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कैसे लिखी गई 26/11 हमले की कहानी, 21 नवंबर को कहां-कहां गया तहव्वुर राणा? भारत आते ही खुल जाएंगे सारे राज

Dainik Jagran - National - April 9, 2025 - 10:37pm

नीलू रंजन, नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले में अहम भूमिका निभाने वाला आतंकी तहव्वुर राणा कभी भी भारत पहुंच सकता है। भारत में प्रत्यर्पण रोकने के सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने राणा को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया है। भारत में पहुंचते ही राणा को मुंबई हमले की जांच कर रही एनआईए अपनी कस्टडी में लेकर पूछताछ करेगी। लेकिन इसके साथ ही खुफिया ब्यूरो और रिसर्च एंड एनलाइसिस विंग (रॉ) भी राणा से पूछताछ करने की तैयारी में जुटी है।

भारत पर आतंकी हमलों की साजिश

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, भारत में कुछ और आतंकी हमलों में राणा की भूमिका के सबूत मिले हैं। इन मामलों में राणा के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की जा सकती है। इसके साथ ही एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर भारत पर आतंकी हमलों की साजिश रचने के मामले में भी नई एफआईआर दर्ज करने पर विचार कर रही है।

कास्टडी के बाद होंगे कई खुलासे
  • वैसे आईएसआई के बहुत करीबी रहे और भारत में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने में मदद करने वाले तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बारे में एनआईए या अन्य सुरक्षा एजेंसियों का कोई भी अधिकारी खुलकर बोलने के तैयार नहीं है।
  • एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार भारत की धरती पर आ जाने और एनआईए को उसकी कस्टडी मिल जाने के बाद ही उसके बारे में जानकारी दी जाएगी।
  • उनके अनुसार, राणा की सुरक्षा के लिए उसके प्रत्यर्पण में बहुत गोपनीयता बरती जा रही है। उनके अनुसार फिलहाल राणा भारतीय अधिकारियों के पास है और उसे विशेष विमान से सुरक्षा के पूरे इंतजाम के साथ भारत लाया जाएगा।
  • माना जा रहा है कि उसे मुंबई के अति सुरक्षित आर्थर रोड जेल में रखा जाएगा। जहां पहले आतंकी अजमल कसाव और गैंगस्टर अबू सलेम को रखा गया था, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तहव्वुर राणा पाकिस्तान के कथित 'नॉन इस्टेट एक्टर' और 'इस्टेट एक्टर' के संबंधों के बारे में अहम जानकारी दे सकता है और मुंबई हमले में 'इस्टेट एक्टर' की भूमिका भी उजागर कर सकता है।

पाकिस्तान का सच भी होगा उजागर

ध्यान देने की बात है कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान ने इसे 'नॉन इस्टेट एक्टर' की कारस्तानी बताकर पल्ला झाड़ लिया था। इसके अलावा अन्य आतंकी हमलों में भी पाकिस्तान का यही रवैया रहा है। पहली बार 'नॉन इस्टेट एक्टर' और 'इस्टेट एक्टर' के बीच की कड़ी की भूमिका निभाने वाला राणा भारत के कब्जे में आया है।

13 नवंबर से 21 नवंबर के बीच कहां था तहव्वुर राणा

एनआईए को आशंका है कि मुंबई हमले में राणा की भूमिका हेडली की फंडिंग से कहीं ज्यादा थी। 26 नवंबर 2008 में हमले के ठीक पहले 13 नवंबर से 21 नवंबर के बीच राणा अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ भारत के दौरे पर था और इस दौरान वह दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश के आगरा व हापुड़, केरल के कोचि, गुजरात के अहमदाबाद और मुंबई भी गया था।

आईएसआई के मौजूदा आतंकी नेटर्क के बारे में जानकारी

हमले की ठीक पहले इन जगहों पर राणा क्यों गया और वहां किन-किन लोगों से मिला यह जानना जरूरी है। वैसे राणा 2009 में ही अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसीलिए आईएसआई के मौजूदा आतंकी नेटर्क के बारे में उसे जानकारी नहीं होगी।

लेकिन पुराने नेटवर्क और आतंकी फंडिंग के आईएसआई के तौर-तरीके में अहम जानकारी मिलने की उम्मीद है। यही कारण आईबी और रॉ जैसी एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी भी राणा से पूछताछ की तैयारी कर रहे हैं।

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'सरकार तीन महीने में ले फैसला', पैकेज्ड फूड पर चेतावनी लेबल को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

Dainik Jagran - National - April 9, 2025 - 10:28pm

 पीटीआई, नई दिल्ली। पैकेज्ड फूड पर चेतावनी लेबल लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगले तीन महीनों में सिफारिशों को लागू करे।

कोर्ट ने इसी अवधि में वार्निंग लेबलिंग और डिस्प्ले रेगुलेशन, 2020 में संशोधन पर फैसला लेने को कहते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया है।

जस्टिस जेबी पार्डीवाला और आर.महादेवन की खंडपीठ ने पैकेज्ड फूड के पैकेट पर चेतावनी की मांग करने वाली पब्लिक चेरिटेबिल ट्रस्ट थ्रीएस एंड आवर हेल्थ सोसाइटी की याचिका में कहा गया कि नागरिकों को ग्रहण किए जाने वाले खाद्य पदार्थों की पूर्ण जानकारी के आधार पर अपने निर्णय लेने का अधिकार है।

हितधारकों सहित जनता की शिकायतों को सुनी गई

जस्टिस पार्डीवाला ने कहा कि वह विशेषज्ञ समिति को तीन महीने में अपनी सिफारिशें देने के निर्देश के साथ ही इस याचिका का निस्तारण कर रहे हैं।

इस मामले की जब सुनवाई हुई तो केंद्र ने हलफनामे की ओर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें कहा गया है कि हितधारकों सहित जनता से आपत्तियों के रूप में लगभग 14,000 टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं और केंद्र वार्निंग लेबलिंग और डिस्प्ले रेगुलेशन 2020 में संशोधन करने का फैसला किया है।

जनहित याचिका में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैकेज्ड खाद्य पदार्थों (फ्रंट-आफ-पैकेज वार्निंग लेबल) के कार्यान्वयन को अनिवार्य बनाने का निर्देश देने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि डब्बाबंद खाद्यान्नों में नमक, चीनी की अत्यधिक मात्रा मधुमेह, मोटापा और हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर से लोगों को पीड़ित कर देती है। हर चार में से एक भारतीय ऐसे रोगों से प्रभावित है।

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