्या की मदद करने के आरोप में 26 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उसे सात अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

साहिल जैन ने किया कबूल

डीआरआई ने कहा कि साहिल जैन ने स्वीकार किया है कि उसने रान्या राव को हवाला के पैसे की लगभग 38.39 करोड़ रुपये दुबई और 1.7 करोड़ रुपये बेंगलुरु में हस्तांतरित करने में मदद की। एजेंसी ने आगे कहा कि चार मार्च को रान्या के घर से जब्त की गई 2.67 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी संभवत: हवाला का पैसा था जो उसे दुबई में सोना खरीदने और बेंगलुरु में बेचने से लाभ के रूप में मिला था।

हर लेनदेन पर कमीशन लेता था साहिल

डीआरआइ ने कहा कि जैन ने प्रत्येक लेनदेन के लिए 55 हजार रुपये का कमीशन प्राप्त करने की बात स्वीकार की। डीआरआइ ने कहा कि साहिल जैन के दो मोबाइल फोन और एक लैपटाप से प्राप्त सुबुत सोना तस्करी में उसकी भूमिका को और पुष्ट करते हैं।

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Waqf Bill: मुस्लिम बस्तियों में 'फैक्ट फाइल', संसद से मंजूरी के बाद वक्फ पर क्या है BJP का नया प्लान?

Dainik Jagran - National - April 3, 2025 - 9:21pm

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक संसद से पास होने के बाद राजनीति के मैदान में इस मुद्दे को गर्माए जाने के साफ संकेत दिखाई दे रहे हैं। मुस्लिम मतों की राजनीति करने वाले विपक्षी दल जहां इसे भाजपा के विरुद्ध भुनाने की तैयारी में हैं तो भाजपा ने भी कमर कस ली है। ऐतिहासिक ट्रिपल तलाक कानून के सहारे मुस्लिम महिलाओं का कुछ विश्वास जीतने वाला भगवा खेमा अब संशोधित वक्फ कानून का इस वर्ग की महिलाओं के साथ ही गरीब और पिछड़े (पसमांदा) मुस्लिमों पर 'मोहिनी अस्त्र' के रूप में प्रयोग करेगा।

नए-पुराने कानून का जिक्र कर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच जाएगी भाजपा

पुराने और नए कानून की फैक्ट फाइल लेकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा अल्पसंख्यक बस्तियों में जाएगा। संसद के दोनों सदनों में दिखा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर घंटों चर्चा हुई। विपक्ष ने गंभीरता से इसमें हिस्सा तो लिया, लेकिन अधिकतर नेता विधेयक के तकनीकी बिंदुओं पर तर्क-वितर्क करने की बजाए न सिर्फ भाजपा को मुस्लिम विरोधी घोषित करने के प्रयास में रहे, बल्कि खुलकर भाजपा को मुस्लिम विरोध बताया भी। इस प्रतिक्रिया के लिए भाजपा पहले से तैयार थी। यही कारण है कि सरकार ने जहां कानून के प्रविधानों पर काम किया, वहीं संगठन ने इसके प्रभाव की राजनीतिक बिसात बिछाने पर दिमाग दौड़ाया।

I.N.D.I.A के रूप में एक छतरी के नीचे संघर्ष कर रहे कांग्रेस, सपा, डीएमके, राजद, एनसीपी और टीएमसी जैसे दलों की आंखें एकजुट मुस्लिम मतों के अपने पक्ष में मजबूत होने की संभावना को लेकर चमक रही हैं तो भाजपा का दावा है कि इनके चेहरों से नकाब हटाना अब अधिक आसान होगा।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि वक्फ के मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की भाजपा की पूरी तैयारी है। निर्णय किया गया है कि यह विधेयक संसद से पारित होने वाली तिथि तीन अप्रैल को वक्फ आजादी दिवस के रूप में घोषित किया जाएगा। इस संदेश के साथ ही भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के 65 हजार पदाधिकारी और 38 लाख सदस्यों को मैदान में उतारने का प्रयास होगा।

मुस्लिम समाज को भरोसे में लेने की भाजपा की कोशिश?

मोर्चा के कार्यकर्ता मुस्लिम बस्तियों में बेदारी मुहिम यानी जगाने वाला अभियान चलाएंगे। वह बताएंगे कि किस तरह लाखों-करोड़ों रुपये की वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग अब तक कुछ माफिया कर रहे थे। सारे तथ्य सामने रखेंगे कि इस संपत्ति से कितनी आय हो सकती थी और उससे कैसे मुस्लिम समाज का भला होता। चूंकि, कानून में संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड में महिलाओं के साथ ही पिछड़े मुसलमानों की भागीदारी का रास्ता भी खुल रहा है तो यह भी बताया जाएगा कि भाजपा ने गरीब-पिछड़े मुसलमानों के लिए कितना बड़ा काम किया है।

मोर्चा अध्यक्ष का दावा है कि तीन तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बदली, सरकार की योजनाओं में गरीब मुस्लिमों को लाभ मिला, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति उनका विश्वास बढ़ा है। इसी तरह से वक्फ संशोधन विधेयक भी मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति करने वाले विपक्षी दलों को बेनकाब कर संदेश देगा कि भाजपा बिना भेदभाव उनके हित के लिए भी काम कर रही है।

