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सीजफायर के बाद बिहार में प्रतिबंध वापस, रात 10 बजे के बाद संगीत बजाने और पटाखे छोड़ने पर थी रोक

Dainik Jagran - May 10, 2025 - 7:06pm

राज्य ब्यूरो, पटना। भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी को देखते हुए बिहार पुलिस मुख्यालय ने राज्य में पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ ही रात दस बजे के बाद संगीत बजाने पर रोक लगाई गई थी। इस आदेश को सीजफायर के बाद वापस ले लिया गया है। 

धीमी आवाज में संगीत बजाने की थी बात

सामान्य परिस्थतियों में भी आम जनता से मद्धिम (धीमी) आवाज में संगीत बजाने की अपील की गई थी। शनिवार को जारी आदेश में सभी जिलों के डीएम, एसएसपी और एसपी को इसका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा गया था।

अपर पुलिस महानिदेशक ने जारी किया था आदेश

अपर पुलिस महानिदेशक (विधि-व्यवस्था) पंकज दराद की ओर से जारी आदेश में कहा गया है था कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में घटित आतंकी घटना के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर सामरिक स्थिति उत्पन्न है। इसको लेकर संपूर्ण भारतवर्ष में समस्त व्यवस्था को हाई अलर्ट मोड पर रखा गया है।

वैवाहिक कार्यक्रमों में बजता है तेज संगीत

अभी राज्य में लग्न के कारण वैवाहिक समारोहों का आयोजन किया जा रहा है। वैवाहिक समारोहों में देर रात तक उच्च आवाज में संगीत बजाया जा रहा है। नियमानुसार रात्रि दस बजे के बाद ऊंची आवाज में संगीत बजाना निषिद्ध है। हालांकि अब आदेश वापस ले लिया गया है। 

उल्लास में छोड़े जाते हैं पटाखे

वैवाहिक समारोहों तक अन्य आयोजनों में लोग उल्लास में पटाखे भी छोड़ते हैं। देश में उत्पन्न स्थिति के दृष्टिकोण से राष्ट्रहित में तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वर्तमान में रात में तेज आवाज में संगीत बजाना और पटाखों को छोड़ना प्रतिकूल है।

पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए

इसका लाभ असामाजिक तथा देश विरोधी तत्वों के द्वारा लिया जा सकता है। ऐसे में निर्देश दिया गया था कि रात्रि में दस बजे के बाद संगीत बजाने पर नियमानुकूल प्रतिबंध लगाया जाए। आम जनता राष्ट्रहित में मत्रिम आजवा में संगीत बजाए। 

देर रात एसएसपी ने की सुरक्षा जांच

देश में हाई अलर्ट के बाद शुक्रवार की देर रात पटना के एसएसपी अवकाश कुमार ने राजधानी के धार्मिक स्थलों एवं वीवीआइपी क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था की जांच की। वे एक अणे मार्ग से, राजभवन, पटना सिटी के तख्त श्रीहरमंदिर साहिब जी गुरुद्वारा, इस्कान मंदिर, सचिवालय समेत अन्य स्थानों पर गए। वहां गश्ती दल और रात्रि सुरक्षा का निरीक्षण किया।

थानेदार और एसडीपीओ को किया तलब

इस दौरान एसएसपी ने सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ की और आवश्यक निर्देश दिए। क्षेत्र भ्रमण के क्रम में उन्होंने संबंधित थाना क्षेत्र के थानेदार और एसडीपीओ को भी तलब किया। एसएसपी ने कहा कि 24 घंटे शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

संदिग्ध को हिरासत में लेकर करें पूछताछ

संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने एवं उनके नाम और पते का सत्यापन कराने को कहा गया है। सीसी कैमरों से जिले की मानिटरिंग की जा रही है। कंट्रोल रूम में भी पर्याप्त संख्या में बल की तैनाती की गई है। वीवीआइपी क्षेत्रों में अतिरिक्त कैमरों की जरूरत महसूस हुई। स्थानों को चिह्नित कर जल्द वहां कैमरे सुनिश्चित कराने को कहा गया है।

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अब पैरेंट्स को पता चलेगा सबकुछ, आइटीआइ छात्रों के लिए बिहार सरकार ने बनाई नई नीति

Dainik Jagran - May 10, 2025 - 6:32pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) में नामांकित प्रशिक्षणार्थियों का ड्रापआउट रोकने के लिए नीति बनाई गई है। इस नीति के तहत आइटीआइ में प्रशिक्षण पाने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के साथ संस्थान के प्राचार्य और अनुदेशक हरेक माह बैठक करेंगे। 

अभिभावक से साझा की जाएगी जानकारी

इस दौरान प्राचार्य और अनुदेशक (इंस्ट्रक्टर) छात्र-छात्राओं की उपस्थिति से लेकर उनके प्रशिक्षण तक की स्थिति की जानकारी अभिभावक से साझा करेंगे। उन्हें सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी। लगातार कक्षा से अनुपस्थित छात्रों के बारे में अभिभावक से कारण पूछा जाएगा। इस दौरान छात्र और छात्राओं की अनुशासनहीनता की जानकारी भी उनके अभिभावक को आइटीआइ के द्वारा दी जाएगी। 

छात्र-छात्राओं का फीडबैक लेंगे

श्रम संसाधन विभाग के मुताबिक आइटीआइ के प्राचार्य और अनुदेशक अभिभावक से भी छात्र-छात्राओं का फीडबैक लेंगे। निरतंर कक्षाओं से अनुपस्थित छात्रों के बारे में अभिभावकों से वजह जानी जाएगी। छात्र-छात्राओं की अनुशासनहीनता की जानकारी भी उनके अभिभावक को दी जाएगी।

