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Patna Zoo: दही-भात के साथ डाभ पीने लगा चिम्पैंजी, गर्मी आते ही बदला वन्य प्राणियों का मैन्यू; देखें लिस्ट
मृत्युंजय मानी, पटना। गर्मी आते ही संजय गांधी जैविक उद्यान प्रशासन ने वन्य प्राणियों के मैन्यू में बदलाव कर दिया है। गर्मी बढ़ते ही बाघ का भोजन घट गया है।
11 किलो से बिफ भोजन घटकर नौ किलो पर आ गया है। चिम्पैंजी दही-भात के साथ डाभ पीने लगा है। इसके साथ तरबूजा सहित कई प्रकार के मौसमी फल दिए जा रहे हैं।
हाथी काे ईख के स्थान पर केला का थम मिलने लगा। भालू खीर खा रहा है। उद्यान प्रशासन सभी वन्य प्राणियों को गुलकोज, मल्टी विटामिन तथा लू से बचाव के लिए दवा देने की प्रक्रिया की शुरूआत कर दी है। शाकाहारी जानवरों को हरा घास की व्यवस्था की गई है।
वन्य प्राणियों के लिए की गई कुलर की व्यवस्थावन्य प्राणियों के नाइट हाउस में कुलर की हवा खिलाकर गर्मी से राहत दिलाई जा रही है। उनके बाड़े में पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
बाघ बाड़े के झरना में भी स्नान करते दिख जा रहा है। हाथी पानी में रहना पसंद करने लगी है। उसके लिए बाड़े के अंदर पानी की व्यवस्था की गई है। गैंडा भी ज्यादा समय में पानी में बीता रहा है।
शाकाहारी जानवरों को मौसमी फल दिया जा रहा है। घाड़ियाल अंडे देने के बाद काफी सक्रिय हो गए हैं। हिप्पोपोटामस पानी में उछल-कूद करते नजर आ रहा है।
उद्यान प्रशासन का जानवरों के केज के बाहरी भाग में पानी छिड़काव शुरू करा दिया है। सड़केें गीली रह रही है। सभी पशुपालकों को निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने केज के सामने पानी का नियमित रूप से छिड़काव कराएं।
वाहन से भी पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इससे दर्शकों को भी काफी राहत मिल रही है। पक्षियों को पीने के लिए दिए जाने वाले पानी का दो बार बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उद्यान निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण्एा के गाइड लाइन के अनुसार वन्य प्राणियों के कैलेंडर बना है।
उसके हिसाब से मैन्यू में बदलाव किया गया है। वन्य प्राणियों के स्वास्थ पर भी विशेष रूप से नजर रखी जा रही है।
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राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षण कार्य समेत तमाम गतिविधियों की निगरानी सख्त होने जा रही है।
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार हर दिन सुबह साढ़े छह बजे से अफसर विद्यालयों के निरीक्षण करने जाएंगे। ये निरीक्षी अधिकारी हर दिन की रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव को देंगे।
निरीक्षण में शिक्षकों एवं बच्चों की उपस्थिति, पहली कक्षा में नामांकन, विद्यालय परिसर की साफ-सफाई और मध्याह्न भोजन पर खास नजर होगी।
निरीक्षण अभियान में प्रत्येक प्रखंड और जिला स्तर के अधिकारी जाएंगे। इनमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी तथा बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी होंगे।
ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे निरीक्षण रिपोर्टये सभी अधिकारी सुबह साढ़े छह बजे से पूर्वाह्न 11 बजे दिन तक विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण रिपोर्ट तय फार्मेट में ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे।
निरीक्षण करने वाले अधिकारी 11 बजे के बाद अपने-अपने कार्यालय के कार्यों का निष्पादन करेंगे। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के प्रभारी पदाधिकारी प्रतिदिन अपराह्न में निरीक्षण करने वाली पदाधिकारी से विद्यालय निरीक्षण की अद्यतन सूचना दूरभाष से प्राप्त कर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को अवगत कराएंगे।
जिले के 282 शिक्षकों ने मार्च में नहीं बनाई ई-शिक्षा कोष पर हाजिरीबक्सर जिले के 282 शिक्षकों ने मार्च के महीने में ई शिक्षा कोष पर एक भी दिन आनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं की है। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) अमरेंद्र पांडेय ने इन शिक्षकों को विभागीय आदेशों की अवहेलना करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