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सुप्रीम कोर्ट के 30 जज ने पब्लिक कर दी अपनी संपत्ति, इतने न्यायधीशों की घोषणा अब भी बाकी; इस वजह से लिया गया फैसला

Dainik Jagran - National - April 3, 2025 - 9:00pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक कदम बढ़ाया है। प्रधान न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सभी 33 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा करने और ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है।

इतना ही नहीं प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित 30 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा मुख्य न्यायाधीश को दे दिया है। तीन न्यायाधीशों के नाम अभी नहीं आए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है कि क्योंकि सार्वजनिक करने का विकल्प स्वैच्छिक रखा गया है।

फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर लिया गया फैसला

फिलहाल केवल उन न्यायाधीशों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं जिन्होंने संपत्ति का ब्यौरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया है। हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नगदी मिलने के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करने का लिया गया यह निर्णय महत्वपूर्ण है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने संपत्ति घोषणा का और उस घोषणा को स्वैच्छिक रूप से वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया हो।

2009 में भी लिया गया था ऐसा फैसला

2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने फुल कोर्ट मीटिंग में ऐसा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया था और उस समय भी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी और उसे सार्वजनिक भी किया गया था, हालांकि संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक थी।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर बताया गया है कि फुल कोर्ट मीटिंग में प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है। पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि पद ग्रहण करने के बाद न्यायाधीश अपनी संपत्ति प्रधान न्यायाधीश को घोषित करेंगे। जब भी महत्वपूर्ण संपत्ति अर्जित करेंगे तब भी उसकी घोषणा की जाएगी। संपत्ति की घोषणा प्रधान न्यायाधीश भी करेंगे।

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JD Vance on Elon Musk quitting DOGE

Business News - April 3, 2025 - 8:56pm
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Bihar: 'तुम मुसलमानों की भूमि हड़पना चाहते हो, लेकिन...'; वक्फ संशोधन बिल पर ये क्या बोल गए लालू

Dainik Jagran - April 3, 2025 - 8:43pm

राज्य ब्यूरो, पटना। गुरुवार को बयान जारी कर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अपना रोष प्रकट किया है। उन्होंने वर्ष 2010 के एक पुराने वीडियो को भी जारी किया है, जिसमें वे संसद में वक्फ से संंबंधित प्रकरण पर बाेल रहे।

संसद में अपनी उपस्थिति नहीं होने पर अफसोस प्रकट करते हुए लालू ने कहा है कि अगर मैं होता तो अकेला ही काफी होता। लालू ने अपने बयान की शुरुआत संबोधन से की है।

लालू यादव ने लिखा,

संघी-भाजपाई नादानो! तुम मुसलमानों की भूमि हड़पना चाहते हो, लेकिन हमने सदा वक्फ की भूमि बचाने के लिए कड़ा कानून बनाया है और बनवाने में सहायता की है। मुझे अफसोस है कि अल्पसंख्यकों, गरीबों, मुसलमानों और संविधान पर चोट करने वाले इस कठिन दौर में संसद में नहीं हूं, अन्यथा अकेला ही काफी था।

सदन में नहीं हूं तब भी आप लोगों के ख्यालों, ख्वाबों, विचारों और चिंताओं में हूं। यह देख कर अच्छा लगा। अपनी विचारधारा, नीति और सिद्धांतों पर प्रतिबद्धता, अडिगता और स्थिरता ही मेरे जीवन की जमा पूंजी है।

एम्स में सुधर रहा लालू का स्वास्थ्य:

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य खराब होने के बाद लालू बुधवार रात दिल्ली स्थित एम्स के कार्डियक क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती कराए गए। डा. राजेश यादव के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम उनका उपचार कर रही और उनके स्वास्थ्य मेंं उत्तरोत्तर सुधार हो रहा।

सोमवार से ही लालू का ब्लड शुगर बढ़ गया था और ब्लड-प्रेशर लो था। बुखार के अलावा देह पर एक-दो फोड़े भी हो गए थे। बुधवार को वे पटना मेंं पारस अस्पताल के चिकित्सकोंं ने उन्हें एम्स जाने का सुझाव दिया था।

लालू और तेजस्वी अल्पसंख्यक वोटों के सौदागर : जदयू

जदयू प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद ने गुरुवार को कहा कि राजद ने अल्पसंख्यक समुदाय को हमेशा वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया और कभी भी उनके हित की बात नहीं सोची। दोनों अल्पसंख्यक वोटों के सौदागर रहे हैं।

जदयू प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए कई क्रांतिकारी फैसले लिए और उनके कल्याण के लिए अनेकों योजनाएं चलायी। वर्ष 2004-05 में जहां अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए सरकार का बजट महज 3 करोड़ 53 लाख हुआ करता था।

वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में साल 2024-25 के वार्षिक बजट में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 1004 करोड़ 22 लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। वक्फ संशोधन बिल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को किसी से धर्मनिरपेक्षता का सर्टिफिकेट लेने की जरुरत नहीं है।

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