पैरेंट्स से सलाह भी ली जाएगी

छात्र-छात्राओं के हित में और बेहतर प्रबंधन के लिए अभिभावक की सलाह भी ली जाएगी। अभिभावक के सुझाव पर व्यवस्था में आवश्कतानुसार सुधार भी किए जाएंगे।

15 से 20 प्रतिशत तक ड्रापआउट

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रत्येक साल कुल नामांकित छात्र-छात्राओं में लगभग 15 से 20 प्रतिशत तक ड्रापआउट हो जाते हैं, यानी प्रशिक्षण अवधि के दौरान पढ़ाई छोड़ देते हैं या फिर फाइनल परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं।

सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या 151

बता दें कि सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या 151 है। इसमें 113 सामान्य और 38 महिला आइटीआइ हैं। सभी आइटीआइ में कुल 34 हजार सीटें हैं। इसमें भी 15 प्रतिशत सीटें विभिन्न ट्रेड में खाली रह जाते हैं। 2023-24 में भी 6220 सीटें खाली रह गईं थी। 2022-23 सत्र में 4787 सीटें खाली रह गई थीं।

3874 सीटें खाली रह गई थीं

इसके पहले 2021-22 में 3874 सीटें खाली रह गई थीं। जहां तक पाठ्यक्रम की बात है तो 41 ट्रेड में 31 इंजीनियरिंग और 10 ननइंजीनियरिंग टाइप के पाठ्यक्रम हैं। 20 ट्रेड दो वर्षीय है। 21 ट्रेड एक वर्षीय हैं। 11 नए ट्रेड शुरू किए गए हैं।

इसमें एडिटिंग मैनुफैक्चरिंग टेक्निशियन, थ्री डी प्रिटिंग, कंप्यूटर एडेड इंप्रूवल एंड डिजाइन, इलेक्ट्रिशियन पावर डिट्रिव्यूशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स टेक्निशियन, आईओटी स्मार्ट एग्रीकल्चर, आईओटी स्मार्ट हेल्थ केयर, प्लंबर, सोलर टेक्निशियन, टेक्निशियन मेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।

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बिहार सरकार ने जारी किया आंकड़ा, स्कूल के 95 प्रतिशत छात्रों के पास किताबें; पोशाक के लिए 145 करोड़ जारी

Dainik Jagran - May 10, 2025 - 5:09pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले 95 छात्र-छात्राओं को निशुल्क पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। ये सभी विद्यार्थी पहली से आठवीं कक्षा तक के हैं। शेष पांच प्रतिशत विद्यार्थियों को अगले सप्ताह तक किताबें मुहैया होंगी।

आठवीं तक के छात्रों के लिए है सुविधा

इस संबंध में शिक्षा विभाग ने बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड को निर्देश दिया है। शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं।

17 जिलों में पहुंची शत प्रतिशत पुस्तकें

शिक्षा विभाग के उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक शुक्रवार तक 95.13 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। जिन छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं, उनमें 17 जिले ऐसे हैं, जहां के शत प्रतिशत बच्चों हाथों में किताबें पहुंच चुकी हैं।

इन जिलों में पहुंच गई हैं किताबें

इनमें अरवल, औरंगाबाद, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, किशनगंज, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, नवादा, पटना, समस्तीपुर, सारण, सहरसा, शिवहर एवं शेखपुरा शामिल हैं। वहीं अररिया के 97.43, बांका के 86.57, बेगूसराय के 96.39, दरभंगा के 96.32, पूर्वी चंपारण के 86.59, गया के 85.49, गोपालगंज के 93.62, जमुई के 94.51, जहानाबाद के 95.43, कटिहार के 83, खगड़िया के 86.35, लखीसराय के 89.39, मधेपुरा के 66.91, नालंदा के 99.89, पूर्णिया के 73.35, रोहतास के 89.77, सहरसा के 96.48, शिवहर के 80.17, सीतामढ़ी के 89.66, सिवान के 96.76, सुपौल के 85.58, वैशाली के 89.56 एवं पश्चिमी चंपारण के 88.48 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।

पोशाक राशि भुगतान को 145 करोड़ जारी

शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों में पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पोशाक समेत अन्य मद में 145 करोड़ आठ लाख 10 हजार 700 रुपये सभी जिलों को मुहैया कराया है। इसमें शैक्षणिक सामग्री की खरीद संबंधी राशि शामिल है।

महालेखाकार को पत्र लिखकर दी जानकारी

इस संबंध में शिक्षा विभाग ने महालेखाकार को पत्र लिखकर जानकारी दी है। शिक्षा विभाग के मुताबिक मुख्यमंत्री पोशाक बालिका योजना के तहत कक्षा एक और दो की छात्राओं के लिए 600 रुपये, कक्षा तीन से पांच तक की छात्राओं के लिए 700 की दर से पैसे का भुगतान किया जाता है।

आठवीं तक के लिए एक हजार रुपये

इसी तरह कक्षा छह से आठ तक की छात्राओं के लिए एक हजार रुपये की दर से राशि देने का प्रविधान है। वहीं सामान्य वर्ग के पहली एवं दूसरी कक्षा के छात्रों को पोशाक के लिए 400 रुपये, कक्षा तीन से पांच के छात्रों को 500 रुपये और कक्षा छह से आठ तक के छात्रों को 700 रुपये की दर से पोशाक के लिए भुगतान किया जाता है।

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