डीईओ ने कहा है कि शिक्षकों को 24 घंटे के भीतर अपने कार्यों का संतोषजनक जवाब देना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा विभाग के अनुसार, ई शिक्षा कोष पोर्टल शिक्षकों की उपस्थिति को ट्रैक करने और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी।
इस पोर्टल के माध्यम से, शिक्षकों को प्रतिदिन अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है, लेकिन जिले के 282 शिक्षकों ने मार्च के महीने में इस नियम का पालन नहीं किया।
इससे विभाग को यह कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली शिक्षकों की पारदर्शिता और समयबद्धता को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।
यह प्रणाली शिक्षकों को समय पर स्कूल आने और जाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे छात्रों की शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस घटना ने जिले में शिक्षा प्रणाली की निगरानी और जवाबदेही के महत्व को उजागर किया है। डीईओ ने इसे विभागीय निर्देश की अवहेलना और स्वेच्छाचारिता का परिचायक बताया है।
उन्होंने शिक्षकों को कठोर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। डीईओ ने कहा है कि भविष्य में भी इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति से वैश्विक आर्थिकी में जिस तरह की अफरा-तफरी फैली है, उसे देखते हुए आरबीआई भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेज बनाए रखने के लिए ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाएगा।
यही वजह है कि बुधवार को आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में इस साल लगातार दूसरी बार रेपो रेट (बैंकों के ब्याज दरों को तय करने वाला मानक दर) में 25 आधार अंकों (0.25 प्रतिशत) की कटौती करने का फैसला किया गया।
सस्ते हो सकते हैं ऑटो और होम लोनफरवरी, 2025 में भी इतनी ही कटौती की गई थी। इस तरह से इस साल रेपो रेट 6.50 प्रतिशत से घटकर अब छह प्रतिशत पर आ चुकी है। इससे आने वाले दिनों में ऑटो और होम लोन सस्ते हो सकते हैं। वहीं, आपकी ईएमआइ भी घटेगी। इससे आम जनता को मासिक किस्त में राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीतियों को लेकर आरबीआइ के रुख को अर्थव्यवस्था के लिए उदारवादी बनाने की बात कही है। यानी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आगे भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना है। अभी तक आरबाआइ का रुख तटस्थ था।
मैं संजय हूं, महाभारत का संजय नहीं: संजय मल्होत्रामल्होत्रा से जब आरबीआऊ के नए रुख के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि केंद्रीय बैंक आने वाली समीक्षा नीतियों के जरिये या तो ब्याज दरों को इसी स्तर पर रखेगा या फिर इनमें कटौती करेगा। आगे नीतियों की दिशा ब्याज दरों को लेकर नीचे की तरफ (घटाने की तरफ संकेत) रहेगा। यह कहां जाकर रुकेगा, अभी नहीं कहा जा सकता। मैं संजय हूं, महाभारत का संजय नहीं हूं जो बहुत दूर की देख सके।
आरबीआई के इस बदले रुख के बारे में विशेषज्ञ अमेरिका की नई शुल्क नीति की वजह से वैश्विक स्तर पर छाई अनिश्चितता को मान रहे हैं। आरबीआइ अभी भारत की विकास दर की रफ्तार को बनाए रखना जरूरी मान रहा है। मल्होत्रा भी मान रहे हैं कि मौजूदा माहौल में विकास दर के मोर्चे पर वैश्विक कारोबार घटने और नीतिगत अनिश्चितता से कई चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
लिहाजा उन्होंने वर्ष 2025-26 के लिए भारत के आर्थिक विकास दर लक्ष्य को पहले से घोषित 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान को 4.2 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया है।
इसमें अच्छी कृषि और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट को ध्यान में रखा गया है। हालांकि, जिस तरह से हालात बन रहे हैं, उससे आरबीआइ ने सचेत व चौकस रहने की बात भी कही है।रेपो रेट में लगातार दो बार कटौती और एसडीएफ (स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी-वह दर जिस पर आरबीआइ बैंकों की तरफ से अतिरिक्त फंड जमा करने पर ब्याज देता है) को घटाकर आरबीआइ ने 5.75 प्रतिशत कर दिया है।
इन दोनों फैसलों से बैंक अपने फंड का इस्तेमाल कर्ज वितरण में करने के लिए लगाएंगे। फरवरी, 2025 में जब तकरीबन पांच वर्षों में रेपो रेट घटाकर 6.25 प्रतिशत किया गया था, उसका अभी तक असर खुदरा कर्ज की दरों पर नहीं दिखा है। एचडीएफसी बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के बैंकिंग सिस्टम में अभी 1.33 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड है, जिसे कर्ज के तौर पर वितरित किया जा सकता है।
बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक ने आरबीआइ द्वारा नीतिगत दर में कटौती के निर्णय के कुछ ही घंटों के भीतर ऋण दर में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की है। अन्य बैंकों द्वारा भी जल्द ही इसी तरह की घोषणा किए जाने की उम्मीद है। दोनों बैंकों ने कहा कि आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद दरों में संशोधन किया गया है।
रेपो रेट का इस तरह पड़ता है असररेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर देश का केंद्रीय बैंक यानी आरबीआइ वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब आरबीआइ इस ब्याज दर में कटौती करता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसके बाद बैंक भी सस्ते ब्याज दर पर लोन देने लगते हैं। आम भाषा में कहें तो रेपो रेट कम होने पर होम लोन, कार लोन, कमर्शियल लोन या पर्सनल लोन की ईएमआइ में राहत मिल सकती है।
इसका सीधा-सीधा असर मध्य वर्ग परिवारों की जेब पर पड़ता है। आरबीआइ रेपो रेट में बदलाव करके नकदी के प्रवाह पर नियंत्रण करने की कोशिश करता है। यह फैसला महंगाई और अन्य कई चीजों को ध्यान में रखकर लिया जाता है।
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Bihar Gramin Bank: ग्रामीण बैंक को लेकर सामने आई एक और जानकारी, वित्त विभाग ने जारी किया नया नोटिफिकेशन
राज्य ब्यूरो, पटना। ग्रामीण बैंकों के विलय का एक बड़ा उद्देश्य आइपीओ लाना है। राशि जुटाने के लिए इन बैंकों में केंद्र सरकार के शेयर की खुले बाजार में बोली लगाई जाएगी।
इस तरह आइपीओ से प्राप्त होने वाली राशि से नव-गठित ग्रामीण बैंक का कायाकल्प होगा। बिहार के दोनों ग्रामीण बैंकों (उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक) का विलय एक मई से प्रभावी हो जाना है।
उसके बाद बिहार ग्रामीण बैंक अस्तित्व में आएगा। उसके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती संरचनात्मक रूप से सुदृढ़ होने के साथ पेशेवर प्रतिस्पर्द्धा में आगे निकलने की होगी।
इसके लिए कार्ययोजना बनाने के बाद ग्रामीण बैंक का आइपीओ आएगा, ताकि कार्ययोजना पर आगे बढ़ने के लिए पूंजी जुटाई जा सके। नवगठित सभी ग्रामीण बैंकों के पास 2,000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी होगी।
वित्त विभाग ने अपनी अधिसूचना में इसे स्पष्ट कर दिया है। पूंजी जुटाने के इस लक्ष्य में आइपीओ महत्वपूर्ण होगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी ग्रामीण बैंक का आइपीओ लाने का प्रयास हुआ था, लेकिन परिचालन पूंजी कम होने के कारण वह पहले सिरे नहीं चढ़ी।
अब दोनों ग्रामीण बैंकों का विलय हो रहा तो स्वाभाविक तौर पर एक इकाई के रूप में नेटवर्क बड़ा हो जाएगा और पूंजी भी बड़ी हो जाएगी।
सुधार के लिए समय समय पर किया जाता रहा है यह कामउल्लेखनीय है कि ग्रामीण बैंकों की सेहत में सुधार के लिए शेयर धारकों द्वारा समय-समय पर पूंजी दी जाती रही है।
हालांकि, 2015 में केंद्र सरकार ने आगे पूंजी देने के बजाय ग्रामीण बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने का निर्देश दिया।
इसके लिए ग्रामीण बैंक कानून-1976 में संशोधन कर केंद्र ने अपने 50 प्रतिशत में से 34 प्रतिशत शेयर आइपीओ के माध्यम से बेचने का प्रविधान किया।
हालांकि, छोटा आधार होने के कारण कोई भी ग्रामीण बैंक आइपीओ जारी नहीं कर सका। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक 35 प्रतिशत और संबंधित राज्य सरकार 15 प्रतिशत अंशधारक होती है।
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Tahawwur Rana को फांसी मिलेगी या कुछ और होगी सजा? जानिए भारत आने के बाद सबसे बड़े दुश्मन के साथ क्या होगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को आज ( बुधवार) भारत लाया जा सकता है। NIA के इंस्पेक्टर जनरल रैंक के अधिकारी आशीष बत्रा की लीडरशिप में एक मल्टी-एजेंसी टीम तहव्वुर राणा को हिरासत में लेने के लिए रविवार को अमेरिका गई थी। दिल्ली और मुंबई की जेलों को तैयार किया जा रहा है। यहां की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है।
सबसे बड़ा सवाल है कि आखिरकार तहव्वुर राणा को भारत लाने के पीछे भारत सरकार का लक्ष्य क्या है और उसके साथ देश में क्या होगा। जवाब है कि भारत पहुंचने पर तहव्वुर राणा को हिरासत के लिए नई दिल्ली में एनआईए अदालत में पेश किया जाएगा। इसके बाद राणा से पूछताछ की जाएगी। उसे शुरुआती कुछ हफ्तों तक उसके एनआईए की हिरासत में रखा जाएगा।
एनआईए द्वारा पूछताछ किए जाने के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच मुंबई हमलों की आगे की जांच के लिए उसकी हिरासत की मांग करेगी। दिल्ली और मुंबई की जेल में उसके लिए हाई सिक्योरिटी की व्यवस्था की गई है। राणा की गतिविधियों पर 24/7 निगरानी रखी जाएगी।
उम्मीद है कि राणा को इस कायराना हमले के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। वहीं, राणा के आईएसआई के सदस्यों सहित प्रमुख व्यक्तियों के साथ संबंधों की भी जांच की जाएगी।
आरोप और दंड- राणा पर भारतीय न्याय संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत हत्या, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश और आतंकवादी कृत्यों के आरोप लगाए गए हैं।
- यदि दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें आजीवन कारावास या मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है।
- एनआईए राणा को भारत के विभिन्न स्थानों पर ले जाएगी, जिनमें मुंबई का ताज होटल, आगरा, हापुड़, कोच्चि और अहमदाबाद शामिल हैं, जहां उन्होंने और उनकी पत्नी ने हमलों से कुछ हफ्ते पहले दौरा किया था।
- एजेंसी को उम्मीद है कि राणा की पूछताछ से हमलों के पीछे के बड़े नेटवर्क और पाकिस्तान में आतंकवादियों की भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।
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ट्रंप के टैरिफ से एक्सपोर्ट पर पड़ेगा कितना असर, महंगाई के क्या हैं आसार? RBI गवर्नर ने बताई सारी बात
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि हाल ही में अमेरिकी सरकार की तरफ से घोषित शुल्क नीति ने वैश्विक अनिश्चतता को बढ़ा दिया है जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ ही भारत की इकोनॉमी और यहां महंगाई की स्थिति पर भी असर पड़ना तय है।
उन्होंने कहा कि अभी जिस तरह की अनिश्चिता है उससे निवेश भी प्रभावित होती है और उद्योग जगत व आम आदमी का खर्चा संबंधी फैसला भी प्रभावित होता है।
उन्होंने इसका असर देश की आर्थिक विकास दर पर भी पड़ने की बात कही है लेकिन चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि क्षेत्र की स्थिति बेहतर रहने की संभावना है। इससे विकास दर की गिरावट को थामने में मदद मिलेगा।
महंगाई को लेकर आरबीआई ज्यादा आत्मविश्वास में है। हाल के महीनों में महंगाई को नीचे लाने में जो सफलता मिली है, उसकी वजह से केंद्रीय बैंक के लिए ब्याज दरों को लेकर स्पष्ट तौर पर फैसला करने में मदद मिलने की बात गवर्नर मल्होत्रा ने स्वीकार की है।
सालाना विकास दर को लेकर क्या है उम्मीद?- आरबीआई ने वर्ष 2025-26 में सालाना विकास दर 6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया है जो पहले के अनुमान 6.7 फीसद से 0.20 फीसद कम है।
- पहली तिमाही में 6.5 फीसद, दूसरी तिमाही 6.7 फीसद, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसद और चौथी तिमाही में 6.3 फीसद की विकास दर की संभावना जताई गई है। लेकिन अभी बहुत कुछ बदल भी सकता है।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, 'वैश्विक इकोनॉमी की मौजूदा स्थिति असाधारण तौर पर अनिश्चतता से भरी हुई है। अभी मुश्किल यह है कि इस बेहद शोर-शराबे वाले माहौल में सही क्या होगा, इसका संकेत कैसे निकाला जाए? अर्थव्यवस्था को सही दिशा में रखने में मौद्रिक नीति बहुत अहम भूमिका निभा सकता है।'
अमेरिका से कारोबार को लेकर बातचीतआरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि टैरिफ बढ़ने से शुद्ध निर्यात पर नकारात्मक असर होता है। लेकिन अभी कई तरह की अनिश्चितता है, जैसे शुल्क कितना होगा, हमारे निर्यात में किस तरह का बदलाव होता है, आयात मांग कैसी रहती है। भारत सरकार अमेरिका से कारोबार को लेकर बातचीत कर रही है। इससे विपरीत असर को कम किया जा सकता है।
महंगाई को लेकर कोई खास चिंता नहींहालांकि, महंगाई को लेकर आरबीआई अब ज्यादा सकारात्मक दिख रहा है। गवर्नर मल्होत्रा के मुताबिक, वैश्विक कारोबार व अनिश्चितता से वैश्विक विकास दर पर असर पड़ने की आशंका है लेकिन इसका घरेलू महंगाई पर बहुत ज्यादा असर पड़ने को लेकर कोई खास चिंता नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा है कि अगर वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बढ़ती है तो बाहर से महंगाई देश में प्रवेश कर सकती है लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की वजह से क्रूड व दूसरी जींसों की कीमतों में नरमी आ सकती है।
महंगाई की दरें ज्यादा तेजी से कम हुईइस आधार पर वर्ष 2025-26 के लिए आरबीआई ने महंगाई दर के चार फीसद रहने का लक्ष्य रखा है। वैसे अभी महंगाई की दरें हमारी उम्मीदों से भी ज्यादा तेजी से कम हुई हैं। आरबीआई वैधानिक तौर पर सालाना महंगाई की दर को चार फीसद (अधिकतम दो फीसद उपर या दो फीसद नीचे) पर रखने की कोशिश करता है।
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भारत ने बंद कर दी बांग्लादेश की दुकान, नेपाल और भूटान सहित इन देशों को नहीं बेच पाएगा सामान
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट की सुविधा खत्म कर दी है। इससे बांग्लादेश का भूटान, नेपाल और म्यांमार के साथ व्यापार प्रभावित हो सकता है। इस सुविधा के तहत बंदरगाहों और हवाई अड्डों के रास्ते में भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों का उपयोग करके बांग्लादेश से तीसरे देशों को निर्यात कार्गो की अनुमति दी गई थी।
मुख्य रूप से परिधान क्षेत्र के भारतीय निर्यातकों ने सबसे पहले सरकार से पड़ोसी देश से यह सुविधा वापस लेने का आग्रह किया था। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (सीबीआईसी) ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है।
भारत के रास्ते सामान भेजता था बांग्लादेशइसमें बोर्ड ने 29 जून, 2020 के अपने पुराने आदेश को रद कर दिया है। उसमें बांग्लादेश से आने वाले सामान को भारत के रास्ते दूसरे देशों में भेजने की अनुमति दी गई थी। यह सामान जमीन के रास्ते भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों तक पहुंचता था। इसका मकसद यह था कि बांग्लादेश आसानी से भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों को सामान भेज सके।
लेकिन शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आई है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, 'अब हमारे पास अपने कार्गो के लिए अधिक हवाई क्षमता होगी।'
नए आदेश के बाद सुविधा बंद- एईपीसी के अध्यक्ष सुधीर सेखरी ने कहा था कि लगभग 20-30 लोडेड ट्रक हर दिन दिल्ली आते हैं, जिससे कार्गो की सुचारू आवाजाही धीमी हो जाती है और एयरलाइंस इसका अनुचित लाभ उठा रही हैं। इससे हवाई मालभाड़े में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।
- ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) का कहना है कि नए आदेश के बाद यह सुविधा तुरंत बंद कर दी गई है। हालांकि जो सामान पहले से ही भारत में आ चुका है, उसे पुराने नियमों के अनुसार बाहर जाने दिया जाएगा।
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